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]]>इस आर्टिकल में समझते है कि Single candlestick pattern क्या होते है और इससे ट्रेड पोजीशन कैसे ली जाती है।
सभी कैंडलस्टिक पैटर्न (Candlestick Patterns in Hindi) ट्रेडर के भाव और साइकोलोजी की जानकारी दे सही पोजीशन लेने में मदद करते है। तो ये पैटर्न कैसे बनता है और क्या जानकारी देते है?
मार्केट में होने वाले खरीदारी और बिकवाली प्राइस के उतार और चढ़ाव का कारण बनती है। अब जब प्राइस बहुत नीचे गिरने के बाद भी ओपनिंग प्राइस से ऊपर बंद हो तो ये आने वाले बुलिश ट्रेंड की जानकारी देता है।
इसके विपरीत अगर प्राइस बहुत ऊपर जाने के बाद भी ओपनिंग प्राइस से नीचे बंद हो जाए तो ये बढ़ते हुए सेलिंग प्रेशर और डाउनट्रेंड का सिग्नल देता है।
और अगर मार्केट में दोनों तरफ की विक बराबर हो और ओपनिंग-क्लोजिंग प्राइस आस-पास हो तो ये रेंज मार्केट का संकेत देता है।
आइये ऐसे कैंडलस्टिक पैटर्न को थोड़ा और विस्तार में जाने और समझे की इन पैटर्न से ट्रेड कैसे किया जा सकता है।
जैसे की नाम से पता चल रहा है सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न वह पैटर्न होते है जो एक ही कैंडलस्टिक से बनते है और मार्केट में आने वाले बदलाव को दर्शाते है।
वैसे तो मार्केट में कई तरह के सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न है पर उनमे से कुछ मुख्य पैटर्न निम्नलिखित है:
जब मार्केट या कोई शेयर प्राइस नीचे गिर रहा होता है और सपोर्ट के पास काफी नीचे जाने के बाद ओपनिंग वैल्यू के आस-पास क्लोज हो जाता है तो एक hammer जैसा दिखने वाला पैटर्न (Hammer Candlestick Pattern in Hindi) बनता है जो बढ़ते हुए बाइंग प्रेशर को दर्शाता है और आने वाले रेवेसल का संकेत देता है।
हैमर के सबसे उपरी हिस्से में बॉडी होती है और उसके ऊपर कोई शेडो नहीं होती या बिलकुल भी कम शेडो होती है, और नीचे की तरफ बॉडी की दुगनी शेडो होती है।
इस Single candlestick pattern में अगली कैंडल अगर इसके हाई से ऊपर क्लोज होती है तो ट्रेडर के लिए खरीदारी का मौका बनता है और वह आने वाले अपट्रेंड से मुनाफा कमा सकते है।
जब मार्केट में किसी शेयर का प्राइस नीचे गिर रहा होता है, यानी मार्केट मंदी में चल रही होती है और किसी सपोर्ट या डिमांड के पास आने पर प्राइस ऊपर उठता है पर फिरसे अपने ओपनिंग प्राइस के पास आकर बंद होता है तब Inverted Hammer पैटर्न का निर्माण होता है।
इनवर्टेड हैमर डाउनट्रेडं की समाप्ति को दर्शाता है, ये भी हैमर की तरह बुलिश रिवर्सल पैटर्न है इसमें रियल बॉडी के ऊपर काफी लम्बी शैडो होती है, इसमें रियल बॉडी नीचे बिलकुल अंत में स्थित होती है, इसके बनने के बाद डाउनट्रेडं की समाप्त होने के आसार होते है।
मार्केट में जब कोई शेयर अपट्रेंड यानी की तेजी में चल रहा होता है तो जब वो अपने किसी रेजिस्टेंस या सप्लाई जोन के पास पहुचता है तो प्राइस में गिरावट दर्ज होती है तब Shooting Star पैटर्न का निर्माण होता है।
Shooting Star पैटर्न अपट्रेंड के बिलकुल अंत में बनता है और ये पैटर्न बेयरिश रिवर्सल का संकेत देता है, इस कैंडलस्टिक पैटर्न में रियल बॉडी बिलकुल नीचे स्थित होती है, और इसके ऊपरी हिस्से में काफी लम्बा शैडो होता है। इसका ऊपरी शैडो रियल बॉडी के दुगना या उससे थोडा बड़ा होता है। इसमें रियल बॉडी नीचे की तरफ होती है। ये पैटर्न
बाज़ार में जब कोई शेयर अपट्रेंड यानी की तेजी में चल रहा होता है और शेयर में अचानक किसी बिंदु पर यानी की किस रेजिस्टेंस लेवल पर या सेलिंग प्रेसर जोन में जाने पर प्राइस बढ़ना बंद हो जाता है और अचानक बड़ी गिरावट आनी शुरू हो जाती है।
उस गिरावट के आने के बाद शेयर का भाव फिरसे ऊपर चला जाता है और लगभग वहीं जाकर बंद होता है जहाँ से वो चला था। शेयर की प्राइस में आई इस तरह की परिश्थिति को Hanging Man नाम का Single Candlestick Pattern बखूबी दर्शाता है।
जब हैंगिंग मेन पैटर्न बनता है तब अपट्रेंड का अंत माना जाता है, और इसके बनने के बाद बाज़ार में बेयरिश ट्रेंड बनाना शुरू हो जाता है। इस पैटर्न में रियल बॉडी काफी छोटी होती है और इसके नीचे की तरफ शेडो होती है जो बॉडी से लगभग दोगुना होती है।
इस Single Candlestick Pattern से बाज़ार में ये संकेत मिलता है की अब अपट्रेंड अपने अंत तक पहुच चूका है और अब खरीददारों का कंट्रोल खत्म हो गया है।
डोजी कैंडलस्टिक पैटर्न हमेशां असमंजस यानी की कन्फयूजन की स्थिथि पैसा करता है, इसके बनने के बाद ट्रेडर को ये तय करना मुश्किल हो जाता है की बाज़ार किस दिशा में जाएगा, लेकिन एक ट्रेडर अगर इस पैटर्न को ध्यान से देखे और समझकर इसका फायदा उठाए तो प्रॉफिट होने के चांस काफी बढ़ जाते है।
डोजी तब बनती है जब खरीददार और बिकवाल आपस में शेयर के प्राइस को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश करते है। दोनों बराबर की कोशिश करते है, शेयर का प्राइस ऊपर नीचे जाता है पर दोनों बराबर की ताकत दिखाकर वहीं पर रुक जाते है जहाँ से शेयर पर नियंत्रण को लेकर इसकी शुरुआत हुई थी। दोनों में से कोई नहीं जीत पाता।
डोजी पैटर्न (Doji Candlestick Pattern in Hindi) में ओपनिंग और क्लोजिंग प्राइस पास-पास या बिलकुल बराबर होती है, डोजी की शेडो दोनों तरफ होती है, डोजी के बाने के बाद जो प्राइस एक्शन होगा उसी से पता चलता है की बाज़ार किस दिशा में जाएगा। इसलिए इसे नॉन-डायरेक्शनल या नेचुरल कैंडलस्टिक पैटर्न कहते है।
ये सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न देखने में डोजी पैटर्न की तरह ही होता है और बाज़ार में खरीददारों और बिकवालों के बीच की नियंत्रण को लेकर हुई लड़ाई को दर्शाता है।
इसमें और डोजी में फर्क बस इतना होता है की इसमें जो रियल बॉडी होती है वो डोजी के मुकाबले थोड़ी बड़ी होती है। स्पिनंनिंग टॉप पैटर्न में भी डोजी की तरह ही ऊपर नीचे शेडो होती है जो बायर्स और सेलर्स के भाव पर नियंत्रण को लेकर हुए उनके झगडे को दर्शाती है।
बुलिश मोरुबोजु, नाम से ही पता चल रहा है की कोई बुलिश यानी तेजी का पैटर्न है | ये मरुभोजू पैटर्न (Marubozu Candlestick Pattern in Hindi) का एक प्रकार है जो हमें बाज़ार में किसी शेयर में आई अंधाधुंध खरीददारी को दर्शाता है।
जब ये पैटर्न बनता है तो बाज़ार के ऊपर जाने के चांस बढ़ जाते है, इस पैटर्न को बुलिश कैंडलस्टिक पैटर्न कहते है क्योंकि इसके बाद बाज़ार तेजी की तरफ जाएगा, ये पैटर्न मंदी में बनता है और उसके बाद शेयर के प्राइस को रिवर्स करके ऊपर तेजी की और मोड़ देता है।
बुलिश मोरुबोजु पैटर्न में कैंडलस्टिक का लो और हाई नहीं होते और अगर होंगे भी तो बिलकुल ना के बराबर होंगे। शेयर के प्राइस के खुलने के बाद प्राइस लो यानी नीचे की साइड नहीं जाएगा, बल्कि वो सीधा ऊपर की साइड जाएगा और जाता ही रहेगा और ऊपर ही क्लोज हो जाएगा।
ये सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न बुलिश मोरुबोजु का उल्टा होता है, क्योंकि इसमें बियरिश शब्द मोजूद है, इससे आप ये समझ सकते है की इसके बनने के बाद बाज़ार में गिरावट आ सकती है।
जब बाज़ार खुलते ही सीधा नीचे की और मंदी में गिरना शुरू हो जाता है और उसके बाद ऊपर नहीं उठता और हाई और लो बानने के बजाए नीचे मंदी में ही क्लोज हो जाता है तब बियरिश मोरुबोजु पैटर्न का निर्माण होता है।
बियरिश मोरुबोजु पैटर्न को को ट्रेंड रिवर्सल के लिए जनता जाता है। ए पैटर्न सेलर्स का बायर्स के ऊपर हावी होना दिखाता है, यहाँ खरीददारों के हाथ से मार्केट बिकवालों के कंट्रोल में चली जाती है। और उसके बाद वाही मार्केट को आगे लेकर जाएंगे।
किसी भी कैंडलस्टिक पैटर्न को ट्रेड करने का एक तरीका या यूं कहें की एक रणनीति होती है, जिसकी मदद से सही समय पर सही तरीके से ट्रेड करके मुनाफा कमाया जा सकता है।
जैसे की किसी भी कैंडलस्टिक पैटर्न को ट्रेड करते समय कॉन्फ्लुएंस पॉइंट पर विचार किया जाना चाहिए, यानी की एक या एक से अधिक प्रकार के पैटर्न या ऐसे किसी इंडिकेटर और स्टडी जो वही सिगनल दे रही हो जो सिगनल कैंडलस्टिक पैटर्न दे रहा था।
RSI (Relative Strength index) इंडिकेटर की मदद से किसी भी पैटर्न को ट्रेड करने में मदद मिल सकती है, एक उदाहरण की मदद से समझते है, जैसे की अगर RSI ओवरसोल्ड चल रहा है और हैमर कैंडलस्टिक पैटर्न बन जाए तो उसके सफल होने के अनुमान बढ़ जाते है।
टेक्नीकल अनालिसिस में कैंडलस्टिक पैटर्न सबसे पहला कदम कहे जाते है| ट्रेडर को अगर बाज़ार से मुनाफा अर्जित करना है तो कैंडलस्टिक पैटर्न सीखना बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है |
कैंडलस्टिक पैटर्न टेक्निकल एनालिसिस की सबसे अहम और जरूरी कड़ी के रूप में काम करते हुए उसके अन्य पहलुओं और टूल्स की मदद से ट्रेड की जाती है।
अगर आपको स्टॉक मार्किट में प्रवेश करना है तो इसके लिए आप निचे दिए गए फॉर्म को भर के पहला कदम उठा सकते हैं | हमारी टीम जल्दी ही आपको डीमैट अकाउंट खोलने के लिए संपर्क करेगी |
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]]>ट्वीज़र टॉप कैंडलस्टिक पैटर्न बाज़ार की तेजी में बनने वाला पैटर्न है, दो कैंडलस्टिक (Double Candlestick Pattern in Hindi) से बना ये पैटर्न जिसमें पहली कैंडलस्टिक हरे रंग की बुलिश(तेजी) की और दूसरी कैंडल लाल रंग की बियरिश (मंदी) की बनती है।
जहाँ ये पैटर्न बनता है वह पर जो ट्रेडर तेजी में पहले से ही अपने सोदे लेकर बैठे थे वो बाहर निकलते है, और नये ट्रेडर जो मंदी में सोदा बनाकर मुनाफा कमाना चाहते है वो अपना सोदा बनाते है।
एक ट्रेडर के लिए से समझना बहुत जरूरी है की जो कैंडलस्टिक पैटर्न (Candlestick Pattern in Hindi) वो देख रहा है वो बना किस कारण से है, ट्वीज़र टॉप कैंडलस्टिक पैटर्न के बनने का कारण ये है की जब बाज़ार अपनी तेजी में हो और एक ऐसे लेवल पर पहुच जाए जहाँ से नई खरीददारी आना बिलकुल बंद हो जाए और जो सोदे पहले से ही लिए गए थे उनका मुनाफा निकालना शुरू हो जाए।
इस परिस्थिति को ट्वीज़र टॉप कैंडलस्टिक पैटर्न बखूबी दर्शाता है। ट्वीज़र टॉप कैंडलस्टिक पैटर्न की बनावट में कुछ अंतर होता है, जिसे इस चित्र में दर्शाया गया है।
ट्वीज़र टॉप कैंडलस्टिक पैटर्न कई अलग-अलग बनावट में तो बन सकता है पर उसका High (हाई) बिलकुल एक जैसा ही होगा। जैसे की इस चित्र में दर्शाया गया है की पैटर्न A, B, C, D
ट्वीज़र टॉप कैंडलस्टिक पैटर्न की पहचान करने के जरूरी पहलू कुछ इस प्रकार है। जिससे ट्रेडर को इस पैटर्न की चार्ट में खोजने में आसानी होगी।
इस तरह से ट्वीज़र टॉप कैंडलस्टिक पैटर्न की पहचान की जाती है।
ट्वीज़र टॉप कैंडलस्टिक पैटर्न के बारे में तो समझ लिया की यह बनता कैसे है, इसका मनोविज्ञान क्या है, पर सबसे जरूरी बात ये है की इसे ट्रेड कैसे किया जाता है।
ट्वीज़र टॉप को ट्रेड करने के लिए हम निचे दर्शाए चार्ट की मदद लेंगे।
ऊपर TATA STEEL कंपनी का Daily टाइमफ्रेम का चार्ट है, जिसमें साफ़ तौर पर अपट्रेंड चलता हुआ दिखाई दे रहा है, और अपट्रेंड के बिलकुल शीर्ष पर ट्वीज़र टॉप कैंडलस्टिक पैटर्न बना है जिसके बाद बाज़ार सीधा नीचे मंदी में आ गया है।
ट्वीज़र टॉप कैंडलस्टिक पैटर्न को ट्रेड करने के लिए Setup, Entry, Stop Loss और Risk Management जैसी बातों का पता होना जरूरी होता है।
Setup: ट्रेडिंग करते समय एक ट्रेडर के पास साफ़ तौर पर एक रणनीति होनी आवश्यक होती है, जो ट्रेडर को सही समय पर सही निर्णय लेने में मदद कर सके। इस रणनीति में ट्रेडर कहाँ पर सोदा लेना सही रहेगा, कहाँ पर स्टॉप लोस आर्डर लगाना है, कितनी पूंजी का इस्तेमाल करना है इत्यादि जरूरी बातें एक Setup का हिस्सा होते है।
Entry: एक नए ट्रेड के जहन में जो पहला शब्द आता है वो Entry ही होता है, ट्रेडर के लिए एक ऐसी जगह या भाव जिसके बाद उसका मुनाफा होने के चांस बढ़ जाते है, उसे Entry Point कहते है।
ट्वीज़र टॉप कैंडलस्टिक पैटर्न मने एंट्री तब लेना सबसे सुरक्षित होता है जब पैटर्न के बन जाने के बाद बाज़ार पैटर्न की पहली और दूसरी दोनों कैंडलस्टिक के नीचे ट्रेड करना शुरू कर दे।
ऐसा करने से घाटा होने के चांस कम हो जाते है, क्योंकि जब बाज़ार पैटर्न से नीचे मंदी में ट्रेड करना शुरू करेगा तब सबके लिए ये मानना आसान होगा की अब बाज़ार मंदी के लिए चल पड़ा है।
Risk Management: ट्रेडिंग में कहा जाता है की जिसने ट्रेडिंग में अपनी “पूंजी बचा ली और घटने नहीं दी” वो एक न एक दिन अच्छा ट्रेडर जरुर बन जाएगा।
अगर अनुभवी ट्रेडर की माने जो सालों से बाज़ार में ट्रेड और इन्वेस्ट कर रहे है वो अपनी पूंजी का बहुत छोटा हिस्सा ही एक ट्रेड में लागते है, ताकि अगर उनका कोई फैसला गलत हो जाए तो उनकी कुल पूंजी पर कोई ख़ास असर ना पड़े और आगे वाले सोदे वो आराम से ले सके और अच्छा ख़ासा मुनाफा बना सके।
ज्यादातर ट्रेडर जो लम्बे समय से बाज़ार में मुनाफा अर्जित कर रहे है वो अपनी पूंजी का एक ट्रेड में 0.5% से लेकर 2% तक ही लगाते है।
ट्वीज़र टॉप कैंडलस्टिक पैटर्न और ट्वीज़र बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न (Tweezer Bottom Candlestick Pattern in Hindi) में कुछ ज्यादा अंतर नहीं है, बस ट्वीज़र टॉप तेजी में बनता है और बाज़ार को मंदी की और लेकर जाता है। ट्वीज़र बॉटम मंदी में बनता है और बाज़ार को तेजी की और ले जाता है।
आइये नीचे दर्शाए चित्र में अंतर को देखते है।
आप देख पा रहे है की ट्वीज़र टॉप कैंडलस्टिक पैटर्न में Equal High (बराबर के हाई) बने हुए है, और ट्वीज़र बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न में Equal Low (बराबर के लो) बने हुए है।
टेक्निकल एनालिसिस में कैंडलस्टिक पैटर्न को सबसे ज्यादा महत्व दिया जाता है क्योंकि कैंडलस्टिक पैटर्न बाज़ार के भाव को समझने में ट्रेडर की सबसे ज्यादा मदद करते है, या यूं कहो की बाज़ार में भाव के हो रहे उतर-चढ़ाव को अच्छे से समझते है।
एक समय कैंडलस्टिक जापान में चावल के भाव के व्यवहार समझने में इस्तेमाल किया जाता था और आज भी उसी तरह कैंडलस्टिक बाज़ार के व्यवहार को समझने मे ट्रेडर्स की मदद कर रही है।
एक ट्रेडर के लिए टेक्नीकल अनालिसिस (Technical Analysis in Hindi) और उसमे इस्तेमाल होने वाली टूल्स, इंडीकेटर्स और कैंडलस्टिक को समझना बहुत जरूरी है। इससे बाज़ार में आगे मिलने वाले मौकों से मुनाफा कमाना आसान होता है।
हमें उम्मीद है की Tweezer Top Candlestick Pattern in Hindi के इस विषय से आपको जरूरी जानकारी प्राप्त हुई होगी | इस जानकारी का इस्तेमाल करके आप निवेश की दुनिया में अच्छा मुनाफा कमा सकते है |
अगर आप टेक्नीकल अनालिसिस और उसके टूल्स को अच्छे से सीखना और समझना चाहते है तो नीचे दिए गए फॉर्म में अपना जरूरी विवरण भरिये, हमारी टीम आपसे संपर्क करके आपको इसमें मदद करेगी।
मार्केट में अगर आप ट्रेड करने के लिए सक्षम है और शुरुआत करना चाहते है तो अभी नीचे दिए गए फॉर्म में अपना विवरण भरें। हमारी टीम आपको जल्द ही संपर्क कर आपका डीमैट खाता खोलने में मदद करेगी।
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]]>ट्वीज़र बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न को चिमटी वाला पैटर्न भी कहते है, ऐसा इसलिए कहते है क्योंकि दिखने में ये बिलकुल एक चिमटी की तरह होता है।
ट्वीज़र बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न बाज़ार की मंदी में बनने वाला पैटर्न है, दो कैंडलस्टिक से बना ये पैटर्न जिसमें पहली कैंडलस्टिक लाल रंग की बियरिश (मंदी) की और दूसरी कैंडल हरे रंग की बुलिश (तेजी) की बनती है।
जहाँ ये पैटर्न बनता है वह पर जो ट्रेडर मंदी की तरफ पहले से ही अपने सोदे लेकर बैठे थे वो बाहर निकलते है, और नये ट्रेडर जो आने वाली तेजी में सोदा बनाकर मुनाफा कमाना चाहते है वो अपना सोदा बनाते है।
एक ट्रेडर के लिए से समझना बहुत जरूरी है की जो कैंडलस्टिक पैटर्न वो देख रहा है वो बना किस कारण से है?
ट्वीज़र बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न के बनने का कारण ये है की जब बाज़ार अपनी मंदी में हो और एक ऐसे लेवल पर पहुच जाए जहाँ से नई बिकवाली आना बिलकुल बंद हो जाए और जो सोदे पहले से ही लिए गए थे उनका मुनाफा निकालना शुरू हो जाए।
इस परिस्थिति को ट्वीज़र बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न बखूबी दर्शाता है।
ट्वीज़र बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न की बनावट में कुछ अंतर होता है, जिसे इस चित्र में दर्शाया गया है।
ट्वीज़र बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न कई अलग-अलग बनावट में तो बन सकता है पर उसका Low (Low) बिलकुल एक जैसा ही होगा। जैसे की इस चित्र में दर्शाया गया है की पैटर्न A, B, C, D
ट्वीज़र बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न की पहचान करने के जरूरी पहलू कुछ इस प्रकार है। जिससे ट्रेडर को इस कैंडलस्टिक पैटर्न की चार्ट में खोजने में आसानी होगी।
इस तरह से ट्वीज़र बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न की पहचान की जाती है।
ट्वीज़र बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न के बारे में तो समझ लिया की यह बनता कैसे है, इसका मनोविज्ञान क्या है पर सबसे जरूरी बात ये है की इसे ट्रेड कैसे किया जाता है।
ट्वीज़र बॉटम को ट्रेड करने के लिए हम निचे दर्शाए चार्ट की मदद लेंगे।
ऊपर AXIS BANK का Daily टाइमफ्रेम का चार्ट है, जिसमें साफ़ तौर पर डाउनट्रेंड चलता हुआ दिखाई दे रहा है, और डाउनट्रेंड के बिलकुल नीचे ट्वीज़र बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न बना है जिसके बाद बाज़ार सीधा ऊपर तेजी में आ गया है।
ट्वीज़र बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न को ट्रेड करने के लिए Setup, Entry, Stop Loss और Risk Management जैसी बातों का पता होना जरूरी होता है।
Setup: ट्रेडर के लिए सबसे जरूरी उसका सेटअप यानी रणनीति होती है, अपनी पुख्ता रणनीति की मदद से ट्रेडर को पता होता है की किस भाव पर और कब सही सोदा बनेगा और उससे मुनाफा कमाने की संभावना कितनी है।
रणनीति के हिसाब से ट्रेडर को ये पता होता है की Entry कहाँ बनानी है और स्टॉप लॉस कहाँ लगाना है।
Entry: एक नए ट्रेडर के मन में जो पहली बात आती है वो ये की Entry कहाँ और कैसे लेनी है, ट्रेडर के लिए एक ऐसा पॉइंट या भाव जिसके बाद उसका मुनाफा होने सम्भावना बढ़ जाती है, उसे Entry Point कहते है।
ट्वीज़र बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न में Entry तब लेना सबसे सुरक्षित होता है जब पैटर्न के बन जाने के बाद बाज़ार पैटर्न की पहली और दूसरी दोनों कैंडलस्टिक के High के ऊपर ट्रेड करना शुरू कर दे।
ऐसा करने से घाटा होने के चांस कम हो जाते है, क्योंकि जब बाज़ार पैटर्न के ऊपर तेजी में ट्रेड करना शुरू करेगा तब सबके लिए ये मानना आसान होगा की अब बाज़ार तेजी की और चल पड़ा है।
Risk Management: ट्रेडिंग में एक कहावात है की जिसने अपनी “पूंजी बचा ली और घटने नहीं दी” वो कभी न कभी एक अच्छा ट्रेडर जरुर बनेगा और लम्बे समय तक मुनाफा कमाने की उसकी बहुत ज्यादा संभावना है।
अनुभवी ट्रेडर्स की मानों तो जो सालों से बाज़ार में ट्रेड और इन्वेस्ट कर रहे है वो शेयर मार्किट के जोखिम (Share Market Risk in Hindi) को ध्यान में रख कर अपनी पूंजी का एक बहुत छोटा हिस्सा ही एक ट्रेड में लागते है|
ताकि अगर उनका कोई फैसला गलत भी हो जाए तो उनकी कुल पूंजी पर कोई ख़ास असर ना पड़े और आगे वाले सोदे वो आराम से ले सके और अच्छा ख़ासा मुनाफा बना सके।
ज्यादातर ट्रेडर जो लम्बे समय से बाज़ार में मुनाफा अर्जित कर रहे है वो अपनी पूंजी का एक ट्रेड में 0.5% से लेकर 2% तक ही लगाते है।
इससे होता ये है की अगर एक ट्रेडर के एक-दो सोदे उसके मुताबिक़ नहीं गए तो उसकी सायकोलोजी (उसके मन पर) बुरा असर नहीं पड़ेगा और वो आगे आने वाले मौंको को सही समय पर पहचान कर उनसे मुनाफा बना सकता है।
ट्वीज़र बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न और ट्वीज़र टॉप कैंडलस्टिक पैटर्न (Tweezer Top Candlestick Pattern in Hindi) में कुछ ज्यादा अंतर नहीं है, बस ट्वीज़र बॉटम मंदी में बनता है और बाज़ार को तेजी की और लेकर जाता है। ट्वीज़र टॉप तेजी में बनता है और बाज़ार को मंदी की और ले जाता है।
आइये नीचे दर्शाए चित्र में अंतर को देखते है।
आप देख पा रहे है की ट्वीज़र बॉटम कैंडलस्टिक पैटर्न में Equal Low (बराबर के लो) बने हुए है, और ट्वीज़र टॉप कैंडलस्टिक पैटर्न में Equal High (बराबर के हाई) बने हुए है।
कैंडलस्टिक पैटर्न को टेक्निकल एनालिसिस का जनक माना जाता है, पर समय के साथ टेक्निकल एनालिसिस बढ़ता गया और कैंडलस्टिक पैटर्न उसका एक हिस्सा हो गए, पर अभी भी कैंडलस्टिक पैटर्न उतने ही प्रसंगिक है जितने पहले हुआ करते थे, आज उनको इस्तेमाल करने का तरीका बदल गया।
अभी कैंडलस्टिक पैटर्न को किसी इंडिकेटर, टेक्निकल एनालिसिस जैसे की मूविंग एवरेज इत्यादि के साथ इस्तेमाल करना होता है। पर इनके साथ इस्तेमाल करने पर ये पैटर्न बहुत अच्छा मुनाफा देते है।
Tweezer Bottom Candlestick Pattern in Hindi के इस लेख में इतना ही | इस जानकारी का उपयोग आप ट्रेडिंग करते वक़्त जरूरी फैंसले लेने में कर सकते है और अपने मुनाफे को बढ़ा सकते है |
अगर आपको ट्रेडिंग की दुनिया में कूदना चाहते हैं तो आपको इसके लिए एक डीमैट अकाउंट खोलना होगा | इसमें हमारी टीम आपकी तुरंत सहायता करेगी | बस आपको नीचे दिए गए फॉर्म को भरना होगा |
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]]>कैंडलस्टिक पैटर्न अलग अलग तरह के होते है, सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न के बाद डबल कैंडलस्टिक पैटर्न आते है जो शेयर मार्केट को रिवर्स करने, कंटिन्यू करने के सिगनल देते है।
कैंडलस्टिक पैटर्न ट्रेडर्स के मनोविज्ञान को भी दर्शाते है जो की बाज़ार में हुई हालिया गतिविधि के कारण बने होते है।
डबल कैंडलस्टिक पैटर्न, जैसे की आपको पता है की दो कैंडलस्टिक पैटर्न से बनता है इसमें दो कैंडलस्टिक कुछ इस तरह से होती है की पहली कैंडलस्टिक ज्यादातर समय बाज़ार के ठहरने और दूसरी आगे बढ़ने का संकेत दे रही होती है।
जैसे की मान लो अपट्रेंड चल रहा है और पहली कैंडल जो की एक हरी कैंडल हो सकती है वो शूटिंग स्टार जैसा एक पैटर्न बनाती है और उस पैटर्न के बाद एक और कैंडलस्टिक बनती है जो उस पैटर्न को कन्फर्म करती है या ये बताती है की अब बाज़ार रिवर्स होगा।
ये दोनों कैंडलस्टिक सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न से ज्यादा बेहतर तरीके से काम करते है, इनमें ट्रेडर के सही रहने की ज्यादा संभावना होती है।
इसमें भी कुछ पैटर्न बुलिश मार्केट तो कुछ बेयरिश मार्केट का संकेत देते है। आइये इन पैटर्न को विस्तार में जाने।
नाम से ही पता चल रहा है कि वह double candlestick pattern जो मार्केट में आने वाली तेज़ी की जानकारी देते है।
इसमें दो कैंडल support के पास बनती है जो जिसके ब्रेकआउट पर मार्केट अपट्रेंड मूव करती है।
बाज़ार में जब शेयर का भाव लगातार नीचे गिर रहा होता है यानी की शेयर मंदी (डाउनट्रेंड) में चल रहा होता है और एक ऐसा लेवल आता है जब वो अपने किसी सपोर्ट लेवल पर पहुँच जाता है और वहां पर खरीददारी का दबाव बढ़ने लगता है।
तब नीचे गिर रही मार्केट में एक लाल कैंडल यानी की बियरिश कैंडल बनती है और उसको कवर करती हुई एक बुलिश (तेजी) वाली कैंडल बनती है, यानी की वो पहली लाल कैंडल को इन्गल्फ़ कर रही है। इसे बुलिश एंगुलफ़ींग पैटर्न (Bullish Engulfing Pattern in Hindi) कहते हैं |
भाव में हुई इस हरकत से ये बात समझ आती है की अब खरीददार बिकवालों पर हावी हो गए है और अब बाज़ार पर उनका नियंत्रण हो चुका है, आगे भी उनका ही नियंत्रण रह सकता है।
इसके बाद बाज़ार तेजी की और मुड जाता है, यही कारण है की इसे ट्रेंड रिवर्सल पैटर्न कहते है।
जब शेयर का भाव डाउनट्रेंड (मंदी) में चल रहा हो और वो अपने सपोर्ट लेवल पर पहुच जाए और शेयर में बिकवालों के ऊपर खरीददार हावी होने लगे और शेयर को उनके नियंत्रण से अपने नियंत्रण में ले ले तब ट्वीज़र बॉटम (Tweezer Bottom Candlestick Pattern in Hindi) का निर्माण होता है।
ये पैटर्न ट्वीज़र टॉप पैटर्न का उलट होता है और इसमें गिरते हुए शेयर में एक बियरिश (लाल) कैंडल बनती है और उसके तुरंत बाद एक हरी (बुलिश) कैंडल बनती है, इसमें ख़ास बात ये होती है की दोनों कैंडल का लो लगभग एक सामान होता है।
इससे ये संकेत मिलता है की खरीददार खरीददारी के कुछ ज्यादा ही इच्छुक है।
जब भी ट्वीज़र टॉप पैटर्न जो की एक ट्रेंड रिवर्सल पैटर्न है, ये बनता है तब शेयर के भाव में तेजी आनी शुरू हो जाती है।
पियर्सिंग लाइन कैंडलस्टिक पैटर्न (Piercing Line Candlestick Pattern in Hindi) जो शेयर में आई मंदी के बिलकुल अंत में बनता है, ये पैटर्न भी मंदी के खत्म होने का संकेत देता है और बाज़ार के तेजी की और आगे बढ़ने की शुरुआत करता है।
जब डाउनट्रेंड चल रहा होता है और तब वो अपनी किसी ऐसे सपोर्ट लेवल पर पहुच जाता है जहाँ पर खरीददार बिकवालों पर हावी हो जाते है और बिकवालों के बेचने की छमता हो खत्म कर देते है और वहां पर बहुत दबाव के साथ खरीददारी आती है।
इस स्थिति में होता ये है की एक रेड (बियरिश) कैंडल बनती है और उसके बाद एक गैप डाउन होता है जो बिकवालों की मजबूती को दिखाता है पर उसके तुरंत बाद एक हरी (बुलिश) कैंडल बनती है जो अपनी पिछली लाल कैंडल को 50% से ज्यादा कवर कर लेती है।
ये एक संकेत होता है की अब बिकवाल उतने ताकतवर नहीं रहे और भाव उनके नियंत्रण से निकलकर खरीददारों के नियंत्रण में जा रहा है।
यहीं से डाउनट्रेंड के खत्म और अपट्रेंड के शुरू होता है।
शेयर जब डाउनट्रेंड में होता है और वो बिकवालों के नियंत्रण में होता है, बाज़ार नीचे गिर रहा होता है और अचानक एक बड़ी लाल (बियरिश) कैंडल बनती है जो बिकवालों की बढ़ते नियंत्रण को दर्शाती है।
ऐसा होने के साथ साथ वो अपने सपोर्ट लेवल पर पहुँच जाती है और वहां पर खरीददारों का नियंत्रण बढ़ता है और अचानक एक गैप अप आता है और वहां एक छोटी पर बुलिश (तेजी) की हरी कैंडल बन जाती है जो तेजी में ही क्लोजिंग देती है।
ये कैंडल अपनी पिछली लाल कैंडल को लगभग 50% कवर कर लेती है।
इससे पता चलता है की शेयर का भाव अब बिकवालों के नियंत्रण से बाहर निकलकर खरीददारों के नियंत्रण में आ रहा है।
यहाँ से अपट्रेंड की शुरुआत होती है और बाज़ार तेजी में चला जाता है।
अब अपट्रेंड की जानकारी तो मिल गयी, लेकिन अगर मार्केट में एक तेज़ी के बाद मंदी आने वाली हो तो?
ऐसे में कुछ और double candlestick pattern बनते है जो आने वाली मंदी का संकेत देते है। ये पैटर्न भी दो कैंडलस्टिक से मिलकर बनते है और ज़्यादातर resistance के आस पास होते है जिससे रेवेर्सल की जानकारी मिलती है।
बियरिश इन्गल्फिंग पैटर्न बिलकुल बुलिश इन्गल्फिंग का उलट होता है, ये पैटर्न जब भी बनेगा उसके बाद बाज़ार मंदी में जाएगा।
होता ये है की बाज़ार अपट्रेंड यानी की तेजी में चल रहा होता है, शेयर का भाव बढ़ रहा होता है पर एक ऐसा लेवल आता है जहाँ पर कोई रेजिस्टेंस होता है और वहां पर भाव के पहुँचने पर खरीददारों पर बिकवालों का दबाव बढ़ने लगता है और ये दबाव बियरिश इन्गल्फिंग पैटर्न की शक्ल ले लेता है।
इसमें एक हरी (तेजी) की कैंडल होती है जिसको सेलर लाल (मंदी) की कैंडल से कवर यानी की इन्गल्फ़ कर रहे होते है।
जब भी ये पैटर्न बनता है, सीधे तौर पर बाज़ार में खरीददारों पर बिकवालों का नियंत्रण बनता हुआ दिखाई दे रहा होता है।
और इसके बाद बाज़ार तेजी से मंदी का रुख कर लेता है।
बिलकुल पियर्सिंग लाइन कैंडलस्टिक पैटर्न का उलट डार्क क्लाउड कवर कैंडलस्टिक पैटर्न (Dark Cloud Cover Pattern in Hindi) शेयर के भाव को तेजी से मंदी की और मोड़ने का काम करता है।
जब शेयर तेजी में चल रहा होता है तब वो अपने रेजिस्टेंस पर पहुंचता है और वहां पर तेजी को आगे बढ़ाने वाले खरीददारों (बुल्स) का भाव पर जो नियंत्रण होता है वो अचानक कम होने लगता है और बिकवाल (बियर्स) खरीददारों के नियंत्रण से बाज़ार को अपने हाथों में ले लेते है।
आइये इसे समझते है, अपट्रेंड में एक हरी (तेजी) की कैंडल बनती है जो खरीददारों की निशानी है उसके बाद एक गैप अप होता है और उसके तुरंत बाद एक कैंडल बनती है जो पिछली लाल कैंडल को 50% या उससे ज्यादा कवर कर लेती है।
ये कैंडल लाल (मंदी) की होती है। ये कवर कर लेना ही बिकवालों का खरीददारों पर नियंत्रण दर्शाता है।
इसके बाद तो भाव पर नियंत्रण बिकवालों का हो ही गया है तो बाज़ार भी नीचे मंदी की तरफ मुड जाएगा और शेयर डाउनट्रेंड में बदल जाएगा।
बायर्स यानी की खरीददारों पर बिकवालों के हावी होने पर बियरिश हरामी पैटर्न बनता है जो आगे चलकर अपट्रेंड को डाउनट्रेंड में बदल देता है।
ये पैटर्न बुलिश हरामी का उल्टा होता है, इसमें शेयर का भाव अपट्रेंड में बढ़ रहा होता है और वो अपने किसी रेजिस्टेंस लेवल या ऐसे भाव पर पहुँच जाता है जहाँ पर बिकवालों का यानी की सेलर्स का बहुत ज्यादा प्रेसर होता है।
ऐसे स्थिति शेयर के भाव को मंदी (डाउनट्रेंड) में बदल देती है। और खरीददारों के हाथ से शेयर के भाव पर से नियंत्रण अपने हाथों में ले लेते है।
इसमें होता ये है की एक बड़ी हरी (तेजी) की कैंडल बनती है, उसके तुरन्त बाद एक गैप डाउन होता है जो बिकवालों के नियंत्रण को कम होता दर्शाता है।
उसके बाद एक लाल (मंदी) की कैंडल बनती है जो की अपनी पिछली हरी कैंडल को लगभग 50% तक कवर कर लेती है।
ये एक सिगनल है की अब शेयर के भाव पर बिकवालों का नियंत्रण स्थापित हो रहा है और उसके बाद शेयर में डाउनट्रेंड शुरू हो जाता है।
ट्वीज़र टॉप पैटर्न जो की एक ट्रेंड रिवर्सल पैटर्न है। ये तब बनता है जब शेयर का भाव अपने अपट्रेंड के शीर्ष पर पहुँच जाता है।
जब किसी शेयर का भाव तेजी में चलता हुआ अपने रेजिस्टेंस पर पहुँच जाता है तो वो एक जगह जाकर रूक जाता है और वहीं से सीधा नीचे की और आना शुरू हो जाता है।
इस पैटर्न में आमतौर पर ये देखा जाता है की अपने रेजिस्टेंस पर जाकर पहली बुलिश कैंडल क्लोज होती है पर उसके बाद वाली कैंडल उसके हाई के ऊपर जाने की बजाए उसके हाई से सीधा नीचे की और आती हुई बियरिश कैंडल का निर्माण करती है और दोनों कैंडलस्टिक का हाई बराबर होता है।
ट्वीज़र टॉप (Tweezer Top Candlestick Pattern in Hindi) बाज़ार में आने वाली मंदी को दर्शाता है। इसके बनने के बाद बाज़ार का भाव नीचे गिरने लगता है। इस इस पैटर्न में कैंडलस्टिक की बनावट में थोड़ी बहुत अलग अलग हो सकती है पर High हर बार एक जैसा ही रहेगा।
कैंडलस्टिक पैटर्न को ट्रेड करने के लिए ज्यादातर किसी कॉन्फ्लुएंस पॉइंट की जरूरत होती है मतलब की एक ऐसा पॉइंट जहाँ पर कई सारे पैटर्न या इंडिकेटर एक ही तरफ ट्रेड लेने का इशारा कर रहे होते है। जब ऐसा होता है तो मुनाफा बनने के मौके बढ़ जाते है।
अब कैंडलस्टिक पैटर्न (Candlestick Patterns in Hindi) कई बार गलत संकेत भी देते है और इसलिए इन पैटर्न के बनने के बाद सही समय पर ट्रेड पोजीशन लेनी चाहिए।
अब ये सही समय होता है इन कैंडलस्टिक पैटर्न का ब्रेकआउट।
बुलिश कैंडलस्टिक पैटर्न के बाद बनने वाली कैंडल अगर हाई के ऊपर क्लोज होती है तो ये मार्केट के अपट्रेंड को कन्फर्म करती है और ट्रेडर लॉन्ग पोजीशन लेकर मुनाफा कमा सकता है।
इसी तरह bearish candlestick पैटर्न के बाद बनने वाली कैंडल अगर उसके low प्राइस को ब्रेक करती है तो ये डाउनट्रेंड को कन्फर्म कर एक सही ट्रेड पोजीशन लेने में मदद करती है।
इसके अलावा Relative Strength index इंडिकेटर (RSI indicator in hindi) की सहायता से ट्रेडर अपनी ट्रेडिंग गुणवता को सुधार सकता है। RSI को इन पैटर्न के साथ ट्रेड करने का सबसे आसान तरीका ये है की आप RSI के ओवरबॉट और ओवरसोल्ड लेवल की मदद ले मार्केट के मोमेंटम की जानकारी ले सकते है।
निष्कर्ष
सिंगल कैंडलस्टिक पैटर्न के बाद डबल कैंडलस्टिक पैटर्न (Double Candlestick Pattern in Hindi) ट्रेडर के लिए मुनाफा कमाने का बहुत अच्छा जरिया है।
कैंडलस्टिक पैटर्न जो की टेक्नीकल एनालिसिस और प्राइस एक्शन का एक मुख्य भाग है और ये मार्केट में एक कन्फर्म पोजीशन लेने में मदद करता है।
इसको पूरी तरह से समझने के लिए आप शेयर मार्केट कोर्स ले सकते है या मार्केट में practice कर अपने ट्रेड को प्रॉफिटेबल बना सकते है।
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]]>ये पैटर्न तेजी का पैटर्न है और तेजी के आगे जारी रहने के संकेत के तौर पर देखा जाता है। इसे टेक्निकल एनालिसिस में बुलिश कंटिन्यूएशन (तेजी जारी) पैटर्न भी कहा जाता है।
जैसा की आपको पता ही है की अपसाइड तासुकी गैप पैटर्न तीन कैंडलस्टिक से मिलकर बना होता है, और इसके तीन कैंडलस्टिक से बनने का एक कारण होता है।
जब भी मार्केट में तेजी यानी की अपट्रेंड चल रहा होता है और एक स्वभाविक ही बुलिश कैंडलस्टिक बन जाती है, जैसे ही ये कैंडल बनती है तो मार्केट में ट्रेडर्स को लागता है की अब मार्केट में और ज्यादा तेजी आएगी और उसी सेंटिमेंट के कारण तेजी से खरीददारों का दबाव आता है और मार्केट में गैपअप बनता है, और मार्केट तेजी में जाकर बंद होती है।
जब मार्केट में कम समय में ज्यादा तेजी आ जाती है और उसमें गैपअप भी बन जाता है तो ट्रेडर्स को लगने लागता है की मार्केट में काफी ज्यादा बुलिश मूव आ गई और अब मार्केट ओवरबॉट (Overbought) यानी की मार्केट में ज्यादा खरीददारी हो गई है, अब मार्केट के आगे जाने के आसार कम हो गए है।
इसी कारण बुलिश सेंटिमेंट (तेजी का रुझान) कम हो जाता है और मार्केट गिरने लगती है, और मार्केट उसी भाव के आस-पास आ जाती है जहां से गैपअप हुआ था। और अब ट्रेडर्स के बीच ओवरबॉट को लेकर जो डर था वो नहीं रहता।
क्योंकि ये एक अपट्रेंड है तो ट्रेडर्स अब इसे एक छोटे से पुलबैक की तरह लेंगे। और मार्केट में तेजी की और अपने रुझान को जारी रखेंगे।
अपसाइड तासुकी गैप पैटर्न तीन कैंडलस्टिक से मिलकर बनता है, इसकी पहली और सबसे जरूरी कैंडल एक लॉन्ग बॉडी बुलिश कैंडल (हरे रंग की) होती है।
और इस कैंडल के बाद जो कैंडल बनती है वो गैपअप खुलती है और तेजी में ही बंद होती है, ये बुलिश हरे रंग की कैंडल होती है। और इस दूसरी कैंडल के बाद जो आखिरी कैंडल होती है वो बियरिश कैंडल (लाल रंग की) होती है जो की अपनी दूसरी कैंडल को पूरा कवर करती हुई अपने गैपअप तक आकर क्लोज होती है।
आइये इसे नीचे दर्शाए गए चित्र की मदद से समझते है।
अपट्रेंड में कैंडल A एक बड़ी स्ट्रोंग बुलिश कैंडलस्टिक है, उसके बाद एक गैपअप है और उसके बाद कैंडल B जो की बुलिश कैंडलस्टिक है, और उसके बाद कैंडल C है जो की बियरिश यानी की मंदी की कैंडलस्टिक है, जो की अपनी पिछली कैंडल B को कवर करती हुई गैपअप तक आकर क्लोज होती हुई दिखाई दे रही है। यहाँ आप देख पा रहे है की अपट्रेंड कंटिन्यू हो रहा है।
क्योंकि ये अपट्रेंड की स्ट्रेंथ भी दिखाता है तो इसे केवल बुलिश साइड में ही ट्रेड किया जा सकता है, ट्रेडर्स इसमें केवल खरीददारी करके ही मुनाफा निकाल सकते है।
जब भी मार्केट बुलिश ट्रेंड में होती है तो इस पैटर्न को बुलिश स्ट्रेटेजी की कन्फर्मेशन के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
नीचे दर्शाए गए चित्र में देखिये।
आप देख रहे है की मार्केट में पहले से ही बुलिश ट्रेंड चल रहा है, यहाँ बुलिश ट्रेंड को ट्रेड करने के लिए हमने मूविंग एवरेज के ट्रेडिंग सेटअप का इस्तेमाल किया है, और इस सेटअप में कन्फर्मेशन के तौर पर हमने अपसाइड तासुकी गैप पैटर्न का इस्तेमाल किया है।
आप देख पा रहे है की मार्केट मूविंग एवरेज के ऊपर ट्रेंड कर रही है, और जब मार्केट मूविंग एवरेज को रीट्रेस करने के लिए उसके ऊपर आती है और मार्केट में अपसाइड तासुकी गैप पैटर्न बन जाता है और ट्रेडर्स के लिए ये पक्का हो जाता है की अब मार्केट आगे ही जाएगी।
टेक्निकल अनालिसिस में अकेले कैंडलस्टिक पैटर्न के आधार पर या अकेले किसी इंडिकेटर की आधार ट्रेड करना सही नहीं माना जाता इसलिए कम से कम किन्हीं दो ट्रेडिंग तकनीकों के मिश्रण से ट्रेड करने की सलाह दी जाती है, यहाँ भी दो ट्रेडिंग तकनीकों को आधार बनाकर ट्रेड करने की कोशिश की गई है।
Entry: सबसे पहला सवाल हमारे जहन में यही आता है की अपना सोदा कहाँ बनाएं?
जैसे की देखा जा सकता है की मार्केट तेजी में है और वो मूविंग एवरेज से रिट्रेस कर रही है और इसके साथ-साथ अपसाइड तासुकी गैप पैटर्न बना है, ट्रेडर्स के लिए इस पैटर्न के हाई के ऊपर जब मार्केट ट्रेड करने लगे तब तेजी में सोदा बनाना सबसे बढ़िया रहता है, क्योंकि ऐसा करके ट्रेडर पैटर्न के फाल्स सिग्नल (गलत सिग्नल) देने के मोकों को कम कर देता है।
स्टॉपलोस: स्टॉपलोस ऑर्डर लगाना सबसे महत्वपूर्ण निर्णय होता है जिसमें लगभग ट्रेडर्स गलती करते है, या तो वो स्टॉपलोस ऑर्डर लगाते ही नहीं या फिर वो गलत जगह पर स्टॉपलोस ऑर्डर लगाते है।
स्टॉपलोस ऑर्डर हमेशां वहीं लगाना चाहिए जहाँ से ट्रेडर्स उसे हंट ना कर सके, यानी स्टॉपलोस ऑर्डर मार्केट में आ रही वोलाटिलिटी का शिकार ना हो जाए।
अपसाइड तासुकी गैप पैटर्न में स्टॉप लोस इसकी पहली बुलिश कैंडल के नीचे लगाने की सलाह दी जाती है।
यहाँ से मार्केट में पहली और बड़ी मूव आई थी और यही इस पैटर्न का जन्म स्थान है मार्केट के इसके निचे जाने के चांस बहुत कम होते है, और अगर वोलाटिलिटी बढती है तो यहाँ तक उसके असर का पहुचना काफी मुस्किल होता है।
अपसाइड तासुकी गैप पैटर्न के बारे में आपने बखूबी जान ही लीया है पर डाउनट्रेंड तासुकी गैप पैटर्न भी होता है जो की अपसाइड तासुकी गैप के जैसा ही होता है पर वो बनता डाउनट्रेंड में ही है।
जैसे की अपसाइड तासुकी गैप पैटर्न तेजी की मार्केट को और आगे ले जाने में मदद करता है ठीक वैसे ही डाउनसाइड तासुकी गैप पैटर्न मंदी की मार्केट को आगे मंदी में ले जाने का काम करता है।
अपसाइड तासुकी गैप पैटर्न को Upward Gap Tasuki (अपवर्ड तासुकी गैप) और Bullish Tasuki Line (बुलिश तासुकी लाइन) भी कहा जाता है।
कैंडलस्टिक पैटर्न टेक्निकल एनालिसिस में सबसे महत्वपूर्ण होते है, उसके बाद इंडिकेटर, टूल्स, ट्रेंडलाइन इत्यादि आते है, पर कैंडलस्टिक पैटर्न को कभी भी अकेले ट्रेड करने के लिए उपयोग नहीं किये जाने की सलाह भी दी जाती है | इसका मुख्य कारण है की मार्केट में अनुमान लगाने के लिए हमारे पास एक से ज्यादा तरीके हों तो हमारे अनुमान के सही होने के चांस बढ़ जाते है, जब एक से ज्यादा तरीके एक ही परिणाम दिखा रहे हो तो ट्रेडर के लिए निर्णय लेना काफी आसान हो जाता है।
एक ट्रेडर को मार्केट में लम्बे समय तक टिके रहने के लिए टेक्निकल एनालिसिस को अच्छे से सीखना काफी जरूरी होता है, ताकि वो अलग-अलग परिस्थितियों में सोदे बनाकर मुनाफा अर्जित कर सके।
टेक्निकल एनालिसिस को अच्छे से सीखने के लिए आप नीचे दिए गए फॉर्म में अपना जरूरी विवरण भरिये, हमारी टीम आपसे संपर्क करके आपको इसमें मदद करेगी।
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]]>ये पैटर्न डाउनट्रेंड (मंदी) की मार्केट में बिलकुल बॉटम पर बनता है। और वहां से मार्केट ऊपर उठाना शुरू होती है। ये पैटर्न बहुत कम बनता है, क्योंकि ये ट्रेंड रिवर्सल पैटर्न है और इसके बाद मार्केट में बड़ा मोमेंटम आता है, तो बार बार इस पैटर्न का निर्माण होना मुश्किल है, लेकिन जब ये पैटर्न बने तो उसमे ट्रेड पोजीशन कैसे ले, उसको विस्तार से जानते है।
डबल बॉटम चार्ट पैटर्न एक ट्रेंड रिवर्सल पैटर्न है जो दिखने में बिलकुल W जैसा दिखाई देता है, ट्रेडर्स मार्केट में ट्रेंड के रिवर्सल का पता लगाने के लिए इसका खूब इस्तेमाल करते है।
ऊपर दर्शाए चार्ट पैटर्न में आप देख सकते है की पैटर्न में दो बार Low बना है। यानी की बॉटम बना है, इसलिए इसे डबल बॉटम कहते है।
मार्केट जब अपने Low पर होती है और किसी सपोर्ट लेवल पर पहुँच जाती है, या सेलर्स (बिकवाल) जो मार्केट में लम्बे समय से बैठे है उन्हें काफी मुनाफा हो जाता है और इन्हें लागता है की अब मार्केट आगे और नहीं गिरेगी तो वो अपने सोदे बेचकर अपनी पोजीशन से निकलना चाहते है, तब मार्केट में ये पैटर्न बनता है।
एक तो सपोर्ट लेवल का प्रेसर जिससे ट्रेडर्स में मार्केट के ऊपर उठने का डर भी रहता है और दूसरा मार्केट अपने डाउनट्रेंड (मंदी) में काफी दूर आ गई होती है और बड़े ट्रेडर्स के अपने मुनाफे को बुक करने का डर तो होता ही है, इस कारण मार्केट में तेजी आने की स्तिथि बन जाती है और मार्केट में डबल बॉटम बन जाता है।
डबल बॉटम चार्ट पैटर्न को चार्ट में ढूँढना या स्पॉट कर पाना काफी मुस्किल होता है क्योंकि ये पैटर्न काफी यूनिक पैटर्न है।
इसे कुछ इस प्रकार स्पॉट किया जा सकता है.
⦁ ये पैटर्न डाउनट्रेंड (मंदी) में ही बनता है।
⦁ जब भी ये पैटर्न बनता है तो इस पैटर्न में दो Low एक साथ बनते है।
⦁ अपने दो Low बनाने के बाद ये पैटर्न अपट्रेंड (तेजी) का मोमेंटम देता है।
⦁ इसके दोनों Low एक दुसरे से ज्यादा ऊपर-नीचे नहीं होते, ज्यादातर ये समान लेवल के ही होते है।
⦁ डबल बॉटम में एक रेजिस्टेंस होता है। जिसे नेकलाइन भी कहते है।
⦁ अपट्रेंड मोमेंटम (तेजी) आने से पहले इसके रेजिस्टेंस लेवल को ब्रेक करना सबसे ज्यादा जरूरी होता है, नहीं तो डबल बॉटम को अधुरा माना जाता है।
डबल बॉटम चार्ट पैटर्न कैसे बनता है ये तो जान लिया। डबल बॉटम चार्ट पैटर्न को ट्रेड कैसे करते है आइये जानते है।
जैसे की आपको पता है की डबल बॉटम चार्ट पैटर्न मंदी में ही बनता है और मार्केट के अपट्रेंड (तेजी) की और जाने का इशारा करता है। ऊपर दिए गए BHEL के डेली चार्ट में एक स्ट्रोंग डाउनट्रेंड (मंदी) दिखाई दे रही है, उसके बाद लगभग बराबर के दो Low बन रहे है। और उसके बाद मार्केट सीधा ऊपर अपट्रेंड की तरफ बढ़ रही है और अपनी नेकलाइन यानी की रेजिस्टेंस को तोड़ देती है। और उसके बाद मार्केट में एक बड़ी तेजी की मूव दिखाई दे रही है।
Entry: ट्रेडर्स के लिए सोदा बनाने से पहले अपने पैटर्न की सही से पुष्टि कर लेना काफी जरूरी होता है। पुष्टि के लिए जब पैटर्न सही से बन जाता है और मार्केट अपने रेजिस्टेंस को तोड़कर ऊपर आकर बंद होती है तो जहाँ वो बंद होती है वहां पर एंट्री लेना सबसे सुरक्षित माना जाता है।
Stop Loss Order: एक ट्रेडर के लिए स्टॉप लोस ऑर्डर (Stop Loss Meaning in Hindi) लगाना सबसे जरूरी बात होती है, क्योंकि इससे रिस्क को सिमित (लिमिट) किया जा सकता है। बिना स्टॉप लोस ऑर्डर के रिस्क सिमित नहीं किया जा सकता।
एक अच्छा ट्रेडर हमेशां सिस्टम में अपना स्टॉप लोस जरूर लगाता है।
डबल बॉटम चार्ट पैटर्न में जब मार्केट अपने रेजिस्टेंस को ब्रेक करके ऊपर आती है तब एक बेस या Low बनाती है। उस बेस या Low के ऊपर स्टॉप लोस ऑर्डर रखना सुरक्षित रहता है।
स्टॉप लोस को हमेशां वहीं लगाना चाहिए जहाँ से वोलैटिलिटी की वजह से हिट होने का चांस बिलकुल कम हो। इससे बार बार स्टॉप लोस ऑर्डर के हिट होकर बड़ा नुकशान नहीं बनता।
डबल टॉप और डबल बॉटम चार्ट पैटर्न देखने में एक दुसरे के उलटे लगते है, जैसे की डबल बॉटम चार्ट पैटर्न W जैसा दिखाई देता है और डबल टॉप M जैसा दिखाई देता है।
डबल बॉटम चार्ट पैटर्न मंदी में बनता है और तेजी की और मार्केट को रिवर्स करने का काम करता है। वहीं डबल टॉप पैटर्न तेजी में बनता है और मार्केट को मंदी की और रिवर्स करने का काम करता है।
जब भी मार्केट में डबल बॉटम चार्ट पैटर्न बने तो आपको उसके टाइमफ्रेम का ध्यान जरूर रखना चाहिए। जैसे की अगर डेली की कैंडल (टाइमफ्रेम) में डबल बॉटम बन रहा है तो कम से कम 1 से 1.5 महीनों का समय उसमे लगा हो।
अगर कैंडल 1 घंटे की बन रही है तो लगभग 30 से 45 कैंडल्स बनी होनी चाहिये। और अगर आप 15 मिनट पर कर रहे है तो भी कम से कम 30 कैंडल होना जरूरी होता है।
एक ट्रेडर के लिए पैटर्न बहुत जरूरी होते है, इन्हीं के जरिये ट्रेडर बाज़ार के व्यवहार को समझते है और भविष्य के लिए अपने सोदे लेने का निर्णय लेते है।
कैंडलस्टिक पैटर्न और चार्ट पैटर्न दोनों एक जैसे ही होते है, बस फर्क इतना है की कैंडलस्टिक पैटर्न 2-4 कैंडलस्टिक में सिमटकर रह जाते है और चार्ट पैटर्न को बनने में बहुत समय लागता है।
टेक्निकल एनालिसिस में डबल बॉटम चार्ट पैटर्न बहुत मायने रखता है, क्योंकि बड़े इन्वेस्टर और ट्रेडर मार्केट में खरीददारी की तरफ ज्यादा ध्यान देते है और डबल बॉटम उन्हें खरीदकर मुनाफा कमाने का मौका देता है।
ट्रेडर्स और इन्वेस्टर्स के लिए ये जरूरी होता है की लम्बे वक़्त तक अगर मार्केट से मुनाफा कमाना है तो आपको टेक्निकल एनालिसिस का अच्छे से ज्ञान होना चाहिए, क्योंकि डबल बोटम ही एक अकेला पैटर्न नहीं है जो मुनाफा कमाने में मदद करता है, और भी बहुत सारे पैटर्न है जो अलग अलग परिस्थितियों में अलग अलग तरीकों से मुनाफा बनाने में मदद कर सकते है।
टेक्निकल एनालिसिस को सीखने के लिए आप नीचे दिए गए फॉर्म में अपना जरूरी विवरण भरिये, हमारी टीम आपसे संपर्क करके आपको इसमें मदद करेगी।
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]]>ये बहुत ही पावरफुल पैटर्न है जो की बाज़ार के रुख को पलट देता है, ये मंदी के आने से पहले का संकेत देता और ट्रेडर को लॉन्ग पोजीशन से निकलने और शार्ट पोजीशन में आने का अवसर प्रदान करता है।
आइये जानते है कि इस चार्ट पैटर्न को कैसे पहचाना जाता है और कब इस पैटर्न में ट्रेड पोजीशन ली जाती है।
जैसे की आप जान ही चुके है कि डबल टॉप चार्ट पैटर्न एक ट्रेंड रिवर्सल पैटर्न है जो दिखने में M जैसा दिखता है। अब ये बनता कब है?
तो जब प्राइस अपट्रेंड में होता है और एक ही प्राइस पर दो बार पहुंचने के बाद नीचे गिरता है तो ये बायर के स्ट्रांग रेजिस्टेंस और आने वाले डाउनट्रेंड का संकेत देता है।
अब जब मार्केट पहली बार रेजिस्टेंस प्राइस पर पहुँचती है तो बायर वहां से निकलना शुरू करते है जिसकी वजह से प्राइस नीचे गिरता है। एक छोटे पुलबैक के बाद बायर फिर से एंट्री लेते है लेकिन फिर पिछले रेजिस्टेंस के पास पोजीशन क्लोज करने लगते है और प्राइस एक बार फिर नीचे गिरता है।
इस तरह से M शेप चार्ट पर बनती है जिसे double top pattern कहा जाता है।
डबल टॉप चार्ट पैटर्न को चार्ट में ढूँढना या स्पॉट कर पाना काफी मुस्किल होता है क्योंकि ये पैटर्न काफी यूनिक पैटर्न है।
इसे कुछ इस प्रकार स्पॉट किया जा सकता है.
डबल टॉप चार्ट पैटर्न कैसे बनता है ये तो जान लिया। डबल टॉप चार्ट पैटर्न को ट्रेड कैसे करते है आइये जानते है।
ऊपर दिए गए BAJAJ FINANCE कंपनी के डेली चार्ट में एक स्ट्रोंग अपट्रेंड (तेजी) दिखाई दे रही है, उसके बाद लगभग बराबर के दो High बन रहे है। और उसके बाद मार्केट सीधा नीचे मंदी की तरफ आती है और नीचे गिरते हुए जब वह M पैटर्न की नेकलाइन यानी की सपोर्ट को ब्रेक करती है तो यहाँ पर एक स्ट्रांग डाउनट्रेंड का संकेत मिलता है।
कई बार सपोर्ट पर आने के बाद प्राइस रेटेस्ट करता है अब ऐसे में ट्रेडर रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI indicator in hindi) या दूसरे मोमेंटम इंडिकेटर का इस्तेमाल कर आने वाले ट्रेंड को कन्फर्म कर सकते है।
इसके साथ कई बार सपोर्ट के आस पास ट्रेडर कुछ कैंडलस्टिक पैटर्न (candlestick pattern in hindi) से भी ट्रेंड कन्फर्मेशन ले पोजीशन बना सकते है।
Entry: ट्रेडर्स के लिए एंट्री लेने से पहले अपने पैटर्न की सही से पुष्टि कर लेना काफी अच्छा रहता है। पुष्टि के लिए जब पैटर्न सही से बन जाता है और मार्केट अपने सपोर्ट को तोड़कर नीचे आकर बंद होती है तो जहाँ वो बंद होती है वहां पर एंट्री लेना सबसे सुरक्षित माना जाता है।
Stop Loss Order: एक ट्रेडर के लिए स्टॉप लोस ऑर्डर (stop loss meaning in hindi) लगाना सबसे जरूरी बात होती है, क्योंकि इससे रिस्क को सिमित किया जाता है। बिना स्टॉप लोस ऑर्डर के रिस्क सिमित नहीं किया जा सकता।
डबल टॉप चार्ट पैटर्न में जब मार्केट अपने सपोर्ट को ब्रेक करके नीचे आती है तब एक बेस या हाई बनाती है। उस बेस या हाई के ऊपर स्टॉप लोस ऑर्डर रखना सुरक्षित रहता है।
स्टॉप लोस को हमेशां वहीं लगाना चाहिए जहाँ से वोलैटिलिटी की वजह से हिट होने का चांस बिलकुल कम हो। इससे ट्रेडर की पूंजी बची रहेगी और मुनाफा कमाने के अवसर भी बढ़ जाएंगे।
Target: अब जिस तरह से पैटर्न आपको entry और stop loss की जानकारी देता है, ठीक उसी तरह से टारगेट रखने में भी मदद करता है। पैटर्न की नेकलाइन से रेजिस्टेंस तक की दूरी आपकी टारगेट वैल्यू होती है।
उदाहरण के लिए अगर रेजिस्टेंस और नेकलाइन के बीच 50 पॉइंट की दूरी है तो इसका मतलब ब्रेकआउट कैंडल से 50 पॉइंट नीचे आप अपना टारगेट रख सकते है।
डबल टॉप और डबल बॉटम पैटर्न देखने में एक दुसरे के उलटे लगते है, जैसे की डबल टॉप चार्ट पैटर्न M जैसा दिखाई देता है और डबल बॉटम W जैसा दिखाई देता है।
डबल टॉप तेजी में बनता है और मंदी की और मार्केट को रिवर्स करने का काम करता है।
वहीं डबल बोटम मंदी में बनता है और मार्केट को तेजी की और रिवर्स करने का काम करता है।
जब भी मार्केट में डबल टॉप चार्ट पैटर्न बने तो आपको उसके टाइमफ्रेम का ध्यान जरूर रखना चाहिए। जैसे की अगर डेली की कैंडल (टाइमफ्रेम) में डबल टॉप बन रहा है तो कम से कम 1 से 1.5 महीनों का समय उसमे लगा हो।
अगर कैंडल 1 घंटे की बन रही है तो लगभग 30 से 45 कैंडल्स बनी होनी चाहिये।
और अगर आप 15 मिनट पर कर रहे है तो भी कम से कम 30 कैंडल होना जरूरी होता है।
चार्ट पैटर्न कैंडलस्टिक पैटर्न की तरह ही होते है बस फर्क इतना सा होता है की ये पैटर्न बनने में समय ज्यादा लगता है, और इनके बनने के बाद मार्केट में जो मोमेंटम आते है वो बहुत बड़े होते है।
लेकिन चार्ट पैटर्न कई बार काफी देरी से एंट्री सिग्नल देते है जैसे डबल टॉप पैटर्न (double top pattern in hindi) में स्टॉक में काफी गिरावट आने के बाद एंट्री कन्फर्मेशन मिला।
ऐसे में ट्रेडर्स ज़्यादा मुनाफा कमाने से चूक जाते है और कई बार पैटर्न बनने पर भी पोजीशन नहीं लेते है।
लेकिन सही कॉम्बिनेशन या अन्य टेक्निकल टूल के मदद से ट्रेडर जल्दी पोजीशन ले मार्केट में पोजीशन ले सकता है।
मार्केट में अगर आप ट्रेड करने के लिए सक्षम है और शुरुआत करना चाहते है तो अभी नीचे दिए गए फॉर्म में अपना विवरण भरें। हमारी टीम आपको जल्द ही संपर्क कर आपका डीमैट खाता खोलने में मदद करेगी।
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]]>अब ये पैटर्न की पहचान कैसे की जाती है और इससे ट्रेड पोजीशन कब और कैसे लेनी चाहिए उसके लिए आगे ये कैंडलस्टिक पैटर्न इन हिंदी विस्तार में समझाया गया है।
थ्री आउटसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न बेयरिश एनगल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न (bearish engulfing candlestick pattern in hindi) से मिलकर बनता है। यानी की एनगल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न की कन्फर्मेशन कैंडलस्टिक के साथ लाने पर इस पैटर्न को थ्री आउटसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न कहा जाता है।
यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है की यहाँ तीसरी कैंडल को कन्फर्मेशन कैंडल कहा जाता है।
तेजी की मार्केट में इस पैटर्न के बनने के बहुत आसार होते है, जब मार्केट अपने टॉप पर पहुँच जाती है और ट्रेडर्स को लगने लागता है की मार्केट अब बहुत ऊपर आ गई है तो वो अपने सोदे निकालने शुरू कर देते है, और कुछ सेलर्स आने वाले डाउनट्रेंड में सोदे बनाने शुरू कर देते है, और उसी समय थ्री आउटसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न का निर्माण होता है।
जैसे की आप नीचे दिए गए इमेज में देख सकते है कि तीन कैंडलस्टिक से बना ये पैटर्न जिसमें पहली दो कैंडलस्टिक (A और B) कैंडलस्टिक पैटर्न का निर्माण कर रही होती है, उसके बाद ट्रेडर्स तीसरी कैंडल (C) का कन्फर्मेशन के लिए इन्तजार करते है। जैसे ही एनगोल्फिंग पैटर्नके बाद बेयरिश कैंडल बनती है तो डाउनट्रेंड कन्फर्म होता है और ट्रेडर्स शार्ट पोजीशन लेना शुरू करते है।
इसी कन्फर्मेशन कैंडल के बन जाने के बाद इस पैटर्न को थ्री आउटसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न कहा जाता है।
इसको थोड़ा और गहराई से जाने तो कैंडल A छोटी हरे रंग की बुलिश कैंडल है जो मार्केट में बायर्स के कम दबाव को दर्शा रही है, यानी बायर्स ज्यादा ताकतवर नहीं है, अगर होते तो इस कैंडल का साइज़ काफी बड़ा होता। और उसके बाद जो कैंडल B बन रही है वो पहले से ही मार्केट में जो बायर्स का कम दबाव है उसको और कमजोर करते हुए बेचने वाले सेलर्स की ताकत दर्शा रही है।
जब कैंडल C बन रही है वो मार्केट में आ चुके बियरिश सेंटिमेंट को और ज्यादा पक्का यानी की कन्फर्मेशन दे रही है की जो सेंटिमेंट मार्केट में बना है वो अब सही बना है। इसके बाद तेजी की तरफ ट्रेडर्स का रुझान बढ़ने के आसार रहते है।
थ्री आउटसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न की पहचान इसके बनने के तरीके से होती है।
यहाँ हम जानने की कोशिश करेंगे की थ्री आउटसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न बनता कब है।
थ्री आउटसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न बनता कैसे है, इसका मनोविज्ञान और ट्रेडर्स की सोच इसके साथ कैसे चलती है ये तो समझ लिया अब हम इस पैटर्न को ट्रेड कैसे करते है ये समझेंगे।
जैसा की हम ऊपर दर्शाए गए चित्र में देख पा रहे है, अपट्रेंड बनने के बाद मार्केट में छोटी हरी बुलिश कैंडल बनी जिससे ये कन्फर्म हो गया की मार्केट में अब खरीददारों(बायर्स) का दबाव कम हो रहा है और उसके बाद जो बड़ी बियरिश लाल कैंडल बनी।
इस कैंडल के बनने से ट्रेडर को कन्फर्मेशन मिला कि मार्केट में बायर्स कमजोर हो चुके है और मार्केट अब सेलर्स (बेचकर कमाने वालों) के हाथ में जा चुकी है। और इस सेंटिमेंट को पूरी तरह से तीसरी बियरिश कैंडल ने कन्फर्म कर दिया की अब मार्केट मंदी की तरफ ही जाएगी।
Entry (सोदा) कहाँ लें: आप देख सकते है की तीनों कैंडल से मिलकर बने इस थ्री आउटसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न की अंतिम कैंडल के नीचे जब मार्केट ट्रेड करने लगे तब मंदी का सोदा बना सकते है।
स्टॉपलोस ऑर्डर कहाँ लगाएं: स्टॉपलोस ऑर्डर (stop loss meaning in hindi) हम इस थ्री आउटसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न के बिलकुल ऊपर लगाएंगे। इससे वोलाटिलिटी बढ़ जाने पर स्टॉप लोस लगने के चांस कम रहते है।
थ्री आउटसाइड डाउन और थ्री आउटसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न (three outside up candlestick pattern in hindi) एक दूसरे के विपरीत काम करते है, जहाँ थ्री आउटसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न अपट्रेंड में बनता है, और मार्केट को रिवर्स करके डाउनट्रेंड में लेकर जाता है।
वहीं थ्री आउटसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न डाउनट्रेंड में बनता है और मार्केट को अपट्रेंड में लेकर जाता है।
दोनों पैटर्न तीन कैंडलस्टिक से मिलकर बनते है, थ्री आउटसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न में बेयरिश एनगल्फिंग पैटर्न बनता है और ठीक इसके विपरीत थ्री आउटसाइड अप में बुलिश एनगल्फिंग पैटर्न (bullish engulfing pattern in hindi)।
अब दोनों पैटर्न में तीसरी कैंडल कन्फर्मेशन कैंडल होती है, three outside down में बेयरिश कैंडल और three outside up में बुलिश कैंडल ट्रेंड कन्फर्मेशन देती है, जिसका इस्तेमाल कर ट्रेडर्स लॉन्ग या शार्ट पोजीशन लेते है।
कैंडलस्टिक पैटर्न को टेक्निकल एनालिसिस में सबसे ज्यादा तवज्जो दी जाती है और वो इसलिए क्योंकि कैंडलस्टिक पैटर्न भाव के व्यवहार को प्रदर्शित करते है, अगर एक ट्रेडर को कैंडलस्टिक पैटर्न की अच्छे से समझ हो तो वो भाव में आ रहे उतार चढ़ाव को आसानी से समझ सकता है और भाव में भविष्य में होने वाले बदलाव की भविष्यवाणी कर सकता है।
टेक्निकल एनालिसिस में कैंडलस्टिक पैटर्न को जीतना ज्यादा महत्व दिया जाता है उसके साथ-साथ ये हिदायत भी दी जाती है की कैंडलस्टिक पैटर्न को कभी भी अकेले ट्रेड नहीं करना चाहिए।
एक ट्रेडर को टेक्निकल एनालिसिस की पूरी समझ होनी चाहिए.
मार्केट में अगर आप ट्रेड करने के लिए सक्षम है और शुरुआत करना चाहते है तो अभी नीचे दिए गए फॉर्म में अपना विवरण भरें। हमारी टीम आपको जल्द ही संपर्क कर आपका डीमैट खाता खोलने में मदद करेगी।
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]]>ये पैटर्न ट्रेडर्स के बीच बहुत लोकप्रिय पैटर्न है, मार्केट से समय रहते अपना मुनाफा निकालने और सही समय पर नया सोदा लेकर तेजी में भी मुनाफा अर्जित करने के लिए जाना जाता है।
तो आइये जाने कैंडलस्टिक पैटर्न इन हिंदी में
थ्री इनसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न यानी की तीन कैंडलस्टिक से बना पैटर्न, जिसमें पहली दो कैंडलस्टिक बुलिश हरामी पैटर्न (bullish harami pattern in hindi) होती है, और तीसरी कैंडल इसकी कन्फर्मेशन कैंडल होती है।
जब मार्केट मंदी में चल रही होती है तब इस पैटर्न के बनने के आसार होते है, डाउनट्रेंड में इस कैंडल के बनने के बाद मार्केट में ट्रेडर्स का मनोविज्ञान तेजी की और चला जाता है, उसके बाद मार्केट में तेजी आती हुई दिखाई देती है।
जैसा की हम जानते है की ये तीन कैंडलस्टिक से मिलकर बनता है तो हम इसे बिंदुवार समझेंगे।
ऊपर दिए चित्र में दर्शया गया है की मार्केट में तीन कैंडल बनी हुई है पहली कैंडल A बड़ी लाल रंग की बियरिश कैंडल है जो मार्केट में तेजी से आ रही गिरावट को दर्शा रही है।
उसके बाद कैंडल B बनी है जो छोटी हरे रंग की बुलिश कैंडल है, और कैंडल A की बॉडी के बीच में ही रह गई है, यानी कैंडल A की बॉडी के ना ही नीचे जा पाई और ना ही ऊपर जा पाई। ये कैंडलस्टिक मार्केट में आई गिरावट के बाद आई तेजी को दर्शा रही है। यानी यहाँ तेजी से गिरावट आने के बावजूद खरीददार अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे है।
अब तक बने इन दो कैंडलस्टिक पैटर्न को बुलिश हरामी पैटर्न कहा जाता है।
अब जो आखिरी कैंडल C बनेगी वो हरे रंग की बुलिश कैंडल बनेगी जो इस पैटर्न को पूरा करेगी। इस कैंडल को कन्फर्मेशन कैंडल कहा जाता है, क्योंकि ये कैंडल पहली कैंडल A के ऊपर क्लोज होती है जो ये दर्शाती है की अब मार्केट में जो सेलर्स थे वो कमजोर पड़ गए है और बायर्स यानी खरीददार उनपर हावी हो चुके है।
और इस तीनों कैंडलस्टिक से मिलकर बने इस पैटर्न को three inside up candlestick pattern कहा जाता है।
इस कैंडलस्टिक पैटर्न की पहचान करने के लिए हमें ये समझना होगा की ये इसके बनने के तरीके पर ध्यान देना होता है।
सबसे पहले जानेंगे की थ्री इनसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न बनता कब है। इसको हम बिन्दुवार समझेंगे।
इस तरह से थ्री इनसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न की पहचान की जाती है।
हमें इस पैटर्न के बनने के पीछे का मनोविज्ञान समझ लिया, इस पैटर्न की पहचान कैसे की जाती है ये भी समझ लिया।
अब इस पैटर्न को ट्रेड कैसे करते है ये समझते है। एसा करने के लिए हम नीचे दर्शाए चित्र की सहायता लेंगे।
जैसा की हम ऊपर दर्शाए गए चित्र में देख पा रहे है, डाउनट्रेंड बनने के बाद मार्केट में तेजी से एक स्ट्रोंग बड़ी बियरिश (मंदी) की कैंडल बनी और उसके बाद मार्केट आगे जाने की बजाए वहीं रूक गई, जो की हमें एक छोटी हरी कैंडल के रूप में दिखाई दे रही है.
उसके बाद मार्केट ने अपना बुलिश सेंटिमेंट कन्फर्म किया और एक बड़ी स्ट्रोंग हरे रंग की बुलिश कैंडल बनाते हुए अपट्रेंड की और जाने की कन्फर्मेशन दी।
Entry (सोदा) कहाँ लें: आप देख सकते है की तीनों कैंडल से मिलकर बने इस थ्री इनसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न की अंतिम कैंडल के ऊपर जब मार्केट ट्रेड करने लगे तब तेजी का सोदा बनाया जाता है।
स्टॉपलोस ऑर्डर कहाँ लगाएं: इस पैटर्न पर दो प्रकार से स्टॉपलोस ऑर्डर (stop loss meaning in hindi) लगाए जा सकते है।
पहला स्टॉप लोस ऑर्डर अग्रेसिव ऑर्डर होता जो इस थ्री इनसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न की अंतिम कैंडल के नीचे लगाया जाता है। (बुलिश ग्रीन कैंडल जो तीसरी कैंडल है।)
दूसरा स्टॉप लोस ऑर्डर नार्मल स्टॉप लोस ऑर्डर होता है, जिसे सुरक्षित स्टॉपलोस ऑर्डर कहा जा सकता है, क्योंकि अगर यहाँ अगर वोलैटिलिटी यानी अस्थिरता बढ़ी तो स्टॉपलोस ऑर्डर तक मार्केट के पहुचने के चांस कम हो जाते है, जैसा की आप ऊपर दर्शाए गए चित्र में देख सकते है। और ट्रेडर सुरक्षित अपने सोदे के साथ आगे बढ़कर अपना मुनाफा अर्जित कर सकता है।
थ्री इनसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न और थ्री इनसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न एक दुसरे के विपरीत काम करते है, जहाँ थ्री इनसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न डाउनट्रेंड में बनता है, और मार्केट को रिवर्स करके अपट्रेंड में लेकर जाता है।
वहीं थ्री इनसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न अपट्रेंड में बनता है और मार्केट को डाउनट्रेंड में लेकर जाता है।
दोनों पैटर्न तीन कैंडलस्टिक से मिलकर बनते है, थ्री इनसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न के विपरीत थ्री इनसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न में पहली कैंडल बड़ी और बुलिश (हरे रंग की) होती है, दूसरी कैंडल बियरिश (लाल रंग की) छोटी कैंडल होती है, और अंतिम तीसरी कैंडल भी बियरिश (लाल रंग की) होती है जो पहली कैंडल के नीचे क्लोज होती है।
कैंडलस्टिक पैटर्न टेक्निकल एनालिसिस का ही एक हिस्सा होते है, टेक्निकल एनालिसिस काफी बड़ा और उपयोगी विषय है जिसकी मदद से आप शेयर बाज़ार में अलग-अलग तरीकों से सोदे बनाकर मुनाफा अर्जित कर सकते है और समय रहते अपने घाटे से निकल सकते है।
टेक्निकल एनालिसिस में बहुत सारे कैंडलस्टिक पैटर्न आते है, बहुत सारे टूल्स और इंडिकेटर और थ्योरी आती है। जिनको सीखना एक ट्रेडर के लिए बहुत जरूरी होता है। इन्हीं की मदद एक ट्रेडर अपनी समझ बढ़ता है।
यदि आप शेयर मार्केट ट्रेडिंग के साथ शुरुआत करना चाहते हैं, तो बस नीचे दिए गए फॉर्म में कुछ बुनियादी विवरण भरें।
आपके लिए एक कॉलबैक की व्यवस्था की जाएगी:
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]]>ये पैटर्न ट्रेडर्स के बीच बहुत लोकप्रिय है, क्योंकि इस पैटर्न से मार्केट में सही समय पर सोदे बनाकर मुनाफा अर्जित करने और समय पर सोदा बेचकर घाटे से बचने का मौका देता है।
तो आइये जाने इस कैंडलस्टिक पैटर्न इन हिंदी।
थ्री आउटसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न एनगल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न से मिलकर बनता है। यानी की एनगल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न की कन्फर्मेशन कैंडलस्टिक के साथ लाने पर इस पैटर्न को थ्री आउटसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न पूरा होता है। यहाँ ध्यान देने वाली बात ये है की यहाँ तीसरी कैंडल को कन्फर्मेशन कैंडल कहा जाता है।
मंदी की मार्केट में इस पैटर्न के बनने के बहुत आसार होते है, जब मार्केट अपने बॉटम पर पहुँच जाती है और ट्रेडर्स को लगने लागता है की मार्केट अब बहुत नीचे आ गई है तो वो अपने सोदे निकालने शुरू कर देते है, और कुछ बायर्स (खरीददार) यहाँ तेजी के लिए अपने सोदे बनाने शुरू कर देते है, और उसी समय थ्री आउटसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न का निर्माण होता है।
इस कैंडलस्टिक पैटर्न से बना ये पैटर्न जिसमें पहली दो कैंडलस्टिक एनगल्फिंग पैटर्न का निर्माण कर रही होती है, उसके बाद ट्रेडर्स तीसरी कैंडल का कन्फर्मेशन के लिए इन्तजार कर रहे होते है, क्योंकि इस पैटर्न में असमंजस की स्तिथि बनी होती है की आगे क्या होगा और जब तीसरी कैंडलस्टिक दूसरी कैंडल के ऊपर क्लोज होती है तो ये आने वाले बुलिश मार्केट का संकेत देती है।
ऊपर दिए चित्र में दर्शया गया है की मार्केट में तीन कैंडल बनी हुई है पहली कैंडल A लाल रंग की बियरिश कैंडल है, उसके बाद एक बड़ी B कैंडल है जो की हरे रंग की बुलिश कैंडल है, कई बार ये कैंडल गैप डाउन भी ओपन होती है, ये कैंडल पहली कैंडल को पूरी तरह ढक रही है जिसका अभिपर्याय ये है की कैंडल B ने पहली कैंडल A के अंदर जितने भी सेलर्स (बिकवाल) थे उनके कंट्रोल को खत्म कर दिया है। इसे ही बुलिश एनगल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न (bullish engulfing candlestick pattern in hindi) कहा जाता है।
इस एनगल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न के बाद जो कैंडल C बन रही है यानी एनगल्फिंग कैंडलस्टिक पैटर्न के ऊपर क्लोज हो रही है उसे कन्फर्मेशन कैंडल कहा जाएगा। और इसी कन्फर्मेशन कैंडल के बन जाने के बाद इस पूरे पैटर्न को थ्री आउटसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न कहा जाता है।
थ्री आउटसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न की पहचान इसके बनने के तरीके से होती है।
यहाँ हम जानने की कोशिश करेंगे की थ्री आउटसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न बनता कब है।
थ्री आउटसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न बनता कैसे है, इसका मनोविज्ञान और ट्रेडर्स की सोच इसके साथ कैसे चलती है ये तो समझ लिया अब हम इस पैटर्न को ट्रेड कैसे करते है ये समझेंगे।
जैसा की हम ऊपर दर्शाए गए चित्र में देख पा रहे है, डाउनट्रेंड बनने के बाद मार्केट में छोटी लाल बियरिश कैंडल बनी जिससे ये कन्फर्म हो गया की मार्केट में अब सेलर्स का दबाव कम हो रहा है और उसके बाद जो बड़ी बुलिश हरी कैंडल बनी उसने इस सेंटिमेंट को पूरा कन्फर्म कर दिया की मार्केट में सेलर्स कमजोर हो चुके है और मार्केट अब खरीददारों के हाथ में जा चुकी है।
और इस सेंटिमेंट को पूरी तरह से तीसरी बुलिश कैंडल ने कन्फर्म कर दिया की अब मार्केट तेजी की तरफ ही जाएगी।
Entry (सोदा) कहाँ लें: आप देख सकते है की तीनों कैंडल से मिलकर बने इस थ्री आउटसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न की अंतिम कैंडल के ऊपर जब मार्केट ट्रेड करने लगे तब तेजी का सोदा बना सकते है।
स्टॉपलोस ऑर्डर कहाँ लगाएं: स्टॉपलोस ऑर्डर (stop loss meaning in hindi) हम इस थ्री आउटसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न के बिलकुल नीचे लगाएंगे। इससे वोलाटिलिटी बढ़ जाने पर स्टॉप लोस लगने के चांस कम रहते है।
थ्री आउटसाइड अप और थ्री आउटसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न (three outside down candlestick pattern) एक दूसरे के विपरीत काम करते है, जहाँ थ्री आउटसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न डाउनट्रेंड में बनता है, और मार्केट को रिवर्स करके अपट्रेंड में लेकर जाता है।
वहीं थ्री आउटसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न अपट्रेंड में बनता है और मार्केट को डाउनट्रेंड में लेकर जाता है।
दोनों पैटर्न तीन कैंडलस्टिक से मिलकर बनते है, थ्री आउटसाइड अप कैंडलस्टिक पैटर्न के विपरीत थ्री आउटसाइड डाउन कैंडलस्टिक पैटर्न में पहली कैंडल छोटी बुलिश कैंडल होती है, और दूसरी बड़ी बियरिश (लाल रंग की) होती है और तीसरी कैंडल भी लाल रंग की बियरिश कैंडल होती है।
अब वैसे तो ये पैटर्न अपने आप में अपट्रेंड का कन्फर्मेशन पैटर्न है लेकिन मार्केट में सही ट्रेड के लिए आप इस पैटर्न के साथ मार्केट के मोमेंटम को देखना न भूले।
जैसे की इस पैटर्न के साथआप RSI इंडिकेटर (RSI indicator in hindi) को लगा सकते है, अगर इंडिकेटर की वैल्यू 30 से ऊपर या इंडिकेटर किसी तरह का डाईवेर्जेंस बना रहा है तो ये बैल मार्केट को कन्फर्म करने में मदद करता है।
यदि आप शेयर मार्केट ट्रेडिंग के साथ शुरुआत करना चाहते हैं, तो बस नीचे दिए गए फॉर्म में कुछ बुनियादी विवरण भरें।
आपके लिए एक कॉलबैक की व्यवस्था की जाएगी:
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