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]]>स्टॉक मार्किट में आपने वोलैटिलिटी के बारे में तो सुना होगा, बाज़ार के तेजी से ऊपर और नीचे जाने को वोलैटिलिटी से पर्दर्शित किया जाता है।
ऑप्शन चैने के अंदर कॉल और पुट (call and put option in Hindi) दोनों साइड में IV डाटा दिया होता है, हर एक स्ट्राइक प्राइस का अलग-अलग IV होता है।
ऊपर दर्शाए गए चित्र में हम देख पा रहे है की Volume और LTP (LTP Meaning in Stock Market in Hindi) के कोलम के बीच में IV का कोलम दिया गया है।
IV की मदद से ये पता नहीं किया जा सकता की बाज़ार किस तरफ को जाएगा, पर ऊपर या नीचे कितनी रेंज तक जा सकता है इस बात का पता लगाया जा सकता है।
इम्प्लाइड वोलैटिलिटी ऑप्शन चैन में ट्रेडर को उसकी चुनी हुई स्ट्राइक प्राइस (Strike Price in Hindi) पर जो प्रीमियम है उसके ऊपर जाने और नीचे जाने की गति को बताता है। इम्प्लाइड वोलैटिलिटी प्राइस के इतिहास यानी की उसके हिस्टोरिकल डाटा की और वर्तमान के डाटा की गणना करके निकाली जाती है।
IV की मदद से बाज़ार के पर और नीचे जाने की रेंज का पता लगाया जा सकता है पर ये बिलकुल पुख्ता नहीं होता की इतनी ही रेंज होगी। इससे एक नजरिया बनाया जा सकता है। और उस नजरिये को आधार बनाकर ऑप्शन में ट्रेडिंग की जा सकती है।
मान लो की किसी स्टॉक या ऑप्शन का प्राइस 100 रुपये है और उसकी वोलैटिलिटी 10 है तो वो स्टॉक
100 से लेकर 110 रुपये के बीच में ऊपर की तरफ ट्रेड कर सकता है और 100 से 90 रुपये के बीच नीचे की तरफ ट्रेड कर सकता है। यानी की 90 रुपये से लेकर 110 रुपये के बीच में प्राइस मूव कर सकता है।
इम्प्लाइड वोलैटिलिटी में एक रेंज होती है जिससे पता चलता है की बाज़ार कितना ऊपर और कितना नीचे जा सकता है जिसे High IV और Low IV से दर्शाया जाता है। इसलिए ऑप्शन चैन में IV का उपयोग कर इस बात का भी पता लगाया जा सकता है की अभी ऑप्शन के प्रीमियम महंगे है या सस्ते।
High IV: हाई इम्प्लाइड वोलैटिलिटी से मतलब है की बाज़ार अपने करंट प्राइस से कितना ऊपर जा सकता है। यानी की अगर करेंट मार्केट प्राइस अभी 100 रूपये है और हाई इम्प्लाइड वोलैटिलिटी 5 रुपये है तो अगर बाज़ार ऊपर की तरफ जाएगा तो 100+5 = 105 तक जा सकता है।
जिस स्ट्राइक प्राइस की इम्प्लाइड वोलैटिलिटी हाई होती है उसके प्रीमियम हाई होते है और उसके प्रीमियम और ज्यादा हाई होने की संभावना कम ही होती है, यहाँ सेलर यानी की ऑप्शन राइटर मोके का फायदा उठाकर ऑप्शन को राईट करते है और जब प्रीमियम गिरता है तो वो मोटा मुनाफा कमाते है।
Low IV: लो इम्प्लाइड वोलैटिलिटी से मतलब है की बाज़ार अपने करंट प्राइस से कितना नीचे जा सकता है।
यानी की अगर करेंट मार्केट प्राइस अभी 100 रूपये है और लो इम्प्लाइड वोलैटिलिटी 7 रुपये है तो अगर बाज़ार नीचे (बियरिश) की तरफ जाएगा तो 100-7 = 93 रुपये तक जा सकता है।
लो इम्प्लाइड वोलैटिलिटी सेलर्स से ज्यादा बायर्स को फायदा पहुचाती है, क्योंकि यहाँ प्रीमियम सस्ते होते है जिन्हें बायर्स पसंद करते है और जैसे-जैसे इम्प्लाइड वोलैटिलिटी बढ़ेगी उसके साथ-साथ प्रीमियम भी बढेगा तो बायर्स को फायदा होगा।
इम्प्लाइड वोलैटिलिटी एक मैथमेटिकल फोर्मुला (सूत्र) की मदद से निकाली जाती है। ऑप्शन चैन में IV का उपयोग करके ट्रेडर इन तीन चीजों का पता लगा सकता है :
आजकल इम्प्लाइड वोलैटिलिटी हर प्लेटफार्म या सॉफ्टवेयर में खुदबखुद दी होती है। जैसे की NSE की ऑप्शन चैन में दी होती है।
एक ऑप्शन सेलर के नजरिये से देखा जाए तो वो यही तय करके ऑप्शन को सेल करता है की एक्सपायरी आने पर उसके ऑप्शन में कोई भी प्रीमियम नहीं बचेगा यानी की वो OTM (Out The Money) होगा जो की ITM (in The Money) नहीं हो पाएगा और जीरो हो जाएगा और उसका सारा प्रीमियम ऑप्शन सेलर को मिल जाएगा।
एक ऑप्शन सेलर का प्रॉफिट ऑप्शन बायर के द्वारा भुगतान किया गया प्रीमियम ही तो होता है। एक्सपायरी आने पर अगर ऑप्शन बायर का प्रीमियम ITM (इन द मनी) ना हुआ तो उसकी वैल्यू अपने आप जीरो हो जाएगी और वो प्रीमियम ऑप्शन सेलर का हो जाएगा।
हालांकि ऑप्शन के भाव को कम या ज्यादा होने में ऑप्शन ग्रीक जैसे की वेगा, थीटा, गामा और रो भी अपनी भूमिका निभाते है।
जिस स्टॉक या इंडेक्स की वोलैटिलिटी लो होती है उन स्टॉक्स के प्रीमियम सस्ते होते है और जिनकी वोलैटिलिटी ज्यादा होती है उनके प्रीमियम महंगे होते है।
ऑप्शन चैन में इम्प्लाइड वोलैटिलिटी के बारे में जाना की बाज़ार के उतार और चढाव में इसका कितना और किस प्रकार से योगदान है और ये ऑप्शन के प्रीमियम पर कितना असर डालती है।
ऑप्शन ट्रेडिंग में IV के साथ साथ कई अन्य जरूरी चीजें भी होती है जिनके बारे में एक ट्रेडर को जानना चाहिए ताकि वो ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading Basics in Hindi) को अच्छे से समझ सके और ट्रेडिंग में आने वाले मोकों को समझकर उनसे मुनाफा निकाल सके।
IV के अलावा लॉन्ग बिल्डउप, शोर्ट बिल्डउप, शोर्ट कवरिंग जैसी चीजों के बारे में भी आपको पता होना चाहिए, इनकी मदद से भी बाज़ार में आने वाले उतार चढ़ाव का पता चलता है।
ऑप्शन चैन के फंडामेंटल डाटा और टेक्नीकल अनालिसिस को मिलाकर ट्रेड के लिए निर्णय लेने में सुगमता होती है। और ट्रेड के गलत होने का जोखिम कम होता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग में टेक्नीकल अनालिसिस का और ऑप्शन चैन जैसी टूल्स का खूब इस्तेमाल किया जाता है, एक ट्रेडर टेक्निकल एनालिसिस को अच्छे से सीखकर अच्छा मुनाफा कमा सकता है।
टेक्नीकल अनालिसिस सीखने के लिए आप नीचे दिए गए फॉर्म में अपना जरूरी विवरण भरिये, हमारी टीम आपसे संपर्क करके आपको इसमें मदद करेगी।
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]]>अगर नहीं तो जाने की ये फीस कितनी है और किस प्रकार इसकी गणना की जाती है।
ऑप्शन ट्रेडिंग इक्विटी स्टॉक, इंडेक्स, कमोडिटी और करेंसी में किया जाता है और ये सभी ऑप्शन मार्केट में लॉट में ट्रेड होते है। उदाहरण के लिए Nifty के एक लॉट में 50 यूनिट होती है, Infosys के एक लॉट में 400 शेयर होते है।
हां ये लॉट साइज समय के साथ कम-ज़्यादा होता रहता है, लेकिन ट्रेडर को ऑप्शन में ट्रेड करने के लिए न्यूनतम एक लॉट खरीदना या बेचना होता है।
तो अब जानते है कि इस एक लॉट को खरीदने और बेचने पर कितना शुल्क लगता है और अलग-अलग ब्रोकर कितनी ब्रोकरेज चार्ज करते है।
ज़ेरोधा एक डिस्काउंट ब्रोकर है और इसलिए हर एक ट्रेड पर एक निर्धारित शुल्क प्राप्त करता है। ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए ज़ेरोधा आपसे हर ट्रेड पर रु20 चार्ज करता है।
ज़ेरोधा ऑप्शन शुल्क | |
ऑप्शन ट्रेडिंग ब्रोकरेज | ₹20 प्रति आर्डर |
बात करें Groww की, जिसके पास आज के समय में सबसे ज़्यादा यूजर है तो ये भी हर एक ट्रेड पर रु20 चार्ज करता है लेकिन आप Groww के प्लेटफार्म में सिर्फ इक्विटी और करेंसी ऑप्शन में ही ट्रेड कर सकते है।
इसके शुल्क की जानकारी नीचे टेबल में दी गयी है:
Groww ऑप्शन शुल्क | |
ऑप्शन ट्रेडिंग ब्रोकरेज | ₹20 प्रति आर्डर |
अपस्टॉक्स एक और प्रचिलिटी डिस्काउंट ब्रोकर जो एक एडवांस ट्रेडिंग प्लेटफार्म के साथ ऑप्शन चैन भी प्रदान करता है जो आपको प्रीमियम और अन्य आंकड़ों के साथ ऑप्शन ग्रीक जैसे डेल्टा, थीटा की जानकारी भी देती है।
लेकिन अच्छी बात तो ये है कि इन सबके लिए ब्रोकर कोई अन्य शुल्क नहीं लेता और डिस्काउंट ब्रोकरेज पर ऑप्शन ट्रेडिंग प्रदान करता है।
Upstox ऑप्शन शुल्क नीचे टेबल में दिए गए है:
अपस्टॉक्स ऑप्शन शुल्क | |
ऑप्शन ट्रेडिंग ब्रोकरेज | ₹20 प्रति आर्डर |
अब बात करते है मोतीलाल ओसवाल की जो एक भारत के एक जाना-माना फुल सर्विस स्टॉकब्रोकर है। ये ब्रोकर न ही सिर्फ ट्रेडिंग प्लेटफार्म ही नहीं आपको ट्रेडिंग टिप भी देता है जिससे आप एक सही पोजीशन ले सकते है।
लेकिन जब बात ब्रोकरेज की आती है तो ये आपको प्रति ट्रेड नहीं लॉट के हिसाब से चार्ज करता है।
यानी की हर लॉट के रु20 आपको ऑप्शन का ब्रोकरेज शुल्क देना होता है। तो एक तरफ जहाँ आप डिस्काउंट ब्रोकर के प्लेटफार्म पर 10 लॉट ट्रेड करने के रु20 देते है वही मोतीलाल ओसवाल में रु200 अदा करने होते है।
मोतीलाल ओसवाल ऑप्शन शुल्क | |
ऑप्शन ट्रेडिंग ब्रोकरेज | ₹20 प्रति लॉट |
आखिर में बात करते है एक हाइब्रिड ब्रोकर Angel One की। ये ब्रोकर आपको एडवाइजरी और टिप्स देता है लेकिन शुल्क डिस्काउंट वाले लेता है।
नीचे टेबल में इस ब्रोकर के ब्रोकरेज शुल्क की जानकारी दी गयी है।
Angel Oneऑप्शन शुल्क | |
ऑप्शन ट्रेडिंग ब्रोकरेज | ₹20 प्रति आर्डर |
ब्रोकरेज शुल्क के साथ आते है कुछ टैक्स जैसे STT, GST, ट्रांसक्शन शुल्क आदि। अब ये शुल्क आपको हर ट्रेड पर देने है फिर चाहे आपको मुनाफा हो या नुकसान।
इस शुल्क की पूरी जानकारी नीचे टेबल में दी गयी है।
ऑप्शन ट्रेडिंग टैक्स | |
STT | 0.0625% |
Transaction Charges | 0.05% |
Stamp Duty | 0.003% (प्रीमियम पर) |
SEBI Charges | 0.0001% |
GST | 18% (ब्रोकरेज और ट्रांसक्शन शुल्क पर) |
निष्कर्ष
तो अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग करना चाहते है तो सबसे पहले सही ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट नहीं एक सही ब्रोकर को चुने जो शुल्क भी कम ले और सर्विस ज़्यादा दे।
हां ब्रोकरेज शुल्क के साथ-साथ, ट्रेडिंग एप आदि की जानकारी लेना न भूले।
वैसे तो ऊपर दिए गए ब्रोकर अपने आप में काफी मशहूर है लेकिन अगर आपको इनसे जुड़ी अन्य जानकारी चाहिए तो अभी नीचे दिए गए फॉर्म को भरे।
हमारी टीम आपको कॉल कर ब्रोकर की जानकारी और इनके साथ डीमैट खाता खोलने में मदद प्रदान करेगी।
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]]>अब किसी भी ब्रोकर के साथ ट्रेडिंग करने के लिए सबसे ज़रूरी स्टेप होता है डीमैट खाता खोलना। लेकिन अपस्टॉक्स अकाउंट खोलने के बाद भी कई लोग उसका सही से इस्तेमाल नहीं कर पाते क्योंकि कई बार Upstox me trading kaise kare इसकी जानकारी उनके पास उपलब्ध नहीं होती।
लेकिन समझा जाए तो ये काफी आसान है। अकाउंट को खोलने पर आप अपस्टॉक्स एप में लॉगिन कर सकते है जहा पर आपको मार्केट और अलग-अलग स्टॉक्स की जानकारी चार्ट्स, वैल्यू और अन्य एनालिसिस टूल के आधार पर प्रदान की जाती है। यहाँ पर ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए अलग-अलग ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट (इंडेक्स, स्टॉक्स, कमोडिटी, करेंसी) की जानकारी भी डिटेल में प्रदान की जाती है।
लेकिन हां उससे पहले ज़रूरी है कुछ पहलूओं को समझना जैसे की:
इसके साथ मुनाफा कमाने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग के नियम का पालन करें, जैसे की ओवरट्रेडिंग से बचे, ब्रोकर की एप में दिए स्ट्रेटेजी का उपयोग करें, न्यूज़ टिप्स से दूर रहे, आदि।
तो चलिए option trading in Upstox in hindi को विस्तार से समझने के लिए पॉइंट को समझे ।
अपस्टॉक्स डीमैट खाता खोलने के लिए सबसे पहले ज़रूरी है सभी दस्तावेज़ का होना जैसे की आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक पासबुक, पासपोर्ट साइज फोटो। और फ्यूचर और ऑप्शन में ट्रेड करने के लिए आपको इसके अतिरिक्त इनकम स्टेटमेंट और सैलरी स्लिप भी जमा करने होते है।
अब आइये अपस्टॉक्स में अकाउंट खोलने की प्रक्रिया और स्टेप्स को विस्तार में जानते है:
अगर आपके सबमिट किये गए डाक्यूमेंट्स सही हैं, तो डॉक्यूमेंट वेरीफाई होते ही आपका डीमैट अकाउंट कुछ घंटो में खुल जाएगा। अकाउंट खुलने पर आपको आपका यूजर आईडी और पासवर्ड प्रदान किया जाएगा जिसका उपयोग कर आप अपस्टॉक्स में ऑप्शन ट्रेडिंग (option trading in Upstox in hindi) कर सकते है।
Upstox में फ्यूचर और ऑप्शन सेगमेंट को एक्टिवेट करना बहुत आसान होता है। चलिए नीचे दिए गए स्टेप्स को फॉलो करके जानते हैं की कैसे आपको Upstox App के जरिये, फ्यूचर और ऑप्शन सेगमेंट को कैसे एक्टिवेट कर सकते है।
पर अगर आपकी करंट होल्डिंग 5000 रुपये से कम हाँ , तो आपको सेगमेंट को एक्टिवेट करने के लिए, आपको इनकम प्रूफ (6 महीने बैंक स्टेटमेंट जिसमे निम्न बैलेंस 10,000 होना चाहिए, ITR, 3 महीने की सैलरी स्लिप) को सबमिट करना होगा।
सेगमेंट एक्टिवेट होने पर आप अपस्टॉक्स में ऑप्शन ट्रेड (option trading in Upstox in hindi) कर सकते है।
अब सेगमेंट एक्टिवट होने के बाद आप अपस्टॉक्स लॉगिन कर ऑप्शन में ट्रेड कर सकते है, लेकिन हर ट्रेड की तरह इसमें भी आपको सही स्टॉक, इंडेक्स का विश्लेषण करना ज़रूरी होता है।
इसके लिए पहले निर्धारित करें की आपको ऑप्शन बायर की पोजीशन लेनी है या सेलर की।
इसके हिसाब से आप ट्रेडिंग के लिए ज़रूरी फण्ड को अपने अकाउंट में ट्रांसफर करें। यहाँ पर ऑप्शन बायर को प्रीमियम के बराबर और ऑप्शन सेलर को मार्जिन के अनुसार अपने अकाउंट में फण्ड ट्रांसफर करना होता है।
अगर आप पहली बार Upstox App का उपयोग कर रहे है तो यहाँ पर फण्ड ट्रांसफर का विवरण दिया गया है:
सही ऑप्शन के चुनाव के लिए आप ट्रेंड को देखे, अगर मार्केट अपट्रेंड में है तो आप कॉल ऑप्शन को खरीद या पुट ऑप्शन को बेच सकते है। दूसरी तरफ अगर मार्केट डाउनट्रेंड में है तो आप कॉल ऑप्शन को बेच और पुट ऑप्शन को खरीद सकते है।
अब ट्रेंड के अनुसार स्टॉक में कॉल/पुट ऑप्शन खरीदने या बेचने का निर्णय ले चुने हुए स्टॉक या इंडेक्स को सर्च कर watchlist में ऐड करे।
ऑप्शन का विश्लेषण करने के लिए ऑप्शन चैन को खोले और सही स्ट्राइक प्राइस का चयन करें।
इसके लिए आप होल्डिंग पीरियड को ध्यान में रख और अपने जोखिमों के अनुसार स्ट्राइक प्राइस को चुन सकते है। उदाहरण के लिए अगर आपको निफ़्टी 18000 का कॉल ऑप्शन खरीदना है तो Nifty OPT 18000 CE पर क्लिक करें।
अब अपस्टॉक्स में ऑप्शन ट्रेड (option trading in Upstox in hindi) करने के लिए निम्नलिखित स्टेप्स को फॉलो करें:
अगर आपका आर्डर मैच करता है तो आपका आर्डर एक्सेक्यूटे हो जायेगा नहीं तो आपका आर्डर मैच होने तक आपको इंतज़ार करना पड़ेगा।
अब आर्डर प्लेस करने के लिए आपको ब्रोकर के कुछ शुल्क होते हैं, उसे भी देने पड़ते हैं।
चलिए जानते है कि Upstox में ऑप्शन ट्रेडिंग में कितना चार्ज लगता है, ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए आपको कितने चार्जेज देने होते हैं , उनके बारे में जान लेते हैं।
ऑप्शन ट्रेडिंग में ऑप्शन को खरीदने और बेचने के लिए ब्रोकरेज शुल्क देना होता है। क्योंकि अपस्टॉक्स एक डिस्काउंट ब्रोकर ये अपस्टॉक्स शुल्क काफी कम और प्रति ट्रेड के अनुसार लगता है।
अपस्टॉक्स में ऑप्शन ट्रेडिंग (option trading in Upstox in hindi) लिए 20 रुपये प्रति ट्रेड के अनुसार ब्रोकरेज लिया जाता है।
अपस्टॉक्स ऑप्शन ब्रोकरेज | |
ऑप्शन ट्रेडिंग ब्रोकरेज | 20 रुपये प्रति ट्रेड |
ब्रोकर के फायदे और नुकसान होते हैं। ये फायदे और नुकसान ही हैं , जो आपको ट्रेडिंग के लिए एक सही ब्रोकर को चुनने में मदद करता है।
चलिए अपस्टॉक्स में ऑप्शन ट्रेडिंग (option trading in Upstox in hindi) के फायदे जानते है।
ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए Upstox को चुनने पर कुछ नुक्सान सहने पड़ सकते हैं जिनका विवरण नीचे दिया गया हैं –
निष्कर्ष
Upstox , भारत का एक बहुत ही लोकप्रिय डिस्काउंट ब्रोकर है। और ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए बहुत सारे भारतीयों का ये चाहिदा ब्रोकर है। इसके फायदों के कारण ये आज इतनी तेजी से लोकप्रिय होता हुआ डिस्काउंट ब्रोकर है।
तो आप भी अगर ऑप्शन ट्रेडिंग लिए Upstox (option trading in Upstox in hindi) को चुनना चाहते हैं, तो अभी ब्रोकर के साथ डीमैट खाता खोले और फ्यूचर एंड ऑप्शन सेगमेंट को एक्टिवटे करें।
ट्रेडिंग में मुनाफा कमाने के साथ-साथ अगर आप जानना चाहते है कि Upstox se paise kaise kamaye तो आप अपस्टॉक्स रेफरल (Upstox refer and earn in hindi) का उपयोग कर सकते है।
इसके अंतर्गत आप अपस्टॉक्स डीमैट अकाउंट खोलने का लिंक अपने दोस्तों के साथ शेयर कर सकते है और उनके अकाउंट खोलने पर ब्रोकर आपको ₹500-₹1200 तक की कमीशन देता है।
अगर आप भी अलग-अलग ट्रेडिंग सेगमेंट में ट्रेड और निवेश कर पैसा कमाना चाहते है तो अभी नीचे दिए गए फॉर्म में अपना विवरण भरे और हमारी टीम आपको एक सही स्टॉकब्रोकर और उसके साथ डीमैट खाता खोलने में मदद करेगी:
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]]>तो आइए यहाँ ऑप्शन स्ट्रेटेजी से पहले हम पहले ऑप्शन के बेसिक्स (option trading basics in hindi) को समझने के लिए लॉटरी के मॉडल को समझते हैं। जब भी हम लॉटरी पर दांव लगाते हैं तो हमारे जीतने की प्रवृत्ति बहुत कम होती है लेकिन जब हमारा दांव लगता है तो सीधा जैकपॉट लगता है।
ठीक इसी तरह जब हम ऑप्शन में ट्रेड करते हैं तो हम जानते हैं कि इसमें जोखिम है फिर भी हम उस जैकपोट की उम्मीद में ऑप्शन खरीदते रहते हैं और आखिर में हमें निराशा ही हाथ लगती है। ऑप्शन ट्रेडिंग में जीतने की प्रवृत्ति ऑप्शन खरीदने वाले की 33% होती है और ऑप्शन बेचने वालों की 66% होती है।
लेकिन यदि आप ऑप्शन ट्रेडर्स को देखते हैं तो वह ऑप्शन खरीदने का उपयोग सिर्फ हेजिंग के लिए करते हैं जिससे कि वह अपने जोखिम को कम कर सकें, वहीं दूसरी तरफ रिटेल ट्रेडर्स पैसा कमाने के लिए ऑप्शन खरीदते है यही वजह है कि रिटेल ट्रेडर्स ज्यादातर अपना पैसा गवां देते हैं।
खैर, अगर आप इस लेख पर आए है तो ऑप्शन ट्रेडिंग से जरुर अवगत होंगे, जैसे ऑप्शन ट्रेडिंग क्या है और ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं। तो अभी हम ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी के बारे में आसानी से समझने की कोशिश करते है।
वास्तव में, निश्चित रूप से कुछ ऐसी ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी मौजूद हैं और इन ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रटजीओं को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि ये आपके जोखिम को सीमित करता है और असीमित लाभ करने में मदद करता है।
इस लेख में, हम 10 ऐसी ऑप्शन स्ट्रेटजी पर चर्चा करेंगे और अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स का पालन करते हुए सही स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करते है तो काफी मुनाफा कमा सकते है।
तो आइए हम सबसे पहले यह जान लेते हैं कि ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी क्या है।
ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी नुकसान को सीमित करने और असीमित लाभ प्राप्त करने के उद्देश्य से कॉल या पुट खरीदने या कॉल & पुट बेचने या दोनों को एक साथ जोड़ कर बनाई जाती हैं।
यहाँ पर स्ट्रेटेजी से पहले कॉल और पुट ऑप्शन (call and put option in hindi) को समझना काफी ज़रूरी है। इससे आप अपने ट्रेडिंग उद्देश्य उससे होने वाले लाभ और जोखिमों को अच्छे से समझ मार्केट में ट्रेड कर सकते है।
ऑप्शन ट्रेडिंग रणनीतियों (Strategies) को तेजी, मंदी या तटस्थ (Sideways) ऑप्शन ट्रेडिंग रणनीतियों में वर्गीकृत किया जा सकता है। यहाँ तक दिलचस्प लग रहा है? खैर, आपके उत्साह के स्तर को बढ़ाने के लिए और भी बहुत कुछ है।
आपके लिए 10 प्रकार की ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजी को दिया जा रहा है जो प्रत्येक ट्रेडर को पता होनी चाहिए और शेयर बाजार में अपने ऑप्शन ट्रेडिंग को सफल बनाने के लिए उपयोग कर सकते हैं!
हर कोई बुल मार्केट का इंतज़ार करता है और चढ़ते बाजार में पैसा कमाना चाहता है लेकिन अगर मार्केट नीचे भी गिर रहा है तब भी आप पैसा कमा सकते हैं बस आपको सही स्ट्रेटजी जानने की जरूरत है।
तो यहां पर हम वहीं स्ट्रेटजी के बारे में बात करेंगे, जिनसे आप गिरते हुए बाजार में भी, चढ़ते हुए बाजार में भी और बाजार अगर कहीं नहीं जा रहा है एक सीधे डायरेक्शन में भी जा रहा है तब भी आप पैसा कमा सकते हैं। बस ज़रुरत है तो स्ट्राइक प्राइस (strike price in hindi) की पूरी जानकारी होना और जिस भी ऑप्शन में आप ट्रेड कर रहे है उसकी एक्सपायरी (what is expiry in share market in hindi) को सही से चुनना।
सभी स्प्रेड स्ट्रेटजीओ में, बुल कॉल स्प्रेड सबसे लोकप्रिय है। यह स्ट्रेटजी तब काम आती है जब आप स्टॉक/इंडेक्स पर मामूली तेजी का नजरिया रखते हैं।
बुल कॉल स्प्रेड एक टू लेग स्प्रेड स्ट्रेटजी है जिसमें पारंपरिक रूप से एटीएम और ओटीएम ऑप्शन शामिल होते हैं। हालाँकि आप अन्य स्ट्राइक प्राइस का उपयोग करके भी बुल कॉल स्प्रेड बना सकते हैं।
बुल कॉल स्प्रेड को बनाने के लिए –
1 एटीएम कॉल ऑप्शन खरीदें (लेग 1)
1 ओटीएम कॉल ऑप्शन बेचें (लेग 2)
जब आप ऐसा करते हैं तो सुनिश्चित करें–
सभी स्ट्राइक एक ही स्टॉक या इंडेक्स से संबंधित हो और एक ही ऑप्शन एक्सपायरी के हो। इसे ऑप्शन ट्रेडिंग के एक उदाहरण (option trading example in hindi) से समझते है:
आउटलुक – मध्यम तेजी (बाजार के ऊपर जाने की उम्मीद है लेकिन ज्यादा तेजी की उम्मीद नही है)
दिनांक – 21 दिसम्बर 2021
निफ्टी स्पॉट – 17010
एटीएम – 17000 सीई, प्रीमियम – रु. 90/- रुपये – खरीदें
ओटीएम – 17100 सीई, प्रीमियम – 40/- रुपये – बेंचे
प्रीमियम के रूप में रु 90 का भुगतान करके 17000 CE खरीदें।
साथ ही 17100 CE का कॉल बेचें और प्रीमियम के रूप में 40 प्राप्त करें।
चूंकि 17100 CE से आपको प्रीमियम प्राप्त हुआ तो यहाँ नेट कैश फ्लो क्रेडिट और डेबिट यानी 40 – 90 = 50 के बीच का अंतर है।
आम तौर पर बुल कॉल स्प्रेड में हमेशा एक ‘नेट डेबिट’ होता है, इसलिए बुल कॉल स्प्रेड को ‘डेबिट बुल स्प्रेड’ भी कहा जाता है।
अब देखते है की इस स्ट्रेटेजी से एक ऑप्शन ट्रेडर को क्या फायदा और नुकसान होने की संभावना है।
कॉस्ट ऑफ स्प्रेड = -50
स्प्रेड रेंज : 17100 (हायर स्ट्राईक प्राइस) – 17000 (लोअर स्ट्राईक प्राइस) =100
निफ्टी लोट साईज = 50
अधिकतम नुकसान : -50 (कॉस्ट ऑफ स्प्रेड) * 50 (निफ्टी लोट साईज) = – 2500 रुपये
अधिकतम लाभ : 100 (स्प्रेड रेंज) – (कॉस्ट ऑफ स्प्रेड) = 50 रुपये * 50 (निफ्टी लोट साईज) = 2500 रुपये
अगर आप स्टॉक मार्केट में थोड़े कम वुलिश हैं और कम जोखिम के साथ ट्रेड करना चाहते है तो बुल पुट स्प्रेड स्ट्रेटजी बिल्कुल सही है क्योकि ये स्ट्रेटजी आपके जोखिमों को कम आपको ज्यादा मुनाफा कमाने में मदद करती है।
यह बुलिश ऑप्शन ट्रेडिंग रणनीतियों में से एक है जिसे ऑप्शन ट्रेडर तब लागू कर सकते हैं जब वे स्टॉक मार्केट में थोडे कम बुलिश हैं।
बुल कॉल स्प्रेड एक टू लेग स्प्रेड स्ट्रेटजी है जिसमें पारंपरिक रूप से ITM और OTM ऑप्शन शामिल होते हैं। हालाँकि आप अन्य स्ट्राइक प्राइस का उपयोग करके भी बुल कॉल स्प्रेड बना सकते हैं।
यहां पर भी आपको ध्यान रखना है कि दोनो पुट एक ही स्टॉक या इंडेक्स और एक ही समाप्ति तिथि होनी चाहिए।
बुल कॉल स्प्रेड को बनाने के लिए –
1 OTM पुट ऑप्शन खरीदें (लेग 1)
1 ITM कॉल ऑप्शन बेचें (लेग 2)
जब आप ऐसा करते हैं तो सुनिश्चित करें –
सभी स्ट्राइक एक ही स्टॉक या इंडेक्स से संबंधित हो और एक ही एक्सपायरी के हो।
उदाहरण के लिए –
दिनांक – 21 दिसम्बर 2021
निफ्टी स्पॉट – 17010
ओटीएम – 16900 पीई, प्रीमियम – रु. 30/- रुपये – खरीदें
एटीएम – 17000 पीई, प्रीमियम – 70/- रुपये – बेंचे
नेट कैश फ्लो क्रेडिट और डेबिट यानी 70 – 30 = 40
कॉस्ट ऑफ स्प्रेड = 40
स्प्रेड रेंज : 17000 (हायर स्ट्राईक प्राइस) – 16900 (लोअर स्ट्राईक प्राइस) =100
निफ्टी लोट साईज = 50
अधिकतम नुकसान : 100 (स्प्रेड रेंज) – (कॉस्ट ऑफ स्प्रेड) = -60 रुपये * 50 (निफ्टी लोट साईज) = -3000 रुपये
अधिकतम लाभ : 40 (कॉस्ट ऑफ स्प्रेड) * 50 (लोट साईज) = 2000 रुपये
बियर कॉल स्प्रेड भी एक टू लेग स्प्रेड स्ट्रेटजी है जिसमें परंपरागत रूप से ITM और OTM कॉल ऑप्शन शामिल हैं। हालाँकि आप अन्य स्ट्राइक का उपयोग करके भी स्प्रेड बना सकते हैं। याद रखें, दो चयनित स्ट्राइक (स्प्रेड) के बीच का अंतर जितना अधिक होगा, लाभ की संभावना उतनी ही अधिक होगी।
बुल कॉल स्प्रेड को बनाने के लिए –
1 OTM कॉल ऑप्शन खरीदें (लेग 1)
1 ATM कॉल ऑप्शन बेचें (लेग 2)
ध्यान रखे, सभी स्ट्राइक एक ही स्टॉक या इंडेक्स से संबंधित हो और एक ही एक्सपायरी के हो।
उदाहरण के लिए –
आउटलुक – मध्यम मंदी
दिनांक – 21 दिसम्बर 2021
निफ्टी स्पॉट – 17010
ओटीएम – 17100 सीई, प्रीमियम – रु. 30 /- रुपये – खरीदें
एटीएम – 17000 सीई, प्रीमियम – 90 /- रुपये – बेंचे
कॉस्ट ऑफ स्प्रेड : 90 – 30 = 60 रुपये
स्प्रेड रेंज : 17100 (हायर स्ट्राईक प्राइस) – 17000 (लोअर स्ट्राईक प्राइस) =100
निफ्टी लोट साईज = 50
अधिकतम नुकसान : 100 (स्प्रेड रेंज) – 60 (कॉस्ट ऑफ स्प्रेड) * 50 (निफ्टी लोट साईज) = – 2000 रुपये
अधिकतम लाभ : 60 (नेट प्रिमियम) * 50 (निफ्टी लोट साईज) = 3000 रुपये
यह स्प्रेड काफी हद तक बुल कॉल स्प्रेड के समान है और इसे लागू करना भी काफी आसान है। जब बाजार का दृष्टिकोण मध्यम रूप से मंदी का होता है, तो एक बियर पुट स्प्रेड को लागू करना चाहिए, यानी आप निकट अवधि में बाजार के नीचे जाने की उम्मीद करते हैं, जबकि साथ ही आप इसके बहुत नीचे जाने की उम्मीद नहीं करते हैं।
अगर आपको ‘मामूली मंदी’ की मात्रा निर्धारित करनी है, तो 4-5% मार्केट गिरने की उम्मीद लग रही हो। यदि बाजार सही (नीचे जाना) अपेक्षित है, तो बियर पुट स्प्रेड को लागू करने से मामूली लाभ होगा, लेकिन दूसरी ओर यदि बाजार ऊपर जाता है, तो ट्रेडर सीमित नुकसान के साथ मार्केट से निकल सकता है।
ट्रेडर इस स्ट्रेटजी को तब लागू करेंगे जब बाजार का दृष्टिकोण मध्यम रूप से मंदी का हो, यानी जब ट्रेडर्स बाजार के नीचे जाने की उम्मीद कर रहे हों, लेकिन बहुत ज्यादा नहीं।
इस स्ट्रेटजी में 1 ITM (In The Money) पुट ऑप्शन खरीदना और 1 OTM (Out of the Money) पुट ऑप्शन बेचना होता है। यह ध्यान रखना चाहिए कि दोनो पुट एक ही स्टॉक या इंडेक्स और एक ही समाप्ति तिथि के हो।
उदाहरण के लिए-
आउटलुक – मध्यम मंदी
दिनांक – 22 दिसम्बर 2021
निफ्टी स्पॉट – 16860
आईटीएम – 17000 पीई, प्रीमियम – रु. 160 /- रुपये – खरीदें
ओटीएम -16800 पीई, प्रीमियम – 60 /- रुपये – बेंचे
कॉस्ट ऑफ स्प्रेड : 60 – 160 = -100 रुपये
स्प्रेड रेंज : 17000 (हायर स्ट्राईक प्राइस) – 16800 (लोअर स्ट्राईक प्राइस) = 200
निफ्टी लोट साईज = 50
अधिकतम नुकसान : 100 (कॉस्ट ऑफ स्प्रेड) * 50 (निफ्टी लोट साईज) = – 5000 रुपये
अधिकतम लाभ : 200 (स्प्रेड रेंज) – 100 (कॉस्ट ऑफ स्प्रेड) * 50 (निफ्टी लोट साईज) = 5000 रुपये
लॉन्ग स्ट्रैडल ऑप्शन ट्रेडर के लिए बेस्ट स्ट्रेटेजी में से एक है। अगर ट्रेडर को लगता है कि मार्केट में वोलैटिलिटी है और वह डिसाइड नहीं कर पा रहा है कि किस साइड मार्केट मूव करने वाला है यानी उसको यह तो पता है कि मार्केट या तो बहुत तेजी से ऊपर जाएगा यह बहुत ही तेजी से नीचे जाएगा, लेकिन उसको यह क्लियर नहीं पता कि मार्केट कहां जाएगा।
तब उस कंडीशन में ऑप्शन ट्रेडर लॉन्ग स्ट्रैडले बनाते हैं। इस स्ट्रेटेजी से मार्केट जिस भी दिशा में जाए उसको लाभ ही होगा और ज्यादा से ज्यादा लाभ होगा।
इस स्ट्रेटजी का इस्तेमाल ट्रेडर्स किसी इवेंट पर ज्यादातर करते हैं क्योंकि उस समय हमें पता नहीं होता है कि उस इवेंट को मार्केट पॉजिटिव नोट समझेगी या नेगेटिव नोट इसलिए हम लॉन्ग स्ट्रैडल बनाते हैं जिससे कि मार्केट जिस भी दिशा में जाए हमें ज्यादा से ज्यादा लाभ हो।
इस स्ट्रेटजी में 1 एटीएम कॉल ऑप्शन खरीदना और 1 एटीएम पुट ऑप्शन खरीदना होता है। यह ध्यान रखना चाहिए कि दोनों विकल्प एक ही अंडरलाइंग के होने चाहिए, एक ही एक्सपायरी के होने चाहिए और एक ही स्ट्राइक के भी होने चाहिए।
उदाहरण के लिए-
दिनांक – 22 दिसम्बर 2021
निफ्टी स्पॉट – 16850
एटीएम – 16850 सीई, प्रीमियम – रु. 73 /- रुपये – खरीदें
एटीएम -16850 पीई, प्रीमियम – 65 /- रुपये – खरीदें
कॉस्ट ऑफ स्प्रेड : -73 – 65 = -138 रुपये
निफ्टी लोट साईज = 50
अधिकतम नुकसान : -138 (कॉस्ट ऑफ स्प्रेड) * 50 (निफ्टी लोट साईज) = – 6900 रुपये
अधिकतम लाभ : अनलिमिटेड
शॉर्ट स्ट्रैडल, ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा उपयोग में की जाने वाली स्ट्रेटजीओ में से एक है और इसको ऑप्शन ट्रेडर तभी उपयोग करते हैं जब उन्हें लगता है की मार्केट साइड वेज होने वाला है यानी कि मार्केट न तो ज्यादा ऊपर जाएगा और न ज्यादा नीचे जाएगा। तो इसलिए वह शॉट स्टेडल बनाते हैं और और अगर मार्केट डायरेक्शनल रहता है तो ट्रेडर को ज्यादा से ज्यादा लाभ होगा।
हालांकि कई ट्रेडर्स शॉर्ट स्ट्रैडल से डरते हैं (क्योंकि नुकसान अनकैप्ड हैं), लेकिन फिर भी काफी ट्रेडर्स कुछ मौकों पर अपने पीयर स्ट्रैटेजी पर शॉर्ट स्ट्रैडल में ट्रेड करना पसंद करते हैं। इसे समझने के निचे दिए गए ऑप्शन ट्रेडिंग उदाहरण (option trading example in hindi) को लेते है।
शॉर्ट स्ट्रैडल सेट करना काफी आसान है – एटीएम कॉल और पुट ऑप्शन (जैसे लॉन्ग स्ट्रैडल में) खरीदने के विपरीत आपको बस एटीएम कॉल और पुट ऑप्शन को बेचना होगा। जाहिर है कि नेट क्रेडिट के लिए छोटी स्ट्रेटजी बनाई गई है, क्योंकि जब आप एटीएम ऑप्शन बेचते हैं, तो आप आपको प्रीमियम मिलता है जो कि आपका लाभ होता हैं।
उदाहरण के लिए –
दिनांक – 22 दिसम्बर 2021
निफ्टी स्पॉट – 16890
एटीएम – 16900 सीई, प्रीमियम – रु. 60 /- रुपये – बेंचे
एटीएम -16900 पीई, प्रीमियम – 73 /- रुपये – बेंचे
नेट प्रिमियम : 60 + 73 = 133 रुपये
निफ्टी लोट साईज = 50
अधिकतम नुकसान : – अनलिमिटेड
अधिकतम लाभ : 133 (नेट प्रिमियम) * 50 (निफ्टी लोट साईज) = 6650 रुपये
लॉन्ग स्ट्रैंगल, लॉन्ग स्ट्रैडल के समान ही ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी है लेकिन उनके बीच एकमात्र अंतर यह है कि- एक स्ट्रैडल में, हमें एटीएम स्ट्राइक प्राइस के कॉल और पुट ऑप्शन खरीदने होते हैं जबकि स्ट्रैंगल में ओटीएम कॉल और पुट ऑप्शन खरीदना होता है। यहां, लाभ असीमित है और अधिकतम नुकसान सिर्फ आपका प्रीमियम है जो आपने ऑप्शन खरीदते समय दिया है।
लॉन्ग स्ट्रैंगल, लॉन्ग स्ट्रैडल मुकाबले थोडा कम जोखिम भरा है लेकिन इसमें कम लॉन्ग स्ट्रैडल मुकाबले थोड़ा कम लाभ मिलता है।
उदाहरण के लिए –
दिनांक – 22 दिसम्बर 2021
निफ्टी स्पॉट – 16920
ओटीएम – 17000 सीई, प्रीमियम – रु. 38 /- रुपये – खरीदें
ओटीएम -16800 पीई, प्रीमियम – 24 /- रुपये – खरीदें
कॉस्ट ऑफ स्प्रेड : -38 – 24 = -62 रुपये
निफ्टी लोट साईज = 50
अधिकतम नुकसान : -62 (कॉस्ट ऑफ स्प्रेड) * 50 (निफ्टी लोट साईज) = – 3100 रुपये
अधिकतम लाभ : अनलिमिटेड
शॉर्ट स्ट्रैंगल (या सेल स्ट्रैंगल) एक तटस्थ (Neutral) स्ट्रेटजी है जिसमें ओटीएम कॉल और ओटीएम पुट ऑप्शन एक ही स्टॉक या इंडेक्स और एक ही समाप्ति तिथि के साथ-साथ बेचे जाते हैं। इस स्ट्रेटजी का उपयोग तब किया जा सकता है जब ट्रेडर को यह उम्मीद हो कि निकट भविष्य में कोई स्टॉक या इंडेक्स बहुत कम अस्थिरता (Neutral) का अनुभव करेगा।
ये स्ट्रैग्गल भी ऑप्शन ट्रेडिंग में सबसे ज्यादा उपयोग में की जाने वाली स्ट्रेटजीओ में से एक है यह भी हमारी पिछली स्ट्रेटजी स्ट्रैडल की तरह ही काम करती है बस यह उससे थोड़ी अलग है यह स्ट्रेटजी हम तब लगाते हैं जब हमें लगता है कि मार्केट नहीं तो ज्यादा ऊपर जाएगा और ना ही ज्यादा नीचे जाएगा यानी एक सीधा डायरेक्सन में रहने वाला है।
हम स्ट्रैग्गल का उपयोग तब करते है जब आप ज्यादा जोकिम नही उठाना चाहते है तो आप इसमें कम जोखिम के साथ ट्रेड कर सकते हैं लेकिन यहां पर आपको जैसे जोखिम कम है वह वैसे ही लाभ भी कम मिलेगा।
उदाहरण के लिए –
दिनांक – 22 दिसम्बर 2021
निफ्टी स्पॉट – 16890
एटीएम – 16900 सीई, प्रीमियम – रु. 9 /- रुपये – बेंचे
एटीएम -16900 पीई, प्रीमियम – 63 /- रुपये – बेंचे
नेट प्रिमियम : 9 + 63 = 72 रुपये
निफ्टी लोट साईज = 50
अधिकतम नुकसान : – अनलिमिटेड
अधिकतम लाभ : 133 (नेट प्रिमियम) * 50 (निफ्टी लोट साईज) = 3600 रुपये
बटरफ्लाई स्प्रेड भी एक तटस्थ (Neutral) ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजीओं में से एक है जो एक निश्चित जोखिम और सीमित लाभ के साथ लॉन्ग पुट और शार्ट पुट के साथ बनायी जाती है। ये तटस्थ (Neutral) स्ट्रेटजी हैं जो एक निश्चित जोखिम और सीमित लाभ और हानि के साथ आती हैं। इसमें 1 आईटीएम पुट खरीदें, 2 एटीएम पुट बेचें और 1 ओटीएम पुट खरीदें। सभी ऑप्शन के स्ट्राइक मूल्य वर्तमान मूल्य से समान दूरी पर होने चाहिए।
मान लीजिए कि निफ्टी अभी 16960 रुपए पर चल रहा है और आपको इसमें बहुत कम अस्थिरता(Volatility) की उम्मीद हैं। तब आप 16850 पर 1 आईटीएम पुट ऑप्शन खरीदे, 16950 पर 2 एटीएम पुटऑप्शन बेचे, 17050 पर 1 ओटीएम पुट ऑप्शन खरीदकर आप लॉन्ग बटरफ्लाई बना सकते हैं।
सुनिश्चित करें कि ऑप्शन की स्ट्राइक कीमतें समान दूरी पर हैं। इसमें जो आपने टोटल प्रीमियम दिया है वह आपका अधिकतम नुकसान होगा और जो आपने प्रीमियम लिया है वह आपका अधिकतम लाभ होगा।
उदाहरण के लिए –
आउटलुक – तटस्थ(Neutral)
दिनांक – 22 दिसम्बर 2021
निफ्टी स्पॉट – 16960
1 आईटीएम – 16850 पीई, प्रीमियम – रु. 23 /- रुपये – खरीदें
2 एटीएम -16950 पीई, प्रीमियम – 53 /- रुपये – बेंचे
1 ओटीएम -17050 पीई, प्रीमियम – 90 /- रुपये – खरीदें
कॉस्ट ऑफ स्प्रेड : -23 -90 + 53*2 = -7 रुपये
स्प्रेड रेंज : 17050 (हायर स्ट्राईक प्राइस) – 16850 (लोअर स्ट्राईक प्राइस) = 200
निफ्टी लोट साईज = 50
अधिकतम नुकसान : -7 (कॉस्ट ऑफ स्प्रेड) * 50 (निफ्टी लोट साईज) = – 350 रुपये
अधिकतम लाभ : 4610 रुपये
बटरफ्लाई स्प्रेड तटस्थ (Neutral) ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटजीओं (option trading strategies in hindi) में से एक है जो एक निश्चित जोखिम और सीमित लाभ के साथ बुल और बियर स्प्रेड को जोड़ती है। ये तटस्थ(Neutral) स्ट्रेटजी हैं जो एक निश्चित जोखिम और सीमित लाभ और हानि के साथ आती हैं। इसमें एक इन-द-मनी कॉल बेचे, दो एट-द-मनी कॉल खरीदे और आउट-ऑफ-द-मनी कॉल बेचे। सभी ऑप्शन के स्ट्राइक मूल्य वर्तमान मूल्य से समान दूरी पर होने चाहिए।
मान लीजिए कि निफ्टी अभी 16960 पर चल रहा है और आपको इसमें बहुत कम अस्थिरता(Volatility) की उम्मीद हैं। तव आप 16850 पर 1 आईटीएम कॉल ऑप्शन बेचे, 16950 पर 2 एटीएम निफ्टी कॉल ऑप्शन खरीदे, 17050 पर 1 ओटीएम कॉल ऑप्शन बेचकर आप शार्ट बटरफ्लाई स्प्रेड बना सकते हैं। सुनिश्चित करें कि ऑप्शन की स्ट्राइक कीमतें समान दूरी पर हैं।
उदाहरण के लिए –
आउटलुक – तटस्थ(Neutral)
दिनांक – 22 दिसम्बर 2021
निफ्टी स्पॉट – 16960
1 आईटीएम – 16850 सीई, प्रीमियम – रु. 139 /- रुपये – बेंचे
2 एटीएम -16950 सीई, प्रीमियम – 50 /- रुपये – खरीदें
1 ओटीएम -17050 सीई, प्रीमियम – 25 /- रुपये – बेंचे
नेट प्रिमियम : 139 + 25 -50*2 = 64 रुपये
स्प्रेड रेंज : 17050 (हायर स्ट्राईक प्राइस) – 16850 (लोअर स्ट्राईक प्राइस) = 200
निफ्टी लोट साईज = 50
अधिकतम नुकसान : -1750 रुपये
अधिकतम लाभ : 64 (नेट प्रिमियम) * 50 (निफ्टी लोट साईज) = 3200 रुपये
अगर आपको ऑप्शन को एक्सपायरी तक होल्ड करके रखना है तो ऊपर दी गयी स्ट्रेटेजी (option trading strategie in hindi) काफी लाभदायक है, लेकिन अगर आप ऑप्शन में इंट्राडे ट्रेडिंग करना चाहते है तो उसकी स्ट्रेटेजी के लिए आपको कुछ और पहलूओं को ध्यान में रखना होता है।
ऑप्शन में इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए आपको सही स्ट्राइक प्राइस का चयन करना और आवश्यक होता है क्योंकि आपको कम से कम समय में अपना प्रॉफिट बुक और लॉस को सीमित करना होता है।
वैसे तो बहुत से पैरामीटर और कई सर्वश्रेष्ठ इंट्राडे ट्रेडिंग इंडिकेटर (best indicator for intraday trading in hindi) है जो आपको सही ट्रेड लेने में मदद करते है, लेकिन अगर ऑप्शन ट्रेडिंग के सबसे ज़रूरी पहलू को देखे तो वह है ओपन इंटरेस्ट जो हर स्ट्राइक प्राइस पर कितनी नई पोजीशन ली गई है उसकी जानकारी देता है।
इसको एक उदाहरण से समझते है, मान लेते है कि निफ़्टी 17000 की वैल्यू पर ट्रेड कर रहा है अब मार्केट के ट्रेंड को समझने के लिए ATM स्ट्राइक प्राइस (यानी की 17000 के स्ट्राइक प्राइस) से 4-5 स्ट्राइक प्राइस ऊपर और नीचे के कॉल और पुट OI का डाटा लेकर उनको जोड़ना है।
यहाँ पर मान लेते है की कॉल के उन सभी स्ट्राइक प्राइस का OI 5,40,000 है वही दूसरी तरफ पुट के उन्ही स्ट्राइक प्राइस के OI की वैल्यू 4,70,000 है।
अब इससे ये ज्ञात होता है की कॉल ऑप्शन में ज़्यादा पोजीशन ओपन हो रही है। लेकिन ये पोजीशन में ज़्यादा अग्रेसिव एक बायर है या सेलर ये जानना भी बहुत ज़रूरी है।
क्योंकि अगर ये पोजीशन सेलर ओपन कर रहा है तो मार्केट बेयरिश है वही बायर OI की वैल्यू बढ़ाये तो बेयरिश।
अब इसकी जानकारी मिलती है OI के साथ प्राइस यानी के प्रीमियम को देखना। आपने जो भी स्ट्राइक प्राइस चुने थे अब उनमे से किस स्ट्राइक प्राइस के OI में सबसे ज़्यादा बदलाव आया है यानी की किस स्ट्राइक प्राइस का OI सबसे ज़्यादा बदला है।
उदाहरण के लिए 17200 और 17300 कॉल स्ट्राइक प्राइस का OI 1,20,000 और 1,50,000 अब ऐसे में आप कहेंगे की 17300 में ज़्यादा पोजीशन ओपन हुई लेकिन इसके साथ इसमें कितने प्रतिशत बदलाव आया वो भी देखना है तो मान लेते है की 17200 वाले में 25% और 17300 में 10% बदलाव आया।
तो यहाँ पर स्पष्ट हो गया कि 17200 वाले की डिमांड ज़्यादा है। इसके साथ अब इसका प्रीमियम देखे, अगर प्रीमियम की वैल्यू नेगेटिव में जा रही है यानी कि गिर रही है तो सेलर और अगर बढ़ रही है तो बायर OI को बढ़ा रहे है जिससे मार्केट के बेयरिश या बुलिश सेंटीमेंट की जानकारी मिलती है।
इसको और बेहतर तरह से विश्लेषण करने के लिए चार्ट में सपोर्ट और रेजिस्टेंस का इस्तेमाल भी कर सकते है।
निष्कर्ष
ऑप्शन ट्रेडिंग आम तौर पर उच्च जोखिम से जुडी होती हैं, ट्रेडर्स के पास कई बुनियादी रणनीतियाँ होती हैं जिनमें सीमित जोखिम होता है। और इसलिए जोखिम से बचने वाले ट्रेडर्स भी अपने रिटर्न को बढ़ाने के लिए ऑप्शन का उपयोग कर सकते हैं। हालांकि, किसी भी निवेश के नकारात्मक पहलू को समझना हमेशा महत्वपूर्ण होता है ताकि आप जान सकें कि आप क्या खो सकते हैं और क्या यह संभावित लाभ के लायक है। ऑप्शन में लाभ कमाने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग के नियम का पालन करें।
आप ट्रेडिंग में जो भी स्ट्रेटजी का इस्तेमाल करें तो सबसे पहले सुनिश्चित कर लें कि कौन सी स्ट्रेटजी तुम्हें कब उपयोग करनी है किस मार्केट कंडीशन में कौन सी स्ट्रेटजी लगानी है यह समझना बहुत जरूरी है। हमने Option Trading Strategies in Hindi लेख में आपको वेस्ट ऑप्शन ट्रेडिग स्ट्रेटजी से अवगत कराया है जिन्हे समझ कर आप अपनी ट्रेडिग यात्रा मे आगे वढे।
ऑप्शन ट्रेडिंग या शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए यदि आप एक सही स्टॉकब्रोकर ढूंढ रहे है तो हमे संपर्क करे और हम आपको एक सही ब्रोकर और उसके साथ अकाउंट खोलने में मदद करेंगे:
The post Option Trading Strategies in Hindi appeared first on अ डिजिटल ब्लॉगर.
]]>The post Option Trading Example in Hindi appeared first on अ डिजिटल ब्लॉगर.
]]>शुरू करते है ऑप्शन के प्रकार से, मार्केट की स्थिति के आधार पर आधार पर डेरिवेटिव बाजार में दो तरह के ऑप्शन उपलब्ध हैं- कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन।
कॉल ऑप्शन का उपयोग तब किया जाता है जब आप किसी भी स्टॉक या इंडेक्स की कीमतों में वृद्धि की अपेक्षा करते हैं। पुट ऑप्शन का उपयोग तब किया जाता है जब आप किसी भी स्टॉक या इंडेक्स की कीमतों में कमी/गिरावट की उम्मीद करते हैं।
वैसे तो ऑप्शन ट्रेडिंग के बहुत सारे उदाहरण हैं जो काफी हद तक इस बात पर निर्भर करते हैं कि आप किस स्ट्रेटजी का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन हम यहाँ पर कुछ बुनियादी कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन को एक रीयल जिंदगी के उदाहरण की मदद से समझाने की कोशिश करेंगे जिससे आप जान पाएंगे कि ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं?
शुरू करने से पहले ऑप्शन ट्रेडिंग के मीनिंग (option trading in hindi) को समझते है। ऑप्शन ट्रेडिंग एक बायर को एक चुने हुए प्राइस (स्ट्राइक प्राइस) पर एक निर्धारित समय में ट्रेड करने का अधिकार देती है लेकिन इसके बाध्य नहीं करती।
लेकिन इस अधिकार के लिए ऑप्शन बायर को प्रीमियम देना होता है और वही एक ऑप्शन सेलर उस प्रीमियम से मुनाफा कमाने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग में पोजीशन लेता है।
अब इसे एक रियल-लाइफ उदाहरण से समझते है।
मान लिजिए, आपको एक फ्लेट खरीदना है और आप एक बिल्डर के पास जाते है वह बिल्डर आपको फ्लेट के 10 लाख रुपयें बताता है और कहता है कि अभी ये बिल्डिंग बन रही है इस लिए अभी सिर्फ 1 लाख रुपयें देकर बुंकिग करा सकते है।
और जब बिल्डिंग बन कर तैयार हो जायेंगी तब आपको बाकी के 9 लाख रुपयें देनें होंगे। तब आप उस बिल्डर को एक लाख रुपयें देकर एक कॉन्ट्रेक्ट साईन करते है और जब अगले एक साल में बिल्डिंग बन कर तैयार हो जायेगी, तब उसे 9 लाख रुपयें देकर फ्लेट अपने नाम करा लेंगे।
अब यहाँ पर तीन अलग-अलग परिस्थिति है
परिदृश्य(Scenario) #1
बिल्डिंग एक साल से पहले बन कर तैयार हो जाती है और उस समय तक एक फ्लेट का रेट 10 लाख ही रहता है। तब आप कॉन्ट्रेक्ट के मुताबिक बाकी के 9 लाख रु देकर फ्लेट अपने नाम करा लेंगे।
परिदृश्य(Scenario) #2
बिल्डिंग एक साल से पहले बन कर तैयार हो जाती है लेकिन जब आपने कॉन्ट्रेक्ट साईन किया था फ्लेट की कीमत 10 लाख रुपयें थी, लेकिन अव एक साल बाद उस फ्लेट की कीमत 15 लाख रुपयें हो गयी। आपने बिल्डर के साथ 10 लाख रुपयें की कीमत पर एक कॉन्ट्रेक्ट साईन किया था, इस लिए फ्लेट की कितनी भी कीमत बढ़ जाए , उसे 10 लाख रुपयें में ही देना होगा।
अब 1 लाख रुपयें आप पहले ही दे चुके है इसलिए 9 लाख रुपयें देकर आप फ्लेट नाम करा सकते है। या किसी और 15 लाख रुपयें की कीमत पर उसे बेंच सकते है जिसे तुम्हें 5 लाख रुपयें का फायदा हो रहा है।
परिदृश्य(Scenario) #3
बिल्डिंग एक साल से पहले बन कर तैयार हो जाती है लेकिन किसी कारणवश उस फ्लेट की कीमत गिरकर सिर्फ 5 लाख रुपयें रह जाती है। अभी आप नहीं चाहेंगे कि वह फ्लेट आप लें क्योंकि अगर आप फ्लैट लेते हैं तो आपको कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक 9 लाख रुपयें देने होंगे, क्योंकि फ्लैट की कीमत 5 लाख है तो फ्लैट खरीदने पर आपको बहुत बड़ा नुकसान होगा। लेकिन यहाँ पर कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार आपके पास अधिकार है की आप अपना निर्णय बदल सकते है।
यहाँ पर कॉन्ट्रेक्ट को कैंसिल करने पर आपको सिर्फ़ 1 लाख (जो कॉन्ट्रेक्ट करते समय दिए थे।) का नुकसान होगा।
इस उदाहरण की मदद से अभी तक आप समझ गए होंगे कि ऑप्शन कैसे काम करते है और अब हम इसी उदाहरण की मदद से कॉल और पुट ऑप्शन को समझते है।
ट्रेडिंग सायकॉलजी बुक्स | ||
ट्रेडनीती | रेटिंग | ![]() |
लेखक | युवराज एस. कालशेट्टी | |
प्रकाशन वर्ष | 2020 |
अब इस उदाहरण से आपको ऑप्शन ट्रेड का क्या मतलब होता है उसके बारे में कुछ जानकारी मिली होगी अब ऑप्शन ट्रेड के प्रकार की बात करें तो ये दो प्रकार के होते है जिसे ट्रेड करने के लिए आप अलग-अलग ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज (option trading strategies in hindi) का उपयोग कर मुनाफा कमा सकते है।
ऑप्शन ट्रेडिंग दो प्रकार के होते है, कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन। अब एक ट्रेडर जो ऑप्शन खरीदने के मकसद से मार्केट में प्रवेश करता है वह बुलिश ट्रेंड में कॉल ऑप्शन खरीदता है और बेयरिश ट्रेंड में पुट ऑप्शन।
इसके विपरीत एक ऑप्शन सेलर बुलिश मार्केट में पुट ऑप्शन बेचता है और बेयरिश ट्रेंड में कॉल ऑप्शन।
ये सब आपको काफी भ्रमित कर रहा होगा। तो चलिए अब इन दोनों ऑप्शन के प्रकार पर विस्तार में बात करते है।
एक कॉल ऑप्शन खरीदार को समाप्ति तिथि पर या उससे पहले किसी विशेष कीमत (स्ट्राइक प्राइस) पर किसी भी स्टॉक या इंडेक्स को खरीदने का अधिकार देता है लेकिन दायित्व नहीं देता है। (जैसा कि हमने उदाहरण में समझा।)
मान लीजिए एचडीएफसी बैंक शेयर आज 1,451.80 /- रुपये पर कारोबार कर रहा है। आपको लगता है कि 30 दिसंबर तक ये बढकर 1480 से भी ऊपर निकल जायेगा। तब मान लीजिए आपको 7.10 रुपये देकर इसे खरीदने का अधिकार देता है। क्या आप इसे खरीदेंगे? जाहिर है, इसका मतलब है कि 30 दिसंबर तक अगर शेयर 1500 पर भी कारोबार कर रहा है, तब भी आप इसे 1480 रुपये में खरीद सकते हैं!
इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए आपको आज एक छोटी राशि का भुगतान करना होगा, जैसे कि रु. 7.10 /-। यदि शेयर की कीमत 1480 रुपये से ऊपर जाती है।
तो आप अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं और शेयरों को 1480 प्र्ति रुपये में खरीद सकते हैं। यदि शेयर की कीमत 1480 रुपये पर या उससे कम रहती है। तब आप अपने अधिकार का प्रयोग नहीं करते हैं और आपको शेयर खरीदने की आवश्यकता नहीं है। आप का नुकसान रु 7.10 /- होगा। इस प्रकार की व्यवस्था को कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट कहा जाता है।
नीचे स्क्रीनशॉट में, 23 दिसंबर 2021 को एचडीएफसी बैंक की वर्तमान कीमत 1,451.80 रुपये है और 30 दिसंबर 2021 को समाप्त होने वाले 1480 रुपये के कॉल ऑप्शन की कीमत वर्तमान में 7.10 रुपये पर उपलब्ध है। एचडीएफसी बैंक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का 1 लॉट 550 शेयर का है।
तो, उपरोक्त कॉल ऑप्शन उदाहरण में:
कॉल ऑप्शन का उदाहरण | |
स्पॉट कीमत | ₹1451.80 |
स्ट्राइक प्राइस | ₹1480 |
ऑप्शन प्रीमियम | ₹7.10 |
समाप्ति तिथि | 30 दिसंबर 2021 |
लॉट साइज | 550 शेयर |
कॉल ऑप्शन कब खरीदें : अगर आप उम्मीद करते हैं कि एचडीएफसी बैंक की कीमत 30 दिसंबर तक बढ़कर 1480 रुपये हो जाएगी।
कॉल ऑप्शन का प्रयोग कब करें : एक बार जब एचडीएफसी बैंक का शेयर मूल्य 1480 रुपये तक बढ़ जाता है या उससे ऊपर निकल जाता है तो आपके पास कॉल ऑप्शन का प्रयोग करने का विकल्प होता है और विक्रेता आपको 1 लॉट एचडीएफसी बैंक को 1480 रुपये/शेयर पर बेचने के लिए बाध्य होता है क्योंकि आपने उसे ₹7.10 का प्रीमियम का भुगतान किया होता है।
कॉल ऑप्शन को कब कैंसिल करें : दूसरी तरफ, अगर एचडीएफसी बैंक 30 दिसंबर 2021 से पहले 1480 रुपये को पार नहीं करती है, तो आप कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल कर सकते हैं। उस मामले में आपका नुकसान ऑप्शन प्रीमियम के रूप में भुगतान किया गया 7.10 रुपये है।
ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट रद्द करने का कारण सरल है यदि आप इसे शेयर बाजार से सस्ती दर पर खरीद सकते हैं तो आप विक्रेता से 1480 रुपये पर एचडीएफसी बैंक के शेयर क्यों खरीदेंगे? इसलिए आप ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट रद्द कर करते हैं।
एक सफल ट्रेडर बनने के लिए किसी भी ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स को समझे और उसका विश्लेषण कर मार्केट में ट्रेड करें।
एक पुट ऑप्शन खरीदार को समाप्ति तिथि पर या उससे पहले किसी स्ट्राइक प्राइस (strike price in hindi) पर किसी भी स्टॉक या इंडेक्स को बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं।
मान लीजिए, एचडीएफसी बैंक का शेयर आज 1,451.80 /- रुपये पर ट्रेड कर रहा है। और आपको लगता है कि 30 दिसंबर तक ये गिरकर 1420 से भी नीचे निकल जायेगा। तब आपको 5.25 रुपये देकर इसे खरीदने का अधिकार मिल जाता है। क्या आप इसे खरीदेंगे?. जाहिर है।
इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए आपको आज एक छोटी राशि(प्रिमियम) का भुगतान करना होता है, जैसे कि रु. 5.25 /-। यदि शेयर की कीमत 1420 रुपये से नीचे जाती है। तो आप अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। यदि शेयर की कीमत 1420 रुपये पर या उससे ज्यादा हो जाती है। तब आप अपने अधिकार का प्रयोग नहीं करते हैं और आपको शेयर खरीदने की आवश्यकता नहीं है। आप का नुकसान रु 5.25 /- होगा। इस प्रकार की व्यवस्था को पुट ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट कहा जाता है।
नीचे स्क्रीनशॉट में, 23 दिसंबर 2021 को एचडीएफसी बैंक की वर्तमान कीमत 1,451.80 रुपये है और 30 दिसंबर 2021 को समाप्त होने वाले 1420 रुपये के पुट ऑप्शन की कीमत वर्तमान में 5.25 रुपये पर उपलब्ध है।
तो, उपरोक्त पुट ऑप्शन उदाहरण में:
पुट ऑप्शन का उदाहरण | |
स्पॉट कीमत | ₹1451.80 |
स्ट्राइक प्राइस | ₹1420 |
ऑप्शन प्रीमियम | ₹5.25 |
समाप्ति तिथि | 30 दिसंबर 2021 |
लॉट साइज | 550 शेयर |
पुट ऑप्शन कब खरीदें : अगर आप उम्मीद करते हैं कि एचडीएफसी बैंक की कीमत 30 दिसंबर तक गिरकर 1420 रुपये हो जाएगी।
पुट ऑप्शन का प्रयोग कब करें : एक बार जब एचडीएफसी बैंक का शेयर मूल्य 1420 रुपये तक गिर जाता है या उससे नीचे निकल जाता है तो आपके पास पुट ऑप्शन का प्रयोग करने का विकल्प होता है और विक्रेता आपको 1 लॉट एचडीएफसी बैंक को 1420 रुपये/शेयर पर बेचने के लिए बाध्य होता है क्योंकि आपने उसे भुगतान किया है। 5.25 रुपये का प्रीमियम देकर।
पुट ऑप्शन को कब कैंसिल करें : दूसरी तरफ, अगर एचडीएफसी बैंक 30 दिसंबर 2021 से पहले 1420 रुपये तक नही गिरता है, तो आप कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल कर सकते हैं। उस मामले में आपका नुकसान ऑप्शन प्रीमियम के रूप में भुगतान किया गया 5.25 रुपये है।
ये तो हुए ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल और पुट ऑप्शन के उदहारण, अब इसमें सफल ट्रेडर बनने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग के कुछ नियम का पालन करना ज़रूरी होता है, तो यहाँ पर ऑप्शन ट्रेडिंग नियमों (option trading rules in hindi) से अवगत होकर ही ट्रेड करना शुरू करें।
अब कॉल और पुट ऑप्शन की जानकारी तो आपने ले ली यानी की आप हर तरह की मार्केट में ऑप्शंस से पैसा कमा सकते है। लेकिन अगर आप ऑप्शन मार्केट में भी आप जल्द से जल्द मुनाफा कमाना चाहते है तो उसमे भी आप इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकते है।
अब इसमें इंट्राडे ट्रेडिंग से मुनाफा कमाने के लिए पहले आपको ट्रेंड और फिर स्ट्रेटेजी (बाय या सेल) करने का निर्णय लेना होता है।
चलिए इसे भी निफ़्टी ५० में ऑप्शन ट्रेडिंग के उदाहरण से ही समझते है। निफ़्टी ५० (Nifty 50 kya hai) एक इंडेक्स है जिसके बढ़ते और घटती वैल्यू से आप डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग कर मुनाफा कमा सकते है।
अब मान लेते है कि निफ़्टी 50 अपट्रेंड में है और आप कॉल ऑप्शन खरीदना चाहते है जिसके लिए आपने ATM कॉल ऑप्शन को चुना।
ATM कॉल ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस 17000 है और प्रीमियम 70 रुपये। अब ऑप्शन में डेल्टा ग्रीक होता है जो आपको प्रीमियम कितनी तेज़ी से बदलेगा उसकी जानकारी देता है। ATM कॉल ऑप्शन का डेल्टा 0.5 के आस पास होता है और जैसे ही बुलिश मार्केट में ATM स्ट्राइक प्राइस ITM की ओर बढ़ता है डेल्टा की वैल्यू बढ़ती है।
मान लेते है की निफ़्टी 50 जो 17000 पर ट्रेड कर रहा था अभी वह 17090 पर है तो कुल वैल्यू 90 बढ़ी। डेल्टा 0.5 (निफ़्टी की 1 यूनिट वैल्यू बढ़ने पर प्रीमियम 0.5 के अनुसार बढ़ेगा) तो प्रीमियम जो आपने 70 रुपये देकर प्रीमियम लिया था उसकी वैल्यू अब [(90*0.5)+90] 94.5 हो गया।
निफ़्टी के एक लॉट में 75 यूनिट होती है यानी की कुल मुनाफा (4.5*75) 337.5 होगा।
अब जितना ऊपर निफ़्टी बढ़ेगा आपका मुनाफा भी उतनी तेज़ी से बढ़ता रहेगा।
इस तरह से आप ऑप्शन में इंट्राडे ट्रेडिंग कर मुनाफा कमा सकते है और सही स्ट्रेटेजी के लिए कुछ सर्वश्रेष्ठ इंट्राडे ट्रेडिंग इंडिकेटर (best indicator for intraday trading in hindi) का इस्तेमाल कर सकते है।
ऑप्शन डेरिवेटिव का एक भाग है, इसका मतलब है कि ऑप्शन की कीमत उसके अंडरलाईग ऐसेट(Underlying Asset) मूल्य से निर्धारित होती है। इसलिए ऑप्शन उसके स्पॉट की कीमत पर निर्भर करती है। लेकिन अगर आप ऑप्शन से जल्द मुनाफा कमाना चाहते है तो उसके लिए आप ऑप्शन में इंट्राडे ट्रेडिंग भी कर सकते है। लेकिन हर एक ट्रेड में नुकसान से बचने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग के नियम को ज़रूर जाने और उसके अनुसार ही ट्रेड पोजीशन ले।
कहते है न कि हम कुछ भी सीखने की शुरुआत करे, उसके लिए हमें उसके बुनियादी ज्ञान का होना अति आवश्यक है इस लिए हमने आपको Option Example in Hindi आर्टिकल मैं ऑप्शन की बुनियादी बाते समझाने की कोशिश की है जिससे आप जल्द मुनाफा कमा
ऑप्शन ट्रेडिंग या शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए यदि आप एक सही स्टॉकब्रोकर ढूंढ रहे है तो हमे संपर्क करे और हम आपको एक सही ब्रोकर और उसके साथ अकाउंट खोलने में मदद करेंगे:
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]]>ऑप्शंस ट्रेडिंग आपको स्टॉक ट्रेडिंग के मुकाबले थोड़ी जटिल लग सकती है लेकिन अगर सही तरह से समझा जाए तो ऑप्शंस सबसे अच्छा तरीका है ट्रेडिग़ करने का। साथ ही अगर आप जानना चाहते है कि Nifty 50 me invest kaise kare तो उसके लिए भी ऑप्शन ट्रेडिंग की जानकारी होनी चाहिए।
एक तरफ अगर स्टॉक ट्रेडिंग देखी जाए जब आप कोई स्टॉक खरीदते हैं, तो आप केवल यह तय करते हैं कि आपको कितने शेयर चाहिए, और आपका ब्रोकर मौजूदा बाजार मूल्य या आपके द्वारा निर्धारित सीमा मूल्य पर ऑर्डर भरता है। लेकिन ऑप्शंस ट्रेडिंग के लिए ज़रूरी होती है सिर्फ एक सही ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (option trading strategies in hindi) की समझ।
तो अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग की बारीकियों को समझना चाहते है तो यहाँ आपके लिए नीचे दिए गए पाँच चरण किसी वरदान से कम नही होंगे क्योकि इसमें आपको पूरा रोड्मैप समझाया जायेगा कि ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं।
स्टॉक मार्केट में किसी भी तरह के लिए ज़रूरी होता है एक ट्रेडिंग अकाउंट का होना, जिसके लिए एक सही स्टॉकब्रोकर का चयन करना काफी आवश्यक होता है।
यहाँ पर अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए ही ट्रेडिंग अकाउंट खोलना चाहते है तो ज़रूरी है कि ऐसे स्टॉकब्रोकर को चुने जो एक अच्छी एप के साथ स्टॉक के विश्लेषण के लिए एक एडवांस ऑप्शन चैन भी प्रदान करें। साथ ही कुछ ऐसे स्टॉकब्रोकर्स है जो आपको ऑप्शन ट्रेडिंग बेसिक्स (option trading basics in hindi) को समझाने के लिए अलग-अलग माध्यम प्रदान करता है
अकाउंट खोलने के बाद सबसे ज़रूरी होता है सही राशि के साथ शुरुआत करना। एक शुरूआती ट्रेडर हमेशा ये जानना चाहता है कि शेयर मार्केट में कितना पैसा लगा सकते है? खैर ये पूरी तरह से आपके जोखिम और लक्ष्य पर निर्भर करता है लेकिन अगर हम ऑप्शन की बात करें तो आपको एक अच्छी धन राशि के साथ ट्रेड करने की शुरुआत करनी चाहिए।
इसके साथ नीचे दिए गए चरणों का पालन कर आप ऑप्शन ट्रेडिंग के सफर को शुरू करें।
इससे पहले कि आप ऑप्शंस ट्रेडिंग शुरू करे, आपको एक डीमैट खाता और ट्रेडिंग खाता खोलना होगा। क्योंकि जैसे बैंक से पैसे निकालने या जमा करने के लिए हमें बैंक में खाता खुलवाना होता है, वैसे ही अगर आप स्टॉक मार्केट में ट्रेंडिग करना चाहते है तो आपको किसी ब्रोकर के पास ट्रेडिंग खाता खोलना होगा।
इस समय भारत में बहुत सारे स्टॉक ब्रोकर मौजूद और आपको ये चुनने में दिक्कत आ सकती है कि आपके लिए सबसे सही कौन–सा है। तो इस बात को समझते हुये यहाँ कुछ ख़ास बातों का जिक्र किया गया है जिसकी मदद से आप आसानी से अपने लिए सही स्टॉक ब्रोकर का चुनाव कर सकते है।
हमें अगर कुछ भी सीखना हो तो सबसे पहले हमें उसके बेसिक्स को समझना होता है जैसे अगर इंग्लिश पढ्ना सीखना चाहते है तो सबसे पहले हमें अल्फावेट(A – Z ) फिर इंग्लिश के नियम, तब जाकर हम एक भाषा सीख पाते है ठीक इसी प्रकार अगर आप ऑप्शन ट्रेडिग सीखना चाहते है तो सबसे पहले आपको ऑप्शन के बेसिक्स को समझना होगा।
ऑप्शन के बेसिक्स में बहुत सारे टॉपिक शामिल है जैसे – ऑप्शन क्या होते है, ऑप्शन कितने तरह के होते है, ऑप्शन कैसे काम करते है और भी बहुत कुछ।
एक बात हमेशा याद रखना कि बिना ऑप्शन के बेसिक्स को समझे आप ऑप्शन ट्रेडर नही बन सकते है क्योंकि ऑप्शन बेसिक्स हमारे नींव की तरह काम करेंगा।
और जिस तरह से बिलिडिंग की मजबूत नींव उस पूरी बिलिडिंग को मजबूत बनती है ठीक उसी तरह ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स और नियमो का पालन कर उसके बेसिक्स से अवगत रहकर आप एक सफल ऑप्शन ट्रेडर बन सकते है।
आपको कब क्या ऑप्शन खरीदना है या बेचना है ये समझने से पहले आपको ऑप्शन खरीददार और ऑप्शन सेलर के बारे में जानना होगा।
आपने जो भी ऑप्शन ट्रेडिग के केपिटल रखा है उस हिसाब से आप देख सकते है कि आप ऑप्शन खरीददार बनना चाहते है या ऑप्शन सैलर।
अब बात करते है ऑप्शन के प्रकार, कॉल और पुट ऑप्शन (call and put option in hindi) की:
कॉल ऑप्शन :- एक कॉल ऑप्शन एक अनुबंध है जो आपको एक निश्चित समय अवधि के भीतर एक पूर्व निर्धारित मूल्य पर स्टॉक खरीदने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं।
पुट ऑप्शन :- एक पुट ऑप्शन आपको अनुबंध समाप्त होने से पहले एक निश्चित कीमत पर शेयर बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं।
अभी हम ये देखते है कि आप किस दिशा में क्या ऑप्शन खरीदेंगे या बेचेंगे।
किसी भी स्टॉक या इंडेक्स की स्ट्राइक प्राइस (strike price in hindi) वह प्राइस होता है जिसपर फ्यूचर में ट्रेड करना चाहते है। ये वैल्यू एक्स्चेंज द्वारा तय की जाती है। ऑप्शन में ट्रेडिंग करते समय हमें बहुत सावधानी के साथ स्ट्राइक प्राइस का चयन करना होता है।
इसके लिए आप ऑप्शन में मोनीनेस की जानकारी ले सकते है जो आपको इन्ट्रिंसिक वैल्यू और स्ट्राइक प्राइस से जुड़े प्रीमियम और रिटर्न की गणना करने में मदद करता है।
इसके लिए ऑप्शन ट्रेडिंग उदाहरण (option trading example in hindi) लेते है, यदि आप मानते हैं कि किसी कंपनी का शेयर मूल्य वर्तमान में ₹1000 पर ट्रेड कर रहा है, और भविष्य की किसी तारीख तक ₹1050 तक बढ़ जाएगा, आप ₹1050 से कम स्ट्राइक मूल्य के साथ एक कॉल ऑप्शन खरीद सकते है।
फिर जैसे – जैसे कंपनी का शेयर मूल्य ₹1050 के नजदीक जाता जाएगा, आपका लाभ बढ़ता जायेगा। इसी तरह अगर कंपनी का शेयर मूल्य उस भविष्य की तारीख तक ₹1000 से जैसे –जैसे कम होगा, आपका मुनफा कम होता चला जायेगा लेकिन ऑप्शन खरीदते हुएआपका अधिकतम नुकसान आपने जो प्रीमियम दिया है सिर्फ वही होगा।
इसी तरह, अगर आपको लगता है कि किसी कंपनी का शेयर मूल्य वर्तमान में ₹500 पर ट्रेड कर रहा है, और भविष्य की किसी तारीख तक ₹450 तक घट जाएगा, तब आप ₹450 से कम स्ट्राइक मूल्य के साथ एक पुट ऑप्शन खरीद सकते है।
फिर जैसे – जैसे कंपनी का शेयर मूल्य ₹450 के नजदीक जाता जायेगा, आपका लाभ बढ़ता जायेगा। और इसी तरह अगर कंपनी का शेयर मूल्य उस भविष्य की तारीख तक ₹500 से जैसे –जैसे बढेगा, आपका मुनाफा कम होता चला जायेगा। इस में भी ऑप्शन खरीदते हुये आपका अधिकतम नुकसान आपका प्रिमियम है।
इसके साथ स्ट्राइक प्राइस का चयन करने के लिए आपको और भी पैरामीटर देखने होते है जैसे की- ओपन इंटरेस्ट, इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी (IV in option chain in Hindi), और ऑप्शन ग्रीक।
सब चीज़ो की भरपूर जानकारी होने पर आप सही स्ट्रेटेजी के साथ ऑप्शन में ट्रेड कर सकते है।
ऑप्शन में सबसे अहम रोल एक्सपायरी का होता है लेकिन यहाँ सबसे पहले हम ये समझते है कि शेयर मार्केट में एक्सपायरी होती क्या है (what is expiry in share market in hindi)।
ऑप्शन एक्सपायरी एक तिथि होती है जहां पर ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट (प्रीमियम) एक भविष्य की तारिख पर शून्य हो जाते है। ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट के लिए तीन विभिन्न एक्सपायरी होती है :
अगर आप इंडेक्स में ऑप्शन ट्रेड कर रहे है तो वहां पर आपको weekly expiry का विकल्प भी दिया जाता है।
प्रत्येक ऑप्शन की समाप्ति अवधि होती है जो इंगित करती है कि आप उस भविष्य तारीक के अंतिम दिन तक उस ट्रेड में बने रह सकते है।
उदाहरण के लिए, अभी निफ्टी 17000 पर ट्रेड कर रहा है और आप निफ्टी में ट्रेड करना चाहते है तो आप साप्ताहिक एक्सपायरी (साप्ताहिक एक्सपायरी सिर्फ इंडेक्स के लिए होती है स्टोक्स के लिए नही) या महीने की एक्सपायरी को लेकर ट्रेड कर सकते है।
अब मान लेते है कि आपको लगता है निफ्टी इस महीने के अंत तक 17500 तक या उससे ज्यादा तक पहुंच जायेगा, तब 17500 कॉल ऑप्शन महीने की जो आखिरी एक्सपायरी है उस पर खरीदते है।
समाप्ति तिथियां साप्ताहिक से लेकर महीनों तक हो सकती हैं। लेकिन साप्ताहिक ऑप्शन सबसे अधिक जोखिम वाले होते हैं और अनुभवी ऑप्शन ट्रेडर्स ज्यादातर इन्ही में ट्रेड करते हैं।
लंबी अवधि के ट्रेडर्स के लिए, मासिक तिथियां बेहतर होती हैं। लंबी एक्सपायरी स्टॉक को आगे बढ़ने के लिए अधिक समय देती है जो एक ऑप्शन खरीदार को मुनाफा कमाने का अवसर प्रदान करती है।
लेकिन यहाँ पर प्रीमियम को समझना भी ज़रूरी हो जाता है, जानना चाहते है की क्यों?
क्योंकि ऑप्शन की समाप्ति अवधि जितनी लंबी होगी, ऑप्शन उतना ही महंगा होगा यानी की आपको उतना ज़्यादा प्रीमियम ऑप्शन खरीदने के लिए देना होगा।
एक लंबी समाप्ति भी उपयोगी है क्योंकि ऑप्शन समय मूल्य को बनाए रख सकता है, भले ही स्टॉक स्ट्राइक मूल्य से नीचे ट्रेड करता हो। एक ऑप्शन का समय मूल्य समाप्ति के दृष्टिकोण के रूप में कम हो जाता है, और ऑप्शन खरीदार अपने खरीदे गए ऑप्शन को मूल्य में गिरावट नहीं देखना चाहते हैं।
ऑप्शन की एक्सपायरी जितनी दूर होगी उतनी ही धीरे–धीरे ऑप्शन कम होगा और आपके टारगेट तक पहुंचने के लिए आपको ज्यादा समय मिल जायेगा। वो कहते है न कि Time is Money तो यहाँ पर वो बात बहुत अच्छे से लागू होती है।
अगर मार्केट की स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं होता है तो हर एक समय आपके ऑप्शन प्रीमियम की वैल्यू घटती रहती है।
अब ऐसे में एक ऑप्शन बायर जिसने मार्केट में लॉन्ग पोजीशन ली होती है उसे नुकसान होता है तो दूसरी तरफ ऑप्शन राइटर जिसने प्रीमियम लेकर ऑप्शन सेल किया होता है उसका मुनाफा, क्योंकि इससे ये अंदेशा लगाया जाता है कि मार्केट in the money expire होगी।
बहुत से ट्रेडर इससे ज्ञात नहीं होते कि वह ऑप्शंस में भी इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकते है। जी हां! आप सुबह ऑप्शन को बाय या सेल कर इंट्राडे ट्रेडिंग टाइम ख़त्म होने से पहले अपनी पोजीशन को कवर कर ट्रेड से बाहर निकल सकते है।
अब कैसे ऑप्शन में इंट्राडे ट्रेडिंग करनी चाहिए उसके लिए आपको सही ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करना होता है, जैसे कि इंट्राडे ट्रेडिग करते है तो सिर्फ आपको सबसे नजदीकी एक्सपायरी के ऑप्शन में ट्रेड करना चाहिए, क्योंकि उसका प्रीमियम कम होता है और इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी और अन्य पैरामीटर का ज़्यादा असर होता है, जिससे आप एक सही ट्रेड कर सकते है।
लेकिन हां इसमें जोखिम भी बहुत होते है और इसलिए बहुत सोच समझ और सही एनालिसिस कर मार्केट में ट्रेड करना चाहिए।
ऑप्शन में इंट्राडे कैसे करें उसको समझने के लिए एक उदाहरण लेते है:
मान लेते है कि निफ़्टी 17000 पर ट्रेड कर रहा है और आज की एनालिसिस के अनुसार आपको बुलिश ट्रेंड का संकेत मिलता है। अब ऐसे में या तो आप कॉल ऑप्शन खरीदेंगे या पुट ऑप्शन बेचेंगे।
मान लेते है कि आपने कॉल ऑप्शन खरीदने का निर्णय लिया लेकिन अब आपके सामने सबसे बड़ी चुनौती आती है सही स्ट्राइक प्राइस को चुनने की। तो यहाँ पर शुरूआती ट्रेडर के लिए एक टिप है कि ऑप्शन में इंट्राडे करने के लिए आउट-ऑफ़-द-मनी वाले ऑप्शन बेहतर होते है क्योंकि उसमे प्रीमियम कम होता है।
तो एक चरण तो सुलझ गया, अब दूसरा की OTM में कौनसा स्ट्राइक प्राइस चुनना चाहिए, तो उसके लिए आपको ओपन इंटरेस्ट का देता एनालाइज करना चाहिए। ज़्यादातर वह स्ट्राइक प्राइस पर ऑप्शन खरीदना बेहतर और फायदेमंद होता है जहाँ Open Interest की वैल्यू बढ़ी हो और उसके साथ उस स्ट्राइक प्राइस के प्रीमियम वैल्यू भी।
इससे ये संकेत मिलता है कि उस स्ट्राइक प्राइस पर ज़्यादा बायर है जिससे आप कम जोखिम वाली पोजीशन ले फायदा कमा सकते है।
इसके अलावा आप एटीएम कॉल ऑप्शन भी ले सकते है क्योंकि इसका मार्केट अगर आपके अनुसार बुलिश रही तो इसमें प्रीमियम तेज़ी से बदलता है आपका मुनाफा कमाने के अवसर को बढ़ाता है।
ये सब समझने के साथ आपको ऑप्शन स्ट्रेटेजी को समझना चाहिए कि किस मार्केट कंडीशन में कौन–सी स्ट्राटेजी से ज्यादा लाभ होगा।
निष्कर्ष
ऑप्शन ट्रेडिंग आपको एक अच्छा मुनाफा कमाने का मौका देता है लेकिन ज़रुरत है उसे सही तरह से करने की। इसके लिए आप ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स का इस्तेमाल कर सकते है और शेयर मार्केट ट्रेडिंग कर ज़्यादा मुनाफा कमा सकते है।
मुनाफा कमाने के लिए आप ऑप्शन ट्रेडिंग के नियम (option trading rules in hindi) उससे जुड़े टिप्स का पालन करे और स्टॉक मार्केट में ट्रेड कर मुनाफा बढ़ाए।
ऑप्शन ट्रेडिंग या शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए यदि आप एक सही स्टॉकब्रोकर ढूंढ रहे है तो हमे संपर्क करे और हम आपको एक सही ब्रोकर और उसके साथ अकाउंट खोलने में मदद करेंगे:
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]]>ऑप्शन ट्रेडिंग में सफलता प्राप्त करने के लिए चाहिए ऑप्शन ट्रेडिंग बेसिक्स (option trading basics in hindi), इस्तेमाल होने वाली स्ट्रेटेजी और ट्रेडिंग के नियमों की जानकारी होनी चाहिए।
अब बहुत से ट्रेडर्स इस असमंजस में रहते है कि ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं और इसकी जटिलताओं को देखते हुए शुरुआत में ही डर जाते है, लेकिन अगर ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स का सही से इस्तेमाल किया जाए तो ये आपके मुनाफे को कई गुना तक बढ़ा सकता है।
स्टॉक मार्केट में निवेश करना हो या ट्रेड, ज़रूरी है सही उद्देश्य के साथ प्रवेश करना। अब अगर आप ऑप्शन में ट्रेडिंग करना चाह रहे है तो यहाँ पर ये समझना काफी ज़रूरी हो जाता है कि हम अपने ट्रेडिंग की ज़रुरत और उद्देश्य को समझे।
अब ऑप्शन ट्रेडिंग के मीनिंग (option trading in hindi) को समझे तो इसमें बायर मार्केट में पोजीशन लेने के लिए प्रीमियम अमाउंट देता है। अब अगर मार्केट बायर के अनुसार एक्सपायर होती है तो उन्हें मुनाफा होता है लेकिन इसके विपरीत उनको पूरे प्रीमियम का नुकसान होता है।
ऐसे में बहुत ज़रूरी है कि आप मार्केट में प्रवेश करने से पहले अपने लक्ष्य और जोखिमों का सही से आंकलन करें।
जैसे की आप ऑप्शन ट्रेडिंग बुलिश या बेयरिश मार्केट से मुनाफा कमाने के लिए कर रहे है या आप अपनी ट्रेडिंग पोजीशन को हेज करने के लिए ऑप्शंस में ट्रेड कर रहे है।
एक तरफ जहाँ ऑप्शन ट्रेडिंग सेलर को प्रीमियम से पैसा कमाने का अवसर लेकर आता है वही दूसरी तरफ बायर को अपनी पोजीशन को हेज करने का विकल्प प्रदान करता है जिससे वह अपने ट्रेडिंग रिस्क को कम कर सके।
तो एक तरह से बायर और सेलर के लिए ऑप्शन अलग-अलग तरह से काम करता है और इसलिए अपने उद्देश्य को निर्धारित कर उसमे ट्रेड करना काफी आवश्यक हो जाता है।
अगर आप ऑप्शन में इंट्राडे ट्रेडिंग (option intraday trading hindi) करना चाह रहे है तो उसके लिए मार्केट की वोलैटिलिटी और रिस्क को जाने क्योंकि ये दोनों ही ट्रेड में जोखिम कई गुना होता है
मानो या न मानो, ऑप्शन ट्रेडिंग आपको कम जोखिम के साथ ज्यादा मुनाफा करने की अनुमति देता है, जिसका अर्थ है कि आप ऐसे ट्रेड कर सकते हैं जहां स्टॉक ट्रेडिंग करने पर आपके लाभदायक होने की संभावना 50% हो वही ऑप्शन में आपके जोखिम को कम कर स्टॉक की तुलना में ऑप्शन को अधिक लाभप्रद बना सकते हैं।
यहाँ पर ऑप्शन ट्रेडिग टिप्स का पालन करते हुए अगर ऑप्शन ट्रेडिंग के सही प्रकार (call and put option in hindi), सही स्ट्रेंजी और रिस्क को मैंनेज कर ट्रेड करते है तो बुलिश, बेयरिश या स्थिर मार्केट में भी आप मुनाफा कमा सकते है।
लेकिन फिर भी एक सही ट्रेड के लिए आपको अपने जोखिम लेने की क्षमता और उसके साथ रिटर्न रेश्यो की जानकारी होना ज़रूरी है। उदाहरण के लिए अगर आप एक अग्ग्रेसिव ट्रेडर है और ऑप्शन राइटिंग या ज़्यादा मात्रा में बाय करना चाहते है तो deep OTM आपके लिए फायदेमंद हो सकता है।
आप जो भी ऑप्शन स्ट्रेटेजी (option trading strategies in hindi) चुने, वह पर ध्यान दे कि आप सब बातो का आंकलन कर ही उसमे ट्रेड करें।
वॉरेन बफेट का मानना है कि “जब लोग डरे हो तब आप लालची बन जाओ, और जब लोग लालची हो तब आप डर कर रहे।” सबसे लाभदायक ट्रेड ढूंढने की लिए इस कहावत का उपयोग किया जा सकता है। ऐसे समय होते हैं जब स्टॉक के लिए दृष्टिकोण बेहद निराशाजनक होता है और ऑप्शन ट्रेडर्स के लिए बड़ा मुनाफा करने का अवसर होता है।
आपने कोविड के समय देखा होगा कि जब मार्केट बहुत बुरी तरह क्रैश हुआ था और सभी लोग डरे हुए थे, तब दूसरी तरफ कुछ ऐसे ऑप्शन ट्रेडर्स भी थे जिन्होने उसी दौरान इतना पैसा कमा लिया जितना कि उन्होने पूरे साल में मुनाफा नही किया होगा। और जब मार्केट अपने बॉटम पर था सभी लोग अपने होल्डिग्स डर की वजह से बेच रहे है और दूसरी तरफ कुछ लोग भारी खरीददारी कर रहे थे। और फिर अभी आप देख ही सकते है मार्केट अभी कहा है।
इसलिए जब लोग डरे हो वही मौका है कुछ बड़ा करने का।
हम सभी ने देखा है कि समाचार रिपोर्टों, बाजार के शोर आदि पर शेयरों में उछाल और गिरावट आता है – इस तरह की घटनाओं के दौरान ऑप्शन का उपयोग करने में सक्षम होने से आकर्षक लाभ की अपेक्षा की जा सकती हैं जहां लालच और भय जानकार ट्रेडर्स को अवसर को पहचानने की जरुरत हैं। बाजार की अस्थिरता का लाभ उठाने के लिए तैयार रहना एक ऐसी संपत्ति है जिसका उपयोग एक अनुभवी ट्रेडर जानता है।
आप हमेशा लाभ के पक्ष में नहीं होंगे, लेकिन यदि आप लगातार सही अवसरों की तलाश करते हैं तो आपको सफल ऑप्शन ट्रेडर बनने से कोई नही रोक सकता है। और ट्रेडिंग एक लंबा गेम है इसलिए अपना ध्यान “गेमलिंग” से हटाकर एक सफल ट्रेडर बनने पर लगाए।
इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी जो ऑप्शन की वोलैटिलिटी को जानने में मदद करता है, आपको उसकी पूरी जानकारी रख ऑप्शन ट्रेड में कदम रखना चाहिए। इसके लिए आप स्टॉक की इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी (IV in option chain in Hindi) की हिस्टोरिकल वोलैटिलिटी के साथ तुलना कर सकते है।
इसके सही विश्लेषण से आप जान सकते है कि आगे चलकर स्टॉक या इंडेक्स में क्या ट्रेंड देखा जा सकता है। ज़्यादा इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी से प्रीमियम काफी तेज़ी से बढ़ता है जिससे आप सही समय में ऑप्शन सेल कर कई गुना मुनाफा कमा सकते है।
दूसरी तरफ कम इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी से आप काफी कम प्रीमियम के साथ ऑप्शन को खरीद सकते है जिससे एक बायर ऑप्शन ट्रेडिंग से मुनाफा कमा सकता है।
अगली ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स है जिसमे एक ट्रेडर को हमेशा मार्केट या स्टॉक में होने वाले आयोजन से वाकिफ रहना काफी आवश्यक होता है क्योंकि ये ऑप्शन मार्केट को कई तरह से प्रभाव करते है।
अब यहाँ पर मार्केट लेवल के आयोजन का मतलब इकॉनमी, इलेक्शन या दूसरे ग्लोबल इशू से जुड़ा हो सकता है दूसरी तरफ स्टॉक इवेंट किसी भी कंपनी की वार्षिक या तिमाही रिपोर्ट, कोई नए प्रोडक्ट का मार्केट में आना आदि हो सकता है।
अब ऐसे में ऑप्शन मार्केट में इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी और स्टॉक प्राइस पर काफी प्रभाव पड़ता है जिसका लाभ ट्रेडर उठा सकते है।
ऊपर दी गई सभी ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स एक ही तरह इशारा करती है कि एक ऑप्शन खरीददार सिर्फ़ तभी पैसा बना सकता है जब मार्केट में तेज मोमेंटम हो, चाहे वह ऊपर की तरफ हो या नीचे की तरफ्। वही ऑप्शन बैचने बाला तब भी पैसा कमायेगा जब मार्केट कही नही जा रहा होगा।
तो अगर आप ऑप्शन सैलर है तभी टिप -5 को फोलो करे और अगर आप ऑप्शन खरीददार है तो आप अब तक समझ ही गए होंगे कि समय आपका सबसे बड़ा दुश्मन है। तो कैसे लगे आपको 5 ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स हमें जरुर बताएं।
ऑप्शन ट्रेडिंग या शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए यदि आप एक सही स्टॉकब्रोकर ढूंढ रहे है तो हमे संपर्क करे और हम आपको एक सही ब्रोकर और उसके साथ अकाउंट खोलने में मदद करेंगे:
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]]>ऑप्शन ट्रेडिंग में सफलता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है कि नए ऑप्शन ट्रेडर – और यहां तक कि अधिक अनुभव वाले भी – ऑप्शन ट्रेडिंग की कम समझी जाने वाली वास्तविकताओं को समझें।
तो सबसे ज़रूरी है कि ट्रेड शुरू करने से पहले आप ऑप्शन ट्रेडिंग के मीनिंग (option trading in hindi) को समझे, इसके अलावा सफल ऑप्शन ट्रेडर अविश्वसनीय रूप से अनुशासित होते हैं।
वे उस नियम का पालन करते हैं जिसे मैं Option Trading Rules कहते है: नए ऑप्शन ट्रेडर पैसा बनाने के तरीकों के बारे में सोचते हैं। अनुभवी ट्रेडर पैसे न खोने के तरीकों के बारे में सोचते हैं, तो सही नियमो के पालन के साथ ऑप्शन ट्रेडिंग के बेसिक्स (option trading basics in hindi) की जानकारी होना काफी ज़रूरी है।
एक ऑप्शन ट्रेडर के लिए ज़रूरी है कि वह कॉल और पुट ऑप्शन के मतलब (call and put option in hindi), उनका उपयोग और किसी भी स्टॉक या इंडेक्स में ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं उसकी पूरी प्रक्रिया को समझे लेकिन उसके साथ ज़रुरत है ट्रेड कर सही लाभ कमाने की जिसके लिए ऑप्शन ट्रेडिंग के नियमों का पालन करना काफी ज़रूरी हो जाता है।
नीचे दिए गले नियमो को समझे और ऑप्शन ट्रेडिंग करते हुए इनका सही से पालन करें।
सबसे पहला ऑप्शन ट्रेडिंग नियम में पोजीशन सिज़िंग को समझें। आपको यह समझना जरूरी है कि कितने पैसों से ट्रेड किया जाए क्योंकि जो नए ट्रेडर शेयर बाजार में आते हैं वह ऑप्शन को स्टॉक की तरह ट्रीट करते हैं जिसकी वजह से उन्हें नुकसान उठाना पड़ता है।
अगर आपको लगता है कि कोई स्टॉक ऊपर जाने वाला है तब आप उसे एक्टिविटी में ना करके खरीदकर उसका कॉल ऑप्शन खरीद लेते हैं फिर अगर वो स्टॉक ऊपर भी चला जाता है लेकिन धीरे-धीरे तब भी आप मार्केट से पैसा नहीं बना सकते।
क्योंकि ऑप्शन ट्रेडिंग में टाइम आपका सबसे बड़ा दुश्मन है, ऑप्शन खरीदते समय आप तभी पैसा बना सकते हैं जब वह कम समय में आपकी डायरेक्शन में चला जाए। इसलिए सबसे अच्छा तरीका है कि आप अपनी पोजीशन साइजिंग को कम रखें यानी जितना नुकसान आप ले सकते हैं उसी पोजीशन साइजिंग में ट्रेड करे।
अगर आप ज्यादा पैसो के साथ ऑप्शन ट्रेडिंग की शुरुआत करते है तो इसका मतलब है कि आप कुछ ही महीनों में पूरी पूंजी को उड़ा देंगे और दुख की बात यह है कि 6 महीने के भीतर ज्यादातर ऑप्शन ट्रेडर अपने पैसे को गंवा देते हैं। इसलिए, यह जानना महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक ट्रेड में क्या पोजीशन साइजिंग होनी चाहिए।
पोजीशन साइजिंग निर्धारित करने से पहले, एक ट्रेडर को पहले एक जो वो ट्रेड लेने बाला है उसका स्टोप लोस (stop loss meaning in hindi) क्या होगा और कहां पर अपनी ट्रेड निकालनी है तब वह अपने रिस्क के अनुसार पोजीशन साइजिंग करे। एक ट्रेडर के लिए, स्टॉप लेवल उन्हें जोखिम का निर्धारण करने में मदद करता है; आपके कैपिटल के आकार के आधार पर, आपको एक ट्रेड में 1% से 3% से ज्यादा जोखिम नही उठाना चाहिए।
एक और सामान्य गलती उन इंवेट्स पर ट्रेड करना है जहां परिणाम अज्ञात हैं, जो जुए के बहुत करीब है। याद रखें कि अधिकांश लोग कसीनो में हार जाते हैं क्योंकि वे जुआ खेलने और मौज-मस्ती करने के इरादे से प्रवेश करते हैं।
यदि आप अपनी ट्रेडिगं को एक व्यवसाय की तरह मानते हैं, तो आप कभी भी ऐसे ट्रेड में प्रवेश नहीं करना चाहेंगे जो जुआ की ओर ले जाए। इसलिए, मॉनिटरी पॉलिसी (Monetary policies), आने बाले स्टोक्सके परिणाम (Upcoming Stock Results), फिसकल पॉलिसी (Fiscal policies) आदि जैसे इंवेट्स के दिनों से बचना आम तौर पर एक अच्छा विचार है। इन इंवेट्स में, भले ही आपकी भविष्यवाणियां सही हों, फिर भी आप अस्थिरता (Volatility) से हार सकते हैं।
अगला ऑप्शन ट्रेडिंग के नियम है सही स्टॉक का चयन। अक्सर नए निवेशक सुने हुए ट्रेडिंग यानी ऐसे शेयरों में ट्रेड करने लगते हैं जो खबरों में रहते हैं। आम तौर पर, जैसा कि न्यूज़ चैनल पर बताया जाता है या उस स्टोक पर कोई बड़ी न्यूज़ है जो सकारात्मक भी सकती है और नकारात्मक भी हो सकती है।
अगर आप ऐसे स्टोक्स में ट्रेड करेंगे तो आपने जो ऑप्शन खरीदते समय प्रीमियम दिया उसकी वैल्यू बहुत तेजी से कम होने लगेगी क्योकि वो स्टोक न्यूज़ में है इस वजह से उसमें Volatility ज्यादा होगी। तो इस लिए ऐसे स्टोक्स से में ट्रेड न करे।
जब भी हम किसी भी स्टोक या इंडेक्स में ट्रेड करते है तब हमें पहले यह सुनिश्चित करना होता है कि हम किस एक्स्पायरी को चुन रहे है। आपको सबसे पहले ये पता होना चाहिए की आप ऑप्शन में इंट्राडे ट्रेड (option intraday trading hindi) करने वाले है या पोसिशनल ट्रेडिंग।
क्योकि जब भी आप ऑप्शन खरीदते है तो जैसे – जैसे वह ऑप्शन अपनी एक्स्पायरी के नजदीक जाता है उसकी वैल्यू थीटा डिके (Thetha Decay) के कारण कम होने लगती है और ऑप्शन जितना एक्स्पायरी के नजदीक होगा उतनी ज्यादा तेजी से ऑप्शन की कीमत कम होने लगेगी। इसलिए जब भी आप ऑप्शन खरीदे एक्स्पायरी से दूर का ऑप्शन खरीदे।
इससे थीटा डिके (Thetha Decay) धीरे–धीरे होगा और आपको ऑप्शन ट्रेडिंग में ज्यादा जोखिम नही उठाना पड़ेगा।
और ऑप्शन ट्रेड्स बेहद कम अवधि के होने चाहिए इसलिए ब्रेकआउट/ब्रेकडाउन जोन में भाग लेना और ट्रेड से जल्दी बाहर निकलने चाहिए जिससे हमें ज्यादा थीटा डिके (Thetha Decay) का सामना न करना पड़े।
एक साथ कई ट्रेडों को मैनेज करना एक मुश्किल काम है, इसलिए ट्रेड लेने से पहले हमेशा खुद से पूछें कि क्या कोई ओपन ट्रेड है जिसे बदला जा सकता है? यदि हाँ, तो सबसे पहले उसे बदलने की कोशिश करे।
एक स्मार्ट ट्रेडर क साथ 2–3 ट्रेड से ज्यादा नही रखता क्योकि उन्हे मैंनेज करने में दिक्कत होती है और कभी–कभी सही से मैंनेज न करने की वजह से हमें भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
अब 2-3 ट्रेड ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज (option trading strategies in hindi) का उपयोग करके भी की जाती है, जिसके लिए सही निर्णय, स्ट्राइक प्राइस , और जोखिम का विश्लेषण कर ही मल्टी-ट्रेड पोजीशन लेनी चाहिए।
ऑप्शन ज्यादा जोखिम भरे होते हैं, और ट्रेडर्स के लिए यह पहचानना महत्वपूर्ण है कि किसी भी समय उनके पास कितना जोखिम है। एक ट्रेड का अधिकतम नकारात्मक पहलू क्या है? अपनी ट्रेड पोजीशन साइजिंग को जाने? आप कितनी पूंजी ट्रेड के लिए आवंटित कर रहे है? ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं जो ट्रेडर्स को हमेशा अपने मन में रखना चाहिए।
एक ऑप्शन ट्रेडर को भी एक धन प्रबंधक होना चाहिए। उन्हें अपनी पूंजी का बुद्धिमानी से उपयोग करने की आवश्यकता है। उदाहरण के लिए, अपनी पूंजी का 90% एक ही ट्रेड में लगा देना बुद्धिमानी नहीं होगी। आप जो भी ऑप्शन ट्रेडिंग रणनीति (option trading strategy in hindi) अपनाएं, जोखिम प्रबंधन और धन प्रबंधन को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।
ऑप्शन ट्रेडिंग के नियम में सफल होने के लिए सबसे महत्वपूर्ण नियम है अनुशासन। ऑप्शन ट्रेडर्स को अनुशासित होना चाहिए। ट्रेड लेने से पहले अच्छे से अनलिसिस करना, अवसरों की पहचान करना, सही ट्रेड में एंट्री करना, रणनीति बनाना और उस पर टिके रहना, लक्ष्य निर्धारित करना और बाहर निकलने की रणनीति बनाना सभी अनुशासन का हिस्सा हैं।
अनुशासन से भटकने का एक सरल उदाहरण झुंड का अनुसरण करना है। अपनी खुद की रिसर्च किए बिना कभी भी किसी राय पर भरोसा न करें। आप अपनी खुद की रिसर्च करते नही और फिर मार्केट को दोष देते हैं। इसके बजाय, आपको एक स्वतंत्र ट्रेडिंग रणनीति तैयार करनी चाहिए जो एक सफल ऑप्शन ट्रेडर बनने में आपकी मदद करे।
सबसे सफल ऑप्शन ट्रेडर अपने ट्रेडों का रिकॉर्ड रखते हैं। कि कव किया ट्रेड लिया, कितना नुकसान हुआ, कितना लाभ हुआ, ट्रेड क्यो किया, इस ट्रेड में अधिक जोकिम कितना था, क्या गलती की इस ट्रेड में और क्या सुधारने की जरुरत है।
रिकॉर्ड बनाए रखने से आपको अपनी गलतियों का पता लगता है कि आप कहां गलती कर रहे है। आपकी मदद करने के लिए उचित ट्रेड रिकॉर्ड बनाए रखना एक आवश्यक आदत है। आपके ट्रेड रिकॉर्ड का इतिहास भी आपकी सफलता की संभावना को बेहतर बनाने में आपकी मदद करता है।
टॉप ऑप्शंस ट्रेडर्स को अपने ट्रेडों की खोज करने और देखने से रोमांच मिलता है। निश्चित रूप से, आपको ऐसा नहीं करना है कि खेल देखे बिना ही सिर्फ स्कोर देखकर संतुष्ट हो जाएं, खेल प्रशंसकों की तरह, ऑप्शंस ट्रेडर्स को पूरे खेल को देखने में आनंद आता है, न कि केवल अंतिम स्कोर का पता लगाना।
ये विशेषताएँ ऑप्शंस ट्रेडिंग की दुनिया में आपकी सफलता की गारंटी नहीं देंगी, लेकिन ये निश्चित रूप से आपके अवसरों को बढ़ा देंगी।
ऑप्शन ट्रेडिंग आपको कम समय में हर तरह की मार्केट में लाभ कमाने का मौका देती है, बस ज़रुरत है तो हर एक पहलू को सही से समझना और ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स को फॉलो करना।
तो अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग कर रहे है तो ये ध्यान रखें ज़रूरी है की क्या आप ऑप्शन ट्रेडिंग के नियमो (option trading rules hindi) का पालन कर रहे है। अगर नहीं आज ही अपनी ट्रेड रणनीतियों में इन नियमों को शामिल करे और ज़्यादा मुनाफा कमाए।
ऑप्शन ट्रेडिंग या शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए यदि आप एक सही स्टॉकब्रोकर ढूंढ रहे है तो हमे संपर्क करे और हम आपको एक सही ब्रोकर और उसके साथ अकाउंट खोलने में मदद करेंगे:
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]]>ऑप्शन ट्रेडिंग (option trading in hindi) एक ऐसा ट्रेडिंग प्रकार है जो एक बायर को उसके मनचाहे प्राइस में किसी भी शेयर या इंडेक्स में ट्रेड करने का अधिकार देता है लेकिन बाध्य नहीं करता। साथ ही ऑप्शन सेलर को प्रीमियम से मुनाफा कमाने का मौका मिलता है।
लेकिन ऑप्शन को खरीदने और बेचने के लिए आपको एक एडवांस ट्रेडिंग एप का उपयोग करना होता है जो आपको ज़ेरोधा प्रदान करता है। अब ज़ेरोधा के द्वारा दी गई ज़ेरोधा काईट एप का इस्तेमाल करने के लिए आपको ब्रोकर के साथ डीमैट खाता खोलना होता है।
इसके बाद आपको ऑप्शन ट्रेडिंग सेगमेंट को एक्टिवट करना होता है।
अब कई बार आप सोचते होंगे की ज़ेरोधा ही क्यों? तो यहाँ पर इसके कई फायदे है, जिसमे इसकी ट्रडिंग एप और कम ब्रोकरेज शुल्क शामिल है।
तो आइये विस्तार में जाने कि ज़ेरोधा कि एप में ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं?
अब ज़ेरोधा में किसी सेगमेंट में ट्रेड करने के लिए आपको सबसे पहले एक डीमैट खाता खोलना होता है। आज के समय में आप डीमैट खाता घर बैठे ऑनलाइन खोल सकते है।
अब Zerodha me account kaise khole उसके लिए आप निम्नलिखित जानकारी को समझे और जानें:
अकाउंट खोलने की पूरी प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए आप नीचे दिए गए फॉर्म में अपना विवरण भरे और हमारी टीम आपको आपका डीमैट खाता खोलने में मदद करेगी।
अब अगर आपके पास ज़ेरोधा का डीमैट खाता है लेकिन उसमे ऑप्शन सेगमेंट एक्टिवट नहीं है तो उसके लिए नीचे दिए गए चरणों का पालन करें:
इस निम्नलिखित प्रक्रिया को पूरा करने के बाद, आप आगे समझते है कि Zerodha Me Option Trading Kaise Kare.
अब बिना विश्लेषण के किसी भी स्टॉक या इंडेक्स में ट्रेड करना नसमझी होती है तो चाहे ट्रेडिंग इक्विटी में हो या ऑप्शन में एनालिसिस करना बहुत ज़रूरी होता है। ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए आप टेक्निकल एनालिसिस कर सकते है।
ऑप्शन में टेक्निकल एनालिसिस (option trading technical analysis in hindi) के लिए निम्नलिखित पहलूओं का पालन कर सकते है:
आप ज़ेरोधा काईट एप में चार्ट को खोले। यहाँ पर आपको लाइन चार्ट से लेकर कैंडलस्टिक चार्ट जैसे सभी प्रकार के विकल्प दिए गए है जिसका इस्तेमाल कर आप मार्केट के ट्रेंड, वोलैटिलिटी जैसे पैरामीटर की जानकारी ले सकते है।
चार्ट का उपयोग कर स्टॉक या इंडेक्स के सपोर्ट और रेजिस्टेंस की जानकारी प्राप्त करें। इससे आप मार्केट के ट्रेंड, ब्रेकआउट और मोमेंटम को जान पाएंगे।
अब अगर मार्केट बुलिश है और अपने रेजिस्टेंस से नीचे ट्रेंड कर रही है तो आप कॉल ऑप्शन खरीद या पुट ऑप्शन को बेच सकते है। दूसरी तरफ रेजिस्टेंस से नीचे ट्रेंड करने पर आप पुट ऑप्शन बाय या कॉल ऑप्शन सेल कर सकते है।
लेकिन इसके अलावा किस स्ट्राइक प्राइस पर ट्रेड पोजीशन लेना सही है उसके लिए आप ऑप्शन ट्रेडिंग इंडिकेटर और ऑप्शन चैन एनालिसिस कर सकते है। ये आपको सही दिशा में सही ट्रेड पोजीशन लेने में मदद करती है।
जैसे की बताया गया है कि सही ऑप्शन को चुनने के लिए ऑप्शन चैन को एनालाइज करना होता है और जब बात ज़ेरोधा की आए तो आप काईट एप में Sensibull की एडवांस ऑप्शन चैन को एक्सेस कर सकते है।
इसके कुछ फीचर फ्री है जैसे की आप कॉल और पुट ऑप्शन (call and put option in hindi) के OI डाटा, वॉल्यूम, ऑप्शन ग्रीक्स की जानकारी ले सकते है।
अब किस तरह से ऑप्शन चैन के विश्लेषण से आप सही ऑप्शन स्ट्राइक प्राइस को चुन सकते है?
इसे ऑप्शन ट्रेडिंग उदाहरण (option trading example in hindi) से समझे तो अगर निफ़्टी 18000 CE का OI बढ़ रहा है और उसके साथ उस स्ट्राइक प्राइस का प्रीमियम घट रहा है तो 18000 CE में सेलर ज़्यादा एग्रेसिव है और ये सम्भावना है आने वाली एक्सपायरी पर निफ़्टी 18000 से नीचे बंद होगा। एक तरह से बायर को जानकारी मिलती है कि उसे 18000 से नीचे के ऑप्शन से फायदा हो सकता है।
उदाहरण के लिए अगर आपके चुने हुए स्ट्राइक प्राइस 18000 जिसका प्रीमियम 100 रुपये है की इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी (IV) 25% है तो इसका मतलब अभी की मार्केट के अनुसार एक्सपायरी तक प्रीमियम वैल्यू 75 रुपये से 125 रुपये की बीच में रह सकती है। इससे एक ट्रेडर अपने रिस्क और रिवॉर्ड (स्टॉप लॉस और टारगेट प्राइस) को सेट कर चल सकता है।
पूरी तरह से विश्लेषण करने के बाद आइये जानते है कि Zerodha me option trading kaise kare.
ऊपर दिए हुए ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स के साथ आप एक सही कॉन्ट्रैक्ट का चयन कर सकते है। अब बुलिश मार्केट में कॉल ऑप्शन को ख़रीदा जाता है और बेयरिश मार्केट में कॉल ऑप्शन को बेचा जाता है।
लेकिन Zerodha me option kaise trade kare उसको थोड़ा और विस्तार में जानते है:
पुट ऑप्शन एक बायर को गिरती हुई मार्केट से मुनाफा कमाने का मौका देता है। इसको ट्रेड करने के लिए भी ऊपर बताये गए चरणों का पालन करें बस कॉल की जगह पुट ऑप्शन को चुने।
उदाहरण के लिए अगर आपको 03 Nov, 2022 की एक्सपायरी के लिए 18000 Nifty का पुट ऑप्शन ट्रेड करना है तो उसके लिए Nifty 18000 PE, 03 Nov, 2022 को चुने और अपनी वॉचलिस्ट में डाले।
उसके बाद Zerodha me option trading kaise kare उसे जानने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
*ज़ेरोधा आपको बास्केट आर्डर का विकल्प भी देता है जिसमे आप ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (option trading strategies in hindi) का उपयोग कर अपने जोखिमों को कम मुनाफे को बढ़ा सकते है।
ऑप्शन ट्रेडिंग के दौरान अधिकतर ट्रेडर यह गलती करते हैं कि उन्हें लगता है एक ऑर्डर प्लेस करने का मतलब है कि ऑर्डर एक्सीक्यूट हो गया है। लेकिन यह हमेशा नहीं होता है।
कई बार, आपके द्वारा तय कीमत के लिए कोई सेलर उपलब्ध नहीं होता है और इसलिए ऑर्डर खुला रहता है। आप टॉप मेनू में ‘ऑर्डर’ बटन पर क्लिक करके जांच कर सकते हैं कि आपका ऑर्डर एक्सीक्यूट हुआ है या नहीं।
इसके बाद आप ओपन ऑर्डर के एक्सीक्यूट होने का तब तक इंतजार कर सकते हैं जब तक की कीमत कम नहीं हो जाती या जब तक सेलर नहीं मिल जाता। इसके अलावा, आप ऑर्डर को कैंसिल या संशोधित (Modify) कर सकते हैं।
माउस की मदद से उस कॉन्ट्रैक्ट पर क्लिक करें जिसे आप रद्द या संशोधित करना चाहते हैं। कॉन्ट्रैक्ट के पास में दिखाई देने वाले नीले रंग के बटन पर क्लिक करें। यहाँ एक ड्रॉप-डाउन मेनू दिखाई देगा।
“कैंसिल”, “कैंसिल द ऑर्डर” या फिर ऑर्डर बदलने के लिए ‘मॉडिफाई’ पर क्लिक करें। यह ऑर्डर फॉर्म खुलेगा जहां आप ऑर्डर की कीमत बदल सकते हैं।
कृपया अपने ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के लिए उपलब्ध बेस्ट 5 बिड और ऑफ़र /आस्क को जानने के लिए मार्केट डेप्थ को देखना न भूलें और उसके अनुसार ही कीमत दर्ज करें।
अब ट्रेड किसी भी सेगमेंट का और किसी भी मार्केट ट्रेंड में हो आपको एक ब्रोकरेज शुल्क अपने ब्रोकर को देना होता है। ये ब्रोकरेज कई बार आपके प्रॉफिट प्रतिशत को कम और लॉस को बढ़ा देता है।
लेकिन क्योंकि ज़ेरोधा एक डिस्काउंट ब्रोकर है तो यहाँ पर आप कम चार्जेज के साथ ऑप्शन में ट्रेड कर सकते है। तो आइये जानते है कि इक्विटी, कमोडिटी और करेंसी के लिए ज़ेरोधा ऑप्शन ट्रेडिंग में कितना चार्ज लेता है:
इसके अलावा कुछ टैक्स, और हिडन चार्ज होते है जिसकी जानकारी आप ज़ेरोधा ब्रोकरेज कैलकुलेटर से प्राप्त कर सकते है।
ब्रोकरेज के बाद बात करते है मार्जिन की। अब जैसे की आप जानते है कि ऑप्शन को खरीदने के लिए प्रीमियम देना होता है लेकिन ऑप्शन बेचने पर ऐसी कोई राशि नहीं देनी होती।
इसका मतलब अगर बायर के अनुसार मार्केट न जाए तो उसे प्रीमियम का नुक्सान होगा लेकिन अगर बायर के अनुसार मार्केट एक्सपायर हुई तो वहां पर सेलर उस ट्रेड को सेटल करने के बाध्य होता है।
लेकिन अगर सेलर के पास उतनी रकम ही न हुई तो?
तो इसी रिस्क को मैनेज करने के लिए सेलर को अपने ट्रेडिंग अकाउंट में मार्जिन रखना होता है जो ट्रेंड, वोलैटिलिटी, और अन्य पैरामीटर के अनुसार तय किया जाता है।
ऑप्शन सेलिंग मार्जिन (option selling margin in hindi) की गणना के लिए आप ज़ेरोधा के मार्जिन कैलकुलेटर का इस्तेमाल भी कर सकते है जिसमे आप जिस भी स्टॉक, या इंडेक्स में ट्रेड कर रहे है वह चुने, स्ट्राइक प्राइस, कॉल और पुट का चयन कर दर्ज़ करें।
ये कैलकुलेटर आपको मार्जिन की जानकारी प्रदान करता देता है।
अब जानते है की ज़ेरोधा में ऑप्शन ट्रेडिंग करने के क्या फायदे है:
अब जानते है की ज़ेरोधा में ऑप्शन ट्रेडिंग करने के क्या नुकसान है:
Zerodha Me Option Trading Kaise Karne के लिए सबसे कुछ
अगर आप भी ज़ेरोधा के साथ जुड़कर ऑप्शन ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो आपके पास डीमैट खाता होना चाहिए। बिना डीमैट खाते के आप ट्रेड नहीं कर सकते।
अभी डीमैट खाता खुलवाने के लिए नीचे दिए गए फॉर्म को भरे।
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]]>अभी हम इसे आधा-आधा करके समझेंगे जैसे:-
यह एक ट्रेडिंग शैली है जिसमें ट्रेडर को उसी ट्रेडिंग सत्र में विशेष सिक्योरिटीज खरीदने और बेचने की आवश्यकता होती है। ट्रेडर इसे कुछ सेकंड, मिनट या घंटों के लिए रख सकता है, लेकिन रात भर नहीं।
अगला ऑप्शंस है। ऑप्शंस विभिन्न स्टॉक एक्सचेंजों पर ट्रेड करने वाला एक वित्तीय सेगमेंट है। इसमें एक कॉन्ट्रैक्ट शामिल होता है जो खरीदार या विक्रेता को एसेट बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं।
कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायर डेट है और फ्यूचर डेट के लिए साइन है।
खरीदार और विक्रेता के बीच बातचीत के अनुसार मूल्य का उल्लेख किया जाता है। कॉन्ट्रैक्ट के लिए प्रीमियम का भुगतान करने वाली पार्टी वह है जो एक्सपायर होने पर कॉन्ट्रैक्ट को रद्द करने का अधिकार रखती है।
ऑप्शन इस प्रकार, एक पार्टी को कैंसल करने का ऑप्शन देता है। इसलिए, नाम – ऑप्शन है।
इसलिए, जब आप उसी दिन ट्रेडों को बंद करते हुए ऑप्शन सेगमेंट में ट्रेड करते हैं, तो इसे ऑप्शंस में इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है।
हमें यह जानने के लिए आगे बढ़ना चाहिए कि ऑप्शंस के साथ डे-ट्रेडिंग करते समय क्या ध्यान में रखना चाहिए।
ऑप्शंस में इंट्राडे ट्रेडिंग की प्रक्रिया सामान्य इंट्राडे ट्रेडिंग के समान है। इसलिए, केवल अंतर यह है कि आप ट्रेड के लिए क्या देख रहे हैं।
देखने के लिए दो महत्वपूर्ण पहलू हैं – ट्रेड वॉल्यूम और मूल्य में उतार-चढ़ाव आदि, इसके साथ मुनाफा कमाने के लिए ज़रूरी है कि आप ऑप्शन ट्रेडिंग के नियमों (option trading rules hindi) को समझे और उसका पालन कर अपने मुनाफे को बढ़ाए।
आइए उन पर विस्तार से चर्चा करें।
वॉल्यूम उन ट्रेडर्स की कुल संख्या को दिखता है जो किसी विशेष एसेट को किसी निश्चित अवधि में खरीद और बेच रहे हैं, जो इस मामले में एक दिन है। एक हाई वॉल्यूम शेयर मार्केट में एसेट के अधिक सक्रिय होने का अनुवाद करता है।
जब आपके पास डेटा होता है जो आपकी ट्रेडिंग स्क्रीन पर किसी एसेट की वॉल्यूम को दर्शाता है, तो इसका मतलब है कि यह ट्रेड के लिए आसानी से उपलब्ध है। वित्तीय जानकारी के लिए समर्पित लगभग हर वेबसाइट अपने उपयोगकर्ताओं को एसेट्स की वॉल्यूम से लैस करती है।
इसलिए, जब आप ट्रेड करने के लिए एक एसेट का चयन कर रहे हैं, तो इसकी वॉल्यूम की जांच करना सुनिश्चित करें ताकि जब भी आप जल्दी चाहें, तो इसे बेचने की स्वतंत्रता हो और पूरी सहजता के साथ ऑप्शंस में इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकें।
दिन के दौरान शेयर की कीमत में भारी उतार-चढ़ाव की उम्मीद करना सर्दियों में तेज धूप की कामना करने जैसा है। इसका मतलब है कि यह संभव है लेकिन असंभव नहीं है।
लेकिन, ऐसी फाइनेंसियल सिक्योरिटीज हैं जिनके मूल्य में ऐसी छूट होती है, यदि आप सही समय पर उनमें निवेश करना चुनते हैं, तो वे एक दिन में आपको भारी मुनाफा कमाने में मदद करेंगे।
अधिकांश रिटेल ट्रेडर स्टॉक ऑप्शंस में इंट्राडे आधार पर ट्रेड करते हैं। यह एक निर्विवाद तथ्य है कि ऑप्शन वोलेटाइल हैं। इसलिए, जब आपको इंट्राडे ट्रेडिंग करने का अवसर मिलता है, तो आप इसे लेते हैं और इसमें से सर्वश्रेष्ठ बनाते हैं।
शार्ट-टर्म के ट्रेडर और, अधिक सटीक रूप से, इंट्राडे ट्रेडर्स इंट्राडे शेयरों में मूल्य परिवर्तन की तलाश करते हैं और कई अन्य तकनीकी चार्ट का प्रयोग करते है ताकि ट्रेड में प्रवेश करने और बाहर निकलने के लिए सबसे अच्छा समय पता लगा सकें। इसके साथ कुछ सर्वश्रेष्ठ इंट्राडे ट्रेडिंग इंडिकेटर (best indicator for intraday trading in hindi) है जो आपको ऑप्शन में ट्रेड करने के संकेत प्रदान करते है।
जब यह विश्लेषण समाप्त हो जाता है, तो ट्रेडिंग रणनीतियों को तदनुसार लागू किया जाता है और फिर शार्ट टर्म में एसेट की कीमत का फायदा उठाया जाता है। ऑप्शंस में इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्ट्रेटेजी डे ट्रेडिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले के समान है।
चूंकि ऑप्शंस की कीमतें अंतर्निहित शेयरों की तरह तेज नहीं होती हैं, इसलिए ट्रेडर स्टॉक की कीमत में उतार-चढ़ाव पर नजर रखते हैं और इसे सही समय पर शुरू करते हैं।
ये उतार-चढ़ाव उन्हें समय अंतराल के बारे में जानने में मदद करते हैं जहां मूल्य एसेट की वर्तमान कीमत के साथ सिंक (Sync) नहीं होता है।
ये वह समय होता है जब वे एक चाल बनाते हैं और भारी मुनाफा कमाते हैं।
अब जब हमारे पास ऑप्शंस ट्रेडिंग के दो प्रकार के ऑप्शंस की संक्षिप्त जानकारी है, तो दो प्रकार के ऑप्शंस ट्रेडिंग की चर्चा की जाए – कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन।
अब जैसे की आप जानते है कि ऑप्शन दो प्रकार के होते है: कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन
इन दोनों ही ऑप्शन में आप मार्केट के ट्रेंड के अनुसार बाय और सेल पोजीशन ले सकते है। एक तरफ जहाँ बुलिश मार्केट आपको कॉल ऑप्शन बाय और पुट ऑप्शन सेल करने का अवसर देता है वही बेयरिश मार्केट में आप कॉल ऑप्शन सेल या पुट ऑप्शन बाय कर सकते है।
अब ये विकल्प आप अपने ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (option trading strategies in hindi) और जोखिमों के अनुसार कर सकते है। तो चलिए इंट्राडे ट्रेडिंग में कॉल और पुट ऑप्शन किस प्रकार ट्रेड किये जाते है उसको विस्तार से जाने।
कॉल ऑप्शंस में डे ट्रेडिंग को समझने से पहले, आइए जानते हैं कि कॉल ऑप्शंस क्या है?
कॉल ऑप्शन की परिभाषा यह है कि विक्रेता एक विशेष एसेट के बारे में बुलिश यानि तेजी महसूस करता है और इस तरह एक खरीदार के साथ एक ऑप्शन कॉन्टैक्ट में प्रवेश करता है जो उसी की तरह बेयरिश यानि मंदी में है। विक्रेता इस लेनदेन में नॉन-रिफंडेबल प्रीमियम का भुगतान करता है।
जैसा कि विक्रेता प्रीमियम का भुगतान करता है, उसके पास अधिकार है, दायित्व नहीं, अंत में ट्रेड को निष्पादित करने के लिए। विक्रेता की इच्छा पर कॉन्टैक्ट को निष्पादित किया जाएगा, और खरीदार को इसमें कुछ नहीं कहा जाएगा।
यदि कोई ट्रेडर उसी दिन ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट खरीदता है और बेचता है, तो इसे ऑप्शंस में इंट्राडे ट्रेडिंग कहा जाता है।
पुट ऑप्शंस में इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए पुट ऑप्शंस की मूल अवधारणा को समझना आवश्यक है। तो आइए समझते हैं!
पुट ऑप्शंस एक प्रकार का ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट होता है, जहाँ किसी विशेष एसेट के विक्रेता इसके लिए बेयरिश होता है और इस तरह एक खरीदार के साथ ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट होता है जो उसी के बारे में बुलिश महसूस करता है।
यहां, खरीदार विक्रेता को सौदे को अंतिम रूप देने के लिए एक नॉन-रिफंडेबल प्रीमियम का भुगतान करता है।
जैसा कि खरीदार प्रीमियम का भुगतान कर रहा है, यह उसका अधिकार है और समाप्ति तिथि पर अनुबंध को निष्पादित करने का दायित्व नहीं है। अनुबंध खरीदार की इच्छा पर निष्पादित किया जाता है न कि विक्रेता की । विक्रेता को इस संबंध में कुछ नहीं कहा जाता है।
इस ट्रेड को ऑप्शंस में इंट्राडे ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है।
बाजार में उतार-चढ़ाव के समय में शांत रहने में आपकी मदद करने के लिए डे ट्रेडिंग ऑप्शन स्ट्रेटेजीज बेहद महत्वपूर्ण है।
इसके अलावा, एक अप्रत्याशित मूल्य में उतार-चढ़ाव से बचने के लिए, आपको अपनी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज का इस्तेमाल करना चाहिए और भावनाओं को आप पर हावी नहीं होने देना चाहिए।
इस प्रकार, नीचे के ऑप्शंस में इंट्राडे ट्रेडिंग में कुछ सामान्य रूप से उपयोग की जाने वाली रणनीतियां हैं जो शेयर बाजार में ट्रेड करते समय आपका मार्गदर्शन करेंगी।
यह स्ट्रेटेजी उन ट्रेडर्स के लिए उपयुक्त है जो किसी विशेष वित्तीय एसेट ईटीएफ के बारे में आश्वस्त या बुलिश हैं, या मार्केट इंडेक्स साझा करते हैं और जोखिम को सीमित करना चाहते हैं। इस स्ट्रेटेजी में संभावित नुकसान प्रीमियम तक सीमित है।
इसके अलावा, संभावित लाभ असीमित है क्योंकि कीमतें कितनी बढ़ सकती हैं इसकी कोई सीमा नहीं है।
लॉन्ग पुट उन ट्रेडर्स के लिए एक अच्छी स्ट्रेटेजी है जो किसी विशेष सूचकांक, ईटीएफ या स्टॉक के बारे में बेयरिश होते हैं। यह स्ट्रेटेजी आपको कम बिक्री वाले जोखिम की तुलना में शार्ट-सेल्लिंग जैसी स्ट्रेटेजी के लिए उजागर करती है जो आपको तनाव मुक्त ट्रेड करने के लिए प्रेरित कर सकती है।
एक ट्रेडर इस रणनीति का उपयोग करता है जब वे मार्जिन का उपयोग करके गिरती कीमतों का लाभ उठाना चाहते हैं।
संभावित लाभ को अंतर्निहित कीमत पर कैप किया जाता है क्योंकि मूल्य शून्य से नीचे नहीं जा सकता है, और संभावित नुकसान ऑप्शंस के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम तक सीमित है।
यह ट्रेडिंग स्थिति उन ट्रेडर्स के लिए अनुकूल है जो अंतर्निहित एसेट की कीमत में मामूली वृद्धि या कोई बदलाव नहीं होने की उम्मीद करते हैं।
इसके अलावा, वे लिमिट अपसाइड पोटेंशियल को एक्सचेंज में बदले के लिए होने वाली संभावनाओं को सीमित करने के लिए तैयार हैं।
शार्ट कॉल ऑप्शन का उपयोग उस स्थिति में किया जा सकता है जब समाप्ति से पहले शेयर की कीमत स्ट्राइक प्राइस से ऊपर हो जाती है।
इस रिस्क का आदान-प्रदान करने के अलावा, रणनीति आपको कॉल ऑप्शन बेचते समय प्रीमियम के रूप में लिमिटेड डाउनसाइड प्रोटेक्शन प्रदान करता है।
प्रोएक्टिव पुट ऊपर चर्चा की गई लॉन्ग पुट स्ट्रेटेजी की तरह ही है। लेकिन यह केवल एक पहलू में भिन्न होता है, जो कि लक्ष्य है। यहाँ लक्ष्य नकारात्मक पक्ष संरक्षण (Downside Protection)है।
जब एक ट्रेडर्स के पास एक वित्तीय एसेट होती है जिसके लिए वे बुलिश होते हैं, तो वे इसे गिरावट से बचाने की इच्छा रखते हैं।
यदि अंतर्निहित एसेट्स की कीमत समान रहती है या बढ़ जाती है, तो नुकसान प्रीमियम भुगतान के लिए सीमित है। हालांकि, अगर कीमतें गिरती हैं, तो नुकसान प्रारंभिक कीमत और स्ट्राइक प्राइस के बीच के अंतर के साथ-साथ प्रीमियम के भुगतान तक सीमित रहेगा।
इन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी को कई ट्रेडर्स द्वारा अपने वित्तीय लक्ष्यों और योजनाओं के अनुसार पसंद और उपयोग किया जाता है।
अब, डे के कुछ ट्रेडिंग ऑप्शंस नियमों के बारे में जानें।
कुछ महत्वपूर्ण डे ट्रेडिंग ऑप्शंस नियम नीचे सूचीबद्ध हैं:
विभिन्न नियमों और रणनीतियों के बारे में जानने के बाद, आइए जानें कि ऑप्शंस में इंट्राडे ट्रेडिंग कैसे करें।
लीजिए कि आप एक डे ट्रेडर हैं और दिन के ट्रेडिंग ऑप्शन या एक ऑप्शंस ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं और इंट्राडे की ओर स्विच करने के लिए तैयार हैं लेकिन यह कैसे करना है से डरते हैं।
हम आपको आशंकाओं से मुक्त करने और पूरी प्रक्रिया के माध्यम से मार्गदर्शन करने के लिए यहां हैं, बस ज़रुरत है ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स का पालन करना और सही समय में ट्रेडिंग निर्णय लेना।
ज़ेरोधा से मोबाइल ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म काइट के उदाहरण के साथ ऑप्शंस में इंट्राडे ट्रेडिंग की पूरी प्रक्रिया को समझने सकते हैं।
एक बार जब आप अपने खाते में प्रवेश करते हैं, तो उन ऑप्शंस की खोज करें जिनमें आप ट्रेड करना चाहते हैं। मान लीजिए आप रिलायंस इंडस्ट्रीज के कॉल ऑप्शन में ट्रेड करना चाहते हैं। जब आप उस पर क्लिक करते हैं, तो ट्रेड के बारे में सभी जानकारी के साथ एक पॉप अप खुल जाता है।
इसका एक स्नैपशॉट नीचे अटैच है:
ट्रेड का विश्लेषण करने का अगला चरण ऑप्शंस श्रृंखला की जांच करना है। यह सीढ़ी आपको उपलब्ध ट्रेडों के कई पहलुओं के बारे में बताती है। आप स्ट्राइक प्राइस, ओपन इंटरेस्ट, कॉल एलटीपी, और बहुत कुछ देख सकते हैं।
यहां, आप एक्सपायरी डेट और कीमत के अनुसार सबसे उपयुक्त ट्रेड चुनते हैं।
*अगर मार्केट में आप नए है तो ट्रेड करने से पहले शेयर मार्केट एक्सपायरी (what is expiry in share market in hindi) की जानकारी और ऑप्शन में उसके महत्व को जाने।
एक बार जब आप उस स्ट्राइक मूल्य का चयन करते हैं जिस पर आप ट्रेड करना चाहते हैं, तो आप एक प्रीमियम राशि का भुगतान करते हैं।
प्रीमियम राशि ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति की तारीख पर निर्भर है।
ऑप्शंस चैन लैडर का एक स्नैपशॉट नीचे दिखाया गया है:
अब, आप चुनते हैं कि आप कॉन्ट्रैक्ट खरीदना या बेचना चाहते हैं। यहां, हमने खरीदने का विकल्प चुना है। तो, आज ट्रेड , आपको MIS प्रोडक्ट प्रकार का चयन करना होगा।
ट्रेड करने से पहले, सही ऑर्डर टाइप, वैलिडिटी और वैरायटी पर क्लिक करना सुनिश्चित करें। इसके अलावा, ऑर्डर की मात्रा को चेक करें।
खरीदने का एक स्क्रीनशॉट नीचे दिया गया है:
डे ट्रेडिंग की प्रक्रिया स्पष्ट होने के साथ, अब समझ में आया कि जब हम ऑप्शंस के डे ट्रेडिंग में मार्जिन के साथ और बिना ट्रेड करते हैं तो क्या होता है।
अब ऑप्शन में इंट्राडे ट्रेडिंग की तो ब्रोकरेज इंट्राडे का लगेगा या ऑप्शन का?
अगर आप भी इसी असमझस में है तो आपको बता दे कि ऐसे में शुल्क ऑप्शन ट्रेडिंग का भुगतान करना होता है। अब यहाँ पर प्रश्न आता है कि ऑप्शन ट्रेडिंग में कितना चार्ज लगता है?
ऑप्शन ट्रेडिंग ब्रोकरेज एक ब्रोकर पर निर्भर करती है जैसे डिस्काउंट ब्रोकर एक निर्धारित फीस लेते है और वही फुल सर्विस ब्रोकर प्रति लॉट के हिसाब से चार्ज करते है।
नीचे तब में भारत के कुछ प्रसिद्ध ब्रोकर की ब्रोकरेज की जानकारी दी गयी है:
जब आप मार्जिन के साथ ट्रेड ऑप्शन चुनते हैं, तो उसी का एक अच्छा और बुरा पर्सपेक्टिव होता है। इस सेगमेंट में, हम उनके बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे। चलिए पहले सकारात्मकता के बारे में बात करते हैं।
मार्जिन आपको उन्नत लाभ में ट्रेड करने में मदद करता है क्योंकि आप अपनी वित्तीय क्षमता से अधिक ट्रेड करते हैं। बढ़ी हुई ट्रेडिंग क्षमता आपके ब्रोकर द्वारा प्रदान किए गए मार्जिन प्रतिशत पर निर्भर है।
अब मार्जिन के साथ ट्रेड के नकारात्मक पहलू पर आते हैं, अगर संयोग से, आप ट्रेड से लाभ कमाने में कामयाब नहीं रहते हैं और प्राइस मूवमेंट ऐसा नहीं होता है जिस तरह से आपने अनुमान लगाया था, तो ट्रेड हानि-रहित है।
मार्जिन के साथ घाटे में चल रहे ट्रेडर के लिए एक दोहरा झटका है क्योंकि उन्हें उस पूंजी पर नुकसान उठाना पड़ता है जो उन्होंने निवेश किया था, ब्रोकर से उसके द्वारा लिए गए मार्जिन का भुगतान करना, और अंत में, मार्जिन राशि पर ब्याज का भुगतान करना पढता है।
आगे बढ़ते हुए, हमें मार्जिन सुविधा का लाभ उठाए बिना एक ट्रेडिंग प्रैक्टिस के बारे में बात करनी चाहिए।
एक ट्रेडर अपने साथ उपलब्ध पूंजी के अनुसार मार्जिन के बिना डे ट्रेडिंग के ऑप्शन का चयन करता है। आमतौर पर, वह इस सुविधा से बचता है जब आसानी से ट्रेड करने के लिए पर्याप्त पूंजी होती है।
यह ऑप्शन उसे मार्जिन ट्रेडिंग के सकारात्मक और नकारात्मक दोनों पहलुओं के लिए अतिसंवेदनशील बनाता है। आइए उन पर विस्तार से चर्चा करें।
मार्जिन के बिना डे ट्रेडिंग आपको अपनी वित्तीय क्षमता से अधिक राशि चुकाने के तनाव से बचाता है। आप बिना दायित्वों या प्रतिबंधों के साथ ट्रेड करते हैं और कम से कम मनोवैज्ञानिक दबाव के साथ निर्णय ले सकते हैं।
दूसरी ओर, यदि आप मार्जिन सुविधा का लाभ नहीं उठाते हैं, तो आप बढ़ी हुई पूंजी उपलब्धता के कारण बड़े लाभ कमाने के अवसर से चूक सकते हैं।
कवर किए गए ऑप्शंस में इंट्राडे ट्रेडिंग के हर पहलू के साथ, उदाहरण की मदद से पूरे कांसेप्ट को समझें।
एक उदाहरण के साथ डे ट्रेडिंग ऑप्शंस को समझना आपको आसान तरीके से अवधारणा को क्लियर करने में मदद करेगा। तो, बिना किसी देरी के, चलिए जानते हैं!
राहुल के पास ₹1 करोड़ का विला है, और वह मूल्य वृद्धि को लेकर इतना आश्वस्त नहीं है और वह बेयरिश है। इस प्रकार, वह एक इच्छुक खरीदार खोजने के लिए विला को बिक्री पर रखता है।
कुछ दिनों के बाद, देव अब से छह महीने बाद प्रॉपर्टी खरीदने के प्रस्ताव के साथ उसके पास पहुँचे। राहुल प्रस्ताव को व्यवहार्य (Viable) पाते हैं, और इस तरह वे एक कॉन्ट्रैक्ट दर्ज करते हैं जो अब से छह महीने की अवधि में समाप्त हो जाएगा।
देव प्रॉपर्टी खरीदने के लिए उत्सुक हैं क्योंकि उन्हें पता है कि विला राष्ट्रीय राजमार्ग के लिए प्रस्तावित क्षेत्र के आसपास है। तो जब इसका विकास होगा तो ये कीमतें आसमान छू जाएंगी।
जब वे अंत में कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करते हैं, तो देव राहुल को ₹10 लाख का प्रीमियम चुकाते हैं। यहां दिया गया प्रीमियम नॉन-रिफंडेबल है। पांच महीने के बाद, राष्ट्रीय राजमार्ग लगभग तैयार है, और कीमतें बढ़ने लगी हैं।
राहुल के विला को बिक्री के फैसले पर पछतावा है क्योंकि वृद्धि महत्वपूर्ण है। इधर, राहुल ने अनुबंध के निष्पादन में कोई बात नहीं कही है क्योंकि जो प्रीमियम का भुगतान करता है वह कॉन्ट्रैक्ट में शॉट्स कॉल है।
उसके पास एग्रीड डेट और अमाउंट पर कॉन्ट्रैक्ट को निष्पादित करने के अलावा कोई विकल्प नहीं है क्योंकि उसने कॉन्ट्रैक्ट पर हस्ताक्षर करते समय देव से प्रीमियम प्राप्त किया है।
दूसरी ओर, एक पल के लिए, मान लीजिए कि राष्ट्रीय राजमार्ग की योजना स्थगित या रद्द कर दी गई है। विला के दाम घटते-घटते ₹80 लाख तक पहुंच जाते हैं। चूंकि देव ने प्रीमियम का भुगतान किया, इसलिए उन्होंने राहुल के साथ कॉन्ट्रैक्ट बंद कर दिया।
वर्तमान परिदृश्य में इस विला को खरीदने से देव को ₹25 लाख का सीधा नुकसान होता।
एक वित्तीय एसेट के विक्रेता और खरीदार के रूप में राहुल और देव के बीच एक समानांतर ड्रा करें और वित्तीय साधन के रूप में विला। जब ऐसा होता है, तो आप एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट दर्ज करते हैं और अपने रिस्क-एक्सपोज़र को कम करते हुए उनका ट्रेड करते हैं।
इंट्राडे ट्रेडिंग स्टाइल का पालन करते समय एक ऑप्शन ट्रेडर जब ऑप्शंस सेगमेंट में ट्रेड करता है; इसे ऑप्शंस में इंट्राडे ट्रेडिंग के रूप में जाना जाता है।
इसलिए, वह सामान्य इंट्राडे ट्रेडिंग में समान रणनीति का विरोध करता है और अपनी बुद्धिमानी से बाहर निकलने की योजना बनाता है।
लेकिन, वे ट्रेड के अंत में किसी भी अवांछित परिणाम से बचने के लिए ऑप्शंस सेगमेंट में मात्रा और उतार-चढ़ाव की तलाश करते हैं।
शेयर बाजार और विशेष एसेट का एक उचित विश्लेषण निश्चित रूप से ऑप्शंस में इंट्राडे ट्रेडिंग के कठिन इलाकों के माध्यम से नेविगेट करने में आपकी सहायता कर सकता है।
ऑप्शंस में इंट्राडे ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं? उसके लिए, आपको एक डीमैट खाता खोलना होगा। नीचे दिए गए फॉर्म को देखें
यहां बुनियादी विवरण दर्ज करें और आपके लिए एक कॉलबैक की व्यवस्था की जाएगी!
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