Technical Indicator – अ डिजिटल ब्लॉगर https://hindi.adigitalblogger.com स्टॉक ब्रोकर के विश्लेषण और अंतर Wed, 22 May 2024 11:27:04 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=4.9.26 https://hindi.adigitalblogger.com/wp-content/uploads/2017/12/Favocon.png Technical Indicator – अ डिजिटल ब्लॉगर https://hindi.adigitalblogger.com 32 32 ROC Indicator in Hindi https://hindi.adigitalblogger.com/roc-indicator-hindi/ https://hindi.adigitalblogger.com/roc-indicator-hindi/#respond Mon, 06 Nov 2023 12:14:02 +0000 https://hindi.adigitalblogger.com/?p=154217 टेक्निकल अनालिसिस में इस्तेमाल किये जाने वाले इंडिकेटर में से एक है रेट ऑफ चेंज | ROC Indicator in Hindi के ऊपर…

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टेक्निकल अनालिसिस में इस्तेमाल किये जाने वाले इंडिकेटर में से एक है रेट ऑफ चेंज | ROC Indicator in Hindi के ऊपर बोलें  तो ये संकेतक वर्तमान में चल रहे शेयर के भाव और उसके कुछ समय पहले के पुराने भाव को प्रतिशत के आधार पर उसमे होने वाले बदलाव को मापकर दर्शाता है।

ROC इंडिकेटर की मदद से ट्रेंड की गति को समझा जा सकता है, की क्या ट्रेंड गति यानी की स्पीड पकड़ रहा है या ट्रेंड की स्पीड कम हो गई है या वो अपनी स्पीड को उसी स्थिति में बनाए हुए है। यानी की ये इंडिकेटर मूमेंटम बताएगा।

क्योंकि ये इंडिकेटर मूमेंटम को दर्शाता है तो शेयर मार्किट इंडिकेटर (Share Market Indicator in Hindi) की सूची में इसे मूमेंटम टेक्निकल इंडिकेटर भी कहते है।

ROC इंडिकेटर की गणना।

आइये समझते है की आर ओ सी इंडिकेटर को स्टॉक मार्केट में इस्तेमाल कैसे किया जाता है।

ROC इंडिकेटर को जीरो से शुरू किया जाता है, 

रेट ऑफ़ चेंज संकेतक का गणित:

ROC = [(क्लोज – क्लोज n समय पहले) / (क्लोज n समय पहले)] * 100

इस गणना के जरिये ही ROC ट्रेंड का हिसाब किताब बता पाता है।

ROC इंडिकेटर काम कैसे करता है।

अगर भाव बढ़ा है तो ROC की वैल्यू पॉजिटिव होगी और अगर भाव गिरा है तो ROC की वैल्यू नेगेटिव होगी।

ROC इंडिकेटर को अपर बाउंड और लोअर बाउंड के आधार पर देखा जाता है, इसकी वैल्यू नीचे गिरवाट में  -100 तक जा सकती है पर इसके नीचे नहीं जा सकती। और इसके विपरीत अपर बाउंड में इसकी कोई लिमिट नहीं होती।

ROC पीरियड के आधार पर चलता है, यानी की पिछले कितने दिनों में क्या हुआ। इसलिए इसमें पीरियड को बदला भी जा सकता है और ROC की वैल्यू निकाली जा सकती है।

अगर आप पिछले 20 दिनों के आधार पर ROC की वैल्यू निकालना चाहते है तो आप इंडिकेटर की सेटिंग में पीरियड को बदलकर 21 दिन कर सकते है और अगर आप 7 दिनों के पीरियड को समझना चाहते है तो आप इसमें सेटिंग बदलकर 7 दिन कर सकते हो।

ऊपर दर्शाए गए चार्ट में आप देख सकते है की ROC इंडिकेटर लगाया गया है और उसमें 21 दिनों के ROC पीरियड की सेटिंग की गई है।

कैंडलस्टिक चार्ट (Candlestick Charts in Hindi) में ये भी दर्शाया गया है की ROC की वैल्यू अपनी जीरो लाइन से ऊपर उठ रही है | जब भी ROC की वैल्यू जीरो लाइन से ऊपर उठती है तब ट्रेंड को पोजिटिव माना जाता है और जब भी लाइन आगे बढ़ना बंद कर देती है और एक रेंज में चलती रहती है तब पता चलता है की ट्रेंड अब स्लो हो गया है।

और जब लाइन जीरो लाइन से नीचे आ जाती है तो पता चलता है तो इसका मतलब होता है की ट्रेंड ने अपनी गति खो दी है और अब वो नेगेटिव ट्रेंड यानी की डाउन ट्रेंड में चल रहा है।

ट्रेडर को ROC इंडिकेटर के बारे में क्या-क्या ध्यान में रखना चाहिए।

  1. ROC इंडिकेटर में जीरो लाइन सबसे जरूरी होती है, जब भी इंडिकेटर इससे ऊपर होगा और आगे बढ़ रहा होगा तो ट्रेंड को बुलिश (तेजी) माना जाएगा।
  2. इंडिकेटर जब जीरो लाइन के नीचे ट्रेड करने लगे तो इसे बियरिश (मंदी) माना जाएगा और वहां से बुलिश सोदे बनाने से दूर रहा जाएगा।
  3. जब भी इंडिकेटर जीरो से ऊपर हो और आगे बढ़ रहा हो तो ये माना जाता है की अपट्रेंड अब और तेजी पकड़ रहा है।
  4. बिलकुल ऐसे ही जब डाउन ट्रेंड चल रहा हो और ROC की वैल्यू जीरो से नीचे हो और इंडिकेटर नीचे जा रहा हो तो पता चलता है की अब डाउनट्रेंड में और ज्यादा गिरवाट आ रही है।
  5. ऐसे ही जब डाउनट्रेंड में इंडिकेटर जीरो से नीचे हो और ऊपर उठना शुरू हो जाए तो ट्रेंड का डाउनट्रेंड से अपट्रेंड में चले जाना दर्शाता है।

ROC की मदद से ट्रेड कैसे करें।

ROC इंडिकेटर की मदद से ट्रेडर को ट्रेड करना काफी आसान होता है, क्योंकि ये इंडिकेटर मूमेंटम बताता है तो ट्रेडर को मूमेंटम देखकर और किसी ट्रेंड कन्फर्म करने वाले इंडिकेटर की मदद से ट्रेड करनी चाहिए।

ROC Indicator ka ट्रेडिंग में इस्तेमाल

ऊपर दर्शाए चार्ट में डाउनट्रेंड चलता हुआ दर्शाया गया है और उसके साथ साथ 10 और 20 पीरियड की मूविंग एवरेज (Moving Average in Hindi) दर्शाई गई है|

इसके साथ साथ दोनों मूविंग एवरेज का क्रोसओवर होता हुआ दिखाई दे रहा है और प्राइस उनके ऊपर ट्रेड करना शुरू कर रहा है तब ट्रेंड बदल रहा है, और इसी वक्त ROC इंडिकेटर की लाइन जीरो से ऊपर आती हुई दिखाई दे रही है।

दोनों इंडिकेटर EMA और ROC ट्रेंड के बदलने को पुख्ता कर रहे है। इसे कांफ्लुएंस ट्रेडिंग करना भी कहते है।

निष्कर्ष।

ट्रेडिंग करने के लिए टेक्निकल अनालिसिस बहुत जरूरी है और इंडिकेटर ट्रेडर को सही निर्णय लेने में मदद करते है।

ROC Indicator in Hindi के विषय पर ये कहना गलत नहीं होगा की ये संकेतक ट्रेडर को अपने निर्णय को पुख्ता करने में मदद करता है |

इसका प्रयोग करने के साथ साथ अनुभवी ट्रेडर हमेशां से यही सलाह देते है की कांफ्लुएंस पॉइंट्स का इस्तेमाल करो। जिसमें एक से ज्यादा तकनीकों का इस्तेमाल होता है।

हमें उम्मीद है की आपको हमारी ये जानकारी पसंद आयी होगी और आपका स्टॉक मार्किट की तरफ रुझान बढ़ा होगा |

अगर आपको स्टॉक मार्किट में शुरुआत करनी है तो आप नीचे दिए हुए फॉर्म को भर सकते हैं | हमारी टीम जल्द से जल्द आप को संपर्क करेगी और आपका डीमैट अकाउंट खोलने में सहायता करेगी |

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MACD Indicator in Hindi https://hindi.adigitalblogger.com/macd-indicator-in-hindi/ https://hindi.adigitalblogger.com/macd-indicator-in-hindi/#respond Mon, 17 Oct 2022 14:56:09 +0000 https://hindi.adigitalblogger.com/?p=130427 स्टॉक मार्केट में मूविंग एवरेज इंडिकेटर को सब आसानी से इस्तेमाल कर ट्रेंड की जानकारी प्राप्त कर लेते है, लेकिन…

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टेक्निकल इंडिकेटर के अन्य लेख

स्टॉक मार्केट में मूविंग एवरेज इंडिकेटर को सब आसानी से इस्तेमाल कर ट्रेंड की जानकारी प्राप्त कर लेते है, लेकिन क्या आप जानते है की EMA इंडिकेटर के कॉम्बिनेशन यानी की MACD इंडिकेटर से आप मार्केट के ट्रेंड और मोमेंटम दोनों की जानकारी ले सकते है। आज इस लेख में हम MACD indicator in hindi को विस्तार में समझेंगे।

टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए ये एक सर्वश्रेष्ठ इंट्राडे ट्रेडिंग इंडीकेटर (best indicator for intraday trading) में से एक है लेकिन ये क्या है, किस तरह से काम करता है और एक ट्रेडर किस तरह से इसका इस्तेमाल कर मार्केट में शेयर को खरीद और बेच सकते है, उसका विवरण आगे दिया गया है

MACD Indicator Explained in Hindi 

MACD इंडिकेटर ट्रेंड फॉलो करने वाला और मोमेंटम इंडिकेटर है। जिसका इन्वेंशन 1979 में  “जेराल्ड एपेल” ने किया था। MACD इंडिकेटर का  फुल फॉर्म  Moving Average Convergence Divergence (मूविंग एवरेज कन्वर्जेन्स डाइवर्जेंस) है।  

MACD एक प्राइस बेस्ड इंडिकेटर है। जो शेयर की कीमतों में हुए परिवर्तन को मूविंग एवरेज की सहायता से प्रदर्शित करता है। इसके मुख्य तीन पांइट्स होते हैं जिसमें से दो लाइन और एक हिस्टोग्राम होता है और इन्हीं तीनों को मिलकर MACD का निर्माण होता हैं।

MACD एक विश्वशनीय इंडिकेटर है, वैसे तो इस इंडिकेटर का इस्तेमाल अधिकतर इंट्राडे ट्रेड करने के लिए किया जाता है, लेकिन आप इस इंडिकेटर का इस्तेमाल शार्ट टर्म ट्रेडिंग के लिए भी कर सकते है, क्योंकि बड़े टाइम फ्रेम में भी इस टेक्निकल इंडिकेटर की कैलकुलेशन अच्छी ही होती है।

यह शेयर इंडिकेटर मूविंग एवरेज से मिलकर बना होता हैं जिसमें दो लाइन होती हैं जो वेव फॉर्म में चलती है और कुछ समय के अंतराल पर ये आपस में क्रॉस करती है और इसी जगह पर हम किसी भी स्टॉक को खरीदने या फिर बेचने के लिए फैसले ले पाते हैं ।

मूविंग एवरेज , प्राइस के मूवमेंट से बनता है और MACD indicator मूविंग एवरेज से बनता है। इसलिए यह इंडिकेटर थोड़ा लेट से कोई सिग्नल देता हैं, लेकिन इसकी एक्यूरेसी किसी दूसरे शेयर मार्केट इंडिकेटर (share market indicator in hindi) के मुकाबले बहुत अच्छी होती हैं ।


MACD Indicator Formula in Hindi 

जैसे की ऊपर बताया गया है MACD मूविंग एवरेज इंडिकेटर से मिलकर बनता है, तो यहाँ पर शुरूआती ट्रेडर को मूविंग एवरेज (moving average in hindi) की जानकारी होना आवश्यक है

मूविंग एवरेज इंडिकेटर चुने हुए टाइम पीरियड के अनुसार पिछले क्लोजिंग प्राइस की गणना कर एक औसत प्राइस की जानकारी देता है। प्राइस अगर अपने औसत से ऊपर हो तो अपट्रेंड और नीचे होने पर डाउनट्रेंड का संकेत देता है। 

इसकी कैलकुलेशन के लिए शेयर मार्केट का गणित समझे तो 1-डे चार्ट में 1-मिनट का टाइम फ्रेम में 9 पीरियड मूविंग एवरेज पिछले 9 मिनटों के क्लोजिंग प्राइस के अनुसार एक औसत प्राइस की जानकारी देता है।

अब MACD की गणना करने के लिए 12-पीरियड EMA (फ़ास्ट मूविंग एवरेज) से 26-पीरियड EMA (स्लो मूविंग एवरेज) को घटाया जाता है, जिससे फ़ास्ट मूविंग एवरेज MACD लाइन का निर्माण होता है

दूसरी तरफ इसके साथ सिग्नल लाइन का उपयोग किया जाता है जो MACD लाइन का 9-पीरियड EMA होता है और एक स्लो मूविंग एवरेज की वैल्यू देता है। MACD वैल्यू से सिग्नल लाइन के एवरेज वैल्यू को घटाकर हिस्टोग्राम बनता है।

  • MACD line = 12-period EMA – 26-period EMA
  • Signal line = 9-period EMA
  • Histogram = MACD line – Signal line

इस तरह से कैलकुलेट हुए MACD को 12,26,9 कहा जाता है, आप अपने अनुसार इस वैल्यू को बदल भी सकते है

अब अगर MACD लाइन की वैल्यू एक पॉजिटिव नंबर हो तो ये लाइन ऊपर की और ट्रेंड करती है और नेगेटिव वैल्यू होने पर ये नीचे की और ट्रेंड करती है

दूसरी तरफ MACD और सिग्नल लाइन को घटाकर अगर पॉजिटिव नंबर आता है तो पॉजिटिव हिस्टोग्राम (हरे रंग) बनता है और इसके विपरीत लाल रंग का हिस्टोग्राम बनता है जो मार्केट में बुलिश और बेयरिश ट्रेंड की जानकारी प्रदान करता है।

अब देखते है कि ये कैसे काम करता है


MACD Indicator Strategy in Hindi 

इस इंडिकेटर में आपको 2 लाइन MACD और सिग्नल लाइन है जब MACD लाइन सिग्नल लाइन को नीचे से ऊपर की और काटती है तो ये बाय का सिग्नल देता है।

दूसरी तरफ ऊपर से नीचे आने पर सेल सिग्नल मिलता है।

इसके साथ एक ट्रेडर के लिए हिस्टोग्राम की चौड़ाई देखना भी बहुत ज़रूरी होता है क्योंकि इससे आप करंट ट्रेंड की स्ट्रेंथ की जानकारी मिलती है। यहाँ पर अगर हिस्टोग्राम की चौड़ाई ज़्यादा हो (divergence) तो दोनों लाइन की दूरी बढ़ती है जो स्ट्रांग ट्रेंड का संकेत देता है।

इसके विपरीत अगर हिस्टोग्राम पास हो (convergence) तो वह वीक ट्रेंड का संकेत देते है और ऐसे में किसी भी तरह का ट्रेड निर्णय नहीं लेना चाहिए


MACD Indicator के फायदे 

चलिए अब इस इंडिकेटर के फायदों की बात करते है:

  • MACD  इंडिकेटर  एक मोमेंटम और ट्रेंड फॉलोविंग इंडिकेटर है जिसे आसानी से प्राइस के साथ प्लॉट किया जा सकता है। 
  • MACD  इंडिकेटर , एक प्राइस बेस्ड इंडिकेटर होने के कारण थोड़ा लेट सिग्नल देता  है पर इसके बाइंग और सेल्लिंग का सिग्नल एक्यूरेट होता है। 
  • MACD  ( एमएसीडी ) इंडिकेटर , मूविंग एवरेज की सहायता से बनता है जिसे चार्ट पर लाइन के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है  जिससे की समझने में आसानी होती है। 
  • MACD इंडिकेटर को किसी भी टाइमफ्रेम में देखा जा सकता है और ये सभी ट्रेडिंग प्लेटफार्म पर आसानी से उपलब्ध है। 

MACD Indicator की कमियां

अब हर टेक्निकल इंडिकेटर शेयर मार्केट के गणित पर निर्भर करता है और कई बार ये कुछ गलत संकेत भी दे देता है। ऐसे में MACD indicator की कुछ कमिया निम्नलिखित है:

  • MACD  इंडिकेटर , एक प्राइस बेस्ड इंडिकेटर होने के कारण थोड़ा लेट सिग्नल देता  है।
  • MACD इंडिकेटर अक्सर एक संभावित रिवर्सल का सिग्नल देता है लेकिन यह कभी-कभी एक झूठी सकरात्मकता भी पैदा कर सकता है׀
  • दूसरी समस्या यह है कि  MACD इंडिकेटर बहुत से रिवर्सल का प्रेडिक्शन करता है जो होते नहीं या पर्याप्त रियल प्राइस रिवर्सल नहीं होते है׀
  • इसके अलावा, बेयरिश मोमेंटम के कारण MACD अपने पूर्व चरम से दूर हो जाएगा׀  

निष्कर्ष:

  • MACD मूविंग एवरेज पर आधारित है जिसका अर्थ है कि यह मोमेंटम का एनालिसिस करने के लिए आदर्श है, यह ट्रेंड को फॉलो करती हुई एंट्री का पता लगाता है, और जब तक मोमेंटम का अंत नहीं हो जाता यह ट्रेंड में बना रहता है׀
  • जब हम यह देखते है कि MACD इंडिकेटर की दो लाइनें एक-दूसरे से दूर हो जाती है, तो इसका अर्थ होता है कि मोमेंटम बढ़ रहा है और ट्रेंड मजबूत हो रहा है׀
  • MACD  टेक्निकल सिग्नल को ट्रिगर करता है जब यह अपनी सिग्नल लाइन के ऊपर (खरीदने के लिए) या नीचे (बेचने के लिए) को पार करता है।
  • क्रॉसओवर की गति को एक मार्केट ट्रेंड के रूप में भी लिया जाता है कि वह ओवरबॉट है या ओवरसोल्ड है।
  • MACD  इंवेस्टर्स को यह समझाने में मदद करता है कि कीमत में बुलिश ट्रेंड या बेयरिश ट्रेंड की गति मजबूत हो रही है या कमजोर।

किसी भी इंडीकेटर्स को समझने के लिए आपको उन्हें अच्छे से बार -बार समझना होगा। कोई भी इंडीकेटर्स एक्यूरेट सिग्नल नहीं दिखाते हैं। आपको अनुभव से पता चलेगा की कौन सा इंडीकेटर्स किस तरीके से काम करता है। तो इसलिए लगातार अभ्यास करते रहें। इंडिकेटर विश्वास बनाने और हमारी ट्रेडिंग में फेयरनेस (निष्पक्षता) बनाने के लिए एक महान टूल्स साबित हो सकते है׀


शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए अभी संपर्क करें और हम आपको एक सही स्टॉक ब्रोकर और उसके साथ डीमैट खाता खोलने में मदद प्रदान करेंगे:

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ADX Indicator in Hindi https://hindi.adigitalblogger.com/adx-indicator-hindi/ https://hindi.adigitalblogger.com/adx-indicator-hindi/#respond Fri, 14 Oct 2022 20:32:28 +0000 https://hindi.adigitalblogger.com/?p=130344 स्टॉक मार्केट में सही ट्रेंड की जानकारी के लिए तो कई प्रकार के टेक्निकल इंडिकेटर है लेकिन कौन सा ट्रेंड…

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टेक्निकल इंडिकेटर के अन्य लेख

स्टॉक मार्केट में सही ट्रेंड की जानकारी के लिए तो कई प्रकार के टेक्निकल इंडिकेटर है लेकिन कौन सा ट्रेंड कितने समय तक रह सकता है, या सरल भाषा में ट्रेंड कितना ताकतवर है उसके लिए आप एवरेज डायरेक्शनल मूवमेंट इंडेक्स (ADX indicator in hindi) जैसे स्ट्रेंथ इंडिकेटर का उपयोग कर सकते है।

ADX Indicator Strategy in Hindi

वेलेस वाइल्डर द्वारा विकसित, ADX Indicator इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ इंडिकेटर है (best indicator for intraday trading in hindi) जो आपको स्टॉक के  डायरेक्शनल मूवमेंट की जानकारी और मूल्य आंदोलनों और उनकी ताकत को मापता है। 

ADX, एवरेज डायरेक्शनल इंडिकेटर है जो ट्रेंड की स्ट्रेंथ को बताता है। यह सीधे खरीदने या बेचने के संकेत प्रदान नहीं करता है बल्कि ट्रेंड के मूवमेंट की ताकत का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी वैल्यू  0 और 100 के बीच होती है, जिसमे 25 या उससे ऊपर की वैल्यू ट्रेंड की मजबूती का संकेत देता है। 

जैसे की अगर स्टॉक अपट्रेंड में है और उसके ADX की वैल्यू 30 है तो वह ये ट्रेंड की मजबूती की जानकारी देता है और एक ट्रेडर दूसरे इंडिकेटर की मदद से एक सही प्राइस पर लॉन्ग पोजीशन ले सकता है। 

वही अगर इसी अपट्रेंड स्टॉक के ADX वैल्यू 25 से नीचे आती है तो ये अपट्रेंड की समाप्ति का संकेत देता है

इसी तरह से डाउनट्रेंड में ADX की वैल्यू 25 से ऊपर स्ट्रांग डाउनट्रेंड और उससे कम होने पर कमज़ोर ट्रेंड का संकेत देता है

इस इंडिकेटर में ADX लाइन के साथ दो और लाइन होती है जो आपको पॉजिटिव और नेगेटिव मार्केट डायरेक्शन की जानकारी देता है

  • नेगेटिव डायरेक्शनल इंडेक्स (DMI-)
  • पॉजिटिव डायरेक्शनल इंडेक्स (DMI +)

इस लेख में आगे जानेंगे कि किस प्रकार आप इन रेखाओं का इस्तेमाल कर एक सही ट्रेड कर सकते है


ADX Indicator Formula in Hindi 

शेयर मार्केट का गणित ADX इंडिकेटर (ADX indicator in hindi) की गणना करने के लिए भी उपयोगी होता है। यहाँ पर ट्रेंड की जानकारी के लिए डायरेक्शनल मूवमेंट यानी की +DI और -DI की गणना करनी होती है। अब यहाँ पर पॉजिटिव डायरेक्शनल मूवमेंट (DI) की गणना करने के लिए आपको स्टॉक का नवीनतम हाई प्राइस से पिछले हाई प्राइस को माइनस करना होता है।

यहाँ पर अगर हाई प्राइस का अंतर लॉ प्राइस के अंतर से ज़्यादा होता है तो वह पॉजिटिव डायरेक्शनल मूवमेंट का संकेत देता है। यहाँ पर हाई प्राइस का अंतर अगर पॉजिटिव है तो वह आपको +DI की वैल्यू प्रदान करता है और अगर नेगेटिव हो तो उसे 0 से रखा जाता है।

दूसरी तरफ नेगेटिव डायरेक्शनल मूवमेंट के लिए पिछले लॉ प्राइस से नवीनतम लॉ प्राइस को घटाना है और अगर लॉ प्राइस का अंतर पॉजिटिव है तो वह आपको नेगेटिव डायरेक्शनल मूवमेंट (-DI) की वैल्यू प्रदान करता है।

अब ADX की गणना 14 पीरियड मूविंग एवरेज और +DI और -DI की वैल्यू से की जाती है

तो यहाँ पर ADX के संकेत को समझने के लिए मूविंग एवरेज इंडिकेटर की जानकारी होना आवश्यक है। मूविंग एवरेज (moving average in hindi) आपको मार्केट के क्लोजिंग प्राइस के आधार पर एक औसत प्राइस की जानकारी देता है। 14-पीरियड मूविंग एवरेज को अगर 1-मिनट चार्ट में इस्तेमाल किया जाए तो ये आपको पिछले 14 मिनटों के क्लोजिंग प्राइस के आधार पर एवरेज  देता है।

अब इस वैल्यू को नीचे दिए गए फार्मूला में इस्तेमाल कर आप ADX इंडिकेटर की वैल्यू की गणना कर सकते है

ADX= 14 पीरियड मूविंग एवरेज [{(+DI)-(DI)}/{(+DI)+(-DI)}]*100 

अब देखने में और समझने में ये आपको काफी मुश्किल लग रहा होगा, लेकिन आपको ये सब फार्मूला और कैलकुलेशन की आवश्यकता नहीं है, आप अपने ट्रेडिंग चार्ट मे सीधे इस इंडिकेटर का इस्तेमाल कर मार्केट के ट्रेंड की स्ट्रेंथ की जानकारी ले सकते हो और चाहे तो अपनी स्ट्रेटेजी के अनुसार ADX की वैल्यू को 14 से कम ज़्यादा भी कर सकते है


How to Use ADX Indicator in Hindi?

आप इस शेयर मार्केट इंडिकेटर (share market indicator in hindi) को एक पंक्ति के रूप में प्लॉट कर सकते हैं इसकी वैल्यू 0 से 100 की रेंज में होती है और जैसे की बताया गया है कि इस इंडिकेटर में ADX के साथ दो और लाइन +DI और -DI का उपयोग किया जाता है। 

तो, ये लाइन्स हमें क्या बताती हैं?

  • यदि DMI+ रेखा DMI- रेखा को ऊपर की ओर काटती है, तो इसका अर्थ है कि कीमतें ऊपर चल रही हैं। एडीएक्स लाइन की कीमत अगर 25 से ऊपर है तो ये ट्रेंड की ताकत को मापती है।
  • यदि DMI- लाइन DMI+ को ऊपर की ओर काटती है, तो यह दर्शाता है कि कीमतें नीचे की ओर चल रही हैं, ADX लाइन डाउनट्रेंड की ताकत को मापती है।
  • जब एडीएक्स 20 से नीचे होता है तो ये ट्रेंड की कमज़ोरी की जानकारी देता है।
  • जब एडीएक्स 25 से ऊपर होता है, तो एक मजबूत रुझान मौजूद होता है।
  • यदि ADX लाइन अपने उच्च मूल्यों से नीचे की ओर मुड़ना शुरू कर रही है, तो यह एक ऊपर या नीचे की ट्रेंड के अंत का संकेत देती है।
  • यदि एडीएक्स लाइन बढ़ना शुरू हो रही है, तो बाजार में मजबूती का रुझान दिख रहा है।

इस तरह से एडीएक्स इंडिकेटर (ADX indicator in hindi) की सही समझ के साथ आप मार्केट में आने वाले रेवेर्सल की जानकारी प्राप्त कर सकते है


निष्कर्ष

एडीएक्स संकेतकों (ADX indicator in Hindi) का उपयोग करके ट्रेड कैसे करें, यह देखते हुए हमने पहले से ही कुछ मुख्य बिंदुओं को ध्यान में रखा है। उदाहरण के लिए, 25 से अधिक एडीएक्स एक मजबूत ट्रेंड  को इंगित करता है, जबकि 20 से नीचे एडीएक्स कमजोर प्रवृत्ति को ट्रेंड करता है।

ट्रेडर्स के लिए यह क्या मायने रखता है? घटते हुए ADX आपको दिखा सकते हैं कि बाजार का रुझान कमजोर हो रहा है, जिसका अर्थ है कि आपको इस ट्रेंडलाइन के आधार पर ट्रेडिंग से बचना चाहिए। दूसरी ओर, जब ADX चार या पांच इकाइयों से बढ़ना शुरू करता है, तो यह दर्शाता है कि इस प्रवृत्ति के अनुसार ट्रेड  करने का समय आ गया है।

किसी भी स्थिति में, ADX स्टॉक इंडिकेटर को हमेशा कीमत के साथ देखा जाना चाहिए। मूल्य में उतार-चढ़ाव देखने के मुख्य संकेत हैं, लेकिन ADX इन प्रवृत्तियों की ताकत को इंगित करके मदद कर सकता है। जब सामान्य मूल्य सीमा से अचानक ब्रेकआउट होते हैं, तो आप यह निर्धारित करने के लिए ADX संकेतक को देख सकते हैं कि ये एक बार की घटना है, या एक सतत प्रवृत्ति है।

कुल मिलाकर, मजबूत रुझानों की पहचान करने की क्षमता ट्रेडर्स के लिए अत्यंत मूल्यवान है। कीमत के साथ एडीएक्स का उपयोग करके, आप ट्रेंडिंग स्थितियों की पहचान कर सकते हैं और कम जोखिम वाले अधिक लाभदायक ट्रेडों को शामिल कर सकते हैं।


अगर आप स्टॉक मार्केट में निवेश या ट्रेड कर मुनाफा कमाना चाहते है तो शुरुआत करने के लिए अभी डीमैट खाता खोले। एक सही स्टॉकब्रोकर का चयन करने के लिए और फ्री डीमैट खाता खोलने के लिए नीचे दिए गए फॉर्म में अपना विवरण भरे।

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RSI Indicator in Hindi https://hindi.adigitalblogger.com/rsi-indicator-in-hindi/ https://hindi.adigitalblogger.com/rsi-indicator-in-hindi/#respond Mon, 08 Aug 2022 12:31:28 +0000 https://hindi.adigitalblogger.com/?p=126211 शेयर बाजार में टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए सर्वश्रेष्ठ इंट्राडे ट्रेडिंग इंडीकेटर्स (best indicator for intraday trading in hindi) का…

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टेक्निकल इंडिकेटर के अन्य लेख

शेयर बाजार में टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए सर्वश्रेष्ठ इंट्राडे ट्रेडिंग इंडीकेटर्स (best indicator for intraday trading in hindi) का इस्तेमाल किया जाता है जिससे एक ट्रेडर स्टॉक के ट्रेंड, वॉल्यूम, वोलैटिलिटी और मोमेंटम की जानकारी आसानी से प्राप्त करता है। ऐसा ही एक इंडिकेटर है RSI (Relative Strength Index)। आज इस लेख में हम RSI Indicator in Hindi को विस्तार में समझेंगे।

RSI Indicator जे.वेल्स विल्डर ने बनाया था जिससे एक ट्रेडर स्टॉक और मार्केट की मोमेंटम की जानकारी प्राप्त कर सकता है, सरल भाषा में ये इंडिकेटर आपको बताता है कि कितनी तेज़ी से किसी भी स्टॉक के प्राइस में बदलाव आ रहा है

तो आइये इस इंडिकेटर की बारीकियों को समझने के लिए इसके मीनिंग, फार्मूला और किस तरह से चार्ट में  इसका इस्तेमाल किया जाता है के बारे में जाने

RSI Indicator Explained in Hindi

स्टॉक मार्केट में ट्रेड करते समय निरंतर शेयर का प्राइस बढ़ता घटता रहता है, अब इसके चलते एक ट्रेडर के लिए ये जानना काफी मुश्किल हो जाता है की वह किस तरह की पोजीशन से ज़्यादा फायदा कमा सकता है। इसी मुश्किल को आसान करने के लिए RSI indicator जैसे शेयर मार्किट इंडिकेटर (share market indicator in hindi) का इस्तेमाल किया जाता है।

RSI indicator एक ओसीलेटर की तरह काम करता है जो 0-100 वैल्यू के बीच में ओसीलेट करता रहता है। अब जैसे की आप जानते है कि शेयर मार्केट में जब किसी भी शेयर की डिमांड बढ़ती है यानी कि ज़्यादा बायर आते है तो प्राइस बढ़ता है और सेलर के आने से प्राइस घटना प्राइस घटना शुरू होता है।

लेकिन हर एक फेज का अंत ज़रूर आता है। जब लगातार बायर की संख्या अधिक हो जाती है तो शेयर का प्राइस काफी बढ़ जाता है और ऐसे में ट्रेडर अपना प्रॉफिट बुक कर मार्केट से निकलने लगते है। इससे शेयर में गिरावट होना शुरू होती है।

अब कब शेयर कर प्राइस मैक्सिमम है और कब वह सस्ते दामों में मिलेगा इन सबका संकेत देने के लिए आरएसआई इंडिकेटर (RSI indicator in hindi) आपकी मदद करता है। 


RSI Indicator Formula in Hindi

अभी तक हमने RSI के मीनिंग और वैल्यू की बारे में जानकारी दी है, अब ये जानते है की इस वैल्यू की गणना किस तरह से की जाती है

विल्डर ने इस इंडिकेटर को बनाते समय एक सिंपल से फार्मूला का इस्तेमाल किया था

RSI = 100 – [100 / 1+RS ]

यहाँ पर RS= Average Gain/Average Loss

ये पूरी गणना 14 पीरियड RSI के अनुसार की गयी है

यहाँ पर पहले एवरेज को निकलने के लिए निम्नलिखित फार्मूला का इस्तेमाल किया जाता है:

  • First Average Gain = पिछले 14 पीरियड में कमाए हुए प्रॉफिट को जोड़े / 14.
  • First Average Loss = पिछले 14 पीरियड में हुए लॉस की वैल्यू को जोड़े / 14

अब ऊपर निकली हुई वैल्यू को निम्नलिखित फार्मूला में उपयोग कर एवरेज गेन और लॉस की वैल्यू गणना की जाती है, जिसके बाद इसे RSI फार्मूला में इस्तेमाल कर रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स की वैल्यू निकाली जाती है:

  • Average Gain = [(previous Average Gain) x 13 + current Gain] / 14.
  • Average Loss = [(previous Average Loss) x 13 + current Loss] / 14.

इस वैल्यू के आधार पर हर एक मिनट, घंटे या दिनों के हिसाब से RSI की वैल्यू की गणना कर सकते है। ये शुरूआती ट्रेडर को थोड़ा मुश्किल लग रहा होगा लेकिन अगर आप स्टॉक ट्रेडिंग चार्ट का इस्तेमाल करेंगे तो आपको इस गणना की आवश्यकता नहीं पड़ेगी।

इस लेख में आगे जानेंगे की RSI का इस्तेमाल आप चार्ट में किस प्रकार कर सकते है और किस तरह से ये आपको ट्रेडिंग करने के लिए एक सहायक टूल है


RSI Trading Strategy in Hindi 

स्टॉक मार्केट चार्ट में और लगभग हर तरह की ट्रेडिंग एप में RSI indicator को इस्तेमाल करने का ऑप्शन प्रदान किया जाता है। इसकी डिफ़ॉल्ट सेटिंग 14 पीरियड की होती है हालांकि आप अपने अनुसार इसे बदल भी सकते है। जैसे की अगर आपको ज़्यादा बारीकी से स्टॉक का विश्लेषण करना है तो उसके लिए आप RSI 8 को चुन सकते है।

RSI indicator कैसे पढ़े

टेक्निकल एनालिसिस के लिए आप RSI का इस्तेमाल आप अलग-अलग तरह से कर सकते है। जैसे की आप ट्रेंड किस दिशा में बढ़ रहा है और किस दिशा में आगे जा सकता है इसके बारे में RSI आपको जानकारी देता है। अब इससे एक ट्रेडर आसानी से एक सही पोजीशन लेकर प्रॉफिट कमा सकता है।

अगर किसी RSI की वैल्यू 70 या उससे अधिक है तो माना जाता है की मार्केट में बायर की संख्या सेलर से ज़्यादा है (overbought condition) जो आने वाले डाउनट्रेंड का संकेत देता है और दूसरी तरफ अगर स्टॉक का प्राइस 30 या उससे कम है तो स्टॉक ओवरसोल्ड है, यानी सेलर मार्केट में ज़्यादा होने का प्रतीत होता है, इससे स्टॉक की कीमत बढ़ने के आसार होते है।

क्योंकि ये इंडिकेटर आने वाले ट्रेंड की जानकारी पहले से ही प्रदान करता है इसलिए इसे लीडिंग इंडिकेटर भी कहा जाता है

साथ ही आप इस इंडिकेटर से ट्रेंड की जानकारी ले सकते है। जानना चाहते है कैसे? RSI इंडिकेटर की रेंज ज़्यादातर ट्रेडर 70-30 की रखते है अब जब भी आपने इस इंडिकेटर को इस्तेमाल किया होगा तो इस इंडिकेटर में 50 RSI पर एक लाइन और होती है अब इस लाइन का इस्तेमाल कैसे किया जाता है, उसके लिए आइये पहले नीचे दिए गए चार्ट को देखते है।

ऊपर दिए गए चार्ट में जब RSI की वैल्यू ऊपर से नीचे की ओर आती हुए RSI 50 को क्रॉस करती है अब यहाँ पर जब RSI वैल्यू 70 से ज़्यादा है तो आने वाले डाउनट्रेंड का संकेत मिलता है वही जैसे ही RSI 50 को क्रॉस करता है तो ट्रेंड कन्फर्मेशन का सिग्नल मिलता है

इसी तरह से जब RSI की वैल्यू 30 से नीचे होती है तो अपट्रेंड का संकेत मिलता है और जैसे ही RSI 30 से बढ़ते हुए 50 को ऊपर की और क्रॉस करता है तो अपट्रेंड का सिग्नल मिलता जो बायर के लिए एक अवसर लेकर आता है

इसी तरह से नीचे चार्ट में स्टॉक वैल्यू स्ट्रेटेजी के अनुसार बदली जा सकती है। 


RSI Divergence in Hindi

इसके साथ RSI इंडिकेटर आपको ट्रेंड कब रिवर्स होने वाला है उसकी भी जानकारी देता है, जानना चाहते है कि कैसे?

अब अगर आपने स्टॉक मार्केट चार्ट में RSI इंडिकेटर को देखा होगा तो आपको ज्ञात होगा की ये इंडिकेटर प्राइस की तरह ही मूव करता है। लेकिन कभी-कभी ये प्राइस के विपरीत चलता है और यही से वह ट्रेंड रिवर्स होने का संकेत देता है।

इसको समझने के लिए नीचे दिए गए चार्ट की जानकारी को पढ़े। जब प्राइस हायर लौ (यानी की अपट्रेंड में हो) लेकिन उसे समय RSI लोवर लो बना रहा हो तो ये आने वाले ट्रेंड रेवेरसल का संकेत देता है और टेक्निकल भाषा में इसे RSI divergence कहा है।

इसी तरह से अगर RSI हायर लॉ और प्राइस लोवर लॉ बना रहा हो तो वह चल रहे डाउनट्रेंड के ख़त्म होने का संकेत देता है

इसे कन्फर्म करने के लिए आप दूसरे इंडिकेटर का इस्तेमाल RSI के साथ कर सकते है जैसे की बोलिंजर बैंड्स (bollinger bands in hindi) जिससे आपको वोलैटिलिटी की जानकारी मिलती है और आप बेहतर और सही संकेत के साथ मार्केट में ट्रेड सकते है।

तो RSI indicator आपको सिर्फ ट्रेंड या मोमेंटम की जानकारी नहीं देता ये आपको आने वाले रेवेर्सल से भी अवगत करवाता है और एक ट्रेडर को सही पोजीशन लेने में सहयोग करता है। ये डाईवेर्जेंस स्ट्रेटेजी इंट्राडे ट्रेडिंग (intraday trading in hindi) के लिए बहुत लाभदायक होती है क्योंकि इससे ट्रेडर को ज़्यादा मुनाफा कमाने का अवसर मिलता है।


निष्कर्ष 

RSI Indicator in hindi में आपने जाना की किस तरह से इस  आप स्टॉक में सही पोजीशन लेने, उसके रेवेर्सल और ट्रेंड की जानकारी प्राप्त कर उसके सही तरीके से ट्रेड कर मुनाफा कमा सकते है। एक तरह का प्रमुख और आसान इंडिकेटर जो आपको मार्केट के मोमेंटम की जानकारी देता है, इसे इस्तेमाल करने के लिए आपको इसकी बारीकियों से अवगत करवाया है।

एक सही जानकारी प्राप्त करने के लिए और सही ट्रेड करने के लिए आप इस इंडिकेटर को अन्य इंडिकेटर के साथ इस्तेमाल कर सकते है, जिससे आप अपने नुक्सान होने के मौके कम कर सके


स्टॉक मार्केट में निवेश करने हेतु और सही स्टॉकब्रोकर का चयन करने के लिए अभी हमे संपर्क करें। हम आपको आपकी ट्रेडिंग के अनुसार एक सही स्टॉकब्रोकर चुनने में और उसके साथ निःशुल्क डीमैट खाता खोलने में मदद प्रदान करेंगे।

 

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पूरा पढ़ें...

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एवरेज ट्रू रेंज यानि एटीआर (ATR Indicator in Hindi) एक लोकप्रिय और व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले तकनीकी इंडीकेटर्स में से एक है जो अस्थिरता (Volatility) को ट्रैक करता है।

यह इंडीकेटर दर्शाता है कि किसी विशिष्ट समय-सीमा के दौरान कोई स्टॉक या इंडेक्स औसतन कितना मूव कर सकता है। इससेर ट्रेडर्स को अपने ट्रेड की पुष्टि करने के साथ-साथ पोजिशन में स्टॉप-लॉस लगाने में भी मदद मिलती है।

आइए ATR Indicator in Hindi के वारे में विस्तार से चर्चा करें.

एवरेज ट्रू रेंज (एटीआर) क्या है?

एवरेज ट्रू रेंज (एटीआर) एक अस्थिर (Volatility) शेयर मार्केट इंडिकेटर (share market indicator in hindi) है जिसे एक प्रसिद्ध टेक्निकल विशेषज्ञ वेलेस वाइल्डर जूनियर ने अपनी नामक बुक “न्यू कॉन्सेप्ट्स इन टेक्निकल ट्रेडिंग सिस्टम्स” में सन 1978 में पेश किया था।

अन्य टेक्निकल इंडीकेटर्स के विपरीत, एटीआर स्टॉक प्राइस के ट्रेंड के बारे में नहीं बताता, लेकिन ये इसकी अस्थिरता (Volatility) की डिग्री को मापता है। 

एटीआर इंडीकेटर सबसे पहले कमोडिटी मार्केट में उपयोग के लिए पेश किया गया था, लेकिन अब इसे सभी प्रकार की मार्केट पर उपयोग किया जाता है। ये इंडिकेटर ट्रू रेंज वैल्यू के एन-पीरियड सिंपल मूविंग एवरेज (SMA) का प्रतिनिधित्व करता है।

मूविंग एवरेज इंडिकेटर (moving average in hindi) आपको शेयर के औसत प्राइस की जानकारी देता है

ट्रेडर्स एटीआर इंडीकेटर में आमतौर पर 14-Day अवधि का उपयोग करते हैं क्योंकि यह पहली बार जे वेल्स वाइल्डर द्वारा अनुशंसित किया गया था।


एटीआर की गणना कैसे की जाती है?

एवरेज ट्रू रेंज (एटीआर) की गणना निम्नलिखित 3 विधियों में से किसी एक का उपयोग करके की जा सकती है और ये इस बात पर निर्भर करती है कि चार्ट पर कैंडल्स कैसी बनती हैं।

किसी भी स्टॉक चार्ट पर औसत ट्रू रेंज की गणना 14-अवधि के आधार पर होती है। ये अवधि इंट्राडे, दैनिक, साप्ताहिक या मासिक हो सकती है। उदाहरण के लिए, एक दैनिक चार्ट पर प्रत्येक दिन एक नई एवरेज ट्रू रेंज की गणना की जाती है, ठीक इसी प्रकार एक मिनट के चार्ट पर हर मिनट की गणना की जाती है।

जब चार्ट पर एटीआर इंडीकेटर प्लॉट किया जाता है, तो रीडिंग एक सतत रेखा बनाती है जो समय के साथ अस्थिरता (Volatility) में परिवर्तन को दिखाती है।

  • विधि 1: वर्तमान हायर प्राइस से वर्तमान लॉअर प्राइस को घटाए।
  • विधि 2: वर्तमान हायर प्राइस से पिछली क्लॉजिंग प्राइस को घटाए।
  • विधि 3: वर्तमान लॉअर प्राइस से पिछली क्लॉजिंग प्राइस को घटाए।

अव, हम इन्हे उदाहरण की मदद से समझते है:

ATR Indicator in Hindi

  • उदाहरण A: अगर वर्तमान कैंडल की रेंज पिछली कैंडल से बड़ी है, तो हम विधि 1 का उपयोग करते हैं।
  • उदाहरण B: अगर वर्तमान कैंडल पिछली कैंडल की तुलना में अधिक ऊपर बंद हो जाती है, तो हम विधि 2 का उपयोग करते हैं।
  • उदाहरण C: अगर वर्तमान कैंडल पिछली कैंडल की तुलना में नीचे क्लॉज होती है, तो हम विधि 3 का उपयोग करते हैं।

तो निष्कर्ष यह है… 

कैंडल की रेंज जितनी बड़ी होगी, एटीआर वैल्यु उतनी ही अधिक होगी, और इसके विपरीत इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि संख्या पॉजिटिव है या निगेटिव। इसलिए गणना में उच्चतम निरपेक्ष मान (absolute value) का उपयोग किया जाता है।

आमतौर पर, ट्रेडर्स गणना में अवधियों की संख्या के लिए 14 का उपयोग करते हैं।

सूत्र: वर्तमान ऐवरेज ट्रू रेंज = [पूर्व ऐवरेज ट्रू रेंज * 13 + करंट ट्रू रेंज] / 14


एटीआर आपको क्या बताता है?

वेलेस वाइल्डर जूनियर ने मूल रूप से कमोडिटी के लिए एटीआर इंडीकेटर को विकसित किया था, हालांकि इस इंडीकेटर का उपयोग स्टॉक और इंडेक्स सभी के लिए भी किया जा सकता है। सीधे शब्दों में कहें तो हाई स्तर की वोलेटिलिटी का अनुभव करने वाले स्टॉक में एटीआर वैल्यु अधिक होती है, और इसी तरह कम वोलेटिलिटी वाले स्टॉक में एटीआर कम होता है। 

एटीआर इंडीकेटर का उपयोग ट्रेडर्स द्वारा ट्रेडों में प्रवेश करने और बाहर निकलने के लिए भी किया जा सकता है, और यह एक ट्रेडिंग सिस्टम में जोड़ने के लिए एक उपयोगी टूल सावित हो सकता है।

यह ट्रेडर्स को सरल गणनाओं का उपयोग करके किसी स्टॉक या इंडेक्स की दैनिक वोलेटिलिटी को अधिक सटीक रूप से मापने की अनुमति देने के लिए बनाया गया है।

ये इंडीकेटर किसी स्टॉक के ट्रेंड को नही बताता है; बल्कि इसका उपयोग मुख्य रूप से एक समय अवधि में होने वाली वोलेटिलिटी को मापने और ऊपर या नीचे की चाल को सीमित करने के लिए किया जाता है। 

एटीआर एक ट्रेडर को यह भी संकेत दे सकता है कि डेरिवेटिव मार्केट में किस तरह का ट्रेड करना है। पोजिशन साईजिंग के लिए भी एटीआर इंडीकेटर का उपयोग करना संभव है जो एक व्यक्तिगत ट्रेडर की जोखिम को स्वीकार और मार्केट अस्थिरता के आधार पर सही पोजिशन साईज चुनने में मदद करता है।


एटीआर इंडीकेटर का उपयोग कैसे करें? 

आपको अपना कोई भी चार्टिंग वेवसाईट या सोफ्टवेयर खोल लेना है और किसी एक स्टॉक को चुनना है। उसके बाद इंडीकेटर के सेक्शन में जाकर एटीआर सर्च कर इसे सेलेक्ट कर ले। अभी आपके चार्ट पर एटीआर इंडीकेटर लग चुका है। 

ATR Indicator in Hindi

आप इस चार्ट में देख सकते है ये निफ्टी का डैली चार्ट है जिस पर एटीआर इंडीकेटर लगाया गया है, इसमें आप देख पा रहे है कि वैल्यु 270 के करीव है तो इसका मतलव है कि निफ्टी यहां से 270 पॉइंट ऊपर जा सकता है या 270 पॉइंट नीचे जा सकता है।

अगर ये चार्ट डैली की बजह हमने इसमें 15 मिनट टाईमफ़्रेम का उपयोग किया होता तो इसका मतलव है 15 मिनट के दौरान  निफ्टी कितना ऊपर जा सकता है या नीचे जा सकता है। 

एटीआर इंडीकेटर का उपयोग मार्केट की बोलेटिलिटी को जानने के लिए किया जाता है और इसकी मदद से हम अपनी ट्रेड में ट्रेलिंग स्टॉप लॉस और टार्गेट लगा सकते है। 

यदि आप मार्केट में बड़े पैमाने पर ट्रेड करना चाहते हैं, तो आपको अपने ट्रेडों पर ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का उपयोग करना चाहिए।

लेकिन सवाल आता है… कैसे?

ट्रेलिंग स्टॉप लॉस लगाने के कई तरीके हैं, सबसे लेकिन लोकप्रिय तरीकों में से एक है अपने स्टॉप लॉस को ट्रैक करने के लिए एटीआर इंडिकेटर का उपयोग करना। 


टार्गेट निर्धारित करने के लिए एटीआर इंडीकेटर का उपयोग कैसे करे? 

यदि आप नही जानते है ट्रेंड कहा तक चलेगा, तो आप टार्गेट निर्धारित करने के लिए एटीआर इंडीकेटर का भी उपयोग कर सकते हैं।

अव सबाल यह आता है कि ये कैसे काम करता है…

आप जानते हैं कि एटीआर इंडीकेटर आपको बताता है कि मार्केट संभावित रूप से उस दिन के लिए कितना आगे या पीछे जा सकता है।

इसलिए, यदि निफ्टी का दैनिक ATR 100 पिप्स है, तो यह एक दिन में औसतन 100 पिप्स ऊपर या नीचे जा सकता है।

इसका मतलब है कि यदि आप एक इंट्राडे ट्रेडर हैं, तो आपको ज्यादा से ज्यादा 100 पिप्स का टार्गेट मिल सकता है और अगर अच्छा ट्रेड चला तो यह हिट भी हो जाएगा।

अव ऐसा तो नही है कि, आप 100 पिप्स के टार्गेट को “आँख बंद करके” सेट कर लेंगे।

इसके लिए आप मार्केट संरचना (जैसे सपोर्ट और रैजिसटेंस, हाई और लॉ स्विंग, आदि) के साथ जोड़ दें ताकि आप जान सकें कि प्राइस दिन के अंत से पहले कहां पहुंच सकती है।

यहाँ एक उदाहरण है:

मान लें कि निफ्टी एक दिन में औसतन 100 पिप्स की रेंज में चलता है।

अव आपने सपोर्ट लेवल पर लॉन्ग पोजिशन ले ली और आपको पता नहीं है कि लाभ कहां लेना है। क्योंकि रैजिसटेंस के 3 संभावित स्तर हैं: 30 पिप्स दूर, 80 पिप्स दूर और 200 पिप्स दूर।

आप किसे चुनते हैं? ये सवाल है… 

30 पिप्स टार्गेट एक दिन के भीतर हिट होने की संभावना है, लेकिन आपका यहां पर रिस्क टू रीवार्ड रेसियों सही नही होगा। क्योंकि मार्केट तो एक दिन में 100 पिप्स आगे बढ़ सकता है।

200 पिप्स का टार्गेट एक दिन के भीतर हिट होने की संभावना नहीं है (क्योंकि यह एटीआर वैल्यु से अधिक है)।

80 पिप्स टार्गेट आपके लिए सबसे अच्छा विकल्प है क्योंकि यह दैनिक एटीआर वैल्यु के भीतर है (और 30 से अधिक पिप्स प्रदान कर रहा है)।


एटीआर इंडिकेटर की सीमाएं 

एटीआर इंडिकेटर की मुख्य रूप से दो सीमाएँ हैं।

सबसे पहली, एटीआर व्याख्या के लिए खुला है। एक भी एटीआर वैल्यु आपको निश्चितता के साथ नहीं बताएगी कि मार्केट रिवर्स करने वाला है या नहीं। 

दूसरी, एटीआर केवल वोलेटाइलिटी को मापता है न कि किसी स्टॉक या इंडेक्स की प्राइस की दिशा में बदलाव को। 

उदाहरण के लिए, एटीआर वैल्यु में अचानक वृद्धि कुछ ट्रेडर्स को यह सोचने पर मजबूर कर सकती है कि एटीआर इंडीकेटर पुराने ट्रेंड की पुष्टि कर रहा है लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं है।


निष्कर्ष

एटीआर इंडीकेटर की संभावनाएं असीमित हैं, साथ ही ट्रेडर्स के लिए लाभ के अवसर भी प्रदान करता हैं। इसे इंट्राडे ट्रेडिंग के अलावा लंबी अवधि के निवेशकों के लिए निगरानी करने के लिए एक बहुत ही उपयोगी है। क्योंकि एटीआर इंडीकेटर इंडीकेटर की मदद से हम जानते है कि वह स्टॉक एक साल या एक महिने के अंदर अधिकतम कहा तक जा सकता है। 

एटीआर इंडीकेटर का मुख्य कार्य मार्केट की वोलेटिलिटी को ट्रेक करना है जिसकी मदद से आप अपनी ट्रेंडिंग के लिए सही टार्गेट आदि भी चुन सकते है।

अगर आप स्टॉक मार्केट में नए है तो आपको एटीआर इंडीकेटर का उपयोग जरुर करना चाहिए और ऐसे स्टॉक्स से दूर रहना चाहिए जिनकी एटीआर वैल्यु बहुत ज्यादा है क्योंकि उनमें वोलेटिलिटी बहुत ज्यादा होती है जिस कारण से आपको भारी नुकसान हो सकता है।

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Alligator Indicator in Hindi https://hindi.adigitalblogger.com/alligator-indicator-in-hindi/ https://hindi.adigitalblogger.com/alligator-indicator-in-hindi/#respond Thu, 17 Feb 2022 08:35:51 +0000 https://hindi.adigitalblogger.com/?p=115093 बिल विलियम्स के आविष्कारों ने वर्तमान के ट्रेडिंग जगत में काफी योगदान दिया है। विलियम्स कई प्रसिद्ध इंडीकेटर्स के निर्माता…

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बिल विलियम्स के आविष्कारों ने वर्तमान के ट्रेडिंग जगत में काफी योगदान दिया है। विलियम्स कई प्रसिद्ध इंडीकेटर्स के निर्माता हैं, जैसे कि एलीगेटर, फ्रैक्टल्स, और ओशिलेटर्स। इन इंडीकेटर्स को विलियम्स अपनी पुस्तक ‘ट्रेडिंग चाओस’ में पेश किया था। आजकल बहुत से ट्रेडर्स वित्तीय मार्केट में ट्रेड करने के लिए विलियम्स के आविष्कारों और ट्रेडिंग सिस्टम का उपयोग करते हैं।

यह लेख Alligator Indicator in Hindi से संबंधित है। यह आपको किसी भी मार्केट का विश्लेषण करने और ट्रेंड की पहचान करने एंव ट्रेंडिंग की शुरुआत में एंट्री सिगनल को खोजने में मदद करता है, जिससे अधिकांश ट्रेडर्स को फायदा होता है।

विलियम्स एलीगेटर इंडिकेटर क्या है?

एलीगेटर या विलियम्स एलीगेटर एक तकनीकी ट्रेंड इंडीकेटर है जो मार्केट की स्थिति को परिभाषित करता है और प्राइस मूवमेंट की शुरुआत में ही एंट्री सिगनल उत्पन्न करता है।

विलियम्स एलीगेटर इंडेक्स, इक्विटी, कमोडिटी और कंरेसी, क्रिप्टोक्यूरेंसी मार्केट आदि सभी का विश्लेषण करता है। यह विभिन्न अवधियों के साथ मूविंग ऐवरेज पर आधारित एक तकनीकी इंडीकेटर है।

एलीगेटर के साथ ट्रेड करने के लिए सबसे अच्छा टाईमफ़्रेम डैली, चार घंटे और एक घंटे होता है। छोटे टाईमफ्रेम में एलीगेटर इंडिकेटर का उपयोग करने का कोई मतलब नहीं है, क्योंकि प्राइस के फ्लकचुएशन के कारण ये आपको कई झूठे संकेत दे सकता है। इस लिए इस इंडीकेटर का उपयोग इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए न करे।

जैसा कि आप जानते हैं, मार्केट या तो ट्रेंडिंग या साईडवेज हो सकता है। एलीगेटर इंडीकेटर मार्केट की स्थिति की सटीक पहचान कर सकता है। ये हमें बताने में मदद करता है कि मार्केट ट्रेंडिंग है या साईडवेज।

एलीगेटर इंडिकेटर का एक अन्य लाभ यह है कि यह एंट्री सिगनल उत्पन्न करता है जब किसी स्टॉक में मोमेंटम की शुरुआत हो रही हो। स्टॉक मार्केट में प्रत्येक ट्रेडर अच्छी प्राइस पर ट्रेड में प्रवेश करना चाहता है और हायर प्राइस मूवमेंट पर बाहर निकलना चाहता है। एलीगेटर इंडिकेटर का उपयोग करके, आप स्टॉन्ग मार्केट मूव लेने और ट्रेंड के अंत में मुनाफा लेने में सक्षम होंगे।   

हालांकि, अकेले एलीगेटर इंडिकेटर अच्छे एंट्री सिगनल को खोजने के लिए पर्याप्त नहीं है। बिल विलियम्स ने स्वयं विकसित किए गए अन्य तकनीकी इंडीकेटर्स के साथ एलीगेटर को लागू किया था। विलियम्स द्वारा बनाए गए तकनीकी इंडीकेटर्स के संयोजन के आधार पर प्रॉफिटुनिटी ट्रेडिंग सिस्टम विकसित किया था।

ये ट्रेडिंग सिस्टम एंट्री सिगनल को परिभाषित करने के लिए अतिरिक्त फिल्टर के रूप में फ्रैक्टल्स और ओसीलेटर्स को लागू करता है। 

एलीगेटर इंडिकेटर कैसे काम करता है? 

स्टॉक मार्केट की स्थितियां लगातार ट्रेंड से साईडवेज की ओर बढ़ रही हैं और इसके समकक्ष। यह मार्केट की चाल का नियम है। ये अवस्थाएँ एक एलीगेटर के व्यवहार से मिलती जुलती हैं: 

जब आप एलीगेटर जैसे शेयर मार्केट इंडिकेटर (share market indicator in hindi) के साथ ट्रेड करते हैं, तो आपको मार्केट में लगातार तीन तरह के व्यवहार को देखना चाहिए। मार्केट कंडीशन के अनुसार ही एलीगेटर का इस्तेमाल करे। वह मार्केट कंडीशन है: 

1. मार्केट साईडवेज (Sideways) है: 

एलीगेटर इंडीकेटर में मूविंग एवरेज होते हैं। मूविंग एवरेज (moving average in hindi), जैसा कि नाम से ही स्पष्ट होता है, एक निश्चित अवधि में ऐवरेज प्राइस को दिखाते हैं। इसलिए, यदि चार्ट पर मूविंग एवरेज एक ही स्थान पर हैं और अपनी ढलान के साथ कोई ट्रेंड नहीं दिखाते हैं, तो मार्केट में ट्रेंड नहीं है। दूसरे शब्दों में, मार्केट साईडवेज चल रहा है। 

2. मार्केट में ट्रेंड शुरू हो सकता है:

लिप लाइन (हरा) सबसे तेज मूविंग एवरेज है। प्राइस चार्ट में खरीदारों और विक्रेताओं के संतुलन में बदलाव पर प्रतिक्रिया देने वाला यह पहला संकेतक है। जब लिप लाइन (हरा) धीमी मूविंग एवरेज को पार करती है, तो हम मान सकते हैं कि ट्रेंड शुरू होने वाला है। 

जब तीनो मूविंग एवरेज लाईन एक ही दिशा में लाइन अप करते हैं, तो ट्रेडर तय करता है कि मार्केट में प्रवेश करना है या नहीं। जब अगली कैंडलस्टिक सभी मूविंग एवरेज से ऊपर या नीचे बंद हो जाती है, तो यह एक खरीद या बिक्री ट्रेड में प्रवेश करने का संकेत होता है।

आपको ध्यान देना चाहिए कि कुछ ट्रेडर्स एलीगेटर के साथ अतिरिक्त फिल्टर का उपयोग करते हैं, क्योंकि यह मार्केट की दिशा निर्धारित करने से पहले ट्रेंड के वारे में बहुत सारे झूठे संकेत भेजता है।

अतिरिक्त फिल्टर के रूप में, आप बिल विलियम्स द्वारा विकसित अन्य इंडीकेटर्स का उपयोग कर सकते हैं: ओसीलेटर और फैक्टल। मैं नीचे विस्तार से इनका उपयोग करने का तरीका कवर करूंगा।

3. ट्रेंड एक स्पष्ट दिशा के लिए फॉर्म हो चुका है

यदि अपट्रेंड है, तो मूविंग एवरेज की लाईनो को निम्न क्रम में व्यवस्थित किया जाता है: हरी वाली लाईन शीर्ष पर है; इसके बाद लाल लाईन आती है, और नीली रेखा सबसे नीचे होती है। तीनों पंक्तियों को ऊपर की ओर निर्देशित किया गया है। जैसे-जैसे प्रवृत्ति विकसित होती है, रेखाओं के बीच की दूरी बढ़ती जा रही है।

डाउनट्रेंड में, लाइनों को विपरीत क्रम में व्यवस्थित किया जाता है। जबड़े की रेखा सबसे ऊपर होती है, नीचे दांतों की रेखा होती है, और होंठ की रेखा सबसे नीचे होती है। इसी तरह, तीनों मूविंग एवरेज की लाईनो को नीचे निर्देशित किया जाता है। जैसे-जैसे डाउनट्रेंड विकसित होता है, लाइनों के बीच की दूरी बढ़ती जाती है। 


विलियम्स एलीगेटर इंडिकेटर के साथ ट्रेड कैसे करें?

एलीगेटर तीन सिंपल मूविंग ऐवरेज लाइनो से बना है, जिसे विलियम्स ने लिप्स, टीथ और जैब्स कहा है। ये लाइने एक मगरमच्छ के शिकार की प्रक्रिया की नकल करती हैं। मूविंग ऐवरेज लाइने अलग-अलग अवधियों के साथ चलती हैं और भविष्य में स्थानांतरित हो जाती हैं।

कल्पना कीजिए कि एक मगरमच्छ कैसे शिकार करता है, मगरमच्छ के शिकार में व्यवहार के दो चरण होते हैं। पहले चरण में, मगरमच्छ शिकार को ऐसे देखता है जैसे वह सो रहा हो। दूसरे चरण में, मगरमच्छ अपना मुंह खोलता है और शिकार को पकड़कर खा जाता है। 

स्टॉक मार्केट भी इसी तरीके से कार्य करता है: 70% समय, यह साईडवेज रहता है, और 30% समय, यह ट्रेन्डिंग रहता है।

सबसे पहले, आपको मार्केट के चरण को परिभाषित करना चाहिए, चाहे वह साईडवेज हो या ट्रेन्डिंग।

एलीगेटर इंडीकेटर के द्वारा मार्केट में ट्रेंड शुरु होने से ठीक पहले आप नए ट्रेडों में प्रवेश करते हैं और मार्केट के साईडवेज होने से पहले सभी ट्रेडों से बाहर निकल जाते हैं। 

ट्रेड उस क्षण से शुरू होता है जब मार्केट का ट्रेंड शुरु होता है, और हरी लाईन ऊपर या नीचे बनने लगती है। फिर जैसे ही ट्रेंड की शुरुआत होती है – लाल रेखा सक्रिय हो जाती है और एक दिशा हासिल करना शुरू कर देती है।

फिर दिशा हासिल हो जाती है तो नीली रेखा भी उसी दिशा में चलने लगती है। इसका मतलव है कि ट्रेंड की शुरुआत हो गयी है और मार्केट अव मोमेंटम करेगी।

अब आपको एलीगेटर की सभी तीन लाईनो के ऊपर या नीचे ट्रेड शुरू कर सकते है और फिर आप खरीद या बिक्री की पोजिशन ले सकते हैं।

आपको अपनी पोजिशन के लिए एग्जिट संकेत तब मिलते है जब तीनों लाईने एक बिंदु पर मिलती हैं, क्योंकि उस समय ट्रेंड की दिशा स्पष्ट नहीं होती है, या जब ग्रीन लाईन ब्लु लाईन को पार करती है। इसका मतलब है कि मार्केट अव स्टॉर्न्ग नही रहा है और अब वह साईडवेज मार्केट होने बाला है। 


विलियम्स एलीगेटर इंडिकेटर की 3 लाईने:

एलीगेटर इंडिकेटर तीन मूविंग एवरेज से बना होता है, इनमें से प्रत्येक का एक अलग रंग होता है और मार्केट के एक विशेष चरण के लिए जिम्मेदार है। प्रत्येक का महत्व होता है।

हरी लाइन: यह सबसे कमजोर स्तर माना जाता है। हालांकि, प्राइस में बदलाव के लिए इसकी सबसे तेज प्रतिक्रिया होती है। यह मूविंग ऐवरेज मार्केट मार्केट में खरीदारों और विक्रेताओं की शक्ति संतुलन में परिवर्तन की प्रतिक्रिया को दर्शाने बाला पहला मूविंग ऐवरेज है।

ट्रेडिंग चार्ट में मजबूत मूवमेंट होने पर इस लाइन का उपयोग ट्रेंड के ऑपन पोजिशन में अधिक क्वांटिटी जोड़ने के लिए किया जाता है। ग्रीन लाईन 5 की डिफ़ॉल्ट अवधि के साथ सिंपल मूविंग ऐवरेज(एसएमए) है।

रेड लाइन: यह लाइन एवरेज स्ट्रांग सपोर्ट एंड रेजिस्टेंस स्तर है। जब ट्रेंड ज्यादा स्ट्रांग नहीं होता है तो यह ट्रेडों में प्रवेश करता है। यदि ये एटीआर के भीतर है, तो वर्तमान ट्रेंड में ट्रेडों में प्रवेश करने के लिए रेड लाइन एक उत्कृष्ट मार्कर हो सकती है। रेड लाइन 8-अवधि का स्मूथ मूविंग ऐवरेज होता है।

ब्लु लाइन: ब्लु लाइन सबसे मजबूत लाइन होती है। ब्लु लाइन मध्यम अवधि की ट्रेंड की रेंज को प्रदर्शित करती है। यदि प्राइस इस ब्लु लाइन को तोड़ती है, तो आमतौर पर इसका मतलब है कि ट्रेंड विपरीत दिशा में बदल रहा है।

इसका उपयोग स्लो ट्रेंड या कंजरवेटिव ट्रेडिंग रणनीतियों में एंट्री प्वाइंट को खोजने के लिए किया जाता है, जब ट्रेडर्स केवल सबसे मजबूत स्तरों में ट्रेड करना पसंद करते हैं। ब्लु लाइन 13-अवधि की स्मूथ मूविंग ऐवरेज।

आपको ध्यान देना चाहिए कि मूविंग ऐवरेज ऐवरेज प्राइस((हाई+लो)/2) पर लागू होती है, न कि बार्स के ऑपन  या क्लॉजिंग प्राइस पर।

एलीगेटर इंडिकेटर को अलग-अलग टाईमफ़्रेम और मार्केट में अनुकूलित करने के लिए, आपको मूविंग ऐवरेज के पैरामीटर(पीरियड और शिफ्ट) को बदल – बदलकर देखना चाहिए। आप डिफ़ॉल्ट पैरामीटर के साथ भी ट्रेड कर सकते हैं, लेकिन, इस मामले में, आपको H4 से D1 तक लंबे टाईमफ़्रैम में ट्रेड करना चाहिए।

बेहतर स्टॉक ब्रोकर के साथ डीमैट अकाउंट खोलकर, स्मार्ट निवेश की यात्रा शुरू करें। हम से संपर्क करें हम आपको मुफ्त (Free) डीमैट अकाउंट खोलने में मदद करेंगे।

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टेक्निकल इंडिकेटर के अन्य लेख

हम सब ने अपने स्कूल टाइम के दौरान एवरेज (औसत) के बारे में पढ़ा है। स्टॉक मार्केट में मूविंग एवरेज (Moving Average in Hindi) उसी विषय का एडवांस मॉडल है। इसकी मदद से एक स्टॉक के ट्रेंड का पता लगाया जाता है। 

मूविंग एवरेज एक बहुत ही आसान और प्रभावी इंडिकेटर है जो किसी भी शेयर के पिछले दिनों के क्लोजिंग प्राइस के आधार पर एक औसत प्राइस की गणना करता है। 

अब जाहिर सी बात है अगर प्राइस अपने औसत वैल्यू से ऊपर है तो ये अपट्रेंड की जानकारी देता है और नीचे होने पर डाउनट्रेंड की। आज इस लेख में इस मूविंग एवरेज इंडिकेटर के प्रकार और इसे किस तरह इस्तेमाल किया जाता है उसके बारे में विस्तार में जानेंगे।   

शेयर मार्केट में मूविंग एवरेज क्या होता है?

मूविंग एवरेज एक ट्रेंड इंडिकेटर है जो क्लोजिंग प्राइस के आधार पर शेयर के औसत प्राइस की जानकारी प्रदान करता है। ये इंडिकेटर समझने में और इस्तेमाल करने में काफी आसान होता है और इसलिए बहुत से शुरूआती ट्रेडर इस इंडिकेटर को चुनते है।

Simple Moving Average in Hindi

सिंपल मूविंग एवरेज के बारे में बात करने से पहले, आइए जल्दी से एवरेज या औसत की गणना के बारे में समझ लेते हैं। 

आइए, एक उदाहरण लेते हैं। 

 

मान लीजिए कि आपके पास एक दुकान है तो आप हर दिन शाम को अपने गल्ले को चेक करते हैं और पता लगाते हैं कि आज कितनी कमाई हुई। 

निम्नलिखित टेबल में दुकान की पिछली 5 दिनों की कमाई को दिखाया गया है:


आप पीछे 5 दिनों की कुल कमाई को जोड़ते हैं और उस संख्या को 5 से विभाजित करते हैं, इस स्थिति में गणना होगी : = 3000 / 5 = 600 प्रति दिन। अब मान लें कि आप एक दिन शाम को बैठते हैं और पिछले
5 दिन की कमाई का औसत जानने की कोशिश करते हैं। 

इस स्थिति में, आपको पता लग गया कि आपकी औसत कमाई ₹600 प्रति दिन है। 

अब यहां जाहिर है कि आपके दुकान की रोजाना की कमाई ₹600 से ज्यादा भी रही होगी या कम भी होगी। 

जैसा कि आप टेबल में देख सकते हैं कि 15 मार्च को ₹700 और 11 मार्च को ₹500 की कमाई हुई है। 


इस प्रकार, आप देख सकते हैं कि औसत से कोई सटीक जानकारी नहीं मिलती बल्कि आपको एक अनुमान का पता लग जाता है। 

अब, इसी कॉन्सेप्ट को शेयर बाजार के सन्दर्भ में समझते हैं – नीचे टेबल में पिछले 5 ट्रेडिंग सेशन के लिए अडानी गैस के क्लोजिंग प्राइस दिए गए हैं। इनके अनुसार ही, पिछले 5 दिन की एवरेज गणना की जाएगी: 

 

3633.2 / 5 = 726.64

इसलिए लास्ट 5 ट्रेडिंग सेशन में Adani Gas का एवरेज प्राइस ₹726.64 है। 


मूविंग एवरेज को सिंपल मूविंग एवरेज (Simple Moving Average) भी कहा जाता है। इसे समझने के लिए एक और उदाहरण लेते हैं। 

यहाँ Reliance Industries Limited के पिछले 5 दिनों के लिए क्लोजिंग प्राइस दिखाया गया है जहाँ हम पिछले 5 दिनों के लिए एवरेज क्लोजिंग प्राइस की गणना करेंगे।

 

10876.65/5 = ₹2175.33

इस प्रकार, आप देख सकते हैं कि रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के पिछले 5 ट्रेडिंग सेशन का एवरेज क्लोजिंग प्राइस ₹2175.32 है।

आगे बढ़ते हैं, और अगले ट्रेडिंग सेशन यानी 15 मार्च का नया डाटा हमारे पास है।

तो अगले नए 5 दिन हैं – 8, 9, 10, 12 और 15 । अब हम पिछले पुराने 5 तारीख के डाटा को बाहर कर देंगे, क्योंकि हमें पिछले लेटेस्ट 5 दिन के एवरेज को निकालना है।


इस गणना से रिलायंस के पिछले लेटेस्ट 5 दिन का एवरेज क्लोजिंग प्राइस 2128.56 है। इस प्रकार, नया एवरेज प्राइस होगा:
10642.81/5 = 2128.56

अभी हम इस टेबल में देख सकते हैं, पिछले 5 दिन के लेटेस्ट डाटा प्राप्त करने के लिए नया डाटा (15 मार्च) रखा है, और आखिरी तारीख यानी (5 मार्च) को टेबल में शामिल नहीं किया गया है। 

ठीक इसी तरह अगर 16 मार्च को, एवरेज क्लोजिंग प्राइस निकालने के लिए 16 मार्च का डाटा लेंगे और 8 मार्च के डाटा को बाहर कर दिया जाएगा। 

और यही क्रम आगे भी चलता रहेगा। जब भी हम कोई नया डाटा शामिल करेंगे तो सबसे पुराने डाटा को बाहर कर देंगे। 

और इसलिए इसे “मूविंग” एवरेज भी कहा जाता है। 

ऊपर दिए गए उदाहरण में हमने एवरेज प्राइस को कैलकुलेट करने के लिए क्लोजिंग प्राइस यानी समापन कीमत को आधार माना है।

लेकिन एक निवेशक या ट्रेडर मूविंग एवरेज को कैलकुलेट करने के लिए अन्य मापदंड जैसे High, Low, और Open का भी इस्तेमाल कर सकते हैं।

हालाँकि, ज्यादातर निवेशक Close का ही मापदंड मानते हैं। क्लोजिंग प्राइस वो होता है जिस पर मार्केट दिन के अंत में बंद होती है। 

मूविंग एवरेज के लिए कोई भी टाइम फ्रेम ले सकता है। इसके लिए ट्रेडर Minutes, Hours से Years तक का भी टाइम ले सकता है।   

अपनी जरूरतों के अनुसार चार्टिंग सॉफ्टवेयर से कोई भी टाइम फ्रेम सेट किया जा सकता है। 

तो अभी तक आप समझ गए हैं, जब Closing Price बदलता है तब Moving Average बदलता है।ऊपर दिखाए टेबल में “Simple Moving Average” (SMA) को उदाहरण के माध्यम से समझाया है।

उदाहरण में हमने 5 दिनों के डाटा को दिखाया है, इसलिए ये 5 Day SMA कहा जाएगा। 

यह 5 दिन के एवरेज किसी भी समय (10, 20, 40, 60, 80,100) के लिए हो सकता है। इस 5 दिन के एवरेज को एक लाइन से जोड़ा जाता है जिसे Moving Average Line कहते है। यह लाइन टाइम बढ़ने के साथ आगे बढ़ती रहती है। 

निम्नलिखित चार्ट में, हमने रिलायंस के कैंडलस्टिक चार्ट पर 5 दिन का सिंपल मूविंग एवरेज को दिखाया है।

तो हमें मूविंग एवरेज से क्या पता लगता है और इस्तेमाल कैसे करते हैं?

आमतौर पर मूविंग एवरेज कई तरह से इस्तेमाल किया जाता है। इसके बारे में विस्तार से बात करेंगे लेकिन पहले एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज (EMA) के बारे में जानकारी प्राप्त कर लेते हैं। 


एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज

एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज को समझने के लिए आइये पहले एक उदाहरण लेते हैं।


लेकिन, मार्केट में ऐसा सभी मामलों में नहीं होता है। अब ऊपर दिए गए टेबल में नंबर के एवरेज की गणना करते हैं तो हम पहली बार में सभी नंबरों को एक समान ही महत्व देने के बारे में सोचेंगे। 
जैसे अगर कोई डाटा 10 जून का है तो वो उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि 14 जुलाई का डाटा।  


“टेक्निकल एनालिसिस का एक कांसेप्ट है – Market Discount Everything.

उपरोक्त लाइन का मतलब है कि बाजार में किसी शेयर का बाजार मूल्य उस शेयर से जुड़ी सभी ज्ञात और अज्ञात जानकारी के बारे में बता देता है। 

और यही कारण कि उस स्टॉक का लेटेस्ट डाटा महत्वपूर्ण हो जाता है।

यही फैक्ट ऊपर दिए टेबल में भी नजर आते हैं। ऊपर टेबल से यह भी पता लगता है कि 14 जून का डाटा 12 जून के डाटा से ज्यादा महत्वपूर्ण है।

इसलिए EMA में लेटेस्ट डाटा को आधार मानना चाहिए। तो इस टेबल में सबसे ज्यादा 14 जून को और उसके बाद 13 जून और फिर उसके पहले के डाटा को प्राथमिकता देते हैं। 

हम अभी EMA की गणना के बारे में बात नहीं करेंगे, क्योंकि ज्यादातर टेक्निकल सॉफ्टवेयर में EMA को दर्शाने की सुविधा उपलब्ध होती है।


Moving Average का इस्तेमाल क्यों करते हैं?

स्टॉक मार्केट में मूविंग एवरेज का एक महत्वपूर्ण स्थान है और आप इससे इनकार नहीं कर सकते। 

ज्यादातर ट्रेडर और इन्वेस्टर द्वारा खरीद और बिक्री के निर्णय लेने में इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।

आप देख सकते हैं कि अधिक से अधिक ब्रोकर इसे अपने मोबाइल प्लेटफॉर्म में अपना रहे हैं। 

अधिकांश ऐप-आधारित ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म में एक चार्ट विकल्प होता है जो आपको यह जानकारी दिखाता है।

स्टॉक खरीदने के लिए एक निर्णायक कारक के रूप में मूविंग एवरेज का उपयोग करने के कई कारण हैं।

उनमें से एक कारण यह है कि आपके द्वारा चयनित समय के आधार पर 1 दिन या 1 सप्ताह या 10 दिन के आधार पर होने वाले उतार-चढ़ाव के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।

आपको एक फाइनल डाटा मिलता है और उसके अनुसार ही फाइनल प्राइस भी पता लगता है।

यह आपके द्वारा चयनित समय के मानदंडों के आधार पर किसी विशेष स्टॉक की क्लोजिंग प्राइस का एक एवरेज वैल्यू देता है। 

आप 5 दिनों का मूविंग एवरेज या 10 दिनों का मूविंग एवरेज चुन सकते हैं, और कीमतों के उतार-चढ़ाव को देख सकते हैं।

यदि ग्राफ ऊपर जा रहा है, तो इसका मतलब है कि कीमतें बढ़ रही हैं। यदि ग्राफ नीचे जा रहा है, तो स्टॉक की कीमत भी नीचे जा रही है। 

और अगर मूवमेंट साथ-साथ चल रही है, तो आप जानते हैं कि कीमत एक ही रेंज में है।

इसलिए, शेयर बाजार में निवेशकों द्वारा व्यापक रूप से मूविंग एवरेज का उपयोग किया जाता है क्योंकि, यह स्टॉक के परफॉर्मेंस के बारे में एक स्पष्ट संकेत देता है।

अब निवेशकों को हर मिनट की जानकारी के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है। निवेशक केवल मूविंग एवरेज ग्राफ को देखकर स्टॉक प्राइस की भविष्यवाणी कर सकते हैं। इससे आपको सबसे अच्छे शेयरों को खरीदने में मदद मिलेगी और आपको यह भी पता लगेगा कि आपको कब अधिक रिटर्न मिलने वाला है।

अब कोई भी टेक्निकल इंडिकेटर आपको पूरी जानकारी नहीं देता और इसलिए सही ट्रेड पोजीशन के लिए आप मूविंग एवरेज के साथ अन्य इंडिकेटर जैसे की स्ट्रेंथ इंडिकेटर, एडीएक्स (ADX indicator in hindi) का उपयोग कर सकते है या कन्फर्म करने के लिए अन्य टूल्स जैसे की कैंडलस्टिक पैटर्न या स्ट्रेटेजी भी इस्तेमाल कर सकते है


Support level vs Resistance level in Hindi 

मूविंग एवरेज के संबंध में दो और टर्म हैं जिन्हें आपको समझना होगा। 

ये टर्म सपोर्ट लेवल और रेजिस्टेंस लेवल हैं। ये लेवल आपको यह तय करने में मदद करते हैं कि क्या स्टॉक की कीमतें बढ़ेंगी या कम होगी।

सपोर्ट प्राइस का मतलब है कि किसी स्टॉक का टेक्निकल चार्ट में ऐसा पॉइंट होना जो स्टॉक प्राइस को ऊपर और नीचे जाने से रोकता है या ऐसे कहें कि स्टॉक प्राइस को और नीचे गिरने से बचाने के लिए सपोर्ट प्रदान करना है। 

एक अपट्रेंड में, सपोर्ट प्राइस किसी शेयर के वर्तमान मूल्य से नीचे होती है। इस पॉइंट पर ट्रेडर कम कीमत के कारण स्टॉक खरीदने की तरफ जाएगा।

इसके साथ ही ट्रेडर को यह पता लगता है कि ट्रेडर को जितना स्टॉक बेचना था वो उसे बेच चुके हैं अब इसके बाद खरीददारी बढ़ जाती हैं। 

जबकि रेजिस्टेंस लेवल किसी स्टॉक के करंट मार्केट प्राइस से ऊपर होता है। इसका मतलब है कि स्टॉक के प्राइस में रिवर्सल होने की संभावना होती है। यहाँ स्टॉक के प्राइस में और अधिक गिरावट हो सकती है। 

इस लेवल का मतलब है कि स्टॉक ओवरबोट (Overbought) हो चुका है और अब लोग इस स्टॉक को बेचना शुरू कर देते हैं। 


मूविंग एवरेज क्रॉसओवर ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी 

क्रॉसओवर सबसे ज्यादा उपयोग की जाने वाली एवरेज रणनीति में से एक हैं। क्रॉसओवर दो प्रकार के हैं: प्राइस क्रॉसओवर और गोल्डन क्रॉसओवर। 

जब प्राइस, मूविंग एवरेज के ऊपर या नीचे जाता है जो ट्रेंड में एक संभावित बदलाव के बारे में संकेत देता है तो इसे ही प्राइस क्रॉसओवर कहा जाता है। 

इसके अलावा, एक और रणनीति दो मूविंग एवरेज को एक चार्ट पर लागू करना है। 

आपके पास एक लॉन्ग और एक शॉर्ट पोजीशन हो सकती है। जब आपका शॉर्ट टर्म मूविंग एवरेज लॉन्ग टर्म के मूविंग एवरेज को पार कर जाता है, तो यह एक Buy Signal है क्योंकि यह बता रहा है कि ट्रेंड शिफ्ट हो रहा है। 

इसे गोल्डन क्रॉस के रूप में जाना जाता है। 

इसके अलावा, जब शॉर्ट टर्म की मूविंग एवरेज, लॉन्ग टर्म के मूविंग एवरेज से नीचे हो जाती है, तो Sell Signal मिलता है क्योंकि ट्रेंड नीचे की ओर बढ़ रहा है।

इसे डेथ क्रॉस के रूप में भी जाना जाता है। ये रणनीतियाँ आपको सही निर्णय लेने में मदद करती हैं और स्टॉक का विश्लेषण करने में भी आपकी मदद करती हैं जो आपके लिए सबसे अच्छा हो सकता है। 


इस लेख की मुख्य बातें 

मूविंग एवरेज एक उपयोगी टेक्निकल इंडिकेटर है जिसका उपयोग शेयर की कीमतों में प्रतिदिन के उतार-चढ़ाव को देख कर उसमें बनने वाले ट्रेंड के विश्लेषण समझने में करते हैं.

यह इंडिकेटर किसी सिक्योरिटीज की औसत मूल्य के बारे में बताता है, जो 5, 15, 20, 50, 100, 200 दिनों की भी हो सकती है.

उदाहरण के तौर पर 20 डे-मूविंग एवरेज निकालने के लिए पिछले 20 दिनों की क्लोजिंग प्राइस को जोड़ते है और उसमें 20 से भाग किया जाता है। 

इसके अलावा, कुछ और भी मूविंग एवरेज है जैसे एक्स्पोनेंशियल मूविंग एवरेज। 


यदि आप भी शेयर बाजार में निवेश करना चाहते हैं तो सबसे पहले डीमैट खाता खोलें।

डीमैट खाता खोलने के लिए नीचे दिए गए फॉर्म को देखें:

यहाँ अपना बुनियादी विवरण भरें और उसके बाद आपके लिए कॉलबैक की व्यवस्था की जाएगी।

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वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर (VPT) https://hindi.adigitalblogger.com/volume-price-indicator-in-hindi/ https://hindi.adigitalblogger.com/volume-price-indicator-in-hindi/#respond Thu, 04 Feb 2021 09:18:19 +0000 https://hindi.adigitalblogger.com/?p=77159 वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर (VPT) एक भरोसेमंद और प्रमुख इंडिकेटर में से एक है।  यदि आप एक ऐसे ट्रेडर्स या निवेशक हैं, जो सबसे…

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टेक्निकल इंडिकेटर के अन्य लेख

वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर (VPT) एक भरोसेमंद और प्रमुख इंडिकेटर में से एक है। 

यदि आप एक ऐसे ट्रेडर्स या निवेशक हैं, जो सबसे अच्छी वॉल्यूम ट्रेडिंग रणनीति की तलाश कर रहे हैं तो आप सही प्लेटफॉर्म पर हैं।

अनुभवी ट्रेडर्स बाजार में वॉल्यूम का उपयोग निवेशकों की रूचि को देखने के लिए करते हैं। वे बाजार में जब तक मोमेंटम बना रहता है तब तक बाय करते है और जैसे ही मोमेंटम नीचे की तरफ जाता है, सेल करना शुरू कर देते है।

  

इसके अलावा यदि आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग करने के लिए चार्ट्स की मदद लेना चाहते हैं तो आप शेयर मार्केट चार्ट का विश्लेषण कर सकते हैं।


वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर की परिभाषा

वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर आपको बिना किसी चिंता के एक प्रोफेशनल ट्रेडर बनने की स्वतंत्रता देता है।

वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर का उपयोग करके जो परिणाम सामने आता है उससे आप पूरी क्षमता के साथ ट्रेड करेंगे। 

यह इंडिकेटर, 300 प्रति बार से भी अधिक की गणना करता है और आवश्यक दृष्टिकोण प्रदान करता है।

वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर चार्ट एक हॉरिजॉन्टल हिस्टोग्राम है जो एक ग्राफ पर प्लॉट किया जाता है, जो एक विशिष्ट मूल्य स्तर पर ट्रेड किए गए शेयरों की वॉल्यूम को दर्शाता है। 

ये हिस्टोग्राम चार्ट के Y-Axis पर दिखाई देते हैं, और कुशल ट्रेडर इसका उपयोग सिक्योरिटीज के सपोर्ट और रेजिस्टेंस के क्षेत्रों का पूर्वानुमान लगाने के लिए करते रहे हैं।

चार्ट प्राइस इंडिकेटर उत्पन्न करने के लिए क्लोजिंग प्राइस का उपयोग करता है, और प्राइस इंडिकेशन एक विशेष मूल्य सीमा की मात्रा को प्रदर्शित करता है।

चार्ट के बाईं ओर, आप प्राइस इंडिकेटर बार द्वारा वॉल्यूम देख सकते हैं, जो मूल्य में परिवर्तन के साथ मेल खाता है। यह “Up Volume” और “Down Volume” को दर्शाने के लिए एक ही रंग या दोहरे रंग में दिखाई देगा। 

जब आप वॉल्यूम और क्लोजिंग प्राइस की जांच करना चाहते हैं, तो इन प्रकार के इंडिकेटर का उपयोग हाई वॉल्यूम प्राइस रेंज का पता लगाने के लिए किया जा सकता है।

यह  सपोर्ट या रेसिस्टेंस को समझने में मदद करेगा। मूल रूप से, स्टॉक चार्ट प्राइस इंडिकेटर बार द्वारा 12 वॉल्यूम दिखा सकता है।

हालांकि, एक ट्रेडर जिस तरह से वह चाहता है उसे बढ़ाकर या कम करके प्राइस बार निर्धारित कर सकता है।

यदि आप थोड़ा भ्रमित हो रहे हैं तो चिंता न करें। इसे हम आपको आसान तरीके से समझायेंगे-


वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर का उपयोग कैसे कर सकते है?

वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर निम्नलिखित ऑपरेशनल मेथड के साथ आता है:

  • वॉल्यूम एक ट्रेंड की ताकत या कमजोरी को दर्शाता है।
  • वॉल्यूम में वृद्धि बढ़ती रुचि को दर्शाता है।
  • वॉल्यूम में गिरावट, रूचि में कमी को  दर्शाता है
  • प्राइस रिवर्सल की पहचान, हाई वॉल्यूम को चेक करके लगा सकते है
  • जिन बिंदुओं पर बाजार उच्च वॉल्यूम में ट्रेड करता है,  वह मजबूत सपोर्ट और रेसिस्टेंस  के बिंदु हैं।
  • प्राइस मूवमेंट्स (ऊपर और नीचे दोनों) को वॉल्यूम प्राइस इंडिकेटर की सहायता से वेरीफाई किया जा सकता है।

वॉल्यूम और मार्केट की रणनीति  

अगर मार्केट में तेजी आ रहा है, तो हम देख सकते हैं कि वॉल्यूम अपने आप बढ़ जाता है।

खरीदारों के लिए वॉल्यूम का बढ़ना आवश्यक होता है, और अगर यह बढ़ता है, तो कीमतों को ऊंचा रखने के लिए उनमें उत्साह की उच्च भावना होगी।

यदि मूल्य में वृद्धि और वॉल्यूम में कमी दिखाई देती है, तो यह एक संभावित संभावित रिवर्सल की चेतावनी है।

ऐसी स्थिति पर हमेशा ध्यान दे!

इस खोज के पीछे का विश्लेषण यह है कि हमें एक मजबूत संकेत मिलता है, जो यह बताता है कि जब बड़े पैमाने पर कीमत गिरती है, तो कुछ बड़े  परिवर्तनों का संकेत मिलता है।

वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर द्वारा सिक्योरिटीज की कीमत दिशा और मूल्य परिवर्तन की ताकत का पता लगाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

इंडिकेटर में क्युमुलेटिव वॉल्यूम लाइन होती है, जो किसी शेयर की प्राइस ट्रेंड और वॉल्यूम में मल्टीप्ल परसेंटेज को जोड़ता या घटाता है, जो मूल रूप से सिक्योरिटीज के ऊपर या नीचे के उतार-चढ़ाव पर निर्भर करता है।


वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर मैकेनिज्म 

वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड की गणना चार्ट पर पूरी अवधि का उपयोग करके कर सकते है।

उदाहरण के लिए, सात-महीने के दैनिक चार्ट पर वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर क्लोजिंग प्राइस के सभी सात महीनों का उपयोग करेगा।

इसी तरह, दो साल के साप्ताहिक चार्ट के आधार पर वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर दो साल के क्लोजिंग प्राइस को दिखाएगा।

वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर कैलकुलेशन द्वारा चार्ट पर मौजूद ऐतिहासिक आंकड़ों से आगे नहीं बढ़ता है।

वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर की गणना करने के लिए, यह डिफ़ॉल्ट पैरामीटर सेटिंग और क्लोजिंग प्राइस के आधार पर 4 बुनियादी चरणों पर लागू होता है:

  1. यह एक विशिष्ट सेट अवधि के लिए हाई-लो क्लोजिंग प्राइस की जांच करता है।
  2. एक ही तरह के प्राइस को बनाने के लिए, रेंज को 12 से विभाजित करता है।
  3. प्रत्येक प्राइस जोन के भीतर, यह ट्रेडेड वॉल्यूम को जोड़ता है।
  4. यदि आवश्यक हो तो वॉल्यूम को अप वॉल्यूम और डाउन वॉल्यूम का विभाजन करें।

यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि जब क्लोजिंग मूल्य एक अवधि से अगले वॉल्यूम पर नीचे चला जाता है,तो वॉल्यूम नेगेटिव हो जाता है। 

जब क्लोजिंग प्राइस एक पीरियड से अगली पीरियड तक बढ़ जाता है, तो वॉल्यूम पॉजिटिव हो जाता है ।


वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर चार्ट

वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर में सिक्योरिटीज के वर्तमान और भविष्य के सपोर्ट और रेसिस्टेंस लेवल की जांच करने की अपार क्षमता है।

चार्ट में, हाई वॉल्यूम के साथ प्राइस जोन में आप ऊंचे ब्याज स्तर देख सकते हैं, जो संभावित रूप से भविष्य की आपूर्ति को प्रभावित कर सकते हैं।

एक योजनाबद्ध पुलबैक के दौरान, प्राइस वॉल्यूम द्वारा लार्ज वॉल्यूम द्वारा प्राइस बड़ी मात्रा में अत्यधिक सहायक हो सकती है। 

इसी प्रकार, कीमतों से ऊपर लॉन्ग वॉल्यूम बाय प्राइस इंडिकेटर को लंबी मात्रा के उछाल पर संभावित रेसिस्टेंस के रूप में देखा जाना चाहिए।

यदि कीमत ऊपर या नीचे टूटती है, तो प्राइस वॉल्यूम बार का उपयोग संभावित ट्रेड इंडिकेटर के रूप में भी किया जा सकता है।

इससे मार्केट के अच्छे संकेत को देखा जा सकता है। जब आप लॉन्ग बार के ऊपर एक ब्रेक देखते हैं, तो यह हमें यह मानने में मदद करता है कि आपूर्ति को पूरा करने के लिए मांग पर्याप्त है।

इसी तरह, चार्ट कमजोर स्थिति का संकेत दे सकता है, जब ब्रेक लॉन्ग बार से नीचे होता है, क्योंकि मार्केट  में मांग की पूर्ति के लिए पर्याप्त आपूर्ति है।

कुछ सैंपल के माध्यम से वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड के कार्य को जानना अनिवार्य है। 

जो आपको विषय की बेहतर समझ दे सकता है। वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड वर्तमान सपोर्ट या रेसिस्टेंस को मान्य करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।

Volume by Price Indicator

चूंकि प्राइस वॉल्यूम डाटा के आधार पर उत्पन्न इंडिकेटर के लिए आप पिछले सपोर्ट या रेसिस्टेंस स्तरों को मान्य करने के लिए इसका उपयोग नहीं कर सकते हैं।  उल्लिखित चार्ट इसे स्पष्ट रूप से चित्रित कर सकता है।

संलग्न चार्ट , यह छह महीने के डेटा से संबंधित है, और यह जनवरी से जून तक चलता है, और आप मार्च में एक सपोर्ट लेवल पा सकते हैं।

लेकिन सपोर्ट लेवल की सटीक समझ के लिए, इंडिकेटर डाटा को मार्च से आगे बढ़ना चाहिए, और चार्ट में, आप देख सकते हैं कि डेटा मार्च से आगे बढ़ गया है और जून में समाप्त हो रहा है।

हम इसे एक उदाहरण की मदद से समझाते  हैं ताकि आप इसे कभी न भूलें।


वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर के उदाहरण:

वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर ऑन-बैलेंस वॉल्यूम के समान ही दिखता है।

ऑन-बैलेंस वॉल्यूम इंडिकेटर में, उतार-चढ़ाव प्राइस मूवमेंट के अधीन दिखाई देते हैं। जब कीमत हाई या लो आती है, तो इंडेक्स भी इसी परिवर्तन को दर्शाता है।

वॉल्यूम के प्राइस के सामान्य सिद्धांत की कल्पना करते हुए, इंडिकेटर को प्राइस की दिशा के साथ चलना चाहिए।

इंडिकेटर को देखकर, हम मान सकते हैं कि मार्केट में रिवर्स ट्रेंड का अनुभव हो सकता है। जब प्राइस मूवमेंट में कम वॉल्यूम सपोर्ट होता है। 

Volume by Price Indicator

उपरोक्त चार्ट में, वॉल्यूम में कोई स्पष्ट बदलाव नहीं होने के बावजूद मार्केट का अपट्रेंड खुल गया। 

हम यहां देख सकते हैं कि एक बार वॉल्यूम मार्केट में आने के बाद कीमत घट सकती है।

वॉल्यूम बाय प्राइस  इंडिकेटर को मूल्य में परिवर्तन से गुणा के रूप में मापा जा सकता है, और यह पिछली अवधि से चल रहे कुल के रूप में फिर से गणना कर सकता है।

वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड = पिछला वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड + वॉल्यूम x (आज का क्लोज प्राइस -पिछले दिन का क्लोजिंग प्राइस) / पिछला क्लोज

कुछ चार्टिंग सॉफ़्टवेयर प्लेटफ़ॉर्म दैनिक स्तर की तुलना में कम समय के आधार पर वॉल्यूम डेटा प्रदान नहीं कर सकते हैं। 

जिससे यह ट्रेड को कई समय के अंतराल पर मूल्य सूचक द्वारा वॉल्यूम का उपयोग करने के लिए प्रतिबंधित करता है।

Volume by Price Indicator

उपरोक्त उदाहरण में, वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर वास्तव में कुछ समय में गिरावट आती है। 

ऊपर की ओर की प्रवृत्ति अपेक्षाकृत कमजोर है। आप इस घटना को बढ़ी हुई अवधि तक रहने की उम्मीद नहीं कर सकते। 

इसलिए, हम ओवरऑल मार्केट ट्रेंड में  गिरावट की उम्मीद कर सकते हैं। 

Volume by Price Indicator

हम वॉल्यूम ट्रेंड के आधार पर उतार-चढ़ाव को मूल्य के अंतर्गत देख सकते हैं। यहां तक ​​कि हम कुछ मंदी  की घटनाओं को देख सकते हैं।

वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर एनालिसिस के मुताबिक, यह बताता है कि जब मार्केट में ऊपर की तरफ मूवमेंट अपेक्षाकृत कमजोर होता है, तो यह तेजी के रुझान को दर्शाता है।

यह विस्तारित हरा हिस्सा अधिक मांग को दर्शाता हैं, जो आगे सपोर्ट के लिए मान्य हो सकते हैं।

विस्तारित लाल भाग अधिक आपूर्ति को दर्शाते हैं, जो आगे इसके रेजिस्टेंस की पुष्टि कर सकते हैं।


वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर की विशेषताएं:

आपके ट्रेडिंग विश्लेषण में वॉल्यूम बाय प्राइस इंडिकेटर का उपयोग करने के कुछ लाभ यहां दिए गए हैं:

  • वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर मार्केट के हलचल को कम करता है
  • मार्केट के मनोविज्ञान को समय और कीमत दोनों के अनुसार देखने में सक्षम बनाता है।
  • वॉल्यूम के बढ़ने के साथ प्राइसमें तेजी  को देखने में सक्षम
  • शुरुआती स्तर के  ट्रेडर्स के लिए उपयोग करना आसान है।
  • कैलकुलेशन अविश्वसनीय रूप से सरल है।
  • यह कंपनी की गतिविधि का एक विस्तृत स्नैपशॉट प्रदान करता है।
  • उपयोग में आसानी।
  • सर्वोत्तम सुरक्षा पैरामीटर की पेशकश करता है।
  • यह अनावश्यक बाजार के शोर को नियंत्रित करने के लिए उपयोगी उपकरणों में से एक है।
  • वॉल्यूम बाय प्राइस  इंडिकेटर आंकड़ों पर  आधारित  होते  है,इसलिए  निर्णय पूर्ण हो जाते है। यह  ट्रेडर्स को जल्द निर्णय लेने में मदद करते है।

वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर की कमियां

उसी समय,  वॉल्यूम बाय प्राइस  इंडिकेटर के बारे में कुछ कमियां भी है, जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए:

  • मल्टी प्रोडक्ट ऑपरेशन का बारे में सीमित जानकारी
  • वॉल्यूम बाय प्राइस इंडिकेटर  कठोर मान्यताओं का एक अंतर्निहित सेट है, और इसमें लचीलापन नहीं है
  • कम सटीकता और लिमिटेड जानकारी

निष्कर्ष:

वॉल्यूम प्राइस ट्रेंड इंडिकेटर एक उपयोगी तकनीक है, जो यह विश्लेषण करती है कि प्राइस और वॉल्यूम में परिवर्तन कंपनी के लाभ को कैसे प्रभावित करते हैं।

इसका उपयोग बिज़नेस और ट्रेड में काफी समय से होता आ रहा है।

ट्रेंड वर्तमान सपोर्ट और रेसिस्टेंस  की पहचान करने में भी सहायक है। 

इसलिए यह प्राइस बार्स द्वारा वॉल्यूम के भीतर सकारात्मक और नकारात्मक वॉल्यूम को देखकर इसकी उपयोगिता की स्थिति को और बढ़ा सकता है।

बेहतर रिजल्ट के लिए वॉल्यूम इंडिकेटर के साथ वॉल्यूम मोमेंटम ऑसिलेटर्स और चार्ट पैटर्न के साथ प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकता है,क्योंकि दोनों इसकी भविष्यवाणी में सुधार करने के लिए वॉल्यूम बाय प्राइस का सपोर्ट कर सकते हैं।

इसके अलावा, केवल वॉल्यूम आपको खरीदने और बेचने के लिए सकारात्मक संकेत प्रदान नहीं कर सकता है। 

हालांकि, यह आपको एक ट्रेंड के ओवरऑल स्वास्थ्य में  दिशा प्रदान करता है।

पिछले वॉल्यूम इंडिकेटर परिणामों के रुझानों का विश्लेषण करके, आप प्राइस मूवमेंट  पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।

बाजार की प्रवृत्ति के आधार पर खरीद या बेच सकते हैं, और जरूरत पड़ने  पर आवश्यक सुधार कर सकते हैं। 

इसलिए वॉल्यूम इंडिकेटर  के बारे में ध्यान रखें और उन  ट्रेंड्स का पालन  करें,जिन्हें आप नोटिस करते हैं क्योंकि यह आपकी मेहनत से अर्जित धन है।

यह आपका मूल्यांकन है, जो इसे एक बुलिश या बेयरिश ट्रेंड बना सकता है।

 इसलिए, अपने प्रबंधकीय निर्णय लेने के लिए लाभ को प्रोत्साहित करने के लिए अप-टू-डेट विश्लेषण करना सबसे महत्वपूर्ण है।

यदि आप कुछ उच्च तकनीक वाले ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म का उपयोग करते हुए स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग या निवेश के साथ शुरुआत करना चाहते हैं, तो हम इसमें आपकी सहायता करेंगे:

यहां बुनियादी विवरण दर्ज करें और हम आपके लिए एक कॉलबैक की व्यवस्था करेंगे:

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टेक्निकल इंडिकेटर के अन्य लेख

VWAP इंडिकेटर या ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का उपयोग शॉर्ट टर्म और इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए किया जाता है। यहाँ इस पोस्ट में VWAP Indicator in Hindi में बात करेंगे।  

जैसा इस मेथड का नाम है, यह काम भी वैसा ही करता है।

इसमें ट्रेड किए गए रुपयों को प्रत्येक लेनदेन के साथ जोड़ा जाता है और फिर एक दिन में खरीदे गए कुल शेयरों से विभाजित किया जाता है।

इसका उपयोग करते समय ट्रेडर का ध्यान किसी विशेष मूल्य पर लेनदेन की मात्रा पर होता है न कि क्लोजिंग प्राइस पर।

VWAP Indicator विभिन्न महत्वपूर्ण सवालों के जवाब देता है जैसे कि – क्या स्टॉक कम वॉल्यूम में हाई लेवल पर बंद किया जाएगा? या क्या स्टॉक हाई वॉल्यूम के साथ एक नए लो लेवल पर जाएगा?

यह मेथड न केवल डे ट्रेडर्स के लिए फायदेमंद है बल्कि स्विंग ट्रेडर्स के लिए भी उपयोगी है। हालाँकि वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) विशेष रूप से डे ट्रेडिंग तक सीमित है।

इसका उपयोग अधिक समय की (Weekly, Monthly) अवधि के लिए नहीं किया जा सकता।

आइये देखते है की ये शेयर मार्केट इंडिकेटर (share market indicator in hindi) किस तरह से आपको ट्रेडिंग के संकेत प्रदान  करता है


VWAP Trading Strategy in Hindi  

इंट्राडे चार्ट के साथ VWAP Indicator का उपयोग इंट्राडे स्टॉक मूल्य के मूवमेंट की पहचान करने के लिए भी किया जाता है।

जब प्राइस VWAP से ऊपर होती है, तो यह इंडीकेट करता है कि सिक्योरिटी का प्राइस कम है।

जब कीमत वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) से कम है, तो यह बताता है कि स्टॉक प्राइस ज्यादा है।

इस प्रकार ट्रेडर्स तब स्टॉक खरीदते हैं, जब कीमत वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) को पार करती है।

इस तरह यह एक टेक्निकल इंडिकेटर की तरह काम करता है।

वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस का उपयोग करने का एक और तरीका हो सकता है – ट्रेड करने के लिए एक गेज के रूप में।

इस मामले में, वॉल्यूम एक महत्वपूर्ण घटक है, जब इसका उपयोग मार्केट की लिक्विडिटी के निर्धारण करने के लिए किया जाता है।

इसलिए, यदि कोई बड़ा ट्रेड वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) लाइन को पार करता है, तो यह माना जाएगा कि ट्रेड नॉन ऑप्टीमल है।

वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) एक एनालिसिस टूल है, लकिन यह आपको यह नहीं बताता कि कब मार्केट में प्रवेश करना है या निकलना है।

वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) की कैलकुलेशन ट्रेडिंग के खुलने के साथ शुरू होती है और जब ट्रेडिंग खत्म होती है तो बंद होती है।

ऊपर दिया गया एक दिन में डेटा या ट्रेड की संख्या का उपयोग करके वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) चार्ट का एक अच्छा उदाहरण है।

जैसा कि आप अनुमान लगा सकते हैं, दिन के प्रत्येक मिनट में कई ट्रेड होते हैं। सक्रिय सिक्योरिटीज के लिए यह केवल एक मिनट में 30 से 40 टिक तक बढ़ा सकता है।

एक सामान्य ट्रेडिंग दिन के लिए कई सिक्योरिटीज 5,000 से अधिक टिक के साथ समाप्त होती हैं। ट्रेडर्स सपोर्ट और रेजिस्टेंस के रूप में कम समय सीमा के लिए वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस  (VWAP) का उपयोग करते हैं।

आइए एक नज़र डालते हैं  वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) चार्ट के नए वर्जन पर जो टिक डेटा पर आधारित नहीं है, लेकिन इंट्रा डे अवधि (1, 5, 30, 60 मिनट चार्ट) पर है।

ऊपर दिए गए चार्ट में, वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) को 5 मिनट के इंट्राडे चार्ट पर लागू किया जाता है।

अधिकांश ट्रेडर्स टिक डेटा के मुकाबले इस मेथड को अधिक पसंद करते हैं क्योंकि इसके लिए बड़े पैमाने पर मार्केट डाटा की आवश्यकता होती है,क्योंकि विभिन्न अवधि के लिए सभी टिकों को संदर्भित करने की आवश्यकता होती है।

अधिकतर ट्रेडर्स के लिए, दिन के अंत में वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) मूल्यों का बहुत महत्व नहीं है, क्योंकि अंतराल बहुत प्रमुख हो जाता है। 

 उस समय इंडिकेटर फ्लैट हो जाता है। वह दिन की शुरुआत में मौजूद मूल्य पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं।

हालांकि, बड़े संस्थानों के लिए, अंत में इस मूल्य का अधिक महत्व है। क्योंकि दिन के अंत में मूल्य इन संस्थानों को अपने लेनदेन की तुलना करने के लिए एक विधि प्रदान करता है। 

इसके अलावा कुछ ऐसे शेयर मार्केट चार्ट हैं जिनको पढ़कर आप शेयर की कीमतों को पता लगाकर, शेयर मार्केट में आसानी से ट्रेडिंग कर सकते हैं


VWAP Indicator Example in Hindi 

जैसा कि पहले ही ऊपर उल्लेख किया गया है, सपोर्ट और रेजिस्टेंस निर्धारित करने के लिए ट्रेडर्स द्वारा VWAP Chart का उपयोग किया जाता है। 

यह महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लाभ और हानि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। सपोर्ट और रेजिस्टेंस की गणना करने के कई तरीके हैं, जैसे कि मूविंग एवरेज। जैसे मूविंग एवरेज इंडिकेटर (moving average in hindi) आपको शेयर के औसत प्राइस की जानकारी देता है ठीक उसी प्रकार VWAP इंडिकेटर आपको प्राइस और वॉल्यूम के डेटा के अनुसार औसत प्राइस की जानकारी देता है।

VWAP Indicator में अन्य मूविंग एवरेज के साथ उल्लेखनीय समानताएं हैं। इसलिए यह सपोर्ट और रेजिस्टेंस की पहचान करने के लिए उपयोग कर सकता है।

वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) का उपयोग करते समय, यह अन्य मूविंग एवरेज के समान अंतराल भी दिखाता है। इसका कारण, यह है क्योंकि यह पिछले डेटा का उपयोग करता है। 

वास्तव में, जितना अधिक डेटा मौजूद है, उच्चतर अंतराल उतना अधिक होगा।

हालांकि, इन दोनों के बीच महत्वपूर्ण अंतर यह होगा कि  वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) को मुख्य रूप से एक विश्लेषण उपकरण के रूप में माना जाता है, ट्रेड सिग्नल टूल के रूप में नहीं।

वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) के मामले में 3 मूल सेटअप हैं, और वह है पुलबैक, वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) के लिए फैड और ब्रेकआउट पैटर्न। वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) पुलबैक दो में से अधिक लोकप्रिय है और डे ट्रेडर्स द्वारा सबसे अधिक  उपयोग किया जाता है।

पुलबैक वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP)

यह VWAP पुलबैक सेटअप का उपयोग करके NVDA का 5 मिनट का चार्ट है।

इस चार्ट में, आप मौजूद दो लाइनों को देख सकते हैं। 

सफेद लाइन VWAP है, जबकि टील लाइन 20- दिनों की मूविंग एवरेज को दर्शाती है।

पुलबैक तब होता है जब सिक्योरिटी सबसे ऊपर जाती है और फिर कुछ हद तक नीचे (पुलबैक) आती है।

हालाँकि सिक्योरिटी का वापस गिरने का अर्थ यह नहीं है कि स्टॉक कभी भी नहीं बढ़ेगा। इसका मतलब यह है कि शायद एक तरह का सकारात्मक अभिकर्मक मौजूद था, जिससे थोड़े समय के लिए थोड़ी अधिक मांग पैदा हुई।

इस पैटर्न का सबसे अच्छा उपयोग करके कई ट्रेडर्स जब वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) के नीचे मूल्य आने का इंतज़ार करते है और जब कीमतें इसके ऊपर होती हैं, तब इसे खरीदते हैं।

ट्रेडर्स ने एक और तरीका अपनाया है कि पहले कुछ दिनों के लिए उन्होंने बाजार की चाल को चलने दिया और फिर इसके  VWAP पर  वापस आने के लिए इंतज़ार किया और देखा कि मार्केट ऊपर या नीचे  किस दिशा के और चल रही है।

एक पुलबैक वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस रणनीति एक बेहतर रणनीति है,जो आमतौर पर उन ट्रेडर्स द्वारा अपनाई जाती है जो जोखिम उठाना पसंद करते हैं। 

ट्रेडर्स को बहुत अधिक आत्मविश्वास की आवश्यकता होती है, क्योंकि इस पैटर्न के लिए समय के साथ बड़ी मात्रा में अभ्यास की आवश्यकता होती है।

कोई भी इस ट्रेंड को समझकर, इसका लाभ उठा सकता है

फैड टू वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP)

ऊपर दिया गया एक मिनट का SPY चार्ट Fade से VWAP रणनीति के साथ तैयार किया गया है। यदि आप जोखिम और लाभ का फायदा लेना चाहते है, तो रणनीति बहुत अच्छी है।

इस चार्ट के अनुसार सुबह में एसपीवाई (SPY) बहुत अधिक था, लेकिन बाद में यह नए खरीदार बनाने में विफल रहा। यह दर्शाता है कि केवल कुछ खरीदार हैं, और कीमते फिर से नीचे आने वाली है।

इस रणनीति के साथ ट्रेडर्स ने थोड़े समय के लिए हाई ट्रेंड में गया और प्राइस टारगेट जो कि VWAP है, पर जाकर रुक गया।

ब्रेकआउट पैटर्न

चार्ट में  दिए गए ब्रेकआउट पैटर्न के आधार पर एक वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) चार्ट है। 

यह नए ट्रेडर्स  के लिए सबसे उपयुक्त है और इसमें  जोखिम-प्रतिकूल हैं।

 ब्रेकआउट तब होता है, जब कोई सिक्योरिटी मूव सपोर्ट से बाहर हो जाती है  या प्रतिरोध स्तर से अधिक मात्रा के साथ बाहर निकलती है।

ट्रेडर्स को तब तक इंतजार करना होगा, जब तक कि सिक्योरिटीज वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) के नीचे न चली जाएं। 

यह प्रवेश पाने का एक शानदार समय होगा। ट्रेडर्स को उम्मीद है कि सिक्योरिटी रिकवर हो जाएगी और वापस ऊपर की ओर बढ़ जाएगी और उनको फायदा होगा। 


वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस कैलकुलेशन

शेयर मार्केट का गणित का उपयोग कर आप वॉल्यूम के आधार पर VWAP की जानकारी प्राप्त कर सकते है। हालांकि, आपको नीचे दिए गए प्रत्येक चरण में सतर्क रहने की आवश्यकता है:

  1. पहले चरण के रूप में, आपको इंट्रा डे अवधि के लिए मूल्य की कैलकुलेट करने की आवश्यकता है। इस फॉर्मूले का प्रयोग करके भी गणना की जा सकती है: (उच्च मूल्य + कम कीमत + समापन मूल्य) / 3
  2. अब वॉल्यूम पीरियड को उपरोक्त कैलक्युलेटेड प्राइस के साथ गुणा करें।
  3. तीसरा, आप (मूल्य x वॉल्यूम) का कुल योग करें।
  4. अगला चरण कुल जमा के वॉल्यूम को लेना है।
  5. चरण 3 और चरण 4 के कुल योग को आपस में विभाजन करें।

फॉर्मूले के लिए आपको यह जानने की आवश्यकता है:

VWAP = क्युमुलेटिव (वॉल्यूम x मूल्य) / क्युमुलेटिव वॉल्यूम।


VWAP Trading Strategy in Hindi 

  1. VWAP Indicator की तकनीक सरल और गणना को समझने में आसान बनाता है।
  2. यह ट्रेडर्स को मार्केट की वॉल्यूम को ध्यान में रखते हुए, सिक्योरिटी खरीदने और बेचने के लिए सर्वोत्तम मूल्य निर्धारित करने में मदद करता है।
  3. यह विधि विशेष रूप से उपयोगी है, जब ट्रेड में बड़ी संख्या में शेयर शामिल होते हैं।
  4. यह अपनी साधारण और संभावित सफलता के कारण विश्व स्तर पर ट्रेडर्स के बीच अत्यधिक लोकप्रिय है।

अगर आप VWAP से एक सही बाय और सेल सिग्नल चाहते है तो उसके लिए अन्य मोमेंटम या स्ट्रेंथ इंडिकेटर जैसे की एडीएक्स (ADX indicator in hindi) का उपयोग भी कर सकते है


VWAP Indicator ke Nuksan    

VWAP एक क्युमुलेटिव आधारित विधि है, यानी यह बड़ी मात्रा के डेटा का उपयोग करता है।

यह डेटा केवल दिन के दौरान बढ़ता है। डेटा की इस वॉल्यूम पर निर्भर होने के कारण वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) में लैग होता है, उसी तरह यह मूविंग एवरेज में मौजूद होता है।

वास्तव में, जितना अधिक डेटा मौजूद है, उतना ही अधिक लैग होने वाला है।

इस वजह से, केवल एक मिनट और पांच मिनट के चार्ट का उपयोग करना बेहतर होता है।

बिलकुल सही  परिणाम प्राप्त करने के लिए टिक विधि का उपयोग नहीं किया जाता है।

इसके लिए समय का बहुत अधिक महत्त्व है। 

 इसमें मौजूद लैग के कारण विश्लेषण के लिए सबसे कम उपयोगी वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP) इंडिकेटर होगा। 


 निष्कर्ष:

VWAP Indicator in Hindi के पोस्ट में हमने देखा कि निवेशकों द्वारा VWAP इंडिकेटर को ट्रेडिंग रणनीति के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। 

यह एक गहन और प्रभावी तरीका है, जिसका उपयोग सिक्योरिटी की प्रवृत्ति या दिशा का आकलन करने के लिए किया जाता है।

यदि आप निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो आपको सिक्योरिटी के बारे में स्टडी करना चाहिए। एक ट्रेंड दिखाने के लिए एक इंडिकेटर की आवश्यकता होती है।

VWAP Indicator In Hindi के इस पोस्ट में हमने बताया है की यह एक बेहतर निर्णय लेने में आपकी मदद करता है।

वॉल्यूम वेटेड एवरेज प्राइस (VWAP)  इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए इतना उपयोगी है कि कुछ ट्रेडर्स इसे हौली ग्रेल (Holy Grail) के रूप में मानते हैं।

वह इसका उपयोग यह  निर्धारित करने के लिए कि स्टॉक की वर्तमान कीमत के साथ तुलना करते हैं, कि क्या स्टॉक एक ही दिन में सस्ता या महंगा है।

ट्रेडर्स दिन के अंत में अपने प्रदर्शन की गुणवत्ता की जांच करने के लिए भी इसका उपयोग करते हैं यदि उन्होंने उस विशिष्ट स्टॉक में इन्वेस्ट किया है।

VWAP प्रत्येक ट्रेडिंग दिन के लिए नए सिरे से शुरू होता है। यह एक अत्यधिक बहुमुखी इंडिकेटर है।

हालाँकि, किसी व्यक्ति को मौजूद लैग्स के बारे में और उसकी कमियों के बारे में पता होना चाहिए। जो वास्तव में किसी भी इंडिकेटर के लिए सही है, जो पिछले डेटा का उपयोग करता है।


क्या आप स्टॉक मार्केट ट्रेड के साथ शुरुआत करना चाहते हैं, तो यहां बताया गया है कि आप कैसे शुरुआत कर सकते हैं:

आप नीचे प्रदर्शित फार्म में भरकर भी शुरुआत कर सकते हैं और आपको शीघ्र ही एक कॉलबैक प्राप्त होगी।

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Share Market Indicator in Hindi https://hindi.adigitalblogger.com/share-market-indicator-hindi/ https://hindi.adigitalblogger.com/share-market-indicator-hindi/#respond Fri, 29 Jan 2021 06:39:14 +0000 https://hindi.adigitalblogger.com/?p=76415 शेयर मार्केट की जानकारी तो सभी को होगी अब इस प्लॅटफॉम में ट्रेड करने के लिए कई स्टॉक्स है लेकिन…

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टेक्निकल इंडिकेटर के अन्य लेख

शेयर मार्केट की जानकारी तो सभी को होगी अब इस प्लॅटफॉम में ट्रेड करने के लिए कई स्टॉक्स है लेकिन शार्ट टर्म ट्रेड में आपको कौन सा स्टॉक ज़्यादा प्रॉफिट दे सकता है उसके लिए टेक्निकल एनालिसिस करना बहुत ज़रूरी होता है जिसमे आप आप शेयर मार्केट चार्ट्स, पैटर्न्स और इंडिकेटर का उपयोग करते है। अगर आप मार्केट में नए है तो यहाँ पर कुछ महत्वपूर्ण शेयर मार्केट इंडीकेटर्स (share market indicator in hindi) का विवरण दिया गया है जो आपको एक सही पोजीशन लेने में सहायक होते है।

शेयर मार्केट इंडिकेटर क्या है?

तकनीकी विश्लेषण के लिए बहुत से टेक्निकल एनालिसिस टूल्स प्रदान किये जाते है जिनमे से शेयर मार्केट इंडिकेटर स्टॉक के ऐतिहासिक प्राइस, वॉल्यूम, वोलैटिलिटी आदि पैरामीटर की गणना करके बनाये गए है जो आपको मार्केट में एक सही पोजीशन लेने में मदद करते है। 

ये इंडिकेटर ग्राफ द्वारा प्रदर्शित किये जाते है और एक परिभाषित टाइम में पिछले डाटा के साथ तुलना कर विश्लेषण करने में मदद करते है। ये इंडिकेटर इन्वेस्टर के व्यवहार और साइकोलॉजी को भी दर्शाती है जो आपको आने वाले प्राइस और मार्केट का विश्लेषण करने में लाभदायक होती है।

Types of Share Market Indicator in Hindi

शेयर मार्केट इंडिकेटर को अलग-अलग जानकारी के अनुसार बांटा गया है। यहाँ पर हम हर केटेगरी के बारे में विस्तार में चर्चा करेंगे जिससे आप इन्हे अच्छे से समझ सके। पहली केटेगरी इनकी स्पीड और एक्यूरेसी के अनुसार की गयी है।

दूसरा टाइप इंडिकेटर के रोल के अनुसार है, जिसके विवरण लेख में आगे किया गया है

जैसे की बताया गया है की मार्केट में टेक्निकल इंडिकेटर की गणना पुराने डेटा के अनुसार की जाती है जिससे आप करंट मार्केट और आने वाले मार्केट की स्थिति को जान सकते है। लेकिन सभी इंडिकेटर आपको पूरी जानकारी नहीं देते। 

कुछ शेयर मार्केट इंडिकेटर आने वाले मार्केट को जानने में मदद करती है तो कुछ पिछले डेटा के अनुसार करंट मार्केट की जानकारी देती है। इसके आधार पर शेयर मार्केट इंडिकेटर (share market indicator in hindi) को दो भागो में बांटा गया है:

  • Leading Indicator in Hindi

लीडिंग इंडिकेटर, जैसे की नाम से पता चल रहा है आपको मार्केट में आने वाले ट्रेंड और वोलैटिलिटी की जानकारी प्रदान करता है। अगर एक ट्रेडर इन इंडिकेटर को सही से समझ जाए तो आने वाले मार्केट ट्रेंड से काफी मुनाफा कमा सकता है, लेकिन ये इंडिकेटर कभी -कभी गलत सिग्नल भी दे देते है जिसकी वजह से नुकसान होने की सम्भावना होती है।

यहाँ पर कुछ लीडिंग इंडिकेटर के नाम दिए गए है:

  • Lagging Indicator in Hindi

दूसरी और लेगिंग इंडिकेटर स्टॉक के बीते हुए प्राइस, वॉल्यूम की गणना कर आपको संकेत प्रदान करते है। ये ट्रेडर को एक तरह से कन्फर्मेशन संकेत देते है जिससे एक ट्रेडर सही पोजीशन लेने में सफल होता है। ज़्यादातर ट्रेंड इंडिकेटर लेगिंग होते है।

स्टॉक मार्केट में ज़्यादातर इस्तेमाल होने वाले लेगिंग इंडिकेटर निम्नलिखित है:

अब हर इंडिकेटर के कार्य अलग-अलग होते है तो उनके रोल के अनुसार इन्हे 4 भागो में बांटा गया है। इसके बारे में एक-एक करके चर्चा करेंगे।

  • ट्रेंड इंडिकेटर 

मार्केट में तीन तरह के ट्रेंड होते है: अपट्रेंड, डोन्टेन्ड, और रेंज मार्केट। लेकिन किस समय किस तरह के ट्रेंड की आने की सम्भावना है उसके लिए ट्रेंड इंडिकेटर का इस्तेमाल किया जाता है। 

  • मोमेंटम इंडिकेटर

हर एक ट्रेंड के ख़त्म होने का समय आता है, एक तरह प्राइस ही है जो बदलता है और उसके अनुसार ट्रेंड बनता है। अब अगर स्टॉक का प्राइस तेज़ी से बदले तो उसके चल रहे ट्रेंड के समाप्त होने का संकेत मिलता है। एक तरह से आपको ट्रेंड की स्ट्रेंथ की जानकारी प्रदान करता है।

उधारण के तौर पर आर ओ सी इंडिकेटर (ROC Indicator in Hindi) इस सूची में आता है | इसके अलावा कुछ आम इस्तेमाल होने वाले मोमेंटम इंडिकेटर निम्नलिखित है:

  • वोलैटिलिटी इंडिकेटर

शार्ट टर्म ट्रेड में वोलैटिलिटी का बहुत अहम रोल होता है और इसलिए ज़रूरी है क्योंकि वही एक ट्रेडर के लिए ज़्यादा प्रॉफिट कमाने का अवसर लेकर आती है। लेकिन किस समय मार्केट में ज़्यादा वोलैटिलिटी है और किस समय कम उसके लिए आप कुछ इंडिकेटर का उपयोग कर सकते है, जिसका विवरण नीचे किया गया है।

  • वॉल्यूम इंडिकेटर 

एक स्टॉक में जितने बायर और सेलर है उससे आप स्टॉक प्राइस में आने वाले बद्लाव को जान सकते है। इसके लिए आपको वॉल्यूम की जानकारी होना बहुत ज़रूरी है, लेकिन मार्केट में वॉल्यूम हर मिनट बदलती है और इसलिए आप वॉल्यूम इंडिकेटर का इस्तेमाल कर अपने विश्लेषण को आसान बना सकते है।


Best Indicator for Intraday Trading in Hindi 

इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है ये तो आप सभी को पता है। अब क्योंकि इसमें आपको एक ही ट्रेडिंग सेशन में कई पोजीशन लेनी और स्क्वायर ऑफ करनी होती है जिसके लिए ज़रूरी है मार्केट को सही से समझना और जानना। यहाँ पर वोलैटिलिटी का बहुत अहम रोल होता है और इसलिए आप एक सही वोलैटिलिटी इंडिकेटर का इस्तमाल कर अपने ट्रेड पोजीशन ले सकते है। 

अब स्टॉक मार्केट में 100 से भी ज़्यादा इंडिकेटर लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कौन सा इंडिकेटर महत्वपूर्ण और लाभदायक है उसके विवरण यहाँ पर दिया गया है

VWAP Indicator in Hindi

मार्केट में जब वॉल्यूम बढ़ती है तो उससे प्राइस एक दिशा पकड़ता है और ट्रेडर्स के लिए ट्रेड करने का अवसर लेकर आता है। Volume Weighted Average Price इंडिकेटर जो आपको प्राइस और वॉल्यूम दोनों की जानकारी साथ में देता है

ये इंट्राडे ट्रेडर को लॉन्ग और शार्ट पोजीशन लेने के लिए सही प्राइस की जानकारी प्रदान करता है। वॉल्यूम और प्राइस के आधार पर किसी भी शेयर की मार्केट में क्या डिमांड और सप्लाई है वह सभी जानकारी आप इस शेयर मार्केट इंडिकेटर से प्राप्त कर सकते है। 

अगर स्टॉक का प्राइस VWAP लाइन से नीचे की और ट्रेड कर रहे हो तो वह बेयरिश ट्रेंड और अगर ऊपर की ओर हो तो बुलिश ट्रेंड की जानकारी देता है आप इसी ट्रेंड के अनुसार एक नयी पोजीशन ले सकते है या प्रॉफिट बुक कर स्क्वायर ऑफ कर सकते है


Supertrend Indicator in Hindi

एक इंट्राडे ट्रेडर को सही ट्रेंड की जानकारी मिल जाए तो उससे अच्छा और क्या हो सकता है और यही समाधान प्रदान करता है सुपर ट्रेंड इंडिकेटर जो आपको साफ़ और स्पष्ट ट्रेंड की जानकारी प्रदान करता है। अब ट्रेंड है तो ये प्राइस डेटा की मदद से आपको संकेत देता है लेकिन ये प्राइस के साथ ATR (Average True Range) का भी इस्तेमाल करता है जो इसे ज़्यादा उपयोगी बनाता है।

ये इंडिकेटर ट्रेंड के अनुसार अपना रंग बदलता है। ग्रीन सुपर ट्रेंड लाइन बुलिश और रेड सुपर ट्रेंड लाइन बेयरिश ट्रेंड की जानकारी देता है। इसके बेहतर संकेत के लिए 15-मिनट टाइम फ्रेम का उपयोग कर सकते है। हालांकि एक बेहतर तरीका ये है कि आप ज़्यादा टाइम फ्रेम से कम की तरफ मूव कर ट्रेंड की जानकारी ले।

इस इंडिकेटर को EMA इंडिकेटर के साथ इस्तेमाल कर आप अपने विश्लेषण को कई गुना तक बेहतर बना सकते है


Moving Average in Hindi

एक शेयर की कीमत दिन में कई बार बदलती है।

नतीजतन, केवल स्टॉक की कीमत को देखकर एक ट्रेंड की पहचान करना काफी कठिन हो सकता है।

मूविंग एवरेज एक बहुत ही सामान्य ट्रेडिंग इंडिकेटर है जो ट्रेडर्स द्वारा स्टॉक के प्राइस मूवमेंट में ट्रेंड का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह इंडिकेटर ग्राफ पर एक सिंगल फ्लोइंग लाइन बनाकर स्टॉक प्राइस की जानकारी प्रदान करता है। यह एक एक सीधी लाइन द्वारा प्रत्येक दिन के क्लोजिंग प्राइस को जोड़कर किया जाता है।

इस आवश्यक जानकारी के आधार पर, ट्रेडर अलग-अलग समय अवधि का उपयोग करते हैं। आपके पास 50-दिन, 100-दिन या यहां तक ​​कि 200-दिन की अवधि के लिए एक मूविंग एवरेज ग्राफ हो सकता है। लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए 5-पीरियड और 20 पीरियड का मूविंग एवरेज बेहतर सिग्नल दे सकते है।

मूविंग एवरेज बताता है कि स्टॉक प्राइस ट्रेंड कर रहा है या नहीं। यदि लाइन ऊपर की ओर बढ़ रही है, तो इसका मतलब है कि शेयर की कीमत अपट्रेंड पर है। नतीजतन, एक डाउनवर्ड लाइन का मतलब डाउनट्रेंड है।

स्विंग ट्रेडिंग के लिए आप 50 और 20  पीरियड मूविंग एवरेज को एक साथ इस्तेमाल कर उसके क्रॉसओवर से मार्केट के ट्रेंड की जानकारी ले सकते है। अगर 20 पीरियड मूविंग एवरेज 50-मूविंग एवरेज को नीचे से ऊपर की और कांटे तो ये अपट्रेंड और अगर ऊपर से नीचे की और कांटे तो डाऊनट्रेंड का संकेत देता है।


Swing Trading Indicator in Hindi 

शार्ट टर्म ट्रेडिंग में अगर आपको कम रिस्क के साथ ट्रेड करना है तो स्विंग ट्रेडिंग का विकल्प आपको दिया जाता है। अब क्योंकि इसमें होल्डिंग पीरियड ज़्यादा होता है तो आप अपने चुने हुए स्टॉक की सेटिंग बदल सही स्विंग ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का उपयोग कर सकते है।

अब स्विंग ट्रेडिंग में ट्रेडर सिर्फ ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफे की ओर देखता है और इसलिए मार्केट से सही समय में अपनी पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करना एक स्विंग ट्रेडर के लिए काफी ज़रूरी होता है। इसके लिए आप ऐसे इंडिकेटर का इस्तेमाल कर सकते है जो आपको ट्रेंड के बदलने की जानकारी प्रदान करे।

MACD Indicator in Hindi

मूविंग एवरेज का इस्तेमाल कर ही इस इंडिकेटर की गणना की जाती है। इस इंडिकेटर की सेटिंग 12,26,9 होती है, जिसमे 12 और 26 MACD लाइन और 9 सिग्नल लाइन के लिए इस्तेमाल होता है।

जब MACD लाइन सिग्नल लाइन को नीचे से ऊपर की ओर क्रॉस करती है तो अपट्रेंड और ऊपर से नीचे की काटने पर डाउनट्रेंड का सिग्नल देती है

इसके अलावा MACD इंडिकेटर में हिस्टोग्राम भी होता है जिसकी चौड़ाई इस इंडिकेटर के कन्वर्जेन्स और डाईवेर्जेंस का संकेत देती है। यहाँ पर अगर हिस्टोग्राम की चौड़ाई ज़्यादा है तो डाईवेर्जेंस, यानी की ट्रेंड की ज़्यादा स्ट्रेंथ और इसके विपरीत कन्वर्जेन्स (कम स्ट्रेंथ) का संकेत देती है।

साथ ही जब ये हिस्टोग्राम ग्रीन होते है तो बुलिश और लाल होने में बेयरिश मार्केट की जानकारी देता है


RSI Indicator in Hindi

रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI) ट्रेडर द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक लोकप्रिय ओसीलेटर है। यह ट्रेडिंग इंडिकेटर किसी विशेष स्टॉक के मूल्य मूवमेंट में गति और परिवर्तन को मापता है।

RSI की गणना निम्न प्रकार से की जाती है:

RSI = 100 – 100 / (1 + (ऊपर की ओर औसत मूल्य / नीचे की कीमत में परिवर्तन का औसत)

आरएसआई इंडिकेटर 0 और 100 के मूल्यों के बीच ओसिलेट करता है।

यदि वैल्यू 70 से अधिक है, तो स्टॉक को ओवरबॉट माना जाता है और 30 से कम RSI ओवरसोल्ड का संकेत देता है।

ओवरबायिंग ट्रेडर द्वारा ओवरवैल्यूएशन को संकेत करता है और आमतौर पर इंगित करता है कि एक ट्रेंड उलट जल्द ही हो सकती है। इसी तरह, ओवरसेलिंग एक ऊपर की ओर कीमत में बदलाव का संकेत दे सकता है।

स्विंग ट्रेडिंग में अगर आपने लॉन्ग पोजीशन ली है तो आप RSI के संकेत का इस्तेमाल कर प्राइस के गिरने की जानकारी प्राप्त कर सही समय में अपनी पोजीशन से निकल प्रॉफिट बुक कर सकते है।


Option Trading Indicator in Hindi 

ऑप्शन ट्रेडिंग में कई तरह के जोखिम होते है, लेकिन फिर भी बहुत से ऐसे ट्रेडर है जो इसमें सफल होते है। इसका सबसे बड़ा कारण है सही ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करना जिसको निर्धारित करने के लिए आप सही इंडिकेटर का चयन कर सकते है।

ऑप्शन ट्रेडिंग में इंडिकेटर के साथ ऑप्शन चैन का भी बहुत महत्व होता है, लेकिन एक शुरूआती ट्रेडर को ऑप्शन चैन को पढ़ना काफी मुश्किल लगता है लेकिन अगर आप अपने डेटा को इंडिकेटर की मदद से सत्यापित कर पाए तो आपको इसमें मुनाफा कमाने से कोई नहीं रोक सकता

ADX Indicator in Hindi

एवरेज डायरेक्शनल इंडेक्स,  ट्रेडर्स को एक ट्रेंड  की ताकत और दिशा निर्धारित करने में मदद करता है और इसे किसी भी स्टॉक पर लागू किया जा सकता है। ये 0 से 100 के स्केल में काम करता है। जहां 25 से अधिक की रीडिंग को एक स्ट्रांग ट्रेंड माना जाता है, और 25 से नीचे की संख्या को वीक ट्रेंड  माना जाता है।  

एडीएक्स आम तौर पर 14 दिनों के प्राइस रेंज की मूविंग एवरेज  पर आधारित होता है, जो ट्रेडर्स  की पसंद की आवृत्ति पर निर्भर करता है। ध्यान दें कि एडीएक्स कभी नहीं दिखाता कि कैसे प्राइस ट्रेंड विकसित हो सकती है, यह केवल ट्रेंड  की ताकत को इंगित करता है। 

लेकिन अगर आपको स्ट्रेंथ के साथ ट्रेंड की जानकारी भी लेनी हो तो आप +DI और -DI वैल्यू के आधार पर ले सकते है जिसकी गणना प्राइस और अन्य पहलूओं के आधार पर की जाती है।  यहाँ पर अगर +DI लाइन -DI लाइन को नीचे से ऊपर की और काटे तो वह एक अपट्रेंड का संकेत देती है। इसके विपरीत आप डाउनट्रेंड की जानकारी ले सकते है।  

अब ट्रेंड कितना ताकतवर है, यानी की अगर अपट्रेंड है तो उसमे लॉन्ग पोजीशन लेनी चाहिए या नहीं वह आप ADX लाइन से जान सकते है। 


Bollinger Band indicator in Hindi

बोलिंजर बैंड एक वोलैटिलिटी इंडिकेटर है जो एक ऐसी सीमा प्रदान करता है जिसके भीतर कोई एसेट  की कीमत आमतौर पर ट्रेड करती है। रेंज का बढ़ना या घटना, मार्केट के अस्थिरता को दर्शाता है। इसमें तीन बेंड का उपयोग होता है जिसमे मिडिल बेंड 20 SMA और अपर और लोअर बेंड मार्केट की वोलेटाइल स्थिति को दर्शाता है।

बैंड एक-दूसरे के जितने करीब या जितने ‘संकीर्ण’ होते हैं, फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में अस्थिरता उतनी ही कम होती है। बैंड जितना व्यापक होगा, स्टॉक में अस्थिरता उतनी ही अधिक होगी।

बोलिंजर बैंड, हमें ये जानने में सहायता करता है की कब कोई एसेट अपने समय स्तरों से बाहर ट्रेड कर रहा है। ये मेथड एक एसेट की वोलैटिलिटी को जानने में मदद करता है। जब मार्केट में वोलेटाइल नहीं होती तो ये ऑप्शन राइटर के लिए अवसर लेकर आता है जिसमे वह ऑप्शन सेल कर प्रीमियम से मुनाफा कमा सकता है।


शेयर मार्केट में सबसे अच्छा इंडिकेटर कौन सा है?

जैसे की बताया गया है की हर इंडिकेटर का अपना कुछ महत्व है लेकिन कई बार यही इंडिकेटर आपको गलत जानकारी भी प्रदान करते है। तो ऐसा नहीं कहा जा सकता कि कोई एक इंडिकेटर आपके लिए महत्वपूर्ण हो। लेकिन हां, अलग-अलग प्रकार के दो-तीन इंडिकेटर आपको एक बेहतर संकेत और जानकारी प्रदान करते है।

तो यहाँ पर हम दो अलग-अलग इंडिकेटर को चार्ट में इस्तेमाल कर जानेंगे कि किस तरह से ये आपकी ट्रेडिंग के सफर को आसान बनाती है

यहाँ पर हमने RSI इंडिकेटर का इस्तेमाल किया जिससे हमे ये जानकारी मिली की जब स्टॉक का प्राइस अपट्रेंड में है तो कितनी तेज़ी से ये प्राइस बदल रहा है और क्या इसमें रेवेर्सल हो सकता है। 70 RSI हमे रेवेर्सल का संकेत तो देता है लेकिन उसे कन्फर्म करने के लिए बोलिंजर बैंड का उपयोग किया जो एक वोलैटिलिटी इंडिकेटर है।

अब आप देख सकते है कि जब RSI 70 है उसी समय प्राइस बोलिंजर बैंड के अपर बैंड से नीचे और गिरने लगा जो आपको प्राइस रेवेर्सल का कन्फर्मेशन देता है। तो यहां पर अगर आपने कोई इंट्राडे पोजीशन ली है तो आप प्रॉफिट बुक कर स्क्वायर ऑफ कर सकते है।

इसी तरह से और भी कॉम्बिनेशन है जो मार्केट में आपको एक निश्चित निर्णय लेने में लाभदायक होते है। नीचे टेबल में share market indicator in hindi के कुछ combination दिए गए है:


निष्कर्ष

ट्रेडिंग की दुनिया में बहुत जल्दी निर्णय लेने से बेचना बहुत महत्वपूर्ण होता है। लेकिन, यदि आपके पास अधिक संख्या में स्टॉक है तो यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

Share market indicator in hindi ट्रेडर्स को इस जानकारी को सरल बनाने और ट्रेंड के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद करते हैं। बस ज़रुरत है तो सही इंडिकेटर के पहचान की और उसे सही तरीके से इस्तेमाल करने की

यहाँ पर ऊपर बताये गए इंडिकेटर को आप एक से ज़्यादा ट्रेडिंग टाइप के लिए भी इस्तेमाल कर सकते है


यदि आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं और डीमैट खाता खोलना चाहते हैं तो कृपया नीचे दिए गए फॉर्म को देखें:

यहाँ अपना बुनियादी विवरण भरें और उसके बाद आपके लिए कॉलबैक की व्यवस्था की जाएगी।

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