Education – अ डिजिटल ब्लॉगर https://hindi.adigitalblogger.com स्टॉक ब्रोकर के विश्लेषण और अंतर Wed, 22 May 2024 11:27:04 +0000 en-US hourly 1 https://wordpress.org/?v=4.9.9 https://hindi.adigitalblogger.com/wp-content/uploads/2017/12/Favocon.png Education – अ डिजिटल ब्लॉगर https://hindi.adigitalblogger.com 32 32 इंट्राडे के लिए स्टॉक कैसे चुने? https://hindi.adigitalblogger.com/intraday-ke-liye-stock-kaise-chunein/ https://hindi.adigitalblogger.com/intraday-ke-liye-stock-kaise-chunein/#respond Mon, 06 Nov 2023 14:09:34 +0000 https://hindi.adigitalblogger.com/?p=154238 इंट्राडे ट्रेडिंग जो की ट्रेडर को अच्छा मुनाफा दे सकती है, पर एक गलत शेयर में पोजीशन लेना नुकसान का…

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इंट्राडे ट्रेडिंग जो की ट्रेडर को अच्छा मुनाफा दे सकती है, पर एक गलत शेयर में पोजीशन लेना नुकसान का कारण भी बन सकती है और इसलिए सबसे ज़रूरी ये जानना है कि इंट्राडे के लिए स्टॉक कैसे चुने| 

वैसे तो शेयर मार्केट में हज़ारो कम्पनीज है लेकिन उनमे से कुछ ही कम्पनीज के शेयर में इंट्राडे ट्रेडिंग कर मुनाफा कमाया जा सकता है तो आइये जाने ऐसे कौनसे कारक है जो इंट्राडे के लिए शेयर चुनने के लिए महत्वपूर्ण है।

Intraday Trading me Konse Share Kharide?

इंट्राडे ट्रेडिंग में शेयर का चुनाव करने के लिए कुछ पहलुओं को ध्यान में रखना होता है जैसे की :

  1. लिक्विडिटी (तरलता)
  2. वोलैटिलिटी (अस्थिरता)
  3. ट्रेंड
  4. मोमेंटम

किसी भी शेयर को इंट्राडे ट्रेडिंग में खरीदने से पहले इन चारों पहलुओं पर सही होना जरूरी है, आइये इन चारो पहलूओं को विस्तार में समझते है:

Liquidity Analysis for Intraday Hindi 

इंट्राडे ट्रेडिंग (Intraday Trading Meaning in Hindi) यानी की आज ही ट्रेड ली और आज ही मार्केट के बंद होने से पहले अपनी ट्रेड को क्लोज कर दिया।

अब इंट्राडे में लिक्विडिटी की जरूरत कुछ इस तरह है की ट्रेड लेने के लिए शेयर की पर्याप्त क्वांटिटी होना जरूरी होता है|अगर उसमें ज्यादा क्वांटिटी में शेयर ट्रेड हो रहे होंगे तभी तो ट्रेडर सोदे में ज़्यादा मुनाफा कमा पायेगा।

Liquidity की जानकारी वॉल्यूम (What is Volume in Share Market in Hindi) से ली जाती है जो ये संकेत देता है कि कितने ट्रेडर मार्केट वैल्यू पर शेयर को बेचने और खरीदने में इच्छुक है।

जितने ज़्यादा ट्रेडर की वॉल्यूम उतना मुनाफा कमाने का अवसर।

उदाहरण के लिए, मान लो की अगर आपने किसी शेयर को 1000 रुपये के भाव पर खरीद लिया लेकिन उसमे लिक्विडिटी कम है तो ऐसे में स्क्वायर ऑफ करते समय आपको कम सेलर होने की वजह से सही सौदा नहीं मिलेगा और कई बार नुक्सान के साथ आपको अपनी पोजीशन से बाहर निकलना होगा।

इसके साथ वॉल्यूम की जानकारी से हम ट्रेंड को भी जान सकते है:

वॉल्यूम   प्राइस  ट्रेंड 
Increases  Increases  Bullish 
Increases  Decreases  Bearish 
Decreases  Increases  Bullish Trend will end soon 
Decreases  Decreases  Bearish Trend will end soon 

Volatility Analysis for Intraday in Hindi 

इंट्राडे के लिए बेस्ट स्टॉक चुनने के लिए लिक्विडिटी के बाद वोलैटिलिटी पर सबसे ज्यादा ध्यान देना होता है। वोलैटिलिटी यानी की अस्थिरता, अगर किसी शेयर में अस्थिरता रहेगी तभी तो वो दिन के दौरान ऊपर नीचे जाएगा और ट्रेडर उस ऊपर नीचे जाने की स्थिति में सोदा लेकर मुनाफा बना पाएगा।

Volatility Analysis for Intraday Using Candlestick Chart

शेयर की वोलैटिलिटी को उसके ऊपर नीचे होने की दशा में मापा जाता है, जितनी अच्छी वोलैटिलिटी उतने अच्छे सोदा लेने के मौके।

आइये इसे एक उदाहरण से समझते है।

मान लो की किसी शेयर की कीमत ₹100 चल रही है और उसकी volatility 1% है इसका मतलब वह ज़्यादा से ज़्यादा 101 तक ऊपर जा सकता है और 99 की वैल्यू तक नीचे गिर सकता है

ऐसे में अगर आपने सपोर्ट पर इस शेयर को खरीद भी लिया तो ज़्यादा मुनाफा नहीं कमा पाओगे। 

वही अगर शेयर में 4% की वोलैटिलिटी हो तो वह मुनाफा कमाने का अवसर भी है लेकिन उसके साथ कई तरह के जोखिम भी है।

मार्केट में वोलैटिलिटी की जानकारी के लिए बोलिंजर बैंड इंडिकेटर (bollinger band indicator in hindi) का उपयोग कर सकते है। यह शेयर मार्किट इंडिकेटर (Share Market Indicator in Hindi) की सूची में वोलैटिलिटी इंडिकेटर में विभाजित है | 

Trend Analysis for Intraday in Hindi 

रेंज बाउंड मार्किट या कंसोलिडेशन मार्किट: इसमें भाव एक छोटी रेंज में ऊपर निचे होता रहता है और ट्रेडर ज्यादातर इसके झांसे में फंसकर अपनी पूंजी गँवा देता है।

Trend Analysis Showing Price Consolidation Between Range to choose Intraday stock

ऊपर दर्शाए चार्ट में देखिये की एक रेंज बनी हुई है और भाव बार बार उस रेंज में ऊपर निचे जा रहा है, अब नए और अनुभवहीन ट्रेडर इस रेंज में सौदा तो ले लेते है और उनका टारगेट नहीं आ पाता।

कारण होता है की शेयर ट्रेंड में नहीं होता और जब भी वो सौदा लेता है तो उसको आगे ग्रोथ मिलने की बजाए रेंज का ऊपरी बैंड मिल जाता है जो की शेयर को वापस निचे धकेल देता है।

जब तक बाज़ार इस रेंज से निकलकर ट्रेंड नहीं पकड़ लेता तब तक ट्रेड करना जानबूझकर जोखिम उठाना कहलाएगा।

ट्रेंड के सहारे ट्रेडिंग: इंट्राडे ट्रेडिंग में ट्रेंड की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती है। ट्रेंड से ट्रेडर ये तय कर पाता है की खरीददारी करनी है या बिकवाली करनी है। इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक का चयन करने के लिए ये एक जरूरी पहलु है | 

इंट्राडे में स्टॉक चुनने के लिए ट्रेंड एनालिसिस

ऊपर दर्शाये चार्ट में एक घंटे का टाइम फ्रेम और उसमें तेजी यानी की बुलिश मार्केट दिखाई दे रही है। इसमें भाव मूविंग एवरेज के साथ साथ मूमेंटम करता हुआ दिखाई दे रहा है। अब देखने वाली बात ये है की एक घंटा जो की एक बड़ा टाइमफ्रेम है तो छोटे टाइम फ्रेम में मूमेंटम के आधार पर ट्रेड करना आसान होता है।

दूसरी तरफ 15 मिनट के टाइमफ्रेम वाले चार्ट में देखा जा सकता है की एक घंटे की मूविंग एवरेज (Moving Average in Hindi) पर जब भाव आता है तो वहां से दोबारा मूमेंटम के साथ ऊपर चला जाता है, एक ट्रेडर के लिए इस तरह ट्रेंड के साथ ट्रेड करना आसान होता है और मुनाफा निकालना भी आसान होता है।

क्योंकि ज्यादातर टाइम शेयर का भाव अपने ट्रेंड के अनुरूप ही जाता है तो अपट्रेंड में बुलिश सौदा लेने की बजाए बियरीश सौदा लेना अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मारने जैसा होगा।

ट्रेंड के साथ चलने में गलत होने की संभावना कम हो जाएगी।

इंट्राडे में टेक्निकल अनालिसिस के आधार पर शेयर की खरीददारी।

मूमेंटम यानी की तेजी की स्पीड यानी गति, किसी भी चीज की गति को मूमेंटम के सहारे समझा जा सकता है। जैसे की गाडी जब चलती हुई धीरे धीरे और तेज गति के साथ चलने लगती है।

तो उसे कहा जाएगा की गाडी ने मूमेंटम पकड़ ली है। बिलकुल उसी प्रकार शेयर जब बुलिश ट्रेंड में चल रहा हो और जब वो बुलिश ट्रेंड में ही और तेज गति पकड़ ले तो उसे कहेंगे की शेयर ने मूमेंटम पकड़ ली है।

टेक्निकल अनालिसिस  के सहारे उस मूमेंटम को समझा जा सकता है और ट्रेड भी किया जा सकता है।

Momentum Analysis for Intraday in Hindi

इंट्राडे ट्रेडिंग में टेक्निकल अनालिसिस का ही उपयोग होता है, क्योंकि इंट्राडे ट्रेडिंग की समय सीमा केवल एक ही दिन की होती है तो वो फंडामेंटल अनालिसिस (Fundamental Analysis in Hindi) या किसी अन्य प्रकार के अनालिसिस की मदद से कर पाना संभव नहीं होता।

हमने लिक्विडिटी (तरलता), वोलैटिलिटी (अस्थिरता) और ट्रेंड के बारे में समझ लिया, जब कोई शेयर इन तीनों चीजों के आधार पर सही हो और ट्रेड करने लायक हो तो अंतिम चरण बचता है टेक्निकल अनालिसिस, जो ट्रेडर को बताएगा की कहाँ पर सोदा लेना है और कहाँ पर बेचना है।

अब जो भी शेयर ट्रेडर के टेक्निकल अनालिसिस के आधार पर खरीदने लायक हो उन्हें खरीदा जा सकता है, इसके लिए कुछ कैंडलस्टिक पैटर्न (Candlestick Pattern in Hindi), चार्ट पैटर्न, इंडिकेटर और रणनीतियां है जिनकी मदद ली जा सकती है।

ट्रेडर को टेक्निकल अनालिसिस के जरिये इंट्राडे में अच्छी लिक्विडिटी, अच्छी खासी वोलैटिलिटी, और ट्रेडिंग शेयर को ही खरीदना चाहिए।

निष्कर्ष।

इस पोस्ट में आपने जाना की इंट्राडे के लिए स्टॉक कैसे चुने | आपको बता दें की इंट्राडे ट्रेड करना जितना मुश्किल है उतना ही आसान भी है   बस फर्क है प्लानिंग करने और बिना प्लानिंग के ही इंट्राडे ट्रेडिंग करने की कोशिश करना।

अगर प्लानिंग के साथ इंट्राडे करेंगे तो आप पहले बड़े टाइमफ्रेम के सहारे ट्रेंडिंग स्टॉक्स को खोजेंगे उसके बाद उन खोजे हुए स्टॉक्स में टेक्निकल अनैलिसिस की मदद से सौदा बनाएँगे। ऐसा करने पर मुनाफा कमाने की संभावनाएं बढ़ जाएगी।

टेक्निकल अनालिसिस, ये शब्द जितना पुराना है उतना ही प्रभावशाली है। एक ट्रेडर को अच्छी तरह सोच विचार करने के उपरान्त सही पहलुओं के अनुरूप इंट्राडे में स्टॉक चुनने के बाद टेक्निकल अनालिसिस की मदद से शेयर को खरीदना चाहिए।

अगर आप शेयर मार्किट में इंट्राडे ट्रेडिंग के जरिये पैसा कमाना चाहते है तो नीचे दिए गए फॉर्म को भरिये | हमारी टीम जल्द ही आपसे संपर्क करके आपका डीमैट अकाउंट खोलने में मदद करेगी |

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ट्रेडिंग कोई भी हो ब्रोकर अपनी कमीशन तो लेगा ही लेकिन क्या आपका ब्रोकर आपके प्रॉफिट से ज़्यादा ब्रोकरेज ले रहा है? क्या इंट्राडे चार्ज आपके प्रॉफिट को कम कर रहे है? नहीं पता! तो जाने कि Intraday trading me kitna charge lagta hai. 

इंट्राडे ट्रेडिंग का चार्ज कितना है?

अब मार्केट में कई ब्रोकर है, उनमे से कुछ फुल-सर्विस तो कुछ डिस्काउंट ब्रोकर है। अब ब्रोकर अलग है तो इनके शुल्क भी अलग है जो इनके प्रोडक्ट और सर्विस पर निर्भर करते है।

उदाहरण के लिए अगर Zerodha की बात की जाए तो वह फ्लैट ब्रोकरेज लेता है और वही IIFL जो एक फुल सर्विस ब्रोकर है ट्रेडिंग टर्नओवर के अनुसार कमीशन चार्ज करता है।

आपका अकाउंट कौनसे ब्रोकर के साथ है और वह आपसे इंट्राडे ट्रेडिंग का कितना शुल्क लेता है, जानने के लिए ये ब्लॉग अंत तक पढ़े।

Zerodha इंट्राडे ब्रोकरेज चार्ज।

Zerodha काफी समय से शीर्ष ब्रोकर में से एक है। डिस्काउंट ब्रोकर के मॉडल में Zerodha काफी अच्छा ब्रोकर है। अपनी टेक्नोलॉजी के लिए मशहूर ये ब्रोकर इंडिया का पहला डिस्काउंट ब्रोकर है। Zerodha में इंट्राडे ट्रेडिंग के चार्जेज (Zerodha Intraday Charges in Hindi) की सूची कुछ इस प्रकार है | 

Equity intraday Charges  Flat ₹ 20 or 0.03% (whichever is lower)
Future  Intraday Charges 0.03% or Rs. 20/executed order whichever is lower
Option Intraday Charges Flat Rs. 20 per executed order

Groww इंट्राडे ब्रोकरेज चार्ज।

Zerodha की तरह ही Groww भी डिस्काउंट ब्रोकर के मॉडल पर काम करता है। निचे Groww के इंट्राडे ब्रोकरेज के खर्चों की डिटेल्स दी हुई है।

Equity intraday Charges  ₹20 per executed order or 0.05% (whichever is lower)
Future  Intraday Charges Flat Rs. 20 per executed order
Option  Intraday Charges Flat Rs. 20 per executed order

Upstox इंट्राडे ब्रोकरेज चार्ज।

Upstox भी एक डिस्काउंट मॉडल पर चलने वाला ब्रोकर है। इसमें Zerodha और Groww की तरह ही ट्रेडिंग प्लान्स है। निचे Upstox के इंट्राडे ब्रोकेरज चार्जेज की जानकारी दी गई है।

Equity Intraday Charges  ₹20 per executed order or 0.05% (whichever is lower)
Future  Intraday Charges ₹20 per executed order or 0.05% (whichever is lower)
Option Intraday Charges Flat ₹20 per executed order.

Angel One इंट्राडे ब्रोकरेज चार्ज।

Angel One जिसे पहले Angel Broking के नाम से जाना जाता था। जिसकी लगभग 1996 में शुरुआत हुई थी। पहले ये फुल सर्विस मॉडल पर काम किया करते थे अब इनका हाइब्रिड मॉडल है, इसका मतलब है की ये डिस्काउंट और फुल सर्विस दोनों तरह के ब्रोकर है।

Angel One की बहुत सारी विशेषताएं इसको ख़ास बनती हैं | आइए अब जानते हैं Angel One इस्तेमाल करने पर इंट्राडे ट्रेडिंग में कितना चार्ज लगता है | ये चार्जेज कुछ इस प्रकार है | 

Equity Intraday Charges  ₹ 0 for first 30days or ₹ 500 then

₹ 20 / Executed Order Or

0.03% (Whichever Is Lower)

Future  Intraday Charges

₹ 0 for first 30days or ₹ 500 then

₹ 20 / Executed Order Or

0.25% (Whichever Is Lower)

Option  Intraday Charges ₹ 0 for first 30days or ₹ 500 then

₹ 20 / Executed Order Or

0.25% (Whichever Is Lower)

Kotak Securities इंट्राडे ब्रोकरेज चार्ज।

Kotak Securities के तीन प्लान है, पहला Trade Free Plan, दूसरा Trade Free Youth प्लान और तीसरा Trade Free Max प्लान।

Kotak Securities Trade Free Plan

99 रुपये देकर आप लाइफटाइम के लिए ये प्लान ले सकते हो।

Equity  Intraday Charges  ₹0
Future  Intraday Charges ₹0
Option  Intraday Charges ₹0

Trade Free Youth Plan

299 रुपये देकर आप पहले साल के लिए, और 499 रुपये देकर अगले साल के लिए फिरसे ये प्लान ले सकते हो।

Equity Intraday Charges ₹0
Future  Intraday Charges ₹0
Option   IntradayCharges ₹0

Kotak Securities के इन दोनों प्लान में इंट्राडे ट्रेडिंग चार्जेज बिलकुल फ्री है, इनमें मार्जिन और कुछ अन्य चीजें पर ही चार्जेज लगते है।

Motilal Oswal इंट्राडे ब्रोकरेज चार्ज।

Motilal Oswal भी बहुत पुराना ब्रोकर है, लगभग 1987 में मुंबई में इसकी शुरुआत हुई थी। Motilal Oswal फुल सर्विस ब्रोकर है और अपनी फुल सर्विस के लिए ये ब्रोकर मशहूर है। यहाँ गौर करने वाली बात ये है की मोतीलाल ओसवाल का ब्रोकरेज शुल्क (Motilal Oswal brokerage in Hindi) बहुत कम है और इसी वजह से ये बहुत से ट्रेडर्स की पहली पसंद है | 

Equity Intraday Charges  0.02%
Future Intraday Charges 0.02%
Option Intraday Charges 20 Per Lot

5paisa इंट्राडे ब्रोकरेज चार्ज।

5paisa एक डिस्काउंट ब्रोकर है, जो की नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड भी है। अपने डिस्काउंट मॉडल में 5paisa फिक्स चार्ज (5paisa charges in Hindi) लेता है। निचे आप इसके द्वारा लिए जाने वाले इंट्राडे ट्रेडिंग चार्जेज दिए गए है।

Equity Intraday Charges  ₹20

Future  Intraday Charges

₹20
Option  Intraday Charges ₹20

अगर आपके पास 5paisa का ₹599 रुपये महीने का Subscription प्लान है तो ₹10 रुपये ब्रोकरेज हर प्रकार की ट्रेड में फिक्स होगा

इंट्राडे ट्रेडिंग शुल्कों की गणना कैसे की जाती है?

इंट्राडे ट्रेडिंग में शुल्कों की गणना करने से पहले ब्रोकर द्वारा लिए जाने वाले चार्ज का पता होना चाहिए।

यहाँ हम डिस्काउंट ब्रोकर Zerodha की बात कर लेते है।

Zerodha इंट्राडे में ज्यादा से ज्यादा 20 रूपए या 0.03% (जो भी इनमें से कम हो) लिया जाता है। इसके आलावा Zerodha Equity, Currency, और Commodity की ट्रेड में भी यही चार्ज लेता है। पर ऑप्शन ट्रेडिंग में 20 रुपये प्रति ट्रेड के हिसाब से लिए जाते है।

आइये एक गणना करके देखते है।

मान लीजिये की SBI Bank के शेयर का भाव 500 रुपये चल रहा है और हम उसके 100 शेयर 500 के भाव पर खरीदकर 510 के भाव पर बेचना चाहते है तो इसकी इंट्राडे के शुल्कों की गणना कैसे होगी।

500 के भाव पर 100 शेयर खरीदे गए: यानी की 500 X 100 =  50000

510 के भाव पर 100 शेयर बेचे गए: यानी 510 X 100 = 51000

तो टोल वैल्यू बनी 50000 + 51000 = 101000

और इस 101000 की वैल्यू का 0.03% बना 30.30 रुपये। ये हुई ब्रोकरेज चार्जेज। क्योंकि ये खरीददारी और बिकवाली दोनों की वैल्यू को जोड़कर गणना की गई है, इसे अलग अलग करके भी ब्रोकरेज निकाली जा सकती है।

इसके आलावा ट्रेडिंग टर्नओवर या वैल्यू को आधार बनाकर अन्य खर्चे भी लगते है। जैसे की STT | STT के खर्चे बिकवाली के आधार पर लगते है। जो की 0.025% बेचने पर लगते है।

हमारी बिकवाली की वैल्यू  510 X 100 = 51000 बानी थी तो 51000 का 0.025% हुआ 12.75 पर इसमें होते ये है की इसे राउंड नंबर के आधार पर देखा जाता है, अगर रकम के आगे वाली वैल्यू के पास की वैल्यू है तो आगे वाली वैल्यू को माना जाएगा और अगर पीछे वाली वैल्यू के पास की है तो पीछे वाली वैल्यू को माना जाएगा। 

जैसे की 12.75 जो है वो 13 के नजदीक है तो यहाँ STT 13 रुपये ही मानी जाएगी, अगर यही 12.50 से निचे होती तो वैल्यू 12 रुपये मानी जाती।

इसके आलावा Exchange Txn Charge, GST, SEBI Charges, और Stamp Duty भी लगती है।

इन खर्चों के बारे में आप ब्रोकर की साइट पर जाकर पढ़ सकते है।

जैसे की Exchange Txn Charge जो की Exchange द्वारा लिए जाते है।

GST सरकार द्वारा ली जाती है। और शेयर बाज़ार को रेगुलेट करने वाली सेबी भी अपने चार्जेज लेती है। इसके आलावा राज्य सरकारें Stamp Duty लेती है।

इंट्राडे चार्ज इतने ज्यादा क्यों होते हैं?

इंट्राडे ट्रेडिंग में चार्ज ज्यादा होने के कई कारण होते है, जैसे की:

  1. ज्यादा ट्रेड या ओवर ट्रेड करना। ऐसा इसलिए भी होता है क्योंकि दिन में बार बार ट्रेड के मौके बनते रहते है, ऐसे में ट्रेडर ज्यादा ट्रेड करता है और उसका खर्चा बढ़ जाता है।
  2. इंट्राडे में छोटी छोटी मूव में भी बड़े प्रॉफिट निकालने की कोशिश में बड़ी क्वांटिटी से ट्रेड कर ली जाती है जो की ट्रेडिंग टर्नओवर बढ़ा देती है जिसकी वजह से चार्जेज भी बढ़ जाते है।
  3. कुछ ब्रोकर प्रति ट्रेड के हिसाब से चार्ज लेते है, जो की काफी बड़ा कारण है ट्रेडिंग के चार्ज हाई होने का।

इंट्राडे ट्रेडिंग में ब्रोकर के आलावा अन्य खर्चे।

ट्रेडिंग में ब्रोकर के अलावा भी काफी खर्चे होते है, जो निचे टेबल में दिए गए है।

Type Of Charges Equity intraday Currency Commodity
STT/CTT 0.1% on Buy & Sell No STT 0.01% on Sell Side
Transaction Charges NSE: 0.00325%

BSE: 0.00375%

NSE:0.0009%

BSE: 0.0009%

Exchange txn Charge: 0.0026%
GST 18% on (Brokerage + SEBI Charges + Transaction Charges) 18% on (Brokerage + SEBI Charges + Transaction Charges) 18% on (Brokerage + SEBI Charges + Transaction Charges)
SEBI Charges ₹10 / Crore ₹10 / Crore Agri: ₹1 / Crore

Non-agri: ₹10 / Crore

Stamp Charges 0.003% or ₹300 / Crore On Buy-Side 0.0001% or ₹10 / Crore On Buy-Side 0.002% or ₹200 / Crore On Buy-Side

These figures are taken from the broker’s site and may change over time.

अब हम बात करते है ऊपर शीट में बताए गए चार्जेज की, ये सब चार्जेज कौन कौन से चार्जेज है और इन्हें कोन लेता है।

  1. Call & Trade And RMS auto-square-off: ये चार्ज तब लिया जाता है जब ट्रेडर ब्रोकर को कॉल करके अपने सोदे लेता है और जब ट्रेडर अपने इंट्राडे वाले सोदे को श्याम तक क्लोज नहीं करता तो ब्रोकर खुद ही उस सोदे को क्लोज कर देता है, इसके लिए वो चार्ज लेता है।
  2. STT/CTT: STT यानी की सिक्योरिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स और CTT यानी की कमोडिटीज ट्रांजेक्शन टैक्स, ये वो टैक्स है जो स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से लेन-देन के कुल कारोबार पर लगाया जाता है। इसकी शुरुआत 2004 में की गई थी। ये टैक्स केंद्र सरकार का होता है।
  3. Transaction Charges: ये ट्रांजैक्शन चार्जेज टोटल टर्नओवर पर लगाया जाता है और ये चार्जेज एक्सचेंज द्वारा लिया जाता है।
  4. GST: GST (Goods and Services Tax) चार्जेज शेयर की  ट्रेडिंग पर लिया ही जाता है, ये चार्जेज भी केंद्र सरकार का होता है। शेयर बाज़ार के अलावा भी हर बहुत सारी चीजों की खरीददारी और बिकवाली पर ये चार्जेज लिया जाता है।
  5. SEBI Charges: SEBI (Securities and Exchange Board of India) शेयर बाज़ार को रेगुलेट करने वाली संस्था SEBI भी ट्रेडिंग में होने वाले सोदों पर चार्ज लेती है।
  6. Stamp Charges: ये चार्ज जिसे स्टाम्प ड्यूटी भी कहते है, ये राज्य सरकार द्वारा लिया जाता है।

इंट्राडे ट्रेडिंग में ये सारे चार्जेज लिए जाते है,इसके लिए ट्रेडर को अलग अलग चार्जेज नहीं भरने पड़ते बल्कि ब्रोकर के टर्मिनल के माध्यम से खुदबखुद सेटल हो जाते है।

निष्कर्ष।

आजकल लगभग ट्रेडर्स इंट्राडे ट्रेडिंग करते है, उनके लिए ट्रेडर को अपने सोदों पर लगने वाले चार्जेज के बारे में जानकारी होना बहुत जरूरी होता है, क्योंकि ये खर्चे उनके मुनाफे का काफी बड़ा हिस्सा होते है।

ज्यादातर ट्रेडर ये गलती करते है की वो इन खर्चों पर ध्यान नहीं देते और ज्यादा ट्रेड करने लगते है, ज्यादा ट्रेड के साथ ये खर्चे भी बढ़ जाते है। इसलिए intraday trading me kitna charge lagta hai यह हर ट्रेडर को पता होना चाहिए |  

ऊपर दी गयी जानकारी से आप भारत में इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए सर्वश्रेष्ठ स्टॉकब्रोकर (Stock Brokers for Intraday Trading in Hindi) का चुनाव कर सकते हैं |

अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग से पैसे कमाना चाहते हैं तो उसकी शुरुआत आप डीमैट अकाउंट खोल कर आसानी से कर सकते हैं | इसमें आपकी मदद के लिए हमारी टीम हमेशा तैयार है | बस आपको नीचे दिए गए फॉर्म को भर कर इसमें पहला कदम उठा सकते हैं |

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शेयर खरीदने का सही समय क्या है? https://hindi.adigitalblogger.com/share-khareedne-ka-sahi-samay-kya-hai/ https://hindi.adigitalblogger.com/share-khareedne-ka-sahi-samay-kya-hai/#respond Thu, 02 Nov 2023 12:12:38 +0000 https://hindi.adigitalblogger.com/?p=153999 इंडिया में शेयर बाज़ार सुबह 9.00 बजे से शाम 3:30 बजे तक खुलता है। बाज़ार में शेयर या अन्य हर…

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इंडिया में शेयर बाज़ार सुबह 9.00 बजे से शाम 3:30 बजे तक खुलता है। बाज़ार में शेयर या अन्य हर तरह का एसेट जिसमें ट्रेड और इन्वेस्ट किया जा सकता है लेकिन पोजीशन लेने के लिए शेयर खरीदने का सही समय क्या है?

Share Kitne Baje Kharidna Chahiye

सुबह बाज़ार में 9:00 से लेकर 9:15 तक प्री मार्केट ओपनिंग सेशन होता है, ट्रेडर्स इसी समय ट्रेड करना और इन्वेस्ट करना शुरू कर सकते है, इस समय में इंट्राडे मार्जिन जैसी सुविधाएँ नहीं मिलती। पर खरीदने और बेचने की अनुमति होती है।

9:15 बजे के बाद हर प्रकार की ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग शुरू हो जाती है। जिसमें मार्जिन से लेकर अन्य प्रकार की सभी सुविधांए मिलती है।

3:30 बजे बाज़ार में ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग बंद हो जाती है। ये तो बात हुई बाज़ार के खुलने और बंद होने की, अब बात करते है की शेयर खरीदने का सही समय क्या है। Share Kitne Baje Kharidna Chahiye

अब इसमें कोई दो राय नहीं है कि शेयर खरीदने का सही समय आपके प्रॉफिट को काफी हद तक प्रभावित करता है लेकिन उसके साथ एक सही शेयर का चुनाव करना भी काफी ज़रूरी है।

इसके लिए शार्ट टर्म ट्रेड के लिए टेक्निकल एनालिसिस (technical analysis in hindi) और लॉन्ग टर्म के लिए फंडामेंटल एनालिसिस (fundamental analysis in hindi) की पूरी जानकारी होनी चाहिए।

इंट्राडे में शेयर खरीदने का सही समय क्या है?

आज के समय में इंट्राडे ट्रेडिंग करना एक आम बात हो गई है, लगभग सभी ट्रेडर्स इंट्राडे ट्रेडिंग करते है।
इंट्राडे ट्रेडिंग (intraday trading meaning in hindi) यानी की आज ही ट्रेड ली और आज ही ट्रेड को क्लोज कर दिया।

इंट्राडे ट्रेडिंग मुख्यतः दिन में दो बार सबसे ज्यादा होती है, ये वो समय होते है जब बाज़ार में सबसे ज्यादा वोलैटिलिटी (अस्थिरता) और मोमेंटम होता है और बाज़ार एक दिशा में जाने लगता है।

ऐसा ज़्यादातर मार्केट के शुरूआती घंटो में होता है। अगर इस समय कोई सोदा बनाया जाए तो अच्छा मुनाफा अर्जित किया जा सकता है।

इसके बाद बाज़ार साइडवेज़ (Range Bound) हो जाते है और अगर इस समय बाज़ार में कोई सोदा बनाया जाए तो बाज़ार एक तरह नहीं जाता और नुकसान होने का चांस बढ़ जाता है।Intraday Trading and Range Bound Timings

सुबह के बाद और दोपहर तक बाज़ार आमतौर पर साइडवेज़ ही रहता है, फिर उसके बाद बाज़ार में एकतरफा मूवमेंट आती हुई देखी जाती है, जिसमें की ट्रेडर्स काफी ज्यादा ट्रेड करते है।

ये दो समय अच्छी वोलैटिलिटी देते है जिनका इंट्राडे ट्रेडिंग में काफी अच्छा फायदा उठाया जा सकता है और मुनाफा भी कमाया जा सकता है।

इसके साथ इंट्राडे ट्रेडिंग करने के लिए शेयर में वॉल्यूम यानी की liquidity की जानकारी होना भी ज़रूरी है। दिन के जिस समय पर वॉल्यूम बढ़ रही हो वह भी एक ट्रेडर के लिए शार्ट या लॉन्ग पोजीशन लेने का अवसर लेकर आती है

शेयरों में निवेश करने का सबसे अच्छा समय क्या है?

शेयर खरीदने का सही समय क्या है ये काफी हद तक परिस्थिति पर निर्भर करता है। सबसे अच्छा समय वो माना जाता है जब बाज़ार में गिरावट आती है और अच्छी-अच्छी कंपनियों के शेयर धाराशाही होकर सस्ते दामों में मिल रहे होते है।

अच्छी कंपनियों के शेयर यानी की ब्लू चिप शेयर जो बाज़ार में गिरावट आने पर ज्यादा नहीं गिरते और धीरे धीरे लम्बी समयावधि में अच्छा मुनाफा देते है।

अगर लम्बे समय में अच्छा मुनाफा कमाना चाहते है तो आपको इसे शेयर का पोर्टफोलियो बनाना चाहिए जो धीरे ही सही पर अच्छा रिटर्न देते हों।

ऐसा करने के कई तरीके हैं, जैसे की आप SIP (Systematic investment Plan) की मदद से इन्वेस्ट कर सकते हो।

शेयर खरीदने का सही समय क्या है जानने से पहले कंपनी का सही तरीके से अच्छे से मूल्यांकन करना चाहिए और ऐसा करने के लिए आपको उसके फाइनेंसियल स्टेटमेंट्स को देखना चाहिए।

फाइनेंसियल स्टेटमेंट से कंपनी के हालात के बारे में जानकारी मिल जाती है। और इसके साथ-साथ आपको कंपनी के व्यवसाय के बारे में सटीक जानकारी मिल जाती है।

इस काम को फंडामेंटल रिसर्च करना या फंडामेंटल अनालिसिस करना कहते है। इसमें मुख्यतः तीन चीजें होती है।

  • कंपनी की बैलेंस शीट
  • कंपनी का प्रॉफिट एंड लॉस स्टेटमेंट (इनकम स्टेटमेंट)
  • कैश फ्लो स्टेटमेंट

शेयर खरीदने का सही समय क्या है यह इस बात पर भी निर्भर करता है की बाज़ार में हम कम्पनी को किस तरह देख रहे है।

इसको एक उदाहरण से समझते है, मान लेते है की Infosys जो एक जानी मानी कंपनी है और पिछले कुछ सालो में अपने निवेशकों को ज़्यादा रिटर्न कमाने का अवसर दिया है लेकिन क्या आज के समय में उसमे निवेश करके आप ज़्यादा रिटर्न कमा सकते है।

मान की कंपनी ग्रो कर सकती है लेकिन महंगे दामों में शेयर खरीदना भी आपके रिटर्न को कम कर सकता है।

तो क्या Infosys का शेयर अब कभी नहीं खरीद सकते?

ऐसा नहीं है।

अच्छी से अच्छी और बड़ी से बड़ी कंपनी के शेयर को तब खरीदना चाहिए जब वह सस्ते हो रखे हो। अब SALE को ही ले लो, आपके पसंदीदा ब्रांड में जब SALE लगती है तो आप discounted price पर खरीदारी करते हो, पैसा वह भी खर्च होता है लेकिन कम पैसो में बढ़िया चीज़ खरीदने का अवसर मिलता है।

बस शेयर मार्केट में निवेश करने का भी सही समय वह ही है।

मार्केट में जब कोई भी कंपनी का शेयर प्राइस अपने All Time High या resistance के पास होता है तो वह से मार्केट में correction या retracement की स्थिति बनती है।

आपको अगर कंपनी के fundamental और growth की पूरी जानकारी है तो यही गिरावट आपके निवेश का सही समय बनती है।

एक तरह से बढ़िया रिटर्न वाला शेयर कम से कम दामों में खरीदने का मौका मिलता है जिससे आप अपनी इन्वेस्टमेंट पर ज़्यादा रिटर्न की उम्मीद कर सकते है। तो यह कहना गलत नहीं होगा की स्मार्ट निवेशक स्मार्ट उपायों का प्रयोग करके (Smart solutions for smart investors in Hindi) अपना फायदा कर सकते है

इसके साथ निवेश का सही समय नीचे दिए कुछ कारकों पर निर्भर करता है:

शेयर खरीदने से पहले कम्पनी के बारे में जानकारी।

  • कंपनी की चल रही ग्रोथ को देखकर: अगर कम्पनी की ग्रोथ अच्छी है तो कम्पनी भविष्य में अच्छा कर सकती है। कम्पनी के अच्छे रिजल्ट और रिटर्न के समय पर खरीददारी: अच्छे रिटर्न तभी मिलते है जब कम्पनी अच्छा कर रही होती है।
  • सेक्टर का PE Ratio (Price-Earnings Ratio) कम होने पर: सेक्टर और कम्पनी का PE Ratio सेक्टर और कम्पनी की ग्रोथ की कहानी बयां करता है।
  • True Value पर शेयर प्राइस का आना: कंपनी के शेयर को उसके असली प्राइस यानी की वास्तविक प्राइस पर आने पर खरीदना। यानी की कम्पनी का EPS जैसे Ratio को की मदद से ये पता लगाया जा सकता है की कंपनी के शेयर का प्राइस अब खरीदने लायक है या नहीं, यानी की कहीं इंडस्ट्री स्टैण्डर्ड के हिसाब से कहीं ज्यादा तो नहीं।
  • शेयर बाज़ार में क्रेश आने पर: ऐसा होने पर अच्छी अच्छी कम्पनीयों के शेयर के दाम गिर जाते है और सस्ते में मिल जाते है।
    कंपनी के क्वार्टरली और सालाना रिजल्ट को देखकर: इनसे हमें उसकी परफोर्मेंस का अनुमान होता रहता है।

अच्छी कम्पनी का आईपीओ आने पर: कोई भी कपनी IPO की मदद से शेयर बाज़ार में कदम रख सकती है, IPO आने पर ये पता लगा लिया जाए की कम्पनी अगर अच्छी है और आगे इसके शेयर के दाम बढ़ेंगे।

निष्कर्ष

बाज़ार में शेयर खरीदने का सही समय क्या है के साथ साथ उस शेयर के सही प्राइस का पता होना बहुत जरूरी होता है। शेयर खरीदने से पहले कम्पनी के हालात के बारे में जान लेना बहुत आवश्यक होता है, ये बिलकुल वैसा ही है की अगर हम किसी अनजान व्यक्ति को पैसे देने से पहले उसके बारे में पूरी तरह से जानकारी इकठ्ठा करते है, फिर उसे पैसे देते है।

इसके अलावा टेक्नीकल अनालिसिस भी एक तरीका है ट्रेडिंग करने का जो बाज़ार में अच्छा मुनाफा निकालने में ट्रेडर की मदद कर सकता है।

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Smart Strategies to Pick Stocks in Hindi https://hindi.adigitalblogger.com/smart-strategies-to-pick-stocks-in-hindi/ https://hindi.adigitalblogger.com/smart-strategies-to-pick-stocks-in-hindi/#respond Thu, 30 Jun 2022 09:47:44 +0000 https://hindi.adigitalblogger.com/?p=123819 क्योंकि इंट्राडे ट्रेडिंग में एक ही ट्रेडिंग दिन के अंतर्गत अपनी पोजीशन को ओपन और क्लोज करना होता है इसमें…

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ट्रेडिंग के अन्य लेख पढ़े

क्योंकि इंट्राडे ट्रेडिंग में एक ही ट्रेडिंग दिन के अंतर्गत अपनी पोजीशन को ओपन और क्लोज करना होता है इसमें काफी ट्रेडर्स अनुमान लगाकर ट्रेड करते है, इसी कारणवश यह ज़रूरी हो जाता है कि एक ट्रेडर ट्रेड से जुड़ी सभी महत्वपूर्ण बातो और बारीकियों पर ध्यान देकर ही ट्रेड करें। इसके लिए एक ट्रेडर बेहतर रणनीतियों (smart strategies to pick stocks in hindi) का  पालन कर सकता है।

आपको इन्ही महत्वपूर्ण बातो से अवगत करवाने के लिए Angel One अपनी वेबसाइट पर शैक्षिक संसाधन प्रदान करता है जो आपको मार्केट और उसे जुड़ी ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज को समझने में महत्वपूर्ण होता है।

स्टॉक सिलेक्शन स्ट्रेटेजीज को सही से समझने के लिए दी गयी जानकारी को अंत तक पढ़े।

इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉक को कैसे चुने?

इंट्राडे ट्रेडिंग में जितना ज़्यादा जोखिम होता है उतना ही मुनाफा कमाने का अवसर भी ये आपको प्रदान करता है, लेकिन इसमें हर कोई ट्रेडर सफल नहीं हो पाता। 

अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग में ज़्यादा मुनाफा कमाने की ओर देख रहे है तो यहाँ पर स्टॉक का चयन करने के लिए कुछ टिप्स और स्ट्रेटेजीज दी गयी है जो आपको ट्रेड में सफलता और मुनाफा प्रदान करने में लाभदायक होगी।

1. लिक्विड स्टॉक को चुने: इंट्राडे ट्रेडिंग में सफलता प्राप्त करने का सबसे महत्वपूर्ण होता है लिक्विड स्टॉक का चयन करना।  लिक्विड स्टॉक वह स्टॉक होते है जिसमे उच्च ट्रेडिंग वॉल्यूम ज़्यादा होती है जिसकी वजह से एक ट्रेडर उसे  ज़्यादा संख्या में कीमत को प्रभावित किये बिना आसानी से बेच और खरीद सकता है।

एक ट्रेडर को अलग-अलग प्राइस पर स्टॉक की लिक्विडिटी की जानकारी प्राप्त करनी चाहिए, इससे आप एक सही कीमत पर स्टॉक को खरीद सकते है। 

2. वोलेटाइल स्टॉक से दूर रहे: हालांकि वोलैटिलिटी एक ट्रेडर को मुनाफा कमाने का मौका प्रदान करती है लेकिन इसमें जोखिम भी ज़्यादा होते है।  ज़्यादातर स्टॉक जो न्यूज़ से प्रभावित होते है उनमे ज़्यादा वोलैटिलिटी देखने को मिलती है जिसकी वजह से वह अनअपेक्षित होते है और इसलिए इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए इस तरह स्टॉक से दूर रहना चाहिए। अगर एक अनुभवी ट्रेडर की बात की जाए तो वह 3-5% तक की वोलैटिलिटी वाले स्टॉक में इंट्राडे ट्रेडिंग करना पसंद करते है। 

3. नॉलेज सेण्टर से सीखे: अगर आप एक शुरूआती ट्रेडर है तो आप एंजेल वन के नॉलेज सेण्टर से काफी कुछ सीख सकते है। यहाँ पर दिए हुए विषय को समझ कर आप ट्रेडिंग में कुशलता प्राप्त कर सकते है।

Angel One के नॉलेज सेण्टर को अलग-अलग भागो में बांटा गया है जिससे आप एक सही स्टॉक का चयन कर इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकते है। इसके साथ शुरूआती ट्रेडर्स इंट्राडे ट्रेडिंग गाइड की मदद से ट्रेड में निपुणता हासिल कर सकते है। इसके साथ यहाँ पर ट्रेडर टेक्निकल एनालिसिस, इंडीकेटर्स और उससे जुड़ी चीज़ो को भी आसान भाषा में समझ कर अपने ट्रेड में सफलता प्राप्त कर सकते है।

4. ट्रेंड के अनुसार ट्रेडर करे: एक ट्रेडर के लिए किसी भी तरह का ट्रेडिंग निर्णय लेने के लिए ज़रूरी है की वह ट्रेंड को समझे। एक तरफ जहां बुलिश मार्केट में ट्रेडर को ऐसे स्टॉक में ट्रेड करना चाहिए जिनकी कीमत आगे चलकर बढ़े वही दूसरी तरफ बेयर मार्केट में शॉर्टिंग के लिए उन शेयर में ट्रेड करना चाहिए जो जिसकी कीमत आगे चलकर कम हो सकती है।


आपकी सभी ज़रूरतों का समाधान 

अगर आप इंट्राडे ट्रेडिंग में निपुर्ण होना चाहते है तो आज ही Angel One की वेबसाइट पर जाये और वह पर दिए अलग-अलग साधनो का इस्तेमाल कर स्टॉक मार्केट की बारीकियों को जाने।

तो अभी वेबसाइट पर जाए और ट्रेडिंग की दुनिया में कदम रख अपने मुनाफे को बढ़ाए।


डिस्क्लेमर 

  • ये ब्लॉग सिर्फ शैक्षिक उद्देश्य से लिखा गया है 
  • स्टॉक मार्केट में निवेश जोखिम भरा है, निवेश करने से पहले सभी दस्तावेज़ को ध्यानपूर्वक पढ़े
  • ब्रोकरेज सेबी द्वारा निर्धारित सीमा से ज़्यादा नहीं होगी  https://bit.ly/2VBt5c5

स्टॉक मार्केट में निवेश करने हेतु और डीमैट खाता खोलने के लिए अभी अपनी जानकारी नीचे दिए गए फॉर्म में भरे और हम आपका निशुल्क खाता ऑनलाइन खोलने में मदद करेंगे

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What is Beta in Share Market in Hindi? https://hindi.adigitalblogger.com/what-is-beta-in-share-market-in-hindi/ https://hindi.adigitalblogger.com/what-is-beta-in-share-market-in-hindi/#respond Fri, 18 Feb 2022 13:17:40 +0000 https://hindi.adigitalblogger.com/?p=115532 Share market kya hai, एक ऐसा प्लेटफार्म जहाँ शेयर के दाम बढ़ने पर निवेशक मुनाफा कमा सकते है। लेकिन जब…

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Share market kya hai, एक ऐसा प्लेटफार्म जहाँ शेयर के दाम बढ़ने पर निवेशक मुनाफा कमा सकते है। लेकिन जब बात निवेश की आती है तो उसके साथ कुछ रिस्क भी जुड़े होते है। और कहते है न “जितना अधिक जोखिम, उतना अधिक रिटर्न”। जब निवेश में जोखिम की बात आती है तो काफी निवेशक बीटा फैक्टर की बात करते है लेकिन बीटा क्या होता है (what is beta in stock market in hindi)?

आज इस लेख में हम जानेंगे की बीटा क्या है और यह वैल्यू एक निवेशक के लिए क्या और कितना महत्व रखता है?

शक अपने जोखिम का आंकलन और अपनी स्थिति को समायोजित करने के लिए उपयोग कर सकते है।

शेयर मार्केट में बीटा क्या है? 

शेयर मार्केट में प्रवेश करने वाला प्रत्येक व्यक्ति अपनी निवेशित राशि पर अधिक लाभ अर्जित करने की उम्मीद करता है। हालांकि, ज्यादा संभावित लाभ देने वाले शेयरों में पैसा खोने या प्राइस में गिरावट का जोखिम भी होता है। 

इस स्थिति में, निवेशकों के पास अपनी जोखिम उठाने की क्षमता का विश्लेषण करने और शेयर मार्केट जोखिम को सीमित करने के लिए कोई न कोई विकल्प होना चाहिए। 

लेकिन कैसे पता करें कि कौन से स्टॉक में जोखिम ज्यादा है और कौन–से स्टॉक में कम? इसी दुविधा को दूर करता है बीटा। शेयर मार्केट में बीटा नामक एक लोकप्रिय इंडीकेटर का उपयोग करके एक निवेशक जोखिमों का आंकलन करने में मदद प्रदान करता है। 

शेयर मार्केट में बीटा एक इंडीकेटर है जो निवेशकों द्वारा किसी विशिष्ट स्टॉक से जुड़े जोखिम का आंकलन  करने के लिए उपयोग किया जाता है। यह निवेशकों के लिए स्टॉक की अस्थिरता (Volatility) को मापने और यह सुनिश्चित करने कि वे अपनी पोजिशन को समायोजित करें या स्टॉक को खरीदें / बेचें। 

शेयर मार्केट में बीटा सामग्री शेयर बाजार के संबंध में स्टॉक के जोखिम का आंकलन करके काम करता है। 

उदाहरण के लिए, शेयर मार्केट में बीटा स्टॉक मार्केट इंडेक्स जैसे निफ्टी, सेंसेक्स इत्यादि से संबंधित स्टॉक के जोखिम को परिभाषित करता है। यदि इंडेक्स बढ़ रहे हैं, लेकिन स्टॉक की प्राइस गिर रही है, तो निवेशक बीटा के माध्यम से इस जोखिम का आंकलन कर सकता है। 


बीटा की गणना कैसे करें?

शेयर मार्केट का गणित आपको जोखिमों का आंकलन करने में भी उपयोगी होता है। एक बीटा गुणांक पूरे स्टॉक मार्केट के व्यवस्थित जोखिम की तुलना में एक व्यक्तिगत स्टॉक की अस्थिरता(Volatility) को मापता है। यह डेटा बिंदु रिगरेशन के माध्यम से स्लोप ऑफ द लाईन को दर्शाता है। ये डेटा बिंदु पूरे मार्केट के मुकाबले व्यक्तिगत स्टॉक के रिटर्न को दिखाते हैं।

बीटा विधि निफ्टी या सेंसेक्स जैसे किसी तुलनीय इंडेक्स को 1 का मान प्रदान करती है। बाद में, व्यक्तिगत शेयरों को 1 से ऊपर या नीचे रैंक किया जाता है, इस आधार पर कि वे मार्केट के प्रदर्शन या इंडेक्स से कितना विचलित होते हैं।

यदि किसी विशेष स्टॉक को दी गई रैंक 1 से ऊपर है, तो इसका मतलब है कि वह स्टॉक मार्केट से अधिक बढ़ रहा है और इसे हाई बीटा स्टॉक कहा जाता है। हालांकि, अगर रैंकिंग 1 से नीचे है, तो इसका मतलब है कि स्टॉक समग्र मार्केट की तुलना में धीमी गति से आगे बढ़ रहा है और इसे कम बीटा स्टॉक कहा जाता है। 

बीटा के रूप में इस तरह दर्शाया गया है: 

बीटा गुणांक (β) = कोवेरिएंस(Re, Rm)/ वेरिएंस(Rm)

इस समीकरण के अनुसार,

Re = एक व्यक्तिगत स्टॉक पर रिटर्न
Rm = समस्त मार्केट पर रिटर्न
कोवेरिएंस = एक स्टॉक रिटर्न में बदलाव का मार्केट के रिटर्न में बदलाव से कैसे संबंध है।
वेरिएंस = मार्केट के डेटा पॉइंट अपने औसत मूल्य से कितनी दूर फैले हुए हैं। 

उदाहरण के लिए, मान लीजिए कि आप ABC कंपनी में निवेश करते हैं और आप स्टॉक से जुड़े जोखिम का आंकलन करना चाहते हैं और चाहे वह उच्च बीटा स्टॉक हो या कम बीटा स्टॉक इसकी गणना निम्न प्रकार से की जाती है: 

अपने स्टॉक का जोखिम पता करने के लिए पहले आपको निफ्टी की तुलना में बीटा मान ज्ञात करने की आवश्यकता है। मान लीजिए हाल के पांच साल के आंकड़ों के आधार पर, एबीसी और निफ्टी के बीच संबंध 0.50 है, और एबीसी के रिटर्न का मानक विचलन 25.50% है, और निफ्टी 30.50% है। इस मामले में, बीटा मान होगा:

ABC का बीटा = 0.50x (0.2550/0.3050) = 0.4180

चूंकि मूल्य 1 से कम है, एबीसी कंपनी के शेयरों को निफ्टी से कम अस्थिर माना जाएगा।


शेयर मार्केट में बीटा के प्रकार 

शेयर मार्केट में चार प्रकार के बीटा होते हैं, जो निवेशकों को शेयरों से जुड़े जोखिम को समझने में मदद करते है:

β>1: किसी स्टॉक में एक से अधिक बीटा प्राइस का अर्थ है कि वे समग्र मार्केट से बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। इन स्टॉक्स को उच्च बीटा स्टॉक कहा जाता है और निवेशकों को इसमें पर्याप्त लाभ अर्जित होने की उम्मीद होती हैं। हालांकि, इस तरह के उच्च बीटा शेयर एक उच्च जोखिम वाले कारक के साथ इस संभावना के साथ होते हैं कि प्राइस वर्तमान मार्केट के साथ औसत से कभी भी क्रैश हो सकती है।

β<1: किसी स्टॉक में बीटा वैल्यू 1 से कम होने का मतलब है कि वे समग्र मार्केट से कम या कम के करीब प्रदर्शन कर रहे हैं। इन शेयरों को कम बीटा स्टॉक कहा जाता है और ये निवेशकों को कम लेकिन स्थिर रिटर्न अर्जित करने मे मदद करते हैं। ऐसे शेयर कम जोखिम होते हैं और बाजार की अस्थिरता के खिलाफ स्थिर माने जाते हैं। 

β=1: किसी स्टॉक में बीटा बरावर एक दर्शाता है कि स्टॉक आदर्श रूप से शेयर मार्केट या इंडेक्स से सह-संबंधित है। इन शेयरों को भी स्थिर माना जाता है और तुलनात्मक इंडेक्स के रूप में शेयर की कीमत और मार्केट में उतार-चढ़ाव के साथ रिटर्न पर समानांतर प्रभाव पड़ता है। आम तौर पर, स्टॉक मार्केट में लार्ज-कैप कंपनियों के शेयरों का बीटा एक के बराबर होता है क्योंकि ये कंपनियां इंडेक्स का प्रमुख हिस्सा होती हैं।

β<0: शेयर मार्केट इंडेक्स की तुलना में शेयरों के अलावा अन्य प्रतिभूतियों का बीटा मान 0 होता है। उदाहरण के लिए, सोना एक कमोडिटी है जिसका बीटा मान 0 हो सकता है, यह दर्शाता है कि इसका प्राइस समय के साथ बढ़ सकता है, भले ही शेयर मार्केट इंडेक्स कैसा भी प्रदर्शन कर रहे हों। स्टॉक मार्केट क्रैश से बचाव के लिए निवेशक इन प्रतिभूतियों का उपयोग करते हैं।


बीटा स्टॉक्स में किसे निवेश करना चाहिए?

शेयर बाजार में नुकसान से बचने के टिप्स में सबसे महत्वपूर्ण है अपने जोखिमों का आंकलन कर निवेश करना।

भारतीय स्टॉक मार्केट में शेयरों का बीटा निवेशकों को संबंधित प्रतिभूतियों से जुड़े जोखिम कारक का आकलन करने में मदद करता है। जोखिम के लिए अनुभवी निवेशक पोर्टफोलियो पर पर्याप्त रिटर्न सुनिश्चित करने के लिए 1 से अधिक के बीटा प्राइस वाले शेयरों में निवेश कर सकते हैं। बहरहाल, ऐसे निवेशकों को अप्रत्याशित परिस्थितियों के मामले में व्यापक नुकसान सहने के लिए तैयार रहना चाहिए।

आमतौर पर, स्मॉल-कैप और मिड-कैप कंपनियों के शेयरों का बीटा प्राइस 1 से अधिक होता है, क्योंकि उनके विकास की संभावना व्यापक होती है। ऐसे व्यवसायों के स्टॉक या बॉन्ड खरीदने से महत्वपूर्ण वार्षिक रिटर्न के माध्यम से पर्याप्त वैल्थ बन सकती है। 

दूसरी ओर, जोखिम से बचने वाले निवेशक या कम जोखिम लेने वाले निवेशक 1 से कम के स्टॉक बीटा का विकल्प चुन सकते हैं। फिक्स्ड रिटर्न इंस्ट्रूमेंट्स आमतौर पर ऐसे बीटा वैल्यू से जुड़े होते हैं, क्योंकि संबंधित इंस्ट्रूमेंट्स के रिटर्न स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव से सीधे प्रभावित नहीं होते हैं।

जब शेयरों (share meaning in hindi) का बीटा मूल्य 1 होता है, जो इंडेक्स और संबंधित प्रतिभूतियों के बीच समान उतार-चढ़ाव दर को दर्शाता है। लार्ज-कैप कंपनियों का अक्सर 1 के बराबर बीटा होता है, क्योंकि ये कंपनियां इंडेको का प्रमुख हिस्सा होती हैं। 

हालांकि ऐसी प्रतिभूतियों में निवेश से पर्याप्त लाभ नहीं हो पाता है, उच्च मूल्य वाले लाभांश भुगतान से अक्सर निवेशकों की संपत्ति का सृजन होता है। ऐसी कंपनियों में निवेश करना बेहतर है क्योंकि उनके पास व्यापार चक्र की गिरावट से निपटने के लिए वित्तीय आधार होता है, जो बदले में, स्टॉक की कीमत में कोई भारी उतार-चढ़ाव सुनिश्चित नहीं करता है।

बीटा का उपयोग करने के फायदे

इतिहास महत्वपूर्ण सबक ले सकता है: स्टॉक मार्केट बीटा डेटा के एक बड़े हिस्से का उपयोग करता है। कम से कम 36 महीनों के माप को दर्शाते हुए, बीटा आपको एक विचार देता है कि पिछले 3 वर्षों में शेयर मार्केट के मुकाबले ये स्टॉक कैसे आगे बढ़ा है।

नंबर झूठ नहीं बोलते: किसी कंपनी के पिछले उत्पाद लॉन्च के बारे में प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से निवेश निर्णय लेने की बजाय या पिछले साल निवेशक दिवस पर कंपनी के सीईओ ने क्या कहा होगा, और स्टॉक ने इन विभिन्न समाचारों पर कैसे प्रतिक्रिया व्यक्त की है। इनके सब के अलावा आपको डेटा पर भरोसा करना चाहिए क्योंकि डेटा कभी झूठ नही बोलता है। बीटा गणितीय रूप से आपके लिए स्टॉक की चाल का प्रतिनिधित्व करता है।


निष्कर्ष

शेयर मार्केट में बीटा किसी भी स्टॉक के जोकिम को आकने के लिए बहुत ही जरुरी पहलु है इस लिए अव से आप जब भी किसी कंपनी में निवेश करे तो पहले उसका फण्डामेंटल रिसर्च और बीटा वैल्यु का पता लगाए। जिससे आपको सही अपने जोकिम सहनशीलता के अनुसार शेयर चुनने में आसानी होगी।


स्टॉक मार्केट में निवेश करने हेतु ज़रूरी है एक सही स्टॉकब्रोकर का चयन करना, जिसके लिए आप नीचे दिए गए फार्म को भर सकते है और हम आपको एक सही स्टॉकब्रोकर को चुनने में और ऑनलाइन डीमैट अकाउंट खोलने में मदद करेंगे

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Swing Trading Books in Hindi https://hindi.adigitalblogger.com/swing-trading-books-in-hindi/ https://hindi.adigitalblogger.com/swing-trading-books-in-hindi/#respond Fri, 04 Feb 2022 12:23:43 +0000 https://hindi.adigitalblogger.com/?p=113896 जीवन में किसी भी क्षेत्र में अपना करियर बनाने के लिए किताबों की भूमिका अहम होती है। किताबों को इंसान…

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शेयर मार्केट एजुकेशन के अन्य लेख

जीवन में किसी भी क्षेत्र में अपना करियर बनाने के लिए किताबों की भूमिका अहम होती है। किताबों को इंसान का सच्चा दोस्त भी माना जाता है जो कभी धोखा नहीं देता। शेयर मार्केट में खासतौर पर स्विंग ट्रेडिंग के क्षेत्र मेें भी किताबें आपकी दोस्त हो सकती है। तो अगर आप स्विंग ट्रेडिंग (swing trading in hindi) कर स्टॉक मार्केट में मुनाफा कमाने की ओर देख रहे है तो यहाँ पर आपके लिए swing trading books in hindi का विवरण दिया गया है। 

इन किताबो में दी हुई जानकारी से जाने की स्विंग ट्रेडिंग क्या है और किस तरह से ये आपको ट्रेड करने में सही स्टॉक का चयन करने के लिए इस्तेमाल होने वाली बारीकियों को समझने में मदद करता है। 

स्विंग ट्रेडिंग की किताबें 

बहुत से लोग एक सही शुरुआत करने के लिए कई विकल्प चुनते है, लेकिन अगर ये जानकारी चाहते है की शेयर मार्केट कैसे सीखे तो उसके लिए एक सही किताब ही काफी है। लेकिन उस किताब में क्या होना चाहिए उसके लिए आपको कुछ पहलूओं को देखना चाहिए जैसे की:

  • किताब में कितने टॉपिक बताए गए है
  • इसमें किस भी मुश्किल कांसेप्ट को किस तरह से आसानी समझाया गया है

अब शेयर मार्केट की किताबो की बात जब आती है तो ऐसे बहुत सी किताबे है जो आपको ट्रेडिंग, चार्ट, शेयर मार्केट एनालिसिस (share market analysis in hindi) के बारे में जानकारी देती है लेकिन उसमे से ज़्यादातर किताबे इंग्लिश में है।  

इंडियन शेयर मार्केट में बहुत से ट्रेडर इसी वजह से मार्केट के कांसेप्ट को समझने में असमर्थ रहते है। इसी मुश्किल को हल करने के लिए यहाँ पर आपके लिए दो हिंदी किताबो का विवरण दिया गया है जो आपको स्विंग ट्रेडिंग के जानकारी के साथ, किस तरह से स्विंग ट्रेडिंग के लिए एक सही स्टॉक का चयन कर सकते है उसकी जानकारी प्रदान करती है। 

तो आइये जानते है कि स्विंग ट्रेडिंग की हिंदी में 2 प्रमुख किताबें कौनसी है। 

स्विंग ट्रेडिंग टेक्नीकल एनालिसिस हिंदी 

यह किताब शार्ट टर्म ट्रेडिंग में पैसा कैसे बनाएं और स्विंग ट्रेडिंग के शार्ट टर्म ट्रेडिंग तकनीक में उस्ताद बनाने में मदद करेगी। यह किताब टेकनिकल एनालिसिस की मदद से स्विंग ट्रेडिंग सीखने के लिए सबसे अच्छी किताब है।  इस किताब से आप स्विंग ट्रेडिंग के आधार पर ट्रेडिंग करके हर बार मुनाफा कमा सकते हैं। इसके लेखक रवि पटेल हैं।   

2009 में प्रकाशित ये किताब आपको स्विंग ट्रेडिंग से जुड़ी सभी तरह की जानकारी देती है जैसे की, कब स्टॉक खरीदना चाहिए, कब उसे बेचना चाहिए, स्विंग ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का उपयोग कर सही प्राइस में ट्रेड करना आदि

मार्केट की तकनीकियों और अलग-अलग कैंडलस्टिक  पैटर्न्स (candlestick pattern in hindi) को सरल भाषा में समझकर आप मार्केट में ट्रेड कर मनचाह मुनाफा कमा सकते है। साथ ही ये किताब आपको मार्केट के जोखिमों से अवगत करवाती है और किस तरह से आप अपने जोखिमों को समझकर ट्रेड करने का निर्णय ले सकते है।


टेक्नीकल एनालिसिस और कैंडलस्टिक की पहचान

अब बात करते है स्विंग ट्रेडिंग करने के लिए सबसे ज़रूरी पहलू की, स्विंग ट्रेडिंग करने के लिए सबसे ज़रूरी है सही विश्लेषण करना और जिसके लिए एक शुरूआती ट्रेडर के लिए आवश्यक है स्टॉक का तकनिकी विश्लेषण करना।

इसके लिए ट्रेडर को कैंडलस्टिक चार्ट और इंडिकेटर की पूर्ण ज्ञान होना काफी ज़रूरी हो जाता है और इसलिए आपके लिए ये किताब काफी महत्वपूर्ण हो जाती है।

इस किताब में आप स्टॉक मार्किट के बेसिक्स, टेक्निकल एनालिसिस के बेसिक्स, कैंडलस्टिक, चार्ट पैटर्न्स, टेक्नीकल इंडीकेटर्स, स्टॉप लॉस थ्योरी, के बारे में बताया गया है जिससे आप सीखकर आसानी से स्विंग ट्रेडिंग के जारिए शेयर मार्किट में मुनाफा कमा सकते हैं।

टेक्निकल एनालिसिस को और बारीकी से समझने के लिए आप तकनीकी विश्लेषण की किताबे (technical analysis books in hindi) भी पढ़ सकते है जो आपको मार्केट के कांसेप्ट को समझने में और मदद करेगा


निष्कर्ष 

इन सभी किताबों को पढ़कर आप आसानी से स्विंग ट्रेडिंग करना सीख सकते हैं और इससे जुड़े टर्म जैसे कि एंट्री पॉइंट, एग्जिट पॉइंट और स्टॉप लॉस के बारे में आसानी से समझ सकते हैं और स्विंग ट्रेडिंग तकनीक में किसी पोजीशन को 24 घंटे से ज्यादा देर तक होल्ड कर सकते हैं।    

स्विंग ट्रेडिंग के जरिए आप कम समय में अच्छा प्रॉफिट कमा सकते हैं।   


शेयर मार्केट के संपूर्ण ज्ञान के बाद अगर आप शेयर बाजार में निवेश करना चाह रहे है तो उसके लिए आप नीचे दिए गए फॉर्म भरे और हम आपको एक सही स्टॉकब्रोकर को चुनने में मदद करेंगे।

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शेयर मार्केट चार्ट कैसे समझें https://hindi.adigitalblogger.com/how-to-understand-charts-in-hindi/ https://hindi.adigitalblogger.com/how-to-understand-charts-in-hindi/#respond Sat, 11 Dec 2021 13:29:54 +0000 https://hindi.adigitalblogger.com/?p=108172 आप शेयर मार्केट में नए हैं और मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आपके लिए सही स्टॉक चुनना कठिन काम हो…

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आप शेयर मार्केट में नए हैं और मुनाफा कमाना चाहते हैं तो आपके लिए सही स्टॉक चुनना कठिन काम हो सकता है? इसलिए ज़रूरी है कि आप सही से स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण कर ही उसमे ट्रेड करे। अब जब बात स्टॉक के विश्लेषण की आती है तो उसमे चार्ट्स का काफी महत्त्व रहता है। लेकिन यहाँ काफी शुरुआती ट्रेडर्स के लिए मुश्किल होता है कि शेयर मार्केट चार्ट कैसे समझें?

अगर आप भी इसी तरह की असमंझस में है तो इस लेख के द्वारा हम बात करेंगे अलग-अलग शेयर मार्केट चार्ट की और किस तरह से आप उन्हें समझ कर एक सही ट्रेड का निर्णय ले सकते है         

शेयर मार्केट चार्ट क्या है?

शेयर मार्केट चार्ट एक निश्चित समय अंतराल में हुए स्टॉक के कीमत और उसके वॉल्यूम में हुए बदलाव को दर्शाता है। ग्राफिकल चार्ट में, X-axis समय अंतराल को दर्शाता है और Y-axis स्टॉक कीमत के बदलाव को दर्शाता है।

यहां पर समय अंतराल (time-period) इंट्राडे यानि कि 1 दिन से लेकर कुछ महीने तक का होता है। आप इस भी तरह का ट्रेड (इंट्राडे, स्विंग, पोजीशन) कर रहे है उसके अनुसार आप इस टाइम फ्रेम का चयन कर सकते है।

किस तरह के ट्रेड के लिए क्या टाइम फ्रेम सही होता है उसका विवरण आगे दिया गया है

साथ ही आप किस तरह की ट्रेड करना चाहा रहे है उसके लिए आपको अलग-अलग प्रकार के चार्ट्स दिए गए है जिससे आप और भी बेहतर तरह से किस भी स्टॉक का विश्लेषण कर सकते है

How To Read Share Market Chart in Hindi?

टेक्निकल एनालिसिस के लिए शेयर मार्केट के बेसिक (share market knoweldge in hindi) की जानकारी होना बहुत ज़रूरी है। एक अनुभवी तकनीकी विशेषज्ञ तरह-तरह के शेयर मार्केट चार्ट का उपयोग करते हैं। हालाँकि, सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाले शेयर मार्केट चार्ट पांच प्रकार के होते हैं।

  • लाइन चार्ट (Line Chart) 
  • डेली बार चार्ट (Daily Bar Chart)
  • कैंडलस्टिक चार्ट (Candlestick Chart)
  • हेड और शोल्डर चार्ट (Head and Shoulder Chart)
  • पॉइंट एंड फिगर चार्ट (Point and Figure Chart)

इन सब तरह के चार्ट की अपनी-अपनी विशेषता है जिसका उपयोग ट्रेडर्स अपने स्टॉक एनालिसिस और मार्केट के ट्रेंड को समझने के लिए करते है। 

तो एक-एक करके इन चार्ट को विस्तार में समझते है और जानते है किस तरह से आप इन चार्ट्स को आसानी से पढ़ स्टॉक के प्राइस की जानकारी प्राप्त कर सकते है

स्टॉक मार्केट लाइन चार्ट  

लाइन चार्ट सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाला चार्ट हैं। यह विशिष्ठ  समय अंतराल में स्टॉक के कीमत की क्लोजिंग प्राइस को दर्शाता है।

लाइन चार्ट प्राइस में हुए बदलाव को स्पॉट करने में मदद करता है और एक ट्रेडर को ट्रेंड की बेहतर जानकारी प्रदान करता है। यहाँ पर क्योंकि सभी क्लोजिंग प्राइस को जोड़ कर ग्राफ बनाया जाता है इसलिए इस चार्ट से आप स्टॉक के एक दिन पहले के क्लोजिंग वैल्यू के जानकारी प्राप्त कर सकते है।

ये इनफ़ोसिस कंपनी के 1 साल के चार्ट का उल्लेख है। इस चार्ट को समझने के लिए पहले आप कितनी अवधि के स्टॉक प्राइस का विशेषण करना चाहते है, उसके लिए नीचे दिए गए टाइम पीरियड में से एक का चयन करे, जैसे की अगर आप पिछले एक साल में कंपनी के शेयर प्राइस में आये बदलाव की जानकारी प्राप्त करना चाहते है तो 1Y को चुनें।

इसके बाद आता है समय अंतराल (time-frame). ये दर्शाता है कि आप कितने अंतराल में स्टॉक प्राइस में हो रहे बदलाव की जानकारी प्राप्त करना चाह रहे है। 

ऊपर दिए गए उल्लेख में 1 साल की अवधि की लिए 1 डे का टाइम फ्रेम चुना गया है, जिससे आप एक दिन में स्टॉक के क्लोजिंग प्राइस के अंतर की जानकारी प्राप्त कर सकते है

जैसे ही आप लाइन चार्ट की ऊपर दी गए जानकारी के अनुसार सेटिंग करते है तो आप हर एक दिन के प्राइस के अंतर को समझ सकते है और पिछले 1 साल में इस स्टॉक के ट्रेंड को समझ उसमे निवेश या ट्रेड करने का निर्णय ले सकते है

चूँकि यहाँ पर आप स्टॉक के हाई और लॉ प्राइस को नहीं जान सकते इसलिए इस तरह के चार्ट शार्ट-टर्म ट्रेड जैसे की स्विंग और इंट्राडे के लिए लाभदायक नहीं होते


स्टॉक मार्केट बार चार्ट

बार चार्ट लाइन चार्ट से काफी मिलता जुलता है। लेकिन यह लाइन चार्ट से ज्यादा सूचना प्रदान करता है। बार चार्ट के ग्राफ में प्रत्येक प्लाट पॉइंट वर्टिकल लाइन (Vertical Line) द्वारा दर्शाया जाता है और प्रत्येक वर्टीकल लाइन से दो हॉरिजॉन्टल लाइन (Horizontal Line) जुड़े होते है। 

चार्ट में बार की वर्टीकल लाइन (Vertical Line) का सबसे ऊँचा पार्ट स्टॉक के पूरे दिन की सबसे ज्यादा कीमत को दर्शाता है। उसी प्रकार वर्टीकल लाइन का निचला भाग पूरे दिन की सबसे कम कीमत की जानकारी देता है। 

हॉरिजॉन्टल लाइन की लेफ्ट एक्सटेंशन (Left Extension) स्टॉक के ओपनिंग कीमत को दर्शाता है जबकि राइट एक्सटेंशन (Right Extension) क्लोजिंग प्राइस को दर्शाता है। 

बार में अगर ओपनिंग प्राइस क्लोजिंग प्राइस से कम यानी की नीचे है तो बार ग्रीन होगा, उसके विपरीत अगर ओपनिंग प्राइस यानी के लेफ्ट एक्सटेंशन राइट एक्सटेंशन के ऊपर होगी तो कैंडल रेड यानी की बेयरिश प्राइस की जानकारी देगी

अब जानते है की ट्रेडर किस तरह से इस चार्ट को समझ अपना निर्णय ले सकते है

ऊपर दिए हुए उल्लेख में टाइम-पीरियड और समय अंतराल की सेटिंग करें। सेटिंग करते ही चार्ट में समय अंतराल के अनुसार बार ग्राफ दिखेंगे, अब इस बार ग्राफ में ओपनिंग और क्लोजिंग प्राइस के साथ हाई और लॉ स्टॉक कीमत को भी जान सकते है।

क्योकि ये चार्ट आपको एक अवधि में स्टॉक के चारों (high, low, opening और closing) कीमतों को दर्शाता है इसलिए ये शार्ट टर्म ट्रेडर्स और इंट्राडे ट्रेडर्स के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है


कैंडलस्टिक चार्ट 

तकनीकी विशेषज्ञ के बीच कैंडलस्टिक चार्ट काफी लोकप्रिय है। कैंडलस्टिक चार्ट सूचना को काफी सटीक ढंग से प्रदान करता है। जैसाकि नाम से पता चलता है प्रत्येक दिन कीमत में हुए बदलाव को कैंडलस्टिक के आकार में दर्शाया गया है।

यह चार डाटा पॉइंट्स को दर्शाता है, हाई (High), लो (Low), ओपन (Open), क्लोज (Close) की कीमतों को दर्शाता है।

ट्रेडिंग की अस्थिरता (volatility) के साथ कैंडलस्टिक चार्ट्स ट्रेंड और प्राइस पैटर्न को समझने में ज़्यादा मदद करते है। यहाँ पर बार के विपरीत एक बॉडी होती जिसके ऊपर और निचे एक विक होती है, जिसके कारण इस चार्ट का नाम कैंडलस्टिक होता है।

गिरावट वाली कैंडलस्टिक को आमतौर पर लाल रंग द्वारा दर्शाया गया है जबकि बढ़ते हुए कैंडलस्टिक को उजले रंग द्वारा दर्शाया गया है। 


Candlestick Chart Patterns in Hindi

मार्केट में  कैंडल का आकार, रंग और लम्बाई काफी कुछ बताती है। कुछ सिंगल कैंडल और कई बार एक से ज़्यादा कैंडल मिलकर मार्केट में रेवेर्सल या पुलबेक के सिग्नल देती है जिसको पहचान कर मार्केट में ट्रेडर अलग-अलग पोजीशन लेते है। 

इसमें कई तरह के पैटर्न आते है जैसे की:

हर एक कैंडलस्टिक पैटर्न को पहचानने के कुछ तरीके होते है, जिसके आधार पर ट्रेडर लॉन्ग या शार्ट पोजीशन मार्केट में लेता है। 


पॉइंट एंड फिगर चार्ट (Point and Figure Chart)

पॉइंट और फिगर चार्ट स्टॉक्स (Stocks), बांड्स (Bonds), कमोडिटीज (Commodities) और फयुचर (Future) के कीमत में हुए बदलाव को दर्शाता है। इस ग्राफ में कीमत बढ़ने पर X कॉलम बनता है और कीमत घटने पर O कॉलम बनता है। यह X कॉलम और O कॉलम को प्लाट करके दिशा में बदलाव vs कीमत को प्लाट करता है।


शेयर मार्केट चार्ट पैटर्न कैसे पढ़ें

शेयर मार्केट चार्ट पढ़ने के लिए आपको विभिन्न स्टेप्स का अनुसरण करना होगा अगर आप इन सभी स्टेप्स का अच्छे से अनुसरण करते हैं, आप आसानी से शेयर मार्केट चार्ट को समझ पाएंगे।

  • चार्ट को स्पष्ट करें (Identify the chart)

चार्ट को पहचाने और सबसे ऊपर में कंपनी का लोगो मिलेगा जो किसी विशेष कंपनी के बारे में सूचना               देता है कंपनी की जानकारी तलाश करते समय कंपनी के लोगो की जानकारी रखना आवश्यक है।

  • टाइम विंडो का चुनाव करें (Choose a time window) 

यह प्रतिदिन, साप्ताहिक, मासिक और वार्षिक आधार पर किया जा सकता है। यह निर्भर करता है की आप किस मोड में देखने का चुनाव करते हैं। अलग- अलग टाइमस्केल में देखने से लॉन्गर टर्म और शॉर्टर टर्म और समेकन (Consolidation) की जांच और पहचान करने में मदद मिलेगी। 

  • सारांश कुंजी की जांच करें (Note the summary key) 

आप सारांश कुंजी (Summary Key) की जांच करें जिसकी यह आपको चार्ट की सूचना संख्यात्मक वैल्यू में बताएगा जिसे आप आसानी से पढ़ सकते हैं। इस सारांश के द्वारा आपको हाल की कीमत (Latest Price), मूविंग एवरेज कीमत, और ट्रेडेड वॉल्यूम की कीमत की जानकारी मिलती है। 

  • कीमत के बदलाव पर नज़र रखें (Track the prices)

चार्ट को अप्पर (Upper) और लोअर (Lower) दो भागों में बाँटा गया है, यह कीमत की जानकारी प्रदान करता है अप्पर पार्ट समय अंतराल में स्टॉक के कीमत में बदलाव की जानकारी ट्रैक करता है। 

स्टॉक की कीमत को अक्सर अलग-अलग रंगों में दर्शाया जाता है जैसेकि यदि स्टॉक किसी विशेष दिन पर बंद हो जाता है, रंग काला हो सकता है। और यदि जिस कीमत पर स्टॉक बंद हुआ है, रंग लाल हो सकता है। 

  • ट्रेडेड वॉल्यूम पर नज़र रखें (Note the Volume Traded)

सबसे नीचे में, ट्रेडेड स्टॉक के वॉल्यूम की जानकारी मिलेगी। यह आपको बाजार में रंग कोडित बार (color-coded bars) के साथ किसी विशेष मोमेंटम, नकारात्मक या सकारात्मक होने पर निर्धारित करने में मदद करेगा। 

 इसे सावधानी पूर्वक पढ़ने की आवश्यकता होती है क्योंकि इसमें रंग कोडित फिक्स नहीं रहता है। यह आपको पिछले दिन की क्लोजिंग कीमत के साथ क्लोजिंग कीमत के उतार चढ़ाव की जानकारी देता है।  

  • मूविंग एवरेज पर नज़र रखें (Look at the moving averages)

मूविंग एवरेज (moving average in hindi) एक समय के अंतराल के औसत स्टॉक कीमत की गणना करता है। समय बीतने के साथ इसे लगातार संयोजित किया जाता है यह स्टॉक विश्लेषण में एक महत्वपूर्ण साधन (Tool) है।

यह आमतौर पर चार्ट के पार काटी लाइन द्वारा दर्शाया जाता है। यह ट्रेंड पैटर्न की पहचान करने में मदद कर सकता है और पिछले कीमत को दर्शाने की वजह से इसमें कुछ लैग भी हो सकता है।  


निष्कर्ष 

अक्सर विशेषज्ञ शेयर मार्केट में मुनाफा कमाने के लिए शेयर मार्केट चार्ट साधन (Tools) का उपयोग करते हैं।  

स्टॉक मार्केट में ट्रेडर के तौर पर, आपके लिए चार्ट पढ़ना और चार्ट के द्वारा सुचना की जानकारी को समझना आवश्यक है। यह आपको स्टॉक मार्केट में कीमत पैटर्न की पहचान करने और बेहतर ट्रेडिंग निर्णय लेने में मदद कर सकता है।  

यदि आप शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं, आज ही अपना डीमैट अकाउंट खोलें।  


अभी डीमैट अकाउंट खुलवाने के लिए नीचे दिए फॉर्म में अपनी जानकारी दर्ज करें।

यहाँ अपना नाम और मोबाइल नंबर दर्ज करें और उसके बाद शीघ्र ही आपको एक कॉलबैक प्राप्त होगी।

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शेयर मार्केट में जल्द मुनाफा कमाने के लिए शार्ट टर्म ट्रेडिंग जैसे की इंट्राडे ट्रेडिंग या स्विंग ट्रेडिंग काफी प्रचिलित है, लेकिन इसमें कई तरह के जोखिम भी होते है। साथ ही अगर बिना समझ के ट्रेडिंग की जाए तो ये आपके नुकसान को बढ़ा सकता है। इसलिए ज़रूरी है सही विश्लेषण के साथ स्टॉक ट्रेडिंग किया जाए जिसकी समझ के लिए टेक्निकल एनालिसिस बुक्स (Technical Analysis Books in Hindi) से मार्केट की तकनीकियों को समझना।

कौन सी किताब आपको स्टॉक मार्केट की तकनीकियों को समझने में मदद करेगी उसके लिए यहाँ पर टेक्निकल एनालिसिस की बेहतरीन पुस्तके दी गई है। 

आप अपने ट्रेडिंग की ज़रूरतों के अनुसार सही स्टॉक मार्केट किताब (share market books in hindi) का चयन करे और शेयर मार्केट ट्रेड में अपनी जीत को निर्धारित करे

Share Market Technical Analysis Books in Hindi

टेक्निकल एनालिसिस या तकनीकी विश्लेषण आपको स्टॉक के ऐतिहासिक मूल्य चार्ट और बाजार के आंकड़ों का उपयोग करके वित्तीय बाजारों में मूल्य आंदोलनों की जांच और भविष्यवाणी करने का एक साधन है।

यह इस विचार पर आधारित है कि यदि कोई व्यापारी पिछले बाजार पैटर्न की पहचान कर सकता है, तो वे भविष्य के मूल्य प्रक्षेपवक्र की काफी सटीक भविष्यवाणी कर सकते हैं।

लेकिन यहाँ प्रश्न आता है की स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण कैसे करें?

तो अगर आप स्टॉक मार्केट में ट्रेड करने के लिए एक सही स्टॉक का चयन करना चाहते है तो तकनीकी विश्लेषण उसका एक सबसे बड़ा हथियार है

इसको समझने के लिए बस ज़रूरी है कुछ मूल बातो का ध्यान रखना जिसका उल्लेख नीचे दी गए किताबो में किया गया है

टेक्नीकल एनालिसिस और कंडलास्टिक की पहचान

technical analysis aur candlestick ki pehchan

 

शेयर मार्केट में निवेश या ट्रेड करने के लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी क्या है?

स्टॉक मार्केट की सही समझ, स्टॉक विश्लेषण समझना और सबसे ज़रूरी की क्यों स्टॉक विश्लेषण आपके लिए ज़रूरी है। जब स्टॉक विश्लेषण की बात आती है तो ट्रेडर के लिए चार्ट की जानकारी प्राप्त करना, जिसके लिए महत्वपूर्ण होता है कैंडलस्टिक चार्ट की बारीकियों को जानना।

इन सब सवालो का समाधान आपको एक किताब “टेक्नीकल एनालिसिस और कंडलास्टिक की पहचान” में मिलता है

स्टॉक्स के टेक्निकल एनालिसिस को समझने के लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण किताब है जिसको पढ़ने के बाद आपको किसी भी तरह के कोर्स को लेने की ज़रुरत नहीं पड़ेगी

ये आपको तकनीकी विश्लेषण टूल और कैंडलस्टिक चार्ट पैटर्न (candlestick pattern in hindi) से जुड़ी सारी जानकारी प्रदान करता है और साथ ही इंट्राडे ट्रेडिंग में किस तरह से स्टॉप लॉस का इस्तेमाल किया जाता है उसका पूरा उल्लेख इस किताब में किया गया है

तो अगर आप स्टॉक मार्केट में ट्रेड करने की सोच रहे है तो, शुरुआत करे एक सही किताब के साथ


स्टॉक मार्केट एंड टेक्नीकल एनालिसिसस्टॉक मार्केट एंड टेक्नीकल एनालिसिस

स्टॉक मार्किट में ट्रेड करना और मुनाफा कमाना आसान नहीं और एक शुरुआती ट्रेडर के लिए ये और भी चुनौतीपूर्ण हो जाता है।

तो आपकी इन्ही चुनौतियों को कम करने के लिए आप टेक्निकल अनालिसिस की किताब “स्टॉक मार्केट एंड टेक्नीकल एनालिसिस” को पढ़ सकते है जिसमे आपको स्टॉक मार्केट में किस तरह से शुरुआत करनी चाहिए और किस तरह से स्टॉक प्राइस की सही जानकारी प्राप्त कर उसमे ट्रेड करना चाहिए, इंट्रा डे ट्रेडिंग नियम आदि के बारे में बताया गया है।

बेसिक से एडवांस लेवल तक की सभी बातो को विस्तार में बताया गया है जिससे आप शुरुआत से ही एक सही स्टॉक का चयन कर सकते है और उसमे ट्रेड कर अपने मुनाफे को बढ़ा सकते है।


ट्रेड नीती 

 

एक सफल और प्रोफेशनल ट्रेडर बनने के लिए क्या चाहिए? एक सही सोच, समझ और सही समय पर एक सही निर्णय लेना।

तो क्या आप ऐसा कर रहे है?

बहुत बार अलग-अलग ट्रेड सेगमेंट के लिए अलग विश्लेषण करना ज़रूरी हो जाता है जो एक ट्रेडर, ज़्यादातर शुरुआती ट्रेडर की मुश्किलों को बढ़ा देता है।

ज़ाहिर सी बात है की कई बार आप स्टॉक मार्केट और इंट्राडे ट्रेडिंग की किताबे (intraday trading books in hindi) देखकर असमंझस में फंस जाते होंगे और एक सही गाइड न मिलने की वजह से ट्रेडिंग में मुनाफा नहीं कमा पाते होंगे।

लेकिन अगर आपके अलग-अलग ट्रेड से जुड़ी समस्याओं का आपको एक ही जगह पर हल मिल जाए तो?

इससे बेहतर और कुछ नहीं होगा और इसी सोच के साथ, ट्रेडनीती जैसे बुक का प्रकाशन हुआ जिसके लेखक ने अलग-अलग सेगमेंट जैसे की कमोडिटी, करेंसी, इंट्राडे, स्विंग ट्रेडिंग आदि में ट्रेडर्स को हो रही समस्या का समाधान बहुत ही आसान भाषा में किया है।

इस किताब को पढ़ने के बाद आपको स्टॉक मार्केट की किसी और किताब को नहीं पढ़ना होगा।

स्टॉक का प्राइस क्यों बढ़ता, कब स्टॉक का प्राइस गिरने की संभावना होती है, और कब स्टॉक में ट्रेड करने का सही समय होता है, बिना किसी तकनीकियों के बिना इस किताब में साड़ी बाते बहुत ही विस्तार में बताए गई है।


स्विंग ट्रेडिंग विथ टेक्निकल अनालिसिस 

 

अब अगर आप शार्ट-टर्म ट्रेडिंग में स्विंग ट्रेडिंग पर ध्यान  केंद्रित करना चाह रहे है तो उसके लिए स्विंग ट्रेडिंग की कुछ किताबे (swing trading books in hindi) को पढ़ अपने ज्ञान को बढ़ा सकते है।

अब ये इसलिए ज़रूरी है क्योंकि एक सही ट्रेडर की सही पहचान उसके मुनाफे से होता है और उसके लिए ज़रूरी है मार्केट की बारीकियों को समझना और सही विश्लेषण कर ट्रेड करना।

स्विंग ट्रेडिंग (swing trading in hindi) जैसे ट्रेड में जीत हासिल करने के लिए ज़रूरी है सही तकनीकी विश्लेषण करना जिसका पूरा उल्लेख “स्विंग ट्रेडिंग विथ टेक्निकल अनालिसिस” किताब में दिया गया है।

इस किताब में स्विंग ट्रेडिंग के लिए किस तरह से चार्ट को समझा जाए और किस तरह से सही टाइम फ्रेम का चयन करना चाहिए उसकी पूरी जानकारी इस किताब में दी गई है।

आप इस किताब में स्विंग ट्रेडिंग की तकनीकियों से लेकर, मार्केट के उतार चढ़ाव, आदि की जानकारी प्राप्त कर सकते है। इससे आप सही समय पर स्टॉक में ट्रेड कर, अपने होल्डिंग समय को निर्धारित करना, आदि बातों की जानकारी प्राप्त कर स्विंग ट्रेडिंग में सफलता प्राप्त कर सकते है।


निष्कर्ष

किसी चीज को समझने से पहले उसकी तकनीक को समझना किसी के लिए भी रामबाण साबित हो सकता है। इसके लिए जरूरी है कि ट्रेडर शेयर मार्केट टेक्निकल एनालिसिस से जुड़ी किताबों को पढ़ें और उसकी बारीकियों को समझें। अगर वो ऐसा कर पाएं तो उन्हें ज्यादा मुनाफा कमाने से कोई नहीं रोक सकता है।


अभी डीमैट अकाउंट खुलवाने के लिए नीचे दिए फॉर्म में अपनी जानकारी दर्ज करें।

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Intraday Trading Books In Hindi https://hindi.adigitalblogger.com/intraday-trading-books-in-hindi/ https://hindi.adigitalblogger.com/intraday-trading-books-in-hindi/#respond Sat, 11 Dec 2021 08:54:36 +0000 https://hindi.adigitalblogger.com/?p=108138 इंट्राडे ट्रेडिंग से क्या आपको लगातार नुकसान हो रहा है? अगर हां तो क्या आपने सोचा है की इसके पीछे…

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इंट्राडे ट्रेडिंग से क्या आपको लगातार नुकसान हो रहा है? अगर हां तो क्या आपने सोचा है की इसके पीछे का एक कारण मार्केट की अधूरी जानकारी और समझ हो सकता है? एक ट्रेडर के लिए काफी आवश्यक है कि स्टॉक मार्केट के पूरे ज्ञान के साथ ही किसी भी स्टॉक में ट्रेड करें और शुरुआत हो सकती है सही किताब के साथ। जानना चाहते है की कौन सी इंट्राडे ट्रेडिंग किताब (intraday trading books in hindi) आपके लिए सही है?

तो चलिए बात करते है हिंदी में उपलब्ध शेयर मार्केट किताबो (share market books in hindi) की जो आपको ट्रेड और उससे जुड़ी रणनीतियों की जानकारी देती है और आपको एक प्रोफेशनल ट्रेडर बनने में मदद करती है

Best Intraday Trading Books in Hindi

इंट्राडे ट्रेडिंग की जाए तो बहुत ही कम ऐसी किताबे है जो हिंदी भाषा में उपलब्ध है, लेकिन उनमे से कुछ बुक्स की बात की जाए तो ये आपको स्टॉक ट्रेडिंग के बेसिक, एडवांस और तकनीकियों को समझने में काफी मदद भी करती है

साथ ही इन पुस्तकों में काफी आसान भाषा में स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग से जुड़ी बातो का उल्लेख किया गया है जैसे की इंट्रा डे ट्रेडिंग नियमस्टॉक मार्केट चार्ट को कैसे समझे, टेक्निकल इंडीकेटर्स क्या है, तकनीकी विश्लेषण क्यों ज़रूरी है और स्टॉक का तकनीकी विश्लेषण कैसे करें आदि?

अब जब इंट्राडे की बात आती है तो निम्लिखित किताबें आपको एक निपुण ट्रेडर बनने में मदद करती है

इंट्राडे ट्रेडिंग की पहचान 

 

स्टॉक मार्केट में जब पैसा कमाने की बात आती है तो बहुत से ट्रेडर्स इंट्राडे ट्रेडिंग का चयन करते है, लेकिन हर कोई उसमे सफल नहीं हो पाता। साथ ही इंट्राडे ट्रेडिंग को सफल बनाने के लिए सिर्फ एक स्टॉक का चयन करना ही काफी नहीं है। 

काफी बार सही स्टॉक का चयन करने पर भी इंट्राडे ट्रेडिंग में नुकसान होता है और उसका सबसे बढ़ा कारण है मार्केट की अस्थिरता को सही ढंग से न समझना। 

इसलिए ये और भी ज़रूरी हो जाता है की स्टॉक के चयन के साथ-साथ आप एक सही टारगेट को भी माप सके और सही समय में एग्जिट कर अच्छा प्रॉफिट बना सके या कहे तो अपने नुकसान को कम कर सके। 

इन सब तरह के समाधान के साथ इस किताब “इंट्राडे ट्रेडिंग की पहचान” का प्रकाशन हुआ है। 

यह किताब स्टॉक मार्केट में कम समय में मुनाफा कमाने वालों के लिए इंट्राडे ट्रेडिंग टिप्स (intraday trading tips in hindi) देती है इसके अलावा ये किताब आपको विभिन्न चार्ट्स, तकनीकी संकेतकों का इस्तेमाल करने और विश्लेषण करने के तरीके के बारे में बताती है इस किताब में आपको ट्रेड करते समय गलतियों से बचने का सुझाव भी मिलता है जो अक्सर ट्रेडर्स के लिए परेशानी का सबब बन सकता है। 

सरल भाषा में बात करे तो यह किताब स्टॉक मार्केट क्या है से लेकर इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए किन बातो का ध्यान रखे सभी बातो का उल्लेख विस्तार में किया गया है। साथ ही इस किताब में आप जान सकते है बड़े और सफल ट्रेडर्स की कुछ ख़ास बाते जिससे वह स्टॉक मार्केट में एक अच्छा मुनाफा कमा पाए।


ट्रेडनीती 

ट्रेडनीती

 

ज़्यादातर ट्रेडर्स, इंट्राडे ट्रेडिंग इक्विटी में करते है ट्रेड करते है लेकिन इक्विटी के साथ कमोडिटी और करेंसी में भी आप इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकते है। जब बात अलग-अलग ट्रेडिंग सेग्मेंट्स की आती है तो ट्रेड करने के तरीके और रणनीतियों भी बदलनी पड़ती है।

यहाँ पर आती यही ट्रेडर के लिए चुनौतियां, जिसके लिए वह अलग-अलग किताबें और सोर्स ढूंढ़ने लगते है जिससे वह ट्रेडिंग की बारीकियों को समझ पाए। मार्केट मे कई तरह की पुस्तके है जो आपको शेयर मार्केट सीखने में मदद करती है लेकिन कौन सी किताब आपके लिए सही है, इसका निर्णय लेना काफी मुश्किल हो जाता है।

अगर आप भी ऐसे हे किसी असमंझस में है तो ट्रेडनीती जैसे किताब आपकी दुविधा को कम कर सकती है। इस किताब को पढ़कर आप स्टॉक का चयन, उसमे कब ट्रेड करना है, कब अपनी पोजीशन से एग्जिट करना है सभी पेहलूओं पर आसान भाषा में बताया गया है। 

तो चाहे आपको इक्विटी शेयर में शार्ट टर्म  निवेश करना हो, फ्यूचर और ऑप्शन में ट्रेड करना हो, या इंट्राडे ट्रेडिंग में मुनाफा कमाना हो सबका जवाब आप यहाँ पा सकते है


टेक्निकल एनालिसिस और कैंडलस्टिक की पहचान 

 

इस किताब को पढ़ने के बाद यकीनन आपको किसी तरह का सेमिनार और कोर्स करने की जरुरत नहीं पड़ेगी। इस किताब की मदद से आप चार्ट का अच्छी तरह से विश्लेषण कर सकते हैं. इस किताब में अलग-अलग कैंडलस्टिक पैटर्न्स (candlestick patterns in hindi) को बहुत ही आसानी से समझाया गया है।

इतना ही नहीं इस किताब को पढ़ने के बाद ब्रेकआऊट और ब्रेकडाऊन के निर्णायक समय को जान सकते हैं।

ये सभी टर्म एक शुरूआती ट्रेडर को काफी मुश्किल लगते है और इन्हे समझना और भी मुश्किल। आपकी इन्ही सब चुनोतियो को कम करने के लिए इस किताब का प्रकाशन किया गया है।

तो चार्ट्स की बारीकियों से लेकर इंट्राडे ट्रेडिंग इंडीकेटर्स तक ये किताब आपको आपके सभी प्रश्नों का जवाब सरल भाषा में प्रदान करती है


निष्कर्ष

इंट्राडे ट्रेडिंग में आप कम समय में ज़्यादा मुनाफा कमा सकते है, बस ज़रुरत है तो सही शुरुआत की जिसके लिए ऊपर दी हुए किताबों को पढ़ सकते है। यह किताबे आपको आसानी से ऑनलाइन या ऑफलाइन किसी बुक स्टोर में मिल सकती है। 

तो अभी अपनी ट्रेडिंग चुनोतियो का विश्लेषण करे और सही तरह से ट्रेड कर पहले ही दिन से अपने मुनाफे को बढ़ाए


ट्रेडिंग और इन्वेस्टमेंट के अनुभव को और बेहतर बनाएसंपर्क करे और जाने किस स्टॉकब्रोकर के साथ होगा आपको ज़्यादा मुनाफा और डीमैट अकाउंट खोले।

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एंजेल ब्रोकिंग इंट्राडे शुल्क https://hindi.adigitalblogger.com/angel-broking-intraday-charges-hindi/ https://hindi.adigitalblogger.com/angel-broking-intraday-charges-hindi/#respond Mon, 10 May 2021 09:38:48 +0000 https://hindi.adigitalblogger.com/?p=86993 एंजेल वन में इंट्राडे ट्रेडिंग वह सेगमेंट है जो आपको कम समय में लाभ कमाने में मदद कर सकता है।…

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इंट्राडे ट्रेडिंग के अन्य लेख

एंजेल वन में इंट्राडे ट्रेडिंग वह सेगमेंट है जो आपको कम समय में लाभ कमाने में मदद कर सकता है। इसलिए अगर आप इंट्राडे ट्रेड के साथ ट्रेडिंग करना चाहते हैं तो यहां आपको एंजेल ब्रोकिंग इंट्राडे शुल्क से जुड़ी पूरी जानकारी दी गई है। 

एंजेल ब्रोकिंग इंट्राडे ब्रोकरेज शुल्क

एंजेल ब्रोकिंग एक फुल-सर्विस स्टॉकब्रोकर्स है, हालि में ब्रोकर एक नयी पहचान Angel One के साथ आगे बढ़ रहा है जिसमें आप iTrade प्लान के अंतर्गत डिलीवरी में Zero और अन्य सेगमेंट में सिर्फ 20 की ब्रोकरेज के साथ निवेश शुरू कर सकते है। 

इक्विटी इंट्राडे सेगमेंट में, फर्म प्रति एक्ज़िक्युट ऑर्डर पर 20 या 0.25% (जो भी कम हो) वसूल करते है। 

एंजेल ब्रोकिंग में इंट्राडे शुल्क जानने के लिए, नीचे दी गई टेबल पर एक नज़र डालते हैं।



उदाहरण के लिए: मान लें कि राहुल एक ट्रेडर है जोकि इंट्राडे में एक शेयर का ट्रेड करना चाहता है, उसने इनफ़ोसिस शेयर में ट्रेड किया जिसका टोटल टर्नओवर वैल्यू 25000 है।
25,000 X 0.25% = 62.5 

अब यहां पर ब्रोकरेज 62.50 है लेकिन राहुल को अपने ऑर्डर को एक्ज़िक्युट करने के लिए 20 का न्यूनतम ब्रोकरेज का भुगतान करना होगा।

अब अगर कोई अन्य ट्रेडर मान लो सुरेश है, जो कम टर्नओवर वैल्यू 5000 में ट्रेड करता है, तो ट्रेड पर ब्रोकरेज होगा: 

5000 X 0.25% = ₹12.5 

अब सुरेश को केवल 12.5 फीस का भुगतान करना होगा।

एंजेल ब्रोकिंग में इंट्राडे ट्रेड करने के लिए न्यूनतम ब्रोकरेज ₹20 का ही भुगतान करना होगा।


एंजेल ब्रोकिंग इंट्राडे ब्रोकरेज कैलकुलेटर

यदि आप अभी भी भ्रमित हैं और एंजेल ब्रोकिंग इंट्राडे ब्रोकरेज शुल्क की स्पष्ट जानकारी को जानना चाहते हैं, तो आप एंजेल ब्रोकिंग ब्रोकरेज कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं।

 ये कैलकुलेटर उपयोग करने में आसान हैं और आपको उस शुल्क की स्पष्ट जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा जो आपको ट्रेड को एक्ज़िक्युट करने के लिए भुगतान करना है।

ध्यान दें एंजेल ब्रोकिंग में इंट्राडे ब्रोकरेज शुल्क के अलावा और भी अन्य शुल्क शामिल होते है जिनकी गणना भी आप ब्रोकिंग ब्रोकरेज कैलकुलेटर से कर सकते हैं। 


निष्कर्ष 

एंजेल ब्रोकिंग एक फुल-सर्विस स्टॉकब्रोकर है जो विभिन्न श्रेणियों में स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग प्रदान करता है।

यही नहीं एंजेल ब्रोकिंग में निवेशक एक फ्री डीमैट खाता भी खोल सकता है। लेकिन खाता खोलते समय एंजेल ब्रोकिंग डीमैट खाता शुल्क के बारे में जानकारी अवश्य रखें। 

एंजेल ब्रोकिंग विभिन्न योजनाएं प्रदान करता है जिसमें विभिन्न ब्रोकरेज फीस की तुलना की जा सकती है। अन्य सेगमेंट में दिए गए ब्रोकरेज शुल्क के बारे में अधिक जानने के लिए, आप ब्रोकरेज कैलकुलेटर का उपयोग कर सकते हैं। 

उम्मीद है की हमारे द्वारा दी गई जानकारी से आपको समझने में मदद मिली होगी।


यदि आप हमारे साथ ट्रेडिंग शुरू करना चाहते है नीचे दिए गए फॉर्म को भर सकते है।

हम आपको तुरंत कॉल बैक करने की व्यवस्था करेंगे।

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