फॉरेक्स ट्रेडिंग दुनियाभर में बहुत प्रचलित है और साथ ही भारत में भी यह तेजी से आगे बढ़ रही है। कई निवेशक फॉरेक्स ट्रेडिंग में निवेश करने के लिए Forex Trading Strategies in Hindi के बारे में जानना चाहते हैं, लेकिन उन्हें इसके बारे में सही जवाब नहीं मिलता।
Forex Trading Strategies in Hindi के बारे में करने से पहले समझते है की फॉरेक्स ट्रेडिंग क्या है और क्या फॉरेक्स ट्रेडिंग लाभदायक है?
फॉरेक्स ट्रेडिंग या करेंसी ट्रेडिंग एक प्रकार से विदेशी मुद्राओं या करेंसी की खरीद और बिक्री है। यह एक बहुत वोलेटाइल मार्केट है और नए निवेशकों और ट्रेडर्स के लिए बहुत चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
सबसे बड़ा जोखिम यह है कि फॉरेक्स मार्केट, समाचार और घटनाओं से प्रभावित होती हैं, लेकिन उस समाचार या घटना के वास्तविक प्रभाव को पहचाना नहीं जा सकता क्योंकि करेंसी की ट्रेडिंग जोड़ी (Pairs) में होती है।
एक सामान घटना एक ही वक़्त पर करेंसी की दोनों जोड़ियों (Pairs) को सकारात्मक रूप से प्रभावित कर सकती है और इस प्रकार पेयर्स पर होने वाले पूरे प्रभाव पर अनुमान नहीं लगाया जा सकता।
इस प्रकार, यह समझना महत्वपूर्ण है की फॉरेक्स ट्रेडिंग कैसे शुरू करें या इसके लिए सही रणनीति कैसे बनाई जाए।
जोखिमों का प्रबंधन करने के लिए, निवेशकों को कुछ अच्छी फॉरेक्स ट्रेडिंग रणनीति का उपयोग करना पड़ता है। ताकि वे फॉरेक्स मार्केट में निवेश करने और बाहर निकलने के लिए मुख्य बातों और ऐसा करने के लिए अच्छे समय का सही सटीकता के साथ पता लगा सकें।
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लेकिन, एक सही रणनीति क्या होना चाहिए, इसके बारे में भी ध्यान रखना होगा।
“रणनीति” एक प्रकार से विश्लेषण का एक सेट है जिसका उपयोग ट्रेडर द्वारा यह जानने के लिए किया जाता है कि किसी निश्चित समय पर करेंसी पेयर्स (मुद्रा जोड़ी) को खरीदना और बेचना है या नहीं।
कुछ सफल ट्रेडर ने कई अलग-अलग करेंसी रणनीति बनाई और लागू किया है जो अधिकतम मुनाफे और कम जोखिम को सुनिश्चित करता है। यह रणनीतियां खरीदने या बेचने (Buy or Sell) के सिग्नल को ट्रिगर देती है।
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वे मौलिक विश्लेषण पर आधारित हो सकती हैं, जिसमें मौलिक संकेतक ( Fundamental Indicators) शामिल हैं जो इकॉनमी को प्रभावित करने वाली विशेष घटनाओं से संबंधित हो सकती हैं।
इसी तरह, वे तकनीकी विश्लेषण पर भी आधारित हो सकती हैं, जिसमें करेंसी की कीमतों के पिछले रुझान और उनके व्यवहार को भविष्य में उम्मीद करने के लिए अध्ययन किया जाता है।
एक बेहतर फॉरेक्स ट्रेडिंग रणनीति आपको किस करेंसी पेयर में ट्रेड करना है, प्रत्येक पोजीशन का साइज जो आपके ट्रेड करने की जोखिम को नियंत्रित करता है, और आपके रणनीति को लागू करने के लिए एंट्री पॉइंट, एग्जिट पॉइंट और विशिष्ट तकनीक को निर्धारित करने में मदद करता है।
आइये अब आपको 7 सफल Forex Trading Strategies in Hindi में समझाते हैं।
फॉरेक्स ट्रेडिंग रणनीति की मूल बातें
फॉरेक्स ट्रेडिंग में उपयोग की जाने वाली शीर्ष 7 Forex Trading Strategies in Hindi निम्नलिखित हैं:
1. प्राइस एक्शन स्ट्रेटेजी (Price Action Strategy):
यह सबसे सरल और सबसे अधिक उपयोग की जाने वाली फॉरेक्स ट्रेडिंग रणनीति में से एक है।
यह केवल प्राइस एक्शन और कोई इंडिकेटर या तकनीक पर आधारित नहीं है। इस रणनीति का आधार यह है कि फॉरेक्स ट्रेडिंग स्पष्ट रूप से प्राइस एक्शन-बुल (bull) और बीयर (bear) पर आधारित है।
प्राइस एक्शन स्ट्रेटेजी में यह समझना ज़रूरी है कि वर्तमान कीमतों को बुल नियंत्रित कर रहा है या बीयर और फिर उसके अनुसार एक्शन लें।
यदि ट्रेडर का विश्लेषण कहता है कि मार्केट बुल (bull) के नियंत्रण में है और उसके नियंत्रण में रहने की संभावना है, तो उन्हें खरीदना चाहिए और यदि मार्केट बीयर (bear) के नियंत्रण में है तो उन्हें बेचना चाहिए।
बाजार के नियंत्रण पर राय देने के लिए, ट्रेडर को सपोर्ट और रजिस्टेंस और कैंडलस्टिक जैसी विधियों का उपयोग करना चाहिए।
प्राइस एक्शन रणनीति की सबसे बड़ी ताकत यह है, कि यह सभी मार्केट स्थितियों में काम करता है, चाहे वह ट्रेंडिंग (प्रवृत्त) या वोलेटाइल (अस्थिर) हो या कम अस्थिर हो।
यह स्ट्रेटेजी को कुशल और आरामदायक बनाती है और अत्यधिक अस्थिर मूल्य मूवमेंट के आसपास शोर को खत्म करने में मदद करती है।
प्राइस एक्शनर णनीति का उदाहरण ब्लैडरनर स्ट्रेटेजी है जिसमें कैंडलस्टिक्स,पाइवोट पॉइंट, राउंड नंबर और सपोर्ट और प्रतिरोध स्तर का उपयोग किया जाता है।
2. ट्रेंड ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी(Trend Trading Strategy):
ट्रेंड ट्रेडिंग सबसे सफल फॉरेक्स ट्रेडिंग रणिनीति में से एक है। जैसा कि नाम से पता चलता है कि इस रणनीति में ट्रेंड (रुझान) की पहचान और उसका पालन करना शामिल है।
ट्रेडर को पता होता है कि करेंसी की प्राइस मूवमेंट ऊपर है या नीचे और उसके बाद एंट्री पॉइंट का चयन करना चाहिए।
ट्रेंड की दिशा की पहचान करने के लिए, ट्रेडर टूल्स का इस्तेमाल कर सकते हैं जैसे मूविंग एवरेज, स्टोकास्टिक, रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडिकेटर (RSI) और अन्य।
इस स्ट्रेटेजी का नए और अनुभवी ट्रेडर द्वारा उपयोग किया जा सकता है क्योंकि विशिष्ट टूल्स का उपयोग करके रुझानों की पहचान करना बहुत मुश्किल नहीं है।
यहां तक कि यदि ट्रेडर को किसी ट्रेंड के सही समय नहीं पता है तो वह जल्द से जल्द मार्केट में एंट्री करके अच्छा मुनाफा कमा सकता है।
यह रणनीति एक ट्रेडर को इस पोजीशन से बाहर निकालने में मदद करती है और उन्हें पिप्स द्वारा उन्हें सही दिशा दिखाती हैं।
करेंसी की कीमतें महंगाई, इंट्रस्ट रेट पॉलिसी और सरकारी निति जैसी वैश्विक घटनाओं के रुझानो से भी प्रभावित होती है।
इसलिए ट्रेंड आधारित ट्रेडर के लिए दुनिया भर की खबरों पर नजर रखने की जरूरत होती है ताकि वह इसका फायदा उठा सकें।
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3. काउंटर-ट्रेंड ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Counter-Trend Trading Strategy):
काउंटर-ट्रेंड ट्रेडिंग सबसे सफल फॉरेक्स ट्रेडिंग रणनीति में से एक है। यह रणनीति शुरू में बहुत उपयोगी है, क्योंकि यह उच्च सफलता दर के कारण ट्रेडर का विश्वास बनाने में मदद करती है।
इस रणनीति का मूल आधार यह है कि ट्रेंड खुद ही बदलता है। एक ब्रेकआउट रणनीति लॉन्ग-टर्म ट्रेंड में नहीं बढ़ता है।
जब ट्रेंड अपने एक चरम सीमा पर पहुंच जाता है, तो इसमें शीघ्र ही सुधार होने की उम्मीद की जाती है। यह दृष्टिकोण निम्नलिखित दृष्टिकोण की तुलना में वास्तव में अधिक कठिन और चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
सबसे कठिन हिस्सा यह सुनिश्चित करना है कि ट्रेडर अत्यधिक उच्च या निम्न के रूप में कैसे विचार करें, क्या यह वास्तव में सबसे उच्च कीमत है?
एक विपरीत ट्रेंड, एक ट्रेंड का अनुमान करने से कहीं अधिक चुनौतीपूर्ण हो सकता है क्योंकि मार्केट बहुत अस्थिर हैं और किसी भी समय कोई भी दिशा ले सकता हैं।
4. रेंज ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी(Range Trading Strategy):
रेंज ट्रेडिंग सबसे लोकप्रिय करेंसी ट्रेडिंग रणनीति में से एक है। इसमें करेंसी की कीमतों की एक स्थिर और अनुमानित सीमा के तहत ट्रेडिंग शामिल है। इस स्ट्रेटेजी का आधार यह है कि कीमतें कुछ समय तक एक सीमा के भीतर रहती है।
इस रणनीति में सफल होने के लिए अनुकूल प्राइस पॉइंट्स की पहचान करना ज़रूरी है। अर्थात जिस मूल्य स्तर पर ट्रेडर बेचना बंद कर देते हैं और खरीदारों से खरीद शुरू होने की उम्मीद की जाती है।
ये प्राइस पॉइंट्स करेंसी की सप्लाई और डिमांड के स्तर से संबंधित हैं जो सपोर्ट और स्थिरता से दिखाए जाते है।
ट्रेडर करेंसी खरीदता है और कीमत को लॉन्ग टर्म एवरेज में आने की उम्मीद करता है। रेंज ट्रेडर ज्यादातर समर्थन और प्रतिरोध की अनुमानित ऊँची और नीची कीमतों पर करेंसी खरीदते या बेचते हैं।
साथ ही सपोर्ट और रेजिस्टेंस को जानने के लिए कुछ तकनीकी टूल्स जैसे रिलेटिव स्टैंडर्ड स्ट्रेंग्थ इंडेक्स , स्टोकास्टिक इत्यादि का उपयोग करते हैं।
यह स्ट्रेटेजी करेंसी और इकॉनमी के लिए सबसे प्रभावी है जो स्थिर हैं और समाचार घटनाओं से बड़े पैमाने पर प्रभावित नहीं होती हैं ।
5. ब्रेकआउट ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (BreakOut Trading Strategy):
प्रभावी करेंसी ट्रेडिंग रणनीतियों में से एक ब्रेकआउट ट्रेडिंग रणनीति है।
इस रणनीति के तहत, ट्रेडर उस समय मार्केट में जाता है जहां मार्केट अपने पिछली ट्रेडिंग रेंज से बाहर होती है।
यदि कीमत पिछले रेजिस्टेंस स्तर की तुलना में अधिक बढ़ती है, तो ट्रेडर इस ब्रेकआउट पॉइंट पर एंट्री कर कीमतें अधिक बढ़ने की उम्मीद कर सकता है और इसी तरह यदि कीमत पिछले सपोर्ट लेवल के पार जाती है, तो ट्रेडर बाजार को और अधिक नीचे जाने की उम्मीद में उस समय पर बेच सकता है ।
कीमतें ऊपर जाने से पहले, कंसोलिडेशन का एक स्तर होता है जहां कीमतें एक स्थिर रेंज में रहती हैं और कई बार सपोर्ट और रेजिस्टेंस लेवल पर आती हैं। ब्रेकआउट से ठीक पहले, जब ट्रेडर बाजार में जाना या बाहर निकलना चाहता है।
ब्रेकआउट ट्रेडिंग रणनीति फॉरेक्स ट्रेडर के लिए बहुत ही आकर्षक हो जाती है, क्योंकि बाजार में बहुत अधिक वास्तविक और अवास्तविक दोनों वोलैटिलिटी और ब्रेकआउट की संभावना रहती है।
फॉरेक्स ट्रेडिंग बाजार सुपरकंप्यूटर द्वारा उच्च मात्रा ट्रेडिंग के साथ-साथ फेक स्विंग के लिए भी जाना जाता है।
ये ब्रेकआउट कई ट्रेडर के लिए प्रभावी ढंग से काम करता हैं।
6 पोजीशन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी (Position Trading Strategy):
लॉन्ग-टर्म करेंसी ट्रेडिंग रणनीति में से एक पोजीशन ट्रेडिंग रणनीति है। यह वह रणनीति है जो इंट्राडे या शॉर्ट-टर्म पर काम नहीं करती है, बल्कि दीर्घकालिक आधार पर सप्ताह, महीनों या वर्षों के लिए है।
पोजीशन ट्रेडिंग रणनीति के लिए, ट्रेडर लंबे समय में अर्थव्यवस्थाओं के व्यापक आर्थिक रुझान को देख कर पोजीशन को ले सकता हैं।
वे अपने लिवरेज और लॉट साइज को कम रख सकते हैं, क्योंकि लंबे समय तक बड़ी कीमतों के चलते बड़े मुनाफे के लाभ कमाने की कोशिश है।
पोजीशन ट्रेडिंग ट्रेडर को मौलिक विश्लेषण की अच्छी समझ होनी चाहिए और सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकता धैर्यवान और साथ ही ट्रेड करने के लिए अधिक पूंजी होनी चाहिए, क्योंकि यह रणनीति कई लोगों को तत्काल लाभ नहीं देती है।
ट्रेडर्स को मौलिक विश्लेषण करना चाहिए और व्यापक आर्थिक रुझानों की तलाश करना चाहिए और फिर उन्हें निर्धारित करने के लिए तकनीकी संकेतक का उपयोग करके प्रवेश और निकास की स्थिति, और फिर अनुकूल परिणाम के लिए प्रतीक्षा करनी चाहिए जिसके लिए महीनों और वर्षों लग सकते है!
इसलिए, पोजीशन ट्रेडर को मौलिक सिद्धांतों की पूरी समझ होनी चाहिए। हालांकि, पोजीशन ट्रेडिंग इसलिए भी फायदेमंद होती है क्योंकि इससे कम कीमत में उतार-चढ़ाव के कारण दैनिक तनाव नहीं होता है और यह लंबे समय तक कम जोखिम भरा और अधिक फायदेमंद होती है।
#7 कैरी ट्रेड स्ट्रेटेजी(Carry Trade Strategy):
कैरी ट्रेड एक यूनिक करेंसी ट्रेडिंग रणनीति में से एक है।
इस रणनीति के तहत, ट्रेडर करेंसी मूल्य मूवमेंट का लाभ लेने के लिए दो देशों के बीच ब्याज दर अंतर का लाभ उठाते हैं, जिनकी करेंसी का ट्रेड किया जा रहा है।
आदर्श रूप में, जब कोई ट्रेडर करेंसी खरीदता है और उसे रातों-रात प्लेस करता है, तो वह करेंसी के देश के बैंक के अनुसार ब्याज दर का भुगतान करता है।
इसलिए, अतिरिक्त लाभ प्राप्त करने के लिए, ट्रेडर ट्रेडिंग करता हैं और कम ब्याज दर वाले देश की करेंसी बेचता हैं और उच्च-ब्याज दर वाले देश की करेंसी को खरीदता हैं और अंतर से लाभ प्राप्त होता हैं।
यह रणनीति मुख्य रूप से लाभ को अधिकतम करने के लिए प्रवृत्ति ट्रेडिंग रणनीति के साथ होता है।
यदि आप करेंसी में या किसी अन्य इन्वेस्टमेंट सेगमेंट में ट्रेडिंग के साथ शुरुआत करना चाहते हैं – बस नीचे दिए गए फॉर्म में कुछ बुनियादी विवरण भरें।
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