ईटीएफ म्यूच्यूअल फण्ड से बेहतर क्यों है?

आज के समय में अपने भविष्य को वित्तीय तौर पर सुरक्षित करना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है और इसके लिए अलग-अलग ऑप्शन भी मार्केट में मौजूद है। लेकिन एक सही ऑप्शन वही है जो आपको अच्छा रिटर्न प्रदान करें।  अब जैसे की हम म्यूच्यूअल फण्ड और ईटीएफ की बात करें ये दोनों साधन एक नए निवेशक के लिए बेहतर है, लें जब बात परफॉर्मन्स और रिटर्न की आती है तो ETF एक बेहतर विकल्प माना जाता है, आज इस लेख में हम जानेंगे कि ईटीएफ म्यूच्यूअल फण्ड से बेहतर क्यों है?

ज़्यादातर निवेशक इन दोनों इन्वेस्टमेंट ऑप्शन को एक सामान ही देखते है किन्तु जब हम इन्हे ध्यान से और गहराई से देख ते हैंतब इनमें बहुत सारे फर्क निकल कर हमारे सामने आते हैं।

एंजेल वन ने अपनी वेबसाइट पर नॉलेज सेण्टर के द्वारा आपको एजुकेशनल कंटेंट प्रदान करता है जिससे आप इसके अंतर और निवेश करने के अलग-अलग पहलूओं को अच्छे से समझ पाए और उसके अनुसार अलग-अलग तरह से फाइनेंसियल मार्केट में निवेश करने की योजना बना पाए। 

चलिए यहाँ पर हम म्यूच्यूअल फण्ड और एक्सचेंज ट्रेडेड फण्ड के बारे में जानकारी प्राप्त करते है:

म्यूच्यूअल फंड्स 

यह एक प्रोफेशनली तौर पर मैनेज्ड इंवेस्टमेंट स्कीम है जिसमें निवेशकों के द्वारा अपने पैसे जमा किये जाते हैं और फिर उन पैसों को अलग-अलग प्रकार की होल्डिंग्स में लगाया जाता है। 

म्यूच्यूअल फंड्स स्टॉक और डेब्ट इंस्टूमेंट्स से लेकर बांड्स तक में इन्वेस्ट करता है। हर म्यूच्यूअल फंड् की अपनी एक नेट एसेट वैल्यू होती है जो उस पूरी इन्वेस्टमेंट की टोटल वैल्यू और निवेशकों की गणना कर उसका भाग करके निकली जाती है।

एक्सचेंज ट्रेडेड फंड्स (ETFs) 

यह फंड्स मार्केट इंडेक्स की सहायता से ही मैनेज होते है और उसी के मुताबिक चलते हैं। साधरणतः ETFs के स्टॉक अपने इंडेक्स पर ही बेस्ड होते हैं। इन्हे मैनेज करने के लिए कोई फण्ड मैनजेर नहीं होता है इन्हे सिर्फ इंडेक्स की परफॉर्मेंस के आधार पर ट्रैक  किया जाता है। 

यह फंड स्टॉक एक्सचेंज में सक्रिय रूप से ट्रेड  करते हैं और ट्रेडिंग सेशन के दौरान ही इन्हे खरीदा और बेचा जा सकता है। 


ETF का चुनाव क्यों करें?

एक्सचेंज ट्रेड फंड्स को म्यूच्यूअल फंड्स से आगे क्यों रखा जाता है उसे समझने के लिए हम नीचे लिखे गए कारणों को जानेंगे। 

आसान तरलता:- यह निवेशकों को ETFs में अपनी सुविधा के मुताबिक निवेश करने की आज़ादी देता है। ETFs के मार्केट प्राइस रियल टाइम होते हैं और यह इक्विटी शेयर्स की तरह ही ऑपरेट होते हैं। जबकि इसके विपरीत निवेशक एक बार जिस फण्ड हाउस से अनुरोध करता है म्यूच्यूअल फंड्स सिर्फ उसी से बेचे और खरीदे जा सकते हैं। नेट एसेट वैल्यू (NAV) का इस्तेमाल म्यूच्यूअल फण्ड के अमाउंट में एक यूनिट के मूल्य का पता लगाने के लिए किया जाता है। 

कम एक्सपेंस रेश्यो:- जैसा कि हमे पता है कि ETFs सिर्फ इंडेक्स के मुताबिक प्रदर्शन करते हैं , इसलिए इसे मैनेज करने की ज्यादा जरूरत नहीं होती है। बिना एक्टिव मैनेजर का मतलब है कि ETFs के निवेश से संबधित खर्च बहुत कम होगा।   

इससे विपरीत म्यूच्यूअल फंड्स में फण्ड मैनेजर की सर्विसेज़ प्राप्त की जाती है जो निवेशक की जगह पर निवेश से संबधित फैसले लेता है। इन सर्विसेज़ का नतीजा होता है कि म्यूच्यूअल फंड्स से संबधित खर्च बढ़ जाता है। 

छोटा लॉक इन पीरियड :- जो ETFs में इन्वेस्ट करना चुनते हैं उनके पास समय संबधित कोई बंदिश नहीं होती है, वह जब चाहे अपनी मर्जी के मुताबिक अपनी होल्डिंग बेच सकते हैं। इसके विपरीत म्यूच्यूअल फंड्स 9 दिन  से लेकर 3 साल तक का कम से कम होल्डिंग पीरियड रहता है और यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप ने म्यूच्यूअल फंड्स की कौन सी स्कीम में निवेश किया है। इस समय के दौरान निवेशक अपनी होल्डिंग्स को बेच नहीं सकते हैं।  


निष्कर्ष

संक्षेप में यह है कि एक्सचेंज ट्रेड फंड्स में निवेश इसके मिलने वाले फायदों के कारण एक सही निवेश है जबकि म्यूच्यूअल फंड्स में यह सब नहीं है। क्योंकि इन्हे जब चाहे खरीदा और बेचा जा सकता है तो निवेशक सही समय पर निवेश करने का फैसला ले सकते हैं। दूसरा वह अपने पोर्टफोलियो में विवधिकरण और रिस्क मैनजेमेंट कर सकते हैं। 

उन्होंने इसके खर्चे को कम करके इसे निवेशकों के लिए और पॉकेट फ्रेंडली बना दिया है। यह निवशकों को किसी विशेष समय सीमा में बंधने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है। अगर आप भी अपनी इन्वेस्टमेंट की यात्रा की शुरुआत करना चाहते हैं तो आप एंजेल वन की वेबसाइट पर जाकर ऐसा कर सकते हैं और ETFs के बारे में और जानकारी ले सकते हैं साथ ही निवेश की और रणनीतियों के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 


डिस्क्लेमर :-

  1. यह ब्लॉग सिर्फ शैक्षिक उदेश्यों के लिए लिखा गया है। 
  2. सिक्योरिटीज में निवेश मार्केट रिस्क के अधीन है, निवेश से पहले सभी डाक्यूमेंट ध्यान पूर्वक पढ़ लें। 
  3. ब्रोकरेज सेबी द्वारा बताई गयी लिमिट के अनुसार ही राखी जायेगी, https://bit.ly/2VBt5c5

 

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