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मौजूदा शेयरों को उनके संख्यांकी मान के आधार पर विभिन्न रेश्यो में विभाजित करना ही स्टॉक स्प्लिट (या शेयर विभाजन) कहा जाता है।
क्या आप इसके बारे में बहुत अधिक जानना चाहते हैं?
चलिए एक कदम पीछे हट कर इसे फिर से समझें!
स्टॉक स्प्लिट क्या है?
ज्ञान में किया गया निवेश अच्छा लाभ प्रदान करता है। शेयरों में विवेक के आधार पर किया गया निवेश अच्छा लाभ देता है।
स्टॉक रोमन गणराज्य से आया और ई० 1600 के दशक में आधिकारिक तौर पर व्यापार शुरू किया तथा इस समय यह दुनिया भर के देशों की अर्थव्यवस्था रीढ़ बन गया है।
स्टॉक जारी करते समय तय किया गया वास्तविक मूल्य ही स्टॉक का ‘अंकित मूल्य‘ होता है।
समय के साथ, शेयर के अंकित मूल्य में वृद्धि या कमी को देखा जा सकता है और यदि अंकित मूल्य कम हो जाता है तो मौजूदा शेयर को अलग-अलग अनुपातों या मापदंडों के आधार पर विभाजित किया जाता है, जो स्टॉक स्प्लिट की अवधारणा के लिए उत्तरदाई होता है।
जब स्टॉक स्प्लिट की पेशकश की जाती है, तो यह द्वितीयक बाजार में शेयरों की संख्या बढ़ा देता है लेकिन बाजार की कुल पूंजी समान रहती है। बोनस शेयरों की वजह से बाजार में बढ़े हुए शेयरों की संख्या, स्टॉक स्प्लिट में शेयरों की संख्या के समान नहीं होता है।
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स्टॉक स्प्लिट के कारण
स्टॉक स्प्लिट शेयरों के अंकित मूल्य को घटाकर किया जाता है। शेयरों का अंकित मूल्य ₹1 के नोट की तरह शेयरों पर मुद्रित मूल्य होता है। इसे स्टॉक का आधार मूल्य माना जाता है।
पहले एसीसी और ऊंचे मूल्य वाली कंपनियों के लिए अंकित मूल्य ₹100 हुआ करता था, अब सामान्य अंकित मूल्य केवल ₹10 हैं। कंपनी के प्रदर्शन के आधार पर एक प्रीमियम के साथ शेयरों का अंकित मूल्य सार्वजनिक कर दिया जाता है।
और इसलिए कुछ इक्विटी को सार्वजनिक कर दिया जाता है जबकि प्रमोटरों द्वारा कंपनी में अपने स्वामित्व (साख) को मजबूत बनाने के लिए ऐसा किया जाता है।
पब्लिक लिमिटेड स्टॉक की ट्रेडिंग
एक बार कुछ शेयरों को म्यूच्यूअल फंड, बैंक जैसी संस्थाओं, बड़े निवेशकों और जनता द्वारा खरीद लिया जाता है, तो यह सूचकांक में व्यापार शुरू कर देता है। यदि कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है तो स्टाक के मूल्य असाधारण रूप से लगातार बढ़ते रहते हैं।
एक बिंदु पर जाकर यह निवेशकों और व्यापारियों द्वारा खरीदने के लिए पर्याप्त महंगा हो जाता है। इसके मूल्य में वृद्धि के साथ-साथ ब्रोकरेज शुल्क में भी वृद्धि होती है इसलिए शेयरों के विभाजन की जरूरत बढ़ जाती है।
शेयरों में विभाजन का अनुपात:
कंपनी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स निदेशक मंडल के अनुसार शेरों के अंकित मूल्य में होने वाली कमी के अनुसार ही शेयरों को विभिन्न अनुपातों में बांटा जाता है। यदि यह अनुपात 2:1 हैं तो शेयरों के अंकित मान ₹5 से ₹10 तक कम हो जाते हैं।
इस प्रकार कंपनी के 1 शेयर वाले प्रत्येक शेयर धारक के पास 2 शेयर हो जाते हैं। यदि शेयरों का अंकित मूल्य 5 से घटाकर 1 कर दिया जाए तो यह अनुपात 5:1 का हो जाता है। इस प्रकार, 1 शेयर रखने वाले शेयरधारकों अब 5 शेयर मिलेंगे।
लेकिन शेयरों का मूल्य इसी अनुपात के साथ कम हो जाएगा। यदि विभाजन का अनुपात 2 :1 है तो ‘विभाजन के बाद‘ इसका मूल्य ‘विभाजन से पहले की कीमत का‘ आधा होगा।
स्टॉक स्प्लिट के प्रभाव
जैसा कि ऊपर दिया गया है, स्टॉक स्प्लिट होने के बाद प्रभावित कंपनी के लिए पोर्टफोलियो में शेयरों की संख्या स्टॉक स्प्लिट के अनुपातों के अनुसार बढ़ जाती है।
यदि यह अनुपात 2:1 है और आपके पोर्टफोलियो में 100 शेयर हैं, तो स्टॉक स्प्लिट की प्रक्रिया के बाद आपके पोर्टफोलियो में 200 शेयर हो जाएंगे। इसी तरह, यदि यह अनुपात 3:1 है तो स्टॉक स्प्लिट की प्रक्रिया के बाद पोर्टफोलियो में 300 से होंगे, और यह इसी तरह आगे भी जारी रहेगा।
आइए अब देखते हैं कि यह व्यवसाय को किस प्रकार प्रभावित करता है?
खैर, स्टॉक स्प्लिट कई स्तरों पर प्रभाव डालती है।
उदाहरण के लिए, स्टार स्प्लिट प्रक्रिया के बाद ईपीएस या प्रति शेयर होने वाली कमाई प्रभावित होती है। यदि विभाजन 2:1 के अनुपात में होता है, तो शेयर विभाजन से पहले ईपीएस की तुलना में प्रति शेयर होने वाली कमाई आधी हो जाती है।
यदि होने वाले कुल आए के स्तर से देखा जाए, तो प्रति शेयर होने वाले लाभ या आए संपूर्ण प्रक्रिया को प्रभावित करते हैं।
उदाहरण के लिए, अगर कंपनी ने एक वित्तीय वर्ष में 100,000 शेयरों के साथ $10 मिलियन की कमाई करें। तब ई पी एस ($10,000,000/100,000) यानी $10 हो जाता है।
अब, यदि स्टॉक स्प्लिट का अनुपात 2:1 तय किया गया था तो बकाया शेयर 200,000 हो जाते हैं और ईपीएस ($ 10,000,000/100,000) यानी $5 हो जाता है।
आपको यह पहले ही बताया जा चुका है, कि स्टॉक स्प्लिट (शेयर विभाजन) से पहले और बाद में आपके द्वारा साझा किए गए शेयरों की संख्या के लिए ‘आपके पोर्टफोलियो के समग्र आय‘ में कोई परिवर्तन नहीं होगा।
आगे बढ़ने पर, शेयरों के अंकित मूल्य और आपकी कमाई का अनुपात में कोई परिवर्तन नहीं दिखेगा। क्योंकि यहां शामिल किए गए दोनों पैरामीटर मैं समान रूप से बदलाव देखने को मिलेंगे।
स्टॉक स्प्लिट फार्मूला
आप स्टॉक स्प्लिट (शेयर विभाजन) से पहले अपने शेयरों के मूल्य की गणना कर सकते हैं, इसके लिए आप नीचे दिए गए स्टॉक स्प्लिट के सामान्य फार्मूले का प्रयोग कर सकते हैं।
नए शेयर का मूल्य = पुराने शेयर का मूल्य / स्टॉक स्प्लिट रेशियो (शेयर विभाजन का अनुपात)
आईए इसको एक उदाहरण के द्वारा समझते हैं।
मान ले कि स्टाफ ने अंतिम व्यापार ₹100 प्रति शेयर की दर से किया था। कंपनी ने 3:1 के अनुपात में शेयरों के विभाजन करने का फैसला लिया।
अब, नए शेयर का मूल्य = 100 / (3/1) अर्थात ₹33.33 होगा
चुकी आप स्टॉक स्प्लिट (शेयर विभाजन) से पहले के 1 शेयर के लिए अब 3 शेयर रखते हैं। इसलिए, आपके शेयर की कीमत में गिरावट देखी जाएगी। लेकिन, आपके संपूर्ण स्टॉक के मूल्यों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा ( ₹33.33×3 यानी ₹100)।
स्टॉक स्प्लिट का उदाहरण
एक भारतीय कंपनी ‘इंफोसिस‘ स्टॉक स्प्लिट का सबसे अच्छा उदाहरण है।
इंफोसिस का स्टॉक बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में 14 जून 1993 को इसका एक शेयर ₹10 अंकित मूल्य के साथ ₹95 की जगह ₹145 में जारी किया गया था। यदि कोई व्यक्ति इंफोसिस के 100 शेयरों के लिए 95 या ₹145 की दर से ₹9500 या ₹14500 का निवेश करता है। वर्तमान समय में उसके पास अब 34128 शेयर होंगे जिसकी मौजूदा कीमत ₹2.11 करोड़ रुपए ‘वर्तमान बाजार मूल्य‘ ₹600 प्रति शेयर की दर से होगी।
शेयर का अंकित मूल्य ₹10 से ₹5 करने और बोनस के लिए स्टॉक स्प्लिट इंफोसिस कंपनी द्वारा सन 1999 में लाया गया था। जिसको 2:1 के अनुपात में बंटवारे के साथ 12-09-2018 को ‘नए मूल्य के साथ‘ कंपनी द्वारा जारी किया गया था।
यहाँ कुछ और उदारण दिए गए हैं:
स्टॉक स्प्लिट और बोनस की तुलना
जैसा कि ऊपर बताया गया है, कि स्टॉक स्प्लिट की प्रक्रिया के बाद आपके मौजूदा शेयर एक अलग संख्या के रूप में बढ़ जाते हैं। हालांकि, शेरों का मूल्य बदल सकता है लेकिन आपके पोर्टफोलियो में कुल शेयरों की कीमत में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। यह आपके आपके द्वारा वर्तमान में कमाए जा रहे लाभ को प्रभावित नहीं करेगा।
हालांकि, अगर बोनस शेरों के बारे में बात करें तो यह प्रक्रिया थोड़ी अलग है, क्योंकि बोनस शेयर ‘शेयरधारकों‘ को प्रदान किए जाने वाले ‘अतिरिक्त शेयर‘ होते हैं। इससे शेयरधारकों के पोर्टफोलियो में संपूर्ण मूल्यांकन पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
जहां शेयर विभाजन (स्टॉक स्प्लिट) सभी नए और वर्तमान शेयरधारकों पर प्रभाव डालता है, उसी जगह पर बोनस शेयर ‘केवल मौजूदा शेयरधारकों‘ को ही प्रभावित करता है।
शेयर विभाजन से लाभ
सही स्टॉक में निवेश करने से स्टॉक स्प्लिट (शेयर विभाजन) होने पर अच्छा रिटर्न प्राप्त होता है। इसे शेयरों के अच्छे प्रदर्शन का प्रतीक माना जाता है। शेयरों के अंकित मूल्य को 10 से घटाकर 5 या 1 भी किया जा सकता है लेकिन शेयरों का संपूर्ण मान नहीं बदलता है।
स्टॉक स्प्लिट का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसके बाद लाभ बढ़ जाता है। कई तरह के शोध के बाद यह पता चला है कि जिन शेयरों का विभाजन हुआ वैसे यार अपनी वस्को के लिए सफल और लाभदायक बन गये।
एक बार जब ‘स्टॉक‘ एक निश्चित सीमा तक विभाजित हो जाता है तो कंपनी बोनस जारी करना शुरू कर देती है, जो निवेशकों के लिए एक वरदान से कम नहीं होता है। इससे शेयरधारकों का निवेश कई गुना बढ़ जाता है।
स्टॉक स्प्लिट के जोखिम:
गलत स्टॉक में निवेश करने से ‘स्टॉक स्प्लिट रिवर्स‘ होता है जो ‘स्टॉक स्प्लिट‘ के विपरीत होता है, और इसके प्रभाव भी विपरीत ही होते हैं।
‘स्टॉक स्प्लिट रिवर्स‘ की प्रक्रिया में शेयरों की कीमत में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा और एक्सचेंज आपके स्टॉक को रोक भी सकता है।
इससे आपके द्वारा निवेश की गई पूंजी के एक बड़े हिस्से का नुकसान भी हो सकता है। ‘स्टॉक स्प्लिट रिवर्स‘ के मामले में भौतिक शेयरों के कंपनियों को ‘नाम हस्तांतरण‘ के लिए भेजा जाता है और इस मामले में उन्हें भौतिक शेयरों को समय पर बेचने में कठिनाई होग सकती है।
यहाँ नीचे स्टॉक स्प्लिट और स्टॉक डिविडेंड के बीच फरक बताया गया है:
स्टॉक स्प्लिट होना अच्छा है या बुरा?
वास्तव में, यह आपके देखने के तरीकों पर निर्भर करता है कि आप इसे अच्छा मानते हैं या बुरा।
बेशक, स्टॉक स्प्लिट की पहली अवधारणा से आपको यह जानकारी मिलती है कि स्टाक ‘कंपनी‘ के अपेक्षाओं के अनुसार अच्छा प्रदर्शन कर रहे है। यह एक अच्छी बात है।
मालन की ऐतिहासिक रूप से 80% कंपनियों ने पिछले 20 वर्षों में स्टॉक स्प्लिट स्टाक विभाजन किया है और उन्हें अपने शेयरों की कीमत या प्रदर्शन में अपने अन्य प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में कोई बड़ा परिवर्तन नहीं देखा है।
इस प्रकार निष्पक्ष रूप से बात करें तो, शेयर के विभाजन का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
तो कुल मिलाकर यह ना ही अच्छा है और ना ही बुरा है। है न!
सारांश
स्टॉक स्प्लिट (शेयर विभाजन) आपके लिए एक वरदान होगा या अभिशाप यह आपके निवेश किए गए स्टॉक पर निर्भर करता है। स्प्लिट स्टॉक (विभाजित शेयरों) को बाजार में सबसे अच्छा स्टॉक माना जाता है। इस विभाजन से हमेशा निवेशकों को लाभ मिलता है और शेयर में की कीमतों में जबरदस्त वृद्धि देखने को मिलता है।
स्टॉक स्प्लिट (शेयर विभाजन) से शेयरों के मूल्य में तो बदलाव नहीं होता है, लेकिन इनके कीमतों में होने वाला यह बदलाव हमेशा निवेशकों के पक्ष में होता है। स्टाक विभाजन के बाद शेयरों में सही निवेश के लिए मिलने वाला बोनस इसका वास्तविक इनाम होता है।
निवेश करने के लिए सही स्टॉक चुनने से शांतिपूर्ण और समृद्ध जीवन संभव है।
यदि आप भारतीय शेयर बाजार में व्यापार करना चाहते हैं तो हम आपको एक कदम आगे ले जाने में आपकी सहायता करेंगे।
बस नीचे दिए गए फार्म में कुछ बुनियादी विवरण दर्ज करें और आपके लिए एक काल बाइक की व्यवस्था की जाएगी:
यहां बुनियादी विवरण दर्ज करें और आपके लिए एक कॉल बैक की व्यवस्था की जाएगी।