How to Calculate Equity in Hindi?

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एक कंपनी के मौलिक विश्लेषण (fundamental analysis in hindi) के लिए कई तरह के फाइनेंसियल रेश्यो होते है लेकिन कंपनी के फंडामेंटल की जानकारी की शुरुआत शेयरहोल्डर इक्विटी के माध्यम से किया जा सकता है। इस लेख में जाने की शेयरहोल्डर्स इक्विटी की गणना कैसे की जाती है (how to calculate equity in hindi)।

Equity Meaning in Hindi

इक्विटी के बात की जाए तो ये किसी भी कंपनी के मालिकाना हक़ की जानकारी देती है वही दूसरी तरफ शेयरहोल्डर्स इक्विटी कंपनी की नेटवर्थ की जानकारी देती है।

आसान भाषा में शेयरहोल्डर्स इक्विटी कंपनी की उस सम्पति को दर्शाती है जो परिसमाप्त (liquidate) होने पर और सभी क़र्ज़ अदा करने के बाद कंपनी अपने शेयरधारको को वापिस करती है।

इस वैल्यू की जानकारी आप कंपनी की बैलेंस शीट से प्राप्त कर सकते है जिससे आप कंपनी की वित्तीय स्थिति की जानकारी प्राप्त कर उसमे निवेश करने की योजना बना सकते है।

तो चलिए जानते है की शेयरहोल्डर्स इक्विटी के लिए शेयर मार्केट का गणित

इक्विटी की गणना कैसे की जाती है?

शेयरहोल्डर्स इक्विटी की जानकारी कंपनी के करंट एसेट्स और लायबिलिटी से प्राप्त की जाती है। ये जानकारी आप कंपनी की बैलेंस शीट (balance sheet in hindi) से आसानी से प्राप्त कर सकते है।

इसके अलावा आप कंपनी के शेयर कैपिटल और रेटेन एअर्निंग में से ट्रेज़री शेयर्स (treasury shares) को घटा कर भी कर सकते है।

अब इक्विटी की गणना करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन करें:

1. कंपनी के कुल एसेट की गणना करें 

एसेट के मतलब (assets meaning in hindi) को जाने तो ये कंपनी की फ्यूचर ग्रोथ और वित्तीय की जानकारी प्रदान करता है। कंपनी द्वारा प्रदर्शित वैल्यू उसके केश फ्लो, कम खर्चे, बेहतर सेल मार्जिन की जानकारी प्रदान करता है।

एसेट को आगे तीन भागो में बांटा गया है:

  • करंट एसेट: ये शार्ट-टर्म एसेट है जिसे कंपनी एक साल के भीतर कैश में बदलने की उम्मीद करती है, जैसे की: कैश, मार्केटेबल सिक्योरिटीज, इन्वेंटरी, आदि।
  • फिक्स्ड एसेट: ये लॉन्ग टर्म एसेट होती है जिन्हे नकद में बदलने में समय लगता है, जैसे की प्रोडक्शन प्लान, बड़े उपकरण आदि।
  • फाइनेंसियल एसेट: ये अन्य संस्थानों जैसे अन्य संपत्तियों या प्रतिभूतियों में निवेश का प्रतिनिधित्व करती हैं। कुछ वित्तीय संपत्तियों में स्टॉक, बॉन्ड, पसंदीदा इक्विटी या अन्य हाइब्रिड प्रतिभूतियां शामिल हैं।
  • इनतेंजिबल एसेट: ये ऐसे एसेट हैं जिनकी कोई भौतिक उपस्थिति नहीं है लेकिन फिर भी उनका आर्थिक मूल्य है। कुछ इन्तंजीबल संपत्तियों में पेटेंट, ट्रेडमार्क, कॉपीराइट शामिल हैं।

2. कंपनी की कुल लिएबिलिटीज़ की गणना करें

कुल लिएबिलिटीज़ में कंपनी द्वारा लिए गए क़र्ज़ और दायित्व शामिल होते है। इसकी जानकारी भी आप कंपनी के बैलेंस शीट से प्राप्त कर सकते है।

बैलेंस शीट में दी गयी अलग-अलग लिएबिलिटीज़ के प्रकार निम्नलिखित है:

  • शार्ट टर्म लिएबिलिटीज़: ये ऋण या दायित्व हैं जो एक वर्ष या उससे कम समय के भीतर बाहरी पार्टियों के कारण हैं। कुछ अल्पकालिक देनदारियों में पेरोल व्यय, किराया और देय खाते शामिल हैं।
  • लॉन्ग टर्म लिएबिलिटीज़: इसे नॉन-करंट लिएबिलिटीज़ भी कहा जाता है और ये उन देनदारियों की जानकारी देती है जो आने वाले 1 साल के बाद चुकाई जायेंगी। उदाहरण के लिए, लोन, डिबेंचर, पेंशन आदि से नॉन-करंट लायबिलिटी की गणना की जाती है।
  • अन्य लिएबिलिटीज़: ये माइनर लिएबिलिटीज़ की श्रेणी में आती है और इसमें सेल्स टैक्स या इंटरकपनी ऋण शामिल होते है।

3. शेयरहोल्डर्स इक्विटी की गणना

कंपनी के कुल एसेट और लिएबिलिटीज़ की जानकारी के बाद आप शेयरहोल्डर्स इक्विटी की जानकारी प्राप्त कर सकते है। इस वैल्यू से आप कंपनी में निवेश करने के रिस्क और रिटर्न की जानकारी के साथ उसके वर्तमान वित्तीय की जानकारी भी प्राप्त कर सकते है।

शेयरहोल्डर्स इक्विटी की गणना का फार्मूला निम्नलिखित है:

शेयरहोल्डर्स इक्विटी= करंट एसेट – करंट लिएबिलिटीज़ 


How to Calculate Equity in Hindi Example

अब शेयरहोल्डर इक्विटी की गणना को समझने के लिए एक उदाहरण लेते है:

मान लेते है की एक कंपनी जिसके नॉन-करंट एसेट की वैल्यू 310,617 करोड़, और करंट एसेट 97,037 करोड़ के है। यहाँ पर कुल एसेट की वैल्यू:

कुल एसेट= 310,617+97,037
=407,654 करोड़

इसी प्रकार टोटल लायबिलिटीज के लिए नॉन-करंट और करंट लायबिलिटीज 60,717 करोड़ और 101,058 करोड़  है, जिससे

कुल लायबिलिटीज= 161,775 करोड़

इन दोनों वैल्यू के आधार पर शेयरहोल्डर्स इक्विटी की वैल्यू:

= (407,654-161,775) करोड़
= 245,879 करोड़


निष्कर्ष

शेयरहोल्डर्स इक्विटी की जानकारी एक निवेशक को कंपनी के वित्तीय की जानकारी प्रदान करता है जिससे वह कंपनी में निवेश करने की योजना बना सके।

कंपनी के मौजूदा फण्ड और उसके उपयोग की जानकारी प्राप्त कर आप कंपनी के भविष्य ग्रोथ और मुनाफे को माप सकते है। अगर इक्विटी की वैल्यू पॉजिटिव आती है तो वह कंपनी के स्टेबल और मजबूत मौलिक की जानकारी देता है। वही नेगेटिव इक्विटी कंपनी की बढ़ती हुई लायबिलिटी और उसकी लिक्विडेट होने की स्थिति को दर्शाता है।


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