Share Market Income Tax in Hindi

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कई निवेशक और ट्रेडर इस बात को गंभीरता से सोचते है कि शेयर मार्केट में भी इनकम टैक्स क्यों लगता है? तो इसके जवाब के लिए सोचिये की share market kya hai? ज़ाहिर सी बात है, शेयर मार्केट में निवेश और ट्रेड कर आप पैसा कमाते है तो आपकी कमाई पर इनकम टैक्स तो लगेगा ही। आज इस लेख में शेयर मार्केट टैक्स (share market income tax in hindi) को विस्तार में जानेंगे।

शेयर मार्केट टैक्स रेट 

भारत में आप विभिन ट्रेडिंग सेगमेंट में ट्रेड कर सकते है जिससे आप कई तरह के लाभ कमा सकते है अब वही पर लाभ होने पर टैक्स भी अलग-अलग तरह से ही निर्धारित होता है। जहाँ अधिकांश निवेशों में सरल टैक्सेशन नियम होते हैं, इंट्राडे ट्रेडिंग पर टैक्स  में विभिन्न पहलू शामिल होते हैं।

आज हम आपको लॉन्ग टर्म निवेश करने पर निवेशकों पर किस तरह से टैक्स लगाया जाता है  इंट्राडे ट्रेडिंग (intraday trading in hindi) और फ्यूचर, ऑप्शन पर कमाए हुए लाभ को किस किस तरह से कैलकुलेट किया जाता है उस पर विस्तृत  जानकारी देंगे।

शुरू करते है निवेशकों की लिए टैक्सेशन कैसे काम करता  है कि जानकारी के साथ

स्टॉक मार्केट में निवेशिक इनकम पर कितना टैक्स लगता है?

निवेशिक इनकम में कमाए हुए लाभ को कैपिटल गेन कहा जाता  है अब इसके अंतर्गत आपके होल्डिंग अवधि के अनुसार दो तरह के गेन्स होते है:

  • लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन 

स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड इक्विटी शेयर (equity shares meaning in hindi) पर निवेश कर अगर आप उसे 12 महीने यानी की 1 वर्ष के बाद बेचते है तो उस पर कमाए हुए प्रॉफिट को लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) कहा जाता है

अब यहाँ पर अगर सिक्योरिटीज बेचने पर आपको 1 लाख या उससे कम का लाभ होता है तो उस पर आपको किसी भी प्रकार का टैक्स नहीं देना होता वही दूसरी तरफ 1 लाख से ऊपर के लाभ पर 10% के अनुसार टैक्स प्राप्त किया जाता है

इस कांसेप्ट को एक उदहारण से समझने की कोशिश  करते है। मान लेते है की रवि नाम का एक ट्रेडर है जिसने पिछले कुछ सालो में निवेश कर प्रकार का प्रॉफिट कमाया:

2019 में ABC स्टॉक बाय वैल्यू : ₹1,00,000 
2022 में ABC स्टॉक सेल वैल्यू : ₹3,00,000 

लॉन्ग टर्म  कैपिटल गेन: ₹2,00,000/-

अब जैसे की बताया गया है कि लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन में 1,00,000 रुपये तक कोई टैक्स नहीं लगता है तो यहाँ पर बचे हुए 1,00,000 पर आपको 10% के हिसाब से 10,000 टैक्स देना होगा

  • शार्ट टर्म कैपिटल गेन 

अब इक्विटी शेयर अगर खरीदने के बाद 12 महीने के अंतर्गत बेच दी जाती है तो उस पर कमाए हुए प्रॉफिट को शार्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) के अंतर्गत रखा जाता है

शार्ट टर्म कैपिटल गेन यानी की आपने जिस प्राइस पर स्टॉक को ख़रीदा था उससे ज़्यादा दामों में 12 माह के अंतर्गत बेच दिया। इस प्रॉफिट पर आप पर 15% टैक्स चार्ज किया जाता है।

ये तो बात हुई गेन की अब बात करते है क्या लॉस होने पर भी आपको टैक्स देना होता है? जिस तरह से प्रॉफिट को दो केटेगरी में रखा गया है ठीक उसी प्रकार लॉस को भी अवधि के अनुसार दो केटेगरी में बांटा गया है

अब मान लेते है की रवि ने 2021 में एक ट्रेड किया और 6 महीने में उस पर 1,00,000 रुपये का प्रॉफिट कमा कर  बेच दिया। इस पर टैक्स लॉ के हिसाब से आपको 15% तक का टैक्स देना होगा, यानी की रवि ने जो 1,00,000 का टैक्स कमाया है उस पर उसको 15,000 का टैक्स भरना होगा।

  • लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस 

नाम से ही जैसे आप जान ही गए होंगे की अगर आप किसी भी इक्विटी शेयर को 1 साल से ज़्यादा के लिए होल्ड करते है और उसे बेचने पर आपको नुकसान होता है उसे लॉन्ग टर्म कैपिटल लॉस कहा जाता है। अब प्रॉफिट पर तो टैक्स किस तरह से लगता है वह बता दिया गया है, लेकिन लोस्स होने पर क्या होता है।

यहाँ पर अगर आपको किसी इक्विटी शेयर को 1 साल के बाद बेचने पर नुकसान होता है तो वह आपके लॉन्ग टर्म कैपिटल प्रॉफिट के साथ ओफ़्सेट कर दिया जाता है, लेकिन अगर अगले साल भी आपका कोई मुनाफा नहीं है या किसी कारणवश ये ऑप्शन उपलब्ध नहीं है तो आप अगले 8 साल तक अपने नुकसान को केरी फॉरवर्ड कर सकते है

यहाँ पर इस बात का ध्यान रखना काफी ज़रूरी है कि आप इस लाभ का फायदा सिर्फ ITR भरने पर उठा पाएंगे

  • शार्ट टर्म कैपिटल लॉस 

शार्ट टर्म यानी की एक साल के अंदर कोई भी इक्विटी शेयर को खरीद उसे बेचने पर आपको अगर नुकसान होता है तो उसे शार्ट टर्म कैपिटल लॉस कहा जाता है। अब अगर आपको शार्ट टर्म ट्रेड में नुकसान होता है तो वह आपके शार्ट टर्म कैपिटल गेन या लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के साथ ओफ़्सेट कर दिया जाता है। 

अगर पूरा नुकसान ओफ़्सेट नहीं होता है तो आप अपने लॉस को अगले 8 साल तक के लिए केरी फॉरवर्ड कर उसे अपने लॉन्ग और शार्ट टर्म गेन के साथ एडजस्ट कर सकते है


इंट्राडे ट्रेडिंग टैक्स 

इंट्राडे ट्रेडिंग को स्पेक्युलेटिवे बिज़नेस इनकम के अंतर्गत रखा जाता है, यानी की इसकी गणना आपके बिज़नेस इनकम की तरह की जाती है। अब इसे समझने के लिए एक उदाहरण लेते है:

जिस तरह से निवेश से कमाए हुए लाभ को दो केटेगरी में बांटा गया है, ठीक उसी प्रकार ट्रेडर की इनकम भी दो भागो में बांटी गयी है:

  • स्पेक्युलेटिवे बिज़नेस इनकम 

अब जब भी आप स्टॉक मार्केट में इंट्राडे ट्रेड करते है तो आपका मकसद सिर्फ प्रॉफिट कामना होता है और इसलिए उससे कमाए हुए प्रॉफिट को स्पेक्युलेटिवे बिज़नेस इनकम कहा जाता है। 

  • नॉन – स्पेक्युलेटिव बिज़नेस इनकम 

फ्यूचर और ऑप्शन जो हेजिंग के उद्देश्य से की जाती है उसमे होने वाली सभी ट्रेड (इंट्राडे और ओवरनाइट) से कमाए हुए प्रॉफिट नॉन-स्पेक्युलेटिवे बिज़नेस इनकम के अंतर्गत आती है

उदहारण 1 

यहाँ एक 30 बर्षीय इंट्राडे ट्रेडर का आय विवरण दिया गया है :

  • वार्षिक  वेतन = रु 10 लाख 
  • इंट्राडे ट्रेडिंग से एक साल का आय = रु 2 लाख (स्पेक्युलेटिव बिज़नेस इनकम )
  • शार्ट टर्म कैपिटल गेन् = रु 1 लाख 
  • बैंक जमा से ब्याज (वार्षिक )= रु 1 लाख 

इन आय को देखते हुए, कुल टैक्स लायबिलिटी  की गणना निम्नलिखित रूप से  की जाएगी :

कैपिटल गेन पर उस अवधि के आधार पर कर लगाया जाएगा जिसके लिए  वह स्टॉक ख़रीदे गए है। मान लीजिए कि पूंजीगत लाभ अल्पकालिक थे इसलिए आय पर 15% टैक्स लगाया जाएगा और टैक्स लायबिलिटी 15000 रुपये होगी।

कुल कर योग्य आय की गणना वेतन, स्पेक्युलेटिवे इनकम, और बैंक जमा से ब्याज जैसे अन्य सभी आय शीर्षों को जोड़कर की जाएगी, इसलिए कुल आय होगी :

कुल आय = रु 1,000,000 ( वेतन ) + रु 200,000 (इंट्राडे इक्विटी ट्रेडिंग आय ) + रु 100,000 ( जमा पर ब्याज) = रु 1,300,000 

 इसलिए ट्रेडर को 13 लाख रुपये की इनकम पर टैक्स देना होगा। ऊपर बताए गए टैक्स स्लैब के आधार पर, टैक्स की गणना इस प्रकार होगी: 

 

कुल टैक्स लायबिलिटी  = इनकम टैक्स + कैपिटल गेन टैक्स = रु 2,05,000 + रु 15000 = रु 2,20,000 


ऑप्शन ट्रेडिंग टैक्स

फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग की इनकम को नॉन-स्पेक्युलेटिवे बिज़नेस इनकम की तरह देखा जाता है और इसकी टैक्स गणना उसे प्रकार होती है जैसे इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए की जाती है

तो ऊपर वाले उदाहरण में मान लेते है कि ट्रेड ने 2,00,000 का मुनाफा ऑप्शन ट्रेडिंग में कमाया तो अब यहाँ पर टोटल इनकम की वैल्यू इस प्रकार होगी:

कुल आय = रु 1,000,000 ( वेतन ) + रु 200,000 (इंट्राडे इक्विटी ट्रेडिंग आय ) + 2,00,000 (ऑप्शन ट्रेडिंग टैक्स) + रु 100,000 ( जमा पर ब्याज) = रु 1,500,000 

 

कुल टैक्स लायबिलिटी  = इनकम टैक्स + कैपिटल गेन टैक्स = रु 262,500 + रु 15000 = रु 2,77,500 


नुकसान होने पर किस तरह से ट्रेडिंग टैक्स की गणना की जाती है?

 स्पेक्युलेटिवे ट्रेड में अगर नुकसान हो जाये तो उस नुकसान को आप लगातार चार वित्तीय वर्षों तक की अवधि के लिए आगे बढ़ा सकते है और उसे अवधि में हुए स्पेक्युलेटिवे से हुए मुनाफे के साथ ओफ़्सेट कर सकते है।

दूसरी ओर नॉन-स्पेक्युलेटिवे ट्रेड से उत्पन्न होने वाले नुकसान को लगातार आठ वित्तीय वर्षों तक की अवधि के लिए आगे बढ़ाया जा सकता है। आप उसी वर्ष वेतन को छोड़कर किसी अन्य व्यावसायिक आय के विरुद्ध नॉन-स्पेक्युलेटिवे ट्रेड के हुए मुनाफे के साथ एडजस्ट कर सकते है।

इसे समझने के लिए यहां एक उदाहरण दिया गया है:

एक 30 वर्षीय व्यक्ति के पास निम्नलिखित वित्तीय स्थिति में हैं :

खानपान व्यवसाय से आय = रु 20 लाख
किराए से आय = रु 1. 2 लाख
नॉन स्पेक्युलेटिवे बिज़नेस से हुआ हानि = रु 2.  लाख
नॉन स्पेक्युलेटिव बिज़नेस लॉसेस  का उपयोग उसी वर्ष लाभ को समायोजित करने के लिए किया जा सकता है।  इसलिए ट्रेडर की टैक्स लायबिलिटी होगी :
टैक्स योग्य आय = 2,000,000+120,000 – 220,000 = रु 19 लाख 

टैक्स गणना इस प्रकार होगी :

 

आइए एक और उदाहरण देखें जो अब तक समझाए गए सभी बिंदुओं को सारांशित करता है। 

30 वर्षीय व्यक्ति की निम्नलिखित वित्तीय स्थितियाँ हैं :

 वेतन: ₹10,00,000/-
 अंशकालिक व्यवसाय से आय: ₹5,00,000/-
 बैंक जमा पर ब्याज: ₹1,00,000/-
 इंट्राडे इक्विटी ट्रेडिंग से आय: ₹5,00,000
 नॉन-स्पेक्युलेटिवे ट्रेडिंग लॉस: ₹2,00,000/-

इस मामले में ट्रेडर को नॉन-स्पेक्युलेटिवे ट्रेड में हानि हुए है जिसको ट्रेडर अपनी स्पेक्युलेटिवे ट्रेड में कमाए  हुए मुनाफे के साथ एडजस्ट कर सकता है।

टैक्सेबल स्पेक्युलेटिवे बिज़नेस इनकम  की गणना

टैक्स योग्य स्पेक्युलेटिवे इनकम = स्पेक्युलेटिवे बिज़नेस इनकम – नॉन-सेप्सुलेटिवे बिज़नेस इनकम 

टैक्सेबल स्पेक्युलेटिव बिज़नेस इनकम = 500,000 – 200,000 = रु 3 लाख 

टैक्सेबल इनकम की गणना 

टैक्सेबल इनकम = वेतन + अन्य व्यावसायिक आय + स्पेक्युलेटिव बिज़नेस इनकम – नॉन स्पेक्युलेटिव बिज़नेस लॉस  + बैंक जमा पर ब्याज

टैक्सेबल इनकम = 1,000,000 + 500,000 + 100,000 + 300,000  = 19,00,000 

इसलिए टैक्स की गणना इस प्रकार होगी :

 


निष्कर्ष 

अगर आप शेयर मार्केट में नए है तो उसके लिए ज़रूरी है कि आप स्टॉक मार्केट के सभी सेगमेंट में लग रहे टैक्स और उससे जुड़ी पूरी जानकारी रखे और उसके अनुसार ही अपने ट्रेड में होने वाले फायदे और नुकसान को की गणना करें

इन सब टैक्स के अलावा हर एक ट्रेड पर आप पर सिक्योरिटीज ट्रांसक्शन टैक्स भी लगाया जाता है जिसकी वैल्यू एक्सचेंज द्वारा निर्धारित की जाती है


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