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आप मे से अधिकांश लोग जेरोधा स्टॉप लॉस से परिचित हो सकते है, लेकिन इसके साथ ही जेरोधा की एक ओर परिभाषा भी है जिसे ट्रेलिंग स्टॉप लॉस जेरोधा कहा जाता है।
बहुत से लोग इन दोनो को एक ही मानते है, लेकिन एक मामूली सा अंतर है जो इन दोनो सामान शर्तों को एक दुसरे से अलग बनाता है। अब यहाँ वह जानकारी दी जा रही है जो इन दोनो को बारिकी से समझने में आपकी मदद करती है।
जेरोधा में ट्रेलिंग स्टॉप लॉस
जेरोधा के ट्रेलिग स्टॉप लॉस में बारिकी में जानने से पहले आपका उसके स्टॉप लॉस ऑर्डर और सामान्य ऑर्डर के बीच के अंतर को जानना बहुत ज़रूरी है।
ट्रिगर प्राइस ही इन दोनो को अलग करने का मुख्य संकेत होता है। एक तरफ़ जहाँ सामान्य ऑर्डर में आप एक लिमिट या मार्केट ऑर्डर के अनुसार चयन करते है, लेकिन वही दूसरी ओर स्टॉप-लॉस ऑर्डर में, आपको लिमिट या मार्केट ऑर्डर का चयन ट्रिगर प्राइस के साथ करना होता है।
क्यूँकि जब भी आवश्यक होता है तब ट्रिगर प्राइस निष्क्रिय ऑर्डर को भी सक्रिय कर देता है।
जेरोधा में ट्रेलिग स्टॉप लॉस को तय करने के लिए निवेशक को मार्केट की मौजूदा पोजीशन और बीड प्राइस(बोली मूल्य) को देखने की आवश्यकता होती है।यह मूल्य अधिकतम मूल्य को दर्शाता है जिसपर निवेशक ज़रूरत के अनुसार अपने लिए स्टॉक ख़रीद सकता है।
जब भी आप स्टॉप लॉस ऑर्डर लगाने की बात करते हैं तो आपको होना जरूरी है की Stop Loss Order Kaise Lagaye
अब, जेरोधा में ट्रेलिग प्राइस की बात करेंगे।
सरल शब्दों में कहे तो यह एक विशेष तरह का ट्रेड ऑर्डर होता है जहाँ स्टॉप लॉस की क़ीमत एक निश्चित क़ीमत पर तय करने के बजाय होने वाले लाभ या डॉलर की क़ीमत के आधार पर तय किया जाता है।
जिसमें इसकी क़ीमत हमेशा मार्केट की क़ीमत से कम रखी जाती है।
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जेरोधा में ट्रेलिंग स्टॉप लॉस का उपयोग कैसे किया जाता है?
जब क़ीमतें तेज़ी से नीचे आती है तब यह ट्रेलिग स्टॉप लॉस आपको होने वाले नुक़सान से बचाता है।
जैसे अपने जिस शेयर में निवेश किया था उसकी क़ीमत बढ़ जाती है तो ट्रेलिग स्टॉप लॉस उन बढ़ी हुई क़ीमतों के साथ आपके नुक़सान को रोक देगा।
और जब उस शेयर की क़ीमत एक स्थिर क़ीमत तक पहुँच जाती है तब स्टॉप लॉस भी उसी क़ीमत पर स्थिर हो जाता है जहाँ उसकी क़ीमत तय की गयी थी।
इस प्रकार यह आपके द्वारा निवेश को ऊपर की क़ीमतों में रोक कर उन्हें नीचे जाने से रोकता है। आप जेरोधा काइट के साथ भी स्टॉप लॉस का ऑर्डर कर सकते है। सर्वश्रेष्ठ ट्रेडिग का अनुभव करने के लिए आप ऐप डाउनलोड करें।
जेरोधा स्टॉप लॉस ट्रेलिग के उदाहरण
चलिए एक उदाहरण पर विचार करके इस सिद्धांत को थोड़ा सरल बनाते है :
उदाहरण के लिए जैसे आप किसी कम्पनी का शेयर ₹100 में ख़रीदते है, और आप अपने द्वारा निवेश की गयी राशि पर 5% से अधिक नुक़सान नही चाहते है।
इस स्थिति में जब ट्रेलिग स्टॉप लॉस तय हो जाता है, तो ब्रोकर को स्टॉक बेचने के लिए एक स्वचालित सूचना मिलती है जब उस शेयर की क़ीमत 5% से अधिक गिरती है।
हालाँकि, ट्रेलिग स्टॉप लॉस आपको ज़्यादा नुक़सान का सामना करने से बचाता है, लेकिन जब आपके स्टॉक की क़ीमत मार्केट वैल्यू के साथ बढ़ती है तो ये उसका फ़ायदा उठाने से भी आपको दूर रखता है।
ट्रेलिंग स्टॉप लॉस के फ़ायदे
ट्रेलिग स्टॉप लॉस निवेशको के लिए फ़ायदेमंद साबित होता है क्यूँकि यह उन्हें नुक़सान का सामना करने से रोकता है।
यह ट्रेडिग के कई प्रकार के जोखिम को भी दूर करता है लेकिन उन्हें समझने के लिए आपको कुछ होम्वर्क करने की आवश्यकता होती है। जैसे आपको ट्रेलिग स्टॉप लॉस की प्रतिशत पर निर्णय लेने पर बहुत सावधानी से विचार करना होता है।
इसके लिए आप मार्केट की स्थिति की बारिकी से जाँच करे और एक निर्णय लें जो आपकी निवेश रणनीतियों के साथ सही काम करे।
इसके अलावा, जब स्टॉक 30 दिनो से कम समय के लिए रखा जाता है तो उस मामले में लगातार ट्रेडिंग पर एक निश्चित तरह का टैक्स (वाश सेल्स ) लगा सकता है। इसके अलावा, अत्यधिक ट्रेडिग करने पर विभिन्न प्रकार शुल्क और कमीशन लगती है जो कमाए हुए लगभग सभी लाभों को ख़त्म कर देती है।
निष्कर्ष
ट्रेलिग स्टॉप लॉस केवल एक ही दिशा में चलता है और विशेष रूप से ट्रेडिग में लाभ या नुक़सान की सीमा को तय करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
निश्चित स्टॉप लॉस के तुलना में, ट्रेलिग स्टॉप लॉस अधिक लचीला होता है क्यूँकि यह स्टॉक प्राइस की दिशा को स्वचालित करता है इसको किसी भी मैनुआल संचालन की आवश्यकता नहीं होती है।
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