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यूटीआई पीएमएस भारत के सबसे पुराने और भरोसेमंद ब्रांडों में से एक है। इस कंपनी को चार स्पोंसर (भारत के लोकप्रिय बैंकों) की मदद से प्रोमोट किया जाता है। इस कंपनी के द्वारा दी जाने वाली पोर्टफोलियो मैनजमेंट सेवाएं निवेशकों को एक आकर्षक रिटर्न प्रदान करती हैं।
यह भी पढ़ें, मुझे पोर्टफोलियो की आवश्यकता क्यों है? और पीएमएस का विवरण
आइए, अब इस सर्विस कंपनी के बैकग्राउंड, इनके निवेशों का प्रदर्शन, इसके द्वारा लगाए जाने वाले शुल्क, इनके लाभ और कमियों आदि के बारे में भी जानते है।
यूटीआई पीएमएस की समीक्षा
यूटीआई पीएमएस को वर्ष 2002 में स्थापित किया गया था, और 1 फरवरी, 2003 को इसका संचालन शुरू किया गया था।
इसमें स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, बैंक ऑफ बड़ौदा, भारतीय जीवन बीमा निगम और पंजाब नेशनल बैंक पोर्टफोलियो मैनेजर के प्रमोटर के रूप में कार्य करते हैं। इसके प्रत्येक स्पोंसर के पास भारत में पीएमएस कंपनियों की पेड-अप शेयर कैपिटल (पूंजी) का 25% हिस्सा है।
इनकी यूटीआई एएमसी, एक प्राइवेट लिमिटेड कंपनी जो 14 नवंबर, 2007 को एक पब्लिक लिमिटेड कंपनी में बदल दी गई थी।
यूटीआई पीएमएस एक पोर्टफोलियो मैनेजर है, जो अपने ग्राहकों को तीन अलग-अलग प्रकार की पोर्टफोलियो मैनजमेंट सेवाएं प्रदान करता है। यह तीन सर्विस इस प्रकार है :
- डिस्क्रिशनरी
- नॉन – डिस्क्रिशनरी
- एडवाइज़री सर्विस
इस कंपनी के पास हाई नेट-वर्थ के ग्राहक, संस्थान और कॉर्पोरेट ग्राहक हैं।
इसके अलावा, आप यूटीआई एएमसी आईपीओ अलॉट्मेंट स्टैट्स भी पढ़ें।
यूटीआई पीएमएस वर्ष 2004 से घरेलू और विदेशीय फंडों का मैनजमेंट कर रहा है। यूटीआई पीएमएस मैनजमेंट करने वाले कुछ विदेशीय फंड हैं:
- शिंसी इंडिया फंड (यह भारतीय इक्विटी फंड जापान में स्थित है।)
- रेनबो फंड (यह मॉरीशस में रेजिस्टर्ड एक मल्टी-क्लास इक्विटी फंड है।)
- चीन-भारत डायनेमिक ग्रोथ फंड (यह सिंगापुर में स्थित है।)
- अल मदीना इंडिया फंड, (यह कुवैत में रेजिस्टर्ड एक कम्प्लेंट फंड है।)
भारत की सरकार ने राष्ट्रीय जीवन बीमा (एलआईसी) और राष्ट्रीय कौशल विकास फंड (मुख्य रूप से एक डेबट ओरिएन्टेड फंड) के धन के मैनजमेंट के लिए इस कंपनी को अपना पोर्टफोलियो मैनेजर भी नियुक्त किया हुआ है।
यूटीआई पीएमएस हमें लगभग पांच प्रकार की रणनीतियां प्रदान करते है, जिसमें एग्रेसिव, मॉडरेट और कन्सर्वेटिव स्ट्रैटजी शामिल हैं।
कंपनी का नाम | यूटीआई पीएमएस |
स्थापना वर्ष | 2002 |
कंपनी प्रकार | पब्लिक लिमिटेड |
पीएमएस रणनीतियाँ | अग्रेसिव, मॉडरेट और कन्सर्वेटिव स्ट्रैटजी |
कमीशन मॉडल | प्रीपेड कमीशन, वॉल्यूम-आधारित
कमीशन, प्रॉफिट-शेयरिंग कमीशन |
यूटीआई पीएमएस के प्रकार
अब, इस लेख में हम यूटीआई पीएमएस के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं जैसे पीएमएस के प्रकार, पीएमएस रणनीतियाँ, कमीशन मॉडल, मैनेजर का विवरण, प्रदर्शन / रिटर्न, निवेश प्लान, शुल्क, ग्राहक सहायता, आदि पर चर्चा करने जा रहे हैं।
यूटीआई पीएमएस तीन अलग-अलग प्रकार की पोर्टफोलियो मैनजमेंट सेवाएं प्रदान करते है। जैसे:
- डिस्क्रिशनरी
- नॉन – डिस्क्रिशनरी
- एडवाइज़री सर्विस
डिस्क्रिशनरी पोर्टफोलियो मैनजमेंट:
इस पोर्टफोलियो मैनजमेंट सर्विस के तहत, पोर्टफोलियो मैनेजर को निवेशक के पोर्टफोलियो को मैनेज करने का पूर्ण अधिकार होता है। इसमें खाता खोलते समय ही बताये गये निवेशक के रिस्क प्रोफ़ाइल का ध्यान रखकर ही निवेश किया जाता है।
इसमें ग्राहक समय-समय पर अपने पोर्टफोलियो की स्थिति और प्रदर्शन की भी जांच कर सकता है। और इसमें पोर्टफोलियो मैनेजर को कोई भी कदम उठाने से पहले अपने ग्राहक को सूचित करना पड़ता है।
यह कंपनी अपने ग्राहकों को दो प्रकार के ऑप्शन प्रदान करती है, जैसे फिक्स फीस (निर्धारित शुल्क) और फिक्स प्लस वैरीऐब्ल फीस।
नॉन – डिस्क्रिशनरी पोर्टल मैनजमेंट:
इस पोर्टफोलियो मैनजमेंट सेवा के तहत, ग्राहक उस कदम को निर्देशित करता है, जो उसके पोर्टफोलियो मैनेजर द्वारा लिया जाना चाहिए। इसमें पोर्टफोलियो मैनेजर निवेश पोर्टफोलियो को संभालते हुए निष्क्रिय रूप से कार्य करता है, जबकि इसमें एक्टिव भूमिका केवल ग्राहक द्वारा ही निभाई जाती है।
इस सेवा में, पोर्टफोलियो मैनेजर अपने ग्राहक की तरफ़ से ट्रेडों को पूरा करता है, सेटेलमेंट करता है, और उन्हें अपनी निगरानी में रखने के साथ साथ उसके अन्य बैक-ऑफ़िस कार्यों को भी करता है।
इस सर्विस की फीस, फिक्स फीस / पोर्टफोलियो पर मिलने वाले रिटर्न का मिश्रण होती है।
एडवाइज़री पोर्टफोलियो प्रबंधन:
इसमें अपने ग्राहकों की रिस्क लेने की क्षमता के आधार पर, उनके पोर्टफोलियो मैनेजर समय-समय पर उन्हें सलाह देते है। हालांकि, इसमें पोर्टफोलियो निवेश से संबंधित अंतिम निर्णय ग्राहक के पास ही होता है।
इसमें फीस एक फिक्स आधार या वैरीऐब्ल आधार पर चार्ज की जाती है, जो कि खाता खोलने के फॉर्म के नियमों के रूप में लिखा होता है।
यूटीआई पीएमएस फंड मैनेजर
पोर्टफोलियो मैनेजमेंट कंपनी का प्रदर्शन उनके पोर्टफोलियो मैनेजर, विश्लेषकों और फंड मैनेजरों की टीम पर निर्भर करता है।क्योंकि उनकी विशेषज्ञता और अनुभव ही निवेशकों को बेहतर रिटर्न प्रदान कर सकते हैं।
यूटीआई पीएमएस के पास विशेषज्ञों की एक टीम भी है, और अब यहां हम कंपनी के मुख्य फंड मैनेजर के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं।
श्री अजय त्यागी (फंड मैनेजर):
यूटीआई फंड मैनेजमेंट टीम में अजय त्यागी जी फंड मैनेजर और कार्यकारी उपाध्यक्ष हैं। वह लगभग सभी कुछ मैनेज करते है। वह तक़रीबन $2 बिलियन एएमयू से अधिक के घरेलू और विदेशी ग्राहकों के फंड को माँगे करते है।
वह वर्ष 2000 में एक इक्विटी विश्लेषक के रूप में पोर्टफोलियो मैनेजर में शामिल हुए थे, और तभी से टेलीकॉम, आईटी और मीडिया जैसे क्षेत्रों पर नज़र रख रहे हुए है।
अजय त्यागी जी के पास सीएफए की डिग्री है और उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से एमबीए भी पूरा किया हुआ है।
यूटीआई पीएमएस की रणनीतियाँ
इसमें पोर्टफोलियो मैनेजर निवेशकों को उनकी वित्तीय आवश्यकताओं और रिस्क प्रोफ़ाइल के अनुसार विभिन्न प्रकार की रणनीतियां प्रदान करता है। फिर यही रणनीतियां इनके निवेशकों को उनकी उम्मीद के मुताबिक बेहतर रिटर्न दिलाने में मददग़र साबित होती हैं।
यह कंपनी, लॉन्ग टर्म, मिड-टर्म और शॉर्ट टर्म निवेश रणनीतियों पर काम करती है। इसमें ग्राहकों की जरूरतों को जानने के बाद ही पैसा लगावाया जाता है।
अब यहां पर आपके लिए निवेश रणनीतियों की सूची दी गई है: जैसे
- एग्रेसिव इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी
- मॉडरेट इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी
- कन्सर्वेटिव इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी
एग्रेसिव इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी
इस कंपनी की आक्रामक निवेश रणनीति से तात्पर्य उस निवेश के प्रकार से है, जिसमें अपेक्षाकृत अधिक उच्च स्तर का रिस्क लेकर उच्च मुनाफ़े की उम्मीद की जाती है।
इस रणनीति का उद्देश्य मूलधन या इनकम की सुरक्षा के बजाय पूंजी को बढ़ाना है।
यह रणनीति उन निवेशकों के लिए बिल्कुल ठीक है, जो मार्केट में एक उच्च राशि का निवेश करने के लिए आर्थिक रूप से मजबूत हैं, और जिनमे उच्च रिस्क लेने की क्षमता है। इसलिए यह रणनीति युवा निवेशकों के लिए एकदम उपयुक्त है।
इस एग्रेसिव रणनीति के लिए, मॉडरेट और कन्सर्वेटिव रणनीति की तुलना में मैनजमेंट अधिक एग्रेसिव होना चाहिए।
और इस एग्रेसिव इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी के प्रदर्शन को मापने के लिए बेंचमार्क इंडेक्स बीएसई मिड-कैप इंडेक्स है।
मॉडरेट इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी
इस रणनीति का उद्देश्य मार्केट के उतार-चढ़ाव के खिलाफ निवेशकों के एसेट की रक्षा करना है। इसलिए उच्च रिटर्न इस रणनीति का प्राथमिक उद्देश्य नहीं है, लेकिन इस रणनीति का मुख्य उद्देश्य पूंजी संरक्षण है।
इस मध्यम निवेश रणनीति के तहत निवेश 4-6 वर्षों की अवधि में मिड-टर्म के लिए किया जाता है। इस रणनीति के पोर्टफोलियो मिश्रण में आम तौर पर 10% मनी मार्केट, 50% इक्विटी और 40% बॉन्ड शामिल होते है।
इस रणनीति को वही निवेशक पसंद करते हैं, जिनकी निवेश और रिस्क उठाने की की क्षमता मध्यम होती हैं। वे केवल थोड़ा सा ही रिस्क उठा सकते हैं और अपने निवेश से अच्छा रिटर्न पाने के लिए पैसा लगा सकते हैं।
कन्सर्वेटिव इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी
कन्सर्वेटिव स्ट्रैटजी का उद्देश्य निवेश रिटर्न पर पूंजी संरक्षण है। इस रणनीति के माध्यम से आपके पोर्टफोलियो की वैल्यू को सुरक्षित करने के लिये कम रिस्क वाली सिक्योरिटी जैसे कि मनी मार्केट और फिक्स डिपॉजिट, ब्लू-चिप / लार्ज-कैप कंपनियों में निवेश किया जाता है।
जो लोग कन्सर्वेटिव स्ट्रैटजी चुनते हैं, उनमें रिस्क लेने की क्षमता मध्यम या कम होती है।
कन्सर्वेटिव स्ट्रैटजी के तहत निवेश पोर्टफोलियो मुख्य रूप से इक्विटी के बजाय डेबट रखता है।
इस स्ट्रैटजी का सबसे अच्छा उदाहरण एक रिटायर्ड व्यक्ति है।क्योंकि वे रिस्क लेने की स्थिति में नहीं होते हैं, लेकिन इसके बजाय वे अपनी मूल राशि के लिए भी सुरक्षा चाहते हैं।
यूटीआई पीएमएस का प्रदर्शन
इन सभी तीनों रणनीतियों के प्रदर्शन की चर्चा नीचे दिए गए टेबल में प्रत्येक के बेंचमार्क के सामने की गई है। प्रदर्शन टेबल में केवल उन ग्राहकों के पोर्टफोलियो के प्रदर्शन को दिखाया गया है, जिन्होंने उस विशेष अवधि के लिए पीएमएस सेवाओं का लाभ उठाया है।
पिछले तीन वर्षों की पीएमएस रणनीतियों से रिटर्न:
पीएमएस रणनीतियाँ /बेंचमार्क | 1-साल रिटर्न (31 मार्च 2019 का) | 1-साल रिटर्न (31 मार्च 2018 का) | 1-साल रिटर्न (31 मार्च 2017 का) |
एग्रेसिव इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी | 12.75 | 15.97 | 19.49 |
बीएसई मिड कैप इंडेक्स | -3.03 | 13.24 | 32.75 |
मॉडरेट इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी | 14.99 | 11.78 | 16.52 |
बीएसइ 500 इंडेक्स | 8.35 | 11.82 | 24.02 |
कन्सर्वेटिव इन्वेस्टमेंट स्ट्रैटजी | 11.80 | 7.63 | 16.04 |
निफ़्टी इंडेक्स | 14.93 | 10.25 | 18.55 |
उपरोक्त यूटीआई पीएमएस रणनीतियों के प्रदर्शन टेबल से हम यह देख सकते हैं, कि इनकी पहली दो रणनीतियाँ “एग्रेसिव” और “मॉडरेट” ने पिछले तीन वर्षों में निवेशकों को अच्छे रिटर्न दिए है। इन रणनीतियों ने अपने बेंचमार्क इंडेक्स को रिटर्न के अच्छे प्रतिशत के साथ हराया है।
हालाँकि, इनकी तीसरी रणनीति कन्सर्वेटिव ने इन वर्षों में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है। इसलिए इसका बेंचमार्क इंडेक्स प्रतिशत रिटर्न सभी तीन वर्षों में कम है।
इसलिए, प्रदर्शन टेबल के आधार पर कोई भी इसमें इनके पोर्टफोलियो मैनेजर के साथ अपने पैसे का निवेश कर सकता है।
यूटीआई पीएमएस निवेश प्लान
इस कंपनी द्वारा पेश किये जाने वाले निवेश प्लान इनके निवेशकों की सभी श्रेणियों को आकर्षित करती है। इनके निवेशक कम, मध्यम और उच्च वित्तीय क्षमता के भी हो सकते है। इसलिए, इस कंपनी ने एक ऐसा निवेश प्लान बनाया है, जो इनके साथ निवेश करने वाले निवेशकों की प्रत्येक श्रेणी के अनुकूल है।
यूटीआई पीएमएस द्वारा बनाये निवेश प्लान निम्नलिखित हैं: जैसे
- ब्रॉन्ज़ (₹25,00,000 से ₹50,00,000)
- सिल्वर (₹50,00,000 से ₹1 करोड़)
- गोल्ड (₹1 करोड़ से ₹5 करोड़)
- प्लेटिनम (₹5 करोड़ या उसे अधिक)
ब्रॉन्ज़
यह एक मूल निवेश योजना है, और इसमें निवेश राशि सेबी के निर्देशन के अनुसार होती है। लेकिन अगर आप कम रिस्क प्रोफाइल वाले ग्राहक हैं, और आपकी वित्तीय क्षमता भी कम है, तो आप इस योजना को अपने लिये चुन सकते हैं।
इसके अधिक नियमों और विनियमों को जानने के लिए आप पीएमएस एसबीआई के उल्लेख को देख सकते हो।
सिल्वर
सिल्वर, यह दूसरी निवेश योजना कंपनी द्वारा उन निवेशकों के लिए बनाई गई है, जो ₹50 लाख से ₹1 करोड़ के बीच निवेश कर सकते हैं।क्योंकि इस योजना के तहत निवेशकों का रिस्क प्रोफ़ाइल मध्यम होता है।
गोल्ड
‘गोल्ड’ इस कंपनी द्वारा पेश की जाने वाली एक और निवेश योजना है। लेकिन यह योजना केवल उन निवेशकों को सबसे अच्छी लगती है, जिनमे अधिक रिस्क लेने की क्षमता होती है, और वे ₹1 करोड़ से ₹5 करोड़ तक का निवेश करने के लिए तैयार होते हैं।
प्लैटिनम
यह योजना हाई नेट-वर्थ वाले ग्राहकों के लिए सबसे अच्छी है। क्योंकि वो लोग ₹5 करोड़ से ऊपर निवेश कर सकते हैं, और इसके पोर्टफोलियो में निवेश करके हाई रिटर्न प्राप्त करने के लिए हाई रिस्क उठा सकते है।
यूटीआई पीएमएस कमीशन मॉडल
यह कंपनी अपने निवेशकों को तीन बुनियादी कमीशन मॉडल प्रदान करती है। जिससे वे अपनी सुविधा और रिस्क प्रोफ़ाइल के अनुसार किसी भी मॉडल का चयन कर सकते हैं।
इसका प्रत्येक मॉडल विभिन्न कारकों पर आधारित होता है, जैसे प्रॉफिट, लेनदेन की मात्रा और पोर्टफोलियो का कुल मूल्य आदि।
यहाँ इस कंपनी के कमीशन मॉडल के नाम निम्नलिखित है: जैसे
- प्रॉफिट बेस्ड कमीशन मॉडल
- प्रीपेड कमीशन मॉडल
- वॉल्यूम-बेस्ड कमीशन मॉडल
प्रॉफिट-बेस्ड कमीशन मॉडल:
इसकी सबसे अधिक मांग वाला और लाभदायक कमीशन मॉडल है। इस कंपनी के अधिकांश निवेशक इस कमीशन मॉडल के माध्यम से हाई कमीशन का भुगतान करना चाहते हैं।
इस मॉडल के तहत, निवेश पोर्टफोलियो से अर्जित कुल लाभ के आधार पर पीएमएस कमीशन का भुगतान किया जाता है।
इसमें आपका पोर्टफोलियो मैनेजर आपके लिए लाभ कमाने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ देता है, क्योंकि वो जानता है कि उसका कमीशन आपके लाभ पर निर्भर करता है। इसलिए यदि आपको कोई लाभ नहीं होगा, तो पोर्टफोलियो मैनेजर का कोई कोई कमीशन नहीं बनेगा।
इसलिए, यह मॉडल निवेश पोर्टफोलियो से जितना संभव हो उतना बेहतर रिटर्न सुनिश्चित करता है।
इसमें कमीशन का प्रतिशत दोनों पक्षों के बीच समझौते के समय तय कर लिया जाता है।
इसमें निवेशक के लाभ की सीमा जितनी अधिक होती है, उतना ही पोर्टफोलियो मैनेजर की कमीशन का प्रतिशत कम होता है।
प्रीपेड कमीशन मॉडल:
इस मॉडल के तहत कमीशन का भुगतान पोर्टफोलियो मैनजमेंट सेवा प्राप्त करने से पहले ही एडवांस में कर दिया जाता है। इस मॉडल का एक फ़ायदा यह है, कि आपको हाई रिटर्न या हाई लेनदेन की मात्रा के लिए हाई कमीशन का भुगतान नहीं करना पड़ता है।
इसके साथ साथ इसमें भी समझौते के समय ही दोनों पक्षों के बीच कमीशन का प्रतिशत तय कर लिया जाता है।
लेकिन इस मॉडल में, यह भी संभावना होती है, कि आपका पोर्टफोलियो मैनेजर हर समय प्रॉफिट-बेस्ड कमीशन मॉडल की तरह सतर्क न रहे।
वॉल्यूम-बेस्ड कमीशन मॉडल:
यह मॉडल किसी विशेष निवेश पोर्टफोलियो से संबंधित कुल लेनदेन की मात्रा पर आधारित होता है।
इसमें आप अपने पोर्टफोलियो मैनेजर को एक वर्ष में कुल वोल्यूम के आधार पर भुगतान किया जाता है। इसमें आपके लेनदेन की मात्रा आपके पोर्टफोलियो मैनेजर के कमीशन का फैसला करती है।
इसलिए आपके लेनदेन की कुल मात्रा जितनी अधिक होगी, आपके पोर्टफोलियो मैनेजर का कमीशन उतना ही अधिक होगा और इसके विपरीत आपके लेनदेन की कुल मात्रा जितनी कम होगी, आपके पोर्टफोलियो मैनेजर का कमीशन भी उतना कम होगा।
इसलिए, इस मॉडल में यह संभावना होती है कि आपका पोर्टफोलियो मैनेजर अनावश्यक या लाभहीन लेनदेन करके अपने लिए लेनदेन की मात्रा को बढ़ा दे।
चलिए, अब हम आपके साथ नीचे दिए गए टेबल में आपकी कुल आय के प्रतिशत और श्रेणी, पोर्टफोलियो मूल्य और कुल प्रोफ़िट पर चर्चा करने जा रहे हैं:
प्रीपेड कमीशन (वार्षिक) | वॉल्यूम -बेस्ड कमीशन (वार्षिक) | प्रॉफिट शेयरिंग कमीशन (वार्षिक) | |||
निवेश सीमा | निवेश का (%) कमीशन | लेनदेन की वॉल्यूम सीमा | वॉल्यूम का (%) कमीशन | प्रॉफिट | प्रॉफिट का (%) कमीशन |
₹25 L- 50L | 1.50 | ₹25 L- 50L | 0.23 | ₹2.5L- 5L | 32 |
₹50L-1 करोड़ | 1.40 | ₹50L-1 करोड़ | 0.21 | ₹5L- 10L | 27 |
₹1 करोड़ -5 करोड़ | 1.30 | ₹1 करोड़ -5 करोड़ | 0.19 | ₹10L- 50L | 22 |
₹5 करोड़ या उससे अधिक | 1.20 | ₹5 करोड़ या उससे अधिक | 0.16 | ₹50L
या उससे अधिक |
18 |
यूटीआई पीएमएस शुल्क
इस कंपनी एक निवेशक को कमीशन के अलावा, कुछ अन्य शुल्क भी अदा करने होते हैं, जैसे कि मैनजमेंट फ़ीस, ब्रोकरेज चार्ज, कस्टोडियन चार्ज, एंट्री-एग्जिट चार्ज आदि, जिन्हें पीएमएस शुल्क भी कहा जाता है।
डिस्क्रिशनरी पीएमएस के लिए:
इसमें किसी ग्राहक के निवेश पोर्टफोलियो के एनएवी का 5% तक एक निश्चित मैनजमेंट फ़ीस ली जाती है।
इनकी मैनजमेंट फीस का दूसरा तरीका है (फिक्स्ड + वेरिएबल)। इस प्रणाली में, एनएवी का 5% और परिवर्तनीय शुल्क जो कि सकारात्मक वार्षिक पोर्टफोलियो रिटर्न से जुड़ा हुआ होता है, वह फ़ीस के रूप में लिया जाता है।
यूटीआई पीएमएस अपने ग्राहकों से विथड्रा फीस भी लेता है। ये फ़ीस, पोर्टफोलियो मैनजमेंट समझौते के साथ अटैच फ़ीस की अनुसूची के अनुसार लिया जाता है।
यह कंपनी दोनों पक्षों के बीच समझौते के अनुसार ब्रोकरेज फ़ीस, कस्टोडियन चार्ज आदि भी चार्ज करती है।
यूटीआई पीएमएस के फायदे
यूटीआई पीएमएस निवेशकों को बहुत सारे लाभ प्रदान करता है, ताकि उन्हें किसी भी सेवा की कमी से कहीं भी जाने की आवश्यकता न पडे।
यहां पीएमएस निवेशक के रूप में आपको मिलने वाले लाभों की सूची दी गई है।
विभिन्न रणनीतियाँ: यूटीआई पीएमएस अपने ग्राहकों को कई प्रकार की निवेश रणनीतियों की पेशकश करता है। इन रणनीतियों को इन्होंने अपने निवेशको की वित्तीय स्थिति और रिस्क प्रोफ़ाइल के अनुसार सुविधाजनक रणनीति प्रदान करने की दृष्टि से बनाया है।
सुविधाजनक कमीशन मॉडल: यह कंपनी अपने निवेशको को कमीशन के तीन अलग-अलग आधार प्रदान करती है, जिसके द्वारा इनका ग्राहक अपने पोर्टफोलियो मैनेजर को कमीशन का भुगतान कर सकता है।
इन्होंने कमीशन फ़ीस की तकनीक ग्राहक को उनके आराम के अनुसार भुगतान करने में मदद करने के लिए बनाई है।
बेहतर रिटर्न: इनकी तीन में से दो निवेश रणनीतियाँ वर्षों से निवेशकों को बेहतर रिटर्न दे रही हैं। क्योंकि वह रणनीतियाँ इस तरह बनाई गयी हैं, कि वे अपने ग्राहकों के वित्तीय उद्देश्य के अनुसार काम करती हैं।
ग्राहक सहायता: इस कंपनी द्वारा बहुत अच्छा ग्राहक समर्थन प्रदान किया जाता है। इसके निवेशक जिस प्रकार चाहते है, उसी प्रकार उनके प्रश्नों को हल किया जाता है।
इसके लिए दोनों पक्षों के बीच संबंध मजबूत बनाने के लिए इस कंपनी द्वारा एक रिलेशनशिप मैनेजर भी नियुक्त किया जाता है।
अनुभवी विशेषज्ञ : इसमें अच्छी तरह से अनुभवी प्रफेशनलस की टीम निवेशकों के पोर्टफोलियो को संभालती है, जिससे बेहतर रिटर्न की संभावना बढ़ जाती है।
इनकी यह टीम मार्केट और पोर्टफोलियो पर चौबीसों घंटे ध्यान रखती है, ताकि वे आवश्यक कदम तुरंत उठा सकें।
यूटीआई पीएमएस ग्राहक सहायता
यदि कोई कंपनी अपने ग्राहकों को अच्छी ग्राहक सहायता प्रदान करती है, तो ग्राहक के साथ उसके संबंध लम्बे समय तक बने रहने की संभावना बढ़ जाती है।
इसलिये यूटीआई पीएमएस भी अपने ग्राहकों का बहुत सपोर्ट करता है। ये अपने ग्राहकों को विभिन्न प्रकार की सहायता प्रदान करता हैं, ताकि इनकी पीएमएस सेवाये प्राप्त करते समय उन्हें किसी समस्या का सामना न करना पड़े।
यह कंपनी अपने निवेशकों को ईमेल और कॉल सुविधा भी प्रदान करती है, ताकि वे अपने प्रश्नों का उत्तर जाने के लिए कंपनी को सीधे कॉल कर सकें। और इसके लिए कंपनी ने एक रिलेशनशिप मैनेजर भी नियुक्त किया हुआ है।
इस कंपनी द्वारा अपने ग्राहकों को दिया हुआ एक और समर्थन यह है, कि उनके पास अपने पोर्टफोलियो मैनेजर को सीधे कॉलिंग करने की सुविधा है।
इनका कोई भी ग्राहक अपने पोर्टफोलियो मैनेजर से अपने निवेश पोर्टफोलियो से संबंधित सीधे कोई भी प्रश्न पूछ सकता है। लेकिन एक महीने में कॉल की संख्या उनके पोर्टफोलियो के मूल्य के आधार पर तय की जाती है।
यूटीआई पीएमएस का आपकी किसी भी समस्या को हल करने वाला टीएटी 8-10 कार्य दिवस होता है।
निष्कर्ष
यूटीआई पीएमएस पोर्टफोलियो मैनजमेंट सेवा के क्षेत्र में एक ब्रांड नाम है। यह कंपनी बहुत पुरानी है, और उसने अच्छी सेवाएँ देकर ग्राहकों का भरोसा हासिल किया है।
इस कंपनी द्वारा बनाई गई निवेश रणनीतियां इनके निवेशक के सभी उद्देश्य की श्रेणियों को कवर करती हैं, और इसके साथ ही इसमें कोई भी निवेशक अपनी वित्तीय क्षमता के अनुसार इनकी किसी भी निवेश योजना का चयन कर सकता है।
इस कंपनी के कमीशन मॉडल और अन्य चार्जस भी उद्योग के अनुसार फ़ायदेमंद और कम हैं।
इनकी ग्राहक सहायता प्रणाली भी इनके ग्राहक की जिससे वे असुविधाजनक और असहज महसूस करते हैं उनके प्रत्येक चरण में मदद करती है।
इसलिए, उपरोक्त सभी बातों पर विचार करके आप बिना किसी परेशानी के यूटीआई पीएमएस के साथ अपने पोर्टफोलियो निवेश की योजना बना सकते हैं।
यदि आप अपनी निवेश पूंजी के लिए पोर्टफोलियो मैनजमेंट सेवाओं का उपयोग शुरू करना चाहते हैं,
तो आगे के कदम उठाने में हम आपकी सहायता कर सकते हैं। इसके लिए नीचे दिए गए फॉर्म में बुनियादी विवरण भरें और उसके बाद हम आपके लिए कॉल बैक की व्यवस्था करेंगें।
यूटीआई पीएमएस के बारे में अधिकतर पूछे जाने वाले सवाल
यहां यूटीआई पीएमएस के बारे में सबसे अधिक पूछे जाने वाले कुछ प्रश्न हैं, जिनके बारे में आपको अवश्य पता होना चाहिए:
प्रश्न: किसी को भी यूटीआई पीएमएस क्यों चुनना चाहिए?
उत्तर: यूटीआई पीएमएस अपने ग्राहकों को फंड मैनजमेंट विशेषज्ञता, दैनिक पोर्टफोलियो पहुंच, कुशल संचालन, लागत प्रभावी गुणवत्ता जैसी सेवाये प्रदान करता है, और अंत में महत्वपूर्ण बात यह है, कि वे आपको मानसिक शांति भी प्रदान करते है।
प्रश्न: क्या कंपनी द्वारा पोर्टफोलियो वापसी की कोई गारंटी है?
इसका उत्तर बहुत स्पष्ट है ‘नहीं’। यूटीआई पीएमएस रिटर्न की कोई गारंटी नहीं देता है। इस बात के बारे में कोई निश्चितता भी नहीं है, कि आपको यूटीआई से भी कोई रिटर्न मिलेगा या किसी मामले में कोई पूंजी संरक्षण होगा।
प्रश्न: क्या पोर्टफोलियो मैनजमेंट सेवा में निवेश करने की कोई न्यूनतम राशि सीमा है?
हां, 25 लाख रुपये पोर्टफोलियो मैनजमेंट सेवा में निवेश करने के लिए आवश्यक न्यूनतम राशि है।
क्या कोई निवेशक अपने खाते से आंशिक राशि निकाल सकता है?
हां, इसमें इनके निवेशक को आंशिक राशि निकालने की अनुमति है। हालांकि, उस निवेशक को ₹25 लाख का न्यूनतम संतुलन बनाए रखना आवश्यक होता है।