दुनिया में हर चीज के दो पहलु होते है। जैसे अगर किसी चीज के फायदे है तो उसकी कुछ कमियां भी है। और यही फैक्ट डीमैट अकाउंट (demat account in hindi) पर भी लागू होते है। डीमैट अकाउंट के फायदे तो है लेकिन कुछ कमियां भी जुड़ी है।
यहाँ आपको पूरी तरह से जागरूक और आश्वस्त रहना चाहिए और किसी भी भ्रम में आकर कोई फैसला करने से पहले विचार करना चाहिए।
विशेष रूप से, जब आप डीमैट अकाउंट खोलने के बारे में सोच रहे है तो आपको इसके दोनों पक्षों को ध्यान में रखना होगा। आप डीमैट अकाउंट रूल्स के बारे में पढ़ सकते है। आप इसके द्वारा जाना पाएंगे की डीमैट अकाउंट कौन खोल सकता है।
Demat Account ke Fayde in Hindi
चलिए एक कदम पीछे लेते है और सबसे पहले डिमटेरियलाइजेशन और डिमैट अकाउंट की पूरी कॉन्सेप्ट को समझते है। यह जानने का प्रयास करते है की यह पुराने समय में कैसे काम करता है और आज इसमें क्या बदलाव आया है।
साथ ही, यह भी समझेंगे की पुराने समय में क्या मुश्किलें आती थी, किस तरह के चैलेंज का सामना करना पड़ा और क्या डिजिटल रिफॉर्म ने इन सभी चैलेंजेज को सॉल्व करने में सफल रहा है?
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डीमैट अकाउंट से पहले का इतिहास
जैसा कि आपको पहले से ही पता है कि शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में स्टोर करने/रखने के लिए एक डीमैट खाते की जरूरत होती है।
डीमैट खाते के फायदे तो बहुत हैं जो कि बिना रुकावट आपके ट्रेडिंग अनुभव को अच्छा बनाती है। इस विस्तृत लेख के पीछे पूरा विचार डीमैट खाते के कुछ शीर्ष फायदों के बारे में बात करना है।
डिजिटल रिफॉर्म आने से पहले, जब शेयरों को फिजिकल फाइल में रखा जाता था, तब रेगुलर ट्रेडर को बहुत सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता था।
पहले उनको आश्वस्त होना पड़ता था कि उन्होंने जो शेयर खरीदे हैं वे बिकने योग्य स्थिति में है या फिर किसी भी चोरी या लूटपाट से पूरी तरह सुरक्षित है या नहीं।
अगर स्पष्ट रूप से कहा जाए तो जितनी चुनौती शेयर बाजार में निवेश करना था, उससे भी बड़ी चुनौती एक ब्रोकर बनने और स्टॉक ट्रेडिंग को चलाने की थी।
विदेशी निवेशकों को भी भारतीय स्टॉक मार्केट की पूरी इकोसिस्टम पर भरोसा करना मुश्किल था। यह स्टॉक मार्केट जगत में किसी भी प्रकार के शेयरधारकों के लिए पूरी तरह से प्रतिकूल स्थिति थी।
डीमैट अकाउंट के बाद बदलाव
फिर, अगस्त 1996 में भारतीय शेयर बाजार के लिए एक नया और आमूलचूक बदलवा आया।
डिपॉजिटरी एक्ट के तहत एनएसडीएल (नेशनल सिक्योरिटीज डिपॉजिटरी लिमिटेड) की स्थापना की गई। एनएसडीएल को डिमटेरियलाइजेशन को अपनाने या नहीं करने का विकल्प था।
हालांकि, इस रास्ते में बहुत कुछ बाधाएं थीं जैसे की लसिटेड कंपनियों को निवेशकों को अपने शेयरों को इलेक्ट्रॉनिक फॉर्मेट में रखने के लिए बाध्य करना।
स्टॉक मार्केट ट्रेडिंग में बैंकों के शामिल करने को लेकर शंकाएं बनी हुई थी, क्योंकि वे संदेह के खिलाफ विश्वास योग नई अवधारणा डीमैटरियलाइजेशन को ला सकते थे।
इसके बाद, एनएसडीएल को निवेशकों को यह समझाने की ज़रूरत थी कि शेयर्स को फिजिकल फाइल में स्टोर करने के बजाए शेयरों को ऑनलाइन फॉर्मेट में रखने में ज्यादा फायदा था।
कोई नहीं जानता था कि डिमटेरियलाइजेशन की अवधारणा को अपनाने में सभी को फायदा होने वाला था।
आज के समय में सभी डीमैट अकाउंट का लाभ उठा रहे हैं और स्टॉक मार्केट पहले से कही ज्यादा सिंपल और ट्रांसपेरेंट हो गयी है।
यहाँ तक बात हुई कि कैसे डीमैट अकाउंट के अलग-अलग प्रकार ने वास्तव में ट्रेडर और निवेशकों के जीवन को आसान किया।
इसके आगे समझते हैं कि डीमैट अकाउंट निवेशकों को किस तरह के फायदे पहुंचाते है जिससे की निवेशकों को ट्रेड करना आसान हो गया।
निवेशकों के लिए डीमैट अकाउंट के फायदे
चलिए अब बात डीमैट खाते के सबसे अच्छे लाभ की बात करते है जो वास्तव में निवेशकों को मिलता है। यहाँ निम्नलिखित खूबियां है:
- किसी भी व्यक्ति के मैन्युअल हस्तक्षेप के बिना ही शेयरों का ट्रांसफर ऑटोमैटिक रूप से होता है। इसने न केवल ओवरऑल ट्रेडिंग वॉल्यूम में बढ़ोत्तरी हुई है, बल्कि शेयर बाजार ऑपरेशन मैकेनिज्म पर लोगों के विश्वास को बढ़ा दिया है।
- इसके अलावा शेयर्स सर्टिफिकेट को कोई नुकसान या चोरी होने जैसे समस्या से निजात मिल गयी।
- पहले के मुकाबले, विदेशी निवेशकों का भारतीय बाजारों और स्टॉक मार्केट पर भरोसा बढ़ा है।
- इससे पहले ट्रेडर या निवेशकों को खरीदे गए शेयरों के ओनरशिप पाने के लिए कंपनी के रजिस्ट्रार को भेजने की जरूरत होती थी। जैसे ही शेयर आपके डीमैट खाते में जमा हो जाते हैं, उसी वक़्त आप शेयरों के मालिक बन जाते हैं।
- इक्विटी के अलावा, आप अपने डीमैट अकाउंट का उपयोग म्यूचुअल फंड, गोल्ड ईटीएफ, कमोडिटी फ्यूचर जैसे सेगमेंट में निवेश के लिए कर सकते हैं।
- अगर आप अपने डीमैट खाता का विवरण जैसे किसी एड्रेस, कॉन्टैक्ट नंबर आदि को अपडेट की कोशिश कर रहे हैं तो आपको अपने डिपॉजिटरी पार्टनर को सूचित करना होगा (या यहां तक कि यह ऑनलाइन भी कर सकते है)। किसी भी फिजिकल रूप से फॉर्म भरने या किसी अन्य मैनुअल प्रक्रिया के माध्यम से जाने की कोई आवश्यकता नहीं है।
- कोई ओड-लोट(100 से कम शेयर्स की संख्या) की प्रॉब्लम नहीं रही। अब ट्रेडर्स कितनी भी मात्रा में शेयर खरीद या बेच सकता है। एक ट्रेडर के रूप में, आपके पास एक शेयर खरीदने का भी विकल्प है।
- स्टॉक ब्रोकर्स के लिए बहुत आसान और परेशानी मुक्त माहौल हो गया है। उनके ग्राहक से निपटने की प्रक्रिया बहुत आसान और सुव्यवस्थित हो गई है।
- ट्रेडिंग करना बहुत आसान हो गया है, क्योंकि आप किसी ब्रोकर या एक्सचेंज के बिना दुनिया के किसी भी स्थान से मोबाइल या डेस्कटॉप / लैपटॉप का उपयोग कर ट्रेड कर सकते हैं।
- हैंडलिंग शुल्क, स्टैंप ड्यूटी आदि सहित कई ऑपरेटिंग कॉस्ट से आजादी मिल गयी हैं।
- एक डीमैट खाते से दूसरे खाते में शेयरों का ट्रांसफर बेहद आसान तरीके से हो जाता है, क्योंकि सभी प्रक्रिया ऑनलाइन माध्यम से किया जाता है।
- आप अपने डीमैट खाते में नॉमिनी को जोड़ सकते हैं। डीमैटरियलाइजेशन से पहले यह संभव नहीं था।
- अगर कोई भी कंपनी बोनस को वितरित करने की कोशिश कर रही है, तो किसी भी फिजिकल सर्टिफिकेट की आवश्यकता नहीं है। शेयर अपने आप आपके खाते में आटोमेटिक रूप से क्रेडिट हो जाएंगे।
- यहां तक कि एक डीमैट खाता बंद करने की प्रक्रिया भी बहुत आसान हो गई है। यहां तक की आपको किसी ऑफिस मे जाने की जरूरत नहीं है और इस प्रक्रिया को ऑनलाइन किया जाता है।
अब, इन सभी फायदों को पढ़ कर आप समझ गए होंगे की स्टॉक मार्केट में डीमैट अकाउंट के आगमन से कितना ज्यादा फायदा हुआ है। बदलाव संसार का नियम है और यही बदलाव स्टॉक मार्केट में 1996 में हुई थी, जिसके अच्छे नतीजे आज आप स्टॉक मार्केट में देख सकते है।
आशा है कि मैं आपको डीमैट खाते के फायदे समझाने में सफल रहा हूँ। इसके अलावा, यदि आप कोई खाता खोलने के लिए इच्छुक हैं, तो यहां आपका विवरण दर्ज करें और हम एक मुफ़्त कॉल बैक की व्यवस्था करेंगे।