ट्रेडिंग एक ऐसा बिज़नेस है, जिसके लिए समर्पण और पूरे ध्यान की आवश्यकता होती है। एल्गो ट्रेडिंग (Algo Trading In Hindi) का उपयोग ज्यादातर बड़े संस्थागत निवेशकों (Institutional Investors) द्वारा किया जाता है, जिन्हें दिन के आधार पर शेयरों को अधिक मात्रा में खरीदने और बेचने की आवश्यकता होती है।
इन कारणों की वजह से, 2009 में भारत में प्रदान किए जाने के बाद संस्थागत निवेशकों के बीच एल्गो ट्रेडिंग काफी लोकप्रिय हो गई है और भारतीय एक्सचेंजों पर 35-40% तक का कारोबार जाता है।
इसमें निर्देश पहले से फीड किए गए हैं, कंप्यूटर इन ट्रेडों और ट्रांजेक्शन को बहुत तेजी से और सही कीमत पर भुगतान करने में मदद करते हैं।
हाल ही में, एल्गो ट्रेडिंग ने रिटेल निवेशकों के बीच काफी बढ़ोतरी की है। आइए समझते हैं कि इस अवधारणा (concept) ने ट्रेडिंग काॅमन्युटी के जीवन को कैसे प्रभावित किया है।
Algo Trading in Hindi
आइए, अब हम Algo Trading in Hindi में एल्गो ट्रेडिंग से जुड़े कारक, गलतियों, और Zero-Touch-Algo के बारे में विस्तार से बात करेंगे।
जो व्यक्ति ट्रेडिंग करना चाहता है, उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह हर समय अपने सभी ट्रेडों पर ध्यान दे और खुद को लालच और डर जैसी भावनाओं से दूर रखे।
ट्रेडर्स को ट्रेडिंग के सभी पहलुओं के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए, जिसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था, कंपनी का ऐतिहासिक डेटा और कारक शामिल है। क्योंकि इन सबका का असर शेयर या कमोडिटी या ऑप्शन की कीमतों पर पड़ता है।
यह कहा जा सकता है कि यह करने से ज्यादा बोलना आसान है।
ऐसे कई उदाहरण हैं जिनमें एक ट्रेडर अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते है और भावनाओं और मनोवैज्ञानिक कारकों से प्रभावित हो जाता है। फिर वह ट्रेडिंग से जुड़े गलत निर्णय लेने लगता है।
ये सभी गलतियाँ स्वाभाविक है जो मनुष्यों द्वारा होती है और इन्हें नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते हैं।
ऊपर बताई गलतियों को इस एडवांस तकनीक के उपयोग के साथ कम किया जा सकता है। एल्गो ट्रेडिंग एक ऐसी ही एडवांस तकनीक है।
इसके अलावा, ट्रेडर द्वारा हमेशा की जाने वाली 9 गलतियाँ पढ़ें।
एल्गो ट्रेडिंग के लिए यहाँ विस्तृत जानकारी और अवधारणा दी गई है।
एल्गो ट्रेडिंग या एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग वह मैकेनिज्म है जिसके द्वारा कंप्यूटर (या सॉफ्टवेयर, सोफ़िस्टली स्पीकिंग) का उपयोग मनुष्यों के बजाय ट्रेड प्लेस के लिए किया जाता है।
एल्गो ट्रेडिंग में मनुष्य के काम को कम रखा गया है और कंप्यूटर सॉफ्टवेयर को ट्रेडिंग रणनीतियों को बनाने के लिए प्रोग्राम और एल्गोरिदम के साथ लोड किया गया है।
इन ट्रेडिंग रणनीतियों को तब अच्छा रिजल्ट प्राप्त करने के लिए लागू किया जाता है।
एल्गो ट्रेडिंग में ट्रेडिंग निर्देश जैसे कि समय, मात्रा और मूल्य के संदर्भ में सॉफ़्टवेयर में पहले से लोड होते हैं।
यह कंप्यूटर सॉफ्टवेयर तब इस तरह की जानकारी का उपयोग करता है और इसे दिए गए निर्देश के अनुसार ट्रेडिंग करता है।
इस प्रकार, एल्गो ट्रेडिंग बिना किसी मानवीय गलतियों के, सटीक, अच्छी तरह से समयबद्ध रूप से पूरा हो जाता है।
एल्गो ट्रेडिंग में मनुष्यों का बहुत कम योगदान है जिसके लिए इसे चुना जा सकता है। जब कोई मानवीय हस्तक्षेप नहीं होता है, तो उन्हें जीरो-टच-एल्गो कहा जाता है।
एल्गो ट्रेडिंग में प्रोग्राम पहले से एंटर किये जाते हैं और जैसे ही ये प्रोग्राम किसी ट्रेड को पूरा करने के अवसर का निरीक्षण करते हैं, वे इसे बिना किसी मानव नियंत्रण के तुरंत पूरा करते हैं।
एक अन्य विधि, एप्लीकेशन प्रोग्रामिंग इंटरफेस (एपीआई) है, जो भारत में सामान्यतः उपयोग किया जाता है।
इस मामले में, ट्रेडर अपनी रणनीति तय करते हैं और प्रोग्राम का निर्देश देते हैं। फिर वे एपीआई (API) के माध्यम से प्राप्त जानकारी का उपयोग करके ट्रेड को पूरा करते हैं।
Algo Trading Meaning in Hindi
एल्गो ट्रेडिंग पूरी तरह से गति (Speed) और सटीकता (Accuracy) पर काम करता है।
एल्गोरिदम ट्रेड को बनाने के लिए, एक ट्रेडर के पास एक हाई स्पीड नेटवर्क कनेक्शन और एक कंप्यूटर होना चाहिए जो आवश्यक शर्तों के साथ प्रोग्राम किया गया है।
ट्रेडर को स्टॉक मार्केट, कीमतों, फॉरेक्स रेट और ऐतिहासिक कीमतों(historical prices) के बारे में सॉफ्टवेयर में आने वाले फीड की भी आवश्यकता होती है।
एल्गो ट्रेडिंग के लिए स्पीड एक बहुत महत्वपूर्ण कारक(Factor) है; यदि ट्रेड को पूरा होने में मिलीसेकंड तक भी देरी हो जाती है, तो कीमते बदल सकती हैं। एक्सीक्यूट ट्रेड, ट्रेडर की अपेक्षा बहुत अलग दिख सकता है।
इससे भारी नुकसान हो सकता है और आप बिना किसी विकल्प के ओपन पोजीशन (Open Position) के साथ फंस सकते हैं।
इस स्थिति को और एल्गो ट्रेडिंग को अधिक सरल बनाने के लिए, सेबी ने कुछ नियमों की घोषणा की है। ये नियम स्टॉक एक्सचेंजों को कहते हैं कि ट्रेडर्स को सह-स्थान सेवाओं (Co-Location services) की अनुमति प्रदान करें।
ऐसा करने से, ट्रेडर और संस्थागत निवेशक, किराए के भुगतान द्वारा स्टॉक एक्सचेंजों के समान हॉउस में स्थित अपने सर्वर प्राप्त कर सकते हैं और स्टॉक एक्सचेंज डेटा को तेजी से एक्सेस कर सकते हैं।
एक्सचेंजों को भी कहा गया है कि वे ट्रेडर्स को टिक-बाय-टिक वैल्यू डाटा प्रदान करें ताकि वे सबसे अच्छी कीमत का लाभ उठा सकें।
Algo Trading Strategies in Hindi
कोई भी ट्रेडर जब एल्गोरिदम की मदद से ट्रेडिंग करता है तो यहां ट्रेडर को कुछ जरुरी एल्गो-ट्रेडिंग रणनीति को पालन करना चाहिए।
निम्नलिखित कुछ एल्गो-ट्रेडिंग रणनीति बताई गई हैं जिन्हें अनुभवी निवेशकों द्वारा आज़माया गया है:
मोमेंटम और ट्रेंड आधारित रणनीति (Momentum and Trend Based Strategy): यह सबसे अधिक प्रयोग होने वाली एल्गो ट्रेडिंग रणनीति है। यह मार्केट के उतार चढ़ाव और ट्रेंड की हिस्टोरिकल और करंट वैल्यू डाटा का विश्लेषण करती है जिसके बाद ट्रेड को पूरा किया जाता है।
आर्बिट्रेज रणनीति (Arbitrage Strategy): आर्बिट्रेज रणनीति एल्गो ट्रेडिंग रणनीतियों में से एक है जो कंप्यूटर का उपयोग करके जितनी जल्दी संभव हो सके उतनी जल्दी मूल्य पहचानने और इसका उपयोग करने के लिए इन आर्बिट्रेज सुविधाओं का उपयोग करती है।
मीन रिवर्सन रणनीति (Mean Reversion Strategy): मीन रिवर्सन रणनीति, एल्गो ट्रेडिंग रणनीतियों में से एक है। यह रणनीति तब उपयोगी होती है, जब कीमतें बहुत ज़्यादा हाई या कम होती हैं।
लेकिन वे कुछ समय के बाद औसत या मीन (Mean) वैल्यू पर वापिस आती हैं। इसे काउंटर-ट्रेंड या रिवर्सल रणनीति के रूप में भी जाना जाता है।
स्टैटिस्टिकल आर्बिट्रेज रणनीति (Statistical Arbitrage Strategy): यह रणनीति स्टैटिस्टिक टेक्निकल पर आधारित है जो एक पैटर्न का आकलन है और भविष्य में सही प्राइस मूवमेंट निर्धारित करने में मदद करती है।
वेटेड एवरेज प्राइस सट्रेटजी (Weighted Average Price Strategy): यह ट्रेडिंग रणनीति सबसे अच्छी एल्गो ट्रेडिंग रणनीति में से एक है। यह या तो वॉल्यूम Weighted औसत वैल्यू या time-weighted औसत वैल्यू पर आधारित होता है।
यह भी पढ़ें: एल्गो ट्रेडिंग की पांच शीर्ष रणनीतियां
एल्गो ट्रेडिंग के उदाहरण
आइए, अब उन नियमों का एक उदाहरण जानते हैं जो ट्रेडिंग करने के दौरान ज्यादातर ट्रेडर उपयोग करते हैं:
राकेश तकनीकी संकेतक के रूप में मूविंग एवरेज का उपयोग करता है और कंपनी का शेयर तब खरीदता है।
जब स्टॉक की 30-दिन की ‘मूविंग एवरेज’ कीमत 180 दिनों की मूविंग एवरेज से अधिक हो जाती है और इसी तरह, जब स्टॉक की 30 दिन की ‘मूविंग एवरेज‘ 180 दिन की मूविंग एवरेज से नीचे आ जाती है तब वह स्टॉक बेचता है।
इस नियम को सॉफ्टवेयर में कंप्यूटर प्रोग्राम के रूप में आसानी से फीड किया जा सकता है।
इसलिए, यह एल्गो केवल निर्दिष्ट कंपनी के एक निश्चित संख्या के शेयर केवल तभी खरीदेंगे, जब 30 दिन का मूविंग एवरेज 180 दिन के मूविंग एवरेज से अधिक हों।
इसलिए, राकेश ने प्रोग्राम में समय, मूल्य और मात्रा को एक एल्गोरिदम के रूप में नियत किया है। वह सॉफ्टवेयर, स्टॉक की कीमत पर निगरानी रखेगा और जैसे ही पूर्व निर्धारित नियमों को पूरा किया जायेगा, ट्रेडर की तरह से ट्रेड को निष्पादित ( execute ) करेगा।
राकेश को, कीमतों का ट्रैक रखने और ट्रेडिंग की सुविधाओं की पहचान करने की आवश्यकता नहीं है, एल्गोरिदम उनके लिए यह अपने आप करेगा।
एल्गो ट्रेडिंग एनएसई
3 अप्रैल, 2008 में भारतीय सिक्योरिटीज एवं एक्सचेंज बोर्ड (SEBI) द्वारा एल्गो ट्रेडिंग की शुरुआत की गई थी। उस समय यह संस्थागत ग्राहक के लिए डायरेक्ट मार्केट एक्सेस की सुविधा देता है।
सेबी के साथ, एनएसई, एल्गो ट्रेडिंग को और अधिक विकसित करने में एक बड़ा योगदान देता है।
इसने जून 2010 में विभिन्न ब्रोकिंग फर्मों को लीज पर अतिरिक्त को-लोकेशन सर्वर ‘रैक’ की शुरूआत की जो कि ट्रेडिंग की गति (speed) में सुधार करके बहुत मदद करता है।
विभिन्न बैंकों और ब्रोकिंग फर्मों में कुछ विदेशी कंपनियों ( foreign firms) इस प्रकार हैं:
- ड्यूश बैंक(Deutsche Bank)
- सिटी बैंक(Citi Bank)
- मॉर्गन स्टेनली(Morgan Stanley)
- गोल्डमैन साक्स(Goldman Sachs)
- एमएफ ग्लोबल(MF Global)
डोमेस्टिक फर्म जो सर्वरों के साथ प्रदान की गई थीं निम्नलिखित प्रकार है:
- मोतीलाल ओसवाल(Motilal Oswal)
- जेएम फाइनेंशियल(JM Financial)
- एडलवाइस कैपिटल(Edelweiss Capital)
धीरे-धीरे, भारतीय एक्सचेंज और रैगुलेटरी बॉडीज, एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग की अवधारणा को समझ रहे हैं और इस प्रकार इसकी मांग बढ़ रही है।
एनएसई द्वारा एल्गो ट्रेडिंग की सुविधा से ट्रेडिंग डोमेन को ऑटोमैटिक करने में मदद मिलती है और इस तरह से ट्रेडर्स को निवेश करने में सहायता मिलती है।
इसके अलावा, एल्गोरिदम ट्रेडिंग की डिमांड का विश्लेषण करते हुए, एनएसई वित्तीय सूचना एक्सचेंज (FIX) प्रोटोकॉल को सक्षम करता है।
यह विदेशों में रहने वाले निवेशकों के लिए लेनदेन की गति (transaction speed) को बढ़ाने और डायरेक्ट मार्केट को एक्सेस करने में मदद करता है।
FIX प्रोटोकॉल, विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) द्वारा दिए गए ऑर्डर्स की भाषा को NSE द्वारा समझी जाने वाली भाषा में परिवर्तित करता है। यह बदले में, लेनदेन के लिए निष्पादन समय (execution time)को कम करता है।
एल्गो ट्रेडिंग एप्लीकेशन
अब आप सबसे अच्छा एल्गो ट्रेडिंग ऐप डाउनलोड करके मुश्किल ट्रेडिंग को सरल और आसान बना सकते हैं।
सेबी द्वारा एल्गो ट्रेडिंग की अवधारणा की शुरुआत होने के बाद और फिर एनएसई द्वारा, इसकी बहुत अधिक डिमांड हुई है।
समय-समय पर कई अलग-अलग सॉफ़्टवेयर प्रदान किए जाते हैं जो ट्रेडर को सहज तरीके से ट्रेड करने में मदद करते हैं। ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के साथ-साथ अलग-अलग ऐप की शुरुआत हुई है जो एल्गो ट्रेडिंग में मदद करते हैं।
भारत में विभिन्न ब्रोकर्स ने अपने ग्राहकों को अलग-अलग ऐप प्रदान करके एल्गो ट्रेडिंग की प्रक्रिया को और सरल बनाने में मदद की है। भारत में टॉप ट्रेडिंग एप्लीकेशन निम्नलिखित हैं:
- जेरोधा स्ट्रीक
- फॉक्स ट्रेडर
- सिआंग लैब
- टिक एल्गो
ये ऐप ट्रेडर्स को रणनीतिक(strategically) रूप से प्लान बनाने और सही दिशा में ट्रेड करने में मदद करते हैं।
एल्गो ट्रेडिंग ऐप का उपयोग करने के लिए, कुछ बातों को ध्यान में रखना अच्छा है जैसे कि शुल्क, कम से कम देरी के साथ लाइव डेटा शुल्क, अपनी इच्छा के अनुसार रणनीतियों को अनुकूलित और सेट अप करना आदि।
एल्गो ट्रेडिंग सॉफ्टवेयर
एल्गो ट्रेडिंग ट्रेडर्स के लिए सहायक है क्योंकि यह उन्हें एल्गोरिदम बनाने में मदद करता है जो उनके कामकाज को सहज बनाता है और उन्हें लाभ कमाने में मदद करता है।
एल्गो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के सही उपयोग के लिए आवश्यक है कि सॉफ्टवेयर परिष्कृत(sophisticated ) है और जल्दी से रिजल्ट प्रदान करता है।
एल्गो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म की कुछ आवश्यक विशेषताएं हैं:
- स्पीड: एल्गो ट्रेडिंग के लिए उपयोग किए जाने वाले सॉफ्टवेयर में अच्छी गति होनी चाहिए।
- कनेक्टिविटी: इसमें विभिन्न एक्सचेंजों के साथ अच्छी कनेक्टिविटी होनी चाहिए।
- डेटा उपलब्धता: इसमें कंपनी और मार्केट का रियल टाइम डेटा होना चाहिए।
- कस्टमाइज़ेशन: इसमें अनुकूलन के लिए एक अच्छा प्रावधान होना चाहिए।
कुछ बेहतरीन एल्गो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म या सॉफ्टवेयर्स जो उपयोग किये जाते हैं वे इस प्रकार हैं:
- ओमनीस नेस्ट : यह विभिन्न सेवाओं सहित निवेश सेवाएं, समाचार, ट्रेडिंग सलाह आदि प्रदान करता है।
- ओडिन : यह हाई परफॉरमेंस, स्पीड और बिना गलती के सही निर्णय लेने के लिए बनाया गया है।
- एल्गोनॉमिक्स : इसमें अल्ट्रा-लो लेटेंसी लेवल होता है जो बड़ी संख्या में ट्रेड करने के लिए बैंकों, फंड मैनेजरों और व्यक्तियों को निवेश करने में सहायक होता है।
- प्रेस्टो एटीएस: यह ट्रेडर को एल्गोरिदम बनाने, एक्सीक्यूट करने, तैनात करने में सहायता करता है जो बदले में भारतीय एक्सचेंज में उपलब्ध सभी एसेट्स क्लास से निपटने में मदद करता है।
एल्गो ट्रेडिंग के ब्रोकर्स
एल्गो ट्रेडिंग के लिए अलग-अलग सॉफ्टवेयर और ऐप को समझने के बाद, ट्रेडर्स के सामने आने वाली अगली महत्वपूर्ण चुनौती सही एल्गो ट्रेडिंग ब्रोकर का चयन करना है।
स्टॉक मार्केट में ब्रोकर की लिस्ट बहुत लम्बी है जो एक-दूसरे के साथ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं और वे सभी सबसे अच्छी सेवाएं प्रदान करने की कोशिश कर रहे हैं।
इससे ट्रेडर्स को सही विकल्प चुनना मुश्किल हो जाता है।
यहां कुछ विशेषताएं दी गई हैं, जिनके आधार पर आप ब्रोकर का चयन कर सकते हैं।
एपीआई के आधार पर: कई ब्रोकर ट्रेडिंग एपीआई प्रदान करते हैं जो एंब्रॉइकर / पायथन / एक्सेल आदि के साथ प्लगइन करता है। यह ट्रेडिंग की पूरी प्रक्रिया को ऑटोमैटिक करता है।
हालांकि, कुछ ब्रोकर्स हैं जो फ्री में एपीआई प्रदान करते हैं, जबकि अन्य अतिरिक्त ब्रोकरेज शुल्क लेते हैं।
यहां ब्रोकर्स और उनके संबंधित एपीआई की लिस्ट दी गई है जो उन्हें एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग प्रदान करने में मदद करता है।
एपीआई के आधार पर ब्रोकर का चयन | ||
ब्रोकर नाम | एपीआई नाम | मासिक लागत |
जेरोधा | काइट एपीआई | 2000 |
अपस्टॉक्स | अपस्टॉक्स एपीआई | 800 |
आईआईएफएल | एक्सटीएस | फ्री |
5पैसा | एक्सटीएस | फ्री |
5पैसा | 5पैसा | फ्री |
अलाइस ब्लू | एंट | फ्री |
इंटरैक्टिव ब्रोकर्स | टीडब्ल्युएस एपीआईI | फ्री |
कम्पोज़िट एज | टीडब्ल्युएस | फ्री |
एसएस कॉर्पोरेट | टीडब्ल्युएस | – |
शेयरखान | एल्गो टाइगर | फ्री |
मार्जिन: एपीआई में ट्रेडर्स के साथ कुछ जोखिम होते हैं, इसलिए, ब्रोकर से उच्च मार्जिन की उम्मीद करें। हालाँकि, आप एक्सचेंज दिशानिर्देशों और ट्रेडिंग शैली के आधार पर मार्जिन पर बातचीत कर सकते हैं।
एपीआई स्थिरता: ब्रोकर को चुनते समय सबसे महत्वपूर्ण कारक स्थिरता पर विचार करना चाहिए। ब्रोकर की स्थिरता की जांच करें और उनके एपीआई सर्वरों के बारे में सवाल करें कि यह चुनने और ट्रेड करने के लायक है।
मासिक शुल्क: अगला महत्वपूर्ण विचार मासिक एपीआई शुल्क है। यह लागत ब्रोकर से लेकर ब्रोकर तक और शून्य से लेकर ₹ 25000 प्रति आईडी प्रति माह तक होती है।
अच्छी स्थिरता और कम से कम मासिक शुल्क (ब्रोकरेज + सॉफ्टवेयर शुल्क) वाले ब्रोकर का चयन करना हमेशा अच्छा होता है।
जेरोधा एल्गो ट्रेडिंग
हालांकि, कई ब्रोकर और डिस्काउंट ब्रोकर द्वारा एल्गो ट्रेडिंग की सुविधा प्रदान की जाती है, जिसमें जेरोधा भी शामिल है।
एल्गो ट्रेडिंग, जेरोधा ट्रेडिंग की पूरी प्रक्रिया को सरल करने में मदद करता है और अन्य कई फंक्शन्स भी प्रदान करता है।
इसके अलावा, यह जेरोधा स्ट्रीक नामक एक उपकरण(tool) प्रदान करता है जो ट्रेडर्स को कोडिंग या प्रोग्रामिंग के ज्ञान के बिना भी प्लेटफॉर्म का उपयोग करने की अनुमति देता है।
आप प्लेटफॉर्म का अच्छे से उपयोग कर सकते हैं और सरल अंग्रेजी में एक एल्गोरिथ्म बना सकते हैं। सिस्टम में एंट्री औरएग्जिट की स्थिति फिर कोड में अपने आप बदल जाती है। इस प्रकार, यह किसी को भी एल्गो ट्रेडिंग करने की अनुमति देता है।
जेरोधा के साथ एल्गो ट्रेडिंग भी बैकिंग की सुविधा प्रदान करता है। इस प्रकार, जैसे ही एंट्री और एग्जिट सिग्नल मिलते हैं, सॉफ्टवेयर सिग्नल भेजता है जो ऑर्डर प्लेस कर देता है।
अप्सटॉक्स एल्गो ट्रेडिंग
अपस्टॉक्स अपने ग्राहकों को एल्गो ट्रेडिंग का प्रावधान और लाभ भी प्रदान करता है।
यह REST और WebSockets के संयोजन(combination) का उपयोग करता है जो खाते के लिए लाइव मार्केट कोट्स, ऑर्डर और ट्रेड प्रदान करते हैं।
अपस्टॉक्स एपीआई, लो-लेटेंसी स्ट्रीमिंग डेटा प्रदान करता है और इस तरह से ट्रेडिंग को सरल और रिलाएबल बनाता है।
मास्टरट्रस्ट एल्गो ट्रेडिंग
हालांकि ब्रोकर निरंतर विकास कर रहा है लेकिन अपने ग्राहकों के लिए एल्गो ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म के साथ मजबूत ट्रेडिंग लाभ भी प्रदान करता है।
यह ब्रोकर, सॉफ्टवेयर प्रदान करता है जो ग्राहक को टेक्नोलॉजी ड्रिवेन ट्रेड करने में मदद करता है और एक बेहतर ट्रेडिंग अनुभव प्राप्त करता है।
फॉरेक्स एल्गो ट्रेडिंग
ट्रेडिशनल या ट्रेडिंग के पहले दिनों के दौरान, फॉरेक्स मार्केट ट्रेडिंग आमतौर पर टेलीफोन पर आयोजित किया जाता था।
तकनीकी प्रगति की शुरुआत के साथ, फॉरेक्स मार्केट में एक बड़ा परिवर्तन आया है। अब ट्रेडर्स के लिए कंप्यूटर पर जल्दी से ट्रेड करना संभव है, जिससे रिटेल ट्रेडर्स मार्केट में एंटर कर सके।
इसके अलावा, ऑनलाइन ट्रेडिंग ने कीमतों को अधिक स्पष्ट कर दिया है, जिससे किसी भी धोखाधड़ी को कम किया जा सकता है।
इन सभी परिवर्तनों के साथ, एल्गोरिथम ट्रेडिंग द्वारा एक और बड़ा बदलाव लाया गया है।
पिछले कुछ वर्षों में फॉरेक्स मार्केट में एल्गो ट्रेडिंग में बहुत वृद्धि हुई है।
एक्सेक्यूशन जैसी प्रक्रियाओं को करने में कम शुल्क इसके पीछे का प्रमुख कारण है।
इसमें कोई संदेह नहीं है कि एल्गोरिथ्म ट्रेडिंग के साथ ऑटोमैटिक ट्रेडिंग, मैन्युअल एक्सेक्यूशन से अधिक सरल और सहायक है।
इसके अलावा, बैंक इस तकनीक का लाभ उठाते हैं और करेंसी पेयर्स की नई कीमतों का उपयोग ऑनलाइन करते हैं। इस प्रकार यह मार्केट की कीमतों को कोटिंग करने की गति में सुधार करता है जो बदले में मैनुअल वर्क के घंटों को कम करता है।
फॉरेक्स एल्गो ट्रेडिंग के कुछ प्रमुख फायदे इस प्रकार हैं:
- मैनुअल काम को कम करना
- गति को बढ़ाना
- जोखिम को कम करना
- लेन-देन लागत कम करना
इस लाभों के अलावा, फॉरेक्स एल्गो ट्रेडिंग के साथ नीचे उल्लिखित कुछ जोखिम जुड़े हुए हैं:
- ट्रेडिंग में असंतुलन जिसके कारण मार्केट में विखंडन हुआ और समय के साथ लिक्विडिटी की कमी हुई।
- मार्केट की स्थितियों में बदलाव के प्रति एल्गोरिदम की तेज प्रतिक्रिया
सभी एल्गोरिदम ट्रेडिंग के साथ, निवेशक बेहतर ट्रांसपेरेंसी और प्राइस इन्कन्सीस्टेंसीस के संपर्क में आने की उम्मीद कर रहे हैं। यह ट्रेडर्स के लिए बेहतर और लाभदायक अवसर लाता है।
एल्गोरिदमिक ट्रेडिंग रिटर्न
एक सकारात्मक रिटर्न मानना या प्राप्त करना अवास्तविक है क्योंकि ट्रेडिंग कम कीमत पर खरीदना और उस सामान को उच्च कीमत पर बेचने के बारे में है।
हर कोई पैसा और लाभ कमाने के उद्देश्य से ट्रेडिंग करता है।
एक ट्रेडर के रूप में, आपको वर्षों के अनुभव के साथ बहुत स्मार्ट, जानकार और कड़ी मेहनत करने की आवश्यकता है।
आप एल्गोरिदम ट्रेडिंग के साथ रिटर्न की उम्मीद कर सकते हैं लेकिन हर चीज़ के लिए सॉफ्टवेयर पर निर्भर रहना अच्छा नहीं है।
अपने आप को समय दें और एल्गोरिदम ट्रेडिंग से प्रति माह एक रियलिस्टिक रिटर्न कमाएं।
जब विकल्पों की बात आती है, तो आप एक दिन पैसा कमा सकते हैं, जबकि दूसरे दिन आपको नुकसान भी हो सकता है।
यदि आप एक सफल सिस्टम विकसित करते हैं, जो उचित मनी मैनेजमेंट करते हैं, सिस्टम के अनुसार जोखिम पूंजी रखते हैं, और असली पैसे के साथ ट्रेडर करते हैं तो आप एल्गो ट्रेडिंग के साथ अच्छा लाभ कमा सकते हैं।
सभी एल्गो ट्रेडिंग में केवल 10% एल्गोरिदम शामिल है जबकि 90% हिस्सा आपके कौशल( skills) और मनी प्रबंधन, जोखिम प्रबंधन और जीरो इमोशंस में होता है।
एल्गो ट्रेडिंग के लाभ
हमने देखा है कि एल्गो ट्रेडिंग एक नई तकनीक है और ट्रेडिंग के पुराने तरीकों पर इसके कई लाभ हैं। इसके अधिकांश लाभ गति, सटीकता और लागत में कमी से संबंधित हैं। एल्गो ट्रेडिंग के लाभ प्रकार हैं:
गति: गति: एल्गोरिदम एक ही समय में कई कारकों, नियमों और टेक्निकल इंडीकेटर्स पर विचार करके उनका विश्लेषण करते हैं और कुछ सेकंड में ट्रेडों को निष्पादित(execute) करते हैं।
यह हाई स्पीड बहुत फायदेमंद हो जाती है क्योंकि ट्रेडर द्वारा आवश्यक कीमतें ली जाती है।
ऑर्डर कुछ सेकंड के भीतर दर्ज किए जाते हैं और स्टॉप लॉस के हिट होते ही एग्जिट भी उतना ही तेज़ हो जाता है।
एक्यूरेसी: सटीकता: एल्गो ट्रेडिंग का एक बड़ा लाभ कि इसमें रोबोटिक फीचर है जिसकी वजह से इसमें बहुत कम मनुष्य काम करते हैं, इसलिए इसमें गलतियों की बहुत कम संभावना है।
एल्गो की जाँच की जाती है और वे मानवीय गलतियों से प्रभावित नहीं होते हैं। एक ट्रेडर मूविंग-एवरेज का विश्लेषण करने में गलती कर सकता है लेकिन कंप्यूटर प्रोग्राम नहीं करता है।
ट्रेडिंग को अधिकतम सटीकता के साथ आवश्यकतानुसार पूरा किया जाता है।
लागत में कमी: एल्गो ट्रेडिंग के उपयोग के साथ, एक समय में ट्रेडिंग की उच्च मात्रा को एक्सीक्यूट किया जा सकता है और इससे ट्रांजेक्शन शुल्क में कमी आती है।
मार्केट की मात्रा में वृद्धि: चूंकि एल्गो ट्रेडिंग कुछ सेकंड के भीतर शेयरों की बड़ी मात्रा में ट्रेडिंग करने में सक्षम बनाता है। इसलिए यह मार्केट की कुल मात्रा और लिक्विडिटी को बढ़ाता है और ट्रेडिंग प्रक्रिया को अधिक प्रबंधित और सरल बनाता है।
कोई भावनात्मक लगाव नहीं: ऐसे कई समय होते हैं जब एक ट्रेडर गलत निर्णय लेता है क्योंकि वह या तो बहुत लालची या बहुत डर होता है। वह अधिक मुनाफा कमाना या अपने नुकसान को कम करना चाहता है, वह आखिरी मिनट में अपनी ट्रेडिंग रणनीति बदलता है और उसे बड़ी हानि होती है।
एल्गो ट्रेडिंग के उपयोग के साथ, भावनाओं का प्रभाव कम हो जाता है और ट्रेडिंग अनुशासित रहती है।
एल्गोरिदम ट्रेडिंग को संसाधित करेगा और “ट्रेडर को क्या लगता है” कि रणनीति को अंतिम मिनट में नहीं बदला जाएगा।
एल्गोरिदम ट्रेडर को ट्रेडिंग की योजना बनाने में मदद करता हैं और फिर योजना के अनुसार ट्रेडिंग होती है।
एबिलिटी टू बैकटेस्ट: एल्गो ट्रेडिंग के फायदों में से एक यह है कि नए प्रोग्राम बनाए जा सकते है।
यह देखने के लिए कि क्या रणनीति काम करती है या नहीं, ऐतिहासिक डेटा पर सबसे पहले बैकस्टेस्ट किया जाता है।
नतीजे के आधार पर, ट्रेडर या प्रोग्राम में बदलाव कर सकते हैं और इसे पूरा करने तक इसे ठीक से ट्यून कर सकते हैं।
एल्गो ट्रेडिंग के नुकसान
तकनीक के सभी अन्य रूपों की तरह, एल्गो ट्रेडिंग में कई कमियां भी हैं। सबसे बड़ी कमी मशीनों और तकनीकी पर निर्भरता है। यदि सिस्टम या मशीन काम नहीं करते हैं, तो पूरा ट्रेडिंग सेटअप बेकार हो जाता है।
ट्रेडर को सीखना चाहिए कि कैसे जटिल एल्गोरिदम बनाने के लिए और साथ ही, निर्देशित सभी प्रोग्राम वास्तव में लाइव सिनेरियो में काम नहीं कर सकते हैं।
एल्गो ट्रेडिंग की एक और बड़ी कमी यह है कि एक बार एल्गोरिदम निर्देशित होने और काम शुरू करने के बाद ट्रेडर के हाथों में बिल्कुल नियंत्रण नहीं होता है।
यहां तक कि यदि ट्रेडर को पता चलता है कि ट्रेडिंग में भारी नुकसान होगा, तो भी वह उस ट्रेडिंग को रोकने के लिए कार्यक्रम में हस्तक्षेप और परिवर्तन नहीं कर सकता है।
निष्कर्ष
ट्रेडिंग के सभी रूपों की तरह, एल्गो ट्रेडिंग के अपने फायदे और नुकसान हैं।
ट्रेडर्स को एल्गोरिदम बनाते समय सावधान रहना चाहिए और वास्तविक जीवन में लागू करते समय उचित ध्यान रखना चाहिए।
यदि आप भारत में शीर्ष स्टॉक ब्रोकर्स में से एक के साथ एल्गो ट्रेडिंग के साथ शुरुआत करना चाहते हैं, तो बस नीचे दिए गए फॉर्म में कुछ बुनियादी विवरण भरें। आपके लिए एक कॉलबैक की व्यवस्था की जाएगी