Option Trading in Hindi

डेरीवेटिव के बारे में और जानें

ऑप्शन ट्रेडिंग एक तरह का डेरीवेटिव कॉन्ट्रैक्ट जो आपको ट्रेडिंग में भी पोजीशन सेटल करने का विकल्प देता है। लेकिन ये किस तरह से काम करता है इसमें किस तरह से पोजीशन ली जाती है और इसमें कितना मुनाफा कमाया जा सकता है ये सब समझना एक शुरुआती ट्रेडर का समझना चुनौतीपूर्ण होता है। तो आपकी इसी मुश्किल को थोड़ा हल करते है और विस्तार में समझते है की ऑप्शन ट्रेडिंग क्या होता है (option trading in hindi)।

इस लेख के अंत तक आप जान पाएंगे की:

  • ऑप्शन ट्रेडिंग मीनिंग क्या है
  • ऑप्शन ट्रेडिंग के प्रकार
  • ऑप्शन को कैसे ख़रीदे और बेचे
  • ऑप्शन चैन और उससे जुड़े ज़रूरी पहलू
  • ऑप्शन एक्सपायरी

और सबसे ज़रूरी,

  • ऑप्शन ट्रेडिंग के लिए कौन सा स्टॉक ब्रोकर सही है

तो चलिए शुरू करते है


Option Trading Meaning in Hindi

आइए, अब ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में विस्तार से चर्चा करते हैं। स्टॉक मार्केट में दो तरह के ट्रेडर होते है, बायर और सेलर। अब ये दोनों ट्रेडर की मानसिकता, मार्केट को लेकर उनका विश्लेषण एक दूसरे से बिलकुल विपरीत होता है।

अगर बायर मार्केट को लेकर बुलिश है तो सेलर बेयरिश। अब इसी सोच और स्ट्रेटेजी के साथ दो लोग ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में आते है जिसमें अगर ऑप्शन ट्रेडिंग के बेसिक्स (option trading basics in hindi) को समझे तो ये एक तरह का, कॉन्ट्रैक्ट का एक रूप है।

कॉन्ट्रैक्ट? अब ये क्या होता है?

आप जब किसी शेयर को बाय करते है तो उस ट्रेड की पूरी वैल्यू देकर उसमे पोजीशन लेते है और जब स्टॉक का दाम ऊपर जाता है तो उसमे प्रॉफिट बुक कर स्क्वायर ऑफ करते है। ये तो हुई आम ट्रेडिंग की बात।

लेकिन अगर आपको कहा जाए की 1,00,000 की ट्रेडिंग के लिए आपको सिर्फ 10,000 देने है और आने वाले समय में अगर मार्केट आपके विपरीत जाए तो आप बिना ट्रेड को सेटल किये उसमे से निकल सकते है तो?

है न कुछ अलग और फायदे का सौदा भी?

इसमें कोई दो राय नहीं है कि ऑप्शन में अगर सही समझ के साथ पोजीशन ली जाए तो आप बहुत पैसा कमा सकते है लेकिन ये इतना आसान नहीं है। और अगर ऑप्शन में कम समझ के साथ ट्रेड किया जाए तो इसमें नुकसान भी कई ज़्यादा हो सकता है।

खैर ये सब बाते हम आगे इस लेख में विस्तार में समझेंगे, लेकिन पहले इसके मीनिंग (option trading in hindi) को जानते है। 

ऑप्शन ट्रेडिंग वह ट्रेडिंग प्रकार है जहां एक सेलर ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट लिखता है और बायर प्रीमियम देकर आने वाले निर्धारित समय (option expiry) पर उस प्राइस पर उस कॉन्ट्रैक्ट के अंतनिर्हित परिसम्पति (underlying asset) को खरीदने या बेंचे का अधिकार रखता है लेकिन बाध्य नहीं होता

यहाँ पर क्योंकि सेलर ऑप्शन प्रीमियम देकर उस कॉन्ट्रैक्ट को बेचता है तो वह एक्सपायरी वाले दिन उस अंतनिर्हित परिसम्पति को बेचने या खरीदने के लिए बाध्य होता है

*जिस प्राइस पर आप शेयर को खरीदने या बेचने का अधिकार प्राप्त करते है उसे स्ट्राइक प्राइस कहते है। 


Option Trading Example in Hindi

अगर आप ऑप्शन ट्रेडिंग से Nifty 50 me nivesh kaise kare की जानकारी चाहते है तो उसके लिए यहाँ एक उदाहरण दिया गया है

ऑप्शन ट्रेडिंग को और बारीकी से जानने के लिए एक उदाहरण लेते है। मान लेते है कि निफ़्टी 18000 की वैल्यू पर ट्रेड कर रहा है और आप आने वाले 1 महीने के लिए बुलिश है। 

इसके चलते आपने 18000 निफ़्टी का ऑप्शन ₹150 प्रीमियम देकर बाय कर लिया जिसकी एक्सपायरी 1 महीने बाद है।  अब एक महीने बाद निफ़्टी की वैल्यू बढ़कर 18300 हो गयी। 

यहाँ पर ऑप्शन बायर जिसने 18000 का निफ़्टी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट ख़रीदा हुआ था वह सेलर को 18000 के हिसाब से ट्रेड सेटल करने के लिए कह सकता है और ऑप्शन सेलर उस ट्रेड को पूरा करने के लिए बाध्य होगा। 

यहाँ पर बायर का प्रॉफिट (18300-18000-150) ₹150 प्रति यूनिट होगा। 

अब अगर मार्केट एक्सपायरी वाले दिन 18000 से नीचे बंद होती है, मान लेते है कि 17900 पर एक्सपायर हुई तो वहां पर ये ऑप्शन बायर बिना सेटलमेंट के ट्रेड से बाहर निकल सकता है लेकिन हां यहाँ पर बायर के पूरे प्रीमियम का नुकसान होगा। 

एक तरफ जहा ट्रेड सेटल करने पर बायर का मुनाफा होता है वही सेलर का नुकसान होता है जो असीमित होता है।  ट्रेड सेटल न होने पर ऑप्शन बायर को प्रीमियम का नुकसान होता है और सेलर का प्रॉफिट।  


Call and Put Option in Hindi

ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading in Hindi) की मूल जानकारी को जानने के बाद आइए, अब ऑप्शन के प्रकारों पर बात करते हैं। बुलिश और बेयरिश मार्केट में बायर के पास बाय और सेल करने का अधिकार प्राप्त करने के लिए दो विकल्प होते है, जिसे ऑप्शन के प्रकार के अंतर्गत कॉल और पुट ऑप्शन कहा गया है।  

बायर के अनुसार समझे तो जिस ऑप्शन में प्रीमियम देने पर एक ट्रेडर को एक्सपायरी पर खरीदने का अधिकार मिलता है उसे कॉल ऑप्शन और जिस ऑप्शन में ऑप्शन बायर को बेचने का अधिकार मिलता है उसे पुट ऑप्शन कहा जाता है। 

आइये इसे थोड़ा और विस्तार में समझे:

कॉल ऑप्शन: कॉल ऑप्शन जिसमे ऑप्शन का खरीदार बुलिश होता है और इसलिए ऑप्शन एक्सपायरी पर अंतनिर्हित परिसम्पति को खरीदने के लिए ऑप्शन बाय करता है।

वह ऑप्शन सेलर जो मार्केट को लेकट बेयरिश है वह प्रीमियम लेकर पोजीशन लेता है और उस अंतनिर्हित परिसम्पति को एक्सपायरी पर बेचने के बाध्य होता है

उदाहरण के लिए, यदि XYZ का स्टॉक ₹273 प्रति शेयर पर ट्रेड हो रहा है और ट्रेडर ₹275 प्रति शेयर ख़रीदने के लिए कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में प्रवेश करता है तो कॉल ऑप्शन के ख़रीदार को ₹275 प्रति शेयर पर ही स्टॉक खरीदने का अधिकार रखता है।  

ट्रेडर इस कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी डेट (समाप्ति तिथि) जो की एक महीने बाद का है, अगर उस समय  स्टॉक मूल्य ₹280 हो जाये तब भी बायर स्ट्राइक मूल्य यानी की  ₹275 पर XYZ के शेयर ख़रीद सकता है।

इसके अलावा ऊपर दिया गया उदाहरण भी कॉल ऑप्शन का ही है

पुट ऑप्शन:  पुट ऑप्शन एक ऑप्शन ट्रेडिंग कॉन्ट्रैक्ट है जिसमें खरीदार को अपनी आधारभूत फाइनेंशियल को भविष्य में निर्धारित समय के दौरान निर्धारित मूल्य पर बेचने का अधिकार होता है।

इस तरीके से सिक्योरिटीज का मालिक अपनी सिक्योरिटीज की सेल वैल्यू को पूर्व में निर्धारित करके मार्केट में होने वाली गिरावट के खिलाफ खुद को सुरक्षित कर सकता है।  

अगर सिक्योरिटीज की क़ीमत एक्सपायरी डेट (समाप्ति तिथि) से पहले स्ट्राइक मूल्य से नीचे आती है तो ट्रेडर अपने करंट मार्केट वैल्यू की जगह अपनी स्ट्राइक वैल्यू पर इन सिक्योरिटीज को बेच कर इसमें होने वाले नुकसान कम करके उससे बच जाता है।

हालांकि, अगर सिक्योरिटीज की कीमत समान रहती है या बढ़ जाती है, तो वो ऑप्शन का प्रयोग ना करके आगे होने वाले प्रॉफिट का विकल्प चुन सकता है।

उदाहरण के लिए, यदि ABC के शेयर ₹190 प्रति शेयर पर ट्रेड हो रहे है और ट्रेडर ₹185 प्रति शेयर के स्ट्राइक प्राइस पर पुट ऑप्शन खरीदता है तो वह एक्सपायरी वाले दिन ABC के शेयर को 185 रुपये के हिसाब से बेच सकता है। 

अब मान लेते है की शेयर का  प्राइस ₹170 तक पहुंच गया तो यहाँ पर क्योंकि ट्रेडर ने पहले से पुट ऑप्शन ख़रीदा हुआ है तो वह उसे 185 रुपये के हिसाब से बेच मुनाफा कमा सकता है। 


Moneyness in Option in Hindi

ऑप्शन ट्रेडिंग में प्रीमियम, स्ट्राइक प्राइस और करंट मार्केट प्राइस जिसे स्पॉट प्राइस भी कहा जाता है उसकी बहुत अहम भूमिका है और इन तीनो प्राइस के बीच के सम्बन्ध को ऑप्शन में मोनीनेस कहा जाता है। 

इसको थोड़ा सरल करते है, कई बार आपने देखा होगा कि किसी ऑप्शन की वैल्यू (प्रीमियम) काफी ज़्यादा होता है और वही कुछ ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट काफी कम वैल्यू पर उपलब्ध होते है, इसकी गणना स्ट्राइक प्राइस और स्पॉट प्राइस के बीच वैल्यू का कितना अंतर है उसके आधार पर किया जाता है। 

मोनीनेस को समझने के लिए इन्ट्रिंसिक वैल्यू के बारे में जानते है। 

ऑप्शन में इन्ट्रिंसिक वैल्यू यानी की आतंरिक मूल्य वह अमाउंट है जो एक बायर को उसके मुनाफे की गणना करने में मदद करता है या एक तरह से कहे की ये वह मिनिमम वैल्यू है जो एक सेलर बायर से प्रीमियम के रूप में लेता है। 

इसकी गणना स्ट्राइक प्राइस और स्पॉट प्राइस के अंतर से की जाती है। कॉल और पुट ऑप्शन के लिए ये वैल्यू अलग अलग तरह से निकली जाती है:

  • कॉल ऑप्शन: स्पॉट प्राइस-स्ट्राइक प्राइस
  • पुट ऑप्शन: स्ट्राइक प्राइस-स्पॉट प्राइस

इन्ट्रिंसिक वैल्यू हमेशा पॉजिटिव होती है। चलिए इसे समझने के लिए एक उदाहरण लेते है:

मान लेते है की निफ़्टी 18000 पर ट्रेड कर रहा है और आप इसका 17700 का कॉल ऑप्शन खरीदना चाहते है। अब यहाँ पर इसके इन्ट्रिंसिक वैल्यू:

18000-17700 
=300 

ये न्यूनतम प्रीमियम है जो आपको सेलर को देना होता है। 

अब इस स्थिति को थोड़ा बदलते है, मान लेते है की आप 18300 वाले निफ़्टी का कॉल ऑप्शन खरीदना चाहते है तो यहाँ पर इन्ट्रिंसिक वैल्यू होगी:

18000-18300
=-300 

अब जैसे की बताया गया है कि ऑप्शन में आतंरिक मूल्य हमेशा  पॉजिटिव होता है तो यहाँ पर हम इसको 0 (जीरो) कर देंगे। 

इसके आधार पर स्ट्राइक प्राइस को तीन भागो में बांटा जाता है जिसे हम मोनीनेस इन ऑप्शन कहते है:

  • इन द मनी (ITM): जिसका आतंरिक मूल्य पॉजिटिव होता है। कॉल ऑप्शन में स्पॉट प्राइस से कम वाले स्ट्राइक प्राइस और पुट ऑप्शन में ज़्यादा वैल्यू वाले स्ट्राइक प्राइस इन द मनी केटेगरी में आते है। 
  • एट द मनी (ATM): वह स्ट्राइक प्राइस जिसका आतंरिक मूल्य जीरो के बराबर होता है या आसान भाषा में जिसकी वैल्यू स्पॉट प्राइस के बराबर या उसके सबसे करीब होती है उसे एट द मनी ऑप्शन कहा जाता है। 
  • आउट ऑफ़ द मनी (OTM): वह स्ट्राइक प्राइस जिसका आतंरिक मूल्य नेगेटिव होता है (यानी जीरो) उसे आउट ऑफ़ द मनी ऑप्शन कहा जाता है।  कॉल ऑप्शन में ये वह स्ट्राइक प्राइस होते है जिसकी वैल्यू स्पॉट प्राइस से ज़्यादा होती है और पुट ऑप्शन में कम वह स्ट्राइक प्राइस OTM ऑप्शन में आते है जिनकी वैल्यू स्पॉट प्राइस से कम होती है। 

Option Premium in Hindi

ऑप्शन में मोनीनेस और इन्ट्रिंसिक वैल्यू को समझने के बाद अब जानते है की ऑप्शन प्रीमियम की गणना किस प्रकार की जाती है। इसके मीनिंग को देखे तो यह वह राशि है जो एक बायर किसी भी ऑप्शन में पोजीशन लेने के लिए सेलर को देता है। 

इसकी गणना ब्लैक-स्कोल्स फार्मूला से की जाती है लेकिन अगर हम किसी भी स्ट्राइक प्राइस के लिए इसे समझे तो ये दो पैरामीटर पर निर्भर करता है:

  • इन्ट्रिंसिक वैल्यू (आतंरिक मूल्य)
  • टाइम वैल्यू

इन्ट्रिंसिक वैल्यू के बारे में तो आप जान ही चुके है, अब जानते है की टाइम वैल्यू क्या होती है। हर एक ऑप्शन एक निर्धारित एक्सपायरी के साथ आता है, उदाहरण के लिए किसी भी इंडेक्स की एक्सपायरी साप्तहिक और मासिक होती है आप अपने एनालिसिस के अनुसार किसी भी एक्सपायरी को चुन सकते है।

लेकिन आप जितनी दूर के ऑप्शन को चुनेंगे आपके ऑप्शन से प्रॉफिट कमाने के अवसर उतने ज़्यादा होते है, एक तरह से देखा जाये तो सेलर का रिस्क उतना ज़्यादा होता है और इसलिए वह आपसे टाइम के लिए अतिरिक्त कीमत वसूलता है जिसको टाइम वैल्यू कहा जाता है। 

टाइम वैल्यू समय के साथ कम होता रहता है और OTM ऑप्शन में प्रीमियम की गणना सिर्फ टाइम वैल्यू के आधार पर की जाती है।  दूसरी तरफ इन द मनी (ITM) ऑप्शन में इन्ट्रिंसिक वैल्यू और टाइम वैल्यू दोनों होते है। 

यही कारण होता है कि इन द मनी ऑप्शन महंगे और आउट ऑफ़ द मनी ऑप्शन कम प्रीमियम पर उपलब्ध होते है। 


ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं?

अब ऑप्शन ट्रेडिंग (option trading in hindi) को समझने के बाद जानते है कि ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते है?

ऑप्शन में बाय और सेल करने की प्रक्रिया वैसे ही है जैसे दूसरे ट्रेडिंग प्रकार में है लेकिन क्योंकिं इसमें दो तरह के प्रकार होते है और कब कौनसे ऑप्शन में ट्रेड करना सही होता है समझना काफी चुनौतीपूर्ण हो सकता है तो इसके लिए जानते है कि इस ट्रेडिंग को करने के लिए क्या-क्या ज़रूरी है। 

सबसे पहले किसी भी शेयर या इंडेक्स का ऑप्शन खरीदने या बेचने से पहले ज़रूरी है मार्केट के ट्रेंड को एनालाइज करना। अगर मार्केट बुलिश है तो आप कॉल ऑप्शन को खरीद या पुट ऑप्शन को बेचने का विकल्प चुन सकते है। 

वही दूसरी तरफ मार्केट जब बेयरिश ट्रेंड में होती है तो कॉल ऑप्शन को बेचने और पुट ऑप्शन को खरीदने का विकल्प एक ट्रेडर को मिलता है। ट्रेंड के विश्लेषण के बाद आप ऑप्शन ट्रेडिंग का विश्लेषण करने के लिए ऑप्शन चैन का  विश्लेषण कर सकते है। 

आइये अब जानते है कि ऑप्शन चैन क्या होती है। 

Option Chain Analysis in Hindi

ऑप्शन चैन एक तरह का ऑप्शन मैट्रिक्स है जो आपको स्टॉक और इंडेक्स के सभी ऑप्शन  कॉन्ट्रैक्ट, उसके स्ट्राइक प्राइस, प्रीमियम, एक्सपायरी और अन्य जानकारी देती है

अब मार्केट के ट्रेंड के अनुसार आपने कॉल या पुट में ट्रेड करने का फैसला किया भी तब भी किस स्ट्राइक प्राइस पर ट्रेड करना ज़्यादा फायदेमंद हो सकता है, ये एक और चुनौती है जो ऑप्शन ट्रेडर के सामने आती है

तो यहाँ पर ऑप्शन चैन में दिए हुए पैरामीटर की मदद से आप कॉल और पुट ऑप्शन में सही स्ट्राइक प्राइस का चुनाव कर सकते है। सही प्राइस के लिए ऑप्शन चैन में आपको ओपन इंटरेस्ट, इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी, वॉल्यूम जैसे पैरामीटर होते है जो ऑप्शन ट्रेडिंग के इंडिकेटर की तरह काम करते है।

चलिए इन सब पैरामीटर को थोड़ा सा जाने

Open Interest in Hindi

ओपन इंटरेस्ट आपको किसी भी स्ट्राइक प्राइस पर कितने कॉन्ट्रैक्ट या सरल भाषा में कितनी पोजीशन ओपन है उसकी जानकारी देता है। अब हर पोजीशन के लिए एक बायर और सेलर दोनों होते है, तो यहाँ पर जब भी ओपन इंटरेस्ट 1 वैल्यू से बढ़ता है तो इसका मतलब 1 नया बायर और सेलर मार्केट में नई पोजीशन ले रहा है।

वही जब किसी स्ट्राइक प्राइस से 1 बायर और सेलर निकलता है तो ओपन इंटरेस्ट की वैल्यू कम होती है

लेकिन इससे एक ट्रेडर को क्या जानकारी मिलती है?

ओपन इंटरेस्ट का डाटा आपको किसी भी स्ट्राइक प्राइस में ट्रेडर ट्रेड करने के लिए कितने इच्छुक है उसका पता चलता है। ज़्यादा ओपन इंटरेस्ट ज़्यादा डिमांड और कम ओपन इंटरेस्ट कम डिमांड का संकेत देती है।

तो आप किस स्ट्राइक प्राइस में ट्रेड करना चाहेंगे, जिसकी डिमांड कम हो या ज़्यादा?

इसके साथ प्राइस यानी की प्रीमियम वैल्यू के साथ इसको समझना चाहिए जिसका विवरण नीचे टेबल में दिया गया है:

Implied Volatility in Hindi

ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए दूसरा सबसे ज़रूरी पहलू, इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी होता है। एक तरफ जहाँ स्टॉक की हिस्टोरिकल वोलैटिलिटी पिछले प्राइस डाटा के अनुसार मार्केट की अस्थिरता की जानकारी देती है वही इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी आने वाले अस्थरिता के बारे में बताती है।

इसको समझने के लिए एक उदहारण लेते है: मान लेते है की जिस स्ट्राइक प्राइस में आप ट्रेड करना चाहते है उसकी IV 25% है। इसका मतलब की वह स्टॉक एक्सपायरी तक का प्रीमियम एक्सपायरी तक 25% कम या ज़्यादा हो सकता है।

अब अगर उस पोजीशन का प्रीमियम 100 रुपये है तो इसका मतलब एक्सपायरी तक प्रीमियम 75 रुपये से 125 तक जा सकती है। इस तरह से अगर ऑप्शन में इंट्राडे या एक्सपायरी से पहले अपनी पोजीशन से निकलना चाह रहे है तो टारगेट और स्टॉप लॉस वैल्यू की गणना कर सकते है।

Option Greeks in Hindi

इसके बाद आते है ऑप्शन ग्रीक, ये ऑप्शन प्रीमियम, एक्सपायरी, वोलैटिलिटी आदि की गणना कर ऑप्शन मार्केट से जुड़े रिस्क और रिटर्न की जानकारी प्रदान करते है

ये चार प्रकार के होते है:

Option Delta in Hindi

ऑप्शन का प्रीमियम कितनी तेज़ी से घटेगा या बढ़ेगा उसकी जानकारी डेल्टा से मिलती है। ये कॉल ऑप्शन के लिए 0 से 1 और पुट ऑप्शन के लिए -1 से 0 होता है। एक तरह से स्टॉक या इंडेक्स के 1 रुपये बढ़ने या घटने पर प्रीमियम कितना बदलेगा उसकी जानकारी देता है।

तो अगर किसी कॉल ऑप्शन का प्रीमियम 100 रूपये है और डेल्टा 0.5। अब मान लेते है की शेयर की वैल्यू 5 रुपये बढ़ गयी तो यहाँ पर प्रीमियम [100+(5*0.5)] 102.5 रुपये हो जाएगा।

Option Gamma in Hindi 

अब प्रीमियम की तरह डेल्टा की वैल्यू भी बदलती रहती है। तो यहाँ पर 1 यूनिट प्रीमियम बढ़ने या घटने पर डेल्टा की वैल्यू कितनी बढ़ेगी या घटेगी, इसकी जानकारी ऑप्शन ग्रीक गामा से मिलती है। 

इसकी वैल्यू काफी कम होती है और ये दोनों कॉल और पुट ऑप्शन के लिए पॉजिटिव होता है

Option Vega in Hindi 

ऊपर हमने इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी के बारे में बताया है, अब IV सीधे प्रीमियम  को तेज़ी से घटाता और बढ़ाता है। ये ग्रीक बताता है की 1% इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी  बदलने पर प्रीमियम कितना बदलेगा।

उदाहरण के लिए अगर वेगा 0.15, और ऑप्शन का प्रीमियम 100 रुपये और वोलैटिलिटी 10%, यानी की स्टॉक का प्रीमियम 90 रुपये से 110 रुपये के बीच रहेगा

अब अगर इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी 15% हो जाए तो (5*0.15) 0.75 रुपये बढ़ जाएगा यानी की 100 से 100.75 हो जाएगा। यहाँ पर आपको बता दे की इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी के बढ़ने से प्रीमियम बढ़ता है और घटने से कम होता है।

Option Theta in Hindi 

आखिरी ऑप्शन ग्रीक है ऑप्शन थीटा जो आपको टाइम वैल्यू की जानकारी देता है। जैसे की आप जानते है की प्रीमियम दो चीज़ो से आधार पर कैलकुलेट किया जाता है, इन्ट्रिंसिक वैल्यू और टाइम वैल्यू।

इन दोनों फैक्टर में टाइम एक ऐसा फैक्टर है  समय घटता है और इसलिए प्रीमियम की वैल्यू हर समय कम होती रहती है। अब अगर आपने स्टॉक ऑप्शन तब ख़रीदा था जब उसकी एक्सपायरी को 4 दिन बचे थे और अब उसमे दो दिन बचे है तो प्रीमियम कितनी वैल्यू तक कम हुआ होगा उसकी गणना थीटा से की जाती है।

क्योंकि ये हमेशा गिरती हुई वैल्यू की जानकारी देता है इसलिए ये हमेशा नेगेटिव होता है


Option Trading Strategies in Hindi 

यह कई बार देखा गया है कि बहुत सारे ट्रेडर, विशेष रूप से नए ट्रेडर, बिना किसी समझ और कांसेप्ट को जाने बिना ऑप्शन ट्रेडिंग(Option Trading in Hindi) करने लग जाते हैं। 

यह समझने की जरूरत है कि अगर सही रणनीतियों के साथ की गई ऑप्शन ट्रेडिंग आपके नुकसान को सीमित करने और आपके मुनाफे को ऊपर उठाने में मदद कर सकती है।

उस स्तर पर जाने के लिए, आपको बस कुछ बुनियादी और एडवांस लेवल की ऑप्शन  ट्रेडिंग रणनीतियों को समझने की आवश्यकता है।

हम आपके संदर्भ के लिए कुछ टॉप स्ट्रेटेजीज़ को सूचीबद्ध कर रहे हैं:

अन्य ऑप्शन स्ट्रेटेजीज़ टन में हैं जिनमें प्रावधानों, कार्यों और जोखिमों और मुनाफे का अपना सेट है।


ऑप्शन ट्रेडिंग में कितना चार्ज लगता है?

अब ट्रेड करना है तो ब्रोकरेज शुल्क भी देना होगा। बात करें ऑप्शन ट्रेडिंग शुल्क की तो ये ब्रोकर की सर्विस पर निर्भर करता है।  उदाहरण के लिए एक डिस्काउंट ब्रोकर जैसे ज़ेरोधा प्रति ट्रेड पर रु20 चार्ज करता है और वही फुल सर्विस ब्रोकर जैसे मोतीलाल ओसवाल रु20 प्रति लॉट लेता है।

अलग-अलग ब्रोकर के ऑप्शन ट्रेडिंग शुल्क नीचे टेबल में दिए गए है:

इसके अलावा कुछ टैक्स जैसे STT, GST, Stamp duty का भी प्रति ट्रेड और आर्डर के अनुसार भुगतान करना होता है


ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स

यदि आप ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading in Hindi) की दुनिया के लिए पूरी तरह से नए हैं, तो यहां आपके लिए कुछ सुझाव दिए गए हैं। 

याद रखें, एक या दो ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स का पालन करने से वास्तव में मदद नहीं होती है। आपको अपने ट्रेडिंग निर्णय लेते समय इन सभी पर विचार करना होगा।

यहाँ कुछ Option Trading Tips in Hindi दी गई हैं:

  • समय की अवधि को ध्यान में रखें और सावधान रहें, अन्यथा आप समय के दबाव से नुकसान में पड़ जाएंगे। 
  • हाई वॉल्यूम और लिक्विडिटी वाले शेयरों की तलाश करें। 
  • ऑप्शन खरीदार को आदर्श रूप से अस्थिर शेयरों(volatile stocks) के लिए जाना चाहिए। 
  • यह स्टॉक ब्रोकर के माध्यम से कम ब्रोकरेज शुल्क के साथ ट्रेडिंग ऑप्शन के लिए समझ में आता है क्योंकि ट्रेडिंग के इस रूप में प्रीमियम और अन्य लागत पहले से ही उच्च हैं।
  • अपनी जोखिम क्षमता के अनुसार जोखिमों पर ध्यान दें। 
  • यदि आपको किसी ट्रेडिंग प्रोडक्ट के बारे में नहीं पता है, तो उसका चुनाव न करें।

इन ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading in Hindi) टिप्स का पालन करने से आपको न केवल अपने लाभ को बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि इससे आप अपने संभावित नुकसान को भी नियंत्रण रख सकते हैं।

इन टिप्स के साथ ट्रेडिंग में अनुशासन और पोजीशन साइज़िंग की बहुत ज़रूरी होता है और इसलिए एक सफल ट्रेडर बनने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग के नियम का पालन ज़रूर करें


Option Intraday Trading in Hindi

इंट्राडे सेटअप में ऑप्शन ट्रेडिंग का प्रदर्शन अपने खुद के दबाव और विश्लेषण विशेषज्ञता की आवश्यकता को दिखाता है। आप निश्चित रूप से सिंगल ट्रेडिंग सेशन  में ट्रेडिंग के इस रूप का प्रदर्शन कर सकते हैं।

हालांकि, आपको मार्केट की स्थिति, ट्रेंड और आपकी अपेक्षाओं के आधार पर कई ऑप्शन ट्रेडिंग(Option Trading in Hindi) रणनीतियों का उपयोग करने की आवश्यकता होगी।

आप अस्थिरता (Volatility) और मात्रा (Volume) में उच्च टर्नओवर वाले शेयरों की तलाश कर रहे हैं, ताकि आपको इससे बाहर एक बड़ा लाभ कमाने का अवसर मिले।

इसके अलावा, यह कई अवसरों की तलाश करने के लिए है क्योंकि आपका प्रॉफिट टेकवे(profit takeaway) प्रति-ट्रेड के आधार पर सीमित होगा और इस प्रकार, कई ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के साथ, आपको लाभ कमाने और नुकसान को कम करने के लिए बड़ी संख्या में परिस्थितियां मिलती हैं।


ऑप्शन ट्रेडिंग टैक्स

ऑप्शन ट्रेडिंग में कमाई हुए राशि को नॉन-स्पेक्युलेटिव इनकम कहा जाता है जिसका मुनाफा भी आपकी बिज़नेस इनकम के अंतर्गत ही आता है और उसकी गणना इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार की जाती है

अब मान लेते है की आपकी वार्षिक इनकम 12,00,000 रुपये है और आपने उस वर्ष 3,00,000 का ऑप्शन ट्रेडिंग में मुनाफा कमाया तो उस वर्ष आपकी कुल इनकम 15,00,000 रुपये हो जाती है और उस पर टैक्स की गणना निम्नलिखित तरीके से की जाती है

दूसरी ओर अगर ऑप्शन ट्रेडिंग में नुकसान होता है तो वह आप 8 वर्ष तक आगे बढ़ा सकते है यानी की 8 साल तक जो ऑप्शन ट्रेड में मुनाफा हो उससे अपने लॉस को घटा सकते हो। 

तो अगर आपकी वर्ष इनकम 10,00,000 है और आपको किसी वर्ष ऑप्शन में 2,00,000 रुपये का नुक्सान हुआ और उसके अगले वर्ष का ऑप्शन में 2,00,000 रुपये का फायदा हुआ तो आपका टैक्स सिर्फ 10,00,000 रुपये (10,00,000+2,00,000-2,00,000) पर लगेगा


Best Stock Broker for Option Trading in Hindi

आप विशेष रूप से Option Trading in Hindi के लिए, एक ऐप चुनना चाहते हैं, तो सच कहें तो, ट्रेडिंग के इस रूप के लिए ऐसा कोई विशेष ऐप नहीं है।

आप किसी भी टॉप मोबाइल ट्रेडिंग ऐप को चुन सकते हैं और इस बात की अधिक संभावना है कि मोबाइल ऐप कॉल और पुट ऑप्शन निवेश के लिए एक श्रेष्ठ ट्रेडिंग अनुभव प्रदान करेगा।

हालाँकि, आपके संदर्भ के लिए, भारत में कुछ अच्छी तरह से डिज़ाइन और यूज़र फ्रेंडली मोबाइल ट्रेडिंग ऐप हैं:

ज्यादातर यह सलाह दी जाती है कि अंतिम निर्णय लेने से पहले आप मोबाइल ट्रेडिंग ऐप के डेमो संस्करण / अतिथि लॉगिन के माध्यम से ऐप को समझे क्योंकि विभिन्न ट्रेडर्स की अपनी प्राथमिकताएं हैं।


Option Trading Ke Fayde 

आपने इस प्रचलित वाक्यांश को बहुत सुना होगा – “उच्च लाभ के लिए उच्च जोखिम की आवश्यकता होती है”

बहुत सारे ट्रेडर आपको बताएंगे कि ऑप्शन ट्रेडिंग जोखिम भरा है, लेकिन वे आपको यह नहीं बताएंगे कि यह अत्यधिक लाभदायक भी है।

आपको ऑप्शन ट्रेडिंग(Option Trading in Hindi) रणनीतियों का पालन करते समय कुछ विशिष्ट पहलुओं का ध्यान रखना होगा। 

प्रॉफिट की सीमा आपके जोखिम की क्षमता पर निर्भर करती है।

यहाँ ऑप्शन ट्रेडिंग से होने वाले कुछ बड़े लाभों के बारे में चर्चा की गई है:

अनुमान: ऑप्शन ट्रेडिंग(Option Trading in Hindi) अनुमान लगाने का एक प्रभावी तरीक़ा है। ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स का उपयोग करके, ट्रेडर्स भारी मुनाफा कमा सकते हैं और अपने नुकसान को भी सीमित कर सकते हैं।  

ऑप्शन को बचाव (हेजिग) के लिए भी इस्तेमाल किया जा सकता है।

मौजूदा पोर्टफोलियो से इनकम: निवेशक जो लंबी अवधि के लिए सिक्योरिटीज रखते हैं, वे भी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट लिखकर अपनी होल्डिंग्स पर इनकम कमा सकते है लेकिन ये बहुत रिस्की होता है।

लेकिन अगर इसे अच्छी तरह से संभाला जाए तो ये सामान्य आय से भी अधिक प्रीमियम के रूप में दे सकता है।

लीवरेज (लाभ):ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट, लागत में महत्वपूर्ण कमी को कम करने में मदद करते है। जो छोटे बजट के ट्रेडर्स के लिए आकर्षक होता है। 

ऑप्शन ट्रेडिंग में निवेश की लागत आम तौर पर स्टॉक ट्रेडिंग में आवश्यक निवेश का 3-4% है।

टैक्स मैनेजमेंट (टैक्स प्रबंधन): ऑप्शन ट्रेडिंग(Option Trading in Hindi), टैक्स के प्रबंधन में भी बहुत मदद करता है क्योंकि पूरे पूंजीगत लाभ पर चुकाया गया टैक्स केवल प्रीमियम पर चुकाए गए टैक्स से बहुत अधिक होता है।

एक व्यक्ति जो कुछ शेयर रखता है और जानता है कि कीमतों में गिरावट आ रही है, तो वह अपने स्टॉक को बेच सकता है और बाद में कम कीमत पर खरीद सकता है। 

लेकिन ऐसा करने पर उसे स्टॉक की बिक्री से पूंजीगत लाभ पर भारी टैक्स चुकाना पड़ता है। इसलिए इसके बजाए वो पुट ऑप्शन का इस्तेमाल करता है और केवल पुट ऑप्शन ट्रेड पर ही टैक्स का भुगतान करता है।


ऑप्शन ट्रेडिंग के रिस्क 

इसी तरह, जब हम ट्रेडिंग के इस रूप से जुड़े जोखिमों के बारे में बात करते हैं, तो यह निश्चित रूप से यहाँ भी है। 

ऑप्शन ट्रेडिंग(Option Trading in Hindi) में अधिकांश ट्रेडर्स वास्तव में यह नहीं समझते हैं कि यह कैसे काम करता है। जाहिर है, यह रॉकेट साइंस नहीं है, लेकिन आपको सभी प्रकार के परिवर्तन पर विचार करना आवश्यक है जो कि स्टॉक के साथ भी होने की संभावना है।

निश्चित रूप से, आप सबसे संभावित सिनेरियो के लिए वाउच करेंगे जो आपको लगता है कि आपके शेयर मार्केट विश्लेषण के अनुसार होगा।

आपके द्वारा उपयोग की जाने वाली रणनीति के आधार पर, अधिकांश समय, मोनेटरी अमाउंट जो जोखिम में होती है, मूल रूप से आप कॉन्ट्रैक्ट के लिए भुगतान करते हैं। 

यह उस से अधिक हो सकता है, हालांकि, यह मूल रूप से होगा कि आपको इस बारे में पता नहीं था कि आप क्या कर रहे हैं। 

इस प्रकार, आप कॉन्ट्रैक्ट में आने से पहले मौलिक और तकनीकी दोनों स्तरों पर मार्केट/स्टॉक की स्थिति को समझना महत्वपूर्ण है।


निष्कर्ष 

ऑप्शन ट्रेडिंग (Option Trading in Hindi), शॉर्ट टर्म निवेश से लाभ को अधिकतम करने और रिस्क को सीमित करने के लिए ट्रेडिंग का एक स्मार्ट और कारगर तरीका है।

यदि अच्छी तरह से संभाला जाए तो यह ऑप्शन ट्रेडिंग ट्रेडर को असीमित लाभ के साथ साथ उसकी कैपिटल को बचने में भी मदद कर सकता है।

इसलिए, यदि आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग के साथ तेज़ी से आगे बढ़ना चाहते हैं, और विशेष रूप से डेरिवेटिव ट्रेडिंग में तो बस नीचे दिए गए फ़ॉर्म में अपनी मौलिक विवरण भरे जिसके तुरंत बाद ट्रेडिंग शुरू करने के लिए हम आपके लिए कॉलबैक की व्यवस्था करेंगे:

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