Option Trading Basics in Hindi

जो लोग अपनी निवेश पूंजी को बढ़ाने के लिए स्टॉक्स, बांड्स, एक्सचेंज -ट्रेडेड  फंड्स और म्यूच्यूअल फंड्स जैसी चीजों में निवेश करते है, उन्हें एक बार ऑप्शन ट्रेडिंग के बारे में अवश्य विचार करना चाहिए, लेकिन हां निवेश करने से पहले ज़रूरी है कि आप ऑप्शन ट्रेडिंग को अच्छे से समझ ले। ट्रेडिंग को आसान बनाने के लिए यहाँ पर option trading basics in hindi में समझाया गया है।

न ही सिर्फ ये आपको मुनाफा बढ़ाने का अवसर प्रदान करता है बल्कि आपको निवेश करने में विविधिता लाने में भी मदद करता है। 

ट्रेड शुरु करने से पहले ट्रेडर को ऑप्शन ट्रेडिंग के जोखिमों से अवगत रहना काफी आवश्यक है जिसके लिए एक ट्रेडर सही जानकारी और उपकरणों को मदद ले सकता है।  

कई लोगो का सोचना है कि ऑप्शन में सिर्फ वो लोग ही निवेश कर सकते है, जिन्हें शेयर मार्केट के विषय में ज्ञान है या जो लोग ऑप्शन ट्रेडिंग में अनुभव रखते है। लेकिन यह सच नहीं है। उचित ज्ञान और संसाधनों की मदद से आप भी आसानी से ऑप्शन ट्रेडिंग कर सकते है। 

उदाहरण के लिए, Angel One एक फुल सर्विस ब्रोकर के रूप में अपने ग्राहकों को ट्रेडिंग सेवाएं प्रदान करता है। एंजेल वन में ऑप्शन ट्रेडिंग करने के लिए आपको विभिन्न तरह के टूल्स प्रदान किये जाते है और साथ यह भी समझाया जाता है कि यह ट्रेडिंग टूल्स किस तरह से काम करते है। 

तो आइये, ऑप्शन ट्रेडिंग के सामान्य नियमों को समझते हैं और ऑप्शन में ट्रेड करने की जानकारी को प्राप्त करते है।   

Option Trading in Hindi

ऑप्शन ट्रेडिंग डेरिवेटिव्स (derivatives meaning in hindi) का प्रकार है जिसमे बायर को ट्रेड एक्सेक्यूट करने का अधिकारी होता है लेकिन बाध्य नहीं होता। ऑप्शन ट्रेडिंग निवशकों को एक निश्चित समय पर और एक निश्चित कीमत पर, किसी सिक्योरिटीज को खरीदने और बेचने की अनुमति देता है। 

ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट अंतर्निहित परिसंपत्ति (underlying assets) को दर्शाता है, जो स्टॉक, बांड्स, सिक्योरिटी, डेरिवेटिव्स कॉन्ट्रैक्ट्स आदि के रूप में हो सकते है। ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को एक प्रीमियम राशि दे कर एक निश्चित समय के लिए बुक किया जाता है। आप चाहे तो इस निश्चित समय की अवधि को प्रीमियम राशि दे कर आगे भी बढ़ा सकते है। 

यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है, कि जो लोग कॉन्ट्रैक्ट्स के लिए प्रीमियम राशि का भुगतान करते है, वे लोग ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स को निष्पादित करने के लिए स्वतंत्र होते है लेकिन बाध्य नहीं होते।  


Option Trading Example in Hindi

ऑप्शन ट्रेडिंग को बारीकी से समझने के लिए एक उदाहरण लेते है। मान लेते है की रिलायंस के शेयर 2000 रुपये पर ट्रेड कर रहे है और आप इसके शेयर प्राइस को  लेकर बुलिश है। 

आपके विश्लेषण के अनुसार स्टॉक का प्राइस एक महीने में 2300 तक जा सकता है और आप इसके बढ़ते हुए दामों से मुनाफा कमाना चाहते है लेकिन हर ट्रेड की तरह ही इसमें जोखिम भी है। 

अब यहाँ पर आपके सामने दो विकल्प है:

  • स्विंग ट्रेडिंग (Swing trading in hindi): जिसमे आप आज पोजीशन लेकर 1 महीने बाद उसे बेच मुनाफा कमा सकते है। इसमें आपको आज ही अपने ट्रेड की पूरी राशि देनी होती है और  अगर शेयर का दाम घटा तो आपको इसमें नुकसान भी हो सकता है।
  • ऑप्शन ट्रेडिंग: इसमें आप आज शेयर न खरीद कॉल ऑप्शन 2000 रुपये स्ट्राइक प्राइस वाला कॉल ऑप्शन खरीद सकते है। यहाँ पर आपको दो तरह से फायदा होता है:
    • आपको सिर्फ ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट यानी की सिर्फ प्रीमियम देना है। 
    • दूसरा अगर शेयर का प्राइस नीचे गिरता है तो आपको सिर्फ प्रीमियम का ही नुकसान होगा। 

अब मान लेते है की आपने ₹100 रुपये का प्रीमियम देकर 2000 स्ट्राइक प्राइस पर रिलायंस का कॉल ऑप्शन ख़रीदा जिसकी ऑप्शन एक्सपायरी 1 महीने बाद है। 

अब एक महीने बाद:

  1. स्टॉक कर प्राइस ₹2350 पर पहुंच गया अब यहाँ पर आपको (2350-2000-100) 250 रुपये प्रति शेयर का मुनाफा होगा
  2. स्टॉक का प्राइस ₹2000 या उससे नीचे गिर गया तो यहाँ पर आप बिना शेयर ख़रीदे प्रीमियम ₹100/शेयर के नुकसान के साथ मार्केट से निकल जाएंगे

इस तरह से ऑप्शन ट्रेडिंग आपको आपके मुनाफे को बढ़ाने और नुकसान को सीमित करने में मदद करता है। और ऑप्शन ट्रेडिंग में जो बायर का मुनाफा होता है वही एक सेलर का नुकसान होता है। इसी तरह से अगर आप Nifty 50 me nivesh kaise kare जानना चाहते है तो उसके लिए निफ़्टी की करंट वैल्यू और ट्रेंड के अनुसार सही स्ट्राइक प्राइस का चयन कर ट्रेड पोजीशन ले सकते है।


ऑप्शन ट्रेडिंग टर्म्स 

हालाँकि, पिछले 15 सालों से निवेशक ऑप्शन ट्रेडिंग में ट्रेड कर रहे है। लेकिन साल 2006 तक उन्होंने सिर्फ इसको अनुभव किया था। अब यहाँ पर अंतर्निहित परिसंपत्ति के आधार पर बने हुए ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को जो खरीदता है उसे ऑप्शन बायर कहते है।  

आइये, अब option trading basics in hindi को समझने के लिए कुछ मूल बातों को समझते है:

ऑप्शन राइटर : ऑप्शन सेलर को ही ऑप्शन राइटर कहते है। ऑप्शन सेलर वो होता है, जो ऑप्शन में ट्रेड करने के लिए ऑप्शन खरीददार से प्रीमियम प्राप्त करता है। 

प्रीमियम राशि : वह राशि जो एक ऑप्शन खरीदार ऑप्शन सेलर को एक समझौते के समय देता है। उसको प्रीमियम राशि कहते है। 

Strike Price in Hindi: वह प्राइस जिस पर ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट्स को ख़रीदा और बेचा जाता है। 

Spot Price in Hindi : किसी अंतर्निहित परिसंपत्ति की वर्तमान कीमत को स्पॉट प्राइस कहते है। 

आंतरिक मूल्य : यह एक तरह का प्रॉफिट होता है, जो खरीदार ऑप्शन ट्रेडिंग करते समय प्राप्त कर सकते है। 

कॉल ऑप्शन में  स्ट्राइक प्राइस और स्पॉट प्राइस के बीच का अंतर और पुट ऑप्शन में स्पॉट प्राइस – स्ट्राइक प्राइस के बीच के अंतर को आंतरिक मूल्य कहते है। 

अगर कॉल ऑप्शन ट्रेडर ख़रीदे गए ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में लाभ कमाना चाहता है, तो इसके लिए स्ट्राइक प्राइस का बढ़ना जरूरी है। यदि कॉन्ट्रैक्ट्स की कीमत स्ट्राइक प्राइस के मूल्य के आस-पास ही रहती है, तो ऐसी स्थिति में निवेशक लाभ नहीं उठा सकता है। 

अगर कॉन्ट्रैक्ट की कीमत स्ट्राइक प्राइस से ज्यादा हो जाती है , तो इसमें ट्रेडर को लाभ होता है और ठीक इसके विपरीत स्थिति पुट ऑप्शन में लाभ कमाने का अवसर प्रदान करती है।

एक सही मुनाफा बुक करने के लिए आप ऑप्शन ट्रेडिंग के नियम (option trading rules in hindi) का सही से पालन कर सकते है


Call and Put Option in Hindi 

ऑप्शन ट्रेडिंग बेसिक में, अब आपको ऑप्शन ट्रेडिंग के विभिन्न प्रकारों को समझना होगा। सामन्य-तौर पर ऑप्शन ट्रेडिंग के दो मुख्य भाग है-कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन। 

ऑप्शन ट्रेडिंग को दो भागों में बांटा गया है:

कॉल ऑप्शन: कॉल ऑप्शन आपको एक निर्धारित समय के लिए, निश्चित स्ट्राइक प्राइस पर अंतर्निहित परिसंपत्ति को खरीदने की अनुमति प्रदान करता है। इसके साथ ही आपको एक अंतिम तिथि दी जाती है जिससे पहले कभी भी अपने कॉन्ट्रैक्ट को एक्सरसाइज कर सकते है। 

पुट ऑप्शन: पुट ऑप्शन में आप अपनी अंतर्निहित परिसंपत्ति को दिए गए समय पर, आपको एक सहमत मूल्य कॉन्ट्रैक्ट में दी हुई अंतर्निहित परिसंपत्ति को बेचने की अनुमति देता है। 

ऑप्शन ट्रेडिंग में ये दोनों ही प्रकार आपके लिए फायदेमंद हो सकते है बस ज़रुरत है सही स्ट्रेटेजी और ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स का पालन करने की


ऑप्शन ट्रेडिंग में ITM, ATM और OTM क्या है? 

अब बात आती है की ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं? ऑप्शन में ट्रेड करने के लिए कॉन्ट्रैक्ट में पैसे की गणना, आंतरिक मूल्य (स्ट्राइक प्राइस और स्पॉट प्राइस के बीच के अंतर) के आधार पर कर सकते है। पैसे की गणना करने पर, आप यह आसानी से देख सकते है कि यदि अभी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को खरीदते है, तो इससे आपको लाभ होगा या नहीं। 

हर एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में आप इस प्रक्रिया को तीन तरह से देख सकते है। 

  • इन द मनी (ITM)
  • ऐट द मनी (ATM)
  • आउट ऑफ़ द मनी (OTM)

अगर किसी ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का आंतरिक मूल्य शून्य में न हो कर, अन्य किसी संख्य में है तो उस कॉन्ट्रैक्ट को इन द मनी माना जाता है और यदि आंतरिक मूल्य शून्य है तो उसको OTM माना जाता है। 

ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की लिस्ट में, यदि स्ट्राइक प्राइस और स्पॉट प्राइस दोनों एक बराबर होते है , तो उसको ATM माना जाता है , लेकिन ऐसी स्थिति बहुत ही कम होती है। जब स्ट्राइक प्राइस और स्पॉट प्राइस का मूल्य बराबर होता है। 

और इसीलिए , जिस ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य स्पॉट प्राइस के पास होता है, उसको एट द मनी या नियर द मनी भी कहा जाता है। ATM ऑप्शन में इंट्राडे ट्रेडिंग (option intraday trading hindi) कर आप काफी लाभ कमा सकते है।


निष्कर्ष

ऑप्शन ट्रेडिंग की जरूरी बातों को जानने के बाद, आप सही तरीके से ऑप्शन ट्रेडिंग में ट्रेड कर सकते है और लाभ अर्जित कर सकते है। 

एंजेल वन के स्मार्ट मनी पोर्टल पर जा कर आप ऑप्शन ट्रेडिंग में ट्रेड करने के लिए विभिन्न तरह की ऑप्शन स्ट्रेटेजीज (option trading strategies in hindi) को सीख सकते है। 

जब आप अच्छे से ऑप्शन ट्रेडिंग को सीख लेते है तो ऑप्शन में ट्रेड करने पर आप सुरक्षित करते है। एंजेल वन के साथ आप इन strategies को आसानी से सीख सकते है और ट्रेड के सकते है। 

अगर आप अभी स्टॉक मार्केट में नये है, तो आप नीचे अपना विवरण भरें। हम जल्द ही आपको कॉल बैक करेंगे और आपको सही स्टॉक ब्रोकर चुनने में आपकी मदद करेंगे। 


ऑप्शन ट्रेडिंग या किसी भी प्रकार की ट्रेडिंग के लिए एक सही स्टॉकब्रोकर का चयन करना काफी ज़रूरी है। यहाँ पर स्टॉकब्रोकर का चयन करने और निःशुल्क डीमैट खाता खोलने के लिए अभी नीचे दिए गए फार्म में अपना विवरण भरे:

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