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जैसे कि नाम से ही पता चलता है कि ‘इनकम स्टॉक्स‘ वे स्टॉक होते हैं जो अपने शेयरधारकों को लाभांश के भुगतान के माध्यम से आय का एक नियमित श्रोत प्रदान करते हैं। इस लाभांश का भुगतान नियमित रूप से और लगातार बढ़ रहा है।
क्या आप अपने ‘पोर्टफोलियो‘ में ऐसा शेयर रखते हैं?
ठीक है, यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो यह एक अच्छा समय है आपको ऐसा करना चाहिए। आइए, ऐसे शेयरों के बारे में थोड़ा और जानकारी प्राप्त करते हैं।
जो कंपनियां पहले से ही बड़ी, पूर्ण विकसित और स्थिर हैं उन्हें कम मात्रा में कैपिटल निवेश (पूंजी निवेश) करने की जरूरत पड़ती है। जिसके कारण उनके पास नकदी पैसों का बहुत बड़ा भंडार उपलब्ध रहता है।
इस प्रकार, ज्यादा समय से स्थापित कंपनियां ‘जो अब निश्चित स्तर पर पहुंच चुकी हैं‘ और अब विकास के ‘उच्च स्तर‘ को बनाए रखने में सक्षम नहीं है, वे कंपनियां अपने रखे हुए धन का उपयोग अपने शेयरधारकों को एक निश्चित आधार पर लाभांश का भुगतान करने के लिए करती हैं।
हालांकि, यह भी संभव है कि ‘बड़ी और स्थिर‘ कंपनियां जिन्हें यह लगता है कि उनके पास कोई अच्छा तरीका है और वे उनका प्रयोग करके वे अपनी कमाई को फिर से बढ़ा कर लाभ का साझा कर सकती हैं तो वे कंपनियां लाभांश के भुगतान से बचती हैं।
इनकम स्टॉक्स की परिभाषा
इनकम स्टॉक में निवेश करना ‘वैल्यू स्टॉक और ग्रोथ स्टॉक‘ में निवेश करने से कम जोखिम भरा (रिस्की) होता है।
इसका मुख्य कारण, बड़ी और स्थिर कंपनियों में ‘अधिक‘ और छोटी कंपनियों की तुलना में ‘ज्यादा रिटर्न‘ प्राप्त होने की ‘संभावना‘ है। इसके अलावा ‘वैल्यू स्टॉक और ग्रोथ स्टॉक्स‘ की तुलना में इनकम स्टॉक्स में बहुत कम उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है है।
नियमित विकास को बनाए रखने के लिए कंपनी के नियम और उद्देश्य सही होने चाहिए। किसी कंपनी में निवेश करने का एकमात्र कारण निवेश से लाभ प्राप्त करना नहीं होना चाहिए।
इसके अलावा, लाभांश को आय के स्रोत के रूप में तो देखा जाना चाहिए लेकिन उसे पूर्ण संख्या के संदर्भ में नहीं देखा जाना चाहिए। स्टॉक्स के लाभांश की गणना ‘वर्तमान मूल्य द्वारा वार्षिक लाभांश के भुगतान को विभाजित‘ करके प्राप्त की जाती है।
प्राप्त होने वाला लाभांश = प्रति शेयर वार्षिक लाभांश / प्रति शेयर ‘मूल्य‘
इनकम स्टॉक्स उदाहरण
उदाहरण के लिए, मान ले कि किसी कंपनी के शेयरों का मूल्य ₹300 प्रति शेयर है और यह कंपनी प्रति शेयर ₹30 का वार्षिक लाभांश प्रदान करती है। इस प्रकार, स्टॉक्स की डिवाइडेड इल्ड ( प्राप्त होने वाला लाभांश) 30/300 * 100% होगा।
अब मान लीजिए कि एक ‘स्टॉक‘ कम कीमत पर कारोबार कर रहा है जिसकी कीमत ₹250 प्रति शेयर है तब प्राप्त होने वाला लाभांश 30/250 = 12% होगा। अब यदि, स्टॉक्स ज्यादा कीमत पर कारोबार करता है जिसकी कीमत ₹350 प्रति शेयर है तब प्राप्त होने वाला लाभांश 30/ 350 = 8.57% होगा।
ऊपर दिए गए अनुसार ही (स्टॉक प्राइस के घटने या बढ़ने पर प्राप्त होने वाले) स्टॉक प्राइस का लाभांश पर असर देखने को मिलता है।
यदि स्टॉक की कीमत बढ़ती है तो प्राप्त होने वाला लाभांश कम हो जाता है।
भारतीय शेयरों में निवेश के बाद प्राप्त होने वाला 2% – 6% सलाना लाभांश एक अच्छा लाभांश माना जाता है। इनकम स्टॉक निवेशक एक अच्छा लाभांश प्रदान करने वाले शेयरों की तलाश करते हैं। यदि स्टॉक एक अच्छा लाभांश प्रदान करता है तो यह लंबी अवधि के लिए एक ‘स्थिर और अनुमानित‘ आय प्रदान कर सकता है।
आमतौर पर जिन कंपनियों का पिछले 5 से 10 वर्षों में अपने शेयरधारकों को आकर्षक लाभांश का भुगतान करने का एक अच्छा ट्रैक रिकार्ड रहा है, वे आगे भी ऐसे ही करती रहेंगी। ऐसी कंपनियों को इनकम स्टॉक‘ कि ‘श्रेणी में रखा जाता है।
नियमित आधार पर लाभांश का भुगतान करते रहना कंपनी के वित्तीय ताकतों (फाइनेंसियल स्ट्रैंथ) को दर्शाता है, क्योंकि कंपनी को लंबे समय तक लगातार लाभांश का भुगतान करने के लिए बहुत अधिक नकदी पैसो की जरूरत पड़ती है।
इसके अलावा, यदि किसी कंपनी का लाभांश पिछले कुछ वर्षों से लगातार बढ़ रहा है तो यह कंपनी के सुनहरे भविष्य में होने वाली वृद्धि को दर्शाता है, और भविष्य में भी आशा जनक परिणाम देने की संभावना प्रकट करता है।
यही कारण है कि जो निवेशक‘ सेना से रिटायर‘ होते हैं और जिनमें रिस्क (जोखिम) लेने की क्षमता कम होती है वे अपने पोर्टफोलियो के लिए इनकम स्टॉक्स को प्राथमिकता देते हैं। क्योंकि, जो कंपनियां अपने शेयरधारकों को लगातार अच्छे लाभांश प्रदान करने में सक्षम है वो बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव के दौरान भी अधिक स्थिर होती है।
यदि आप ‘इनकम स्टॉक‘ में निवेश करना चाहते हैं तो सबसे पहले आपको उन स्टॉक के बारे में जानना चाहिए जो आपको सबसे अधिक लाभांश प्रदान करते हैं और तब उनके द्वारा प्रदान की जाने वाली शेयरों की सूची की जांच करनी चाहिए। तथा मौलिक रूप से सक्षम ‘स्टॉक्स‘ में निवेश करने पर विचार करना चाहिए क्योंकि यह अधिक सुरक्षित होते हैं और केवल अधिक ‘लाभांश‘ प्रदान करने के आधार पर आप किसी भी कंपनी के बारे में बहुत अधिक जानकारी प्राप्त नहीं कर सकते हैं।
इसलिए, अन्य कार्य को जैसे- कंपनी के बारे में बुनियादी जानकारी, कंपनी का प्रबंधन (मैनेजमेंट) और कंपनी द्वारा काम किए जा रहे कार्यक्षेत्र तथा भविष्य में इसके विकास की संभावनाओं आदि के आधार पर ‘इनकम स्टॉक‘ का चुनाव करना चाहिए।
इनकम स्टॉक के पहचान करने का कोई स्पष्ट सूत्र (फार्मूला) नहीं है, लेकिन कुछ बातें ऐसी जरूर है जिन्हें किसी भी कंपनी के पोर्टफोलियो के लिए शेयरों का चयन करते समय ‘ध्यान देने‘ की जरूरत है।
इनमें से कुछ प्रमुख बातों पर नीचे चर्चा किया गया है:
लाभ प्रदान करने वाले इनकम स्टॉक्स
इस तरह के लाभांश प्रदान करने वाली कंपनी के बारे में जानने के लिए कंपनी के पिछले 5 – 10 वर्षों की वार्षिक रिपोर्ट को देखा जा सकता है।
निवेश करने वाले व्यक्ति को यह भी जानना चाहिए कि क्या कंपनी ‘लाभांश के द्वारा‘ अधिक भुगतान तो नहीं कर रही है जिससे कि कंपनी ‘भविष्य‘ में अधिक लाभ कमाने की संभावना कम कर रही हो। साथ ही कंपनी द्वारा प्रदान किए जाने वाले लाभांश के इतिहास को भी जाने। जिससे आपको कंपनी द्वारा भविष्य में प्रदान किए जाने वाले लाभांश की संभावनाओं के बारे में जानकारी प्राप्त होगी।
यदि कंपनी का प्रबंध (मैनेजमेंट) शेयरधारकों के अनुकूल हो तथा विशेष रुप से अधिक ‘परिपक्व और स्थिर‘ कंपनियां जिनमें विकास की संभावना ‘स्थिर‘ हो तो वहां निवेशक को लाभांश प्राप्त करने की गुंजाइश अधिक है।
इनकम स्टॉक्स: सकारात्मक आय
यह कंपनी के फाइनेंसियल हेल्थ (वित्तीय स्थिति) की जांच करने के लिए एक महत्वपूर्ण कारक है। इसके अनुसार कंपनी को कम से कम पिछले 3 वर्षों से हर साल लगातार बिना किसी नुकसान के सकारात्मक कमाई करनी होती है।
इसका उद्देश्य सिर्फ कंपनी के फाइनेंसियल परफारमेंस (वित्तीय प्रदर्शन) की जांच करना है।
इनकम स्टॉक: उच्च इक्विटी अनुपात
इक्विटी या रिटर्न ऑन नेटवर्थ (सकल आय पर प्राप्त होने वाले लाभ) के दर की गणना को रेट आफ रिटर्न कहा जाता है। इसी दर पर शेयरधारकों को उनके होल्डिंग्स पर रिटर्न प्राप्त होता है।
इक्विटी पर मिलने वाला रिटर्न = शुद्ध आए या टैक्स देने के बाद प्राप्त लाभ / शेयरधारक की इक्विटी
नेटवर्थ (संपूर्ण संपत्ति) का अधिक होना कंपनी द्वारा ‘फंड का प्रयोग करके अधिक कुशलता के साथ संचालन‘ को दर्शाता है। यदि कंपनियां द्वारा ऋण की तुलना में इक्विटी पर अधिक रिटर्न प्राप्त होता है, इसका मतलब है कि कंपनी अपने प्रतिद्वंदी की तुलना में काफी अच्छा प्रदर्शन कर रही है।
इनकम स्टॉक – कंपनी ऋण (लोन, उधार या क़र्ज़)
एक ही उद्योग में अपने अन्य साथियों की तुलना में कंपनी के ‘ऋण का इक्विटी से अनुपात‘ अच्छा होना चाहिए। किसी कंपनी के बैलेंस शीट में अधिक ऋण नकारात्मक संकेत की ओर इशारा करता है। कंपनी पर ऋण ज्यादा होने से लागत बढ़ जाती है और इसके परिणामस्वरूप प्राप्त होने वाला आय कम हो जाता है।
एक कंपनी द्वारा अपने लोन (ऋण) का भुगतान, लाभांश का भुगतान तथा अपने पूंजी का ब्यय इत्यादि किया जाता है।
इसलिए, उच्च ऋण ब्यय का मतलब है शेयरधारकों के लिए उपलब्ध लाभांश के ‘नकदी‘ में कमी। इसलिए, हमें ऐसे कंपनियों में भुगतान करना चाहिए जो प्रतिवर्ष आपने ऋण को कम करने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रही हैं।
कर्ज-मुक्त कंपनियों में निवेश करना अपेक्षाकृत सुरक्षित है।
इनकम स्टॉक – कंपनी मैनेजमेंट
किसी भी कंपनी का मैनेजमेंट (प्रबंधन) सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक होता है, क्योंकि यह कंपनी के समस्त प्रदर्शन पर बहुत अधिक प्रभाव डालता है।
किसी भी कंपनी के मैनेजमेंट (प्रबंधन) के पास कंपनी को ‘बनाने या खत्म करने‘ की क्षमता होती है। आमतौर पर, इनकम स्टॉक उन कंपनियों के होते हैं जिनका मैनेजमेंट (प्रबंधन) उत्कृष्ट या उच्च कोटि का होता है।
योग्य और अनुभवी प्रमोटर्स तथा मैनेजमेंट (प्रबंधन) कंपनी के व्यवसाय से जुड़ी समस्याओं को सकुशल सुलझाने और लगातार अच्छे परिणाम देने में सक्षम होते हैं। कंपनी के मैनेजमेंट (प्रबंधन) को कंपनी के पिछले 5 वर्ष की रिपोर्ट के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
विगत 5 वर्षों की रिपोर्ट कंपनी के मैनेजमेंट प्रबंधन को उनके कंपनी के व्यवसाय की मौजूदा और भविष्य में संभावित समस्याओं से अवगत कराते हैं, और उन समस्याओं का समाधान ढूंढने में तथा कंपनी द्वारा किए गए वादे के अनुसार योजना बनाने में मदद करते हैं। कंपनी के मैनेजमेंट (प्रबंधन) द्वारा की जाने वाली यह सभी चीजें कंपनी की क्वालिटी (गुणवत्ता) निर्धारित करती है।
भारत की कुछ मुख्य रूप से सर्वश्रेष्ठ और उत्कृष्ट कंपनियां जो अपने शेयरधारकों को नियमित रूप से लाभांश प्रदान कर रही हैं, नीचे दी हुई हैं:
ऊपर दिए हुए आंकड़े, 31 मार्च 2017 को समाप्त वित्तीय वर्ष की तुलना में 31 मार्च 2016 को समाप्त वित्तीय वर्ष में वृद्धि को दर्शाते हैं। यह आंकड़े – ‘एस इक्विटी‘ द्वारा प्रदान किए गए हैं।
निष्कर्ष
इस प्रकार, हम देखते हैं कि यदि आप शेयर बाजार में कम रिस्की (जोखिम भरे) और अधिक लाभांश के साथ आय प्राप्त करना चाहते हैं तो आपके द्वारा ‘इनकम स्टॉक‘ को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
यदि कोई व्यक्ति कंपनी के बैलेंस शीट, प्रॉफिट एंड लॉस (लाभ और नुकसान) स्टेटमेंट, कैश फ्लो (पैसों का लेन-देन) स्टेटमेंट और उसी ग्रुप के किसी अन्य कंपनी के साथ कंपनी की फाइनेंसियल रेशियो (वित्तीय अनुपात) की तुलना और कंपनी के पिछले कुछ वर्षों से हुई वृद्धि तथा कंपनी के स्टॉक के मूल्यों में हुई बढ़ोतरी को ध्यान में रखते हुए ‘इनकम स्टॉक‘ का चयन करता है तो समय के साथ एक निवेशक की आय दोगुनी हो सकती है।
फाइनेंशियल एस्पेक्ट्स (वित्तीय पहलुओं) के अलावा निवेशक को कंपनी के मैनेजमेंट (प्रबंधन) को भी ध्यान देना चाहिए। स्टॉक मार्केट में इनकम स्टॉक बहुत कम रिस्की (जोखिम भरा) होता है और यदि रिस्क ज्यादा हो तो निवेश करने वाले व्यक्ति को कम से कम राशि का निवेश करना चाहिए।
ऐसा इसलिए है, क्योंकि अलग-अलग श्रेणियों के शेयरों में पाई जाने वाली भिन्नतायें सफल निवेश प्रदान करती है।
यदि आप स्टॉक मार्केट निवेश या सामान्य रूप से ट्रेडिंग (व्यापार) करना चाहते हैं तो हम आपको अगला कदम बढ़ाने में आपकी मदद करेंगे:
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