पोर्टफोलियो प्रबंधन

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पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं (Portfolio Management Services) आमतौर पर ग्राहकों के एक विशेष समूह को प्रदान किए जाते हैं, जहां उन्हें विभिन्न प्रोडक्ट्स में निवेश करने के लिए अनुभवी और व्यक्तिगत दृष्टिकोण प्रदान किया जाता है।

ये उत्पाद इक्विटी, डेब्ट्स फंड्स , फिक्स्ड डिपॉजिट (कुछ मामलों में) और अन्य संबंधित वित्तीय वर्गों से हो सकते हैं।

इस विस्तृत पीएमएस समीक्षा में, पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं से संबंधित विभिन्न पहलुओं को समझने की कोशिश करते हैं कि वे भारतीय निवेश जगत में कैसे काम करते हैं।

*टिप्स: यदि आप इस कॉन्सेप्ट के लिए बिल्कुल नए हैं तो फिर किसी भी जोखम या भ्रम से बचने के लिए धीमी शुरुआत करें।


 पोर्टफोलियो प्रबंधन क्या है 

जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, पोर्टफोलियो प्रबंधन निवेश का अनुकूलित रूप हैं। हालांकि सभी निवेश प्रोडक्ट्स  का स्वामित्व आपके डीमैट खाते में रहता है, जिनकी देखरेख एक्सपर्ट्स द्वारा की जाती है।

आमतौर पर, एक फंड मैनेजर आपके पोर्टफोलियो को आवंटित किया जाता है। 

हालांकि, आंतरिक रूप से अधिकांश संगठनों को अलग-अलग फंड मैनेजर को एक साथ काम करने की आवश्यकता होती है, ताकि विभिन्न स्टॉक आईडिया और निवेश रणनीतियों का संचालन  कर सके।

यह प्रक्रिया किसी भी तरह कि संभावित मानवीय गलतियों (Human Erros) को खत्म करती है,  जो ग्राहक के पोर्टफोलियो रिटर्न को नुकसान पहुंचा सकती है।

हम पीएमएस के प्रकार (PMS Types) के बारे में बाद में एक अगले सेगमेंट में बात करेंगे, लेकिन यह समझने की जरूरत है कि आपके फंड मैनेजर को पूरी तरह से निवेश की स्वतंत्रता देने का विवेक आपके साथ रहता है।

पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाएं मुख्य रूप से HNI या  हाई नेटवर्थ व्यक्तियों के लिए उपयुक्त हैं।

एक ग्राहक को जो शुल्क वहन करने की आवश्यकता होती है, वह पार्टियों के बीच प्रारंभिक अनुबंध संबंधी समझौते पर आधारित होता है। 

और यह आमतौर पर फंड मैनेजर द्वारा प्रदान किए जाने वाले समग्र रिटर्न का एक विशिष्ट प्रतिशत होता है।

अधिकतर मामलो में फंड मैनेजर की ये जिम्मेदारी होती है, कि वे अपने ग्राहकों को हर तिम्हाई या 6 महीनो की रिपोर्ट मुहैया करवा कर दे।

ये भी पढ़ें: वॉरेन बफे की तरह पोर्टफ़ोलियो कैसे बनाये?


पोर्टफोलियो प्रबंधन की विशेषताएं 

इन पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं को कई उद्देश्यो के लिए बनाया जाता है, जिसका निर्माण निवेशकों की मुश्किलों को आसान करने के लिए किया जाता है

इसलिए सर्विस प्रोवाइडर की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योकि वे अपने ग्राहकों को तकनीकी जानकारी  प्रदान करती है तथा इनके द्वारा  ग्राहकों की मुश्किलों को हल किया जा सकता  है। इनकी कुछ निम्नलिखित विशेषताएं है ।

  • जमा राशि में वृद्धि होना
  •  राशि के ब्याज की सुरक्षा
  • लिक्विडिटी
  • जोखिम विवधिकरण 
  • टैक्स प्लांनिंग 
  • सिक्योरिटीज की मार्केटेबिलिटी 
  • नियमित रिटर्न्स   

इन्वेस्टमेंट कैपिटल ग्रोथ 

कोई भी देश चाहे भारत हो या कोई  अन्य हमेशा ही महंगाई की दर ऊपर  नीचे होती रहती है । ये दर भिन्न देशो में अलग हो सकती है।

हालाँकि, उस समय विशेष रूप में निवेश की गयी राशि पर होने वाली खरीद राशि भविष्य में कम हो सकती है।  

इसके इलावा कई  अन्य आर्थिक कारण  भी हो सकते है, जो की चिंता बढ़ा सकते है। इसलिए प्रिंसिपल का बहुत महत्त्व है, जोकि किसी भी आर्थिक कारण  पर भारी पड़ सकता है। 

प्रिंसिपल अमाउंट सिक्योरिटी

प्रिंसिपल अमाउंट सिक्योरिटी पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज की आवश्यक ज़िम्मेदारी है । पीएमएस मैनेजर की यह पहली  ज़िम्मेदारी है की प्रिंसिपल अमाउंट सुरक्षित रहे  और उस पर किसी भी तरह का रिस्क ना हो। 

निवेशकों को भी ये उम्मीद रहती है कि उन्हें किसी भी स्थिति में अधिक से अधिक रिटर्न मिले, चाहे मार्किट की स्थिति कैसी भी हो । 

पीएमएस मैनेजर इतना कुशल होने चाहिए की वे किसी भी  स्थिति से मुकाबला करने के लिए तैयार रहे है और उसकी यह  ज़िम्मेदारी होनी चाहिए की उनकी राशि 100 प्रतिशत सुरक्षित रहे । 

लिक्विडिटी 

कई बार ऐसी स्तिथि भी आती है, जब ग्राहक को अपनी जमा राशि में से कुछ भाग की ज़रुरत पड़ती है।  

इसलिए पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज की यह ज़िम्मेदारी होती है  कि वे निवेशक को ऐसे  इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट चुनने में मदद  करे जो की किसी भी समय एवं स्तर पर उन्हें मुनाफा दे सके । 

जोखिम विवधिकरण 

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज का मुख्य कार्य यह है की निवेशकों के प्रिंसिपल अमाउंट को विभिन्न उत्पादों में लगाए ताकि जोखिम की संभावना कम से कम हो। 

इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट कई प्रकार के होते है, इनमे कई प्रोडक्ट्स में जोखिम कम होता है और कई में जोखिम अधिक मात्रा में होता है। जितना अधिक रिस्क होता है , मुनाफा उतना अधिक होता है । इसलिए पोर्टफोलियो ऐसा होना चाहिए,जिसमे पीएमएस इन्वेस्टमेंट रिस्क निम्न स्तर पर हो । 

टैक्स प्लानिंग  

भारत में टैक्स देना बहुत आवश्यक है। इसलिए यदि आप  अधिक उच्च रिटर्न देख रहे है तो टैक्स कारको पर भी ध्यान देना आवश्यक है। 

इसलिए आपके पोर्टफोलियो को ऐसे तैयार करना चाहिए की टैक्स का भार काम हो, चाहे ये इन्कम  टैक्स हो या कैपिटल गेन्स टैक्स हो।

सिक्योरिटीज की मार्केटेबिलिटी

सिक्योरिटीज मार्केटेबिलिटी बहुत ही महत्वपूर्ण कारक है। अगर कोई  विशेष तरह के पोर्टफोलियो स्टॉक्स में निवेश करता है, वो एक अलग बात है, लेकिन किसी को भी चुने हुए स्टॉक्स और उनके वर्तमान मार्किट की अवधारणा पर ध्यान  अवश्य देना चाहिए ।

इस प्रकार पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज का यह उदेश्य होना चाहिए की वे सुनिश्चित करे, वे उन  शेयरों  में लगातार निवेश करे , जो सूचकांकों में सूचीबद्ध होते है और जिनका ट्रेड उचित होता है।

रेगुलर रिटर्न्स

अगर कोई व्यक्ति किसी इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट में पैसा लगाता  है तो उसकी इच्छा होती है कि उसने जो इन्वेस्टमेंट प्रोडक्ट चुना है, बेहतर रिटर्न्स प्रदान कर सके।  इसलिए एक विशेषज्ञ इन्वेस्टमेंट मैनेजर को चाहिए कि इनवेस्टेड कैपिटल अमाउंट जो निवेशक ने लगाया है, को हमेशा अच्छा रिटर्न मिल सके।


पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं के प्रकार

आमतौर पर  पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज चार प्रकार के होते है जिनका अपने उदेश्य होते  है।

एक्टिव पोर्टफोलियो प्रबंधन

जैसा कि नाम से ही पता चल जाता है कि  पोर्टफोलियो प्रबंधन को हर समय एक्टिव रहना पड़ता है । यह ध्यान रखना चाहिए की हमे अल्पकालिक मार्किट मूवमेंट्स से प्रभावित नहीं चाहिए अपितु वैल्यू की और ध्यान देना चाहिए।

यही कारण  है जिसके लिए आपको पोर्टफोलियो प्रबंधन की ज़रुरत पड़ती है।.

 इसलिए ऐसे स्टॉक्स का चुनाव करते समय इस  बात का ध्यान रखना चाहिए जो की भविष्य में मल्टी बागेर हो और उन स्टॉक्स को खरीदना चाहिए जिनकी कीमत वर्तमान में कम हो

पैसिव पोर्टफोलियो प्रबंधन

पैसिव पोर्टफोलियो प्रबंधन द्वारा, आप मार्किट के सिद्धांतो  पर विश्वास कर सकते है। आमतौर पर यह देखा गया है कि काफी समय के बाद सभी अल्पकालिक कारक निष्प्रभावी हो जाते है तथा स्ट्रांग स्टॉक आपकी इन्वेस्टमेंट पर रिटर्न लाना शुरू कर देता है। 

जैसे कि अगर कोई विशेष स्टॉक XYZ  में NIFTY50 सूचकांक के मूल्यांकन का 5 % शामिल है तो आपके निवेश पोर्टफोलियो का 5 % उस विशेष स्टॉक को  सौंपा जायेगा । 

डिस्क्रिशनरी पोर्टफोलियो प्रबंधन  

यहाँ आप पोर्टफोलियो मैनेजर पर विश्वास कर सकते है ।  निवेशक के तौर पर यदि आप प्रिंसिपल अमाउंट  निवेश अवधि के अंतर्गत प्राप्त कर लेते है  तो आपके इन्वेस्टमेंट का उदेश्य पूरा हो जाता है।

निवेश उत्पादों और संबधित शेयरों और ट्रेडिंग शैली को तय करने में इन्वेस्टमेंट मैनेजर को  100 प्रतिशत अधिकार प्राप्त है ।

नॉन डिस्क्रिशनरी पोर्टफोलियो मैनेजमेंट

यहाँ पर पोर्टफोलियो मैनेजर एक वित्तीय सलाहकार के रूप में कार्य करता है। वह आपके इनपुट्स लेता है और आपको पूंजी लगाने और निवेश करने की सलाह देता है, जबकि  यह  पूरी तरह निवेशक की पसंद पर निर्भर  करता है कि वह उसमे निवेश करना चाहता है या नहीं।

इसलिए यदि आप पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज ले भी रहे है, आपको इस बात का ध्यान रखना है की जोखिम का स्तर, निवेश जोखिम स्तर, निवेश उदेश्य, रिटर्न की  उम्मीदे  और समय सीमा से कभी भी समझौता नहीं करना चाहिए, नहीं तो इससे  आपके  उद्देश्यों को पूरा होने  में रूकावट आ सकती है।


पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज मैनेजर की योग्यता 

पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा मैनेजर बनने के लिए आपके पास विशेष योग्यता और बैकग्राउंड होना  चाहिए।

यह बहुत ही जिम्मेदारी वाला पद है क्योकि इसमें  आपको  अपने  ग्राहकों की सम्पति को प्रबंधित करना पड़ता है और यह पूंजी पैमाने और मात्रा दोनों में अधिक हो सकती है।

पोर्टफोलियो मैनेजर बनने के लिए आपके पास निम्नलिखित योग्यताएं होनी चाहिए 

  • सेबी को 10 लाख की पंजीकरण फीस
  • परिचालन को चलाने के लिए पर्याप्त कर्मचारियों और उपकरणों के साथ एक कार्यालय स्थान होना चाहिए।
  • फाइनेंस में एजुकेशनल बैकग्राउंड , व्यवसाय प्रबंधन, सरकारी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से  या कॉलेज से  लॉ या एकाउंटेंसी की होनी चाहिए।
  • एक व्यक्ति या एक फर्म के रूप में कम से कम ₹ 50 लाख की नेटवर्थ ।
  • स्टॉकब्रोकर, वित्तीय सलाहकार, पोर्टफोलियो या निवेश प्रबंधकों के रूप में न्यूनतम 5 वर्षों के अनुभव रखने  वाले कम से कम 2 कर्मचारी।
  • सेबी द्वारा जारी किया गया लाइसेंस 3 वर्षो के लिए जारी किया जाता है, जिसे किसी भी व्यक्ति को 3 वर्षो के बाद फिर से रीनयू  करवाना पड़ता है ।

भारत में पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा 

भारत में  लगभग 100 छोटे, मध्यम, एवं बड़े उधम है जो पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज प्रदान करते है, इनमे से कुछ निम्नलिखित है-

और 100 अन्य 

इन बिज़नेस पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज का अलग अलग महत्व है, कई बेहतर रिटर्न दिलाते  है, जबकि अन्य बेहतर ग्राहक सेवा, सुगम निवेश मंच, रिसर्च एवं अन्य कारको में मदद प्रदान करते है। 

इन  पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सेवाओं को लेने से पहले,आपको न केवल उनके मूल्य पर विचार करना चाहिए अपितु यह देखना चाहिए कि इन्होने पिछले समय में अपने ग्राहकों को  कितना रिटर्न दिलवाने  में सफलता हासिल की है।

इसलिए ग्राहक को सेवा प्रदान करने से पहले उन्हें अपनी पहले दी गयी सेवाओं के बारे में अवगत करवाना चाहिए और ग्राहक को भी  अपनी मेहनत की कमाई इन्वेस्ट करने से पहले  पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज का चयन ध्यान से करना चाहिए। 


पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज कौन प्रदान कर सकता है?

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज को आज कल एक महान  इन्वेस्टमेंट टूल के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, इस बात को भी  नाकारा नहीं जा सकता । 

निवेशक ज़्यादातर  HNIs होते है, जिन्हे   स्टॉक मार्किट के बारे में जानकारी नहीं होती है, या  जिनके पास स्टॉक मार्किट में इन्वेस्टमेंट करने के लिए ज़्यादा समय नहीं होता है, वह पोर्ट फोलियो मैनेजमेंट सर्विस की सेवाएं लेते है।

देश में कई पीएमएस कम्पनीज  कार्य कर रही है, यह इन्वेस्टर्स को देखना होगा कि  वे किस पोर्टफोलियो पर विश्वास करे। 

विश्व में स्टॉकब्रोकिंग में कई दिग्गज पीएमएस सेवाएं प्रदान कर रहे है। इसके इलावा कई इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट कम्पनीज भी है, जो इन्वेस्टर्स को ऐसी ही सुविधाएं प्रदान करते है। 

निवेशक जो अच्छी तरह से स्थापित स्टॉकब्रोकर के लिए जाना चाहते हैं, वे मोती लाल ओसवाल, आईआईएफएल जैसी कम्पनीज की मदद ले सकते  हैं।

इसके इलावा इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट  कंपनियों में, अल्केमी  कपिटल, एनजे एसेट मैनेजमेंट प्राइवेट लिमिटेड शीर्ष विकल्प हैं।


पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज के लिए सेबी के नियम

 सेबी ने पोर्टफोलियो मैनेजर्स के लिए कुछ नियम बनाये है, जिनका हर समय अनुपालन करना ज़रूरी है। अगर इन नियमो का पालन नहीं किया जाता, तो उनके प्रोफेशनल  लाइसेंस को रदद किया जा सकता है । इन नियमो को सेबी द्वारा वर्ष 1993  में बनाया गया था।

यह  है कुछ निम्नलिखित नियम 

  • पोर्टफोलियो  मैनेजर की रजिस्ट्रेशन के लिए कुछ नियमो का पालन करना ज़रूरी है। इसके लिए मैनेजर को  पंजीकरण प्रक्रिया, आवेदक पृष्ठ भूमि , बुनियादी ढांचे, पेशेवर योग्तया का पालन करना चाहिए ।
  • पोर्टफोलियो मैनेजर को कम से कम 10 वर्षो का अनुभव होना होना चाहिए। पोर्टफोलियो मैनेजर के अंतर्गत  कम से कम 2 व्यक्ति रोज़गार करते हो एवं उनको 5  साल का अनुभव होना चाहिए ।
  • पोर्टफोलियो मैनेजर को किसी क्लाइंट के साथ बिज़नेस असाइनमेंट करने से पहले कॉन्ट्रैक्ट करना चाहिए, ताकि दोनों पक्षों को अपने दायित्वों और संबंधित देयताओं, प्रतिबंधों, निवेश के क्षेत्रों, उद्देश्यों और प्रदान की जाने वाली सेवाओं के पारस्परिक अधिकारों की सेवाएं प्रदान की जानी चाहिए। 
  • पोर्टफोलियो मैनेजर को जो फंड अपने क्लाइंट से प्राप्त होता है जो कि उसने किसी प्रोडक्ट में लगाया होता है उसकी जानकारी दोनों के बीच में हुए एग्रीमेंट  में अवश्य होनी   चाहिए। 
  • पोर्टफोलियो फंड के नवीनीकरण को पुस्तकों में एक नए प्लेसमेंट के रूप में माना जाना चाहिए।
  • वर्तमान प्रमाण पत्र को ख़त्म होने से पहले रिन्यूअल प्रक्रिया के लिए3 महीने पहले आवेदन करना चाहिए।
  • यदि आवेदन को रद्द कर दिया जाता है, तो बोर्ड को आवेदक को  आवेदन के रद्द होने के कारणों  के बारे में 30 दिन  के भीतर बताना होगा। 
  •  रिजेक्शन लेटर  प्राप्त होते ही पोर्टफोलियो मैनेजर को अपनी सेवाएं बंद कर देनी चाहिए। 

पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवाओं का उदहारण 

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज को उदहारण के द्वारा  आसानी से समझा जा सकता है,जिससे आपको सारी  प्रक्रिया आसानी से समझ आ जाएगी। 

विजय पुणे का एक बिजनेसमैन है जो कपड़ो का व्यापार करता है । उसको अपने ग्रैंडपैरेंट्स से ज़मीन प्राप्त हुई,जिसको उसने बेच दिया ।  इस ज़मीन को बेचने के बाद उसे उसे 30 लाख रुपए प्राप्त हुए। 

अब उसके पास इस पैसे को इस्तेमाल करने के कुछ तरीके है

सबसे सुरक्षित तरीका यह है की वह सारे पैसे को फ़िक्स डिपाजिट में जमा करवा सकता है। इससे वह 7% ब्याज सहित सालाना कमाई कर सकता है। इससे उसे 17 -18  हज़ार मासिक ब्याज मिल जाएगा  । 

उसने इसके बारे में अपने मित्र स्वप्निल से बात की जो की बैंक में काम करता था । 

स्वप्निल ने उसे पूंजी लगाने के लिए  पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज की सेवाएं लेने का सुझाव दिया, जिससे कि  उसे बेहतर रिटर्न्स कम जोखिम पर मिल सके। 

इसके बाद विजय ने कुछ पोर्टफोलियो मैनेजर से बात करने का मन बनाया, जिससे उसे पता लग सके की उसे किससे अच्छा रिटर्न्स मिल सकता है और जिसमे पैसा लगाने में रिस्क भी  कम हो । 

कुछ पोर्टफोलियो मैनेजरों से मिलने के बाद, वह एडीबी पीएमएस की सेवाएं लेने का निर्णय  लेता है, जो विजय के उद्देश्यों के आधार पर उसे इक्विटी बॉन्ड, म्यूचुअल फंड, ईटीएफ में कुछ फंडों के साथ सरकारी बॉन्ड में इन्वेस्ट करने की  सलाह देता  हैं।

विजय इन विचारों के साथ आगे बढ़ता है और  पोर्टफोलियो मैनेजर  के साथ एक अनुबंध करता है।

एक वर्ष के समय में, विजय को अपनी मूल राशि पर 17% का रिटर्न मिलता है, जिसके बाद  वह ADB PMS द्वारा सुझाए गए उत्पादों में फिर से निवेश करता है।

इस तरह से पोर्टफोलियो  मैनेजमेंट सर्विसेज कार्य करती  है।


क्या पीएमएस एक अच्छी इन्वेस्टमेंट है?

PMS एक बहुत बड़ा निवेश है। जैसा कि सेबी के अनुसार  निवेशकों को अनिवार्य रूप से 50 लाख रुपये का न्यूनतम निवेश करना होगा , ताकि सेवा प्राप्त करने के लिए पात्र हो।

कई बार इन्वेस्टर  डर जाता है कि की उसे पोर्टफोलियो इन्वेस्टमेंट के लिए पूरी तरह से पोर्टफोलियो मैनेजर पर निर्भर रहना पड़ता है,दरअसल यही कारण है जो पीएमएस को एक अच्छी इन्वेस्टमेंट बनाता है ।

एक इन्वेस्टर जिसके पास स्टॉक मार्किट का ज़्यादा अनुभव नहीं होता है और उसके पास अपने पोर्टफोलियो के लिए वित्तीय साधनो को चुनने के लिए समय नहीं होता है, को पोर्टफोलियो मैनेजर की सेवाएं अवश्य लेनी चाहिए।

इन्वेस्टर को इन्वेस्टमेंट करने के लिए प्रोफेशनल पोर्टफोलियो मैनेजर की सेवाएं अवश्य लेनी चाहिए, जो कि इन्वेस्टर की इन्वेस्टमेंट के सही समय पर निर्णय ले सके। पोर्टफोलियो विभिन्न वित्तीय साधनो में जोखिम को कम करने के लिए इन्वेस्टर की मदद करता है।

निवेशक पोर्टफोलियो मैनेजर को अपनी ओर से लेन देन की अनुमति दे सकता है क्योकि इस प्रक्रिया में कोई स्कैम नहीं है।


पोर्टफोलियो प्रबन्धन सेवा रिटर्न

जहां तक पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज पर रिटर्न की बात है, तो इसमें कई कारक  है, जो तय करेंगे कि परसेंटेज कितनी होगी।

यह सब कुछ पोर्टफोलियो मैनेजर केअनुभव, मार्किट की स्तिथि, इन्वेस्टर की रिस्क लेने की क्षमता पर निर्भर करता है।

अगर हम भारत की 5  शीर्ष पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज कि  बात करे, तो उनका रिटर्न प्रतिशत 37% ऊपर है तथा 22% नीचे है।

यह परसेंटेज ब्रोकर से ब्रोकर और साल  दर साल अलग अलग हो सकते है। हालांकि इससे पता चल जाता है कि सामान्य रिटर्न क्या है, इससे इन्वेस्टर को  सर्विसेज का  चयन करने में सहायता मिलती है।


पोर्टफोलियो प्रबंधन के नुकसान 

आइये हम पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज से जुड़े कुछ नुकसानों  के बारे में  बात करते है

  • पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा को निवेश में अधिक  विविधिता नहीं लानी चाहिए ,क्योकि यह अपेक्षित लाभ रिस्क को कम करता है और अपेक्षित रिटर्न्स में होने वाले नुकसान को बड़ा देता है। यह रिटर्न्स की स्तिथि को नुकसान पहुंचता है ।
  • पोर्टफोलियो प्रबंधन सेवा लेने के लिए आपको बहुत अधिक पूंजी का निवेश करना पड़ता है (लगभग 25 लाख के करीब) इससे रेगुलर निवेशकों को अवरोध का सामना करना पड़ता है, जो की इनकी रेगुलर सर्विसेज लेना चाहते है ।
  • पीएमएस चार्जेज पर भी बहुत ध्यान रखना पड़ता है, क्योकि कुछ ब्रोकर्स  सर्विसेज के लिए बहुत ज़्यादा पैसे चार्ज करते है ।

पोर्टफोलियो प्रबंधन के लाभ 

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के बहुत लाभ है जिसके बारे में आपको पता होना चाहिए 

  • इससे आपको अपनी इन्वेस्टमेंट में  बेहतर चुनाव करने में मदद मिलती है।इससे हर इन्वेस्टमेंट  प्रोडक्ट के बारे में जानकारी मिलती है और यह पता चलता है किन प्रोडक्ट्स से अच्छी रिटर्न्स कम रिस्क लेकर प्राप्त कर सकते है  ।
  • इससे आप अपनी इन्वेस्टमेंट का ट्रैक रख सकते है और अपने पोर्टफोलियो मैनेजर के साथ विचार विमर्श करने के बाद बदलाव भी कर सकते है(यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपको किस प्रकार का पीएमएस मुहैया करवाया गया है।)
  • पोर्टफोलियो मैनेजमेंट की सेवाओं को लेने पर  आप नियमित रूप से इन्वेस्ट करेंगे और यह आपकी आदत बन जाएगी।
  • इससे आपकी फाइनेंसियल जानकारी में बढ़ोतरी होती है और आपके द्वारा की गयी इन्वेस्टमेंट में भी सुधार ।होता है 
  • इससे इन्वेस्टमेंट की लिक्विडिटी पर कंट्रोल रहता है। इससे  आपातकाल की स्तिथि में इन्वेस्टमेंट को लिक्विड मनी में बदल सकते है।
  • इससे डिस्पोजेबल इनकम इन्वेस्टमेंट में विविधता लेने  में मदद मिलती है।इसके द्वारा जोखिम को भी कम किया जा सकता है।

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट कितना आवश्यक है?

पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के बारे में अपने ज़रूर सुना होगा, इसके  निम्नलिखित  महत्त्व और लाभ है  

  • फंड का आंवटन एवं अधिकतम रिटर्न्स 
  • रिस्क को कम करना 
  • विविधता 
  • टैक्स प्लानिंग 
  • प्रतिकूल स्तिथिओं का प्रबंधन

उपरलिखित बातो से पता चलता है कि  पोर्टफोलियो मैनेजमेंट का क्या महत्व है

 कैसे इन्वेस्टर पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज में इन्वेस्ट कर सकता है –

पीएमएस एक विशेष सेवा है, जिसका लाभ केवल  HNIs उठा सकते है। आम जनता इस बात को लेकर भ्रमित रहती है कि इन्वेस्टर पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज में कैसे इन्वेस्ट कर सकता है।

पात्रता मानदंड  का विवरण पहले ही ऊपर किया जा चुका  है। पीएमएस सेवाएं   लेने के लिए पीएमएस कंपनी में पीएमएस अकाउंट खुलवाना पड़ता है। 

पीएमएस अकाउंट कुछ नहीं है,लेकिन पोर्टफोलियो  में इन्वेस्टमेंट के लिए  डीमेट अकाउंट खुलवाना आवश्यक है इसके लिए इन्वेस्टर को कुछ डाक्यूमेंट्स जैसे पैन कार्ड ,पहचान पत्र  और एड्रेस प्रूफ जमा करवाने पड़ते है 

पीएमएस सेवा देने वाली कंपनी को यह सुनिश्चित करना होगा कि  वह इन्वेस्टर से POA (Power Of Attorney) फार्म साइन करवाए । इसके बाद कंपनी  इन्वेस्टर की स्वकृति के बाद  इन्वेस्टर को   पोर्टफोलियो की सेवाएं देने की अनुमति देगी।


यदि आप देश के शीर्ष फाइनेंसियल कम्पनीज की पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज सेवाएं लेना चाहते है, तो हम आपको बताएंगे।

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