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सेबी क्या है (Sebi in hindi) ये तो सभी जानते है लेकिन सेबी के अधिकार क्या है और किस तरह से ये स्टॉक मार्केट को रेगुलेट करने में कारगर है, इन्ही सबके बारे में आज हम विस्तार में बात करेंगे।
तो शुरू करते है कि सेबी की स्थापना की ज़रुरत क्यों पड़ी?
1980 के समय कैपिटल मार्केट भारत के लोगों के बीच सनसनी बनकर उभरा था और इसके साथ कीमतों की हेराफेरी स्टॉक एक्सचेंज के नियम और विनियमन का उलंघन, शेयर के डिलीवरी में देरी, कंपनी के प्रावधान का अनुपालन नहीं करना जैसे भ्रष्टाचार को बढ़ाने की गतिविधि में भी काफी बढ़ोतरी हुई।
इन सभी भ्रष्टाचार गतिविधियों की वजह से आम लोगों और निवेशकों के कैपिटल मार्केट की ओर दिलचस्पी कम होने लगी थी। इस वजह से सरकार ने इन सभी भ्रष्टाचार गतिविधियों को खत्म करने के लिए सेबी की स्थापना की।
आज इस सन्दर्भ में सेबी की भूमिका, संघटन की संरचना, सेबी के कार्य, सेबी के अधिकार या शक्तियाँ और सेबी के उद्देश्य के बारे में विस्तृत रूप से चर्चा करेंगे।
सेबी की भूमिका
सभी शेयर बाजार प्रतिभागियों के लिए सेबी रक्षक की तरह कार्य करता है और इसका मुख्य उद्देश्य वित्तीय बाजार के उत्साही लोगों के लिए और सिक्योरिटीज बाजार को प्रभावी और आसानी से काम करने के लिए उचित वातावरण प्रदान करना होता है।
सेबी अर्थव्यवस्था में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
इन सभी चीज़ों को सुचारु रूप से विनियमित करने के लिए सेबी तीन खास श्रेणी का विशेष ध्यान रखता है जो इस प्रकार हैं।
- सिक्योरिटीज के जारीकर्ता: यह कॉर्पोरेट क्षेत्र में वैसी संस्था होती है जो बाजार में अपने व्यापार को बढ़ाने के लिए विभिन्न स्रोत से आवश्यक फंड्स इकट्ठा करते हैं। यह संस्था सुनिश्चित करता है की वे अपनी जरुरत के अनुसार अच्छा और पारदर्शित वातावरण पाएं।
- निवेशक: निवेशक वे होते हैं जो बाजार को सक्रिय रखते है इस विनियमन प्राधिकरण की जिम्मेदारी भ्रष्टाचार से मुक्त वातावरण बनाये रखने और आम लोगों जो अपनी मेहनत से कमाए धन को बाजार में निवेश करते हैं उनके भरोसे को कायम रखने की जरुरत होती है।
- वित्तीय मध्यवर्ती लोग: ये वैसे लोग होते हैं जो निवेशक और जारीकर्ता के बीच मध्यस्थ का कार्य करते हैं ये वित्तीय लेन-देन को सुरछित और सुलभ बनाते हैं।
- संघटन की संरचना: वर्तमान में सेबी के अध्यक्ष अजय त्यागी हैं, इन्हें 10 फरवरी 2017 को सेबी के अध्यक्ष के पद पर नियुक्त किया गया था।
इन्ही सबके हितों में फैसला लेने के लिए सेबी के बोर्ड में 9 लोगों की सदयस्ता है जो की निम्नलिखित है:
- भारत सरकार द्वारा एक अध्यक्ष नियुक्त किया जाता है।
- संघ वित् मंत्रालय के दो अधिकारी सदस्य नियुक्त होते हैं ।
- एक सदस्य रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया से नियुक्त होते हैं।
- पाँच सदस्य भारत सरकार संघ द्वारा नियुक्त किया जाता है ।
सेबी के कार्य
सेबी के अधिकार के साथ इस संघटन के मुख्य तीन कार्य इस प्रकार हैं:
- सुरक्षात्मक कार्य (Protective Function)
- नियामक कार्य (Regulatory Function)
- विकास कार्य (Development Function)
1. सुरक्षात्मक कार्य
जैसाकि नाम से पता चलता है, ये सभी कार्य निवेशकों और अन्य वित्तीय प्रतिभागियों के ब्याज की सुरक्षा सेबी द्वारा विनयमित की जाती है।
जो इस प्रकार है:
- कीमतों में हेराफेरी की जाँच करना।
- इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकना।
- निष्पक्ष प्रथाओं को बढ़ावा देना।
- निवेशकों के बीच जागरूकता पैदा करना।
- अनुचित ट्रेड और धोखाधड़ी को रोकना।
2. नियामक कार्य
नियामक कार्य का काम वित्तीय बाजार के व्यापर के कार्य की जांच करना है।
इसमें ये सभी कार्य शामिल है:
- वित्तीय मध्यवर्ती संस्थाएं और व्यवस्थित तरीके से काम करने के लिए दिशा-निर्देश और आचार संहिता लागू करना।
- एक्सचेंजेस की जांच और ऑडिट करना।
- कंपनियों के अधिग्रहण को विनियमित करना।
- व्यापारी, ब्रोकर, सबब्रोकर और अन्य का पंजीकरण।
- क्रेडिट रेटिंग संस्था का पंजीकरण करना।
3. विकास कार्य
सेबी के अधिकार में कुछ विकास कार्य भी शामिल जो निम्नलिखित दिए गए है:
- बिचौलियों को प्रशिक्षण देना।
- निष्पक्ष व्यापार को बढ़ावा देना और कदाचार में कमी।
- शोध कार्य करना।
- स्व-विनियमन संगठनों को प्रोत्साहित करना।
- स्टॉकब्रोकर के माध्यम से सीधे AMC से म्यूचुअल फंड खरीदने-बेचने की अनुमति।
सेबी की शक्तियाँ
कार्य के बाद अब बात करते है कि सेबी की शक्तियां क्या है और किस तरह से ये मार्केट को रेगुलेट करने में सहायक है:
- जब स्टॉक एक्सचेंज की बात आती है, SEBI के पास स्टॉक एक्सचेंज के कार्य से जुड़े नियम और विनियमन करने की शक्ति होती है।
- इसके पास सभी स्टॉक एक्सचेंजेस और बुक्स ऑफ़ रिकार्ड्स तक पहुँच का अधिकार होता है।
- स्टॉक एक्सचेंजेस में कोई भी धोखाधड़ी होने पर SEBI सुनवाई के निर्णय का संचालन करता है।
- जब कंपनी के साथ व्यवहार की बात आती है, इसके पास देश के स्टॉक एक्सचेंजेस में कंपनी को सूचीबद्ध करने और सूचि से हटाने की शक्ति होती है।
- सेबी कंपनी को एक से ज्यादा स्टॉक एक्सचेंज में शेयर्स की लिस्टिंग का अधिकार देता है, अगर ये निवेशकों के लिए लाभदायक है।
- जब निवेशक के सुरक्षा की बात आती है, SEBI के पास आम लोगों की वित्तीय सुरक्षा के लिए वैध नियम लागू करने का अधिकार है।
- यह ब्रोकर के पंजीकरण और जो निवेशक के साथ बाजार में सौदा करते हैं उनका विनियमन करने का अधिकार होता है।
निष्कर्ष
तो ये थे सेबी के अधिकार जिनके आधार पर वह स्टॉक मार्केट में किसी भी तरह की धोखाधड़ी को रोकने का प्रयास करता है और साथ ही नियम और कानूनों लागू कर निवेशक और ब्रोकर की हर चाल पर नज़र रखता है।
सेबी का गठन मूल रूप से कैपिटल मार्केट में हो रहे धोखाधड़ी को रोकने के लिए किया गया था सेबी के मुख्य कार्यों में से एक कैपिटल मार्किट की विनियमित करना है।सेबी समय-समय पर कई तरीके और उपाय निवेशकों की सुरक्षा के लिए जारी किए हैं जिससे निवेशकों के कैपिटल मार्केट की ओर दिलचस्पी में काफी बढ़ोतरी हुई।
सेबी के अधिकार: अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
1. सेबी क्या कार्य करता है?
निवेशकों की सिक्योरिटीज के ब्याज की सुरक्षा और सिक्योरिटीज बाजार के विकास को बढ़ावा और विनियमित करता है।
2. सेबी निवेशकों के हितों की रक्षा कैसे कर रहा है?
सेबी ने निवेशकों की हितों को ध्यान में रखते हुए समय-समय पर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कई उपाय बताएं हैं और कई निवेशक जागरूकता कार्यक्रम संचालित किये हैं, निवेशक जागरूकता कार्यक्रम ने बहुत सहायता की है और ऐसा करना जारी रखेगा।
3. भारतीय वित्तीय व्यवस्था में सेबी की क्या भूमिका है?
भारतीय वित्तीय व्यवस्था में सेबी की मुख्य भूमिका भारतीय स्टॉक बाजार को व्यवस्थित तरीके से विनयमित करना है।भारतीय स्टॉक बाजार में सेबी का गठन ट्रेडर्स और निवेशकों की सुरक्षा के लिए गठन किया गया था।
4. सेबी के कर्त्तव्य क्या हैं?
सेबी का मुख्य कर्तव्य भारतीय कैपिटल बाजार को विनियमित करना है। यह स्टॉक मार्केट की निगरानी और विनियमित करता है और यह कुछ नियमों और विनियमों को लागु करके निवेशक के ब्याज की सुरक्षा करता है।
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