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सेबी क्या है (Sebi Meaning in Hindi)– आज हम इस पोस्ट में बात करेंगे की सेबी की उद्देश्य क्या है और यह शेयर बाजार में क्या भूमिका निभाता है।
SEBI in hindi “भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड” है। आसान शब्दों में कहें तो, यह एक बोर्ड या संस्था है जो भारत की सिक्योरिटीज मार्केट को नियंत्रित करता है। सिक्योरिटीज मार्केट को स्टॉक एक्सचेंज भी कहा जाता है।
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भारत में कुल 23 स्वीकृत स्टॉक एक्सचेंज है, लकिन इसमें NSE निफ्टी और BSE सेंसेक्स दो प्रमुख एक्सचेंज है जहाँ अधिकांश ट्रेड होते है।
यदि आप स्टॉक एक्सचेंज के बारे अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं तो Stock Exchange Meaning In Hindi को विस्तार से पढ़ें।
इस प्रकार, यह कह सकते हैं की सेबी एक रेगुलेटरी अथॉरिटी है जो भारत के पूँजी बाजार में एक कंट्रोलर के रूप में भूमिका निभाता है। सेबी पूँजी बाजार या शेयर बाजार में शेयरों की खरीद-बिक्री को नियंत्रित करता है।
अब बात करते है- सेबी की स्थापना के बारे में।
सेबी की स्थापना (Establishment of SEBI in Hindi)
सेबी की स्थापना 12 अप्रैल, 1992 को सेबी एक्ट, 1992 के तहत की गई थी।
सेबी की स्थापना का मुख्य कारण भारत के शेयर मार्केट में लिप्त भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी पर लगाम लगाना और शेयर बाजार के विकास की गति को बढ़ाना था।
इस प्रकार, यह सिक्योरिटी मार्किट में एक अथॉरिटी की तरह कार्य करता है, जो बाजार को नियंत्रण करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह सिक्योरिटी बाजार में कुछ नियमों और विनियमों को लागू करता है, जिससे निवेशकों के हितों की रक्षा होता है।
सेबी का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारतीय पूंजी बाजार एक व्यवस्थित तरीके से काम करे और निवेशकों या ट्रेडर को अपने निवेश के लिए पारदर्शी वातावरण प्रदान करे।
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सेबी का मुख्यालय
इसका मुख्यालय मुंबई में स्थित है।
इसके अलावा, भारत में सेबी के कई क्षेत्रीय कार्यालय है जो नई दिल्ली, चेन्नई, कोलकाता और अहमदाबाद में स्थित है। साथ ही, भारत के प्रमुख शहरों में अन्य स्थानीय क्षेत्रीय कार्यालय भी हैं।
सेबी का उद्देश्य
सेबी का अर्थ (Sebi Meaning in Hindi) को समझने के साथ सेबी के कार्य को जानना भी महत्वपूर्ण है। निम्नलिखित सेबी के कार्यो और शक्तियों के बारे में बताया गया है।
सेबी के कार्य:
सेबी (सिक्योरिटी एक्सचेंज एंड बोर्ड ऑफ़ इंडिया) के कार्यों को 3 श्रेणियों में बांटा गया है।
1. सुरक्षात्मक कार्य: सेबी के सुरक्षात्मक कार्य निम्नलिखित है:
- इनसाइडर ट्रेडिंग को रोकता है: इनसाइडर ट्रेडिंग का मतलब है जब किसी कंपनी के कर्मचारी, प्रमोटर या डायरेक्टर द्वारा कंपनी की निजी या गोपनीय जानकारी को लीक कर के सिक्योरिटीज की खरीद-बिक्री कर अवैध तरीके से लाभ कमाते है। इनसाइडर ट्रेडिंग को समझने के लिए आप इनसाइडर ट्रेडिंग के उदाहरण लेख को पढ़ सकते हैं।
- सेबी ने इसे नियंत्रण करने के लिए कुछ सख्त मापदंड तय किये है। इसे रोकने के लिए एक मार्केट सर्विलांस सिस्टम को लागू किया गया है जो बाजार में किसी भी तरह के असामान्य गतिविधि या मार्केट पैटर्न पर पहरा है।
- मूल्यों में हेराफेरी: सेबी का मुख्य उद्देश्य बाजार की कीमतों के उतार-चढ़ाव को रोकना था। यह भी ध्यान रोकना होगा की शेयर बाजार में उतर-चढ़ाव सामान्य है। लेकिन कई उतार-चढ़ाव कुछ बड़ी कंपनियों द्वारा तय किये जाते है।
- इस स्थिति में निवेशकों को बहुत नुकसान का सामना करना होता है। इसे रोकने के लिए सेबी ने सर्किट की शुरुआत की है।
- निवेशकों को वित्तीय शिक्षा देना: सेबी ऑनलाइन और ऑफलाइन सेमिनार के माध्यम से निवेशकों को शेयर बाजार की शिक्षा और वित्तीय प्रबंधन की जानकारी प्रदान करता है।
2. विकास कार्य: विकास कार्यों का अर्थ है सेबी द्वारा टेक्नोलॉजी इनोवेशन की मदद से सिक्योरिटी मार्केट को अपग्रेड करने के लिए की गयी पहल है। वे इस प्रकार हैं:
- सेबी द्वारा, सिक्योरिटीज मार्केट के मध्यस्थों को प्रशिक्षित करना।
- पंजीकृत स्टॉक ब्रोकर्स के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक / इन्टेनेट ट्रेडिंग की शुरुआत करना।
- डीमैट खाता शुरू करना
- डिस्काउंट ब्रोकरेज की शुरूआत।
3. नियामक कार्य: यह वित्तीय मध्यस्थों और कॉर्पोरेट के लिए नियमों की स्थापना को दर्शाता है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बाजार सुचारू रूप से चलता है।
- सेबी ने दिशा-निर्देश और कोड ऑफ़ कंडक्ट निर्धारित किया है जिसे वित्तीय बिचौलियों और कॉर्पोरेट पर लागू होते हैं।
- इन बिचौलियों को नियामक के दायरे में लाया गया है और निजी नियुक्ति कर के कड़े प्रावधान पेश किया गया है।
- सेबी म्यूच्यूअल फंड्स के काम को नियंत्रित करता है।
- कंपनी के अधिग्रहण को नियंत्रित करता है।
- स्टॉक एक्सचेंज की पूछताछ और ऑडिट करता है।
सेबी का उद्देश्य:
नीचे उल्लिखित सेबी के मुख्य उद्देश्य हैं:
संरक्षण: सेबी निवेशकों के अधिकारों और हितों की रक्षा करता है और उन्हें सही मार्गदर्शन करता है।
अवैध प्रथा को रोकना: ट्रेड से संबंधित धोखाधड़ी और स्कैम को नियंत्रित करता है और स्टॉक एक्सचेंज की गतिविधियों को विनियमित करता है।
आचार संहिता स्थापित करना: बिचौलियों जैसे ब्रोकर,बीमाकर्ता आदि के लिए एक आचार संहिता को विनियमित करता है।
संतुलन स्थापित करना: सिक्योरिटीज के विनियमन द्वारा वैधानिक नियमन और स्व विनियमन के बीच संतुलन स्थापित करता है।
सही कार्य को बढ़ावा देना: स्टॉक एक्सचेंज और सिक्योरिटीज मार्केट के कामकाज को विनियमित करने के लिए उन्हें बढ़ावा देना।
निष्कर्ष:
संक्षिप्त में, सेबी एक ऐसी संस्था है जो प्रतिभूति बाजार में शयरों के खरीद और बिक्री को नियंत्रित करता है।
यह इस बात को भी सुनिश्चित करती है कि सभी प्रतियोगी और बिचौलियाँ अपना काम सही तरह से कर रहे है और निवेशकों के सभी हितों की सुरक्षा की गारन्टी दी जा सकती है।
उम्मीद करते है की आप अच्छे से समझ गए हो की सेबी क्या और इसका क्या कार्य होता है और स्टॉक एक्सचेंज को सही तरीके से चलाने में इसकी क्या भूमिका है।
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