यदि आप कम समय में ज्यादा पैसा बनाना चाहते हैं और निवेश को लेकर थोड़ा जोखिम उठाने के लिए तैयार हैं तो शेयर मार्केट में पैसा लगाना आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। शेयर मार्केट में पैसा लगाने से पहले शेयर मार्केट का संपूर्ण ज्ञान जरूरी है।
इसके लिए आपके पास शेयर मार्किट के बेसिक सवालों के जवाब होने चाहिए जैसे शेयर क्या है, शेयर बाजार क्या होता है, कैसे और कौन कर सकता है शेयर बाजार में निवेश और कैसे इसमें सावधानीपूर्वक निवेश आपको ज्यादा रिटर्न दिला सकता है।
शेयर मार्केट कैसे सीखे? ऐसे कौन से विकल्प है जिससे आप शेयर बाजार में मुनाफा कमा सकते है?
इसक जवाब कुछ अलग नहीं है, जैसे आप किसी भी व्यवसाय या करियर ग्रोथ के लिए हम कई तरह के कोर्स और किताबे पढ़ते है। उसी तरह से शेयर मार्केट में ट्रेड या निवेश करने के लिए आपको मार्केट की पूरी जानकारी होना भी काफी आवश्यक है।
इसके लिए कई तरह की शेयर मार्केट बुक्स और साथ ही कोर्स उपलब्ध है लेकिन उन सब मुश्किल किताबो या कोर्स के चुनाव से पहले एक बेसिक जानकारी होना जैसे की शेयर मार्केट क्या है, कैसे काम करता है, किस तरह से कम्पनीज इसमें लिस्ट होती है और एक निवेशक किस तरह से इसमें निवेश कर सकता है।
ये सब बेसिक शेयर मार्केट का संपूर्ण ज्ञान को समझने में काफी लाभदायक होती है।
तो आइये शुरुआत करते है शेयर मीनिंग के साथ।
शेयर क्या होता है?
कोई भी कंपनी अपनी पूंजी को बढ़ाने के लिए शेयर मार्केट में लिस्टेड होती है। इसके बाद कंपनी अपना शेयर जारी करती है। शेयर की कुल वैल्यू कंपनी की पूंजी बताती है. उदाहरण के लिए किसी कंपनी ने 100 रुपये मूल्य के बीस हजार शेयर जारी किए तो कंपनी की कुल संपत्ति 20,000,00 होगी।
शेयर कितने प्रकार के होते हैं?
शेयर मुख्य रूप से तीन तरह का होता है।
- इक्विटी शेयर
- प्रेफ्रेंस शेयर
- डीवीआर शेयर
इक्विटी शेयर मीनिंग
स्टॉक मार्केट में जब लिस्टेड कंपनियां अपना शेयर जारी करती है तो ऐसे शेयर को इक्विटी शेयर कहते हैं। इसमें शेयर होल्डर्स के पास वोटिंग का अधिकार होता है।
प्रेफरेंस शेयर क्या होते हैं?
प्रेफ्रेंस शेयर भी इक्विटी शेयर का ही एक प्रकार है लेकिन इसमें शेयर होल्डर्स के पास वोटिंग का अधिकार होता है। बात डीवीआर शेयर की करें तो इसमें वोटिंग का अधिकार तो होता है लेकिन वो सुनिश्चित होता है।
शेयर मार्केट क्या होता है?
मार्केट, जहां शेयर खरीदे और बेचे जाते हैं शेयर मार्केट या स्टॉक मार्केट कहलाते हैं। बीएसई और एनएसई भारत के दो मुख्य शेयर मार्केट हैं जहां लोग शेयरों की खरीद-बिक्री करते हैं।
शेयर बाजार दो तरह के होते हैं…
- प्राइमरी शेयर बाजार– यहां कंपनी पहली बार लिस्टेड होती हैं। जो कंपनियां पहली बार शेयर बाजार में आना चाहती हैं उसकी शुरुआत यहीं से होती है। कंपनियां पहले अपनी आईपीओ(इनीशिएल पब्लिक ऑफरिंग) लेकर आती है।
- सेकेंडरी शेयर बाजार- इसे रेगुलर मार्केट के तौर पर माना जाता है। यहां रेगुलर बेसिस पर शेयरों की ट्रेडिंग होती है।
NSE और BSE क्या है?
भारत में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज(BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज(NSE) नाम के दो स्टॉक एक्सचेंज हैं।
बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है जिसकी शुरुआत 1875 में हुई थी। नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, भारत की दूसरी स्टॉक एक्सचेंज है।
सेंसेक्स और निफ्टी क्या होता है?
सेंसेक्स और निफ्टी दो प्रमुख लार्ज कैप इंडेक्स या सूचकांक है। सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज जबकि निफ्टी नेशनल स्टॉक एक्सचेंज से जुड़ा इंडेक्स है। सेंसेक्स में 30 कंपनियां जबकि निफ्टी में 50 कंपनियां लिस्टेड होती हैं। आप शेयर और अन्य ट्रेडिंग प्रोडक्ट के साथ निफ़्टी और अन्य इंडेक्स में भी ट्रेड कर सकते है।
अगर आप सोच रहे है की शेयर मार्केट में Nifty 50 me nivesh kaise kare तो उसके लिए आपको डेरिवेटिव्स सेगमेंट एक्टिवटे करना होगा और उसके पश्चात आप फ्यूचर और ऑप्शन में ट्रेड पोजीशन ले लाभ कमा सकते है।
स्टॉक ब्रोकर क्या है?
स्टॉक मार्केट और निवेशक के बीच स्टॉक ब्रोकर एक कड़ी का काम करता है। यह स्टॉक मार्केट में एक एजेंट की तरह काम करता है। स्टॉक ब्रोकर को ही डिपॉजीटरी पार्टिसिपेंट भी कहा जाता है।
इसी की मदद से निवेशक शेयर खरीद या बेच सकते हैं। शेयर में निवेश करने से पहले डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट का होना अनिवार्य होता है। यह काम भी मार्केट में मौजूद स्टॉक ब्रोकर ही करता है।
शेयर मार्केट में अलग-अलग कम्पनीज लिस्टेड होती है जिसमे निवेशक उसके बिज़नेस मॉडल और आने वाले ग्रोथ की जानकारी के आधार पर निवेश कर अच्छा रिटर्न कमा सकता है। दूसरी ओर शेयर मार्केट में अगर आप शेयर प्राइस के उतार चढ़ाव से लाभ कमाना चाहते है तो उसके लिए ट्रेडिंग का विकल्प भी होता है।
लेकिन किन कारणों के चलते शेयर प्राइस कम या ज़्यादा होते है, क्यों कुछ कम्पनीज अच्छा रिटर्न दे पाती है और कुछ एक सीमित लाभ?
क्या सभी कम्पनीज में निवेश कर सिर्फ शेयर प्राइस से ही मुनाफा कमाया जा सकता है या अन्य विकल्पों से भी एक निवेशक अपने रिटर्न को बढ़ा सकता है।
तो यहाँ पर आपको बता दे की देश और दुनिया भर में हो रहे अलग-अलग गतिविधिया सेक्टर्स और उसकी कम्पनीज के बिज़नेस पर असर करती है जिससे उस कंपनी के शेयर की सप्लाई और डिमांड पर असर पड़ता है और एक ट्रेडर को वोलेटाइल मार्केट में मुनाफा कमाने का अवसर और एक निवेशक को सही दाम में शेयर को खरीद ज़्यादा में बेचने का मौका मिलता है।
इसके साथ अलग-अलग स्थिति में कोई सामान्य किस प्रकार अपने बिज़नेस को बेहतर बनाने में सक्षम है उससे उसकी रिटर्न की गणना की जाती है। कुछ कंपनी गिरती इकॉनमी में आगे नहीं बढ़ पाती और इसके चलते उसका प्रॉफिट और शेयर प्राइस तेज़ी से गिरने लगता है।
शेयर मार्केट में ट्रेड या निवेश करने के लिए आपको सभी गतिविधियों की जानकारी होनी चाहिए। उसके पश्चात् आप जो शेयर को खरीदना या बेचना चाहते है उसके लिए सबसे पहले अपनी ट्रेडिंग एप में वह शेयर को सर्च करें और उसका पूरा विश्लेषण कर आर्डर करें। अगर आप पहली बार शेयर ट्रेड कर रहे है तो जाने की share kaise khairde aur beche in hindi.
ये आर्डर आपके स्टॉक ब्रोकर से एक्सचेंज के प्लेटफार्म तक जाता है जहा प्राइस मैच होने पर आपका आर्डर एक्सेक्यूटे हो जाता है। अगर आपने शेयर अपने डीमैट खाते में डिलीवरी करने के उद्देश्य से ख़रीदे है तो सेटलमेंट साइकिल (T+2 days) में आपके शेयर आपके खाते में आ जाएंगे।
शेयर मार्केट की जानकारी के बाद अब ये जानना ज़रूरी है कि share market me investment kaise kare? अगर आप एक शुरूआती निवेशक है तो निवेश करने के लिए सबसे पहले आपको एक स्टॉक ब्रोकर का चुनाव करना होता है।
स्टॉक ब्रोकर वह माध्यम है जिससे आप NSE और BSE में लिस्टेड कम्पनीज में निवेश कर सकते है। ब्रोकर आपको एक ट्रेडिंग एप प्रदान करता है जिससे आप ऑनलाइन शेयर को खरीद और बेच सकते है।
अब स्टॉक ब्रोकर के चुनाव के बाद आपको डीमैट खाता खोलना होता है। डीमैट अकाउंट खोलने की पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन है, बस ज़रुरत है तो कुछ ज़रूरी दस्तावेज़ों की।
डीमैट खाता खुलने के बाद आप ब्रोकर के द्वारा प्रदान की गयी ट्रेडिंग एप में लॉगिन कर किसी भी कंपनी में निवेश कर सकते है।
स्टॉक ब्रोकर के प्रकार
शेयर ब्रोकर तीन तरह का होता है..
- फुल सर्विस ब्रोकर– फुल सर्विस ब्रोकर डीमैट अकाउंट के साथ कई अन्य तरह की सर्विस जैसे फोन पर ट्रेडिंग की सुविधा, फुल टाईन कस्टमर सर्विस आदि
- डिस्काउंट ब्रोकर- यह कम ब्रोकरेज की सुविधा उपलब्ध कराती है।
- बैंक- बैंक भी डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट की तरह डीमैट अकाउंट की सर्विस देती है. यहां यूजर 3 इन 1 अकाउंट होते हैं। इसमें सेविंग्स, डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट होते हैं।
कौन कर सकता है शेयर मार्केट में निवेश?
शेयर मार्केट में निवेश करने के लिए निवेशकों के पास डीमैट अकाउंट का होना पहली और अनिवार्य शर्त है। इसलिए शेयर मार्केट में वही निवेश कर सकते हैं जिसके पास डीमैट अकाउंट है। डीमैट अकाउंट के बिना शेयर मार्केट में निवेश नहीं किया जा सकता है।
डीमैट खाता खोलने के अपने लक्ष्य और जोखिमों के अनुसार न्यूनतम राशि शेयर बाजार में निवेश करने के लिए निर्धारित करें।
Demat Account Kya Hai
जैसा कि आप जानते हैं कि शेयर मार्केट में निवेश के लिए पहली और अनिवार्य शर्त डीमैट अकाउंट का होना है। अपनी जरुरत के अनुसार निवेशक डीमैट अकाउंट, मार्केट में मौजूद कई स्टॉक ब्रोकर में से चुनाव कर खुलवा सकते हैं। इसके अलावा बैंक भी यह सुविधा देती है।
डीमैट अकाउंट के प्रकार (Types Of Demat Account)
निवेशकों के जरुरत के हिसाब से डीमैट अकाउंट तीन प्रकार का होता है।
- रेगुलर डीमैट अकाउंट (Regular Demat Account)
- रिपेट्रीयबल डीमैट अकाउंट (Repatriable Demat Account)
- नॉन रिपेट्रीयबल डीमैट अकाउंट (Non-repatriable demat account)
भारत में रहने वालों के लिए रेगुलर डीमैट अकाउंट का होना अनिवार्य शर्त है। सेबी ने हाल ही में एक नई तरह के डीमैट अकाउंट बेसिक सर्विस डीमैट अकाउंट (BSDA) की भी शुरुआत की है। यह डीमैट अकाउंट रेगुलर डीमैट अकाउंट की तुलना में थोड़ा अलग है।
इसमें निवेशकों को यह सुविधा दी गई है कि उन्हें मैंटेनेंस नहीं देना होगा. शर्त बस ये है कि निवेशक 50,000 से नीचे की होल्डिंग रखें.
भारत से बाहर रह रहे लोग जो भारत के शेयर मार्केट में निवेश करना चाहते हैं तो उनके लिए रिपेट्रीयबल अकाउंट और नॉन रिपेट्रीयबल डीमैट अकाउंट की आवश्यकता होती है।
दोनों डीमैट अकाउंट भारत के बाहर रह रहे लोगों के लिए है। दोनों में एकमात्र अंतर यह है कि नॉन रिपेट्रीयबल डीमैट अकाउंट होल्डर फंड को विदेश ट्रांसफर नहीं कर सकते हैं।
डीमैट अकाउंट कहां खोला जाता है?
सेबी के गाइडलाइन के अनुसार भारत में मुख्य रूप से दो संस्थानों नेशनल सिक्योरिटी डिपॉजिटिरी लिमिटेड(NSDL) और सेंट्रल डिपॉजिटिरी सर्विस इंडिया लिमिटेड(CDSL) द्वारा डीमैट अकाउंट खोलने की सुविधा दी जाती है।
हालांकि डीमैट अकाउंट के लिए डायरेक्ट इन लोगों के पास जाने की आवश्यकता नहीं इसके लिए मार्केट में कई स्टॉकब्रोकर्स हैं जो डीमैट अकाउंट की सर्विस मुहैया करवाते हैं। इसके लिए वो अलग-अलग शुल्क भी लेते हैं। स्टॉक ब्रोकर्स के अलावा बैंक भी लोगों को डीमैट अकाउंट की सुविधा मुहैया करवाता है।
डीमैट अकाउंट कैसे खोलें?
सबसे पहले अपनी जरुरत के हिसाब से स्टॉक ब्रोकर का चयन करना चाहिए। यह आपका बैंक, स्टॉक ब्रोकर या ऑनलाइन इंवेस्टमेंट प्लेटफॉर्म हो सकता है।
चुनाव के बाद आपको अकाउंट ओपनिंग फॉर्म भरना होता है. फॉर्म भरने के बाद नो योर कस्टमर( KYC) की प्रक्रिया पूरी की जाती है. इस प्रक्रिया के बाद डॉक्यूमेंट का वैरिफिकेशन किया जाता है।
वैरिफिकेशन प्रक्रिया के बाद डीपी, आवेदक को एक अकाउंट नंबर देता है जिसे क्लाइंट नंबर या बेनिफिशयरी ऑनर आईडी (BO ID) भी कहते हैं। आवेदक स्टॉक ब्रोकर की वेबसाइट्स पर जाकर ऑनलाइन भी डीमैट अकाउंट खोल सकते हैं।
डीमैट अकाउंट खोलने के लिए आवश्यक दस्तावेज
डीमैट अकाउंट के लिए पैन कार्ड और आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया गया है। इसके अलावा आपको एड्रेस प्रूफ के रुप में इन डॉक्यूमेंट्स की आवश्यकता होती है।
- मतदाता पहचान पत्र
- राशन कार्ड
- पासपोर्ट(केवल रिपेट्रीयबल और नॉन रिपेट्रीयबल डीमैट अकाउंट होल्डर के लिए)
- ड्राइवर लाइसेंस
- बैंक पासबुक
- आईटी रिटर्न
- बिजली/लैंडलाइन फोन का बिल
डीमैट खाता शुल्क
डीमैट अकाउंट के लिए अलग-अलग स्टॉक ब्रोकर अलग-अलग शुल्क लेती है। यह शुल्क वार्षिक रखरखाव के रुप में लिया जाता है। कुछ स्टॉक ब्रोकर पहले साल के लिए यह शुल्क नहीं लेती है। इसलिए आवेदक डीमैट अकाउंट खुलवाने से पहले शुल्क के बारे में अच्छे से जांच लें।
युवाओं के लिए वित्तीय योजना टिप्स
निवेशक जिस कंपनी के शेयर में अपना निवेश करना चाहते हैं उस कंपनी के बारे में अच्छे से जान लें। कंपनी पुरानी होनी चाहिए। इतना ही नहीं कंपनी के पिछले 10 साल के ग्रोथ को भी ध्यान में रखना चाहिए। खासतौर से कंपनी ने मंदी के दौर में कैसे सर्वाइव किया है।
अपने वित्तीय उद्देश्यों को जांच और परख लें जैसे कि आप किन चीजों को ध्यान में रख कर निवेश करने जा रहे हैं। मार्केट के चार्ट को समझें, इसके लिए शेयर के ट्रेंड के बारे में रिसर्च करें। उतना ही निवेश करें जिसका जोखिम उठाने के लिए आप तैयार हैं।
स्टॉक मार्केट एडवाइजर की सलाह
मार्केट में शेयर को लेकर ढ़ेरों सलाह मिल जाती है लेकिन अधिकृत एडवाइजरी से ही सलाह लें। इसके लिए रोबो एडवाइजरी की सलाह सबसे प्रभावी मानी जाती है।
शेयर मार्केट बुक इन हिंदी
यदि आप शेयर मार्केट में नए हों तो शेयर मार्केट से जुड़ी किताबों या फिर मार्केट में मौजूद कई तरह की ऐप का सहारा लें सकते हैं। Stock pathshala ऐप एक अच्छा विकल्प है जहां आसान भाषा में शेयर मार्केट के बारे में विस्तार से बताया गया है।
ट्रेडर और इन्वेस्टर में क्या अंतर है?
शेयर मार्केट में दो तरह के निवेश किए जाते हैं। एक शॉर्ट टर्म के लिए और दूसरा लांग टर्म के लिए, शॉर्ट टर्म के लिए निवेश करने वाले को ट्रेडर और लांग टर्म में निवेश करने वाले को निवेशक कहते हैं।
शॉट टर्म में निवेश करने वाले को हर घंटे/रोजाना या सप्ताह में कभी-कभी शेयरों के मूल्यों को जानने की ज़रूरत होती है।
ट्रेडिंग के प्रकार (Type Of Trading)
- इंट्राडे ट्रेडिंग- एक ही दिन में शेयर खरीदने और बेचने को इंट्राडे या डे ट्रेडिंग कहा जाता है। यह कम समय में ज्यादा रिटर्न दे सकता है। इंट्राडे को अच्छी तरीके से समझने के लिए आप इंट्राडे की पहचान और ट्रेडनीति नाम की दो किताबों को पढ़ सकते हैं।
- डिलीवरी ट्रेडिंग- अब ये डिलीवरी ट्रेडिंग क्या है? डिलीवरी ट्रेडिंग वह ट्रेडिंग प्रकार है जिसमे ट्रेडर शेयर को डीमैट अकाउंट में प्राप्त करने के उद्देश्य से ट्रेड पोजीशन लेता है।
- शॉर्ट सेल- इस तरह के शेयर को पहले बेचा जाता है फिर ट्रेडिंग सेशन के खत्म होने से पहले उसे खरीदा जाता है। इस प्रकार के शेयर में ट्रेडर को उम्मीद होती है कि शेयर के दाम गिरने वाले हैं।
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- बाय टूडे, सेल टुमॉरो(BTST)– नाम से ही समझा जाता है कि इस प्रकार के शेयर को आज खरीदकर उसे अगले दिन मुनाफे पर बेच दिया जाता है।
- सेल टुडे, बाय टुमॉरो(STBT)– यह BTST के उल्टा होता है। इस प्रकार के शेयर को पहले बेचा जाता है फिर अगले दिन इसे बेच दिया जाता है। इक्विटी शेयर में निवेश करने वालों के लिए STBT की सुविधा नहीं होती है।
- मार्जिन ट्रेडिंग- यह ऐसे ट्रेडर के लिए उपयुक्त माना जाता है जो जल्दी पैसा बनाना चाहते हैं। फ्यूचर और ऑप्शन ट्रेडिंग के करने वालों के लिए मार्जिन ट्रेडिंग को अच्छा माना गया है।
- स्विंग ट्रेडिंग– इस तरह के ट्रेडिंग में निवेशक कुछ हफ्ते के लिए शेयर होल्ड कर उसमें आने वाले उतार-चढ़ाव का लाभ उठा कर लाभ कमाना चाहते हैं।
- फॉरेक्स ट्रेडिंग– इस प्रकार के ट्रेडिंग में विदेशी करेंसी की ट्रेडिंग की जाती है। फॉरेक्स ट्रेडिंग में एक करेंसी को दूसरी करेंसी से बदला जाता है और इससे मुनाफा कमाया जाता है।
- ऑप्शन ट्रेडिंग: इस ट्रेड में आप कुछ राशि (प्रीमियम) देकर ट्रेड करने का अधिकार प्राप्त कर सकते हो और किसी भी ट्रेंड में अधिक से अधिक लाभ कमा सकते हो। इसमें सफल होने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स के साथ सही स्ट्रेटेजी का उपयोग करना काफी आवश्यक होता है।
निष्कर्ष
लोग खासकर युवा, शेयर मार्केट में निवेश को लेकर इसलिए ज्यादा आकर्षित होते हैं क्योंकि शेयर मार्केट कम समय में सबसे ज्यादा रिटर्न दे सकता है। हालांकि रिटर्न के साथ-साथ जोखिम भी शेयर मार्केट को बाकियों से अलग बनाती है।
इसलिए निवेश से पहले शेयर मार्केट और इसके टेक्निकल एनालिसिस के बारे में रिसर्च करें। एक बार जब आप इन चीजों को अच्छी तरीके से समझ लेंगे तो फिर आपको शेयर मार्केट में अच्छा रिटर्न पाने से कोई नहीं रोक पाएगा।
शेयर मार्केट को समझने के लिए Stock Pathshala ऐप एक अच्छा विकल्प है जहां आप शेयर बाजार से जुड़ी तमाम बारिकियों को आसान भाषा में समझ सकते हैं।
इसके अलावा शेयर मार्केट की कई किताबें हिंदी में मौजूद है। इन किताबों की मदद से भी आप एक नए से सफल निवेशक बनने का रास्ता तय कर सकते हैं।