क्या तकनीकी विश्लेषण काम करता है?

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क्या तकनीकी विश्लेषण काम करता है? अगर आप अब भी इसी बात पर अटके हुए हैं, तब या तो अभी आप एक नौसिखिया हैं या फिर जैसा आपने सोचा था वैसा आपके साथ हुआ नही!

यकीन मानिए, ऐसी कोई भी जादुई छड़ी नही है, जिसे घुमाते ही स्टॉक मार्केट में लिए गए आपके सभी फैसले आपकी मर्ज़ी के मुताबिक हो जाएं। 

स्टॉक के तकनीकी विश्लेषण से तात्पर्य किसी शेयर या इंडेक्स के पुराने मूल्य और वॉल्यूम पैटर्न में होने वाले उतार- चढ़ाव के आधार पर, उसकी भविष्य की कीमत का पूर्वानुमान करना है। 

अब, बात दरअसल ये है कि पूरे तकनीकी विश्लेषण का एकमात्र आधार इस कल्पना पर टिका हुआ है कि जैसा कल हुआ था, वो फिर दोबारा होगा और इतिहास स्वयं को दोहराएगा ज़रूर, और सिर्फ और सिर्फ उसके पुराने व्यवहार और आकंड़ों को देखकर ही हम इसके भविष्य का पूर्वानुमान कर सकते हैं।

तकनीकी विश्लेषण की एक और कल्पना यह है कि स्टॉक के वर्तमान मूल्य के जरिये उससे जुड़ी अब तक की हर खबर और भेद के बारे में हम जान सकते हैं। 

तकनीकी विश्लेषण करने के लिए तकनीकी चार्ट, तकनीक संकेतक और ऑसिलेटर्स का प्रयोग किया जाता है।

इसलिए व्यक्ति को तकनीकी चार्ट को पढ़ना और विभिन्न प्रकार के तकनीकी संकेतकों को समझना आना चाहिए, जिनका प्रयोग मूल्यों के उतार- चढ़ाव और इस उतार- चढ़ाव में होने वाली फेर- बदल का पूर्वानुमान लगाने के लिए किया जाता है।

इसके साथ ही, एक और याद रखने लायक जरूरी बात तकनीकी संकेतकों के ज्ञान को ट्रेड किये गए वॉल्यूम के पैटर्न के साथ मिलाना है। इस जानकारी का एक साथ प्रयोग किये बिना, कोई भी मूल्य में होने वाले बदलावों सही अनुमान नही लगा पाएगा।

इसे हम एक उदाहरण से समझते हैं, जिसमे तकनीकी विश्लेषण काम कर सकता है, लेकिन सिर्फ तभी जब कुछ तत्वों के मिश्रण को ध्यान में रखा जाए। 

मान लीजिए, किसी स्टॉक का मूल्य अभी चढ़ रहा है औऱ इसके वॉल्यूम भी काफी बेहतर हैं, तो इसे बुलिश सिग्नल यानी कि तेज संकेत कहे जाएंगे।

वहीं, दूसरी तरफ अगर मान लीजिए स्टॉक का मूल्य काफी अच्छी गति से बढ़ रहा है, लेकिन उस बढ़े हुए मूल्य की तुलना में इसका वॉल्यूम उतना ज्यादा अच्छा नहीं है तो इसे बुल ट्रैप कहा जाता है।

तो, अगर कोई ट्रेडर ट्रेड के बढ़ते मूल्य के साथ-साथ उसके वॉल्यूम पर ध्यान नहीं दे रहा है, तो वह लॉन्ग पोजीशन में प्रवेश करने पर अपने पैसे गवां सकता है। 

ठीक उसी तरह सपोर्ट और रेजिस्टेंस की भी तकनीकी विश्लेषण ने काफी अहम भूमिका है।

सपोर्ट और रेजिस्टेंस वह स्तर है जब मूल्य में कुछ वक्त की गिरावट के बाद, बुलिश फोर्स बियरिश फोर्स पर भारी होने लगता है। जब मूल्य में बढ़ोतरी होने के बाद बियरिश फोर्स पर बुलिश फोर्स पर फिर से वापस भारी पड़ जाता है। 

अगर इन ब्रेकआउट और ब्रेकडाउन को ट्रेड के वॉल्यूम का सपोर्ट नहीं मिलता है तो यह ब्रेकआउट और ब्रेकडाउन नकली भी हो सकते हैं।

तकनीकी विश्लेषण करते वक्त हमेशा अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए।

कभी-कभी स्क्रीन पर तकनीकी संकेतकों के आधार पर स्टॉक को खरीदने और बेचने के संकेत नज़र आते हैं, लेकिन आपको चौकन्ना रहना होगा और अपने पहले से तय किए गए स्टॉप लॉस के साथ ही चलना होगा, जिससे कि आप खुद को इससे होने वाली भारी क्षति और नुकसान पहुंचाने वाले स्टॉक मूल्यों के परिवर्तन से बचा सकें।

अगर आप तकनीकी विश्लेषण के बेसिक्स जानना चाहते हैं और ये कि तकनीकी विश्लेषण क्या सच में काम करता है, तकनीकी संकेतकों को समझ कर उन्हें असल जिंदगी के स्टॉक मार्केट में प्रयोग करना चाहते हैं तो आप स्टॉक मार्केट से जुड़ी इस स्टॉक मार्केट एजुकेशन ऐप को डाउनलोड कर सकते हैं।

इस ऐप पर तकनीकी विश्लेषण के साथ-साथ टेक्निकल इंडिकेटर से जुड़े ऑनलाइन कोर्स को देख और सीख सकते हैं।

ऐसा ही एक ऐप स्टॉक पाठशाला है जिसमें नए तथा अनुभवी दोनों ही तरह के जानकारों के लिए स्टॉक मार्केट से जुड़ा बहुत सारा कंटेंट मौजूद है।

फिर भी, अगर आप स्टॉक मार्केट में निवेश करने के बारे में सोच रहे हैं, तो हमें आपकी आगे की राह में आपकी सहायता करने का मौका दीजिए।

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