डेरिवेटिव बाजार में, आप ऑप्शन को भविष्य में किसी शेयर को खरीदना या उन्हें एक विशिष्ट कीमत पर बेच सकते हैं। लेकिन एक शुरूआती ट्रेडर के लिए ऑप्शंस के बेसिक (option trading basics in hindi) को समझना काफी चुनोतीपूर्ण हो सकता है इसलिए इस लेख में ऑप्शन ट्रेडिंग को समझने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग के कुछ उदहारण (option trading example in hindi) लेंगे जिससे आप इससे बेहतर तरीके से समझ उसमे ट्रेड कर सकते है।
शुरू करते है ऑप्शन के प्रकार से, मार्केट की स्थिति के आधार पर आधार पर डेरिवेटिव बाजार में दो तरह के ऑप्शन उपलब्ध हैं- कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन।
कॉल ऑप्शन का उपयोग तब किया जाता है जब आप किसी भी स्टॉक या इंडेक्स की कीमतों में वृद्धि की अपेक्षा करते हैं। पुट ऑप्शन का उपयोग तब किया जाता है जब आप किसी भी स्टॉक या इंडेक्स की कीमतों में कमी/गिरावट की उम्मीद करते हैं।
वैसे तो ऑप्शन ट्रेडिंग के बहुत सारे उदाहरण हैं जो काफी हद तक इस बात पर निर्भर करते हैं कि आप किस स्ट्रेटजी का उपयोग कर रहे हैं। लेकिन हम यहाँ पर कुछ बुनियादी कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन को एक रीयल जिंदगी के उदाहरण की मदद से समझाने की कोशिश करेंगे जिससे आप जान पाएंगे कि ऑप्शन ट्रेडिंग कैसे करते हैं?
ऑप्शन ट्रेडिंग का उदाहरण
शुरू करने से पहले ऑप्शन ट्रेडिंग के मीनिंग (option trading in hindi) को समझते है। ऑप्शन ट्रेडिंग एक बायर को एक चुने हुए प्राइस (स्ट्राइक प्राइस) पर एक निर्धारित समय में ट्रेड करने का अधिकार देती है लेकिन इसके बाध्य नहीं करती।
लेकिन इस अधिकार के लिए ऑप्शन बायर को प्रीमियम देना होता है और वही एक ऑप्शन सेलर उस प्रीमियम से मुनाफा कमाने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग में पोजीशन लेता है।
अब इसे एक रियल-लाइफ उदाहरण से समझते है।
मान लिजिए, आपको एक फ्लेट खरीदना है और आप एक बिल्डर के पास जाते है वह बिल्डर आपको फ्लेट के 10 लाख रुपयें बताता है और कहता है कि अभी ये बिल्डिंग बन रही है इस लिए अभी सिर्फ 1 लाख रुपयें देकर बुंकिग करा सकते है।
और जब बिल्डिंग बन कर तैयार हो जायेंगी तब आपको बाकी के 9 लाख रुपयें देनें होंगे। तब आप उस बिल्डर को एक लाख रुपयें देकर एक कॉन्ट्रेक्ट साईन करते है और जब अगले एक साल में बिल्डिंग बन कर तैयार हो जायेगी, तब उसे 9 लाख रुपयें देकर फ्लेट अपने नाम करा लेंगे।
अब यहाँ पर तीन अलग-अलग परिस्थिति है
परिदृश्य(Scenario) #1
बिल्डिंग एक साल से पहले बन कर तैयार हो जाती है और उस समय तक एक फ्लेट का रेट 10 लाख ही रहता है। तब आप कॉन्ट्रेक्ट के मुताबिक बाकी के 9 लाख रु देकर फ्लेट अपने नाम करा लेंगे।
परिदृश्य(Scenario) #2
बिल्डिंग एक साल से पहले बन कर तैयार हो जाती है लेकिन जब आपने कॉन्ट्रेक्ट साईन किया था फ्लेट की कीमत 10 लाख रुपयें थी, लेकिन अव एक साल बाद उस फ्लेट की कीमत 15 लाख रुपयें हो गयी। आपने बिल्डर के साथ 10 लाख रुपयें की कीमत पर एक कॉन्ट्रेक्ट साईन किया था, इस लिए फ्लेट की कितनी भी कीमत बढ़ जाए , उसे 10 लाख रुपयें में ही देना होगा।
अब 1 लाख रुपयें आप पहले ही दे चुके है इसलिए 9 लाख रुपयें देकर आप फ्लेट नाम करा सकते है। या किसी और 15 लाख रुपयें की कीमत पर उसे बेंच सकते है जिसे तुम्हें 5 लाख रुपयें का फायदा हो रहा है।
परिदृश्य(Scenario) #3
बिल्डिंग एक साल से पहले बन कर तैयार हो जाती है लेकिन किसी कारणवश उस फ्लेट की कीमत गिरकर सिर्फ 5 लाख रुपयें रह जाती है। अभी आप नहीं चाहेंगे कि वह फ्लेट आप लें क्योंकि अगर आप फ्लैट लेते हैं तो आपको कॉन्ट्रैक्ट के मुताबिक 9 लाख रुपयें देने होंगे, क्योंकि फ्लैट की कीमत 5 लाख है तो फ्लैट खरीदने पर आपको बहुत बड़ा नुकसान होगा। लेकिन यहाँ पर कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार आपके पास अधिकार है की आप अपना निर्णय बदल सकते है।
यहाँ पर कॉन्ट्रेक्ट को कैंसिल करने पर आपको सिर्फ़ 1 लाख (जो कॉन्ट्रेक्ट करते समय दिए थे।) का नुकसान होगा।
इस उदाहरण की मदद से अभी तक आप समझ गए होंगे कि ऑप्शन कैसे काम करते है और अब हम इसी उदाहरण की मदद से कॉल और पुट ऑप्शन को समझते है।
ट्रेडिंग सायकॉलजी बुक्स | ||
ट्रेडनीती | रेटिंग | |
लेखक | युवराज एस. कालशेट्टी | |
प्रकाशन वर्ष | 2020 |
अब इस उदाहरण से आपको ऑप्शन ट्रेड का क्या मतलब होता है उसके बारे में कुछ जानकारी मिली होगी अब ऑप्शन ट्रेड के प्रकार की बात करें तो ये दो प्रकार के होते है जिसे ट्रेड करने के लिए आप अलग-अलग ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजीज (option trading strategies in hindi) का उपयोग कर मुनाफा कमा सकते है।
Call and Put Option in Hindi
ऑप्शन ट्रेडिंग दो प्रकार के होते है, कॉल ऑप्शन और पुट ऑप्शन। अब एक ट्रेडर जो ऑप्शन खरीदने के मकसद से मार्केट में प्रवेश करता है वह बुलिश ट्रेंड में कॉल ऑप्शन खरीदता है और बेयरिश ट्रेंड में पुट ऑप्शन।
इसके विपरीत एक ऑप्शन सेलर बुलिश मार्केट में पुट ऑप्शन बेचता है और बेयरिश ट्रेंड में कॉल ऑप्शन।
ये सब आपको काफी भ्रमित कर रहा होगा। तो चलिए अब इन दोनों ऑप्शन के प्रकार पर विस्तार में बात करते है।
कॉल ऑप्शन क्या है?
एक कॉल ऑप्शन खरीदार को समाप्ति तिथि पर या उससे पहले किसी विशेष कीमत (स्ट्राइक प्राइस) पर किसी भी स्टॉक या इंडेक्स को खरीदने का अधिकार देता है लेकिन दायित्व नहीं देता है। (जैसा कि हमने उदाहरण में समझा।)
मान लीजिए एचडीएफसी बैंक शेयर आज 1,451.80 /- रुपये पर कारोबार कर रहा है। आपको लगता है कि 30 दिसंबर तक ये बढकर 1480 से भी ऊपर निकल जायेगा। तब मान लीजिए आपको 7.10 रुपये देकर इसे खरीदने का अधिकार देता है। क्या आप इसे खरीदेंगे? जाहिर है, इसका मतलब है कि 30 दिसंबर तक अगर शेयर 1500 पर भी कारोबार कर रहा है, तब भी आप इसे 1480 रुपये में खरीद सकते हैं!
इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए आपको आज एक छोटी राशि का भुगतान करना होगा, जैसे कि रु. 7.10 /-। यदि शेयर की कीमत 1480 रुपये से ऊपर जाती है।
तो आप अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं और शेयरों को 1480 प्र्ति रुपये में खरीद सकते हैं। यदि शेयर की कीमत 1480 रुपये पर या उससे कम रहती है। तब आप अपने अधिकार का प्रयोग नहीं करते हैं और आपको शेयर खरीदने की आवश्यकता नहीं है। आप का नुकसान रु 7.10 /- होगा। इस प्रकार की व्यवस्था को कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट कहा जाता है।
नीचे स्क्रीनशॉट में, 23 दिसंबर 2021 को एचडीएफसी बैंक की वर्तमान कीमत 1,451.80 रुपये है और 30 दिसंबर 2021 को समाप्त होने वाले 1480 रुपये के कॉल ऑप्शन की कीमत वर्तमान में 7.10 रुपये पर उपलब्ध है। एचडीएफसी बैंक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का 1 लॉट 550 शेयर का है।
तो, उपरोक्त कॉल ऑप्शन उदाहरण में:
कॉल ऑप्शन का उदाहरण | |
स्पॉट कीमत | ₹1451.80 |
स्ट्राइक प्राइस | ₹1480 |
ऑप्शन प्रीमियम | ₹7.10 |
समाप्ति तिथि | 30 दिसंबर 2021 |
लॉट साइज | 550 शेयर |
कॉल ऑप्शन कब खरीदें : अगर आप उम्मीद करते हैं कि एचडीएफसी बैंक की कीमत 30 दिसंबर तक बढ़कर 1480 रुपये हो जाएगी।
कॉल ऑप्शन का प्रयोग कब करें : एक बार जब एचडीएफसी बैंक का शेयर मूल्य 1480 रुपये तक बढ़ जाता है या उससे ऊपर निकल जाता है तो आपके पास कॉल ऑप्शन का प्रयोग करने का विकल्प होता है और विक्रेता आपको 1 लॉट एचडीएफसी बैंक को 1480 रुपये/शेयर पर बेचने के लिए बाध्य होता है क्योंकि आपने उसे ₹7.10 का प्रीमियम का भुगतान किया होता है।
कॉल ऑप्शन को कब कैंसिल करें : दूसरी तरफ, अगर एचडीएफसी बैंक 30 दिसंबर 2021 से पहले 1480 रुपये को पार नहीं करती है, तो आप कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल कर सकते हैं। उस मामले में आपका नुकसान ऑप्शन प्रीमियम के रूप में भुगतान किया गया 7.10 रुपये है।
ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट रद्द करने का कारण सरल है यदि आप इसे शेयर बाजार से सस्ती दर पर खरीद सकते हैं तो आप विक्रेता से 1480 रुपये पर एचडीएफसी बैंक के शेयर क्यों खरीदेंगे? इसलिए आप ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट रद्द कर करते हैं।
एक सफल ट्रेडर बनने के लिए किसी भी ऑप्शन ट्रेडिंग टिप्स को समझे और उसका विश्लेषण कर मार्केट में ट्रेड करें।
पुट ऑप्शन क्या है?
एक पुट ऑप्शन खरीदार को समाप्ति तिथि पर या उससे पहले किसी स्ट्राइक प्राइस (strike price in hindi) पर किसी भी स्टॉक या इंडेक्स को बेचने का अधिकार देता है, लेकिन दायित्व नहीं।
मान लीजिए, एचडीएफसी बैंक का शेयर आज 1,451.80 /- रुपये पर ट्रेड कर रहा है। और आपको लगता है कि 30 दिसंबर तक ये गिरकर 1420 से भी नीचे निकल जायेगा। तब आपको 5.25 रुपये देकर इसे खरीदने का अधिकार मिल जाता है। क्या आप इसे खरीदेंगे?. जाहिर है।
इस अधिकार को प्राप्त करने के लिए आपको आज एक छोटी राशि(प्रिमियम) का भुगतान करना होता है, जैसे कि रु. 5.25 /-। यदि शेयर की कीमत 1420 रुपये से नीचे जाती है। तो आप अपने अधिकार का प्रयोग कर सकते हैं। यदि शेयर की कीमत 1420 रुपये पर या उससे ज्यादा हो जाती है। तब आप अपने अधिकार का प्रयोग नहीं करते हैं और आपको शेयर खरीदने की आवश्यकता नहीं है। आप का नुकसान रु 5.25 /- होगा। इस प्रकार की व्यवस्था को पुट ऑप्शन कॉन्ट्रेक्ट कहा जाता है।
नीचे स्क्रीनशॉट में, 23 दिसंबर 2021 को एचडीएफसी बैंक की वर्तमान कीमत 1,451.80 रुपये है और 30 दिसंबर 2021 को समाप्त होने वाले 1420 रुपये के पुट ऑप्शन की कीमत वर्तमान में 5.25 रुपये पर उपलब्ध है।
तो, उपरोक्त पुट ऑप्शन उदाहरण में:
पुट ऑप्शन का उदाहरण | |
स्पॉट कीमत | ₹1451.80 |
स्ट्राइक प्राइस | ₹1420 |
ऑप्शन प्रीमियम | ₹5.25 |
समाप्ति तिथि | 30 दिसंबर 2021 |
लॉट साइज | 550 शेयर |
पुट ऑप्शन कब खरीदें : अगर आप उम्मीद करते हैं कि एचडीएफसी बैंक की कीमत 30 दिसंबर तक गिरकर 1420 रुपये हो जाएगी।
पुट ऑप्शन का प्रयोग कब करें : एक बार जब एचडीएफसी बैंक का शेयर मूल्य 1420 रुपये तक गिर जाता है या उससे नीचे निकल जाता है तो आपके पास पुट ऑप्शन का प्रयोग करने का विकल्प होता है और विक्रेता आपको 1 लॉट एचडीएफसी बैंक को 1420 रुपये/शेयर पर बेचने के लिए बाध्य होता है क्योंकि आपने उसे भुगतान किया है। 5.25 रुपये का प्रीमियम देकर।
पुट ऑप्शन को कब कैंसिल करें : दूसरी तरफ, अगर एचडीएफसी बैंक 30 दिसंबर 2021 से पहले 1420 रुपये तक नही गिरता है, तो आप कॉन्ट्रैक्ट कैंसिल कर सकते हैं। उस मामले में आपका नुकसान ऑप्शन प्रीमियम के रूप में भुगतान किया गया 5.25 रुपये है।
ये तो हुए ऑप्शन ट्रेडिंग में कॉल और पुट ऑप्शन के उदहारण, अब इसमें सफल ट्रेडर बनने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग के कुछ नियम का पालन करना ज़रूरी होता है, तो यहाँ पर ऑप्शन ट्रेडिंग नियमों (option trading rules in hindi) से अवगत होकर ही ट्रेड करना शुरू करें।
Option Intraday Trading Hindi
अब कॉल और पुट ऑप्शन की जानकारी तो आपने ले ली यानी की आप हर तरह की मार्केट में ऑप्शंस से पैसा कमा सकते है। लेकिन अगर आप ऑप्शन मार्केट में भी आप जल्द से जल्द मुनाफा कमाना चाहते है तो उसमे भी आप इंट्राडे ट्रेडिंग कर सकते है।
अब इसमें इंट्राडे ट्रेडिंग से मुनाफा कमाने के लिए पहले आपको ट्रेंड और फिर स्ट्रेटेजी (बाय या सेल) करने का निर्णय लेना होता है।
चलिए इसे भी निफ़्टी ५० में ऑप्शन ट्रेडिंग के उदाहरण से ही समझते है। निफ़्टी ५० (Nifty 50 kya hai) एक इंडेक्स है जिसके बढ़ते और घटती वैल्यू से आप डेरिवेटिव्स ट्रेडिंग कर मुनाफा कमा सकते है।
अब मान लेते है कि निफ़्टी 50 अपट्रेंड में है और आप कॉल ऑप्शन खरीदना चाहते है जिसके लिए आपने ATM कॉल ऑप्शन को चुना।
ATM कॉल ऑप्शन का स्ट्राइक प्राइस 17000 है और प्रीमियम 70 रुपये। अब ऑप्शन में डेल्टा ग्रीक होता है जो आपको प्रीमियम कितनी तेज़ी से बदलेगा उसकी जानकारी देता है। ATM कॉल ऑप्शन का डेल्टा 0.5 के आस पास होता है और जैसे ही बुलिश मार्केट में ATM स्ट्राइक प्राइस ITM की ओर बढ़ता है डेल्टा की वैल्यू बढ़ती है।
मान लेते है की निफ़्टी 50 जो 17000 पर ट्रेड कर रहा था अभी वह 17090 पर है तो कुल वैल्यू 90 बढ़ी। डेल्टा 0.5 (निफ़्टी की 1 यूनिट वैल्यू बढ़ने पर प्रीमियम 0.5 के अनुसार बढ़ेगा) तो प्रीमियम जो आपने 70 रुपये देकर प्रीमियम लिया था उसकी वैल्यू अब [(90*0.5)+90] 94.5 हो गया।
निफ़्टी के एक लॉट में 75 यूनिट होती है यानी की कुल मुनाफा (4.5*75) 337.5 होगा।
अब जितना ऊपर निफ़्टी बढ़ेगा आपका मुनाफा भी उतनी तेज़ी से बढ़ता रहेगा।
इस तरह से आप ऑप्शन में इंट्राडे ट्रेडिंग कर मुनाफा कमा सकते है और सही स्ट्रेटेजी के लिए कुछ सर्वश्रेष्ठ इंट्राडे ट्रेडिंग इंडिकेटर (best indicator for intraday trading in hindi) का इस्तेमाल कर सकते है।
निष्कर्ष
ऑप्शन डेरिवेटिव का एक भाग है, इसका मतलब है कि ऑप्शन की कीमत उसके अंडरलाईग ऐसेट(Underlying Asset) मूल्य से निर्धारित होती है। इसलिए ऑप्शन उसके स्पॉट की कीमत पर निर्भर करती है। लेकिन अगर आप ऑप्शन से जल्द मुनाफा कमाना चाहते है तो उसके लिए आप ऑप्शन में इंट्राडे ट्रेडिंग भी कर सकते है। लेकिन हर एक ट्रेड में नुकसान से बचने के लिए ऑप्शन ट्रेडिंग के नियम को ज़रूर जाने और उसके अनुसार ही ट्रेड पोजीशन ले।
कहते है न कि हम कुछ भी सीखने की शुरुआत करे, उसके लिए हमें उसके बुनियादी ज्ञान का होना अति आवश्यक है इस लिए हमने आपको Option Example in Hindi आर्टिकल मैं ऑप्शन की बुनियादी बाते समझाने की कोशिश की है जिससे आप जल्द मुनाफा कमा
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