ROC Indicator in Hindi

टेक्निकल अनालिसिस में इस्तेमाल किये जाने वाले इंडिकेटर में से एक है रेट ऑफ चेंज | ROC Indicator in Hindi के ऊपर बोलें  तो ये संकेतक वर्तमान में चल रहे शेयर के भाव और उसके कुछ समय पहले के पुराने भाव को प्रतिशत के आधार पर उसमे होने वाले बदलाव को मापकर दर्शाता है।

ROC इंडिकेटर की मदद से ट्रेंड की गति को समझा जा सकता है, की क्या ट्रेंड गति यानी की स्पीड पकड़ रहा है या ट्रेंड की स्पीड कम हो गई है या वो अपनी स्पीड को उसी स्थिति में बनाए हुए है। यानी की ये इंडिकेटर मूमेंटम बताएगा।

क्योंकि ये इंडिकेटर मूमेंटम को दर्शाता है तो शेयर मार्किट इंडिकेटर (Share Market Indicator in Hindi) की सूची में इसे मूमेंटम टेक्निकल इंडिकेटर भी कहते है।

ROC इंडिकेटर की गणना।

आइये समझते है की आर ओ सी इंडिकेटर को स्टॉक मार्केट में इस्तेमाल कैसे किया जाता है।

ROC इंडिकेटर को जीरो से शुरू किया जाता है, 

रेट ऑफ़ चेंज संकेतक का गणित:

ROC = [(क्लोज – क्लोज n समय पहले) / (क्लोज n समय पहले)] * 100

इस गणना के जरिये ही ROC ट्रेंड का हिसाब किताब बता पाता है।

ROC इंडिकेटर काम कैसे करता है।

अगर भाव बढ़ा है तो ROC की वैल्यू पॉजिटिव होगी और अगर भाव गिरा है तो ROC की वैल्यू नेगेटिव होगी।

ROC इंडिकेटर को अपर बाउंड और लोअर बाउंड के आधार पर देखा जाता है, इसकी वैल्यू नीचे गिरवाट में  -100 तक जा सकती है पर इसके नीचे नहीं जा सकती। और इसके विपरीत अपर बाउंड में इसकी कोई लिमिट नहीं होती।

ROC पीरियड के आधार पर चलता है, यानी की पिछले कितने दिनों में क्या हुआ। इसलिए इसमें पीरियड को बदला भी जा सकता है और ROC की वैल्यू निकाली जा सकती है।

अगर आप पिछले 20 दिनों के आधार पर ROC की वैल्यू निकालना चाहते है तो आप इंडिकेटर की सेटिंग में पीरियड को बदलकर 21 दिन कर सकते है और अगर आप 7 दिनों के पीरियड को समझना चाहते है तो आप इसमें सेटिंग बदलकर 7 दिन कर सकते हो।

ऊपर दर्शाए गए चार्ट में आप देख सकते है की ROC इंडिकेटर लगाया गया है और उसमें 21 दिनों के ROC पीरियड की सेटिंग की गई है।

कैंडलस्टिक चार्ट (Candlestick Charts in Hindi) में ये भी दर्शाया गया है की ROC की वैल्यू अपनी जीरो लाइन से ऊपर उठ रही है | जब भी ROC की वैल्यू जीरो लाइन से ऊपर उठती है तब ट्रेंड को पोजिटिव माना जाता है और जब भी लाइन आगे बढ़ना बंद कर देती है और एक रेंज में चलती रहती है तब पता चलता है की ट्रेंड अब स्लो हो गया है।

और जब लाइन जीरो लाइन से नीचे आ जाती है तो पता चलता है तो इसका मतलब होता है की ट्रेंड ने अपनी गति खो दी है और अब वो नेगेटिव ट्रेंड यानी की डाउन ट्रेंड में चल रहा है।

ट्रेडर को ROC इंडिकेटर के बारे में क्या-क्या ध्यान में रखना चाहिए।

  1. ROC इंडिकेटर में जीरो लाइन सबसे जरूरी होती है, जब भी इंडिकेटर इससे ऊपर होगा और आगे बढ़ रहा होगा तो ट्रेंड को बुलिश (तेजी) माना जाएगा।
  2. इंडिकेटर जब जीरो लाइन के नीचे ट्रेड करने लगे तो इसे बियरिश (मंदी) माना जाएगा और वहां से बुलिश सोदे बनाने से दूर रहा जाएगा।
  3. जब भी इंडिकेटर जीरो से ऊपर हो और आगे बढ़ रहा हो तो ये माना जाता है की अपट्रेंड अब और तेजी पकड़ रहा है।
  4. बिलकुल ऐसे ही जब डाउन ट्रेंड चल रहा हो और ROC की वैल्यू जीरो से नीचे हो और इंडिकेटर नीचे जा रहा हो तो पता चलता है की अब डाउनट्रेंड में और ज्यादा गिरवाट आ रही है।
  5. ऐसे ही जब डाउनट्रेंड में इंडिकेटर जीरो से नीचे हो और ऊपर उठना शुरू हो जाए तो ट्रेंड का डाउनट्रेंड से अपट्रेंड में चले जाना दर्शाता है।

ROC की मदद से ट्रेड कैसे करें।

ROC इंडिकेटर की मदद से ट्रेडर को ट्रेड करना काफी आसान होता है, क्योंकि ये इंडिकेटर मूमेंटम बताता है तो ट्रेडर को मूमेंटम देखकर और किसी ट्रेंड कन्फर्म करने वाले इंडिकेटर की मदद से ट्रेड करनी चाहिए।

ROC Indicator ka ट्रेडिंग में इस्तेमाल

ऊपर दर्शाए चार्ट में डाउनट्रेंड चलता हुआ दर्शाया गया है और उसके साथ साथ 10 और 20 पीरियड की मूविंग एवरेज (Moving Average in Hindi) दर्शाई गई है|

इसके साथ साथ दोनों मूविंग एवरेज का क्रोसओवर होता हुआ दिखाई दे रहा है और प्राइस उनके ऊपर ट्रेड करना शुरू कर रहा है तब ट्रेंड बदल रहा है, और इसी वक्त ROC इंडिकेटर की लाइन जीरो से ऊपर आती हुई दिखाई दे रही है।

दोनों इंडिकेटर EMA और ROC ट्रेंड के बदलने को पुख्ता कर रहे है। इसे कांफ्लुएंस ट्रेडिंग करना भी कहते है।

निष्कर्ष।

ट्रेडिंग करने के लिए टेक्निकल अनालिसिस बहुत जरूरी है और इंडिकेटर ट्रेडर को सही निर्णय लेने में मदद करते है।

ROC Indicator in Hindi के विषय पर ये कहना गलत नहीं होगा की ये संकेतक ट्रेडर को अपने निर्णय को पुख्ता करने में मदद करता है |

इसका प्रयोग करने के साथ साथ अनुभवी ट्रेडर हमेशां से यही सलाह देते है की कांफ्लुएंस पॉइंट्स का इस्तेमाल करो। जिसमें एक से ज्यादा तकनीकों का इस्तेमाल होता है।

हमें उम्मीद है की आपको हमारी ये जानकारी पसंद आयी होगी और आपका स्टॉक मार्किट की तरफ रुझान बढ़ा होगा |

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