MACD Indicator in Hindi

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स्टॉक मार्केट में मूविंग एवरेज इंडिकेटर को सब आसानी से इस्तेमाल कर ट्रेंड की जानकारी प्राप्त कर लेते है, लेकिन क्या आप जानते है की EMA इंडिकेटर के कॉम्बिनेशन यानी की MACD इंडिकेटर से आप मार्केट के ट्रेंड और मोमेंटम दोनों की जानकारी ले सकते है। आज इस लेख में हम MACD indicator in hindi को विस्तार में समझेंगे।

टेक्निकल एनालिसिस करने के लिए ये एक सर्वश्रेष्ठ इंट्राडे ट्रेडिंग इंडीकेटर (best indicator for intraday trading) में से एक है लेकिन ये क्या है, किस तरह से काम करता है और एक ट्रेडर किस तरह से इसका इस्तेमाल कर मार्केट में शेयर को खरीद और बेच सकते है, उसका विवरण आगे दिया गया है

MACD Indicator Explained in Hindi 

MACD इंडिकेटर ट्रेंड फॉलो करने वाला और मोमेंटम इंडिकेटर है। जिसका इन्वेंशन 1979 में  “जेराल्ड एपेल” ने किया था। MACD इंडिकेटर का  फुल फॉर्म  Moving Average Convergence Divergence (मूविंग एवरेज कन्वर्जेन्स डाइवर्जेंस) है।  

MACD एक प्राइस बेस्ड इंडिकेटर है। जो शेयर की कीमतों में हुए परिवर्तन को मूविंग एवरेज की सहायता से प्रदर्शित करता है। इसके मुख्य तीन पांइट्स होते हैं जिसमें से दो लाइन और एक हिस्टोग्राम होता है और इन्हीं तीनों को मिलकर MACD का निर्माण होता हैं।

MACD एक विश्वशनीय इंडिकेटर है, वैसे तो इस इंडिकेटर का इस्तेमाल अधिकतर इंट्राडे ट्रेड करने के लिए किया जाता है, लेकिन आप इस इंडिकेटर का इस्तेमाल शार्ट टर्म ट्रेडिंग के लिए भी कर सकते है, क्योंकि बड़े टाइम फ्रेम में भी इस टेक्निकल इंडिकेटर की कैलकुलेशन अच्छी ही होती है।

यह शेयर इंडिकेटर मूविंग एवरेज से मिलकर बना होता हैं जिसमें दो लाइन होती हैं जो वेव फॉर्म में चलती है और कुछ समय के अंतराल पर ये आपस में क्रॉस करती है और इसी जगह पर हम किसी भी स्टॉक को खरीदने या फिर बेचने के लिए फैसले ले पाते हैं ।

मूविंग एवरेज , प्राइस के मूवमेंट से बनता है और MACD indicator मूविंग एवरेज से बनता है। इसलिए यह इंडिकेटर थोड़ा लेट से कोई सिग्नल देता हैं, लेकिन इसकी एक्यूरेसी किसी दूसरे शेयर मार्केट इंडिकेटर (share market indicator in hindi) के मुकाबले बहुत अच्छी होती हैं ।


MACD Indicator Formula in Hindi 

जैसे की ऊपर बताया गया है MACD मूविंग एवरेज इंडिकेटर से मिलकर बनता है, तो यहाँ पर शुरूआती ट्रेडर को मूविंग एवरेज (moving average in hindi) की जानकारी होना आवश्यक है

मूविंग एवरेज इंडिकेटर चुने हुए टाइम पीरियड के अनुसार पिछले क्लोजिंग प्राइस की गणना कर एक औसत प्राइस की जानकारी देता है। प्राइस अगर अपने औसत से ऊपर हो तो अपट्रेंड और नीचे होने पर डाउनट्रेंड का संकेत देता है। 

इसकी कैलकुलेशन के लिए शेयर मार्केट का गणित समझे तो 1-डे चार्ट में 1-मिनट का टाइम फ्रेम में 9 पीरियड मूविंग एवरेज पिछले 9 मिनटों के क्लोजिंग प्राइस के अनुसार एक औसत प्राइस की जानकारी देता है।

अब MACD की गणना करने के लिए 12-पीरियड EMA (फ़ास्ट मूविंग एवरेज) से 26-पीरियड EMA (स्लो मूविंग एवरेज) को घटाया जाता है, जिससे फ़ास्ट मूविंग एवरेज MACD लाइन का निर्माण होता है

दूसरी तरफ इसके साथ सिग्नल लाइन का उपयोग किया जाता है जो MACD लाइन का 9-पीरियड EMA होता है और एक स्लो मूविंग एवरेज की वैल्यू देता है। MACD वैल्यू से सिग्नल लाइन के एवरेज वैल्यू को घटाकर हिस्टोग्राम बनता है।

  • MACD line = 12-period EMA – 26-period EMA
  • Signal line = 9-period EMA
  • Histogram = MACD line – Signal line

इस तरह से कैलकुलेट हुए MACD को 12,26,9 कहा जाता है, आप अपने अनुसार इस वैल्यू को बदल भी सकते है

अब अगर MACD लाइन की वैल्यू एक पॉजिटिव नंबर हो तो ये लाइन ऊपर की और ट्रेंड करती है और नेगेटिव वैल्यू होने पर ये नीचे की और ट्रेंड करती है

दूसरी तरफ MACD और सिग्नल लाइन को घटाकर अगर पॉजिटिव नंबर आता है तो पॉजिटिव हिस्टोग्राम (हरे रंग) बनता है और इसके विपरीत लाल रंग का हिस्टोग्राम बनता है जो मार्केट में बुलिश और बेयरिश ट्रेंड की जानकारी प्रदान करता है।

अब देखते है कि ये कैसे काम करता है


MACD Indicator Strategy in Hindi 

इस इंडिकेटर में आपको 2 लाइन MACD और सिग्नल लाइन है जब MACD लाइन सिग्नल लाइन को नीचे से ऊपर की और काटती है तो ये बाय का सिग्नल देता है।

दूसरी तरफ ऊपर से नीचे आने पर सेल सिग्नल मिलता है।

इसके साथ एक ट्रेडर के लिए हिस्टोग्राम की चौड़ाई देखना भी बहुत ज़रूरी होता है क्योंकि इससे आप करंट ट्रेंड की स्ट्रेंथ की जानकारी मिलती है। यहाँ पर अगर हिस्टोग्राम की चौड़ाई ज़्यादा हो (divergence) तो दोनों लाइन की दूरी बढ़ती है जो स्ट्रांग ट्रेंड का संकेत देता है।

इसके विपरीत अगर हिस्टोग्राम पास हो (convergence) तो वह वीक ट्रेंड का संकेत देते है और ऐसे में किसी भी तरह का ट्रेड निर्णय नहीं लेना चाहिए


MACD Indicator के फायदे 

चलिए अब इस इंडिकेटर के फायदों की बात करते है:

  • MACD  इंडिकेटर  एक मोमेंटम और ट्रेंड फॉलोविंग इंडिकेटर है जिसे आसानी से प्राइस के साथ प्लॉट किया जा सकता है। 
  • MACD  इंडिकेटर , एक प्राइस बेस्ड इंडिकेटर होने के कारण थोड़ा लेट सिग्नल देता  है पर इसके बाइंग और सेल्लिंग का सिग्नल एक्यूरेट होता है। 
  • MACD  ( एमएसीडी ) इंडिकेटर , मूविंग एवरेज की सहायता से बनता है जिसे चार्ट पर लाइन के माध्यम से प्रदर्शित किया जाता है  जिससे की समझने में आसानी होती है। 
  • MACD इंडिकेटर को किसी भी टाइमफ्रेम में देखा जा सकता है और ये सभी ट्रेडिंग प्लेटफार्म पर आसानी से उपलब्ध है। 

MACD Indicator की कमियां

अब हर टेक्निकल इंडिकेटर शेयर मार्केट के गणित पर निर्भर करता है और कई बार ये कुछ गलत संकेत भी दे देता है। ऐसे में MACD indicator की कुछ कमिया निम्नलिखित है:

  • MACD  इंडिकेटर , एक प्राइस बेस्ड इंडिकेटर होने के कारण थोड़ा लेट सिग्नल देता  है।
  • MACD इंडिकेटर अक्सर एक संभावित रिवर्सल का सिग्नल देता है लेकिन यह कभी-कभी एक झूठी सकरात्मकता भी पैदा कर सकता है׀
  • दूसरी समस्या यह है कि  MACD इंडिकेटर बहुत से रिवर्सल का प्रेडिक्शन करता है जो होते नहीं या पर्याप्त रियल प्राइस रिवर्सल नहीं होते है׀
  • इसके अलावा, बेयरिश मोमेंटम के कारण MACD अपने पूर्व चरम से दूर हो जाएगा׀  

निष्कर्ष:

  • MACD मूविंग एवरेज पर आधारित है जिसका अर्थ है कि यह मोमेंटम का एनालिसिस करने के लिए आदर्श है, यह ट्रेंड को फॉलो करती हुई एंट्री का पता लगाता है, और जब तक मोमेंटम का अंत नहीं हो जाता यह ट्रेंड में बना रहता है׀
  • जब हम यह देखते है कि MACD इंडिकेटर की दो लाइनें एक-दूसरे से दूर हो जाती है, तो इसका अर्थ होता है कि मोमेंटम बढ़ रहा है और ट्रेंड मजबूत हो रहा है׀
  • MACD  टेक्निकल सिग्नल को ट्रिगर करता है जब यह अपनी सिग्नल लाइन के ऊपर (खरीदने के लिए) या नीचे (बेचने के लिए) को पार करता है।
  • क्रॉसओवर की गति को एक मार्केट ट्रेंड के रूप में भी लिया जाता है कि वह ओवरबॉट है या ओवरसोल्ड है।
  • MACD  इंवेस्टर्स को यह समझाने में मदद करता है कि कीमत में बुलिश ट्रेंड या बेयरिश ट्रेंड की गति मजबूत हो रही है या कमजोर।

किसी भी इंडीकेटर्स को समझने के लिए आपको उन्हें अच्छे से बार -बार समझना होगा। कोई भी इंडीकेटर्स एक्यूरेट सिग्नल नहीं दिखाते हैं। आपको अनुभव से पता चलेगा की कौन सा इंडीकेटर्स किस तरीके से काम करता है। तो इसलिए लगातार अभ्यास करते रहें। इंडिकेटर विश्वास बनाने और हमारी ट्रेडिंग में फेयरनेस (निष्पक्षता) बनाने के लिए एक महान टूल्स साबित हो सकते है׀


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