डेरिवेटिवेस के प्रकार

वित्तीय बाजार बेहद अस्थिर होते हैंइस बाज़ार में सिक्युरिटीज़ जैसे (स्टॉक, मुद्रा, ब्याज दर और कमोडिटीज़) की क़ीमतें विभिन्न आंतरिक और बाहरी कारकों से प्रभावित होकर ऊपर नीचे होती रहती है इसी अस्थिरता के कारण वित्तेय बाज़ार को बहुत जोखिम भरा माना जाता है

ट्रेडर का अनुमान अगर ग़लत हो तो मिनटो में उसकी सारी पूँजी ख़त्म हो सकती है। निवेशक की बाज़ार की दिशा की  भविष्यवाणी ज़रूरी नही कि सत्य साबित हो और इसमें उसका मुनाफ़ा भी ज़्यादा समय तक नहीं रह सकता।

इसीलिए इस बाज़ार में किसी भी ट्रेडर या निवेशक की प्राथमिक चिन्ता अपने जोखिम को कम करने के साथ साथ अपने रिटर्न को बनाए रखना होता है। इन वित्तीय बाज़ारों में बहुत जोखिम कारणो की वजह से कई दूसरे साधन बनाए गए है जो निवेशको को उनके जोखिम को कम करने और जितना सम्भव हो सके उतना रिटर्न की गारंटी देने में मदद करते है।

डेरिवेटिवेस ऐसा ही एक साधन है।

डेरिवेटिवेस ऐसे फ़ायनैन्शल कॉंट्रैक्टस होते है जो आपकी आधारभूत सम्पत्तिओं से अपना मूल्य प्राप्त करते है। इस मामले में आधारभूत संपत्ति जैसे स्टॉक, कमोडिटीज़, सूचकांक, मुद्राएँ, ब्याज दर या विनिमय दर हो सकती है।

डेरिवेटिवेस का मूल्य इन सभी आधारभूत सम्पत्तिओं पर निर्भर करता है, इस प्रकार इस संपत्ति के भविष्य की क़ीमतों की भविष्यवाणी करके डेरीवेटिव कॉंट्रैक्ट की क़ीमत का अनुमान लगाने के साथ-साथ उनका ट्रेड भी किया जा सकता है।    

डेरिवेटिवेस सबसे असरल (complex) फ़ायनैन्शल साधन में से एक है, लेकिन यह सबसे पुरस्क्रत भी है। डेरिवेटिवेस बचाव-व्यवस्था, विदेशी मुद्रा के क्रय-विक्रय, अपनी परिस्थिति का फायदा उठाना जैसे साधन प्रपात करने के लिए बहुत फ़ायदेमंद है।

इस बाज़ार में चुनने के लिए विभिन्न प्रकार के डेरिवेटिवस उपलब्ध है। कांटैक्टस के आधार पर इन डेरिवेटिवस के कई प्रकार होते है जिनमे उद्देश्यों, जोखिम और रिटर्न पैटर्नस भिन्न होते है।  डेरिवटिव की कई उप-श्रेणियाँ भी है लेकिन चार प्रकार के मुख्य डेरिवेटिव होते है, जैसे:

फॉरवर्ड (आगे बढ़ाने वाले) कॉंट्रैक्टस:

डेरिवेटिव के सबसे सरल और पुराने प्रकारों में से एक फ़ॉरवर्ड कॉंट्रैक्टस है। यह एक ऐसा कांटैक्ट होता है जो दो पार्टियों (खरीदार और विक्रेता) के बीच एक ऐसा समझौता होता है, जो भविष्य में किसी भी संपत्ति को खरीदने या बेचने के लिए आज की कीमत पर तय किया जाता है। जिन्हें फ़ॉर्वर्ड कमिटमेंटस भी कहा जाता है और ये समझौता दोनों पक्षों को रद्दीकरण का अधिकार नहीं देता हैं।

लेकिन फ़ॉर्वर्ड कॉंट्रैक्ट में एक कमी यह है की ये कॉंट्रैक्ट सिर्फ़ दो पार्टियों के बीच होता है और इक्स्चेंज मध्यस्थ के रूप में कार्य नहीं करता इसलिए इसमें  धोखा होने का रिस्क अधिक होता है। यह कॉंट्रैक्ट ख़रीदार और विक्रेता के बीच एक निजी प्रकृति का है, जिसमें लेन देन की जानकारी सार्वजनिक रूप से जारी करना कोई ज़रूरी नहीं होता है

फ़ॉर्वर्ड कॉंट्रैक्ट को पार्टियाँ अपनी आवश्यकतों के अनुसार (अनुकूल) भी कर सकती है, जिसमें उन्हें किसी भी स्टैंडर्ड फ़ॉर्मैट (मानकीकरत संरूप) का पालन नहीं करना पड़ता है।

उदाहरण के लिए, पार्टी ‘A’ जिसके पास संपत्ति के रूप में रियल एस्टेट प्रॉपर्टी है और वो उसे एक साल में बेचने का इरादा रखती है और पार्टी ‘B’ उसी प्रॉपर्टी को एक साल में ख़रीदने का इरादा रखती है, इसीलिए ये दोनो पार्टीज़ एक अनुकूल (विशिष्ट रूप से निर्मित) फ़ॉर्वर्ड कॉंट्रैक्ट बना कर उसी दिन संपत्ति की क़ीमत और डिलीवरी डेट तय कर लेते है।


फ़्यूचर कॉंट्रैक्ट

फ़्यूचर कॉंट्रैक्ट भी डेरिवेटिव का ही एक प्रकार है जो फ़ॉर्वर्ड कांट्रैक्टस से विकसित हुआ है। फ़्यूचर कॉंट्रैक्ट एक ऐसा क़ानूनी समझौता है जिसमें भविष्य में डेरिवेटिवेस बेचने के लिए एक निर्धारित समय से पूर्व एक निर्धारित क़ीमत तय हो जाती है।

कोई भी कमोडिटी या फ़ायनैन्शल साधन (वित्तीय साधन) डेरिवेटिवेस की आधारभूत संपत्ति हो सकते है। इस फ़्यूचर ट्रेडिग कॉंट्रैक्ट में विचार करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह है की इसमें ख़रीदार और विक्रेता दोनो पर इस कॉंट्रैक्ट को पूर्व निर्धारित समय पर और मूल्य पर ख़त्म करना आवश्यक होता है। इसमें पूर्व निर्धारित मूल्य को फ़्यूचर प्राइस और पूर्व निर्धारित समय को डिलिव्री डेट (तिथि) कहा जाता है।

फ़्यूचर कॉंट्रैक्टस फ़ॉर्वर्ड कॉंट्रैक्टस की तुलना में सुरक्षित होते है, क्यूँकि ये एक्सचेंज (विनिमय केंद्र) और बिचौलियो के साथ भी ट्रेड करते है जो की सुरक्षित है क्यूँकि उसमें धोखा होने के अवसर कम होते है,  एक्सचेंज( विनिमय केंद्र) के भागीदारी के कारण फ़्यूचर कॉंट्रैक्टस एक जैसे होते है और उन्हें ख़रीदारों और विक्रेताओ की आवश्यकतों के अनुसार अनुकूल (विशिष्ट रूप से निर्मित) नहीं किया जा सकता है।

इसके अलावा फ़्यूचर कॉंट्रैक्टस फ़ॉर्वर्ड कॉंट्रैक्टस के विपरीत दैनिक समझौतो के अधीन होते है।     

जैसे उदाहरण के लिए कोई एक व्यापारी उम्मीद करता है कि निकट भविष्य में IBM के शेयरों की कीमत बढ़ने जा रही है, वह उस आधारभूत मूल्य पर IBM के उन स्टॉकस को भविष्य के लिए खरीदता है। अब, समाप्ति तिथि तक, यदि IBM शेयरों की कीमत बढ़ जाती है, तो वह अपने IBM के शेयर बाजार मूल्य से कम कीमत पर खरीद सकता है और मुनाफा कमा सकता है।


आप्शनस कांट्रैक्टस

आप्शनस कॉंट्रैक्टस डेरिवेटिवेस के सबसे अधिक उपयोग किए जाने प्रकारों में से एक है।

आप्शनस ट्रेडिग कॉंट्रैक्ट का एक रूप है जिसमें किसी ख़रीदार को एक विशिष्ट समय पर अपने अधिकार को उपयोग करने का अधिकार होता है।  लेकिन आप्शनस ट्रेडिग में ध्यान देने वाली बात यह है की इसमें ख़रीदार के पास अपने अधिकारो का उपयोग करना ज़रूरी नहीं होता। है।

वह अपने अधिकार का इस्तेमाल करके अपने अनुसार अपनी प्रतिभूतियो को ख़रीद व बेच सकता है। इस कॉंट्रैक्ट में प्रवेश करने के लिए आपसे एक फ़ीस या प्रीमीयम लिया जाता है। आप्शनस कॉंट्रैक्टस एक्सचेंज (विनिमय केंद्र) के तरह एक ही तरह ट्रेड करते है। आप्शनस दो प्रकार के होते है कॉल और पुट

कॉल आप्शन  खरीदार को उसकी समाप्ति पर या उससे पहले पूर्व निर्धारित कीमत पर एक आधारभूत संपत्ति खरीदने का अधिकार देता है, जबकि पुट आप्शन खरीदार को पहले या उससे पहले की पूर्व निर्धारित कीमत संपत्ति बेचने का सिर्फ़ अधिकार देता है उसके लिए उसे बाध्य नहीं करता है।


स्वैप कॉंट्रैक्टस:

स्वैप कॉंट्रैक्टस डेरिवेटिवस के सबसे मुश्किल प्रकारों में से एक हैं।

स्वैप कॉंट्रैक्टस भविष्य में दो पक्षों के बीच होने वाले नकद प्रवाह का आदान-प्रदान करने के लिए एक निजी समझौता है जो पूर्व निर्धारित होता है। क्यूँकि स्वैप कॉंट्रैक्टस निजी समझौते होते हैं, इसलिए उनमें जोखिम भी बड़ी मात्रा में होती हैं। उनमें जोखिम इसलिए होता है क्यूँकि अधिकांश स्वैप कॉंट्रैक्टस मुद्रा या ब्याज दर पर आधारित प्रतिभूतिया होती है जो बहुत अस्थिर होती है।

ब्याज दर स्वैप और मुद्रा स्वैप स्वैप कॉंट्रैक्टस के दो सबसे आम प्रकार हैं।

ब्याज दर स्वैप में, पार्टियों के बीच केवल ब्याज से संबंधित नकद प्रवाह की स्वैपिग होती है, जबकि मुद्रा स्वैप में, प्रिन्सिपल और ब्याज से संबंधित नकदी प्रवाह दोनों ही अलग कर दिए जाते है लेकिन नकदी प्रवाह के लिए मुद्रा अलग अलग दिशा में होती है

इस प्रकार, निवेशकों के लिए डेरिवेटिवस बाजार में ट्रेड करने के लिए कई साधन उपलब्ध हैं जो बुनियादी स्थितियों में भिन्न होते हैं और दोनों पक्षों के लिए अलग अलग काम करते हैं, लेकिन सभी प्रकार के डेरिवेटिवस का उद्देश्य निवेशकों के जोखिम को संभालने और मुनाफे को बनाए रखने में उनकी सहायता करता होता है

यदि आप शेयर बाजार में ट्रेडिग  के साथ शुरुआत करना चाहते हैं, तो आप नीचे दिए गए फॉर्म में  अपना विवरण प्रदान कर सकते हैं  जिसके बाद आपके लिए एक कॉलबैक की व्यवस्था की जाएगी:

 

Summary
Review Date
Reviewed Item
डेरिवेटिवेस के प्रकार
Author Rating
51star1star1star1star1star

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

9 − two =