What is Volume in Share Market in Hindi

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शेयर बाजार में वॉल्यूम सबसे उपयोगी इंडिकेटर में से एक है। ज्यादातर ट्रेडर और निवेशकों वॉल्यूम को ट्रेड प्लेस करते हुए अनदेखी कर देते है। इसलिए आज इस पोस्ट में, हम बात करेंगे What is Volume in Share Market in Hindi?

वॉल्यूम आपको किसी एक सिक्योरिटी के बारे में बाजार के सभी प्रतिभागी को वर्तमान ट्रेंड का पता लगाने में मदद करता है।

यह आसानी से आपके ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध है, जिसका उपयोग आप ट्रेड करने के लिए करते हैं।

अभी तक आपने शेयर बाजार में वॉल्यूम पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया होगा, लेकिन What is Volume in Share Market in Hindi के पोस्ट को पढ़ने के बाद आपको इस विषय से जुड़ी संपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। 

चलिए फिर ज्यादा देर नहीं करते है और शेयर मार्केट में वॉल्यूम की बुनियादी जानकारी और इसके शेयर मार्केट में उपयोगिता के बारे में भी पता लग जाएगा। 


शेयर मार्केट में वॉल्यूम क्या है?

वॉल्यूम एक ऐसा टूल है जो यह बताता है कि एक निश्चित टाइम पीरियड में कितने शेयर को खरीदा और बेचा गया है। 

यह ट्रेंड और पैटर्न की एनालिसिस करने में मदद करता है। 

आप चाहे किसी एक व्यक्ति के स्टॉक की बात करें या ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की संख्या या फिर पूरे स्टॉक मार्केट के बारे में, वॉल्यूम की जानकारी आपको सभी जगह मिलेगी।

लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि बहुत ही कम ट्रेडर या निवेशक होते है जो इस जानकारी को अधिक प्रॉफिट और कम जोखिम के लिए इस्तेमाल करते हैं।

वॉल्यूम एक स्टॉक में निवेशक की रुचि के बारे में जानकारी देता है।

मार्केट में एक खरीददार को ट्रेड पूरा करने के लिए एक विक्रेता की जरुरत होती है। 


what is volume in share market with example

चलिए आगे शेयर मार्केट में वॉल्यूम का उदाहरण के साथ समझते हैं।

उदाहरण के लिए मान लेते है, अगर आप स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया (SBI) के 1000 शेयर ₹270 रुपये पर खरीदने का निर्णय करते हैं। 

और, आपका दोस्त SBI के शेयर ₹270 रुपये पर 1000 शेयर बेचना चाहता है।

यहाँ आप देख सकते है कि आपके और दोस्त का वॉल्यूम और प्राइस एक है, जिसके परिणामस्वरूप एक ट्रेड पूरा होता है।

आप और आपके दोस्त ने 1000 शेयर का एक वॉल्यूम बनाया है।

कई लोग वॉल्यूम को 2000 (1000+1000) मान बैठते हैं, जो वॉल्यूम काउंट करने का सही तरीका नहीं है।


ट्रेडिंग और इन्वेस्टिंग के लिए वॉल्यूम डाटा को कैसे इस्तेमाल किया जाता है?

आपने ट्रेड करते हुए कई बार यह देखा होगा, जब भी किसी स्टॉक से रिलेटेड न्यूज़ जैसे अच्छी तिमाही रिपोर्ट या किसी एक कंपनी के लिए नए प्रोडक्शन साइट का खुलना इत्यादि खबरें आती है, तो मार्केट ऐसी खबरों पर रियेक्ट करती है और परिणामस्वरूप हाई वॉल्यूम में ख़रीददारी बढ़ जाती है।

इसी तरह जब मार्केट में कोई नेगेटिव न्यूज़ आती है तो बाजार में उसका प्रतिकूल असर पड़ता है और वॉल्यूम में भी अचानक से गिरावट देखा जाता है। 

इसके पहले की हम ट्रेडिंग में वॉल्यूम डाटा के बारे में बात करें, आपको पहले अलग-अलग तरह के “मार्केट पार्टिसिपेंट्स” के बारे में जानना होगा 

ये मार्केट पार्टिसिपेंट्स विभिन्न श्रेणियों में अलग-अलग किया गया है:

  • डोमेस्टिक रिटेल पार्टिसिपेंट्स – ये आप और मेरे जैसे इन्वेस्टर होते हैं। कोई भी भी व्यक्ति, जो अपने लेवल पर इन्वेस्टमेंट या ट्रेडिंग या मार्केट में लेन देन करता है। 
  • NRI और OCI (प्रवासी भारतीय) – ऐसे लोग जो किसी और देश में स्थित है लेकिन जन्म स्थान भारत में है। 
  • डोमेस्टिक इंस्टीटूशन (DII’S) – भारत में स्थित बड़े कॉरपोरेट घराने। ज्यादातर इसमें बड़ी इंश्योरेंस कंपनी, म्यूच्यूअल फंड कंपनी शामिल होती है। 
  • डोमेस्टिक एसेट मैनेजमेंट कंपनी (AMC) – एक एसेट मैनेजमेंट कंपनी एक फर्म है जो ग्राहकों से जमा किए गए धन का निवेश करती है। इन पैसों को कंपनी स्टॉक, बॉन्ड आदि विभिन्न इन्वेस्टमेंट सेगमेंट में लगाते हैं। कुछ विशिष्ट उदाहरण आईसीआईसीआई प्रुडेंशियल म्यूचुअल फंड, HDFC AMC, SBI म्यूचुअल फंड आदि है।
  • फॉरेन इंस्टीटूशनल इन्वेस्टर्स (FII’s) – ये गैर-भारतीय कॉर्पोरेट संगठन या संस्थान, फॉरेन एसेट मैनेजमेंट कंपनियां, हेज फंड (Hedge Fund) आदि हैं । 

इस जानकारी को जानने के पीछे सीधा उद्देश्य वॉल्यूम से जुड़ा है। हाई वॉल्यूम बनाने में रिटेल ट्रेडर की बहुत छोटी भूमिका है, इसका मुख्य कारण बाजार में बड़े खिलाड़ी हैं।

जब इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर खरीदते या बेचते हैं तो वे कम वॉल्यूम में शेयर में निवेश नहीं करते है।

मान लीजिये यदि कोई डोमेस्टिक एसेट मैनेजमेंट कंपनी जैसे HDFC AMC किसी स्टॉक का शेयर खरीदती है, तो यह लाख या करोड़ की संख्या में होगी। इसका महत्वपूर्ण प्रभाव स्टॉक के प्राइस के साथ-साथ वॉल्यूम पर भी पड़ता है।

एक और बात ध्यान देने वाली है, यदि कोई बड़ी कंपनी किसी एक विशेष स्टॉक में खरीददारी के लिए रुचि दिखती तो निश्चित रूप से कंपनी अपने प्रतिस्पर्धी कंपनियों से अच्छा परफॉर्म कर रही हैं। 

नीचे एक टेबल दी गयी है जो प्राइस में वॉल्यूम और इसका क्या प्रभाव होगा, उसके बारे में जानने में मदद करेगी।

वॉल्यूम  प्राइस  अनुमान 
वृद्धि (Increase) वृद्धि (Increase) बुलिश (Bullish)
गिरावट (Decrease) वृद्धि (Increase) छोटे ट्रेडर खरीददारी कर रहे हैं 
वृद्धि (Increase) गिरावट (Decrease) बेयरिश (Bearish)
गिरावट (Decrease) गिरावट (Decrease) छोटे ट्रेडर बिकावाली कर रहे हैं 

वॉल्यूम को हाल के इतिहास के सापेक्ष देखा जाना चाहिए। आज के वॉल्यूम की तुलना पिछले 10, 20 या 50 दिनों के एवरेज वॉल्यूम के आंकड़ों को देख कर करना चाहिए।

जितना अधिक हालिया डाटा सेट किया जाता है, उतना ही सही जानकारी मिलने की संभावना होती है।

जब हम वॉल्यूम में वृद्धि की बात करते हैं तो इसका मतलब है कि आज का वॉल्यूम पिछले 10,20,50 दिनों के वॉल्यूम की तुलना में अधिक है।

इसे एक और बार समझ लेते हैं, यदि किसी विशेष स्टॉक में अधिक वॉल्यूम में ट्रेडिंग होती है, तो आमतौर पर इसका मतलब है कि निवेशक इसे खरीदने या बेचने में रुचि रखते हैं।

यदि वॉल्यूम और प्राइस बढ़ रही है, तो इसका मतलब है कि निवेशक अनुमान लगाता हैं कि कंपनी अच्छा करेगी। 

जबकि अगर वॉल्यूम बढ़ता है लेकिन कीमत नीचे जा रही है, तो इसका मतलब है कि अधिक निवेशक बेचना चाहते हैं।

इसके अलावा, याद रखें किसी हाई विशेष सिक्योरिटी के हाई वॉल्यूम का परिणाम हाई लिक्विडिटी होता है। 

यह जानते हुए कि अन्य निवेशक क्या ट्रेड कर रहे हैं, यह समझना महत्वपूर्ण है कि कौन से स्टॉक खेल में हैं और किस स्टॉक में बड़ा उलटफेर होने वाला है।

आइए हम उपरोक्त टेबल की सामग्री को समझते हैं:

  • यदि वॉल्यूम और प्राइस दोनों बढ़ जाते हैं, तो इससे आगे के ट्रेडिंग सेशन में स्टॉक पर बुलिश देखने को मिलेगी। 
  • यदि वॉल्यूम कम हो रहा है लेकिन स्टॉक की प्राइस बढ़ रही है तो संस्थागत निवेशकों की बजाय रिटेल भागीदारी हो रही है। ऐसी स्थिति से बचने की आवश्यकता है क्योंकि यह एक बुल ट्रैप हो सकता है। 
  • जबकि अगर वॉल्यूम बढ़ रहा है लेकिन स्टॉक की कीमत घट रही है, तो बड़े निवेशक बेच रहे हैं, इसलिए स्टॉक पर नजर रखना चाहिए।
  • यदि वॉल्यूम और प्राइस दोनों घट रहे हैं तो इसका मतलब है कि खुदरा ट्रेडर के भागीदारी के कारण कीमत कम हो रही है, न कि संस्थागत निवेशकों की बिक्री के कारण। 
  • वॉल्यूम भी घट रहा है और रिटेलर्स बड़े निवेशकों के बजाय बेच रहे हैं। यह  स्थिति बियर ट्रैप (Bear Trap) की तरफ जा सकती है। एक ट्रेडर या निवेशक को इन स्थिति से बचने की आवश्यकता है। 

शेयर मार्केट में वॉल्यूम के प्रकार

दो प्रकार के वॉल्यूम होते हैं 

डिलिवरी वॉल्यूम – डिलीवरी वॉल्यूम वे शेयर होते हैं जो एक डीमैट खाते से दूसरे में ट्रांसफर होते हैं और उन्हें एक दिन के अंदर स्क्वायर ऑफ नहीं किया जाता है। 

ट्रेडेड वॉल्यूम- ट्रेडेड वॉल्यूम दिन में कारोबार करने वाले शेयरों की कुल संख्या है।

वॉल्यूम बाजार में स्टॉक के लिए सप्लाई और डिमांड को दर्शाता है। 

कम वॉल्यूम वाले स्टॉक को Illiquid कहा जाता है। 

जब वॉल्यूम कम होती है, तो खरीदार क्या भुगतान करने के लिए तैयार हैं और विक्रेता क्या (बिड-आस्क प्राइस) लेने के लिए कह रहे हैं, के बीच स्प्रेड बढ़ेगा, जिससे एक सफल ट्रेड करना मुश्किल हो जाता है। 

नतीजतन, कम बिड प्राइस को स्वीकार किए बिना एक इल्लिक्विड स्टॉक को जल्दी से बेचना मुश्किल या असंभव हो सकता है। 

इसके अलावा, क्योंकि स्प्रेड बड़ा है, ट्रेड करते समय किसी भी दिशा में इल्लिक्विड स्टॉक में बड़े स्तर पर उतार-चढ़ाव देखे जाते हैं। 

इसलिए शेयर बाजार में कम वॉल्यूम के साथ कम इल्लिक्विड वाले शेयरों से बचें। 

डिलीवरी वॉल्यूम क्या है?

डिलीवरी वॉल्यूम किसी विशिष्ट शेयर्स की संख्या है जो वास्तव में एक सेट से लोगों के पास जाते हैं, जिनके पास आज से पहले उनके डीमैट खाते में शेयर थे और आज उन लोगों के दूसरे सेट को बेच रहे हैं, जिन्होंने उन शेयरों को खरीदा है और उन शेयरों को T + 2 दिन बाद क्रेडिट किया जाता है। 

उदाहरण के रूप में, मान लीजिए कि “A” 1000 शेयर बेचता है, 

“B” उन 1000 शेयरों को खरीदता है और उसे “C” को बेचता है, 

अब, “C” उन 1000 शेयरों को खरीदता है और “D” को बेचता है, 

अब “C” उन शेयरों को खरीदने के बाद उसे अपने साथ डिलीवरी के रूप में रख रहा है। 

यहाँ कुल वॉल्यूम 3000 शेयर है (A से D के बीच 1000 शेयर डिलीवर किए गए, जबकि 2000 शेयर इंट्राडे में किया गया है) डिलीवर करने योग्य मात्रा केवल 1000 शेयर है।

डिलीवरी की गयी शेयर की संख्या केवल 1000 शेयर है। 

यह जरूरी नहीं है की सारे ट्रेड सेटल हो जाए। कुछ ट्रेड इंट्राडे के होते हैं, जिसमे ट्रेड पोजीशन एक ही दिन के अंदर बंद कर दिए जाते हैं। 

डिलीवरी वॉल्यूम को टोटल वॉल्यूम के साथ इंट्राडे वॉल्यूम को घटाकर प्राप्त किया जा सकता है।

जब डिलीवरी के लिए शेयर की संख्या को आधार माना जाता है तो इसका मतलब है कि अधिक शेयर जमा है रहे हैं। 

यह दर्शाता है कि निवेशकों की संभावनाओं के कारण इस शेयर में अधिक रुचि देखा जा रहा है।

जिस तरह से आप डिलीवरी वॉल्यूम का एनालिसिस करते हैं, यदि स्टॉक हाई डिलीवरी वॉल्यूम के साथ ऊपर या नीचे जा रहा है, तो इस उतार चढ़ाव को मजबूत माना जाता है क्योंकि लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टर क्रमश अंदर या बाहर जा रहे हैं। 

इसे नीचे दिए गए उदाहरण से समझते हैं:

मान लीजिये, “A” 1000 शेयर खरीदता है और “B” 1000 शेयर बेचता है,

वॉल्यूम: 1000 = 1000 

अब कुछ समय के बाद, A 700 शेयर बेचता है, B 700  शेयर खरीदता है

वॉल्यूम = 700

इसमें डिलीवरी वॉल्यूम 1000 – 700 = 300 और दिन में कुल ट्रेडिंग वॉल्यूम 1000 + 700 = 1700 


निष्कर्ष

वॉल्यूम कोई लोकप्रिय जानकारी नहीं हो सकती, लेकिन आप वॉल्यूम डाटा को रेजिस्टेंस और सपोर्ट लेवल को साथ जोड़कर एक स्पष्ट जानकारी प्राप्त कर सकते है।

वॉल्यूम इंडिकेटर एक मैथमेटिकल फॉर्मूला है जो अधिकांश चार्टिंग प्लेटफॉर्म में ग्राफ़िक के माध्यम से दर्शाया जाता है।

हर इंडिकेटर के अलग फॉर्मूला का इस्तेमाल करता है। इसलिए  ट्रेडर को उस इंडिकेटर का चयन करना चाहिए जो उनके रणनीति के लिए सबसे बेहतर हो। 

हालाँकि, इंडिकेटर कोई अनिवार्य टूल नहीं है लेकिन उसके इस्तेमाल से आपके ट्रेडिंग निर्णय पर पॉजिटिव इम्पैक्ट पड़ता है। 

आमतौर पर, जिन एसेट्स का ट्रेडिंग वॉल्यूम अधिक होता है चाहे वे स्टॉक हो या कुछ और, उनको  लिक्विड माना जाता है।

यदि आप किसी स्टॉक को बेचना चाहते हैं तो वॉल्यूम जितना अधिक होगा, उतना ही अधिक लोग इसे एक्टिव रूप से ट्रेड कर रहे हैं और इसकी अधिक संभावना होती है कि आप जिस कीमत पर खरीदना चाहते हैं  उसी कीमत पर बायर मिलेंगे।

वॉल्यूम एनालिसिस कोई सफल रणनीति नहीं है, बल्कि ये आपको अतिरिक्त जानकारी देता है। लेकिन जब भी आप ट्रेड करते हैं तो वॉल्यूम इंडिकेटर का इस्तेमाल करके आप ट्रेंड और पैटर्न का पता लगा सकते हैं। 


यदि आप शेयर मार्केट में शुरुआत करना चाहते हैं तो सबसे पहले डीमैट खाता खोलें।

डीमैट खाता खोलने के लिए नीचे दिए गए फॉर्म को देखें:

यहाँ अपना बुनियादी विवरण भरें और उसके बाद आपके लिए कॉलबैक की व्यवस्था की जाएगी।

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