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क्या आपको बीएसई सेंसेक्स के बारे में पता है?
यदि आप शेयर बाजार से परिचित है तो फिर आपने सेंसेक्स (Sensex) शब्द के बारे में जरूर सुना होगा।
अगर आप स्टॉक मार्केट के बारे में नहीं जानते तो भी अक्सर आपने टीवी या अखबार में देखा या पढ़ा होगा कि आज बीएसई सेंसेक्स इतने अंक नीचे गिर गया है तो कभी ऊपर आ गया।
आपके मन में भी जरूर जिज्ञासा आयी होगी कि आखिरकार ये सेंसेक्स के ऊपर-नीचे जाने का माजरा क्या है।
इसलिए चाहे आप शेयर मार्केट में हो या न हो, लेकिन आपको अपने सामान्य ज्ञान के लिए भी इन विषयों को जानना बहुत जरुरी है।
आज इस पोस्ट में हम आपको ऐसे सभी का सवालों देंगे, जो बीएसई सेंसेक्स से संबंधित है और यह शेयर मार्केट में क्या भूमिका निभाती है।
जब आप इस लेख को पूरा पढ़ लेंगे तो हमें उम्मीद है की आपको बीएसई सेंसेक्स से संबंधित सभी पहलुओं को समझ जाएंगे।
चलिए बीएसई सेंसेक्स को शुरुआत से समझते हैं।
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बीएसई सेंसेक्स की जानकारी हिंदी में
भारत में कई सारे स्टॉक एक्सचेंज है। बीएसई सेंसेक्स उनमे से एक है।
S&P बीएसई या सेंसेक्स एक मीट्रिक है जो बीएसई में लिस्टेड कंपनियों के शेयरों की परफॉरमेंस का समीक्षा करती है।
S&P का अर्थ स्टैंडर्ड एंड पूअर्स है जो कि एक इंटरनेशनल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है। यह मूल रूप से इंडेक्स बनाने का काम करती है। इस एजेंसी ने बीएसई को इंडेक्स के लिए लाइसेंस प्रदान किया है। इसलिए बीएसई के साथ S&P जुड़ा हुआ है।
चलिए अब बीएसई की बात करते हैं।
बीएसई, भारत के पहले और सबसे बड़े सिक्योरिटीज (शेयर, बाॅंड, एसेट) मार्केट, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज को दर्शाता है।
*स्टॉक एक्सचेंज एक ऐसी जगह है, जो एक नीलामी बाजार (Auction Market) के रूप में कार्य करती है, जहां बायर (खरीदार) और सेलर (विक्रेता) सिक्योरिटीज का ट्रेड करते हैं।
बीएसई की स्थापना मुंबई में हुई थी और इसकी स्थापना नेटिव शेयर और स्टॉक ब्रोकर्स एसोसिएशन द्वारा वर्ष 1875 में किया गया था।
यह दुनिया की सबसे बड़े स्टॉक एक्सचेंजों में से एक है, जिसमें लगभग 5000 लिस्टेड कंपनियां शामिल हैं।
अब, हम बात करते हैं – Sensex Meaning in Hindi
यह वास्तव में एक शेयर बाजार इंडेक्स है, जिसे मीट्रिक भी कहा जाता है, जो प्रत्येक सेक्टर से सिलेक्टेड शेयरों के परफॉर्मन्स को बताता है।
बीएसई सेंसेक्स में 11 इंडस्ट्रियल सेक्टर्स से 31 कंपनियां हैं।
ये अपने रिलेटेड सेक्टर से फाइनेंशियल क्षमता और परफॉरमेंस के आधार पर चयन किये जाते हैं।
यह कंपनियां अपने रिलेटेड सेक्टर के ओवरऑल परफॉरमेंस को रिप्रेजेंट करता है।
इन चयनित कंपनियों को नियमित रूप से रिव्यु किया जाता है और जब आवश्यक हो तब सिलेक्टेड कंपनियों के इंडेक्स को बदला भी जा सकता हैं।
बीएसई सेंसेक्स देश का सबसे पुराना इंडेक्स है और 1979 से लेकर अबतक का इंडेक्स डेटा प्रदान करता है।
इससे पहले, बीएसई सेंसेक्स इंडेक्स की गणना “फुल मार्केट कैप्टिलाइज़ेशन” के आधार पर की जाती थी।
बाद में सितंबर 2003 के बाद “फ्री-फ्लोट मेथडोलॉजी” मेथड द्वारा गणना की जाने लगी।
फ्री-फ्लोट मेथडोलॉजी को दुनिया के सभी प्रमुख इंडेक्स द्वारा अपनाया जा रहा है, जिसमें MSCI, FTSE, STOXX, S&P और डाउ जोन्स शामिल हैं।
कुछ महत्वपूर्ण फैक्ट्स:
- S&P BSE Sensex का आधार वर्ष (Base Year) 1978-79 है।
- इसका आधार मूल्य (Base Value) 100 है।
- इंडेक्स घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय दोनों बाजारों में प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के माध्यम से व्यापक रूप से बताया जाता है।
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Sensex Meaning in Hindi – सेंसेक्स का अर्थ
सेंसेक्स वास्तव में सेंसिटिव और इंडेक्स से मिल कर बना है। यह एक शेयर बाजार टर्म है जिसे एनालिस्ट दीपक मोहोनी द्वारा डिफाइन किया गया था।
आमतौर पर, सेंसेक्स एक इंडेक्स है जिसका उपयोग बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड कंपनियों के परफॉरमेंस को दिखाने के लिए किया जाता है।
1986 में बीएसई द्वारा भारतीय बाजार के परफॉरमेंस का विश्लेषण करने के लिए सेंसेक्स को ऑफिसियल इंडेक्स बनाया गया।
सेंसेक्स में 30 प्रमुख स्टॉक होते हैं जो एक्सचेंज मार्केट में एक्टिव इंडस्ट्री या सेक्टर से सिलेक्टेड होते हैं।
सेंसेक्स इंडेक्स बाजार में होने वाले उतार-चढ़ाव को दर्शाता है।
अगर सेंसेक्स के इंडेक्स में गिरावट हो रही है तो शेयरों के भाव में भी गिरावट हो रही है।
अगर इंडेक्स वैल्यू हाई है तो फिर शेयर के भाव में भी तेजी है।
इस प्रकार, एक रेगुलर इन्वेस्टर बीएसई सेंसेक्स वैल्यू को देखकर बाजार में तेजी और मंदी की पहचान कर सकता है।
S&P इंडेक्स कमिटी, इंडेक्स बनाने के फैक्टर का चयन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसका चयन नीचे दिए गए पाँच क्राइटेरिया के आधार पर किया गया था।
मूल रूप से, S&P BSE सेंसेक्स को दो मुख्य क्राइटेरिया पर स्क्रीन किया गया है:
- क्वांटिटेटिव क्राइटेरिया (मात्रात्मक मानदंड): इनमें निम्नलिखित पाँच मुख्य बिंदु शामिल हैं-
- मार्केट कैप्टिललाइज़ेशन (बाजार पूंजीकरण) – सिक्योरिटी को ‘फुल मार्केट कैप्टिललाइज़ेशन’ द्वारा लिस्टेड टॉप 100 कंपनियों में होनी चाहिए। प्रत्येक सिक्योरिटी की वैल्यू, जो फ्री-फ्लोट पर आधारित है, इंडेक्स का कम से कम 0.5% होना चाहिए।
- लिस्टिंग हिस्ट्री – सिक्योरिटी को सेंसेक्स पर कम से कम एक वर्ष के लिए लिस्टेड होना चाहिए।
- ट्रेडिंग फ्रीक्वेंसी – सिक्योरिटी को पिछले एक वर्ष के प्रत्येक ट्रेडिंग दिन पर ट्रेड किया गया हो। हालांकि, इसमें कुछ अपवाद भी हैं जो दुर्लभ स्थितियों में किया जा सकता है जैसे कि सिक्योरिटी का निलंबन।
- एवरेज डेली ट्रेड – लिस्टेड होने के लिए, सिक्योरिटी की रैंक टॉप 150 कंपनियों में होनी चाहिए, जिनका विश्लेषण पिछले एक साल में प्रति दिन किए गए एवरेज ट्रेड के आधार पर किया जाता है।
- एवरेज डेली टर्नओवर – सिक्योरिटी को पिछले एक वर्ष के लिए प्रति दिन ट्रेड किये गए शेयरों के एवरेज प्राइस द्वारा टॉप 150 लिस्टेड कंपनियों में शामिल होना चाहिए।
- क्वालिटेटिव क्राइटेरिया: स्टॉक सिलेक्शन कमिटी या इंडेक्स कमिटी को किसी एक विशेष सिक्योरिटी का ट्रैक रिकॉर्ड इंडेक्स का हिस्सा बनने के लिए विचार करते है।
लेटेस्ट नंबर के अनुसार, जो कंपनियां सेंसेक्स बनाती हैं, उनके वैल्यू के आधार पर निम्नलिखित टेबल में दर्शाया गया हैं:
कंपनी का नाम | वेटेज |
रिलायंस इंडस्ट्रीज | 12.38% |
HDFC बैंक | 11.34% |
HDFC | 8.91% |
इंफोसिस | 7.14% |
आईसीआईसीआई बैंक | 6.71% |
ITC | 5.17% |
TCS | 5.21% |
हिंदुस्तान युनीलेवेर | 5.12% |
कोटक बैंक | 5.17% |
L&T | 3.00% |
भारती एयरटेल | 2.98% |
एक्सिस बैंक | 2.79% |
एसियन पेंट | 2.25% |
SBI | 2.18% |
मारुती | 2.14% |
बजाज फाइनेंस | 1.90% |
नेस्ले इंडिया | 1.82% |
HCL टेक | 1.54% |
सन फार्मा | 1.52% |
टाइटन | 1.28% |
पॉवरग्रिड | 1.12% |
अल्ट्राटेक | 1.12% |
महिंद्रा एंड महिंद्रा | 1.12% |
टेक महिंद्रा | 1.02% |
बजाज ऑटो | 1.00% |
NTPC | 0.99% |
ONGC | 0.94% |
हीरो मोटर कॉर्प | 0.78% |
टाटा स्टील | 0.68% |
इंदसिंद बैंक | 0.69% |
Sensex Full Form in Hindi
सेंसेक्स का फुल फॉर्म “स्टॉक एक्सचेंज सेंसिटिव इंडेक्स” होता है।
इसका मतलब एक इंडिकेटर है जिसका उपयोग बीएसई में लिस्टेड कंपनियों के शेयर के बढ़ते-घटते भाव का अनुमान लगाने के लिए किया जाता है।
यह विभिन्न स्टॉक के परफॉरमेंस के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान करता है और इसका उपयोग लिक्विडिटी और मार्केट कैप के आधार पर किसी विशेष स्टॉक की क्षमता को मापने के लिए किया जाता है।
इसके अलावा, इसका उपयोग शेयर बाजार की वित्तीय क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए किया जाता है।
सेंसेक्स निवेशकों को कई लाभ प्रदान करता है जैसे:
- बीएसई में लिस्टेड कंपनी के शेयरों की बेहतर दृश्यता।
- कंपनी की प्रतिष्ठा बढ़ाता है।
- कंपनी को अपनी पूंजी जुटाने का मौका देता है
- इक्विटी धारकों की लिक्विडिटी में वृद्धि और विकास के विभिन्न अवसर प्रदान करता है।
बीएसई सेंसेक्स ओपनिंग टाइम
भारत में दो प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज बीएसई और एनएसई हैं।
ये दोनों एक्सचेंज सोमवार से शुक्रवार तक खुले होते हैं और वीकेंड और अन्य सरकारी अवकाश के दौरान बंद रहते हैं।
ट्रेडिंग सेशन के दौरान, एक्सचेंज सुबह 9:15 बजे से दोपहर 3:30 बजे तक खुली रहती हैं।
हालांकि, बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के समय को बाजार में अस्थिरता को कम करने के लिए तीन मुख्य सेशन में अलग किया गया है।
- नॉर्मल सेशन
- प्री-ओपनिंग सेशन
- पोस्ट क्लोजिंग सेशन
नॉर्मल सेशन: इस सेशन में कोई ब्रेक नहीं होता है, यह सुबह 9:15 बजे शुरू होता है और 3:30 बजे बंद होता है। यह बाइलेट्रल मैचिंग सेशन को फॉलो करता है।
प्री-ओपनिंग सेशन: यह शेयर बाजार खुलने से पहले का समय होता है। इसे तीन भागों में बाँटा किया गया है जैसा कि नीचे दी गई टेबल में दिखाया गया है:
सेंसक्स प्री-ओपनिंग सेशन | |
सेशन टाइम | एक्टिविटी |
9:00 AM-9:08 AM | ऑर्डर एंट्री सेशन |
आपको स्टॉक खरीदने और बेचने के लिए ऑर्डर देने की अनुमति देता है। | |
सेशन के दौरान ऑर्डर को बदलाव करने या रद्द करने की अनुमति मिलता है। | |
9:08 AM-9:12 AM | नॉर्मल सेशन के शुरुआती मूल्य की गणना और ऑर्डर का मिलान |
ऑर्डर को संशोधित या रद्द करने की अनुमति नहीं है। | |
9:12 AM-9:15 AM | यह एक बफर अविधि है। |
नॉर्मल सेशन से पहले प्री-ओपनिंग सेशन के सहज बदली के लिए उपयोग किया जाता है। |
नॉर्मल सेशन की शुरुआती मूल्य की गणना मल्टीलेटरल ऑर्डर मैचिंग सिस्टम का उपयोग करके की जाती है। यह बाजार खुलने के बाद वोलैटिलिटी को कम करता है।
लेकिन इसके बावजूद भी, ज्यादातर लोग प्री-ऑर्डर सेशन का लाभ नहीं उठा पाते हैं और इसलिए फिर भी बाजार में बहुत ज्यादा वोलैटिलिटी बनी रहती है।
पोस्ट-क्लोजिंग सेशन: अंत में पोस्ट-क्लोजिंग सेशन आता है, यानी बाजार बंद होने के बाद का समय। यह दोपहर 3:40 बजे से शाम 4:00 बजे के बीच रहता है।
क्लोजिंग के बाद का सेशन भी ट्रेडर को स्टॉक के क्लोजिंग प्राइसपर स्टॉक खरीदने या बेचने की अनुमति देता है। यदि ट्रेडर उपलब्ध है तो आपके ट्रेड की कन्फर्मेशन की गई कीमत पर की जाएगी।
बीएसई सेंसेक्स क्लोजिंग टाइम
चूँकि, बाजार 3:30 बजे बंद हो जाता है और 3:30 PM और 3:40 PM के बीच का समय वह समय होता है जब प्राइस कैलकुलेट बंद हो जाती है।
किसी भी स्टॉक का क्लोजिंग प्राइस 3:00 PM से 3:30 PM बजे के बीच की कीमत के वेटेड एवरेज के आधार पर किया जाता है।
यदि किसी मामले में, ट्रेडर इन पीरियड के बीच ट्रेड करने में विफल रहता है, तो आप आफ्टरमार्केट ऑर्डर (AMO) कर सकते हैं।
हालांकि, यह वास्तविक ट्रेड की अनुमति नहीं देता है लेकिन आपको ऑर्डर खरीदने या बेचने की अनुमति देती है।
बीएसई सेंसेक्स का इतिहास
बीएसई सेंसेक्स इतिहास को समझना भी महत्वपूर्ण है।
जब शेयर बाजार और संबंधित सूचकांक बाजार में प्रयोग में लाया गया था, तो केवल मुट्ठी भर लोग थे, जो “शेयर” के माध्यम से किसी और के बिज़नेस में निवेश करने की अवधारणा पर भरोसा करते थे।
लेकिन, समय के साथ लोगों की निवेश करने की आवधारणा में बहुत ज्यादा बदलाव देखा गया।
वर्तमान समय में, ज्यादातर लोग अपनी आय बढ़ाने के लिए शेयर बाजार में निवेश को एक महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में देखते है।
‘मार्केट कैपिटलाइजेशन-वेटेड’ पद्धति से लेकर ‘फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन-वेटेड’ पद्धति का उपयोग करने तक, बाजार और इंडेक्स में बहुत परिपक्वता आयी।
जब वर्ष 1986 में इंडेक्स लॉन्च किया गया था तो किसी ने भी कल्पना नहीं की होगी, जो उसने पिछले 3 दशकों में अभूतपूर्व विकास देखा है।
तब से लेकर आज तक, सेंसेक्स ने कई ऐतिहासिक बढ़त और गिरावट देखी है।
- जुलाई 1990 के दौरान, सेंसेक्स ने पहली बार चार अंकों के आंकड़े को छुआ और 1,001 पर बंद हुआ।
- जब 19 फरवरी 2013 को बीएसई और स्टैंडर्ड एंड पूअर्स (S&P) के साथ टाई-अप करता है तो सेंसेक्स, S&P सेंसेक्स बन जाता है और यह अन्य इंडेक्स के लिए एक ब्रांड के रूप में उभरता है।
- सेंसेक्स 13 मार्च, 2014 के बाद हैंग सेंग इंडेक्स (यह हांगकांग का शेयर बाजार इंडेक्स है) से अधिक मूल्य पर बंद हो जाता है और इस प्रकार यह एशिया का प्रमुख शेयर बाजार इंडेक्स बन जाता है।
- मई 2014 में कुछ महीने बाद, सेंसेक्स ने 25,000 के वैल्यू को एक नया रिकॉर्ड बनाता है और 5 जून 2014 को अपने माइलस्टोन प्राइस से ऊपर बंद हुआ।
- वर्ष 2018 में एक नया रिकॉर्ड फिर से बना, जब सेंसेक्स ने इंट्राडे ट्रेड के दौरान 38,000 का अंक दर्ज करता है और 38,024.37 पर बंद हुआ।
- वर्तमान समय यानी जनवरी 2021 में, सेंसेक्स 50,000 एक नए माइलस्टोन की तरफ बढ़ रहा है और आने वाले दिनों में कयास लगाए जा रहे है की जल्द ही सेंसेक्स 50k का आकड़ा पार कर देगी।
यहाँ SENSEX के इतिहास की सबसे बड़ी गिरावट और बढत का संक्षिप्त विवरण दिया गया है।
सेंसेक्स में प्रमुख गिरावट
सेंसेक्स के इतिहास में प्रत्येक वर्ष सेंसेक्स के प्रमुख गिरावट को नीचे टेबल में दर्शाया गया है।
सेंसेक्स में बड़ी वृद्धि
हर साल, सेंसेक्स इंडेक्स एक नए किर्तिमान स्थापित करता है लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि यह इंडेक्स हर साल एक नया किर्तिमान बनाए।
ऐसे कई उदाहरण हैं जब सेंसेक्स ने पहले वर्ष में बढत देखा है और अगले वर्ष, इंडेक्स में अचानक या धीरे-धीरे गिरावट देखी गई है।
यहाँ कुछ आकङे है कि कैसे 2008 के बाद से सेंसेक्स हर साल सबसे अधिक बढत दर्ज की है:
सेंसेक्स का उद्देश्य:
सेंसेक्स के कुछ उद्देश्यों में शामिल हैं:
- शेयर बाजार की गतिविधि को मापने की विधि: व्यापक इतिहास और एक्सेप्टेन्स के कारण, बीएसई सेंसेक्स को भारतीय बाजार गतिविधि और ट्रेडर्स, सट्टेबाजों और निवेशकों की भावनाओं को दर्शाने के लिए एक बहुत अच्छा इंडिकेटर माना जाता है।
- बेंचमार्क के रूप में कार्य करता है: चूँकि, यह सभी सेक्टर को दर्शाता है, इसलिए बीएसई सेंसेक्स अपने फंड के विकास की तुलना करने के लिए फंड मैनेजर के लिए उपयुक्त बेंचमार्क के रूप में कार्य करता है।
- इंडेक्स आधारित डेरीवेटिव प्रोडक्ट: सेंसेक्स की घटक कंपनियों के कारण, सभी प्रकार के निवेशक अपने ट्रेडिंग और निवेश उद्देश्यों के लिए S&P बीएसई सेंसेक्स का उल्लेख करते हैं। यह भारतीय बाजार में सबसे अधिक लिक्विड कॉन्ट्रैक्ट है।
बीएसई सेंसेक्स इंडेक्स
इंडेक्स वैल्यू 34,928.33 ऊपर बताये कंपनियों की सूची के गणना करने पर प्राप्त होता है। यह कुल गणना किसी भी समय उन कंपनियों के संख्या के आधार पर अलग-अलग होती है।
बीएसई पर ट्रेडिंग में स्टॉक, स्टॉक फ्यूचर, स्टॉक ऑप्शन, इंडेक्स फ्यूचर्स, इंडेक्स ऑप्शन और वीकली ऑप्शन शामिल हैं।
एक्सचेंज के इंडेक्स सेल द्वारा इंडेक्स को मेन्टेन करता है।
उपरोक्त मानदंड के आधार पर, 100 कंपनियों को एक इंडेक्स में लिस्ट किया गया है।
किसी विशेष इंडेक्स के क्षमता का विश्लेषण उसके विरुद्ध ऑब्जेक्टिव नंबर को जानकर किया जा सकता है, जो इंडस्ट्री में ओवरऑल मार्केट की ट्रेंड के उतार-चढ़ाव के रूप में होता है।
इसलिए, सेंसेक्स कुल 11 इंडस्ट्री डोमेन से 30 शेयरों (स्टॉक की संख्या एक इंडेक्स से दूसरे इंडेक्स में भिन्न होता है) को बेंचमार्क मानता है।
इन 30 शेयरों को उनके मौजूदा मार्केट कैप्टिलाइज़ेशन के आधार पर चुना गया है।
मार्केट कैपिटलाइज़ेशन = शेयरों की संख्या X प्रति शेयर मूल्य
इस प्रकार, इस तरह की एक कार्यप्रणाली पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता लाती है, जबकि आप ओवरऑल मार्केट मोमेंटम के संबंध में एक विशिष्ट इंडेक्स की क्षमता को समझने की कोशिश करते हैं।
किसी कंपनी के मार्केट कैप्टिलाइज़ेशन के मूल्य के आधार पर, यह किसी भी समय टॉप 30 शेयरों में प्रवेश कर सकता है या बाहर निकल सकता है।
आपको एक क्लियर आईडिया देने के लिए, निम्नलिखित एक ट्रेडिंग सेशन में से सेंसेक्स की रीडिंग दी गयी है:
source:google
सेंसेक्स की गणना कैसे करते हैं
शुरुआत में, सेंसेक्स की गणना “फुल-मार्केट कैपिटलाइजेशन “ मेथड के आधार पर की गई थी।
चूँकि, यह कम प्रभावी तरीका था और इस विधि को ज्यादा कारगर नहीं माना गया। इसलिए, गणना करने की विधि 1 सितंबर, 2003 से फ्री -फ्लोट मेथड में बदल दी गई।
इसका मतलब है कि कंपनी के फुल-मार्केट कैपिटलाइजेशन पर विचार करने के बजाय, इंडेक्स की गणना करते समय केवल फ्री-फ्लोट कैपिटलेशन माना जाता है।
फ्री-फ्लोट कंपनी के उन शेयरों को दर्शाता है, जो बाजार में निवेश के लिए आसानी से उपलब्ध हैं।
इसमें प्रमोटर की होल्डिंग, सरकारी होल्डिंग, इनसाइडर होल्डिंग, इक्विटी एम्प्लॉय वेलफेयर ट्रस्ट और अन्य लॉक-इन शेयरों द्वारा आयोजित इक्विटी शामिल नहीं है।
प्रत्येक तिमाही में, सभी कंपनियों को बीएसई द्वारा डिजाइन किए गए एक फ्री-फ्लोट प्रारूप को जमा करने की आवश्यकता होती है।
फिर, प्रत्येक कंपनी के लिए फ्री-फ्लोट कारक बीएसई द्वारा निर्धारित फॉर्मेट में उपलब्ध कराई गई जानकारी के आधार पर निर्धारित किया जाता है।
फ्री-फ्लोट कारक कई है जिसके साथ किसी कंपनी के कुल बाजार पूंजीकरण को फ्री-फ्लोट बाजार पूंजीकरण में आने के लिए समायोजित किया जाता है।
बाजार पूंजीकरण का मूल्यांकन स्टॉक की कीमत लेने और फिर एंटिटी द्वारा जारी किए गए शेयरों की कुल संख्या के साथ गुणा करके किया जाता है।
इसके अलावा फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन का सटीक मूल्य देने के लिए, बाजार कैपिटलाइजेशन को फ्री-फ्लोट कारक से गुणा किया जाता है।
सेंसेक्स की गणना शीर्ष 30 कंपनियों के फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन के मूल्य को ले कर की जाती है और फिर इसे इंडेक्स डिवाइज़र के साथ विभाजित किया जाता है।
इंडेक्स डिवाइज़र क्या है?
इंडेक्स डिवाइज़र एक एडजस्टमेंट पॉइंट (समायोजन बिंदु) है जो प्रत्येक इंडेक्स समायोजन स्क्रिप्ट के प्रतिस्थापन, कॉर्पोरेट कार्रवाई से उत्पन्न होता है। इस प्रकार, मूल्य कुछ समय तक सूचकांक को तुलनीय रखने में मदद करता है।
किसी कंपनी के फ्री-फ्लोट के निर्धारित होने के बाद, इसे 5 के उच्च गुणांक तक राउंड ऑफ किया जाता है और प्रत्येक कंपनी को नीचे दिए गए 20 बैंडों में से एक में वर्गीकृत किया जाता है।
उदाहरण के लिए, 0.65 के एक फ्री-फ़्लोट कारक का मतलब है कि कंपनी के बाजार पूंजीकरण का केवल 65% इंडेक्स गणना के लिए माना जाएगा।
फ्री -फ्लोट बैंड
बीएसई सेंसेक्स स्टॉक
S&P बीएसई सेंसेक्स एक फ्री-फ्लोट स्टॉक मार्केट इंडेक्स है जो बीएसई में सूचीबद्ध 30 अच्छी तरह से स्थापित कंपनियों के प्रदर्शन को मापने के लिए बनाया गया है। ये कंपनियां भारतीय अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों से आती हैं।
शेयरों के प्रदर्शन और उनके मूल्य के आधार पर इन बाजारों को बीएसई में सूचीबद्ध और रैंक किया जाता है।
सेंसेक्स में लिस्टेड कंपनियां
आमतौर पर सेंसेक्स में 30 कंपनियों लिस्टेड होती हैं जिनके शेयरों की कीमत बहुत अच्छा प्रदर्शन और तेजी से बढ़ रही होती हैं।
इन कंपनियों के माध्यम से ट्रेडर को सही शेयर को खरीदने या बेचने के बारे में पता लगता और फिर उससे अपने निवेश को सही दिशा में ले जाते है।
इन 30 कंपनियों का शेयर मूल्य, शेयरों की डिमांड और सप्लाई पर निर्भर करता है।
इसलिए कीमतों में भी बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव होती है जिससे इन कंपनियों की सूची भी बदलती रहती है।
सप्लाई की तुलना में अधिक डिमांड के मामले में, शेयर प्राइस बढ़ जाती है, जबकि सप्लाई की तुलना में कम डिमांड के कारण शेयर प्राइस कम हो जाती है।
जून 2020 के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार शीर्ष 30 कंपनियों पर एक नज़र डालें।
यहाँ विवरण हैं:
बीएसई स्क्रिप कोड | कंपनी | कंपनी ISIN | इंडस्ट्री |
---|---|---|---|
500470 | टाटा स्टील लिमिटेड | INE081A01012 | आयरन एंड स्टील |
500325 | रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड | INE002A01018 | ऑयल एंड गैस |
500312 | ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्प लिमिटेड | INE213A01029 | गैस एंड पेट्रोलियम |
500247 | कोटक महिंद्रा बैंक लिमिटेड | INE237A01028 | बैंक |
500209 | इनफ़ोसिस लिमिटेड | INE009A01021 | आईटी |
500180 | HDFC बैंक लिमिटेड | INE040A01034 | बैंक |
500114 | टाइटन कंपनी लिमिटेड | IND287A1035 | कंज्यूमर गुड्स |
500112 | स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया | INE062A01020 | बैंक |
500034 | बजाज फाइनेंस लिमिटेड | INE296A01024 | फाइनेंस |
500010 | हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कॉर्प लिमिटेड | INE001A01036 | हाउसिंग फाइनेंस |
500510 | लार्सेन एंड टूब्रो लिमिटेड | INE018A01030 | कंस्ट्रक्शन एंड इंजीनियरिंग |
500520 | महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड | INE101A01026 | कार एंड यूटिलिटी व्हीकल |
500696 | हिंदुस्तान यूनीलेवेर लिमिटेड | INE030A01027 | पर्सनल प्रोडक्ट |
500790 | नेस्ले इंडिया लिमिटेड | INE239A01016 | पैकेज्ड फूड्स |
500820 | एसियन पेंट्स लिमिटेड | INE021A01026 | फर्नीचर फर्निशिंग पेंट्स |
500875 | ITC लिमिटेड | INE154A01025 | सिगरेट्स टोबैको प्रोडक्ट |
524715 | सन फार्मास्यूटिकल इंडस्ट्रीज लिमिटेड | INE044A01036 | फार्मास्यूटिकल |
532174 | आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड | INE090A01021 | बैंक |
532187 | इंडसइंड बैंक लिमिटेड | INE095A01012 | बैंक |
532215 | एक्सिस बैंक लिमिटेड | INE238A01034 | बैंक |
532978 | बजाज फिनसर्व लिमिटेड | INE918I01018 | होल्डिंग कम्पनीज |
532977 | बजाज ऑटो लिमिटेड | INE917I01010 | 2/3 व्हीलर्स |
532898 | पॉवर ग्रिड कॉर्प ऑफ इंडिया लिमिटेड | INE752E01010 | इलेक्ट्रिक यूटिलिटीज |
532755 | टेक महिंद्रा लिमिटेड | INE669C01036 | आईटी कंसल्टिंग एंड सॉफ्टवेयर |
532555 | NTPC लिमिटेड | INE733E01010 | इलेक्ट्रिक यूटिलिटी |
532540 | टाटा कंसल्टेंसी सर्विस लिमिटेड | INE467B01029 | आईटी कंसल्टिंग एंड सॉफ्टवेयर |
532538 | अल्ट्राटेक सीमेंट लिमिटेड | INE481G01011 | सीमेंट एंड सीमेंट प्रोडक्ट |
532500 | मारुती सुजुकी इंडिया लिमिटेड | INE585B01010 | कार्स एंड यूटिलिटी व्हीकल |
532454 | भारती एयरटेल लिमिटेड | INE397D01024 | टेलकॉम सर्विसेज |
532281 | एचसीएल टेक्नोलॉजी लिमिटेड | INE860A01027 | आईटी |
ये स्टॉक और संबंधित उद्योग कभी भी बदल सकते हैं।
यह भी पढ़ें: सेंसेक्स कंपनी लिस्ट
बीएसई सेंसेक्स PE रेश्यो
यदि आपने कभी भी इक्विटी में निवेश किया है तो आप सेंसेक्स PE रेश्यो (Price Earning Ratio) के बारे में आवश्य ही पता होगा।
यह सबसे बुनियादी बात है जिसकी मदद से निवेशक बाजार का मूल्यांकन करते है।
सरल शब्दों में, इसका उपयोग शेयर बाजार के मूल्य को समझने के लिए किया जाता है। सेंसेक्स PE रेश्यो रोजाना अपडेट किया जाता है।
एक स्टॉक का PE वैल्यू जानने के लिए नीचे दिए गए फार्मूला का उपयोग करें:
पीई = प्राइस (MPS) / अर्निंग (EPS)
यहाँ,
MPS- प्रति शेयर बाजार मूल्य (Market Price Per Share)
EPS- प्रति शेयर कमाई (Earning Per Price)
अब सेंसेक्स PE रेश्यो की बात करते है, सेंसेक्स की अर्निंग होना जरूरी है।
आपको भी पता होगा सेंसेक्स अपने आप में कुछ नहीं नहीं है, बल्कि बीएसई में लिस्टेड 30 बड़ी कंपनियों के भाव के तेजी और मंदी को हमारे सामने पेश करता है।
ये सभी लिस्टेड कंपनियां लाभ के उद्देश्य से काम करती हैं।
कंपनी के कुल लाभ को शेयरों की संख्या से विभाजित करने पर, यह प्रति शेयर आय अर्जित करता है जो तब सेंसेक्स पीई रेश्यो की गणना करने के लिए उपयोग किया जाता है।
निम्नलिखित सेंसेक्स PE रेश्यो का एक टेबल दिया गया है:
बीएसई सेंसेक्स PE चार्ट
सेंसेक्स पीई चार्ट को समझने से आपको अपने शेयरों को खरीदने और बेचने का सही समय पता चलता है। शेयरों के मूल्यांकन का सटीक आईडिया देने से ट्रेड करना आसान और कम जोखिम भरा हो जाता है।
यहां पीई चार्ट का उपयोग करके एक उदाहरण दिया गया है।
उपर दिखाए चार्ट में, ब्लू बार 1999 से 2010 तक सेंसेक्स PE दिखाती हैं। आंकड़ों के अनुसार, इस अवधि के दौरान सेंसेक्स 18 के करीब रहता है।
नीले रंग में बिंदीदार रेखा सेंसेक्स के वास्तविक हलचल को दर्शाती है।
रेड रिबन अंडरवैल्यूएशन को दर्शाता है और पर्पल रंग ओवरवैल्यूएशन या स्ट्रेच्ड वैल्यूएशन को बताता है।
बीएसई सेंसेक्स मार्केट कैप
मार्केट कैप या मार्केट कैपिटलाइजेशन कंपनी की कुल वैल्यूएशन है जिसकी कैलकुलेशन करंट शेयर प्राइस के आधार पर किया जाता है।
यहाँ पर शेयर मार्केट का गणित सही से समझा जाए तो कंपनी के शेयर का मौजूदा मार्केट प्राइस को कंपनी के कुल आउटस्टैंडिंग शेयरों से गुणा किया जाता है।
यह निवेशकों के लिए उपयोगी है क्योंकि इससे उन्हें शेयर खरीदने और बेचने में शामिल रिटर्न और जोखिमों का विश्लेषण करने में मदद मिलती है।
जबकि बीएसई सेंसेक्स इंडेक्सपर 5000 से अधिक स्टॉक लिस्टेड हैं।
इसलिए, इन स्टॉक को बाजार पूंजीकरण के आधार पर अलग-अलग कैप में बाँटा गया है।
यदि आप नए निवेशक हैं, तो यहां यह समझना महत्वपूर्ण हो जाता है कि बीएसई सेंसेक्स में लिस्टेड कंपनियों को वर्तमान शेयर की कीमत और बकाया शेयरों की कुल संख्या के आधार पर स्मॉल-कैप, मिड-कैप और लार्ज-कैप के रूप में अलग किया गया है।
हालाँकि, ऐसी कंपनियों को परिभाषित करने के लिए किसी निश्चित पैरामीटर का उपयोग नहीं किया जा सकता है।
लेकिन सामान्य तौर पर, 20,000 करोड़ रुपये के बाजार पूंजीकरण वाली कंपनियों को लार्ज-कैप के रूप में माना जाता है, जबकि 20000 करोड़ रुपये से कम वाले मिड या स्मॉल कैप के रूप में जाने जाते हैं।
बीएसई सेंसेक्स स्मॉल कैप
सबसे पहले, स्मॉल-कैप शेयरों के बारे में बात करते हैं जो आम तौर पर ₹5000 करोड़ की सीमा के अंदर आते हैं।
स्मॉल-कैप कंपनियां आमतौर पर छोटे इंडस्ट्री साइज वाली मैच्योर कंपनियां या स्टार्टअप होते हैं।
हालाँकि, आप इन शेयरों में निवेश करके भी बेहतर रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं, लेकिन अपने पूँजी को निवेश करने से पहले पर्याप्त रिसर्च जरुर करें।
हाई वोलैटिलिटी के साथ, इनमें से कुछ शेयरों में निरंतर हलचल होती रहती है जिसका मतलब है की ये उच्च जोखिम (और हाई रिटर्न के अवसर) के साथ आते हैं।
सेंसेक्स पर लिस्टेड कुछ स्मॉल-कैप स्टॉक इस प्रकार हैं:
- 3i इन्फोटेक
- बटरफ्लाई टेक्नोलॉजी लिमिटेड
- बिरला केबल लिमिटेड
- जेन टेक्नोलॉजी लिमिटेड
- एडवांस एंजाइम टेक्नोलॉजी लिमिटेड
- ITD सेमेंटशन इंडिया लिमिटेड
- JM फाइनेंशियल लिमिटेड
- बालाजी टेलीफिल्म्स लिमिटेड
बीएसई सेंसेक्स मिड कैप
अब स्मॉल कैप शेयरों से आगे बढ़ते है, और बात मिडकैप शेयर के बारे में करते हैं।
मिड कैप शेयरों का बाजार पूंजीकरण ₹5,000 करोड़ और 20,000 करोड़ की सीमा के बीच होता है।
स्मॉल-कैप शेयरों की तुलना में मिड-कैप स्टॉक अपेक्षाकृत कम अस्थिर होते हैं, लेकिन लार्ज-कैप शेयरों की तुलना में जयदा वोलेटाइल है।
इसका मतलब यह भी है कि लार्ज कैप शेयरों की तुलना में मिडकैप स्टॉक जोखिम भरा होता है, लेकिन स्मॉल कैप शेयरों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित है।
बीएसई सेंसेक्स के कुछ सूचीबद्ध मिडकैप शेयर निम्नलिखित है:
- बजाज इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड
- वेस्टलाइफ डेवलपमेंट लिमिटेड
- हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड
- कैस्ट्रॉल इंडिया लिमिटेड
- पोलीकैब इंडिया लिमिटेड
- अतुल लिमिटेड
- गोदरेज इंडस्ट्रीज लिमिटेड
- PVR लिमिटेड
बीएसई सेंसेक्स लार्ज कैप
अंत में, मार्केट कैप्टिलाइज़ेशन के संदर्भ में शेयरों की टॉप केटेगरी लार्ज कैप है। इन शेयरों का मार्केट कैप्टिलाइज़ेशन ₹20,000 करोड़ से भी अधिक है।
ये सबसे ज्यादा स्टेबल यानि वोलेटाइल स्टॉक होते हैं जिसका मतलब कम जोखिम है, लेकिन इसमें रिटर्न भी कम आते हैं।
शेयरों में कम जोखिम का मतलब है की ये कंपनियां अन्य कैप में भरोसेमंद हैं और अपने संबंधित इंडस्ट्री में सबसे ज्यादा मैच्युर हैं।
लार्ज-कैप शेयरों के कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
- महिंद्रा एंड महिंद्रा लिमिटेड
- अडानी पोर्ट्स एंड स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन
- स्टेट बैंक ऑफ इंडिया
- ITC लिमिटेड
- NTPC लिमिटेड
- भारती एयरटेल लिमिटेड
- टाटा स्टील लिमिटेड
- UPL लिमिटेड
- भारतीय स्टेट बैंक
- एक्सिस बैंक लिमिटेड
- ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड
- आईसीआईसीआई बैंक लिमिटेड
- इनफ़ोसिस लिमिटेड
बीएसई सेंसेक्स पूर्वानुमान
शेयर बाजार के बारे में पूर्वानुमान वास्तव में निश्चित नहीं हो सकता है।
फिर भी, बाजार के रुझानों और ओवरऑल हिस्टोरिकल इंडेक्स मूवमेंट को देखते हुए अगले कुछ महीनों के लिए सेंसेक्स इंडेक्स का एक अनुमान अनुमान लगाया गया है।
महीना | तारीख | फॉरकास्ट |
0 | दिसंबर 2020 | 46222.90 |
1 | जनवरी 2021 | 47530 |
2 | फ़रवरी 2021 | 47910 |
3 | मार्च 2021 | 47870 |
4 | अप्रैल 2021 | 47280 |
5 | मई 2021 | 46930 |
6 | जून 2021 | 45200 |
7 | जुलाई 2021 | 44470 |
8 | अगस्त 2021 | 44820 |
source: forecasts.org
बीएसई सेंसेक्स फॉरकास्ट
जब सेंसेक्स की फोरकास्ट (पूर्वानुमान) करने की बात आती है, तो इसमें कई चुनौतियाँ आती है।
हालाँकि, कुछ लोगों का पूर्वानुमान सही भी मिल जाता है, जबकि कुछ का विपरीत भी हो सकता है।
इसी तरह का एक मामला वर्ष 2013 में सेंसेक्स पूर्वानुमान में हुआ था।
उस समय कई भविष्यवाणियां की गईं थी जैसे सेंसेक्स 20,000 मूल्य के करीब होगा।
लेकिन जुलाई में, जब अमेरिकी फेड ने लिक्विडटी को बंद करने के का एलान किया तो भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट आ गयी और भारतीय रुपये का मूल्य अपने निम्नतम मूल्य पर पहुँच गया था।
सेंसेक्स को आमतौर परग्राफ़िक के द्वारा दर्शाया जाता है। यहां बताया गया है कि पूर्वानुमान किस तरह से ग्राफिकल रूप में दिखता है:
Source: Trading Economics
बीएसई सेंसेक्स की छुटियाँ (BSE Sensex Holidays Hindi)
अन्य इंडस्ट्री की तरह, शेयर बाजार इंडस्ट्री में भी छुट्टियां होती है। इस दौरान (वीकेंड छोड़कर), शेयर बाजार में ट्रेड नहीं होता है।
कुछ छुटियाँ जैसे दिवाली, होली आदि प्रति वर्ष अलग-अलग तिथि पर हो सकती है।
उदाहरण के लिए, महाशिवरात्रि और होली आम तौर पर मार्च में होती है और दिवाली अक्टूबर या नवंबर की शुरुआत में हो सकती है। जबकि, क्रिसमस, स्वतंत्रता, गणतंत्र दिवस जैसी छुट्टियां निश्चित तारीख पर होती हैं।
राज्य और देश में चुनाव के दिनों में सेंसेक्स जैसे शेयर बाजार सूचकांक भी बंद होते हैं।
छुट्टियां | तिथि | दिन |
महाशिवरात्रि | 11 मार्च, 2021 | वीरवार |
होली | 29 मार्च, 2021 | सोमवार |
गुड फ्राइडे | 02 अप्रैल, 2021 | शुक्रवार |
डॉक्टर बाबा साहेब आंबेडकर जयंती | 14 अप्रैल 2021 | बुधवार |
राम नवमी | 21 अप्रैल 2021 | बुधवार |
ईद उल फ़ितर (रमज़ान ईद) | 13 मई 2021 | वीरवार |
बकरी ईद | 21 जून, 2021 | बुधवार |
मुहर्रम | 19 अगस्त, 2021 | वीरवार |
गणेश चतुर्थी | 10 सितम्बर, 2021 | शुक्रवार |
दशहरा | 15 अक्टूबर, 2021 | शुक्रवार |
दिवाली* (लक्ष्मी पूजन) | 04 नवंबर, 2021 | वीरवार |
दिवाली बलिप्रतिपदा | 05 नवंबर, 2021 | शुक्रवार |
गुरु नानक जयंती | 19 नवंबर, 2020 | शुक्रवार |
निष्कर्ष
इस प्रकार सेंसेक्स वैल्यू निवेशकों को स्मार्ट निवेश निर्णय लेने में मदद करता है और उन्हें अपने पैसो को सही समय पर निवेश करने में मदद करता है।
रिकॉर्ड के अनुसार, भारत की अर्थव्यवस्था के खुलने के बाद से बीएसई सेंसेक्स में अच्छी ग्रोथ देखि गयी है। सेंसेक्स में पहली बार बढ़त 2002 में देखने को मिली जब सेंसेक्स में 3,377.28 अंककी तेजी देखि गयी।
सेंसेक्स की ओवरऑल ग्रोथ का मुख्य कारण देश में बढ़ती जीडीपी है।
इसके आगे, सेंसेक्स की गणना फ्री-फ्लोट कैपिटलाइज़ेशन का उपयोग करके की जाती है और इस प्रकार पहले मार्केट कैप का विश्लेषण करना बहुत महत्वपूर्ण है।
सेंसेक्स की बुनियादी बातें जानने से आपको सही दिशा की ओर बढ़ने और मार्केट क्रैश के समय भी सही निर्णय लेने में मदद मिलेगी।
यदि आप शेयर बाजार में ट्रेडिंग के साथ शुरुआत करना चाहते हैं या डीमैट या ट्रेडिंग अकाउंट खोलना चाहते हैं – तो नीचे दिए गए फॉर्म में कुछ बुनियादी विवरण भरें।
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