Share Market Indicator in Hindi

टेक्निकल इंडिकेटर के अन्य लेख

शेयर मार्केट की जानकारी तो सभी को होगी अब इस प्लॅटफॉम में ट्रेड करने के लिए कई स्टॉक्स है लेकिन शार्ट टर्म ट्रेड में आपको कौन सा स्टॉक ज़्यादा प्रॉफिट दे सकता है उसके लिए टेक्निकल एनालिसिस करना बहुत ज़रूरी होता है जिसमे आप आप शेयर मार्केट चार्ट्स, पैटर्न्स और इंडिकेटर का उपयोग करते है। अगर आप मार्केट में नए है तो यहाँ पर कुछ महत्वपूर्ण शेयर मार्केट इंडीकेटर्स (share market indicator in hindi) का विवरण दिया गया है जो आपको एक सही पोजीशन लेने में सहायक होते है।

शेयर मार्केट इंडिकेटर क्या है?

तकनीकी विश्लेषण के लिए बहुत से टेक्निकल एनालिसिस टूल्स प्रदान किये जाते है जिनमे से शेयर मार्केट इंडिकेटर स्टॉक के ऐतिहासिक प्राइस, वॉल्यूम, वोलैटिलिटी आदि पैरामीटर की गणना करके बनाये गए है जो आपको मार्केट में एक सही पोजीशन लेने में मदद करते है। 

ये इंडिकेटर ग्राफ द्वारा प्रदर्शित किये जाते है और एक परिभाषित टाइम में पिछले डाटा के साथ तुलना कर विश्लेषण करने में मदद करते है। ये इंडिकेटर इन्वेस्टर के व्यवहार और साइकोलॉजी को भी दर्शाती है जो आपको आने वाले प्राइस और मार्केट का विश्लेषण करने में लाभदायक होती है।

Types of Share Market Indicator in Hindi

शेयर मार्केट इंडिकेटर को अलग-अलग जानकारी के अनुसार बांटा गया है। यहाँ पर हम हर केटेगरी के बारे में विस्तार में चर्चा करेंगे जिससे आप इन्हे अच्छे से समझ सके। पहली केटेगरी इनकी स्पीड और एक्यूरेसी के अनुसार की गयी है।

दूसरा टाइप इंडिकेटर के रोल के अनुसार है, जिसके विवरण लेख में आगे किया गया है

जैसे की बताया गया है की मार्केट में टेक्निकल इंडिकेटर की गणना पुराने डेटा के अनुसार की जाती है जिससे आप करंट मार्केट और आने वाले मार्केट की स्थिति को जान सकते है। लेकिन सभी इंडिकेटर आपको पूरी जानकारी नहीं देते। 

कुछ शेयर मार्केट इंडिकेटर आने वाले मार्केट को जानने में मदद करती है तो कुछ पिछले डेटा के अनुसार करंट मार्केट की जानकारी देती है। इसके आधार पर शेयर मार्केट इंडिकेटर (share market indicator in hindi) को दो भागो में बांटा गया है:

  • Leading Indicator in Hindi

लीडिंग इंडिकेटर, जैसे की नाम से पता चल रहा है आपको मार्केट में आने वाले ट्रेंड और वोलैटिलिटी की जानकारी प्रदान करता है। अगर एक ट्रेडर इन इंडिकेटर को सही से समझ जाए तो आने वाले मार्केट ट्रेंड से काफी मुनाफा कमा सकता है, लेकिन ये इंडिकेटर कभी -कभी गलत सिग्नल भी दे देते है जिसकी वजह से नुकसान होने की सम्भावना होती है।

यहाँ पर कुछ लीडिंग इंडिकेटर के नाम दिए गए है:

  • Lagging Indicator in Hindi

दूसरी और लेगिंग इंडिकेटर स्टॉक के बीते हुए प्राइस, वॉल्यूम की गणना कर आपको संकेत प्रदान करते है। ये ट्रेडर को एक तरह से कन्फर्मेशन संकेत देते है जिससे एक ट्रेडर सही पोजीशन लेने में सफल होता है। ज़्यादातर ट्रेंड इंडिकेटर लेगिंग होते है।

स्टॉक मार्केट में ज़्यादातर इस्तेमाल होने वाले लेगिंग इंडिकेटर निम्नलिखित है:

अब हर इंडिकेटर के कार्य अलग-अलग होते है तो उनके रोल के अनुसार इन्हे 4 भागो में बांटा गया है। इसके बारे में एक-एक करके चर्चा करेंगे।

  • ट्रेंड इंडिकेटर 

मार्केट में तीन तरह के ट्रेंड होते है: अपट्रेंड, डोन्टेन्ड, और रेंज मार्केट। लेकिन किस समय किस तरह के ट्रेंड की आने की सम्भावना है उसके लिए ट्रेंड इंडिकेटर का इस्तेमाल किया जाता है। 

  • मोमेंटम इंडिकेटर

हर एक ट्रेंड के ख़त्म होने का समय आता है, एक तरह प्राइस ही है जो बदलता है और उसके अनुसार ट्रेंड बनता है। अब अगर स्टॉक का प्राइस तेज़ी से बदले तो उसके चल रहे ट्रेंड के समाप्त होने का संकेत मिलता है। एक तरह से आपको ट्रेंड की स्ट्रेंथ की जानकारी प्रदान करता है।

उधारण के तौर पर आर ओ सी इंडिकेटर (ROC Indicator in Hindi) इस सूची में आता है | इसके अलावा कुछ आम इस्तेमाल होने वाले मोमेंटम इंडिकेटर निम्नलिखित है:

  • वोलैटिलिटी इंडिकेटर

शार्ट टर्म ट्रेड में वोलैटिलिटी का बहुत अहम रोल होता है और इसलिए ज़रूरी है क्योंकि वही एक ट्रेडर के लिए ज़्यादा प्रॉफिट कमाने का अवसर लेकर आती है। लेकिन किस समय मार्केट में ज़्यादा वोलैटिलिटी है और किस समय कम उसके लिए आप कुछ इंडिकेटर का उपयोग कर सकते है, जिसका विवरण नीचे किया गया है।

  • वॉल्यूम इंडिकेटर 

एक स्टॉक में जितने बायर और सेलर है उससे आप स्टॉक प्राइस में आने वाले बद्लाव को जान सकते है। इसके लिए आपको वॉल्यूम की जानकारी होना बहुत ज़रूरी है, लेकिन मार्केट में वॉल्यूम हर मिनट बदलती है और इसलिए आप वॉल्यूम इंडिकेटर का इस्तेमाल कर अपने विश्लेषण को आसान बना सकते है।


Best Indicator for Intraday Trading in Hindi 

इंट्राडे ट्रेडिंग क्या है ये तो आप सभी को पता है। अब क्योंकि इसमें आपको एक ही ट्रेडिंग सेशन में कई पोजीशन लेनी और स्क्वायर ऑफ करनी होती है जिसके लिए ज़रूरी है मार्केट को सही से समझना और जानना। यहाँ पर वोलैटिलिटी का बहुत अहम रोल होता है और इसलिए आप एक सही वोलैटिलिटी इंडिकेटर का इस्तमाल कर अपने ट्रेड पोजीशन ले सकते है। 

अब स्टॉक मार्केट में 100 से भी ज़्यादा इंडिकेटर लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए कौन सा इंडिकेटर महत्वपूर्ण और लाभदायक है उसके विवरण यहाँ पर दिया गया है

VWAP Indicator in Hindi

मार्केट में जब वॉल्यूम बढ़ती है तो उससे प्राइस एक दिशा पकड़ता है और ट्रेडर्स के लिए ट्रेड करने का अवसर लेकर आता है। Volume Weighted Average Price इंडिकेटर जो आपको प्राइस और वॉल्यूम दोनों की जानकारी साथ में देता है

ये इंट्राडे ट्रेडर को लॉन्ग और शार्ट पोजीशन लेने के लिए सही प्राइस की जानकारी प्रदान करता है। वॉल्यूम और प्राइस के आधार पर किसी भी शेयर की मार्केट में क्या डिमांड और सप्लाई है वह सभी जानकारी आप इस शेयर मार्केट इंडिकेटर से प्राप्त कर सकते है। 

अगर स्टॉक का प्राइस VWAP लाइन से नीचे की और ट्रेड कर रहे हो तो वह बेयरिश ट्रेंड और अगर ऊपर की ओर हो तो बुलिश ट्रेंड की जानकारी देता है आप इसी ट्रेंड के अनुसार एक नयी पोजीशन ले सकते है या प्रॉफिट बुक कर स्क्वायर ऑफ कर सकते है


Supertrend Indicator in Hindi

एक इंट्राडे ट्रेडर को सही ट्रेंड की जानकारी मिल जाए तो उससे अच्छा और क्या हो सकता है और यही समाधान प्रदान करता है सुपर ट्रेंड इंडिकेटर जो आपको साफ़ और स्पष्ट ट्रेंड की जानकारी प्रदान करता है। अब ट्रेंड है तो ये प्राइस डेटा की मदद से आपको संकेत देता है लेकिन ये प्राइस के साथ ATR (Average True Range) का भी इस्तेमाल करता है जो इसे ज़्यादा उपयोगी बनाता है।

ये इंडिकेटर ट्रेंड के अनुसार अपना रंग बदलता है। ग्रीन सुपर ट्रेंड लाइन बुलिश और रेड सुपर ट्रेंड लाइन बेयरिश ट्रेंड की जानकारी देता है। इसके बेहतर संकेत के लिए 15-मिनट टाइम फ्रेम का उपयोग कर सकते है। हालांकि एक बेहतर तरीका ये है कि आप ज़्यादा टाइम फ्रेम से कम की तरफ मूव कर ट्रेंड की जानकारी ले।

इस इंडिकेटर को EMA इंडिकेटर के साथ इस्तेमाल कर आप अपने विश्लेषण को कई गुना तक बेहतर बना सकते है


Moving Average in Hindi

एक शेयर की कीमत दिन में कई बार बदलती है।

नतीजतन, केवल स्टॉक की कीमत को देखकर एक ट्रेंड की पहचान करना काफी कठिन हो सकता है।

मूविंग एवरेज एक बहुत ही सामान्य ट्रेडिंग इंडिकेटर है जो ट्रेडर्स द्वारा स्टॉक के प्राइस मूवमेंट में ट्रेंड का पता लगाने के लिए उपयोग किया जाता है। यह इंडिकेटर ग्राफ पर एक सिंगल फ्लोइंग लाइन बनाकर स्टॉक प्राइस की जानकारी प्रदान करता है। यह एक एक सीधी लाइन द्वारा प्रत्येक दिन के क्लोजिंग प्राइस को जोड़कर किया जाता है।

इस आवश्यक जानकारी के आधार पर, ट्रेडर अलग-अलग समय अवधि का उपयोग करते हैं। आपके पास 50-दिन, 100-दिन या यहां तक ​​कि 200-दिन की अवधि के लिए एक मूविंग एवरेज ग्राफ हो सकता है। लेकिन इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए 5-पीरियड और 20 पीरियड का मूविंग एवरेज बेहतर सिग्नल दे सकते है।

मूविंग एवरेज बताता है कि स्टॉक प्राइस ट्रेंड कर रहा है या नहीं। यदि लाइन ऊपर की ओर बढ़ रही है, तो इसका मतलब है कि शेयर की कीमत अपट्रेंड पर है। नतीजतन, एक डाउनवर्ड लाइन का मतलब डाउनट्रेंड है।

स्विंग ट्रेडिंग के लिए आप 50 और 20  पीरियड मूविंग एवरेज को एक साथ इस्तेमाल कर उसके क्रॉसओवर से मार्केट के ट्रेंड की जानकारी ले सकते है। अगर 20 पीरियड मूविंग एवरेज 50-मूविंग एवरेज को नीचे से ऊपर की और कांटे तो ये अपट्रेंड और अगर ऊपर से नीचे की और कांटे तो डाऊनट्रेंड का संकेत देता है।


Swing Trading Indicator in Hindi 

शार्ट टर्म ट्रेडिंग में अगर आपको कम रिस्क के साथ ट्रेड करना है तो स्विंग ट्रेडिंग का विकल्प आपको दिया जाता है। अब क्योंकि इसमें होल्डिंग पीरियड ज़्यादा होता है तो आप अपने चुने हुए स्टॉक की सेटिंग बदल सही स्विंग ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का उपयोग कर सकते है।

अब स्विंग ट्रेडिंग में ट्रेडर सिर्फ ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफे की ओर देखता है और इसलिए मार्केट से सही समय में अपनी पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करना एक स्विंग ट्रेडर के लिए काफी ज़रूरी होता है। इसके लिए आप ऐसे इंडिकेटर का इस्तेमाल कर सकते है जो आपको ट्रेंड के बदलने की जानकारी प्रदान करे।

MACD Indicator in Hindi

मूविंग एवरेज का इस्तेमाल कर ही इस इंडिकेटर की गणना की जाती है। इस इंडिकेटर की सेटिंग 12,26,9 होती है, जिसमे 12 और 26 MACD लाइन और 9 सिग्नल लाइन के लिए इस्तेमाल होता है।

जब MACD लाइन सिग्नल लाइन को नीचे से ऊपर की ओर क्रॉस करती है तो अपट्रेंड और ऊपर से नीचे की काटने पर डाउनट्रेंड का सिग्नल देती है

इसके अलावा MACD इंडिकेटर में हिस्टोग्राम भी होता है जिसकी चौड़ाई इस इंडिकेटर के कन्वर्जेन्स और डाईवेर्जेंस का संकेत देती है। यहाँ पर अगर हिस्टोग्राम की चौड़ाई ज़्यादा है तो डाईवेर्जेंस, यानी की ट्रेंड की ज़्यादा स्ट्रेंथ और इसके विपरीत कन्वर्जेन्स (कम स्ट्रेंथ) का संकेत देती है।

साथ ही जब ये हिस्टोग्राम ग्रीन होते है तो बुलिश और लाल होने में बेयरिश मार्केट की जानकारी देता है


RSI Indicator in Hindi

रिलेटिव स्ट्रेंथ इंडेक्स (RSI) ट्रेडर द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक लोकप्रिय ओसीलेटर है। यह ट्रेडिंग इंडिकेटर किसी विशेष स्टॉक के मूल्य मूवमेंट में गति और परिवर्तन को मापता है।

RSI की गणना निम्न प्रकार से की जाती है:

RSI = 100 – 100 / (1 + (ऊपर की ओर औसत मूल्य / नीचे की कीमत में परिवर्तन का औसत)

आरएसआई इंडिकेटर 0 और 100 के मूल्यों के बीच ओसिलेट करता है।

यदि वैल्यू 70 से अधिक है, तो स्टॉक को ओवरबॉट माना जाता है और 30 से कम RSI ओवरसोल्ड का संकेत देता है।

ओवरबायिंग ट्रेडर द्वारा ओवरवैल्यूएशन को संकेत करता है और आमतौर पर इंगित करता है कि एक ट्रेंड उलट जल्द ही हो सकती है। इसी तरह, ओवरसेलिंग एक ऊपर की ओर कीमत में बदलाव का संकेत दे सकता है।

स्विंग ट्रेडिंग में अगर आपने लॉन्ग पोजीशन ली है तो आप RSI के संकेत का इस्तेमाल कर प्राइस के गिरने की जानकारी प्राप्त कर सही समय में अपनी पोजीशन से निकल प्रॉफिट बुक कर सकते है।


Option Trading Indicator in Hindi 

ऑप्शन ट्रेडिंग में कई तरह के जोखिम होते है, लेकिन फिर भी बहुत से ऐसे ट्रेडर है जो इसमें सफल होते है। इसका सबसे बड़ा कारण है सही ऑप्शन ट्रेडिंग स्ट्रेटेजी का इस्तेमाल करना जिसको निर्धारित करने के लिए आप सही इंडिकेटर का चयन कर सकते है।

ऑप्शन ट्रेडिंग में इंडिकेटर के साथ ऑप्शन चैन का भी बहुत महत्व होता है, लेकिन एक शुरूआती ट्रेडर को ऑप्शन चैन को पढ़ना काफी मुश्किल लगता है लेकिन अगर आप अपने डेटा को इंडिकेटर की मदद से सत्यापित कर पाए तो आपको इसमें मुनाफा कमाने से कोई नहीं रोक सकता

ADX Indicator in Hindi

एवरेज डायरेक्शनल इंडेक्स,  ट्रेडर्स को एक ट्रेंड  की ताकत और दिशा निर्धारित करने में मदद करता है और इसे किसी भी स्टॉक पर लागू किया जा सकता है। ये 0 से 100 के स्केल में काम करता है। जहां 25 से अधिक की रीडिंग को एक स्ट्रांग ट्रेंड माना जाता है, और 25 से नीचे की संख्या को वीक ट्रेंड  माना जाता है।  

एडीएक्स आम तौर पर 14 दिनों के प्राइस रेंज की मूविंग एवरेज  पर आधारित होता है, जो ट्रेडर्स  की पसंद की आवृत्ति पर निर्भर करता है। ध्यान दें कि एडीएक्स कभी नहीं दिखाता कि कैसे प्राइस ट्रेंड विकसित हो सकती है, यह केवल ट्रेंड  की ताकत को इंगित करता है। 

लेकिन अगर आपको स्ट्रेंथ के साथ ट्रेंड की जानकारी भी लेनी हो तो आप +DI और -DI वैल्यू के आधार पर ले सकते है जिसकी गणना प्राइस और अन्य पहलूओं के आधार पर की जाती है।  यहाँ पर अगर +DI लाइन -DI लाइन को नीचे से ऊपर की और काटे तो वह एक अपट्रेंड का संकेत देती है। इसके विपरीत आप डाउनट्रेंड की जानकारी ले सकते है।  

अब ट्रेंड कितना ताकतवर है, यानी की अगर अपट्रेंड है तो उसमे लॉन्ग पोजीशन लेनी चाहिए या नहीं वह आप ADX लाइन से जान सकते है। 


Bollinger Band indicator in Hindi

बोलिंजर बैंड एक वोलैटिलिटी इंडिकेटर है जो एक ऐसी सीमा प्रदान करता है जिसके भीतर कोई एसेट  की कीमत आमतौर पर ट्रेड करती है। रेंज का बढ़ना या घटना, मार्केट के अस्थिरता को दर्शाता है। इसमें तीन बेंड का उपयोग होता है जिसमे मिडिल बेंड 20 SMA और अपर और लोअर बेंड मार्केट की वोलेटाइल स्थिति को दर्शाता है।

बैंड एक-दूसरे के जितने करीब या जितने ‘संकीर्ण’ होते हैं, फाइनेंशियल इंस्ट्रूमेंट में अस्थिरता उतनी ही कम होती है। बैंड जितना व्यापक होगा, स्टॉक में अस्थिरता उतनी ही अधिक होगी।

बोलिंजर बैंड, हमें ये जानने में सहायता करता है की कब कोई एसेट अपने समय स्तरों से बाहर ट्रेड कर रहा है। ये मेथड एक एसेट की वोलैटिलिटी को जानने में मदद करता है। जब मार्केट में वोलेटाइल नहीं होती तो ये ऑप्शन राइटर के लिए अवसर लेकर आता है जिसमे वह ऑप्शन सेल कर प्रीमियम से मुनाफा कमा सकता है।


शेयर मार्केट में सबसे अच्छा इंडिकेटर कौन सा है?

जैसे की बताया गया है की हर इंडिकेटर का अपना कुछ महत्व है लेकिन कई बार यही इंडिकेटर आपको गलत जानकारी भी प्रदान करते है। तो ऐसा नहीं कहा जा सकता कि कोई एक इंडिकेटर आपके लिए महत्वपूर्ण हो। लेकिन हां, अलग-अलग प्रकार के दो-तीन इंडिकेटर आपको एक बेहतर संकेत और जानकारी प्रदान करते है।

तो यहाँ पर हम दो अलग-अलग इंडिकेटर को चार्ट में इस्तेमाल कर जानेंगे कि किस तरह से ये आपकी ट्रेडिंग के सफर को आसान बनाती है

यहाँ पर हमने RSI इंडिकेटर का इस्तेमाल किया जिससे हमे ये जानकारी मिली की जब स्टॉक का प्राइस अपट्रेंड में है तो कितनी तेज़ी से ये प्राइस बदल रहा है और क्या इसमें रेवेर्सल हो सकता है। 70 RSI हमे रेवेर्सल का संकेत तो देता है लेकिन उसे कन्फर्म करने के लिए बोलिंजर बैंड का उपयोग किया जो एक वोलैटिलिटी इंडिकेटर है।

अब आप देख सकते है कि जब RSI 70 है उसी समय प्राइस बोलिंजर बैंड के अपर बैंड से नीचे और गिरने लगा जो आपको प्राइस रेवेर्सल का कन्फर्मेशन देता है। तो यहां पर अगर आपने कोई इंट्राडे पोजीशन ली है तो आप प्रॉफिट बुक कर स्क्वायर ऑफ कर सकते है।

इसी तरह से और भी कॉम्बिनेशन है जो मार्केट में आपको एक निश्चित निर्णय लेने में लाभदायक होते है। नीचे टेबल में share market indicator in hindi के कुछ combination दिए गए है:


निष्कर्ष

ट्रेडिंग की दुनिया में बहुत जल्दी निर्णय लेने से बेचना बहुत महत्वपूर्ण होता है। लेकिन, यदि आपके पास अधिक संख्या में स्टॉक है तो यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है।

Share market indicator in hindi ट्रेडर्स को इस जानकारी को सरल बनाने और ट्रेंड के बारे में जानकारी प्राप्त करने में मदद करते हैं। बस ज़रुरत है तो सही इंडिकेटर के पहचान की और उसे सही तरीके से इस्तेमाल करने की

यहाँ पर ऊपर बताये गए इंडिकेटर को आप एक से ज़्यादा ट्रेडिंग टाइप के लिए भी इस्तेमाल कर सकते है


यदि आप शेयर मार्केट में ट्रेडिंग शुरू करना चाहते हैं और डीमैट खाता खोलना चाहते हैं तो कृपया नीचे दिए गए फॉर्म को देखें:

यहाँ अपना बुनियादी विवरण भरें और उसके बाद आपके लिए कॉलबैक की व्यवस्था की जाएगी।

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