मार्केट कैप

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यदि आप एक लॉन्ग टर्म के फाइनेंशियल गोल को पूरा करने के लिए इन्वेस्टमेंट स्ट्रेटेजी बना रहे हैं, तो कंपनी के मार्केट कैप, रिटर्न और रिस्क के बीच संबंध को समझना महत्वपूर्ण है।

इस जानकारी के बाद ही, आप एक अच्छे स्टॉक पोर्टफोलियो बनाने के लिए बेहतर तैयार होंगे।

शेयर मार्केट में एक कंपनी में Invest करने से पहले उस कंपनी की Market Capitalization को समझना बहुत महत्वपूर्ण है।

इसलिए शेयर बाजार में मार्केट कैप या मार्केट कैपिटलाइज़ेशन को समझना महत्वपूर्ण हो जाता है।

चलिए शुरू करते है।


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मार्केट कैपिटलाइज़ेशन क्या है?

मार्केट कैपिटलाइज़ेशन दो शब्दों का कॉम्बिनेशन है: मार्केट (बाजार) और कैपिटलाइज़ेशन (पूंजीकरण)।

कैपिटलाइज़ेशन का मतलब है कैपिटल में इनकम या एसेट्स का परिवर्तन, जबकि बाजार का मतलब ऐसी जगह है जहां वस्तुओं और सेवाओं का आदान-प्रदान होता है।

इस प्रकार दोनों मिलकर मार्केट कैपिटलाइज़ेशन बनता है।

मार्केट कैप या मार्केट कैपिटलाइजेशन- कंपनी के सभी शेयरों के कुल मूल्य को दर्शाता है।

इसकी गणना स्टॉक की कीमत (Stock Price) को उसके बकाया शेयरों (Outstanding Shares meaning in hindi) की कुल संख्या से गुणा करके की जाती है।

Market Capitalization = Current Stock Price x Number of outstanding shares

उदाहरण के लिए, एक कंपनी में 20 मिलियन शेयर है, जिसकी मौजूदा कीमत 50 डॉलर प्रति शेयर है, तो कंपनी का मार्केट कैप 1 बिलियन डॉलर होगा।

मार्केट कैपिटलाइजेशन = 50 डॉलर प्रति शेयर x 20 मिलियन आउटस्टैंडिंग शेयर = 1 बिलियन डॉलर


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मार्केट कैप क्यों महत्वपूर्ण है?

यह निवेशकों को एक कंपनी की वैल्यूएशन करने में मदद करता है। इससे निवेशक एक कंपनी से दूसरे कंपनी की तुलना भी कर सकता है।

मार्केट कैप से पता लगया जा सकता है कि किसी कंपनी की Open Market में क्या कीमत है, साथ ही साथ कंपनी की भविष्य में बाजार में क्या संभावना है, क्योंकि मार्केट कैप से पता लगता है कि निवेशक स्टॉक खरीदने के लिए क्या भुगतान कर रहा है।

स्टॉक को मुख्य रूप से 3 भागों में बांटा गया है:-

  1. लार्ज कैप स्टॉक
  2. मिड कैप स्टॉक
  3. स्मॉल कैप स्टॉक

1. लार्ज कैप स्टॉक:

ये ऐसे स्टॉक होते हैं जिनका Market Cap सबसे अधिक होता है। लार्ज कैप कंपनियों का Market Capitalization ₹7000 करोड़ रूपये से अधिक होता है।

Large Cap Companies क्वालिटी सर्विसेज और प्रोडक्ट के साथ लोकप्रिय ब्रांड के रूप में जाना जाता है। ये कंपनियां रेगुलर डिविडेंड के साथ-साथ स्टेबल ग्रोथ को भी दर्शाते है।

नतीजतन, Large Cap Share में Investment को Small Cap या Mid Cap शेयरों में निवेश की तुलना में अधिक डिफेंसिव माना जा सकता है।

संभवतः Large Cap Share में कम रिस्क और और स्थिर रिटर्न मिलता है।  इसलिए ये लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट के लिए अच्छा माना जाता है।

उदाहरण के लिए रिलायंस इंडस्ट्रीज, TCS, इनफ़ोसिस, हिंदुस्तान युनिलीवर लिमिटेड जैसे स्टॉक को लार्ज स्टॉक के रूप में जाना जाता है।


2. मिड कैप स्टॉक –

Mid Cap स्टॉक में Market Capitalization ₹500 करोड़ से ₹7000 करोड़ के बीच में होता है।

आमतौर पर, ये इंडस्ट्री में स्टेबल कंपनियां होती हैं। इनके पास तेजी से विकास करने की क्षमता होती है।

इस प्रकार, इन कंपनी के स्टॉक से यह पता लगाया जा सकता है की कंपनी एक हद्द तक स्थापित है।

जबकि इन कंपनियों में Invest करना फिर भी Risky माना जाता है, क्योंकि ये इंडस्ट्री में पूरी तरह से स्थापित नहीं है।

इन स्टॉक से मिलने वाला रिटर्न कुछ हद्द तक लार्ज कैप स्टॉक से ज्यादा होता है।


3. स्मॉल कैप

इसमें शामिल कंपनियों की बाजार पूँजी ऊपर दोंनो कैप से कम होती है। ये सभी स्टॉक में सबसे ज्यादा रिस्की होता है।

ये वे कंपनियाँ हैं जो अभी तक अपनी इंडस्ट्री में खुद को स्थापित कर रही हैं।

यही उन्हें अत्यधिक जोखिम भरा बनाता है।

स्मॉल कैप की विशेषताएं:

  • 5,000 करोड़ रुपये से कम का बाजार पूंजीकरण करें।
  • कई बार स्टॉक लंबी अवधि के नजरिए से निवेश करने के लिए जोखिम भरा होता है।
  • ऐसी कंपनियों की जानकारी सार्वजनिक रूप से कम उपलब्ध है।
  • अनुपालन और कॉर्पोरेट प्रशासन से संबंधित मुद्दे हो सकते हैं।
  • लार्ज कैप या मिड कैप स्टॉक बनने के लिए कई वर्षों की आवश्यकता होती है। आमतौर पर इसमें 10 वर्ष से अधिक समय लगता है।

लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप स्टॉक्स के बारे में महत्वपूर्ण बातें:

  • प्रत्येक स्टॉक उपर्युक्त तीन चरणों से गुजरता है यानी स्मॉल कैप स्टॉक, मिड कैप स्टॉक और लार्ज कैप स्टॉक।
  • स्मॉल कैप शेयरों को लार्ज कैप स्टॉक बनने में दशकों लग सकते हैं।
  • किसी भी स्टॉक की मार्केट कैपिटलाइजेशन श्रेणी समय के साथ बदल सकती है। यह बदलाव पॉजिटिव या नेगेटिव हो सकता है क्योंकि Market Capitalization CMP का कारक है।

लार्ज कैप, मिड कैप और स्मॉल कैप के अन्तर को जानने के लिए आप Large Cap Mid Cap Small Cap in Hindi को पढ़ सकते हैं।

इसके अलावा, यदि आप इन स्टॉक्स में होने वाले रिस्क का एनालिसिस करना चाहते हैं तो आप Share Market Risk in Hindi को पढ़कर इसकी जानकारी ले सकते हैं।


निष्कर्ष

मार्केट कैप का अर्थ निवेशकों और ट्रेडर्स की नजर में किसी कंपनी का वैल्यूएशन या टोटल एसेट्स है।

मार्केट कैपिटलाइजेशन एक कंपनी के मौजूदा मूल्य के बारे में बताता है जो शेयरधारकों के बीच वर्चुअल कंसेंसस के माध्यम से आई है।

बाजार पूंजीकरण या मार्केट कैप इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह निवेशकों और ट्रेडर्स को एक शेयर का मूल्य बताता है इसलिए यह उन्हें यह तय करने में मदद करता है कि स्टॉक खरीदना है या नहीं।


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