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इनसाइडर ट्रेडिंग एक प्रचलित टर्म्स है, जिसका स्टॉक मार्केट में अक्सर इस्तेमाल किया जाता है। इसलिए सभी निवेशकों को इस टर्म्स की जानकारी होना महत्वपूर्ण है।
तो आइये Insider Trading in Hindi को आसान शब्दों में समझने की कोशिश करते हैं !
इनसाइडर ट्रेडिंग को अक्सर भेदिया कारोबार या अतरंगी लेनदेन कहा जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह गुपचुप तरीकें से कंपनी एक अंदर काम करने वाले कर्मचारियों द्वारा ही ट्रेड किया जाता है, जिसमे कंपनी का अपना फायदा जुड़ा होता है।
अगर आपको ये अवैध तरीके मार्केट में नहीं आजमाना चाहते है तो आपको शेयर बाजार के नियम बारे में पढ़ना चाहिए।
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चलिए इनसाइडर ट्रेडिंग को विस्तार से जानते हैं।
इनसाइडर ट्रेडिंग क्या है ?
अवैध तरीकें से शेयरों की खरीद-बिक्री के द्वारा लाभ प्राप्त करने को इनसाइडर ट्रेडिंग कहते है। यह अवैध खरीद-बिक्री अक्सर कंपनी के कर्मचारियों द्वारा ही किया जाता है।
आप सही तरीके से शेयर खरीदने के लिए शेयर कैसे खरीदते है की पूरी प्रक्रिया को समझ लें और और साथ ही आपको शेयर खरीदने के नियम के बारे में भी पता होना चाहिए।
जैसे, जब किसी कंपनी के प्रबंधन से जुड़ा कोई व्यक्ति कंपनी की गोपनीय जानकारी के आधार पर सिक्योरिटी या शेयर खरीद या बेचकर अवैध तरीकें से लाभ कमाता है।
यह अक्सर कंपनी के शेयरों का भाव बढ़ाने के उद्देश्य से किया जाता है।
कई बार कंपनी के मैनेजमेंट से सम्बंधित लोग अपने शेयर्स को अधिक मूल्य पर बेचने के लिए तेजी का माहौल बनाते हैं। ऐसे में कई निवेशक इस झांसे में आकर शेयर्स को अधिक मूल्य पर खरीद लेते है और इसके परिणामस्वरूप कंपनी को फायदा होता हैं।
लेकिन जब निवेशक को वास्तविक स्थिति पता लगता है की शेयर का भाव अवैध तरीकें से बढ़ाये गए है तो शेयर की कीमत अचानक गिरने लगती है और फिर निवेशकों को भारी नुकसान होता है।
चलिए एक उदाहरण लेते हैं।
मान लीजिये की एक कंपनी का दूसरी कंपनी के साथ मर्जर होने वाला है, लेकिन इस मर्जर की कोई सार्वजनिक घोषणा नहीं हुई।
अब मर्जर करने वाली कंपनी का सीईओ अपने किसी रिश्तेदार के नाम पर कंपनी के शेयर्स खरीद लेता है, जबकि उसे पता होता है की मर्जर के बाद शेयर्स के भाव बढ़ेंगे। और मर्जर को घोषणा के बाद शेयर के भाव बढ़ने लगते हैं और कंपनी का सीईओ शेयर्स को अधिक मूल्य पर बेच कर मुनाफा कमा लेता है।
ऐसी स्थिति को ही इनसाइडर ट्रेडिंग कहते हैं।
हालाँकि, प्रोमोटर्स द्वारा शेयर खरीदना या बेचना गलत नहीं हैं अगर वो सेबी द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार शेयर खरीदता है और स्टॉक एक्सचेंज को अपनी खरीद का डिस्क्लोजर दें।
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इनसाइडर ट्रेडिंग का उदाहरण
पिछले पांच वर्षों के सेबी की वार्षिक रिपोर्ट के डेटा से इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के उल्लंघन के कथित मामलों की जांच में वृद्धि का संकेत मिलता है।
सेबी ने वर्ष 2015 से 2019 तक कुल 141 मामलें दर्ज किये हैं, तो वहीं वर्ष 2019 में लगभग 70 इनसाइडर ट्रेडिंग के मामलें आये हैं।
इन मामलों में इंडस्ट्री के नामचीन हस्तियों के नाम भी शामिल है
पिछले कुछ वर्षों में, भारत के कई नामचीन व्यक्ति के ऊपर इनसाइडर ट्रेडिंग के आरोप लगे हैं।
इनमें सन फार्मा के दिलीप शांघवी और इसके कुछ निदेशकों, किरण मजूमदार-शॉ, राकेश झुनझुनवाला, भारती एयरटेल की प्रमोटर फर्म इंडियन कॉन्टिनेंट इनवेस्टमेंट, एंबिट कैपिटल के साथ-साथ राज्य के स्वामित्व वाली जनरल इंश्योरेंस कंपनी और न्यू इंडिया एश्योरेंस का नाम सामने आया है।
वित्तीय वर्ष 2014-15 | वित्तीय वर्ष 2015-16 | वित्तीय वर्ष 2016 -17 | वित्तीय वर्ष 2017-18 | वित्तीय वर्ष 2018-19 | |
इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए दर्ज मामलें | 10 | 12 | 34 | 15 | 70 |
इनसाइडर ट्रेडिंग के निपटाए गए मामलें | 15 | 20 | 15 | 06 | 19 |
स्रोत: सेबी वार्षिक रिपोर्ट
अभी हालिया उदाहरण राकेश झुनझुनवाला का है, जिसे भारत के वारेन बफे के नाम से भी जाना जाता है
राकेश झुनझुनवाला
सेबी ने राकेश झुनझुनवाला को इनसाइडर ट्रेडिंग करने के एक मामलें में एक नोटिस भेजा है। नोटिस के अनुसार, एप्टेक एजुकेशन और ट्रेनिंग कंपनी के शेयरों में राकेश झुनझुनवाला ने इनसाइडर ट्रेडिंग किया है।
इस कंपनी पर झुनझुनवाला और उसके परिवार का मालिकाना हक़ है। सेबी के अनुसार राकेश झुनझुनवाला ने वर्ष 2006 में एप्टेक कंपनी के शेयर 56 रूपये पर खरीदे थे।
उसके बाद से कंपनी में उनके और उनके परिवार के लोगों का हिस्सेदारी बढ़कर 49 प्रतिशत हो गया है।
अब, सेबी ने राकेश झुनझुनवाला सहित कंपनी में डायरेक्टर और कुछ बोर्ड मेंबर्स के भूमिका की भी जांच कर रही है।
सेबी में इनसाइडर ट्रेडिंग
सेबी (Security And Exchange Board of India) ने इनसाइडर ट्रेडिंग को नियंत्रित करने के लिए कई सख्त कदम उठाये हैं। और इनसाइडर ट्रेडिंग के नियम भी तय किये गए हैं साथ ही इनसाइडर ट्रेडिंग पर नकेल कसने के लिए मार्केट सर्विलांस सिस्टम लागू किया है।
ये तंत्र बाजार के असामान्य पैटर्न पर नजर रखती है। सेबी ने इसमें निरंतर सुधार करने का प्रयास भी किया है।
सेबी द्वारा कुछ महत्वपूर्ण मापदंड निर्धारित किये हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- कंपनी द्वारा कोई भी घोषणा करने से पहले और बाद के 48 घंटों के दौरान प्रमोटर्स, मैनेजमेंट या कर्मचारियों को कंपनी के शेयर्स में ट्रेड करने की अनुमति नहीं हैं।
- यह मापदंड उन ऑडिटर्स, लॉ फर्म, विश्लेषक, एडवाइजर पर भी लागू होती है, जो कंपनी को सलाह देते हों।
- साथ ही, कंपनी के हर तिमाही पर परिणाम घोषित करने के बाद 48 घंटों तक ट्रेडिंग विंडो बंद रखने का नियम भी लागू कर दिया।
उपरोक्त बताये नियमों का उल्लंघन करने पर सेबी ने सख्त सजा का भी प्रावधान पेश किया है। और कई कंपनियों को सेबी द्वारा दंडित भी किया गया है।
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निष्कर्ष
इनसाइडर ट्रेडिंग एक अवैध प्रथा है, जो कंपनी के मैनेजमेंट से जुड़े व्यक्ति अपने फायदे के लिए करते हैं। वह व्यक्ति कंपनी की गोपनीय जानकारी के द्वारा शेयर को खरीद कर या बेचकर लाभ कमाता हैं।
यहाँ कुछ महत्वपूर्ण सुझाव है, जो एक निवेशक को ध्यान में रखना चाहिए।
कई बार शेयर बाजार में बुलिश कंडीशन होता है तो बहुत सारी छोटी-छोटी कंपनियों के शेयर का भाव में तेजी आ जाती है। यह तेजी कंपनी के प्रमोटर और सट्टोरियों के बीच मिलीभगत से होती है।
उनके द्वारा बाजार में अफवाह फैलाई जाती है और अलग-अलग खाते में शेयर्स जमा किये जाते है।
यह सब शेयर्स के भाव बढ़ाने के उद्देश्य से किया जाता है, जिससे निवेशक अधिक मूल्य पर शेयर खरीदते है और कंपनी के प्रमोटर को फायदे पहुंचाते है।
लेकिन कुछ ही समय बाद, वास्तविक परिस्थिति सामने निवेशकों को घाटा उठाना पड़ता है।
इसलिए, ऐसी परिस्थिति में निवेशकों को सोच समझ कर निवेश कर चाहिए।
Insider Trading in Hindi में हमने इससे जुडी सभी महत्वपूर्ण जानकारियों को आपके साथ साझा किया है। उम्मीद है कि आपको यह लेख जरूर पसंद आया होगा।
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