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अगर आपसे पूछा जाए कि मुंबई का मौसम कैसा रहने वाला है?
क्या आप मुंबई के हर इलाके में जाएंगे। वहां का हाल पता करेंगे?
नहीं ना!
बुद्धिमानी तो इसमें होगी कि आप मुंबई के कुछ बड़े या प्रमुख इलाके में जाएंगे। उस हिस्से का मुयायना करेंगे।
इस तरह आप पुरे मुंबई का हाल बता सकते हैं। अगर मुंबई के हिस्से में बदल छाये हुए है।
कहीं हल्की बारिश हो रही है। फिर आपका जवाब होगा कि मुंबई में बारिश होने की संभावना है।
और अगर उन हिस्सों में धुप होगी। फिर, आप बोलेंगे कि मौसम सामान्य है।
अब सवाल मौसम से हटाकर मुंबई में स्थित शेयर मार्केट के बारे में पूछा जाए, तो फिर क्या जवाब होगा?
स्टॉक एक्सचेंज में दो प्रमुख एक्सचेंज है – बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) है।
बीएसई में लगभग 5000 कंपनियां लिस्टेड है। वहीं, एनएसई में लगभग 1600 कंपनियां हैं।
क्या आप इन सभी लिस्टेड कंपनियों के शेयर का हाल पता करेंगे। किस कंपनी के शेयर में तेजी है।
और किस शेयर में मंदी है। ये थोड़ा मुश्किल काम है।
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आप मुंबई के मौसम की तरह स्टॉक मार्केट का भी हाल पता लगा पाएंगे।
बस आपको स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड कुछ विशेष इंडस्ट्री या सेक्टर की कंपनियों के शेयर तेजी में है या मंदी में।
अब अगर ज्यादातर कंपनियों के शेयर में तेजी है तो बाजार में तेजी है। अगर कंपनियों के शेयर नीचे जा रहे तो मार्केट में मंदी है।
और, अगर दोनों मिला जुला रहा तो स्टॉक मार्केट का हाल भी मिला जुला होगा।
सेंसेक्स भी कुछ इसी तरह काम करता है।
यह एक इंडेक्स है। इसका काम बॉम्बे एक्सचेंज में लिस्टेड कंपनियों के परफॉरमेंस को ट्रैक करना है।
अलग-अलग सेक्टर की प्रमुख कंपनियों की परफॉरमेंस को दिखाना।
सेंसेक्स को आप रोजाना टीवी या अखबार के माध्यम से सुनते होंगे। आज सेंसेक्स में इतने अंक की तेजी आयी या गिरावट आयी।
आजकल सेंसेक्स 50 हजार के आसपास है। आपको हर दिन ये न्यूज़ में आते देखा होगा।
लेकिन, कुछ लोग इस तरह की खबर आते ही चैनल बदल लेते हैं या अखबार का पन्ना उलट देते है।
वास्तव में, सेंसेक्स को समझना कोई अधिक मुश्किल काम नहीं है।
इसे समझने के लिए एक व्यक्ति को शेयर बाजार की बुनियादी जानकारी रखनी होगी।
शेयर बाजार में ट्रेडिंग करने के लिए, सेंसेक्स को समझना बहुत इम्पोर्टेन्ट है।
इसलिए, हमने आज Sensex Meaning in Hindi को तोड़-तोड़ कर और विस्तार से समझते है।
Sensex Meaning in Hindi
“सेंसेक्स” शब्द को दीपक मोहानी द्वारा लाया गया था।
यह दो शब्दों से बनाया गया है। आपने स्कूल में संधि-विच्छेद करना तो सीखा होगा जैसे विद्या और आलय = विद्यालय।
ठीक उसी तरह, सेंसेक्स भी दो शब्दों को मिलाकर बना है।
Sensex = Sensitive + Index
सेंसेक्स मतलब संवेदी, इसे आप संवेदनशील भी समझ सकते हैं, और इंडेक्स मतलब सूचकांक।
अब इन दोनों को एक साथ कर दें तो बन जाएगा संवेदी सूचकांक।
अगर कोई Sensex Meaning in Hindi के बारे में पूछे तो आपका जवाब होगा :
सेंसेक्स = संवेदी सूचकांक
मगर, ये सूचकांक संवेदनशील क्यों है?
चूँकि इंडेक्स यानी सूचकांक विभिन्न कारणों से ऊपर-नीचे होते होता है।
इसलिए इसे संवेदनशील माना गया है जो मार्केट की एक छोटी सी हरकत से भी प्रभावित हो जाता है।
यही उतार-चढ़ाव स्टॉक मार्केट के हाल बताते है। साथ ही तेजी और मंदी के बारे में भी संकेत करते है।
अब सेंसेक्स तो ठीक है, पर बीएसई सेंसेक्स का क्या मतलब है?
क्योंकि कई बार बीएसई सेंसेक्स एक साथ आते है, फिर इन दोनों का क्या अर्थ है?
चलिए, इस सवाल के जवाब पर भी आते है।
सेंसेक्स मुख्य रूप से बीएसई (बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज) का एक इंडेक्स है।
नहीं आया समझ?
बीएसई में अलग-अलग सेक्टर से कुछ 30 कंपनियां लिस्टेड है जो ट्रेड करती है।
अब ये 30 कंपनियों का प्रदर्शन कैसा है, इसे ट्रैक करने के लिए सेंसेक्स एक पैरामीटर है।
1 जनवरी,1986 तक स्टॉक एक्सचेंज के पास कोई ऐसी आधिकारिक सूचकांक नहीं था।
इसी जरुरत को महसूस करने के बाद सेंसेक्स को भारतीय बाजार के प्रदर्शन को समझने के लिए चुना गया था।
यदि सेंसेक्स का मूल्य बढ़ता है तो इसका मतलब है कि शेयर की कीमतों में तेजी होती है।
अगर सेंसेक्स में कमी आती है तो इसका मतलब है कि शेयरों की कीमत में मंदी है।
अब आपको और आसान शब्दों में समझाते हैं। जैसे तापमान का हाल जानने के लिए थर्मोमीटर का इस्तेमाल करते है।
ठीक उसी तरह सेंसेक्स को भी बीएसई में लिस्टेड कंपनियों का हाल जानने के लिए इस्तेमाल करते हैं।
अभी आप बीएसई सेंसेक्स का मतलब तो समझ गए।
लेकिन हम कहे की बीएसई सेंसेक्स के अलावा सेंसेक्स को किसी और एक नाम से भी जानते हैं।
जी हाँ।
सेंसेक्स को S&P BSE Sensex भी कहा जाता है।
S&P को स्टैंडर्ड एंड पूअर्स कहा जाता है। यह एक इंटरनेशनल क्रेडिट रेटिंग एजेंसी है। 19 फरवरी, 2013 को सेंसेक्स और S&P का टाई-अप हुआ था।
इसके बाद बीएसई सेंसेक्स में S&P जुड़ गया।
अभी Sensex Meaning in Hindi से जुड़े सारे कॉन्सेप्ट क्लियर हो गए होंगे।
सेंसेक्स कैसे बनता है
Sensex Meaning in Hindi को आसान से शब्दों में समझ गया है।
लेकिन, Sensex बनता कैसे है?
सेंसेक्स को बनाने के लिए स्टॉक एक्सचेंज की एक कमेटी बनती है।
इस कमिटी में अलग-अलग क्षेत्र से लोग शामिल होते हैं। मुख्य रूप से सरकार, बैंक और अर्थशास्त्री शामिल होती है।
सेंसेक्स को बनाने के लिए बीएसई में लिस्टेड 30 कंपनियों के शेयर के भाव का गणना किया जाता है।
इन टॉप 30 कंपनियों को मार्केट कैपिटलाइज़ेशन के आधार पर चुना जाता है।
इसके अलावा भी निम्नलिखित मापदंड है, जो इन 30 कंपनियों को चयन करने के लिए देखा जाता है:
- कंपनी के शेयर को न्यूनतम 1 साल या अधिक समय के लिए स्टॉक एक्सचेंज पर लिस्टेड रहना चाहिए।
- पिछले एक साल के अंदर, उस कंपनी के शेयर को हर दिन ट्रेड होना जरुरी होता है।
- रोजाना की एवरेज ट्रेड वॉल्यूम और वैल्यू के हिसाब से कंपनी को देश की 150 कंपनियों में शामिल होना चाहिए।
इनको ब्लू चिप स्टॉक भी कहा जाता है।
इसमें यह भी देखा जाता है कि एक साल में इन कंपनियों के शेयर को कितना खरीदा और बेचा गया है।
आप यहाँ Share Kaise Kharide की पूरी प्रक्रिया समझ सकते है।
यह कंपनियां अपने सेक्टर को रिप्रेजेंट करती है।
यदि अभी के लिए बीएसई यानि बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड कंपनियों का आंकड़ा देखा जाये तो ये कुल मिलाकर 6000 से भी ज़्यादा है।
इसलिए, इस प्रकिया का पालन करना पड़ता है। जिसके चलते कई बार सेंसेक्स से कंपनियों को निकाला और जोड़ा भी जाता है।
इसके अलावा, आप सेंसेक्स और निफ्टी शेयर बाजार को पढ़कर इन दोनों इंडेक्स के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
सेंसेक्स Historical Data
उपरोक्त जानकारी को जानने के बाद आइए जानते है कि आखिरकार सेंसेक्स कैसे घटता और बढ़ता है।
यह जानना बहुत ही आसान है जैसे हमने ऊपर बताया है कि यह यह लिस्टेड टॉप 30 कंपनियों की मूवमेंट पर नज़र रखता है।
उस दौरान अगर सेंसेक्स में लिस्टेड कंपनियों के शेयरो के भाव बढ़ते है तो सेंसेक्स भी बढ़ जाता है।
उसी तरह जब कंपनियों के शेयर का मूल्य कम होता है तो सेंसेक्स नीचे आ जाता है।
इस तरह शेयर मार्केट में ये उतार-चढ़ाव चलता रहता है।
सेंसेक्स के बढ़ने और घटने का अनुमान इन 30 कंपनी के शेयर की कीमत के गिरने और बढ़ने से लगाया जाता है।
जिसमें सभी कंपनी के शेयर के प्राइस को उनकी शुरूआती प्राइस से तुलना करके देखा जाता है।
अब आप सोच रहें होंगे कि शेयर मार्केट में शेयरों के भाव में इतनी हलचल क्यों रहती है।
आपको बता दें कि शेयरों की कीमतों में रोजाना ये उतार-चढ़ाव का मुख्य कारण उन कंपनियों के प्रदर्शन पर निर्भर करता है।
जैसे मान लीजिये किसी कंपनी के बारे में कोई अच्छी खबर चली हो। इस अच्छी खबर का प्रभाव उसके शेयर पर भी पड़ता है।
न्यूज़ आने के बाद शेयर के भाव बढ़ने लगते है।
इसी प्रकार, अगर कोई कंपनी दिवालियापन से गुजर रही है या उसके बारे में मार्केट में गलत खबर छपी है।
इसका प्रभाव कंपनी के शेयर पर पड़ता है। और कंपनी के शेयर के भाव गिरने लग जाता है।
SENSEX की गणना(HOW SENSEX IS CALCULATED IN HINDI):
सेंसेक्स की गणना कैसे करते हैं?
लेकिन, पहले जान ले मार्केट कैपिटलाइज़ेशन और फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन क्या होता है।
कंपनी कितनी बड़ी है। कंपनी की कुल कीमत क्या है। इसके लिए Market Capitalization की मदद ली जाती है।
इससे आप कंपनी की टोटल वैल्यू पता लगा सकते है। जितनी ज्यादा टोटल वैल्यू उतनी बड़ी कंपनी।
अब मार्केट कैपिटलाइज़ेशन की गणना कैसे करते हैं?
आप इसके लिए कंपनी के टोटल जारी किये शेयर्स देखते है। और कम्पनी की वर्तमान समय में एक शेयर की कीमत क्या है।
इन दोनों को गुना करने के बाद जो रिजल्ट आता है। वह कंपनी की टोटल वैल्यू होगी।
मार्केट कैपिटलाइज़ेशन = कंपनी द्वारा जारी किये कुल शेयर X एक शेयर की कीमत
मान लीजिये किसी एक कंपनी के पास 10 लाख शेयर्स है। कंपनी की एक शेयर की वैल्यू ₹5000 रुपये है।
इस हिसाब से कंपनी की मार्केट कैपिटलाइज़ेशन होगा:
कंपनी की टोटल वैल्यू = ₹10 लाख * ₹5000 = ₹5,00,000,0000
अब फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन पर आते हैं।
इस मेथड में केवल उन शेयर्स को ध्यान में रखते है जो किसी भी स्टॉक एक्सचेंज पर उपलब्ध है।
यानि जिसे खरीदा और बेचा जा सकता है। आप इसे Open Market Shares भी कह सकते है।
अब इसमें कौन से शेयर्स शामिल नहीं होते?
यहाँ प्रमोटर्स, ट्रस्ट, फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट और सरकार इत्यादि के शेयर को शामिल नहीं करते।
इसके लिए लिस्टेड 30 कंपनियों के शेयर की कीमतों को देखा जाता है।
सेंसेक्स का गणना करने के लिए फ्री-फ्लोट मार्केट कैप्टिलाइज़ेशन मेथड का इस्तेमाल किया जाता है।
दुनिया के सभी प्रमुख इंडेक्स इसी मेथड का उपयोग करते हैं।
पहला कदम सूचकांक बनाने वाली 30 कंपनियों के फ्री फ्लोट बाजार पूंजीकरण को निर्धारित करना है।
फ्री फ्लोट बाजार पूंजीकरण = बाजार पूंजीकरण* फ्री फ्लोट फैक्टर।
बेहतर समझने के लिए आइए एक उदाहरण देखें:
यदि कंपनी के 100 शेयर हैं, जिसमें 30 सरकार या प्रमोटरों के पास हैं और शेष 70 आम जनता के लिए ट्रेड के लिए उपलब्ध हैं, तो वे 70 शेयर फ्री-फ्लोटिंग शेयर हैं और इस प्रकार फ्री फ्लोट कारक 70% होगा।
जबकि बाजार पूंजीकरण शब्द कंपनी के मूल्यांकन का प्रतिनिधित्व करता है।
बाजार पूंजीकरण उस कंपनी द्वारा जारी किए गए शेयरों की संख्या के साथ एक शेयर की कीमत को गुणा करके निर्धारित किया जाता है।
हमें उम्मीद है कि अब तक आप जान चुके हैं कि सेंसेक्स अर्थ, इसकी कार्यप्रणाली क्या है; अब देखते हैं कि सेंसेक्स की गणना कैसे की जाती है।
सेंसेक्स की गणना करते समय उपरोक्त दो शब्दावली एक प्रमुख भूमिका निभाती हैं।
बीएसई सेंसेक्स की गणना
सेंसेक्स की वैल्यू = (कुल मुक्त फ़्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन / बेस मार्केट कैपिटलाइज़ेशन) * बेस पीरियड इंडेक्स वैल्यू।
उदाहरण के लिए
सेंसेक्स की गणना के लिए आधार अवधि (वर्ष) 1978-79 है।
बेस वैल्यू इंडेक्स 100 है।
उपरोक्त फॉर्मूला का उपयोग करके, कोई बीएसई सेंसेक्स के मूल्य की गणना कर सकता है।
अब जानना ये की सेंसेक्स के फायदे क्या है।
सेंसेक्स के फायदे
सेंसेक्स के बहुत फ़ायदे हैं।
जैसे इसका सबसे बढ़ा फ़ायदा यह है की यह शेयर मार्केट में होने वाली सारी हलचल पर अपनी कड़ी नज़र रखता है ताकि निवेशक या ट्रेडर उसमें होने वाले परिवर्तनों को जान सके और फिर सोच समझ कर निवेश कर सकें।
सेंसेक्स के निम्नलिखित फ़ायदे जो शयद ज़्यादा उपयोगी न हो लेकिन इनडायरेक्ट रूप से अगर देखा जाये तो काफी फ़ायदेमंद साबित हो सकते है।
इसमें देश की 30 कंपनियां शामिल होती है इसलिए अगर सेंसेक्स में उछाल आता है तो निवेशक भी उस कपंनी में पैसा लगाने की इच्छा रखते है। तो यदि आप सेंसेक्स कंपनी लिस्ट की जानकारी पाना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करें।
जब निवेशकों के पास अधिक धन जुड़ जाता है तो वे विकास करती है और अपना बिज़नेस और बढ़ाती है, जिसके लिए उसे अन्य व्यक्तियों की जरूरत पढ़ती है फिर वे उन्हें नियुक्त करते है जिसका सीधा अर्थ है कि देश में बेरोजगारी कम होगी।
दूसरा कारण आप ये देख सकते है जब सेंसेक्स ऊपर जाता है तो कई विदेशी निवेशक भारत की कंपनियों में पैसा लगाते है जिससे हमारे रूपए में तेजी आएगी और रुपया फॉरेक्स करेंसी के मुकाबले ज्यादा मजबूत है।
आपको पता होगा जब रुपया मजबूत होता है तो देश में चीचे सस्ती होने लगती है।
टॉप 30 बीएसई सेंसेक्स कंपनी FAQs
सेंसेक्स क्या है?
सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का बेंचमार्क इंडेक्स है।
यह भारतीय वित्तीय बाजार के प्रदर्शन का आकलन करने के लिए 1986 में शुरू किया गया था।
निफ्टी की तरह, सेंसेक्स के शेयरों में विभिन्न क्षेत्रों से 30 प्रमुख स्टॉक हैं, जो दैनिक रूप से स्टॉक एक्सचेंज में सक्रिय रूप से ट्रेड करते हैं।
क्या बीएसई शीर्ष 30 स्टॉक बीएसई सेंसेक्स के समान हैं?
हाँ। बीएसई सेंसेक्स बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध 30 अच्छी तरह से स्थापित और आर्थिक रूप से मजबूत कंपनियों का एक फ्री-फ्लोट वेटेड स्टॉक मार्केट इंडेक्स है।
सेंसेक्स में निवेश करने के क्या फायदे हैं?
सेंसेक्स की शीर्ष 30 कंपनियों में निवेश के महत्वपूर्ण लाभों में शामिल हैं:
1. बेहतर रिटर्न – भारत में शीर्ष सूचकांकों पर एक ऐतिहासिक बैकस्ट। निफ़्टी ५० और बीएसई सेंसेक्स से पता चलता है कि सेंसेक्स में निवेश करने से निफ्टी 50 से थोड़ा अधिक रिटर्न मिल सकता है। उच्च लिक्विडिटी वाले सेंसेक्स आधारित इंडेक्स फंड का चयन करने के लिए ध्यान रखें।
2. विविधीकरण – एक इंडेक्स फंड में निवेश स्वचालित रूप से आपको पोर्टफोलियो विविधीकरण का लाभ प्रदान करता है, जिससे पोर्टफोलियो जोखिम कम हो जाता है।
3. कम खर्चीला – एक निष्क्रिय प्रबंधित फंड होने के नाते आपको न्यूनतम शुल्क का भुगतान करना आवश्यक है। यह अनिवार्य रूप से आपके रिटर्न में खाने के लिए कम खर्च का मतलब है।
बीएसई सेंसेक्स से सर्वश्रेष्ठ शेयरों का चयन कैसे करें?
आप लाभप्रदता, मूल्यांकन या मूल्य मापदंडों के आधार पर निवेश करने के लिए सेंसेक्स से सर्वश्रेष्ठ शेयरों का चयन कर सकते हैं। हालांकि, इन मानदंडों के मिश्रण का उपयोग करने से आपको बेहतर परिणाम मिल सकते हैं।
सेंसेक्स की गणना कैसे की जाती है?
बीएसई सेंसेक्स की गणना फ्री-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन ’विधि द्वारा की जाती है।
1. बाजार पूंजीकरण उस कंपनी द्वारा जारी किए गए शेयरों की संख्या के साथ शेयरों की कीमत को गुणा करके निर्धारित किया जाता है, जिनमें से प्रत्येक 30 कंपनियों के सूचकांक शामिल हैं।
2. बाजार पूंजीकरण तब बीएसई द्वारा निर्धारित फ्री-फ्लोट कारक को मुक्त-फ्लोट पूंजीकरण को प्राप्त करने के लिए गुणा किया जाता है।
3. इंडेक्स घटकों के मुक्त-फ्लोट मार्केट कैपिटलाइज़ेशन को तब इंडेक्स डिवाइज़र के रूप में जाना जाता है। यह सूचकांक विभाजक सूचकांक के मूल आधार अवधि मूल्य का एकमात्र लिंक है। (सेंसेक्स के लिए, आधार मूल्य अवधि, यह 1978-79 है) यह मूल्य समय की अवधि में सूचकांक की तुलना के लिए प्रदान करता है।
बीएसई सेंसेक्स में निवेश कैसे करें?
आप सेंसेक्स आधारित किसी भी इंडेक्स फंड या ईटीएफ के माध्यम से सेंसेक्स में निवेश कर सकते हैं। ऐसा फंड / ईटीएफ चुनें जिसमें तरलता अधिक हो और अन्य की तुलना में कम व्यय अनुपात हो।
निष्कर्ष
भारत में बहुत सारे स्टॉक्स एक्सचेंज है बीएसई सेंसेक्स भी उन में एक है।
सेंसेक्स 1986 में बनाया गया था तब इसका नाम “सेंसिटिव इंडेक्स” रखा गया जिसको छोटा करके इसका नाम सेंसेक्स रखा गया।
सेंसेक्स में 30 प्रमुख स्टॉक शामिल हैं जो कि एक्सचेंज मार्केट में सक्रिय रूप से ट्रेड करते हैं। सेंसेक्स वास्तव में भारतीय शेयर बाजार में होनी वाली मूवमेंट को दर्शाता है।
यदि आपने हमारे आर्टिकल को पूरा पढ़ा होगा तो हम ये विश्वास के साथ बोल सकते है की आपको Sensex Meaning in Hindi के बारे में सारी जानकारी हो गई होगी।
इसलिए यदि अभी भी आपको इससे संबधित पूरी जानकारी समझ नहीं आई तो आप हमारे कमेंट सेक्सेशन में अपना कोई भी सवाल पूछ सकते है।
डीमैट खाता खोलने की सोच रहे हैं? कृपया नीचे दिए गए फॉर्म को देखें
यहां बुनियादी विवरण दर्ज करें और आपके लिए एक कॉलबैक की व्यवस्था की जाएगी!