देश का प्रदर्शन हो या हमारी को परफॉरमेंस रिपोर्ट गणित का उपयोग किसी न किसी रूप में होता ही है, लेकिन क्या आपको पता है कि इसका स्टॉक मार्केट में भी गणित का बहुत महत्त्व है। शेयर प्राइस की गणना से लेकर, रिटर्न और ब्रोकरेज को कैलकुलेट करने के लिए अलग-अलग फार्मूला का उपयोग किया जाता है। अगर आप शेयर मार्केट को समझकर उसमे निवेश करना चाहते है तो इस लेख में शेयर मार्केट के गणित को जाने।
शुरुआत करते है शेयर मार्केट के मीनिंग के साथ।
शेयर मार्केट वह प्लेटफार्म है जहाँ पर कम्पनीज अपने शेयर्स रिटेल इन्वेस्टर के लिए लिस्ट करती है। लिस्ट होने पर आप उन कम्पनीज की इक्विटी में निवेश कर पैसा कमा सकते है। अब ये कम्पनीज के लिस्ट होने के लिए भारत में दो स्टॉक एक्सचेंज है-NSE और BSE.
आज के समय में NSE में लगभग 1800 और BSE में 5000 कम्पनीज लिस्टेड है। अब कौन- सी कंपनी में निवेश करना है, कौन-सी कंपनी अच्छा प्रदर्शन कर रही है उन सबके लिए इन एक्सचेंज में इंडेक्स होते है।
NSE का इंडेक्स निफ़्टी ५० और BSE का सेंसेक्स आपको क्रमशः टॉप 50 और 30 कम्पनीज की सूची प्रदान करती है। इन सूची में कम्पनीज को मार्केट कैपिटलाइजेशन की आधार पर फ़िल्टर किया जाता है जिनकी परफॉरमेंस Nifty 50 और Sensex की गणना के लिए की जाती है।
शेयर मार्केट का गणित समझने की शुरुआत मार्केट कैपिटलाइजेशन के मीनिंग और Nifty 50 इंडेक्स की कैलकुलेशन से करते है।
मार्केट कैप की गणना कैसे करें?
किस भी कंपनी की वैल्यू की गणना करने के लिए मार्केट कैप एक बहुत ही उपयोगी टूल है। इसकी गणना करने के लिए कंपनी के कुल शेयर को उसके शेयर प्राइस से गुना करना होता है। एक निवेशक को ये कंपनी में निवेश के रिस्क और रिटर्न की गणना करने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।
मार्केट कैप की वैल्यू कंपनी के विकास के चरण का भी उल्लेख करती है जिसके आधार पर वह अपने जोखिमों का आंकलन कर पोर्टफोलियो बना सकते है।
इसकी गणना करने के लिए निम्नलिखित फार्मूला का इस्तेमाल किया जाता है:
मार्केट कैप= कुल आउटस्टैंडिंग शेयर * करंट क्लोजिंग प्राइस
इसकी गणना को एक उदाहरण से समझते है:
मान लेते है कि एक कंपनी के लिस्टेड शेयर की 10,000 है जो आज के समय में 100 रुपये प्रति शेयर की हिसाब से ट्रेड किया जाता है। यहाँ पर इस कंपनी की मार्केट कैप की वैल्यू:
=10,000*100
=10,00,000
मार्केट कैप के आधार पर तीन प्रकार की कम्पनीज शेयर मार्केट में लिस्टेड है जो आपको कंपनी के विकास, रिस्क और रिटर्न की जानकारी प्राप्त करने में उपयोगी है।
कम्पनीज का मार्केट कैप | |
कंपनी | मार्केट कैप |
स्माल कैप कंपनी | ₹5000 करोड़ से कम |
मिड कैप कंपनी | ₹5000 से ₹20000 करोड़ |
लार्ज कैप कंपनी | ₹20000 से ज़्यादा |
स्टॉक मार्केट इंडेक्स की गणना कैसे करें?
मार्केट कैप के बाद आइये जानते है की शेयर मार्केट इंडेक्स की गणना किस प्रकार की जाती है। जैसे की बताया गया है भारत में दो मुख्य इंडेक्स निफ़्टी ५० और सेंसेक्स है जिसकी वैल्यू उसमे लिस्टेड कम्पनीज के अनुसार की जाती है।
अब गणना करने के लिए ‘Free Float Market Capitalization Weighted’ मेथड का इस्तेमाल किया जाता है। इसके लिए निम्नलिखित फार्मूला का उपयोग किया जाता है:
फ्री फ्लोट मार्केट कैपिटलाइजेशन= मार्केट कैप *फ्लोट फैक्टर
यहाँ पर हर कंपनी का फ्लोट फैक्टर की गणना करने के लिए सिर्फ वह शेयर शामिल किये जाते है जो पब्लिक निवेश के लिए उपलब्ध है, यानी शेयर जो प्रमोटर, कंपनी के मालिक, सरकार, कॉर्पोरेट बॉडी, आदि द्वारा होल्ड किये गए है वह इसमें शामिल नहीं किये जाते।
इसके बाद इंडेक्स वैल्यू की गणना करने के लिए निम्नलिखित फार्मूला का उपयोग किया जाता है:
इंडेक्स वैल्यू= (मार्केट वैल्यू/बेस मार्केट कैपिटल) * 1000
यहाँ पर निफ़्टी की मार्केट वैल्यू और बेस मार्केट कैपिटल उसमे लिस्टेड 50 कम्पनीज के प्राइस और मार्केट कैप का Weighted Aggregate वैल्यू है।
How to Calculate Equity in Hindi?
मार्केट कैप और अन्य पैरामीटर के साथ शेयरहोल्डर्स इक्विटी की जानकारी होना भी काफी आवश्यक है। इसके लिए आप बैलेंस शीट में दिए एसेट और लायबिलिटीज का उपयोग कर सकते है।
आसान भाषा में शेयरहोल्डर्स इक्विटी कुल एसेट से लायबिलिटी को घटाकर निकला जाता है।
उदाहरण के लिए; अगर किसी कंपनी के कुल एसेट 20,000 करोड़ और कुल लायबिलिटी 15,000 करोड़ है तो उस कंपनी की शेयरहोल्डर इक्विटी की वैल्यू:
=(20000-15000) करोड़
=5000 करोड़
यहाँ पर पॉजिटिव इक्विटी वैल्यू मजबूत वित्तीय स्थिति का प्रदर्शन करती है और निवेशकों के लिए निवेश करने के अवसर लेकर आती है।
शेयर प्राइस की गणना कैसे करें?
शेयर प्राइस कई तरह के कारको पर निर्भर करता है जैसे:
- सप्लाई और डिमांड
- बिज़नेस ग्रोथ
- इंटरेस्ट रेट
- ग्लोबल फैक्टर
- इकॉनमी
- महंगाई
- प्राकृतिक आपदाएँ, आदि
लेकिन अगर आपको निवेश के समय कंपनी के सही प्राइस की गणना करनी है तो उसके लिए आप बेंजामिन ग्राहम के आसान से फॉर्मूले के उपयोग कर कंपनी के इन्ट्रिंसिक वैल्यू की जानकारी प्राप्त कर सकते है:
Intrinsic Value = Square root of (15 * 1.5 (Earnings per share) * (Book Value per share))
यहाँ पर 15 एक निर्धारित PE वैल्यू है और 1.5 संकेत करता है की किसी भी कंपनी का शेयर प्राइस अपनी बुक वैल्यू से 1.5 गुना से ज़्यादा नहीं बढ़ सकता। अगर इन्ट्रिंसिक वैल्यू करंट प्राइस से ज़्यादा आती है तो वह शेयर के अंडर वैल्यू होने का संकेत देती है और एक निवेशक उसमे निवेश कर आने वाले समय में रिटर्न की उम्मीद कर सकता है।
शेयर मार्केट में ट्रेडिंग का गणित
शेयर मार्केट में ट्रेड करने के सबसे ज़रूरी कारक है मार्केट के ट्रेंड की जानकारी। एक बार आपको ट्रेंड पता चल जाता है उसके बाद ज़रूरी है सही प्राइस की गणना जिसमे पोजीशन ले आप मार्केट में कम से कम समय में ज़्यादा पैसा कमा सकते है।
इसके लिए आप इंट्राडे ट्रेडिंग फार्मूला का उपयोग कर सपोर्ट और रेजिस्टेंस की जानकारी ले सकते है।
सपोर्ट और रेजिस्टेंस पहचानने के लिए आपको Pivot Point की गणना करनी होती है, जिसके लिए आप निम्नलिखित फार्मूला का उपयोग करें:
पाइवोट पॉइंट= (हाई+लॉ+क्लोज)/3
पाइवोट पॉइंट की जानकारी के बाद आप सपोर्ट और रेजिस्टेंस की वैल्यू निम्नलिहित प्रकार से कर सकते है:
R1= (2*पाइवोट पॉइंट)-लॉ प्राइस
S1= (2*पाइवोट पॉइंट)-हाई प्राइस
R2= पाइवोट पॉइंट + (हाई-लॉ)
S2= पाइवोट पॉइंट – (हाई-लॉ)
R3= हाई + 2(पाइवोट पॉइंट – लॉ प्राइस)
S3= लॉ – 2 (High-पाइवोट पॉइंट)
इसके साथ स्टॉक मार्केट में ट्रेडिंग के लिए टेक्निकल इंडिकेटर का उपयोग किया जाता है जिसकी गणना अलग-अलग फार्मूला का उपयोग करके किया जाता है।
स्टॉप लॉस की गणना
ट्रेडिंग में हर कोई ज़्यादा से ज़्यादा मुनाफा कमाने की ओर देखता है लेकिन एक ट्रेडर को ये कभी नहीं भूलना चाहिए की स्टॉक मार्केट में काफी अस्थिरता रहती है जिसके चलते अगर शेयर के दाम ऊपर जा सकते है तो उतनी ही तेज़ी से नीचे भी गिर सकते है।
हालांकि एक सही विश्लेषण और शेयर बाजार में नुकसान से बचने के टिप्स आपको इस तरह के लॉस से बचा सकता है लेकिन अनुभवी से अनुभवी ट्रेडर मार्केट में अपनी पोजीशन को सुरक्षित रखने के लिए स्टॉप लॉस (stop loss meaning in hindi) का उपयोग करता है।
लेकिन stop loss kaise lagaye इसकी गणना करने के लिए अलग-अलग तरीके है जो आपके होल्डिंग पीरियड और जोखिम लेने की क्षमता पर निर्भर करते है, लेकिन इसके साथ आप इसकी सही गणना कर भी अपने लॉस को सीमित कर सकते है।
निम्नलिखित तरह से आप स्टॉक मार्केट में ट्रेड करते समय स्टॉप लॉस की गणना कर सकते है:
1. सपोर्ट और रेजिस्टेंस से
ऊपर पाइवोट पॉइंट के आधार पर अलग-अलग स्तर पर सपोर्ट और रेजिस्टेंस की गणना करना बताया गया है, ऐसे में अगर आपने ट्रेड में लॉन्ग पोजीशन ली है तो प्राइस के करीबी सपोर्ट पर आप इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए स्टॉप लॉस लगा सकते है।
इसी प्रकार अगर आपका होल्डिंग पीरियड ज़्यादा है तो आप अन्य सपोर्ट लेवल पर स्टॉप लॉस की वैल्यू को निर्धारित कर सकते है।
2. मूविंग एवरेज मेथड
एक्सपोनेंशियल मूविंग एवरेज इंडिकेटर (moving average in hindi) आपको मार्केट के ट्रेंड की जानकारी देता है और अगर शेयर प्राइस EMA लाइन से ऊपर हो तो वह अपट्रेंड का संकेत देता है। उसी प्रकार शेयर कर प्राइस जब EMA लाइन से नीचे ट्रेंड करता है तो डाउनट्रेंड का संकेत मिलता है।
अब अगर आपने लॉन्ग ट्रेड पोजीशन ली है तो उसके लिए आप EMA लाइन को सपोर्ट की तरह सकते है और उसके अनुसार अपना स्टॉप लॉस निर्धारित कर सकते है।
ऑप्शन ट्रेडिंग में इन्ट्रिंसिक वैल्यू की गणना कैसे करें?
इक्विटी के साथ-साथ आज के समय में डेरिवेटिव्स ट्रेड और उसमे ऑप्शन ट्रेडिंग (option trading in hindi) काफी प्रचिलित होता जा रहा है।
वैसे तो ऑप्शन ट्रेडिंग को करने के लिए कई कारको जैसे की ओपन इंटरेस्ट, इम्प्लॉइड वोलैटिलिटी, ग्रीक्स की गणना करना और विश्लेषण करना ज़रूरी होता है लेकिन उसके साथ ऑप्शन प्रीमियम यानी की इन्ट्रिंसिक वैल्यू की जानकारी होना भी होता है।
ऑप्शन की इन्ट्रिंसिक वैल्यू वह अमाउंट है जो एक सेलर ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट सेल करने के लिए ऑप्शन बायर से प्राप्त करता है। इसका फार्मूला कॉल और पुट ऑप्शन के लिए अलग-अलग होता है।
कॉल ऑप्शन= स्पॉट प्राइस -स्ट्राइक प्राइस
पुट ऑप्शन= स्ट्राइक प्राइस – स्पॉट प्राइस
अब जिन ऑप्शन स्ट्राइक प्राइस का इन्ट्रिंसिक वैल्यू 0 से ज़्यादा होती है वह इन द मनी ऑप्शन और जिनकी वैल्यू 0 से कम होती है वह आउट ऑफ़ द मनी कहलाते है। जिन स्ट्राइक प्राइस की वैल्यू करंट मार्केट प्राइस यानी की स्पॉट वैल्यू के सबसे पास होती है उसे नियर द मनी या एट द मनी ऑप्शन कहा जाता है।
ऑप्शन बायर अगर कम राशि के साथ ऑप्शन में ट्रेड करना चाहता है तो वह आउट ऑफ़ द मनी ऑप्शन को चुन सकता है।
शेयर मार्केट में निवेश करने का गणित
ट्रेडिंग के साथ आपको स्टॉक मार्केट में निवेश की विकल्प भी मिलते है। जिस तरह ट्रेडिंग में टेक्निकल एनालिसिस का उपयोग किया जाता है उसी प्रकार निवेश करने के लिए फंडामेंटल एनालिसिस करना ज़रूरी होता है।
इसके लिए एक निवेशक को कंपनी के बिज़नेस मॉडल, ऐतिहासिक ट्रेंड और अन्य कारको के साथ प्रॉफिट, रेवेनुए, खर्चे, क़र्ज़ आदि की जानकारी भी प्राप्त करनी होती है। ये सभी कारक कंपनी के ग्रोथ का प्रदर्शन करने में लाभदायक होते है।
इनमे से कुछ वैल्यू तो आप आसानी से इनकम स्टेटमेंट या कॅश फ्लो स्टेटमेंट से प्राप्त कर सकते है लेकिन जब बात रेश्यो की आती है तो उसके लिए आपको शेयर मार्केट का गणित का उपयोग कर फार्मूला का इस्तेमाल करना होता है।
फंडामेंटल रेश्यो की गणना कैसे करे?
मार्केट में मौलिक विश्लेषण करने के लिए कई तरह के रेश्यो है लेकिन अगर कुछ महत्वपूर्ण रेश्यो की बात करें जैसे की P/E, P/B, ROE आदि इनकी गणना करने के लिए आप निम्नलिखित फार्मूला का इस्तेमाल कर सकते है:
फंडामेंटल रेश्यो फार्मूला | |
PE ratio | शेयर प्राइस/अर्निंग पर शेयर |
PB रेश्यो | (कुल इक्विटी-प्रिफर्ड इक्विटी)/कुल आउटस्टैंडिंग शेयर |
डेब्ट रेश्यो | कुल डेब्ट / कुल एसेट्स |
रिटर्न ऑन एसेट (ROA) | नेट इनकम/कुल एसेट्स |
रिटर्न ऑन इक्विटी | नेट इनकम/ कुल इक्विटी |
कंपनी की वैल्यूएशन कैसे निकले?
हर कंपनी का अपना एक मूल्यांकन होता है लेकिन क्या जिस कीमत पर आप किसी कंपनी के शेयर खरीद रहे है उसकी गणना उसके मूल्यांकन के आधार पर ही की गयी है? कंपनी की वैल्यूएशन आपको फेयर वैल्यू और आने वाले रिटर्न की जानकारी देती है।
अब अगर आप किसी कंपनी में निवेश करना चाहते है तो उसकी वैल्यूएशन की गणना करने के लिए अलग-अलग फार्मूला का उपयोग कर सकते है लेकिन सबसे सरल तरीका है कंपनी की अर्निंग और P/E रेश्यो के आधार पर किसी शेयर की Fair value निकलना जिसका फार्मूला नीचे दिए गया है:
वैल्यूएशन= Earning after tax * P/E
अगर कंपनी की वैल्यूएशन के हिसाब से शेयर प्राइस कम है और कंपनी निरंतर ग्रो कर रही है तो आने वाले समय में आप ज़्यादा रिटर्न की अपेक्षा कर सकते है।
ROI Kaise Nikalte Hai
शेयर मार्केट में अकाउंट खोलते ही एक निवेशक ये जानने में रुचि रखता है की शेयर मार्केट में पैसा कैसे कमाए? खैर उसके लिए आप अलग-अलग रणनीतियों का इस्तेमाल कर सकते है लेकिन निवेश कर आप कितना पैसा कमा सकते है उसकी गणना करने के लिए रिटर्न कैलकुलेट करना काफी ज़रूरी होता है। आने वाले समय में आप अपने निवेश से कितना पैसा कमा सकते है उसके लिए ROI की गणना करें।
निम्लिखित फार्मूला का उपयोग कर आप अपने निवेश के रिटर्न को निकाल सकते है:
ROI= (नेट इनकम/कुल निवेश की वैल्यू) * 100%
इसे एक उदाहरण से समझते है। मान लेते है कि आपने किसी कंपनी में 1000 रुपये राशि के साथ निवेश किया और वर्ष के अंत में उस कंपनी के शेयर प्राइस 1800 रुपये हो गया, अब
नेट इनकम= 1800-1000
=800
निवेश की राशि= 1000
ROI= (800/1000)*100%
=80%
CAGR की गणना कैसे करें?
स्टॉक मार्केट में हर निवेशक ने Power of Compounding के बारे में ज़रूर सुना होगा, लेकिन क्या आपको पता है कि किस तरह से आप अपने ही निवेश की हुई राशि से ज़्यादा रिटर्न कमा सकते है।
निवेश में Compounding ग्रोथ को समझने के लिए CAGR की गणना की जाती है, जिसका फार्मूला निम्नलिखित है:
CAGR= (Ending Value/Beginning Value)^(1/N)-1
इसे समझने के लिए एक उदाहरण लेते है:
मान लेते है की आपने किसी कंपनी में 50,000 रुपये की राशि के साथ निवेश किया है और 2 साल के अंत में ये राशि बढ़कर 60,000 रुपये हो गई, यानी की 9.54% प्रति वर्ष का एवरेज रिटर्न आपको कमाने को मिला।
अगर आप अपनी इस निवेश की हुई राशि से और पैसा कमाना चाहते है और आने वाले 5 सालो के कम्पाउंडेड ग्रोथ से रिटर्न की गणना करना चाहते है तो उसके लिए आप निम्नलिखित फार्मूला का उपयोग कर सकते है:
Absolute returns= ( Ending Value – Beginning Value) / Beginning Value * 100
न्यूनतम राशि शेयर मार्केट में निवेश के लिए
वैसे तो इसका कोई एक स्पष्ट जवाब नहीं है कि शेयर मार्केट में कितने पैसे लगाए लेकिन अगर थोड़ा सा गणित का इस्तेमाल करें तो आप कुछ हद तक इसकी गणना कर सकते है। एक सरल से स्ट्रेटेजी है जिसमे आपको 100 से अपनी आयु को घटना है।
अब आपके सामने जो वैल्यू आएगी अपनी नेट वर्थ का उतना प्रतिशत आप शेयर मार्केट में निवेश कर सकते है।
उदाहरण के लिए मान लेते है की आपकी आयु 40 है, अब
100-40=60
यानी की आप अपनी नेटवर्थ का 60% मार्केट में निवेश कर सकते है। ये कैलकुलेशन काफी आसान है लेकिन इसमें जोखिम और अन्य पैरामीटर को नहीं रखा गया है।
ब्रोकरेज शुल्क की गणना कैसे करे?
अंत में आता है ट्रेडिंग करने के शुल्क की गणना। स्टॉक ब्रोकर आपको डीमैट अकाउंट (demat account in hindi) खोलने पर ट्रेडिंग प्लेटफार्म प्रदान करते है। उस ट्रेडिंग एप का इस्तेमाल कर ट्रेड करने के लिए आपको ब्रोकरेज फीस देनी होती है।
मार्केट में दो तरह के स्टॉक ब्रोकर है; फुल सर्विस और डिस्काउंट ब्रोकर।
इन दोनों ब्रोकर का ब्रोकरेज शुल्क भी अलग होता है। एक तरफ जहाँ फुल सर्विस स्टॉक ब्रोकर टर्नओवर के हिसाब से ब्रोकरेज चार्ज करता है वही डिस्काउंट ब्रोकर फ्लैट फीस लेता है।
समझने के लिए दो ट्रेडर का उदाहरण लेते है। मान लेते है कि एक ट्रेडर का अकाउंट फुल सर्विस ब्रोकर के साथ है जो इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए 0.05% शुल्क चार्ज करता है और दूसरी ओर डिस्काउंट ब्रोकर 0.05% या 20 रुपये (जो भी कम हो) चार्ज करता है।
किसी एक रोज़ दोनों ट्रेडर अपने-अपने ब्रोकर की ट्रेडिंग एप से इंट्राडे ट्रेड करते है जिसकी कुल टर्नओवर वैल्यू (बाय और सेल) 1,00,000 है। यहाँ पर आइये दोनों ट्रेडर के ब्रोकरेज शुल्क की गणना करें:
पहला ट्रेडर= 0.05% * 1,00,000
= ₹50
दूसरा ट्रेडर= 0.05% * 1,00,000
= ₹50
अब क्योंकि दूसरे ट्रेडर का अकाउंट डिस्काउंट ब्रोकर के साथ है तो उसको अधिकतम फीस 20 रुपये प्रति ट्रेड देनी होगी, यानी की बाय और सेल करने की कुल ब्रोकरेज 50 रुपये न होकर सिर्फ ₹40 होगी।
इस तरह से आप शेयर मार्केट में अपने ट्रेड और निवेश करने की ब्रोकरेज फीस की गणना कर सकते है।
निष्कर्ष
शेयर मार्केट का गणित आपको ट्रेड करने का निर्णय और शेयर कैसे खरीदते है की जानकारी प्रदान करता है।
एक सही गणित से आप मार्केट में एक सही पोजीशन लेने में और ज़्यादा मुनाफा कमाने में सफलता प्राप्त कर सकते है। इसके साथ मार्केट में होने वाले खर्चे और जोखिमों का आंकलन करने में भी ये कैलकुलेशन बहुत महत्वपूर्ण होती है।
अगर आप उपरोक्त बातों को पालण करते है तो निश्चित रूप से जोखिम को कम कर सकते है।
यदि आप शेयर बाजार में करियर बनाने के लिए शुरुआत करना चाहते है तो आप डीमैट खाता खोल सकते है:
डीमैट खाता खोलने के लिए निचे दिए गए फॉर्म को भरें