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आईपीओ क्या हैं (IPO Meaning in Hindi) – यह प्रश्न अक्सर एक नए निवेशक या आम व्यक्ति के मन में आता हैं।
लेकिन, ज्यादातर ऐसे सवाल “आईपीओ क्या है” एक शुरूआती स्तर के निवेशक के मन में ही आते हैं। अगर आपके मन में भी ऐसे सवाल है, तो आप निश्चित रूप से शेयर मार्केट में बड़ा दावं खेलने वाले हैं।
और अगर शेयर मार्केट ट्रेडिंग में पैसा लगाते है तो Share Market Knowledge in Hindi की जानकारी रखना भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
ऐसा मैं आपको क्यों बता रहा हूँ, ये आपको IPO Meaning in Hindi की विस्तृत समीक्षा में पढ़ने के बाद स्पष्ट हो जाएगा।
इसके अलावा, आप IPO Full Form in Hindi के विस्तृत समीक्षा को भी पढ़ सकते हैं।
यदि आपकी आईपीओ में रूचि है तो आप जल्द ही खुलने वाले नए आईपीओ यानि कि न्यूरेका आईपीओ में निवेश करने का विकल्प चुन सकते हैं।
लेकिन ध्यान रहे कि आपको निवेश करने से पहले न्यूरेका आईपीओ की तारीख और न्यूरेका आईपीओ में आवेदन कैसे करें पता होना चाहिए।
आपको इस विश्लेषण में आईपीओ क्या है, आईपीओ कैसे काम करता है या आईपीओ में कैसे एक नया निवेशक निवेश कर सकता है और भी अन्य प्रकार के सवालों के जवाब मिलेंगे।
पिछले कुछ समय में, शेयर बाजार में निवेश को लेकर लोगों के बीच में काफी उत्सुकता बढ़ी है। आप इसे इस तरह से समझ सकते हैं की साल 2008 के बाद भारतीय शेयर बाजार में अभूतपूर्व बदलाव देखने को मिला है।
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IPO Meaning in Hindi
IPO Meaning in Hindi का अर्थ ‘इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग’ है। इसे हिंदी शब्दावली में “सार्वजनिक प्रस्ताव” भी कहा जाता है।
आईपीओ को एक कंपनी द्वारा पहली बार जनता के लिए लाया जाता है। ज्यादातर समय, छोटे या माध्यम स्तर के व्यवसाय होते है, लेकिन कई बार बड़े नाम भी होते है।
हालिया उदाहरण की बात करे तो भारत सरकार द्वारा पहली बार एलआईसी आईपीओ लाने की तैयारी हो रही है।
अगर दूसरे शब्दों में कहे तो, आईपीओ का मतलब एक वित्तीय उत्पाद यानि फाइनेंशियल प्रोडक्ट है, जो एक बिज़नेस जनता के पास लेकर जाती है।
जब कोई कंपनी जनता के लिए कुछ ऑफर करती है तो उसे बदले में भी कुछ आवश्यकता होगी। इस प्रकार, आईपीओ का मतलब एक बिज़नेस द्वारा शेयर (हिस्सेदारी) के बदले आम जनता से पूँजी जुटाना है।
आईपीओ एक माध्यम है जिसके ज़रिये एक निजी कंपनी (Private Company) पहली बार सार्वजनिक होती है और अपने शेयर को निवेशकों और रिटेल ट्रेडर के लिए पेशकश करती है।
यह ऐसा पहला अवसर होता है जब एक कंपनी आम जनता के लिए अपने शेयर की खरीद बिक्री करने का मौका उपलब्ध कराती है।
इसका मतलब यह है की किसी भी आम व्यक्ति को कंपनी के हिस्से में भागीदारी का अवसर प्राप्त होता है।
उपरोक्त बातें तो IPO Meaning in Hindi की हुई, अब बात आईपीओ लाने का उद्देश्य क्या होता है।
IPO लाने का उद्देश्य
जब किसी कंपनी को धन की आवश्यकता होती है तो कंपनी के पास दो रास्ते होते है – या तो वो बैंक से क़र्ज़ ले या फिर वो जनता से धन जुटाएं।
अब, जब कोई कंपनी इक्विटी में जनता से पूँजी जुटाना चाहती है तो वह शेयर मार्केट में सूचीबद्ध (Listed) होकर अपने कॉमन स्टॉक (Common Stock) को पब्लिक के सामने पहली बार जारी (Issue) करती है।
इसी प्रक्रिया को Initial Public Offerings (IPO) कहा जाता है।
आईपीओ के माध्यम से जुटाई गई धनराशि (Fund) आमतौर पर निम्नलिखित कारणों में इस्तेमाल किया जाता है।
- कंपनी के विस्तार
- तकनीकी विकास,
- नई संपत्ति खरीदने,
- कर्जे समाप्त करने इत्यादि
जैसे ही एक आईपीओ लांच किया जाता है या आर्थिक जगत में उसका प्रस्ताव लाया जाता है, कंपनी के शेयर विभिन्न निवेशकों और कारोबारियों को उपलब्ध हो जाते हैं।
इन शेयर्स को सेकेंडरी मार्केट से ख़रीदे और बेचे जा सकते हैं।
यदि आप आईपीओ में पैसा लगाना चाहते है, तो एंजेल ब्रोकिंग आईपीओ आने वाले है, जो आपको लाभ प्राप्त करने का एक सुनहरा अवसर प्रदान कर सकता है।
यहां तक आपको IPO Meaning in Hindi को समझ गए होंगे। अब इसके अन्य पहलुओं को देखते है।
एक कंपनी के लिए आईपीओ का क्या अर्थ है?
किसी भी कंपनी द्वारा आईपीओ का आवेदन करने के बाद पीछे प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से परिणाम सामने निकल कर आते है, जो निम्नलिखित है:
- आईपीओ के माध्यम से कोई भी कम्पनी अपनी पूँजी बढ़ा सकती है और उसे विभिन्न ज़रूरतों के लिए उपयोग में ला सकती है।
- जिन कंपनियों के पास कम धनराशि और छोटा बजट होता है, एक आईपीओ के माध्यम से उसे सुधारा जा सकता है और कंपनी की छवि या ब्रांड इमेज को भी ठीक किया जा सकता है।
- लोगों का कंपनी के प्रति भरोसा बढ़ जाता है।
- कंपनी के प्रबंधन की छवि उभर कर आती है और उद्योग जगत में उसका नाम होता है।
इसके साथ ही, कंपनी के कुछ तथ्य और जानकारी के सम्बन्ध में निम्नलिखित बदलाव आते हैं :
- कंपनी के बहीखाते (Balance Statement) और बैलेंस शीट (Balance Sheet) सार्वजनिक हो जाती है।
- कंपनी को सेबी द्वारा निर्धारित नियमों के अनुसार ही काम करना होता है।
- समय समय पर ऑडिट और जांच पड़ताल के लिए उपलब्ध रहना पड़ता है ताकि बाज़ार में उसकी अच्छी छवि बनी रह सके।
निवेशकों के लिए आईपीओ का क्या अर्थ है?
आईपीओ के माध्यम से ट्रेडर और निवेशक, शेयर बाज़ार से अच्छे मुनाफे कमाने की उम्मीद रख सकते हैं।
एक इंट्राडे ट्रेडर, आईपीओ के माध्यम से जल्द लाभ कमाने की उम्मीद रखता है और एक निवेशक इसे एक लम्बे समय के निवेश के तौर पर लेकर चलता है।
इसलिए यदि आप एक ऐसे निवेशक हैं जो की अपने पैसे को लम्बे समय के लिए निवेश में बनाए रखने की सोच रहा है तो आपको आईपीओ सम्बंधित पूरी जानकारी हासिल कर लेनी चाहिए और कंपनी के विषय में सब समझ लेना चाहिए।
इस समय भारतीय शेयर बाज़ार नई ऊंचाईयों को छू रहा है। यदि आप निवेश के बारे में सोच रहें हैं तो यह जानना बहुत ज़रूरी है कि आप अपनी मेहनत की कमाई को किस तरह और कौन से क्षेत्र में निवेश करने जा रहें हैं।
आईपीओ से सम्बंधित शब्दावली
IPO Meaning in Hindi की समीक्षा में हम आपके लिए आईपीओ से सम्बंधित शब्दावली लेकर आये है, जो आपके लिए सहायक होगी।
ऐसा इसलिए है क्योंकि जब भी कोई कंपनी अपने आईपीओ को बाज़ार में लाती हैं तो उसकी बोली लगते समय कुछ विशेष तकनीकी शब्दावली का उपयोग होता है, जो इस प्रकार है:
चलिए इसे एक-एक कर के समझते हैं:
प्राइस बैंड: सामान्य रूप से प्राइस बैंड वह दायरा होता है जिसके अनुसार आप एक आईपीओ के लिए बोली लगा सकते हैं।
बिड लॉट– बिड लाट का तात्पर्य उस न्यूनतम शेयर मात्रा से होता है जिसके अनुसार या फिर उसके गुणाकार (Multiple) में ही ग्राहकों को आईपीओ के लिए बोली लगानी होती है।
रजिस्ट्रार- रजिस्ट्रार उस विशेष कंपनी द्वारा नियुक्त किया जाता है जिसे की आईपीओ के काम से सम्बंधित जिम्मेदारी दी जाती है। वह सेबी के अनुसार निवेश करवाना, ग्राहकों के पैसे की वापसी और पूरी आईपीओ प्रक्रिया को संभालता है।
इशू साइज़: इससे तात्पर्य है उन कुल शेयर की मात्रा का जिन पर आप बोली लगा सकते हैं।
क्यूआईबी (QIB) – जितना शेयर प्रतिशत निवेशक संस्थाओं के बोली लगाने के लिए रखा जाता है, उसे QIB कहते हैं।
एनआईबी (NIB) – जितना शेयर प्रतिशत गैर निवेशक संस्थाओं (Non-Investor Institution) के बोली लगाने के लिए रखा जाता है, उसे NIB कहते हैं।
रिटेल- जितना शेयर रिटेल निवेशकों के बोली लगाने के लिए रखा जाता है, उसे रिटेल कहते हैं।
लिस्टिंग- जिन सूचियों पर आईपीओ खुलता है और कारोबार के लिए उपलब्ध होता है उसे, लिस्टिंग कहते हैं।
क्या आईपीओ हमेशा सफल होते है?
ऐसा जरुरी नहीं है, ऐसे है जब कोई आईपीओ लॉन्च होने के बाद कंपनी के लिए किसी डिजास्टर जैसे परिणाम सामने आते है।
ज्यादातर समय, आईपीओ लॉन्च होने के समय कई बिज़नेस पीछे खींच लेते है। कई बार, बिडिंग अवधि को बढ़ा देते है और कुछ दुर्लभ मामलों सेबी द्वारा कम सब्सक्रिप्शन के तहत आईपीओ कर दिया जाता है।
उदाहरण के लिए, जब फेल हुए आईपीओ की बात आती है तो सबसे पहले नाम रिलायंस पॉवर की आती है। इस आईपीओ ने इतना ख़राब प्रदर्शन किया की ज्यादातर निवेशकों को लिस्टेड होने वाले दिन ही लगभग 20 परसेंट एक नुकसान उठाना पड़ा।
इसके पीछे मुख्य कारण था, मार्केट मोमेंटम और निवेशकों का मार्केट के प्रति कोई रुझान नहीं देखना।
कुछ अन्य असफल हुए आईपीओ में Cafe Coffee Day, Adlabs, ICICI Prudential इत्यादि शामिल है।इसलिए, किसी भी निवेशक को सबसे पहले यह देखना चाहिए की क्या आईपीओ निवेश करने योग्य है।
इस प्रकार, आपको आईपीओ में अप्लाई करने से पहले, यह सुनिश्चित करना चाहिए की आप आईपीओ की मूलभूत जानकारी से अवगत हो।
अभी के लिए IPO Meaning in Hindi की इस समीक्षा में इतना ही है। उम्मीद है आपको आईपीओ की महत्वपूर्ण जानकारी मिल गयी होगी।
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