फाइनेंशियल मार्केट में, ट्रेडर अक्सर दो सामान्य शब्दों यानी स्टॉक और शेयर के बीच कन्फ्यूज़ रहता है। यह हर उस नए निवेशक की परेशानी का कारण है जो शेयर बाजार में निवेश करना चाहता है। यदि आप भी उनमें से एक हैं तो हम आपको Difference Between Stock and Share in Hindi में बताएंगें।
सामान्य तौर पर, दोनों सिक्योरिटीज के ही प्रकार हैं जो किसी पब्लिक कंपनी में हिस्सेदारी के एक हिस्से को दर्शाती है और विभिन्न कंपनियां उन्हें फंडिंग देती है।
यहां इस लेख में, हम शेयर और स्टॉक में अंतर जानेंगें।
शेयर और स्टॉक में अंतर
जब भी हम दो अलग-अलग पहलुओं की तुलना करते हैं, तो हमें सबसे पहले इन दोनों टर्म्स के मीनिंग को जानना चाहिए।
मूल रूप से, स्टॉक और शेयर, दोनों ही कंपनी की हिस्सेदारी को तय करते हैं लेकिन ट्रेडर्स और निवेशकों द्वारा इसका उपयोग एक दूसरे के स्थान पर किया जाता है।
लेकिन जब Difference Between Stock and Share in Hindi के बारे में बात करते हैं तो वे स्वभाव और मात्रा (Quantity) में एक दूसरे से भिन्न होते हैं।
उदाहरण के लिए, जब किसी सिंगल कंपनी के मालिकाना हक़ की बात होती है तो उसे शेयर कहा जाता है जबकि विभिन्न कंपनियों के शेयरों को स्टॉक कहा जाता है।
इसके साथ ही, धारा 61, कंपनी अधिनियम, 2013 के अनुसार कंपनी पूरी तरह से भुगतान किए गए शेयरों को स्टॉक में बदल सकती है।
चलिए, अब शेयर और स्टॉक में अंतर को गहराई से जानते हैं।
शेयर क्या है?
Difference Between Stock and Share in Hindi के कांसेप्ट को जानने के लिए आइए, शेयर के मीनिंग के साथ शुरुआत करते हैं।
जैसा कि इसके नाम से ही पता चलता है कि शेयर का मतलब छोटी यूनिट है। मान लीजिए कि कंपनी A के पास कैपिटल है जो इसके विस्तार के लिए पर्याप्त नहीं है।
इसलिए, यह शेयर मार्केट से कुछ फंड जुटाने का फैसला करते हैं। इसके लिए, यह अपनी कैपिटल को छोटी-छोटी यूनिट्स यानी शेयर में बाँट देते हैं।
इसके साथ ही यह अपने कुछ शेयर्स, निवेशकों को जारी करते हैं, जिन्हें शेयरधारक भी कहा जाता है।
एक निवेशक जो किसी भी शेयर को खरीदता है, वह कंपनी का शेयरधारक बन जाता है और उसी कंपनी में हिस्सेदारी की एक यूनिट प्राप्त करता है।
निवेशक एक या एक से अधिक शेयर खरीद सकते हैं लेकिन वे शेयर किसी एक ही कंपनी के होने चाहिए।
शेयर खरीदने के लिए आपको इस चीज का ज्ञान होना चाहिए कि शेयर कब खरीदे? साथ ही आपको शेयर खरीदने के नियमो के बारे में भी जानकारी होनी चाहिए।
सबसे पहले कंपनी शेयर्स को प्राइमरी मार्केट में लिस्टिंग के लिए भेजती है। जबकि सेकेंडरी मार्केट में, एक एक्सचेंज के माध्यम से शेयरों की खरीद और बिक्री होती है।
चलिए, आसान शब्दों में जानने के लिए एक उदाहरण को देखते हैं।
कंपनी A 1000 शेयर को ₹10 प्रति शेयर पर जारी करती है।
कंपनी B 2000 शेयर को ₹20 प्रति शेयर पर जारी करती है।
कंपनी C 3000 शेयर को ₹30 प्रति शेयर पर जारी करती है।
ऊपर बताई सभी कंपनियां अलग-अलग हैं और विभिन्न वैल्यू के साथ शेयर जारी करती हैं।
अब यहां एक निवेशक कंपनी A के 10 शेयरों को खरीदना और निवेश करना चाहता है।
शेयरों में निवेश विशेष रूप से एक्सचेंज पर लिस्टेड एक विशेष कंपनी में हिस्सेदारी प्राप्त करना है।
कॉमन शेयर
शेयर के और भी प्रकार हैं। चलिए, इक्विटी शेयरों के साथ शुरू करते हैं।
इसे सामान्य शेयर भी कहा जाता है। वे ऐसे शेयर हैं जो निवेशकों को कंपनी के मालिक बनने का अधिकार देते हैं।
वे कंपनी की कमाई में हिस्सा हासिल कर सकते हैं और इसकी निर्णय लेने की प्रक्रिया में भी शामिल हो सकते हैं। इसके अलावा, उन्हें नुकसान भी उठाना पड़ता है।
रिटर्न के नाम पर, उन्हें केवल मुनाफे और एसेट का एक हिस्सा दिया जाता है जिसे डिविडेंट कहा जाता है। यह डिविडेंट, तिमाही, मासिक और वार्षिक रूप से प्राप्त किया जा सकता है।
प्रेफरेंस शेयर
शेयर की इस लिस्ट में अगला नाम प्रेफरेंस शेयर का है। यह अपने शेयरहोल्डर को एक तय राशि प्रदान करता है जिसे डिविडेंट कहा जाता है।
उनके पास इक्विटी शेयरहोल्डर्स की तरह कोई वोटिंग अधिकार नहीं है।
इसके अलावा, यदि आप एक साउंड बैलेंस शीट और फंड्स के साथ किसी कंपनी में निवेश करते हैं, तो आप डिविडेंट या बोनस के रूप में एक अच्छी राशि प्राप्त कर सकते हैं।
स्टॉक का अर्थ
Difference Between Stock and Share in Hindi की बेहतर समझ हासिल करने के लिए स्टॉक के अर्थ को समझते हैं।
जब आप सभी शेयरों को इकट्ठा करते हैं और उन्हें एक ही फंड में जोड़ते हैं, तो उसे स्टॉक कहा जाता है। आप एक से अधिक निगमों में शेयरों में निवेश कर सकते हैं।
स्टॉक, शेयर की एक बड़ी यूनिट है। वे पूरी तरह से पेड-अप फंड हैं। स्टॉक्स को कुछ हिस्सों में नहीं बाँटा जा सकता।
चलिए, आसान शब्दों में जानने के लिए एक उदाहरण को देखते हैं।
कंपनी A 1000 शेयर को ₹10 प्रति शेयर पर जारी करती है।
कंपनी B 2000 शेयर को ₹20 प्रति शेयर पर जारी करती है।
कंपनी C 3000 शेयर को ₹30 प्रति शेयर पर जारी करती है।
ऊपर बताई सभी कंपनियां अलग-अलग हैं और विभिन्न वैल्यू के साथ शेयर जारी करती हैं।
मान लीजिये कोई निवेशक हैं जिसका नाम मिस्टर “स्वयं प्रकाश” है।
वह एक से अधिक कंपनियों के एक या एक से अधिक शेयर खरीद कर निवेश करना चाहता है।
यानी कि वह कंपनी A के ₹10 प्रति शेयर पर 1000 शेयर, कंपनी B के 2000 शेयर ₹20 प्रति शेयर पर, और कंपनी C के 3000 शेयर, ₹30 प्रति शेयर के मूल्य पर खरीदता है।
इसका मतलब है कि स्वयं प्रकाश के पास 6000 शेयर हैं जिनकी कीमत ₹1,400,000 है।
शेयर और स्टॉक का विकास
शेयर का मतलब जानने के बाद Difference Between Stock and Share in Hindi जानने के लिए अब इनकी ग्रोथ के बारे में जानना जरुरी है।
मार्केट में सामान्य रूप से उपलब्ध दो स्टॉक यानी ग्रोथ और वैल्यू स्टॉक पर चर्चा करते हैं।
अब आप सोच रहे होंगें कि ये है क्या?
जैसा कि नाम से पता चलता है कि ग्रोथ स्टॉक वे हैं जो अपने प्रतिस्पर्धियों (Competitors) की तुलना में एवरेज से ज्यादा रेट से बढ़ती हैं, जबकि वैल्यू स्टॉक वह हैं जो आपको मूल्यवान रिटर्न ओवरटाइम प्रदान करते हैं।
आइए, उनके बारे में और जानें।
ग्रोथ स्टॉक वे कंपनियां हैं जिनकी अपने कॉम्पिटिटर्स, सेक्टर या ओवरऑल मार्केट की एवरेज ग्रोथ की तुलना में हाई रेट से बढ़ने की उम्मीद होती है।
यहां ग्रोथ की कैलकुलेशन, रेवेन्यू, प्रॉफिट और अर्निंग पर शेयर (ईपीएस) के रूप में की जाती है।
यदि इनके नंबर्स को देखें तो ये शेयर एक वर्ष में 30% से 40% तक बढ़ते हैं और इस प्रकार आपको अच्छे रिटर्न प्रदान करते हैं।
अर्निंग ग्रोथ की स्पीड इस ओर इशारा करती है कि इन कंपनियों के पास सभी प्रतिस्पर्धात्मक लाभ है क्योंकि वे इस ग्रोथ स्टॉक को ऑफर कर सकते हैं।
यहां ग्रोथ स्टॉक्स की कुछ विशेषताएं बताई गई हैं:
- उनके पास प्रोडक्ट्स की एक विस्तृत श्रृंखला है।
- ग्रोथ स्टॉक के शेयरधारकों को रिटर्न के मामले में डिविडेंट मिलता है।
- यह हमेशा महंगा और ओवरवैल्यूड होता है – ऐसे शेयरों की कीमत अधिक होती है क्योंकि सभी निवेशक हाई रिटर्न की उम्मीद करते हैं। अन्य कंपनियों की तुलना में उनकी बुक वैल्यू और कमाई का रेश्यो अधिक होता है।
- ग्रोथ स्टॉक्स में हाई पी/ई रेश्यो, प्राइस-टू-अर्निंग रेश्यो और हायर-प्राइस-टू-बुक रेश्यो है।
- ग्रोथ स्टॉक इन्वेस्टमेंट में, हाई वोलैटिलिटी के कारण उच्च जोखिम होता है।
ये ऐसी कंपनियाँ हैं जो कम ग्रोथ के साथ और कम से कम कीमत पर ट्रेडिंग करती है। यदि स्टॉक की लागत की तुलना की जाए तो वैल्यू स्टॉक को बहुत सस्ती कीमत पर खरीदा जा सकता है।
यहाँ कुछ तरीके हैं जिनके द्वारा आप मार्केट में वैल्यू स्टॉक की पहचान कर सकते हैं, जैसे:
- शेयर मार्केट का गणित लगाए तो वैल्यू स्टॉक्स कम पी/ई रेश्यो पर ट्रेड होता है। स्टील स्टॉक की तरह सभी शेयरों के एवरेज पी/ई रेश्यो की जांच करना सुनिश्चित करें।
- यदि उनके पास 1 से 2 का रेश्यो है, तो उनके पास बुक रेश्यो (P/B) का मूल्य कम है।
- यील्ड हाई डिविडेंड का मतलब है कि उनके पास अधिक विकास और निवेश के अवसर नहीं हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनका मूल्यांकन कम है।
इसके बाद वैल्यू स्टॉक की विशेषताएं आती हैं, जो इस प्रकार है:
- जैसा कि ऊपर बताया गया है कि ये शेयर काफी सस्ती कीमत पर उपलब्ध हैं।
- इनमें कम वोलैटिलिटी और इसके साथ ही वैल्यू स्टॉक में निवेश करने में कम जोखिम है।
Difference Between Stock and Share in Hindi के साथ आगे बढ़ने के लिए हमें स्टॉकहोल्डर और शेयरधारक के बीच अंतर को भी समझना होगा।
स्टॉकहोल्डर और शेयरहोल्डर दोनों शब्द एक कंपनी में शेयरों की हिस्सेदारी को दर्शाता है, वे एक बिज़नेस (कंपनी) के पूरी तरह से मालिक नहीं हैं, लेकिन कुछ हिस्से के मालिक हैं।
स्टॉकहोल्डर और शेयरधारक, कोई व्यक्ति या एक संगठन हो सकता है जो एक निगम (Corporation) और म्यूचुअल फंड में हिस्सेदारी रखता है।
हालाँकि, दोनों धारकों के अधिकार समान ही हैं।
चलिए, अब स्टॉकहोल्डर और शेयरहोल्डर दोनों पर एक-एक करके चर्चा करते हैं।
स्टॉकहोल्डर
जब कोई निवेशक स्टॉक खरीदता है, तो उन्हें उस कंपनी की कुछ हिस्सेदारी मिल जाती है। वे कंपनी के काम, टारगेट और पॉलिसी में शामिल होते हैं।
इसके अलावा, वे जिस कंपनी में निवेश करते हैं और उस कंपनी के प्रदर्शन में शामिल हो सकते हैं।
वे मुख्य रूप से कंपनी के प्रदर्शन से प्रभावित होते हैं क्योंकि वे सबसे बड़े स्टेकहोल्डर हैं।
मुख्य रूप से दो प्रकार के स्टॉकहोल्डर (स्टेकहोल्डर) भी हैं, जो प्राइमरी स्टॉकहोल्डर और सेकेंडरी स्टॉकहोल्डर है।
प्राइमरी स्टॉकहोल्डर में, मैनेजर, वर्कर और कई अन्य लोग शामिल हैं। वे कंपनी के साथ सीधे संपर्क में हैं और कंपनी में उनकी डायरेक्ट हिस्सेदारी है।
इसके विपरीत, सेकेंडरी स्टॉकहोल्डर में, सरकार, सिक्योरिटीज और सिविल सोसाइटी शामिल हैं।
शेयरहोल्डर
एक शेयरधारक वह हो सकता है जो किसी विशेष कंपनी में एक या एक से अधिक शेयर का मालिक हो।
निवेश करने के बाद वे कंपनी के हिस्से के मालिक बन जाते हैं और कंपनी का प्रॉफिट होने पर उनको भी प्रॉफिट मिलता है।
एक शेयरहोल्डर, कंपनी या एक मौजूदा शेयरधारक से शेयर खरीद सकता है।
जैसा कि ऊपर बताया गया है कि एक शेयरधारक दो प्रकार के शेयरों यानी इक्विटी और प्रेफर्ड शेयर में निवेश कर सकता है।
दोनों के अपने जोखिम और रिटर्न हैं, जिसके आधार पर आप अपने लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट टारगेट को लक्ष्य आधारित निवेश के साथ कर सकते हैं।
Difference Between Stock and Share in Hindi के विवरण पर विचार करते समय अलग-अलग मार्केट के कांसेप्ट को समझना आवश्यक है।
मुख्य रूप से दो फाइनेंशियल मार्केट हैं, पहली स्टॉक मार्केट है और दूसरी शेयर मार्केट है।
शेयर मार्केट एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहाँ ब्रोकर निवेशकों को एक उचित कीमत पर शेयर खरीदने या बेचने की व्यवस्था करते है।
चलिए, स्टॉक मार्केट से शुरुआत करते हैं।
स्टॉक मार्केट को स्टॉक एक्सचेंज के रूप में भी जाना जाता है, एक ऐसा प्लेटफॉर्म जहां स्टॉक, इक्विटी, सिक्योरिटीज, और यहां तक कि बॉन्ड को स्टॉकब्रोकर और निवेशकों के बीच ट्रेड किया जाता है।
शेयर मार्केट में केवल शेयर बेचे या खरीदे जाते हैं। यहां आप शेयरहोल्डर बनने और उस कंपनी में कुछ हिस्सेदारी प्राप्त करने के लिए किसी भी कंपनी के शेयर खरीद सकते हैं।
सरल शब्दों में कहें तो, शेयर मार्केट आपको शेयरों को खरीदने और डिविडेंट के रूप में कंपनी के मुनाफे से कुछ इनकम कमाने की अनुमति देता है, और नुकसान के मामले में, आपको नुकसान भी उठाना पड़ेगा।
दोनों मार्केट को सेबी (भारतीय सिक्योरिटीज और एक्सचेंज बोर्ड) द्वारा रेगुलेट किया जाता है। स्टॉक एक्सचेंज पर रजिस्टर्ड नहीं होने पर भी आप किसी शेयर को बेच या खरीद सकते हैं।
जबकि शेयरों के मामले में लिस्टिंग अनिवार्य है।
स्टॉक मार्केट दो प्रकार की है जो इस प्रकार है: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) और बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई)।
स्टॉक मार्केट में, स्टॉक की कीमतों की कैलकुलेशन स्टॉक की डिमांड और सप्लाई के आधार पर की जाती है।
इसके साथ ही ब्रोकर द्वारा प्रदान किए गए विभिन्न ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म और एप्लिकेशन का उपयोग करके ओवरऑल ट्रेड को डिजिटल रूप से किया जाता है।
निष्कर्ष
Difference Between Stock and Share in Hindi का कांसेप्ट सबसे अधिक परेशान करने वाला है। वे दोनों किसी न किसी तरीके से अलग-अलग ही है।
हालांकि, दोनों फाइनेंशियल इक्विटी से संबंधित हैं और निवेशकों को हिस्सेदारी देते हैं।
शेयर एक विशिष्ट कंपनी में मालिकाना हक है , जबकि स्टॉक आपको एक से अधिक कंपनी में हिस्सेदारी प्रदान करते हैं।
इसके अलावा, शेयर आपको लाभ के रूप में डिविडेंट प्रदान करते हैं, जबकि, स्टॉक में आपको एक फिक्स प्रॉफिट मिलता है।
शेयर, कुछ पैसों में या फुल-अमाउंट पर जारी किए जाते हैं। दूसरी ओर, स्टॉक को फुल-अमाउंट में किया जाता है।
इसके अलावा, आप शेयरों को मौजूदा शेयरधारकों को ट्रांसफर कर सकते हैं जबकि स्टॉक्स को ट्रांसफर नहीं किया जा सकता है।
हमें उम्मीद है कि आपको Difference Between Stock and Share in Hindi पूरी तरह से समझ आ गया होगा।
यदि आप ट्रेडिंग करना चाहते हैं या लॉन्ग-टर्म इन्वेस्टमेंट की योजना बना रहे हैं तो फ्री-डीमैट खाते से शुरुआत करें।
इसके लिए बस नीचे दिए गए फॉर्म को भरें और कुछ ही समय में आपके लिए कॉलबैक की व्यवस्था की जाएगी।